प्रदूषण की समस्या पर निबंध

प्रदूषण की समस्या पर निबंध। pradushan ki samasya par nibandh.

विश्व की सबसे गंभीर समस्या है “प्रदूषण” भारत में भी वायु प्रदूषण दिन -प्रतिदिन बढ़ता चला जा रहा है। आज भारत और कई देशों में वायु, जल, और मिटटी का प्रदूषण सर चढ़कर बोल रहा है। भारत में बड़ी -बड़ी सड़कों का निर्माण करने की वजह से वृक्षों को नियमित रूप से काटा जा रहा है। सड़कों पर प्रति दिन और रात भागते हुए वाहन और गाड़ियां जहरीली गैस छोड़ती है। यह जहरीली गैस वायु को प्रदूषित कर देता है। यह वायु में जलीय वाष्प के साथ मिलकर वायु को भयंकर रूप से प्रदूषित करता है। रोज़ हम इसी वातावरण में सांस लेते है और जीते है। वायु प्रदुषण से हमारे शरीर को काफी नुक्सान पहुँचता है। बड़े-बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में भारी मात्रा में वायु और जल प्रदूषण के नतीजे मिल रहे है। दिल्ली प्रदूषण के मामले में सबसे ऊपर है।

इससे जीव-जंतुओं और मनुष्य को कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। वायु प्रदूषण से कई तरह की बीमारियां मनुष्य को हो रही है। ध्वनि प्रदूषण भी एक गंभीर समस्या है। सड़कों में बढ़ते हुए गाड़ियों की ध्वनियों से मनुष्य को घुटन और सरदर्द जैसी बीमारियां होती रहती है। मनुष्य की स्वार्थ भावना की वजह से प्रदूषण जैसी समस्याएं उतपन्न हो रही है। मनुष्य बड़ी -बड़ी इमारतें और कारखाने बनाने के लिए वनो और वृक्षों को निर्दयता पूर्वक काट रहे है। वृक्षों की वजह से वर्षा होती है। वर्षा की मात्रा पृथ्वी पर प्रदूषण की वजह से कम होती जा रही है। वृक्ष और पेड़ पौधे अगर जीवित रहेंगे तो प्रदूषण की समस्या से हम निपट सकते है।

कल-कारखानों से बढ़ता हुआ धुंआ प्रदूषण में आग में घी की तरह काम कर रहा है। इस पर मनुष्य जाति को आवश्यक कदम उठाने होंगे। मनुष्य को समझना होगा की सिर्फ तकनीकी उन्नति और आर्थिक विकास के लिए वह प्रकृति को दाव पर लगा रहा है। हमे अपने प्राकृतिक संसाधनों की कदर करनी चाहिए। हम प्राकृतिक संस्धानों को बिना सोचे समझे उसका गलत उपयोग कर रहे है और नतीजा हम सबके समक्ष है।

जल प्रदूषण भी एक घोर गंभीर मनुष्य द्वारा उतपन्न की हुई समस्या है। भारत की कई नदियाँ फ़ैक्टरिओं के कचड़े और प्रदूषित, नुकसानदेह रसायन तत्वों को झेल रही है। इसके साथ गांव और कई जगह पर लोग खुले में शौच, कपड़े धोना और पशुओं को नहलाते है। जिससे नदियाँ और पोखर का पानी असवभाविक रूप से प्रदूषित हो रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो नदियों का स्वच्छ जल प्रदूषित होने के कारण मनुष्य बिमारियों से घिर जाएगा। जल प्रदूषण से कई तरह की पेट की बीमारियां हो रही है और होती आयी है। किसान खेतों में कई रासायनिक पदार्थों का उपयोग करता ताकि फसल बहुत अच्छे पैमाने पर विकसित हो। लेकिन यह रासायनिक तत्व जल के नालो के माध्यम से नदियों तक पहुँच कर जल को दूषित कर देता है। जल के प्रदूषित होने से जल में रहने वाले जीव मर जाते है।

जनसंख्या वृद्धि और विज्ञान और तकनीकी उन्नति ने प्रदूषण जैसे संकट को पृथ्वी पर निमंत्रण दिया है। वायु प्रदूषण से फेफड़ों की बीमारियां होती है और लोगों को सांस लेने में दिक्क्त होती है। लाउड स्पीकर और बसों के ऊँचे ध्वनियों के कारण लोगों को सुनने में तकलीफ होती है और इससे तनाव उतपन्न होता है।

प्रदूषण की वृद्धि में फ्रिज, वातानुकूलित यन्त्र और कई प्रकार इलेक्ट्रॉनिक मशीन ज़िम्मेदार है। प्रदूषण से ग्लोबल वार्मिंग यानी वैश्विक तापमान की वृद्धि हो रही है। अंटार्टिक में जमी हुई बर्फ पिगल रही है जिससे समंदर का स्तर विश्वभर में बढ़ रहा है। इससे प्राकृतिक आपदाएं यानी बाढ़ जैसी समस्याएं उतपन्न हो रही है।

जितनी पृथ्वी पर हरियाली और पेड़ -पौधे खत्म होंगे उतना ही यह प्रदूषण अपनी चरम सीमा पर होगा। प्रदूषण को रोकने लिए अभी मानव जाति जागरूक हुई है लेकिन और जागरूक होने की आवश्यकता है।

जहाँ हम वृक्ष काटे वहां पांच पौधे अवश्य लगाए। वृक्षारोपण बहुत ही एहम माध्यम है। लोगों में प्रदूषण के खिलाफ जागरूकता फैलाये। कल -कारखानों का निर्माण मनुष्यों के घरों और सार्वजनिक जगहों से दूर हो ताकि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके। कल-कारखानों को ज़रूरी सुचना दी जाए की वह रसायनभरे तत्वों को  सीमित मात्रा से प्रवाहित करे ताकि प्रकृति और उनके जीवो को कोई नुक्सान ना पहुंचे। हम सभी को यह निश्चित रूप से एक जुट होकर प्रदूषण कोजड़ से मिटाने की हर मुमकिन छोटी से छोटी कोशिश करनी चाहिए। प्रदूषण पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाने के लिए मनुष्य को वह सारे कार्य बंद करने होंगे जो प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। पृथ्वी और प्रकृति के हित के लिए प्रदूषण को नियंत्रित करने की आवशयकता है।

pradushan ki samasya par nibandh image

प्रदूषण की समस्या 400 शब्दों में Pradushan ki samasya Hindi mai

वैज्ञानिक उन्नति के साथ-साथ प्रदूषण की समस्या भी बढ़ती जा रही है। भौतिक सुखों को प्राप्त करने के लिए आवश्यकता या औद्योगीकरण के चक्कर में अनेक छोटे-बड़े, कल-कारखानों और उद्योगों की स्थापना की गई। जनसंख्या में अनवरत् वृद्धि के कारण ग्राम, नगर और महानगरों का विस्तार हुआ। बिना किसी पूर्वनिर्धारित योजना के नगर बसने लगे। इसके लिए जंगलों को काटकर साफ कर दिया गया। कल-कारखाने दिन-रात धुआँ उगलने लगे जिससे प्रदूषण होने लगा। इन उद्योगों में उत्पादित बेकार पदार्थों को नदियों में डाला जाने लगा। फलस्वरूप दूषित वातावरण का निर्माण होने लगा और जन स्वास्थ्य में भारी गिरावट आने लगी।

कल-कारखानों के निरंतर स्थापित होते जाने और जंगलों की अंधाधुंध कटाई के कारण जीव-जन्तु समाप्त हो रहे हैं, कुछ प्राणी तो प्रायः लुप्त हो गए हैं। यही कारण है कि प्रकृति की स्वभाविक क्रिया में असंतुलन उत्पन्न होने लगा है और उसकी शोधक क्षमता शिथिल हो गई है। कारखाने दूषित और अनियन्त्रित जल तथा अन्य बेकार पदार्थ बाहर निकाल, दुर्गन्धयुक्त गैस फैलाकर वायु को दूषित कर रहे हैं।

वायु-प्रदूषण से मानव के अस्तित्व के लिए एक बड़ा खतरा उत्पन्न हो रहा है। दूषित वायु में साँस लेने के कारण फेंफड़ों के रोग पनपते हैं, आँखे खराब होती हैं। यातायात के साधनों और मशीनों के शोर से ध्वनि प्रदूषण फैलता है। जिससे कान बहरे हो जाते है। इस तरह मनुष्य कई मानसिक एवं शारीरिक रोगों से ग्रस्त होता जा रहा है।

वैज्ञानिक उन्नति और औद्योगिकरण के वर्तमान वातावरण में हम एक तरफ तो प्राकृतिक साधनों को नियन्त्रित कर रहे हैं और दूसरी ओर स्वयं कृत्रिमता की चकाचौध से अंधे होकर उसके पीछे भागते जा रहे है, अतः इससे बचने के लिए हमें प्राकृतिक और मानव-निर्मित कृत्रिम वातावरण में संतुलन कायम करना होगा, ताकि प्रकृति का सुन्दर स्वरूप बना रहे और मानव सभ्यता के विकास की सम्भावनाए भी बनी रहे।

ग्रामीण जीवन की खुशहाली पर महानगरों का जीवन आश्रित है। ग्रामीण संस्कृति को भी नगरीय संस्कृति के सामने फलने-फूलने का अवसर प्राप्त होना चाहिए। कारखानों को शहरों, नगरों से दूर स्थापित किया जाना चाहिए। जिससे उनसे निकलने वाला धुआँ, जहरीली गैस का प्रभाव लोगों तक न पड़े। मानव को साँस लेने के लिए शुद्ध आक्सीजन मिलती रहे। वायु प्रदूषण को रोकने के लिए खाली भूमि पर अधिक से अधिक संख्या में वृक्षारोपण करना चाहिए। लोगों को अपने आवास के आस-पास पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। सौर ऊर्जा का प्रयोग करना चाहिए, जिससे अनावश्यक शोर न हो। यह सब तरीके अपनाने के बाद हम अपनी पृथ्वी को प्रदूषण से मुक्त कर सकेंगे और साथ ही साथ इसे स्वच्छ भी रख सकेंगे।

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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 100 - 500 शब्दों में यहाँ देखें

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प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। आज विश्व की अधिकतर आबादी प्रदूषण की समस्या से ग्रसित है। ऐसे में प्रदूषण पर निबंध (eassay on pollution in hindi) लिखने के लिए अक्सर स्कूलों में कहा जाता है। छात्र इस प्रदूषण पर निबंध (eassay on pollution in hindi) के माध्यम से प्रदूषण जैसी विशाल समस्या के बारे में जानने के साथ-साथ इसकी विषय की संवेदनशीलता का भी पता लगा सकते हैं तथा कैसे ये भयंकर रूप में अब हमारे समक्ष प्रकट हुई है, इसके स्तर का भी अनुमान प्राप्त कर सकते हैं। हिंदी में पत्र लेखन सीखें ।

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 100 - 500 शब्दों में यहाँ देखें

प्रदूषण देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए एक ज्वलंत समस्या का रूप धारण कर चुकी है। प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सभी के योगदान की आवश्यकता होगी। प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi) से देश के भविष्य छात्रों में जागरूकता आएगी तथा प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi) से उनको प्रदूषण की समस्या को दूर करने में अपना योगदान देने में आसानी होगी। इस लेख से प्रदूषण क्या है और प्रदूषण के कितने प्रकार का होता है - वायु, जल, ध्वनि, पर्यावरण, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है, जिससे प्रदूषण पर निबंध हिंदी में (Essay on Pollution in Hindi) ऑनलाइन सर्च कर रहे विद्यार्थियों को प्रदूषण पर निबंध (essay on pollution) लिखने में सहायता मिलेगी।

विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध (essay on world environment day) लिखने में भी इस लेख की सहायता ली जा सकती है। इसके अलावा कई ऐसे छात्र भी होते हैं जिनकी हिंदी विषय/भाषा पर पकड़ कमजोर होती है, ऐसे में प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) विशेष इस लेख से उन्हें निबंध लिखने के तरीके को समझने व लिखने में सहायता प्राप्त होगी।

ये भी पढ़ें :

होली पर निबंध पढ़ें । हिंदी में निबंध लिखने का तरीका जानें ।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण क्या है? (What is Pollution)

प्रदूषण, जिसे पर्यावरण प्रदूषण भी कहा जाता है। पर्यावरण में किसी भी पदार्थ (ठोस, तरल, या गैस) या ऊर्जा का किसी भी रूप (जैसे गर्मी, ध्वनि, या रेडियोधर्मिता) में उसके पुनर्नवीनीकरण, किसी हानिरहित रूप में संग्रहण या विघटित करने के स्तर से ज्यादा तेजी से फैलना ही प्रदूषण (eassay on pollution in hindi) कहलाता है।

अन्य लेख पढ़ें-

  • हिंदी दिवस पर कविता
  • गणतंत्र दिवस पर भाषण
  • दिवाली पर निबंध

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण का वर्तमान परिदृश्य

प्रदूषण हमारे जीवन के उन प्रमुख विषयों में से एक है, जो इस समय हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा व चिंता का विषय रहा है तथा 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इसके प्रभाव को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी इस समस्या के समाधान हेतु एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीवित रहने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग आदि शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, मगर फिर भी उन्हें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। इन स्थानों की वायु गुणवत्ता खराब है और भूमि तथा जल प्रदूषण में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। अब समय आ गया है कि इन शहरों से प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए, यहाँ मौजूद प्रशासन एक ठोस रणनीति तैयार करके उसपर अमल करे।

  • हिंदी दिवस पर भाषण
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  • इंजीनियर कैसे बन सकते हैं?

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) क्या है? (What is Air Quality Index (AQI)?)

वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) (Air Quality Index (AQI)) एक सूचकांक है जिसका उपयोग सरकारी एजेंसियों द्वारा वायु प्रदूषण के स्तर को मापने के लिए किया जाता है ताकि आम लोग वायु गुणवत्ता को लेकर जागरूक हो सकें। जैसे-जैसे एक्यूआई (AQI) बढ़ता है, इसका मतलब है कि एक बड़ी जनसंख्या गंभीर प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों का अनुभव करने वाली है। वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी AQI लोगों को यह जानने में मदद करता है कि स्थानीय वायु गुणवत्ता उनके स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है। पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) पांच प्रमुख वायु प्रदूषकों के लिए एक्यूआई (AQI) की गणना करती है, जिसके लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक स्थापित किए गए हैं।

  • जमीनी स्तर की ओजोन (ग्राउंड लेवल ओज़ोन)
  • कण प्रदूषण/पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5/pm 10)
  • कार्बन मोनोऑक्साइड
  • सल्फर डाइऑक्साइड
  • नाइट्रोजन डाइऑक्साइड

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण के प्रकार

मूल रूप से प्रदूषण चार प्रकार का होता है, जो नीचे उल्लिखित है -

  • वायु प्रदूषण (Air Pollution)
  • जल प्रदूषण (Water Pollution)
  • ध्वनि प्रदूषण (Pollution Essay)
  • मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

यह भी पढ़ें -

  • डॉक्टर कसे बनें
  • एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में कैसे संवारें अपना भविष्य

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - आइए एक करके प्रदूषण के विभिन्न प्रकारों के बारे में जानें:

वायु प्रदूषण : वायु प्रदूषण मुख्य रूप से वाहनों से गैस के उत्सर्जन के कारण होता है। बेहद ही हानिकारक गैस कारखानों तथा उद्योगों में उप-उत्पाद के रूप में उत्पादित होती हैं, प्लास्टिक और पत्तियों जैसे जहरीले पदार्थों को खुले में जलाने से, वाहनों के एग्जॉस्ट से, रेफ्रीजरशन उद्योग में उपयोग किए जाने वाले सीएफ़सी से वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है।

हाल के दशक में बेहतर आय की वजह से भारत में सड़कों पर वाहनों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी गई है। ये सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों को फैलाने के लिए भी जिम्मेदार हैं। ये गैसें पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा को कम करने के लिए जिम्मेदार हैं। इनकी वजह से सांस लेने की कई समस्याएं, श्वसन रोग, कई प्रकार के कैंसर आदि जैसी बीमारियाँ तेजी से पनप रही हैं।

जल प्रदूषण : जल प्रदूषण आजकल मनुष्यों के सामने मौजूद सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। सीवेज अपशिष्ट, उद्योगों या कारखानों आदि के कचरे को सीधे नहरों, नदियों और समुद्रों जैसे जल निकायों में डाला जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप समुद्री जीव जंतुओं के आवास का नुकसान हो रहा है और जल निकायों में घुली ऑक्सीजन का स्तर भी घट रहा है। पीने योग्य पानी की कमी जल प्रदूषण का एक बड़ा दुष्प्रभाव है। लोग प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं जिससे हैजा, डायरिया, पेचिश आदि रोग होने का खतरा रहता है।

मृदा प्रदूषण : भारतीय आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। इस काम के लिए, किसान बहुत सारे शाकनाशी, उर्वरक, कवकनाशी और अन्य समान प्रकार के रासायनिक यौगिकों का उपयोग करते हैं। इनके इस्तेमाल से मिट्टी दूषित होती है और इससे मिट्टी आगे फसल उगाने लायक नहीं रह जाती। इसके अलावा, अगर अधिकारी जमीन पर पड़े औद्योगिक या घरेलू कचरे को डंप नहीं करते हैं, तो यह भी मिट्टी के प्रदूषण में बड़ा योगदान देता है। इसकी वजह से मच्छरों के प्रजनन में वृद्धि होती है, जो डेंगू जैसी कई जानलेवा बीमारियों का कारण बनता है। ये सभी कारक मिट्टी को विषाक्त बनाने के लिए जिम्मेदार हैं।

ध्वनि प्रदूषण : वायु प्रदूषण में योगदान देने के अलावा, भारतीय सड़कों पर बड़ी संख्या में मौजूद वाहन, ध्वनि प्रदूषण में भी भरपूर योगदान देते हैं। यह उन लोगों के लिए खतरनाक है जो शहरी क्षेत्रों में या राजमार्गों के पास रहते हैं। यह लोगों में चिंता और तनाव जैसे संबंधित मुद्दों का कारण बनता है।

इसके अलावा, पटाखे, कारखानों के कामकाज, लाउडस्पीकर की आवाज (विशेष रूप से समारोहों के मौसम में) आदि भी ध्वनि प्रदूषण में अपनी भूमिका निभाते हैं। अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह हमारे मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता है।

अक्सर, दिवाली के त्योहार के अगले दिन मीडिया में यह बताया जाता है कि कैसे पटाखों की वजह से भारत के प्रमुख शहरों में ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है।

हालाँकि ये चार प्रमुख प्रकार के प्रदूषण हैं, जीवनशैली में बदलाव के कारण कई अन्य प्रकार के प्रदूषण भी देखे गए हैं जैसे कि रेडियोधर्मी प्रदूषण, प्रकाश प्रदूषण अन्य। यदि किसी स्थान पर अधिक या अवांछित मात्रा में मानवनिर्मित प्रकाश पैदा किया जाता है, तो यह प्रकाश प्रदूषण में योगदान देता है। आजकल, कई शहरी क्षेत्र अधिक मात्रा में अवांछित प्रकाश का सामना कर रहे हैं।

हम परमाणु युग में जी रहे हैं। चूंकि बहुत से देश अपने स्वयं के परमाणु उपकरण विकसित कर रहे हैं, इससे पृथ्वी के वातावरण में रेडियोधर्मी पदार्थों की उपस्थिति में वृद्धि हुई है। इसे रेडियोधर्मी प्रदूषण के रूप में जाना जाता है। रेडियोधर्मी पदार्थों का संचालन और खनन, परीक्षण, रेडियोधर्मी बिजली संयंत्रों में होने वाली छोटी दुर्घटनाएँ रेडियोधर्मी प्रदूषण में योगदान देने वाले अन्य प्रमुख कारण हैं।

उपयोगी लिंक्स -

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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming)

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारक है। धरती के चारों ओर गर्मी को फंसाने वाले प्रदूषण की परत ही मुख्य कारण है, जो आजकल ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) को बढ़ा रही है। जैसे मनुष्य जब जीवाश्म ईंधन जलाते हैं, प्लास्टिक जलाते हैं, वाहन से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जंगल अधिक स्तर पर जलाए जाते हैं, तो इनसे खतरनाक गैस का उत्सर्जन होता है।

एक बार जब यह गैस पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर जाती है, तो अंततः यह पूरे विश्व में फैल जाती है। नतीजतन, गर्मी फिर से उत्सर्जित होने के बाद अगले 50 या 100 सालों तक पृथ्वी के चारों ओर फंस जाती है। सबसे गंभीर बात यह है कि कार्बन डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैस का स्तर खतरनाक दर से बढ़ा है। इससे आने वाली पीढ़ी सैकड़ों वर्षों तक ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के प्रभावों को महसूस करेगी।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए प्रमुख कदम

पर्यावरण प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिकारियों ने कई कदम उठाए हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल : भारत सरकार ने भारत में पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर अंकुश लगाने के लिए NGT की स्थापना की थी। 2010 से जब कई उद्योग एनजीटी के आदेश का पालन करने में विफल रहे हैं, तो इसने ऐसे उद्योगों पर भारी जुर्माना लगाया। इसने कई प्रदूषित झीलों को साफ करने में भी मदद की है। इसने गुजरात में कई कोयला आधारित उद्योगों को बंद करने का भी आदेश दिया, जिससे वायु प्रदूषण में इजाफा हो रहा था।

ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत : पिछले कुछ वर्षों से, भारत सरकार लोगों को ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर जाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। तमिलनाडु राज्य के निवासियों के लिए अपनी छतों पर सौर पैनल और वर्षा जल संचयन प्रणाली रखना अनिवार्य है। वैकल्पिक ऊर्जा के अन्य स्रोत जैव ईंधन, पवन ऊर्जा, जलविद्युत ऊर्जा आदि हैं।

BS-VI ईंधन : भारत सरकार द्वारा घोषणा के बाद देश अब BS-VI (भारत चरण VI) ईंधन का उपयोग करने में सक्षम है। इस नियम अस्तित्व में आने के बाद, वाहनों से सल्फर के होने वाले उत्सर्जन में 50% से अधिक की कमी आने की संभावना है। यह डीजल कारों से नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन को 70% और पेट्रोल कारों में 25% तक कम करता है। इसी तरह, कारों में पार्टिकुलेट मैटर के उत्सर्जन में 80% की कमी आएगी।

वायु शोधक: वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए लोग अब वायु शोधक विशेष रूप से इनडोर में इस्तेमाल किए जाने वाले का उपयोग कर रहे हैं। एयर प्यूरीफायर हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर को साफ करते हैं, हानिकारक बैक्टीरिया को हटाते हैं और हवा की गुणवत्ता में काफी हद तक सुधार करते हैं।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण पर अंकुश लगाने में यूएनओ की भूमिका

अपने बैनर के तहत, संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1972 में प्रदूषण के मुद्दे को संबोधित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की शुरुआत की गई थी। इसने जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन, पर्यावरण प्रशासन, संसाधन दक्षता आदि जैसे कई मुद्दों की तरफ आम लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। इसने कई सफल संधियों को मंजूरी दी है, जैसे कि मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (1987) जो गैसों के उत्सर्जन को सीमित करने के लिए सुरक्षात्मक ओजोन परत को पतला कर रहे थे, जहरीले पारा आदि के उपयोग को सीमित करने के लिए मिनामाता कन्वेंशन (2012) यूएनईपी प्रायोजित 'सौर ऋण कार्यक्रम' जहां विभिन्न देशों के लाखों लोगों को सौर ऊर्जा पैनल प्रदान किए गए थे।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण पर अंकुश लगाने के विभिन्न तरीके

हालांकि विभिन्न शहरों के अधिकारी प्रदूषण के मुद्दे पर अंकुश लगाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। ऐसे में नागरिकों और आम लोगों का भी यह कर्तव्य है कि वे इस प्रक्रिया में अपना योगदान दें। सभी प्रकार के प्रदूषण को रोकने के कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं -

पटाखों का इस्तेमाल बंद करें : जब आप दशहरा, दिवाली या किसी अन्य अवसर पर त्योहार मनाते हैं, तो पटाखों का इस्तेमाल ना करें। यह ध्वनि, मिट्टी के साथ-साथ प्रकाश प्रदूषण का कारण बनता है। साथ ही इसका हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

वाहनों का प्रयोग सीमित करें : वाहन प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। वाहनों का प्रयोग कम से कम करें। यदि संभव हो, तो उन्हें व्यक्तिगत उपयोग के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने का प्रयास करें। आने-जाने के लिए ज्यादा से ज्यादा सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें।

अपने आस-पास साफ-सफाई रखें : एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य होना चाहिए कि हम अपने घर के आस-पास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखें। हमें कचड़ा इधर-उधर फेंकने की बजाय कूड़ेदान में फेकना चाहिए।

रिसाइकल और पुन: उपयोग - कई गैर-बायोडिग्रेडेबल उत्पाद जैसे कि प्लास्टिक से बने दैनिक उपयोग की वस्तुएं हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं। हमें या तो इन्हें ठीक से डिकम्पोज करना होगा या इसे रिसाइक्लिंग के लिए भेजना होगा। आजकल सरकार प्लास्टिक को रिसायकल करने के लिए बहुत सारी योजनाएं चला रही है, जहां नागरिक न केवल अपने प्लास्टिक के कचरे को दान कर सकते हैं, बल्कि अन्य वस्तुओं के बदले में इसका आदान-प्रदान भी कर सकते हैं।

पेड़ लगाएं : कई कारणों से पेड़ों की कटाई जैसे सड़कों का चौड़ीकरण, घर बनाना आदि के कारण विभिन्न प्रकार के प्रदूषण में वृद्धि हुई है। पौधे वातावरण में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड आदि जैसे हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं। चूंकि वे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन छोड़ते हैं, इसलिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाएं और उनकी देखभाल करें।

प्रदूषण एक ऐसी समस्या है, जिसका हमें जल्द से जल्द समाधान करने की जरूरत है, ताकि मनुष्य व अन्य जीव जन्तु, इस ग्रह पर सुरक्षित रूप से रह सकें। यह महत्वपूर्ण है कि हम इस मुद्दे के समाधान के लिए सुझाए गए उपायों का पालन करें। यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम अपने घर को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाएं। पृथ्वी को जीवित रखने के लिए हमें इसे प्रदूषित करना बंद करना होगा।

Frequently Asked Question (FAQs)

वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) (Air Quality Index) दैनिक आधार पर वायु गुणवत्ता की रिपोर्ट करने के लिए एक सूचकांक है।

प्रदूषण पर हिंदी में निबंध लिखने के लिए आप इस लेख को संदर्भित कर सकते हैं। इस लेख में प्रदूषण पर निबंध से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

प्रदूषण मुख्य रूप से 4 प्रकार के होते हैं, जिन्हे वायु प्रदूषण (Air Pollution), जल प्रदूषण (Water Pollution), ध्वनि प्रदूषण (Pollution Essay), मृदा प्रदूषण (Soil Pollution) के रूप में जाना जाता है। 

पटाखों के इस्तेमाल पर कमी, अधिक से अधिक पेड़ लगाकर, वाहनों के उपयोग पर कमी और अपने आस-पास स्वच्छता रखकर प्रदूषण में कमी की जा सकती है। 

सांविधिक संगठन, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वर्ष 1974 में गठित किया गया था।

पर्यावरण में किसी भी पदार्थ (ठोस, तरल, या गैस) या ऊर्जा का किसी भी रूप (जैसे गर्मी, ध्वनि, या रेडियोधर्मिता) में उसके पुनर्नवीनीकरण, किसी हानिरहित रूप में संग्रहण या विघटित करने के स्तर से ज्यादा तेजी से फैलना ही प्रदूषण है। प्रदूषण उन प्रमुख मुद्दों में से एक है, जो हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा में है, 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया गया है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इन प्रभावों को रोकने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

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Data Administrator

Database professionals use software to store and organise data such as financial information, and customer shipping records. Individuals who opt for a career as data administrators ensure that data is available for users and secured from unauthorised sales. DB administrators may work in various types of industries. It may involve computer systems design, service firms, insurance companies, banks and hospitals.

Bio Medical Engineer

The field of biomedical engineering opens up a universe of expert chances. An Individual in the biomedical engineering career path work in the field of engineering as well as medicine, in order to find out solutions to common problems of the two fields. The biomedical engineering job opportunities are to collaborate with doctors and researchers to develop medical systems, equipment, or devices that can solve clinical problems. Here we will be discussing jobs after biomedical engineering, how to get a job in biomedical engineering, biomedical engineering scope, and salary. 

Ethical Hacker

A career as ethical hacker involves various challenges and provides lucrative opportunities in the digital era where every giant business and startup owns its cyberspace on the world wide web. Individuals in the ethical hacker career path try to find the vulnerabilities in the cyber system to get its authority. If he or she succeeds in it then he or she gets its illegal authority. Individuals in the ethical hacker career path then steal information or delete the file that could affect the business, functioning, or services of the organization.

GIS officer work on various GIS software to conduct a study and gather spatial and non-spatial information. GIS experts update the GIS data and maintain it. The databases include aerial or satellite imagery, latitudinal and longitudinal coordinates, and manually digitized images of maps. In a career as GIS expert, one is responsible for creating online and mobile maps.

Data Analyst

The invention of the database has given fresh breath to the people involved in the data analytics career path. Analysis refers to splitting up a whole into its individual components for individual analysis. Data analysis is a method through which raw data are processed and transformed into information that would be beneficial for user strategic thinking.

Data are collected and examined to respond to questions, evaluate hypotheses or contradict theories. It is a tool for analyzing, transforming, modeling, and arranging data with useful knowledge, to assist in decision-making and methods, encompassing various strategies, and is used in different fields of business, research, and social science.

Geothermal Engineer

Individuals who opt for a career as geothermal engineers are the professionals involved in the processing of geothermal energy. The responsibilities of geothermal engineers may vary depending on the workplace location. Those who work in fields design facilities to process and distribute geothermal energy. They oversee the functioning of machinery used in the field.

Database Architect

If you are intrigued by the programming world and are interested in developing communications networks then a career as database architect may be a good option for you. Data architect roles and responsibilities include building design models for data communication networks. Wide Area Networks (WANs), local area networks (LANs), and intranets are included in the database networks. It is expected that database architects will have in-depth knowledge of a company's business to develop a network to fulfil the requirements of the organisation. Stay tuned as we look at the larger picture and give you more information on what is db architecture, why you should pursue database architecture, what to expect from such a degree and what your job opportunities will be after graduation. Here, we will be discussing how to become a data architect. Students can visit NIT Trichy , IIT Kharagpur , JMI New Delhi . 

Remote Sensing Technician

Individuals who opt for a career as a remote sensing technician possess unique personalities. Remote sensing analysts seem to be rational human beings, they are strong, independent, persistent, sincere, realistic and resourceful. Some of them are analytical as well, which means they are intelligent, introspective and inquisitive. 

Remote sensing scientists use remote sensing technology to support scientists in fields such as community planning, flight planning or the management of natural resources. Analysing data collected from aircraft, satellites or ground-based platforms using statistical analysis software, image analysis software or Geographic Information Systems (GIS) is a significant part of their work. Do you want to learn how to become remote sensing technician? There's no need to be concerned; we've devised a simple remote sensing technician career path for you. Scroll through the pages and read.

Budget Analyst

Budget analysis, in a nutshell, entails thoroughly analyzing the details of a financial budget. The budget analysis aims to better understand and manage revenue. Budget analysts assist in the achievement of financial targets, the preservation of profitability, and the pursuit of long-term growth for a business. Budget analysts generally have a bachelor's degree in accounting, finance, economics, or a closely related field. Knowledge of Financial Management is of prime importance in this career.

Underwriter

An underwriter is a person who assesses and evaluates the risk of insurance in his or her field like mortgage, loan, health policy, investment, and so on and so forth. The underwriter career path does involve risks as analysing the risks means finding out if there is a way for the insurance underwriter jobs to recover the money from its clients. If the risk turns out to be too much for the company then in the future it is an underwriter who will be held accountable for it. Therefore, one must carry out his or her job with a lot of attention and diligence.

Finance Executive

Product manager.

A Product Manager is a professional responsible for product planning and marketing. He or she manages the product throughout the Product Life Cycle, gathering and prioritising the product. A product manager job description includes defining the product vision and working closely with team members of other departments to deliver winning products.  

Operations Manager

Individuals in the operations manager jobs are responsible for ensuring the efficiency of each department to acquire its optimal goal. They plan the use of resources and distribution of materials. The operations manager's job description includes managing budgets, negotiating contracts, and performing administrative tasks.

Stock Analyst

Individuals who opt for a career as a stock analyst examine the company's investments makes decisions and keep track of financial securities. The nature of such investments will differ from one business to the next. Individuals in the stock analyst career use data mining to forecast a company's profits and revenues, advise clients on whether to buy or sell, participate in seminars, and discussing financial matters with executives and evaluate annual reports.

A Researcher is a professional who is responsible for collecting data and information by reviewing the literature and conducting experiments and surveys. He or she uses various methodological processes to provide accurate data and information that is utilised by academicians and other industry professionals. Here, we will discuss what is a researcher, the researcher's salary, types of researchers.

Welding Engineer

Welding Engineer Job Description: A Welding Engineer work involves managing welding projects and supervising welding teams. He or she is responsible for reviewing welding procedures, processes and documentation. A career as Welding Engineer involves conducting failure analyses and causes on welding issues. 

Transportation Planner

A career as Transportation Planner requires technical application of science and technology in engineering, particularly the concepts, equipment and technologies involved in the production of products and services. In fields like land use, infrastructure review, ecological standards and street design, he or she considers issues of health, environment and performance. A Transportation Planner assigns resources for implementing and designing programmes. He or she is responsible for assessing needs, preparing plans and forecasts and compliance with regulations.

Environmental Engineer

Individuals who opt for a career as an environmental engineer are construction professionals who utilise the skills and knowledge of biology, soil science, chemistry and the concept of engineering to design and develop projects that serve as solutions to various environmental problems. 

Safety Manager

A Safety Manager is a professional responsible for employee’s safety at work. He or she plans, implements and oversees the company’s employee safety. A Safety Manager ensures compliance and adherence to Occupational Health and Safety (OHS) guidelines.

Conservation Architect

A Conservation Architect is a professional responsible for conserving and restoring buildings or monuments having a historic value. He or she applies techniques to document and stabilise the object’s state without any further damage. A Conservation Architect restores the monuments and heritage buildings to bring them back to their original state.

Structural Engineer

A Structural Engineer designs buildings, bridges, and other related structures. He or she analyzes the structures and makes sure the structures are strong enough to be used by the people. A career as a Structural Engineer requires working in the construction process. It comes under the civil engineering discipline. A Structure Engineer creates structural models with the help of computer-aided design software. 

Highway Engineer

Highway Engineer Job Description:  A Highway Engineer is a civil engineer who specialises in planning and building thousands of miles of roads that support connectivity and allow transportation across the country. He or she ensures that traffic management schemes are effectively planned concerning economic sustainability and successful implementation.

Field Surveyor

Are you searching for a Field Surveyor Job Description? A Field Surveyor is a professional responsible for conducting field surveys for various places or geographical conditions. He or she collects the required data and information as per the instructions given by senior officials. 

Orthotist and Prosthetist

Orthotists and Prosthetists are professionals who provide aid to patients with disabilities. They fix them to artificial limbs (prosthetics) and help them to regain stability. There are times when people lose their limbs in an accident. In some other occasions, they are born without a limb or orthopaedic impairment. Orthotists and prosthetists play a crucial role in their lives with fixing them to assistive devices and provide mobility.

Pathologist

A career in pathology in India is filled with several responsibilities as it is a medical branch and affects human lives. The demand for pathologists has been increasing over the past few years as people are getting more aware of different diseases. Not only that, but an increase in population and lifestyle changes have also contributed to the increase in a pathologist’s demand. The pathology careers provide an extremely huge number of opportunities and if you want to be a part of the medical field you can consider being a pathologist. If you want to know more about a career in pathology in India then continue reading this article.

Veterinary Doctor

Speech therapist, gynaecologist.

Gynaecology can be defined as the study of the female body. The job outlook for gynaecology is excellent since there is evergreen demand for one because of their responsibility of dealing with not only women’s health but also fertility and pregnancy issues. Although most women prefer to have a women obstetrician gynaecologist as their doctor, men also explore a career as a gynaecologist and there are ample amounts of male doctors in the field who are gynaecologists and aid women during delivery and childbirth. 

Audiologist

The audiologist career involves audiology professionals who are responsible to treat hearing loss and proactively preventing the relevant damage. Individuals who opt for a career as an audiologist use various testing strategies with the aim to determine if someone has a normal sensitivity to sounds or not. After the identification of hearing loss, a hearing doctor is required to determine which sections of the hearing are affected, to what extent they are affected, and where the wound causing the hearing loss is found. As soon as the hearing loss is identified, the patients are provided with recommendations for interventions and rehabilitation such as hearing aids, cochlear implants, and appropriate medical referrals. While audiology is a branch of science that studies and researches hearing, balance, and related disorders.

An oncologist is a specialised doctor responsible for providing medical care to patients diagnosed with cancer. He or she uses several therapies to control the cancer and its effect on the human body such as chemotherapy, immunotherapy, radiation therapy and biopsy. An oncologist designs a treatment plan based on a pathology report after diagnosing the type of cancer and where it is spreading inside the body.

Are you searching for an ‘Anatomist job description’? An Anatomist is a research professional who applies the laws of biological science to determine the ability of bodies of various living organisms including animals and humans to regenerate the damaged or destroyed organs. If you want to know what does an anatomist do, then read the entire article, where we will answer all your questions.

For an individual who opts for a career as an actor, the primary responsibility is to completely speak to the character he or she is playing and to persuade the crowd that the character is genuine by connecting with them and bringing them into the story. This applies to significant roles and littler parts, as all roles join to make an effective creation. Here in this article, we will discuss how to become an actor in India, actor exams, actor salary in India, and actor jobs. 

Individuals who opt for a career as acrobats create and direct original routines for themselves, in addition to developing interpretations of existing routines. The work of circus acrobats can be seen in a variety of performance settings, including circus, reality shows, sports events like the Olympics, movies and commercials. Individuals who opt for a career as acrobats must be prepared to face rejections and intermittent periods of work. The creativity of acrobats may extend to other aspects of the performance. For example, acrobats in the circus may work with gym trainers, celebrities or collaborate with other professionals to enhance such performance elements as costume and or maybe at the teaching end of the career.

Video Game Designer

Career as a video game designer is filled with excitement as well as responsibilities. A video game designer is someone who is involved in the process of creating a game from day one. He or she is responsible for fulfilling duties like designing the character of the game, the several levels involved, plot, art and similar other elements. Individuals who opt for a career as a video game designer may also write the codes for the game using different programming languages.

Depending on the video game designer job description and experience they may also have to lead a team and do the early testing of the game in order to suggest changes and find loopholes.

Radio Jockey

Radio Jockey is an exciting, promising career and a great challenge for music lovers. If you are really interested in a career as radio jockey, then it is very important for an RJ to have an automatic, fun, and friendly personality. If you want to get a job done in this field, a strong command of the language and a good voice are always good things. Apart from this, in order to be a good radio jockey, you will also listen to good radio jockeys so that you can understand their style and later make your own by practicing.

A career as radio jockey has a lot to offer to deserving candidates. If you want to know more about a career as radio jockey, and how to become a radio jockey then continue reading the article.

Choreographer

The word “choreography" actually comes from Greek words that mean “dance writing." Individuals who opt for a career as a choreographer create and direct original dances, in addition to developing interpretations of existing dances. A Choreographer dances and utilises his or her creativity in other aspects of dance performance. For example, he or she may work with the music director to select music or collaborate with other famous choreographers to enhance such performance elements as lighting, costume and set design.

Social Media Manager

A career as social media manager involves implementing the company’s or brand’s marketing plan across all social media channels. Social media managers help in building or improving a brand’s or a company’s website traffic, build brand awareness, create and implement marketing and brand strategy. Social media managers are key to important social communication as well.

Photographer

Photography is considered both a science and an art, an artistic means of expression in which the camera replaces the pen. In a career as a photographer, an individual is hired to capture the moments of public and private events, such as press conferences or weddings, or may also work inside a studio, where people go to get their picture clicked. Photography is divided into many streams each generating numerous career opportunities in photography. With the boom in advertising, media, and the fashion industry, photography has emerged as a lucrative and thrilling career option for many Indian youths.

An individual who is pursuing a career as a producer is responsible for managing the business aspects of production. They are involved in each aspect of production from its inception to deception. Famous movie producers review the script, recommend changes and visualise the story. 

They are responsible for overseeing the finance involved in the project and distributing the film for broadcasting on various platforms. A career as a producer is quite fulfilling as well as exhaustive in terms of playing different roles in order for a production to be successful. Famous movie producers are responsible for hiring creative and technical personnel on contract basis.

Copy Writer

In a career as a copywriter, one has to consult with the client and understand the brief well. A career as a copywriter has a lot to offer to deserving candidates. Several new mediums of advertising are opening therefore making it a lucrative career choice. Students can pursue various copywriter courses such as Journalism , Advertising , Marketing Management . Here, we have discussed how to become a freelance copywriter, copywriter career path, how to become a copywriter in India, and copywriting career outlook. 

In a career as a vlogger, one generally works for himself or herself. However, once an individual has gained viewership there are several brands and companies that approach them for paid collaboration. It is one of those fields where an individual can earn well while following his or her passion. 

Ever since internet costs got reduced the viewership for these types of content has increased on a large scale. Therefore, a career as a vlogger has a lot to offer. If you want to know more about the Vlogger eligibility, roles and responsibilities then continue reading the article. 

For publishing books, newspapers, magazines and digital material, editorial and commercial strategies are set by publishers. Individuals in publishing career paths make choices about the markets their businesses will reach and the type of content that their audience will be served. Individuals in book publisher careers collaborate with editorial staff, designers, authors, and freelance contributors who develop and manage the creation of content.

Careers in journalism are filled with excitement as well as responsibilities. One cannot afford to miss out on the details. As it is the small details that provide insights into a story. Depending on those insights a journalist goes about writing a news article. A journalism career can be stressful at times but if you are someone who is passionate about it then it is the right choice for you. If you want to know more about the media field and journalist career then continue reading this article.

Individuals in the editor career path is an unsung hero of the news industry who polishes the language of the news stories provided by stringers, reporters, copywriters and content writers and also news agencies. Individuals who opt for a career as an editor make it more persuasive, concise and clear for readers. In this article, we will discuss the details of the editor's career path such as how to become an editor in India, editor salary in India and editor skills and qualities.

Individuals who opt for a career as a reporter may often be at work on national holidays and festivities. He or she pitches various story ideas and covers news stories in risky situations. Students can pursue a BMC (Bachelor of Mass Communication) , B.M.M. (Bachelor of Mass Media) , or  MAJMC (MA in Journalism and Mass Communication) to become a reporter. While we sit at home reporters travel to locations to collect information that carries a news value.  

Corporate Executive

Are you searching for a Corporate Executive job description? A Corporate Executive role comes with administrative duties. He or she provides support to the leadership of the organisation. A Corporate Executive fulfils the business purpose and ensures its financial stability. In this article, we are going to discuss how to become corporate executive.

Multimedia Specialist

A multimedia specialist is a media professional who creates, audio, videos, graphic image files, computer animations for multimedia applications. He or she is responsible for planning, producing, and maintaining websites and applications. 

Quality Controller

A quality controller plays a crucial role in an organisation. He or she is responsible for performing quality checks on manufactured products. He or she identifies the defects in a product and rejects the product. 

A quality controller records detailed information about products with defects and sends it to the supervisor or plant manager to take necessary actions to improve the production process.

Production Manager

A QA Lead is in charge of the QA Team. The role of QA Lead comes with the responsibility of assessing services and products in order to determine that he or she meets the quality standards. He or she develops, implements and manages test plans. 

Process Development Engineer

The Process Development Engineers design, implement, manufacture, mine, and other production systems using technical knowledge and expertise in the industry. They use computer modeling software to test technologies and machinery. An individual who is opting career as Process Development Engineer is responsible for developing cost-effective and efficient processes. They also monitor the production process and ensure it functions smoothly and efficiently.

AWS Solution Architect

An AWS Solution Architect is someone who specializes in developing and implementing cloud computing systems. He or she has a good understanding of the various aspects of cloud computing and can confidently deploy and manage their systems. He or she troubleshoots the issues and evaluates the risk from the third party. 

Azure Administrator

An Azure Administrator is a professional responsible for implementing, monitoring, and maintaining Azure Solutions. He or she manages cloud infrastructure service instances and various cloud servers as well as sets up public and private cloud systems. 

Computer Programmer

Careers in computer programming primarily refer to the systematic act of writing code and moreover include wider computer science areas. The word 'programmer' or 'coder' has entered into practice with the growing number of newly self-taught tech enthusiasts. Computer programming careers involve the use of designs created by software developers and engineers and transforming them into commands that can be implemented by computers. These commands result in regular usage of social media sites, word-processing applications and browsers.

Information Security Manager

Individuals in the information security manager career path involves in overseeing and controlling all aspects of computer security. The IT security manager job description includes planning and carrying out security measures to protect the business data and information from corruption, theft, unauthorised access, and deliberate attack 

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An Automation Test Engineer job involves executing automated test scripts. He or she identifies the project’s problems and troubleshoots them. The role involves documenting the defect using management tools. He or she works with the application team in order to resolve any issues arising during the testing process. 

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प्रदूषण की समस्या पर 100, 200, 300, 400 और 500 शब्दों का निबंध। (प्रदूषण की समस्या)

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विषय - सूची

Pradusan Ki Samasya Par Nibandh 100 शब्द

प्रदूषण की समस्या हमारी सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य के लिए खतरों का कारण है। Is Samasya ka Samadhan aur Samaurdha upyog se हम अपने पर्यावरण को बचा सकते हैं। प्रदुषण नियंत्रण के लिए साथ मिलकर होने वाले कार्यक्रम और उपायों को बढ़ावा देना चाहिए। उम्मीद है कि समय के साथ और सहायता से प्रदुषण की समस्या कम होगी और पृथ्वी फिर से खुबसूरत और स्वस्थ बनेगी। क्या सरकार द्वार निषेध नियमों के लिए नियम और नीतियां लाने वाली हैं। हम सबको अपने संपर्क में योगदान देना होगा। पर्यावरण को बचाने के लिए, स्वस्थ और स्वच्छ पृथ्वी के लिए, हमें साथ मिलकर काम करना होगा।

Pradusan Ki Samasya Par Nibandh 200 शब्द

शीर्षक: प्रदूषण की समस्या: कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता.

Pradushan ki samasya, या की समस्या प्रदूषण , आज की दुनिया में एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। हमारे पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यह जरूरी है कि हम इस मुद्दे को अत्यंत गंभीरता से संबोधित करें और प्रदूषण को नियंत्रित करने और कम करने के लिए तत्काल उपाय करें।

प्रदूषण का पहला और सबसे स्पष्ट परिणाम पर्यावरण पर इसका प्रभाव है। प्रदूषित हवा, पानी और मिट्टी का पौधों, जानवरों और पारिस्थितिक तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। जंगल नष्ट हो रहे हैं, जलीय जीवन मर रहा है और जैव विविधता तेजी से घट रही है। यदि कुछ नहीं किया गया, तो आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ हवा, पानी या स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र तक पहुंच नहीं मिल पाएगी।

एक और गंभीर चिंता मानव स्वास्थ्य पर प्रदूषण का प्रभाव है। प्रदूषित वायु अस्थमा और फेफड़ों के कैंसर सहित श्वसन संबंधी विकारों में योगदान देता है। दूषित जल स्रोत अनेक जलजनित बीमारियों के लिए जिम्मेदार हैं। इसके अलावा, प्रदूषित वातावरण में जहरीले रसायनों के संपर्क में आने से कैंसर और अंग क्षति जैसी दीर्घकालिक बीमारियाँ हो सकती हैं। प्रदूषण के कारण व्यक्तियों और समुदायों के स्वास्थ्य और कल्याण से समझौता किया जा रहा है।

प्रदूषण का आर्थिक प्रभाव भी उतना ही महत्वपूर्ण है। प्रदूषण और उससे जुड़े स्वास्थ्य खतरों के परिणामस्वरूप स्वास्थ्य देखभाल की लागत में वृद्धि हुई है और उत्पादकता में कमी आई है। प्रदूषण से उद्योग, कृषि और पर्यटन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिससे वित्तीय नुकसान होता है। प्रदूषण नियंत्रण उपायों पर सार्वजनिक व्यय उन संसाधनों को और ख़त्म कर देता है जिन्हें विकास के अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश किया जा सकता था।

Pradusan Ki Samasya Par Nibandh 300 Word में

Pradushan ki samasya par nibandh.

प्रदुषण, याने की प्रदूषण, आज समय की एक महत्वपूर्ण समस्या है। प्रदुषण के करण पृथ्वी पर होने वाले हानिकारक परिणाम का सामना कर रही है। प्रदूषण की समस्याएँ वायु, जल और भूमि के साथ हैं। यह संसार हर जगह प्रभावित है, चाहे वह शहर या गांव हो।

सबसे प्रमुख प्रकार है वायु प्रदूषण, जिसकी हवा में मौजुद हानिकारक पदार्थ प्रदुषित होते हैं। वायु प्रदूषण के कारण हवा में नमी, धुआं, या अन्य गंदगी होती है। इस प्रदुषित हवा को सांस लेने से हमारे शरीर की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। इसे आसान से श्वास, एलर्जी, या सांस लेते समय परेशानी हो सकती है।

दूसरे प्रकार है जल प्रदुषण, जिसके जल में मौजुद हानिकारक तत्व प्रदुषित होते हैं। इस प्रकार के प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण व्यक्ति द्वार व्यर्थ या अनुचित रूप से जल का उपयोग करना है। प्लास्टिक के उपाय, आदत में समस्या होने की वजह से, सांस्कृतिक जल स्रोत के प्रवाह को रोके देता है और पर्यावरण को प्रदुषित करता है।

तीसरे प्रकार है भूमि प्रदूषण, जिस भूमि पर पैदा हुई गंदगी और माटी के हानिकारक तत्व शामिल होते हैं। यंत्रीकरण और सब्जी उत्पादन के लिए रसायनों का उपयोग, और अनुचित किटनाटव के कारण यह प्रकार की समस्या उत्पन्न होती है। इसके परिणमस्वरूप, प्राकृतिक प्रजातियों को नुक्सान, संस्कृति है, और मौसम का बदलाव होता है।

प्रदूषण की समस्या हर समाज के लिए गंभीर है, और इसके निवारण के लिए संकल्प की चेतावनी है। यहां तक ​​कि सरकार और निजी तथा सामुदायिक सदस्य भी इस संसार का हल निकलने के लिए संरक्षण में साथ मिलने की संभावना है। प्रदुषण की समस्या तेजी से बढ़ रही है, इसलिए हमें अपने हर व्यक्ति और सामाजिक कार्यों को प्रदुषण-रोहित प्रकृति से दूर रखना होगा।

समग्र समुदाय को मिलकार प्रबंधन पर ध्यान देना चाहिए। हर व्यक्ति को इस समस्या की महत्तापूर्णता को समझने और कार्यान्वय में सहयोग करने की आवश्यकता है। Samay rahte is Samasya ko samadhan karna aur swachh aur svasthvardhit paryavaran ki aur Badhana, hamare samaj ki jaroorat hai.

Pradusan Ki Samasya Par Nibandh 400 शब्द

प्रदूषण की समस्या: विवादास्पद दृष्टिकोण.

प्रदूषण एक समस्या है जो हमारे समाज और पर्यावरण को गहराई से प्रभावित कर रही है। यह विशेष रूप से उन्नत और उच्च आय वाले देशों में जनसंख्या जनसंख्या, वाणिज्यिकरण, औद्योगिकरण, समूह के प्रयोग और औद्योगिक उद्योगों के कारण बड़ा चयनपूर्ण हो रहा है। इस निबंध में हम प्रदूषण की समस्या के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आलोचनात्मक रूप से विचार करेंगे।

एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार, प्रदूषण की समस्या का संबंध नोकिया, तकनीकी विकास और आधुनिकीकरण के साथ होता है। ऐसे रसायन शास्त्र के प्रचारकों का दावा है कि प्रदूषण का मुख्य कारण वित्तीय और तकनीकी विकास की मंदी और आपूर्ति मॉडल के प्रयास में पाया जाता है। उनका कहना है, प्रदूषण की समस्या वाणिज्यिकरण और भूवैज्ञानिक क्रियाविधियों द्वारा उत्पन्न हो रही है, जो समय की जिज्ञासा को सबसे पहले देता है।

हालाँकि, ऐसा दावा किया जा रहा है कि प्रदूषण व्यवसाय के नतीजों के रूप में एक आन्त्रिक रणनीतिकता है, जो हमें हमारी क्षमता से उग्र व्यवसाय करता है। इस प्रकार, यह एक चीज है जिसका हमारे पास समाधान नहीं है, और यदि हम इसे पथराव का प्रयास करते हैं, तो हमारी आपूर्ति श्रृंखला और इसे अधिक बढ़ाया जाता है।

विवादास्पद दृष्टिकोण के पक्ष में, हम प्रदूषण की समस्या के पीछे लोगों के अस्तित्व और अन्य गुणवत्ता के माहौल पर खराब प्रभाव के जटिल नेटवर्क को शामिल करते हैं। जनसंख्या और विविधता के कारण, लोग अपने समुदाय में बदलाव कर रहे हैं, जो प्राकृतिक उत्पादों का अपशिष्ट कर रहे हैं। आधुनिकता के लिए धारणा, उपभोक्ता और भारी संपत्ति की प्राथमिकता रखी जाती है, जो मानसिक मनोविज्ञान में प्रदूषकों को बढ़ावा देती है।

प्रदूषण की समस्या को हल करने के लिए, हमें जरूरी है कि हम एक ऐसा परिवर्तन करें जो हमें प्रौद्योगिकी और उद्योग के प्रदूषण प्रभावों से बचाए। हमें शिक्षण संस्थानों, उद्योगों को मानव संसाधन व्यवस्था में सहयोग और सतत विकास प्रभाव की निगरानी की आवश्यकता है।

साथ ही, हमें अपनी नैतिकता को बदलने की आवश्यकता है और प्रदूषण को कम करने के लिए वर्तमान उदाहरण देना आवश्यक है। आपूर्ति-प्रशिक्षण प्रणाली के संबंध में सख्त कानून निर्धारित किया जाना चाहिए, और लोगों को प्रदूषण नियंत्रण के लिए जिम्मेदारी लेने का प्रोत्साहन देना चाहिए।

अंततः, प्रदूषण की समस्या हमारे समाज और पर्यावरण की प्रमुख समस्याओं में से एक है। यह हमारे पर्यावरण, पर्यावरण और विश्व के लोगों के लिए खतरे का कारण है। हमें इस पर्यावरण समस्या को चुनना चाहिए और कदम उठाना चाहिए ताकि हम अपना सुरक्षित और स्वस्थ रख सकें।

Pradusan Ki Samasya Par Nibandh 500 शब्द

प्रदुषण की समस्या: एक विष्लेशानी.

प्रदुषण, बाज़ारों में बसने वाली प्रतिकृतियां के करण, और अश्वच और अव्यवूही वेनिथ्रता के चलते, एक विशेष परिस्थिती है। यह एक समस्या है, जो धीरे-धीरे समय के साथ बढ़ती जा रही है और जनसंख्या वृद्धि, उद्योगीकरण और नागरिक शक्ति का विकास के साथ बढ़ती जा रही है। प्रदुषण की समस्या बड़े सारे व्यक्तित्व, समाज और हमारे पर्यावरण में गहरे असर छोड़ती है।

विश्व में प्रदूषण के विभिन्न प्रकार हैं, जैसे कि वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और स्वच्छता की कमी। सभी प्रकार के उत्पादों के करण में, सांस लेने वाली हवा, पीने के पानी, फसल की उन्नति, पेड़-पौधों की विविधता, और प्राकृतिक समानता संस्कृति पर बुरे प्रभाव पड़ते हैं।

वायु प्रदूषण एक बेहद गंभीर समस्या है, जिसका कारण सुरक्षित वायु की कमी से कई प्रजाती के प्राकृतिक संस्कृति विनाशित हो रहे हैं। धूम्रपान, उद्योग से निकलने वाली गंदगी, डीजल और पेट्रोल के उपयोग से उठे हुए कानून प्रदूषण का समुरे इसके कारण होते हैं। वायु प्रदूषण का समाधान प्रमुखता से हिजड़ों और गरीब लोगों की जिम्मेदारी होती है।

जल प्रदूषण भी एक गंभीर समस्या है। नदियों के जल में उद्गार के साथ-साथ मौसम और जलसंधि से भी प्रदूषण उत्पन्न होता है। जल प्रदूषण के कारण, पानी के जीवन में परिवर्तन आता है, साथ ही, जल संरक्षण और स्वच्छता के अधिकार को भी बढ़ावा मिलता है। ज्यादातार नगरों में जल प्रदूषण, मानव अपशिष्ट के जल में मिल जेन के कारण होता है। आराम से इस संसार का समाधान खुले शौचालय और पर्यावरण अनुकूल केवल पानी के उपयोग से हो सकता है।

भूमि प्रदूषण, याने की मिट्टी के प्रदूषण, भी एक बड़ा समस्या है। औद्योगिकीकरण, नागरिक विकास और बुनियाई के क्षेत्रों में उपयोग होने वाले जैव रसायनिकों के साथ, मिट्टी की गुणवत्ता को अस्विक ऑटो होती है। इस भूमि की संतुलन, पौधों की उन्नति और वृक्षों का वंश प्रतिरोधक तनव व्यक्तित्व होता है। भूमि प्रदूषण के समाधान के लिए, कचरे को सही तरीके से प्रबंधन करना और मिट्टी की उर्वरा वृद्धि को बढ़ावा देना अवश्यक है।

स्वच्छता की कमी भी प्रदूषण की समस्या को बहुत अधिक प्रभावित करती है। बाज़ार, सड़क और घरो में स्वच्छता की कमी, भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण, और वायु प्रदूषण की सहायता से बड़े चौराहे, गांव और नागरिक विकास के क्षेत्रों में स्वास्थ्य विफलता है। स्वच्छता की कमी को दूर करना, लोगों के स्वच्छ रहने के नियम का पालन करना, सही तरीके से कचरे को नियंत्रित करना और प्रदूषण से मुक्ति का निर्माण करना जरूरी है।

समस्त प्रकार के प्रश्नों का समाधान, लोग और सरकार द्वारा समझौता करके किया जा सकता है। Pradushan kam karne ke liye uchit aur surakshit upayon ko apnana avashhyak hai। उद्योगीकरण और व्यवसायीकरण के साथ-साथ, अगर इस समस्या के प्रति जागृति भी नीति परक होनी चाहिए।

प्रदुषण की समस्या गंभीर है और इसका समाधान समाजदारी और सार्थक पंजीकरण मांगता है। साथ ही साथ, हर एक व्यक्ति को इसकी ज़िम्मेदारी निभाने की ज़रूरत है। प्रदुषण की समस्या से निपटने के लिए, हमें अपने व्यवहारों को परिवर्तन करना होगा, साथ ही साथ, हमें स्वतंत्रता के साथ पर्यावरण के प्रति अधिक जागरूक और सहायक बनना होगा।

सभी उपायों का उच्चित रूप से लागू होना अति महत्वपूर्ण है। Niji Jagahon, vyaparik aur audyogik karyakramon aur gadikon ke vyavaharon mein pradushan ki niyantrit vridh ke liye ahibian chalana chhiye। प्रदूषण की समस्या पर संक्षिप्त रूप से जोर देकर, हम एक प्रकार से पर्यावरण और स्वस्थ जीवन शैली का समर्थन कर रहे हैं।

महात्मा गांधी की जीवनी पर निबंध 100, 150, 200, 300 और 400 शब्द

100, 200, 300, 400, 500 शब्द अंग्रेजी और हिंदी में जी20 निबंध

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प्रदूषण पर निबंध 100, 150, 250 & 300 शब्दों में (10 lines Essay on Pollution in Hindi)

an essay on pradushan ek samasya in hindi

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – प्रदूषण के प्रति जागरूक होना इन दिनों सभी छात्रों के लिए काफी अनिवार्य है। आने वाली पीढ़ियों के लिए दुनिया का एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए हर बच्चे को पता होना चाहिए कि मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरण और प्रकृति पर कैसे प्रभाव छोड़ रही हैं। प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) यह विषय काफी महत्वपूर्ण है। और, स्कूली बच्चों को ‘ प्रदूषण निबंध पर (Pollution Essay in Hindi )’ सहजता से एक दिलचस्प निबंध लिखना सीखना चाहिए। नीचे एक नज़र डालें। 

प्रदूषण निबंध 10 पंक्तियाँ (Pollution Essay 10 Lines in Hindi)

  • 1) प्रदूषण प्राकृतिक संसाधनों में कुछ अवांछित तत्वों को मिलाने की क्रिया है।
  • 2) प्रदूषण के मुख्य प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण हैं।
  • 3) प्रकृति के साथ-साथ मानवीय गतिविधियाँ, दोनों प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
  • 4) प्रदूषण के प्राकृतिक कारण बाढ़, जंगल की आग और ज्वालामुखी आदि हैं।
  • 5) प्रदूषण एक राष्ट्रीय नहीं बल्कि एक वैश्विक समस्या है।
  • 6) प्रदूषण को रोकने के लिए पुन: उपयोग, कम करना और पुनर्चक्रण सबसे अच्छे उपाय हैं।
  • 7) अम्ल वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग प्रदूषण के परिणाम हैं।
  • 8) प्रदूषण हमेशा जानवरों और इंसानों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • 9) प्रदूषित हवा और पानी इंसानों और जानवरों में कई बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • 10) हम पर्यावरण के अनुकूल संसाधनों और सौर पैनलों का उपयोग करके प्रदूषण को रोक सकते हैं।

प्रदूषण पर निबंध 100 शब्द (Pollution Essay 100 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण इन दिनों एक बड़ी समस्या बन गया है। तेजी से हो रहे औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण पर्यावरण जिसमें हवा, पानी और मिट्टी शामिल है, प्रदूषित हो गया है। वनों की कटाई और औद्योगीकरण के कारण, हवा अत्यधिक प्रदूषित हो रही है, और इससे ग्लोबल वार्मिंग हो रही है। आज सभी जल स्रोत अत्यधिक प्रदूषित हैं। कीटनाशकों और उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग ने मिट्टी को बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है। पटाखों, लाउडस्पीकरों आदि का प्रयोग। हमारी सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। यह सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, हृदय की समस्याओं, फेफड़ों के कैंसर, हैजा, टाइफाइड, बहरापन आदि का कारण बनता है। प्रदूषण के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। हमें इस मुद्दे को गंभीरता और गंभीरता से लेना होगा।

प्रदूषण पर निबंध 150 शब्द (Pollution essay 150 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – यह एक बड़ी पर्यावरणीय समस्या है। जब पर्यावरण दूषित होता है तो प्रदूषण उत्पन्न होता है। पर्यावरण में तीन प्रमुख प्रकार के प्रदूषण हैं। मृदा प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण आदि।

प्रदूषण के कुछ प्रमुख कारण हैं, जैसे ईंधन वाहनों का अत्यधिक उपयोग, कृषि में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग।

प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को बहुत बुरी तरह प्रभावित करता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। वायु प्रदूषण से सांस संबंधी बीमारियां और फेफड़ों से जुड़ी अन्य समस्याएं होती हैं। जल प्रदूषण जल को प्रदूषित करता है। ध्वनि प्रदूषण से बीपी की समस्या और सुनने की समस्या होती है। यह तनाव का कारण भी बनता है। मृदा प्रदूषण से फसलों के उत्पादन में कमी आती है, हमें इसे रोकना चाहिए। उत्पादन को भी बनाए रखने के द्वारा। औद्योगिक कचरे का उचित उपचार, वर्षा जल की आपूर्ति का भंडारण, प्लास्टिक उत्पादों को कम करना और इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का उपयोग करना।इस प्रकार के उपाय करके हम प्रदूषण पर भी नियंत्रण कर सकते हैं।

इनके बारे मे भी जाने

  • Essay in Hindi
  • New Year Essay
  • New Year Speech
  • Mahatma Gandhi Essay
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  • My School Essay

प्रदूषण पर निबंध 250 शब्दों में – 300 शब्दों में (Essay on pollution in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण कई अलग-अलग रूपों में होता है। यह पूरी दुनिया में एक प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दा बन गया है। हवा, जमीन, मिट्टी, पानी आदि में कोई भी अप्रिय और अप्रिय परिवर्तन। प्रदूषण में योगदान देता है। ये सभी परिवर्तन रासायनिक, जैविक या भौतिक परिवर्तनों के रूप में हो सकते हैं। प्रदूषण फैलाने वाले माध्यम को प्रदूषक कहते हैं।

दुनिया में प्रदूषण को रोकने के लिए कई कानून बनाए गए हैं। भारत में पर्यावरण की सुरक्षा और उसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बनाया गया कानून पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 है।

आइए हम विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों पर विस्तार से एक नज़र डालें:

वायु प्रदुषण

जब पूरा वातावरण आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों के कारण निकलने वाली हानिकारक जहरीली गैसों से भर जाता है, तो इससे वायु और पूरा वातावरण प्रदूषित होता है। इससे वायु प्रदूषण होता है।

यह प्रदूषण का एक और प्रमुख रूप है जो प्रकृति के लिए बहुत विनाशकारी है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पानी के प्राकृतिक स्रोत दिन-ब-दिन कम होते जा रहे हैं और इसने पानी को एक दुर्लभ वस्तु बना दिया है। दुर्भाग्य से, इन महत्वपूर्ण समय में भी, ये शेष जल स्रोत कई स्रोतों (जैसे औद्योगिक अपशिष्ट, कचरा निपटान आदि) से अशुद्धियों से दूषित हो रहे हैं, जो उन्हें मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त बनाता है।

कचरा प्रदूषण

जब लोग अपशिष्ट निपटान के उचित तंत्र का पालन नहीं करते हैं, तो इसका परिणाम कचरे का संचय होता है। यह बदले में कचरा प्रदूषण का कारण बनता है। इस समस्या का समाधान करने का एकमात्र साधन यह सुनिश्चित करना है कि अपशिष्ट निपटान के लिए एक उचित प्रणाली मौजूद है जो पर्यावरण को दूषित नहीं करती है।

ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण के पीछे सामान्य कारण उद्योग, योजनाओं और अन्य स्रोतों से आने वाली ध्वनि है जो अनुमेय सीमा से अधिक तक पहुँचती है। स्वास्थ्य और शोर के बीच एक सीधा संबंध है जिसमें उच्च रक्तचाप, तनाव से संबंधित आवास, श्रवण हानि और भाषण हस्तक्षेप शामिल हैं।

Pollution Essay से सबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

Q.1 प्रदूषण के प्रभाव क्या हैं.

A.1 प्रदूषण अनिवार्य रूप से मानव जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। यह हमारे द्वारा पीने वाले पानी से लेकर हवा में सांस लेने तक लगभग सभी चीजों को खराब कर देता है। यह स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है।

प्रश्न 2 प्रदूषण को कैसे कम किया जा सकता है?

उ.2 हमें प्रदूषण कम करने के लिए व्यक्तिगत कदम उठाने चाहिए। लोगों को चाहिए कि वे अपने कचरे को सोच समझकर विघटित करें, उन्हें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। इसके अलावा, जो कुछ वे कर सकते हैं उसे हमेशा रीसायकल करना चाहिए और पृथ्वी को हरा-भरा बनाना चाहिए।

प्रदूषण की समस्या पर निबंध | Essay on pollution in hindi (Updated)

प्रदूषण की समस्या इन दिनों बढ़ गई है और वातावरण दूषित ही रहा है अगर आप प्रदूषण की समस्या पर निबंध 200 शब्दों में लिखना चाहते हैं। तो हमारे essay on pollution in hindi से सहायता ले सकतें हैं।

दोस्तों, आज हमारी प्रकृति और वातावरण लगातार पूरी तरीके से प्रदूषित होता जा रहा है। प्रदूषण की समस्या देश में लगातार बढ़ती जा रही है। आप अपने आस पास कहीं पर भी देखें प्रदूषण अपना लगातार पांव फैलाता जा रहा है और लोगों के जीवन में अपना दुष्प्रभाव छोड़ता जा रहा है।

दोस्तों प्रदूषण अलग-अलग रूपों में प्रकृति रुपी संपदा को नष्ट कर रहा है। दिन पर दिन हमारा देश प्रदूषण के गिरफ्त में होता चला जा रहा है जिसके कारण हमारे देश के नागरिकों के स्वास्थ्य पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

तो दोस्तों, आज हम आपके सामने “प्रदूषण की समस्या पर निबंध” पेश करने जा रहे हैं जो कि देश के किसी भी नागरिक को जानना बहुत ही ज्यादा जरुरी है। और यह pradushan ki samasya par nibandh, CLASS 5,6,7,8,9,10,11,12 और competitive exams जैसे कि SSC,UPSC,UPSSSC के लिए भी बहुत ही उपयोगी साबित होगा।

हमारा ”पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर निबंध” ( pradushan ki samasya par nibandh ) आर्टिकल आपके लिए एसे कंपटीशन में भी अत्यंत सहायक सिद्ध होगा इसकी मदद से आपको प्रदूषण पर पूरी जानकारी प्राप्त होगी।

प्रदूषण की समस्या पर निबंध 200 शब्द में

प्रदूषण का अर्थ (pradushan ka arth):-.

प्रदूषण का अर्थ है दोषों से युक्त, खराब, ऊर्जा का नष्ट होना। यदि किसी भी शब्द के साथ प्रदूषण लग जाता है तो इसका अर्थ होता है कि उस पदार्थ या वस्तु का शक्तिहीन होना एवं नष्ट होना। प्रदूषण शब्द नकारात्मक कहलाता है एवं सकारात्मक व शक्तिपूर्ण चीजों के विलोम को दर्शाता है।

प्रदूषण की समस्या भूमिका (pradushan ki samasya bhumika):-

प्रदूषण की समस्या आज अपने चरम सीमा पर पहुंच चुकी है। pradushan ki samasya आज केवल प्रकृति को ही नहीं साथ ही साथ मनुष्य के दैनिक जीवन और उसके स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव छोड़ रही है। जिसके कारण से प्रतिदिन मौतों की संख्या में बढ़ोतरी होती चली जा रही है।

pradushan ki samasya हम नागरिकों के कार्यप्रणाली की ही देन है जो कि आज हमारे सामने एक अभिशाप के तौर पर आ चुकी है। अब हम लोगों को भी पता चल गया है कि प्रदूषण एक गंभीर समस्या है।

प्रदूषण की समस्या का निवारण:-

जिस प्रकार pradushan ki samasya दिन पर दिन रुकने का नाम नहीं ले रही है इस तरह से हमारे लिए बहुत जरूरी है की हम इसका निवारण करें।

1- खूब पेड़ लगाएं। प्रतिदिन एक पेड़ लगाने का संकल्प करें।

2- पॉलीथिन का इस्तेमाल पर रोक लगाएं। सामान को लाने ले जाने के लिए प्राकृतिक एवं पर्यावरण के अनुकूल वस्तुओं को उपयोग में लाएं।

3- रीसाइक्लिंग (Recycling) को प्रमोट करें। प्लास्टिक के समान आदि प्रदूषण में अहम किरदार निभाते हैं तो इसको रोकने के लिए हम प्लास्टिक के समान बोतल खिलौने आदि को रीसाइक्लिंग करके उपयोग में ला सकते हैं और अपने पर्यावरण को बचा सकते हैं।

प्रदूषण हमारे आपके किए गए कार्यों का ही परिणाम स्वरूप है तो इसके लिए किसी और को दोष देना व्यर्थ है। प्रदूषण को रोकने के लिए हमें और आपको मिलकर ही अपने कार्य प्रणाली में बदलाव लाना होगा और संकल्प लेना होगा कि हम इस pradushan ki samasya से छुटकारा पाकर ही रहेंगे।

प्रस्तावना सहित प्रदूषण की समस्या और निवारण पर निबंध (300-400 शब्दों में):-

कई लोगों का लगातार कॉमेंट आ रहा थे- pradushan ki samasya par nibandh, दीजिए। इसलिए हम लेकर आए हैं, प्रदूषण की समस्या और निवारण पर निबंध। आप इसे ‘pradushan ki samasya par nibandh’ भी कह सकते हैं। तो आइए जानते हैं।

प्रस्तावना (Introduction):-

प्रदूषण हमारे लिए एक ऐसे अभिशाप के रूप में उभरता जा रहा है जिससे की सरलता से निदान पाना नामुमकिन सा प्रतीत होता है। प्रदूषण के कारण हमारे प्रकृति एवं इसके अमूल्य धरोहर को बहुत ही ज्यादा क्षति या हानि पहुंच रही है।

हम मानव अपने देश की भलाई को अनदेखा करते हुए बेझिझक अमानवीय कार्य करते हैं और अंत में pradushan ki samasya के घेरे में आ जाते हैं। 

प्रदूषण की समस्या पर निबंध

प्रदूषण से पीड़ित हम मनुष्य के अलावा जानवर भी हैं जानवरों के जीवन पर भी प्रदूषण का गहरा प्रभाव हम सभी लोगों को देखने को मिल रहा है परंतु फिर भी हम प्रदूषण की समस्या को गहराई से नहीं लेते हैं। ना जाने क्यों?

प्रदूषण के प्रकार (pradushan ke prakar):-

विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ते प्रदूषण के कारण प्रदूषण को कई भागों में बांट दिया गया है। तो हम आपको आगे प्रदूषण के प्रकार के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

  • वायु प्रदूषण
  • मृदा प्रदूषण
  • ध्वनि प्रदूषण
  • प्रकाश प्रदूषण
  • रेडियोधर्मी प्रदूषण
  • वायु प्रदूषण:- वायु में बढ़ते अपशिष्ट पदार्थ वायु प्रदूषण को जन्म देते हैं। वायु प्रदूषण अपने आप में ही सर्व शक्तिशाली और सभी को नष्ट कर देने वाला है। वायु प्रदूषण के कारण आज हम सभी को एवं जानवरों तक को सांस संबंधी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है।                          पूरा पढ़े- वायु प्रदूषण पर निबंध हिंदी में
  • मृदा प्रदूषण:- मृदा का मतलब मिट्टी होता है। मिट्टियों का उपजाउपन में वृद्धि करने के लिए आज मनुष्य गलत तरीके से कीटनाशक का प्रयोग करते हैं जिसके कारण हमारी प्राकृतिक धरोहर मृदा बुरी तरीके से प्रभावित हो जाती है और मृदा प्रदूषण को जन्म देती है।                  पूरा पढ़े – मृदा प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 
  • जल प्रदूषण:- नदियों, तालाब में कूड़ा फेंकना, गंदगी फैलाना अपशिष्ट पदार्थों का फैसला जल प्रदूषण को जन्म देता है।                                पूरा पढ़े- जल प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 
  • ध्वनि प्रदूषण:- मॉडर्न गाड़ियों के हॉर्न, घर में रखे लाउडस्पीकर, रास्ते पर चलते हुए अमानवीय तरीके से शोर शराबा करना ध्वनि प्रदूषण का निर्माण करता है। ध्वनि प्रदूषण हमारी सेहत के लिए अत्यंत हानिकारक है।    पूरा पढ़ें- ध्वनि प्रदूषण पर निबंध हिंदी में
  • प्रकाश प्रदूषण:- किसी कार्यक्रम में जरुरत से ज्यादा लाइट से सजावट अथवा एक कमरे में एक से अधिक बल्बों का होना प्रकाश प्रदूषण को प्रकाश प्रदूषण को जन्म देता है।
  • रेडियोधर्मी प्रदूषण:- रेडियो एक्टिव तरंगों (जैसे कि मोबाइल से उत्पन्न रेडियोधर्मी तरंगे) से रेडियोधर्मी प्रदूषण उत्पन्न होता है।

प्रदूषण के कारण (pradushan ke karan):-

आइए जानते हैं कि, प्रदूषण के पीछे छुपे मुख्य कारण क्या हैं?

  • उचित की शिक्षा का अभाव।
  • व्यक्ति की अविकसित मानसिकता।
  • इंडस्ट्रीज के मल व कचड़ो में वृद्धि।
  • गैर बायोडिग्रेडेबल वस्तुओं के प्रयोग में विधि।
  • लगातार पेड़ों की कटाई।
  • व्यक्तिगत लापरवाही।
  • कीटनाशक के प्रयोग में विस्तार।

प्रदूषण की समस्या का निवारण (pradushan ki samasya ka nivaran):-

प्रदूषण एक गंभीर समस्या’ का आज हर तरफ बोलबाला है। इसका निवारण हम सबको ही निकालना है-

  • हम सबको हरित क्रांति पर जोर देना होगा।
  • पेड़ लगाने का संकल्प भी हमें करना होगा व इसे हमारी जिम्मेदारी के तौर पर लेना होगा।
  • घर एवं आसपास के जगह में साफ सफाई रखनी बहुत जरुरी है।
  • सरकार द्वारा प्रदूषण के खिलाफ कठोर कदम उठाने होंगे।

जीवन में समस्याएं तो सदैव रहती हैं ठीक उसी प्रकार देश में भी समस्या है, हम उन pradushan ki samasya पर किस नजरिए से कार्य करते हैं, यह मायने रखता है।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (500-700 शब्दों में)

प्रस्तावना:-.

हमारे प्रकृति में अपशिष्ट पदार्थों की अधिकता के कारण हमारा पर्यावरण, प्रदूषण के मामले में बढ़ता ही चला जा रहा है। पर्यावरण में प्रदूषित गैसे जैसे CO2, SO2, CH4, NO2 आदि लगातार पर्यावरण की हवा में मिलकर उसे प्रदूषित कर रही है।

हवा में प्रदूषण के कारण हर मानव के जीवन में बहुत बुरे प्रभाव पड़ रहे हैं एवं प्रदूषण उनके स्वास्थ्य के लिए समस्या बनता जा रहा है। अब हमारे लिए प्रदूषण के प्रकार (types of pollution) को रोकना एक जिम्मेदारी के समान बन गया है इसे हमें किसी भी कीमत में रोकना ही होगा।

प्रदूषण के प्रमुख तत्व:-

Photochemical oxidant (फोटोकैमिकल स्मॉग, Ozone, Paroxytycil nitrate, Nitrogen oxide,  Coordinate compounds from industries (एसिटिक एसिड, बेंजीन, ईथर), Radioactive Elements (रेडियम, थियम, यूरेनियम), कुछ अपशिष्ट पदार्थ (राख, कचरा,प्लास्टिक) प्रदूषण के पीछे के कारण हैं।

दुनिया भर के अधिकांश प्रदूषित शहर:-

हमारे विश्व के कई स्थानों में प्रदूषण को रोकने में कामयाबी पा ली है वह प्रदूषण की गिरफ्त से निकलने में कामयाब हो चुके हैं परंतु इसके साथ-साथ अन्य क्षेत्र ऐसे भी हैं जो अभी भी प्रदूषण की चपेट में है। दुनिया भर के अधिकांश प्रदूषित जगहों में कानपुर, दिल्ली, काशी, पटना, पेशावर, कराची, हेज़, चेरनोबिल, बामेंडा, बीजिंग और मॉस्को शामिल हैं।

यह शहर भारी प्रदूषण के मामले में उच्च पायदान पर जाने जाते हैं। यहां की सरकारी व्यवस्थाओं की लापरवाही के कारण यहां पर लगातार प्रदूषण के मामले बढ़ते ही चले जा रहे हैं।

शहरी स्थानों में वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण के मामले सबसे ज्यादा होते हैं तो इन प्रदूषण की रोकथाम के लिए आवश्यक है कि, सरकार द्वारा कड़े नियमों का निर्माण किया जाए और जनता द्वारा उन नियमों का सख्त तौर पर पालन भी किया जाए।

शहरों में प्रदूषण:-

शहरी परिवहन के बढ़ते उपयोग के कारण शहरों में गांवों की तुलना में प्रदूषण की समस्या बहुत ही ज्यादा है। शहर में औद्योगिकरण के बढ़ते प्रसार के कारण भी शहर प्रदूषण के रोकथाम में असफल हो चुके हैं। प्रदूषण की समस्या आज आम लोगों की समस्या बन चुकी है।

कारखानों एवं उद्योगों से निकलने वाला धुआं शहर की स्वच्छ एवं शुद्ध हवा को लगातार प्रभावित कर रहा है और मनुष्य के जीवन के लिए काल बनता जा रहा है।

विकसित सीवेज प्रणाली के कारण लगातार कचरों एवं अपशिष्ट पदार्थों का निस्तारण नदियों में किया जाता है जो कि एक बड़े पैमाने पर जल प्रदूषण को बढ़ावा दे रहा है।

बढ़ते वाहनों के उपयोग, निकलने वाली जहरीली गैस आज के मनुष्य एवं जानवरों के जीवन के लिए जहर बनती जा रही हैं। लोग अपने स्वार्थ के लिए लगातार इन कारणों को अनदेखा कर रहे हैं जो कि बिल्कुल भी सही बात नहीं है।

गांवों में प्रदूषण:-

हालांकि गावों में प्रदूषण की समस्या शहरों की Pradushan ki samasya की अपेक्षा में कम व संतुलित है परंतु समय की मांग के अनुसार जैसे जैसे गांवों में शहरीकरण पर कार्य चल रहा है और लगातार विकसित हो रहा है वैसे-वैसे गांव की पर्यावरण में सम्मिलित हवा प्रदूषित हो रही है।

लगातार बढ़ते उर्वरक व कीटनाशक का प्रयोग मृदा प्रदूषण को जन्म दे रहा है और उसके उपजाऊपन को अत्यंत हानि पहुंचा रहा है।

उचित पेय व्यवस्थाओं की वजह से गांव में हमें जल प्रदूषण के मामलों में वृद्धि दिखाई पड़ती है। यह समस्या उचित व्यवस्था के मुहैया कराने पर ही सही हो सकेगी।

प्रदूषण के कारण:-

जैसा कि हम और हमारी प्रकृति एक दूसरे के पूरक है हम जिस प्रकार का input हमारी प्रकृति को देते हैं, हमारी प्रकृति बदले में हमें उसी तरह का output देती है। और इसी कारण से प्रदूषण की समस्या (pradushan ki samasya) लगातार बढ़ती चली जा रही है।

मानव का स्वार्थ:-

आज का मानव स्वार्थी होता चला जा रहा है। उसे अपने स्वार्थ के आगे कुछ भी दिखाई नहीं देता फिर चाहे वह प्रकृति हो या स्वदेश। जहां मानव का कार्य सिद्ध हो वह वही रिश्ते बनाता है और निभाने में विश्वास रखता है।

इस संदर्भ में मानव ऐसे कुटिल कार्य कर देता है जिसका परिणाम अत्यंत भयावह होता है। किसी भी चीज के प्रदूषित होने के बाद उसका प्रभाव बहुत ही बुरा पड़ता है।

लगातार वन संपदा का हनन:-

देश की बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए लगातार वन संपदा को हानि पहुंचाई जा रही है।

आप जहां कहीं भी नजर उठा कर देखें आपको बड़ी बड़ी बिल्डिंग, इंडस्ट्रीज बनी दिखाई देंगी।

जहां कुछ समय पहले हरे भरे पेड़ पौधे, वन संपदा हुआ करते थे आज वहां केवल बिल्डिंग और इंसान ही नजर आते हैं।

कितनी अजीब बात है कि हमें ऑक्सीजन देने वाले पेड़ का ही सर्वस्व नहीं हो तो भला हमारे जीवन का अस्तित्व क्या रह जाएगा?

इंडस्ट्रीज का मल या अपशिष्ट पदार्थ:-

देश में आज बढ़ते औद्योगिकरण भी प्रदूषण के बढ़ते प्रसार के पीछे जिम्मेदार है।

इंडस्ट्रीज से निकला हुआ मल, कचरा एवं अपशिष्ट पदार्थ आदि का सही से निस्तारण ना होने के कारण नदियां तालाब लगातार गंदे हो रहे हैं और जल प्रदूषण के प्रसार को बढ़ा रहे हैं।

उर्वरक व कीटनाशक का असीमित उपयोग:-

गावों में उर्वरक व कीटनाशक का असीमित उपयोग लगातार बढ़ता जा रहा है और मृदा प्रदूषण को जन्म दे रहा है। बढ़ते कीटनाशक के उपयोग से मिट्टी के उपजाऊपन की गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है जिसके कारण हमारे अनाज की उपज व वन संपदा में लगातार गिरावट दिखाई दे रही है जो कि एक भयंकर भविष्य की ओर इशारा करती है।

औद्योगिकरण व परिवहन की बढ़ती मांग:-

आज हमारा देश एकदम तेजी से डिजिटल की ओर बढ़  रहा हैं। और मोदीजी ने डिजिटल इंडिया की शुरुआत कर दी है। 21वी सदी में औद्योगिकरण और परिवहन की बढ़ती मांग प्रदूषण का एक अलग ही संसार बसाने पर तुली हुई है।

बढ़ते औद्योगीकरण के कारण जल प्रदूषण लगातार विस्तृत रूप में उभर रहा है। उद्योगों से निकलते कचरे कूड़ा वशिष्ठ पदार्थ सीधे नदियों में फेंक दिए जाते हैं और नदियों की उचित सफाई भी नहीं की जाती है।

परिवहन क्षेत्र के विस्तार से वायु प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।

प्रदूषण की रोकथाम / प्रदूषण को रोकने के उपाय:-

जिस तरह प्रदूषण का प्रसार लगातार बढ़ रहा है हमारे लिए बहुत ही जरूरी हो गया है कि हम प्रदूषण की रोकथाम के लिए उपयोग निकाले और उसे प्रयोग में लाएं तभी हमारा देश इस समस्या से बच सकता है।

प्रदूषण के रोकथाम के लिए कुछ प्रमुख उपाय –

  • नाली,कुओं,नदियों में गंदगी ना फेके। विसर्जन, आरती वगैरह नदियों में ना करें इसे सही स्थान पर निस्तारण करें। पानी की एक बूंद भी बर्बाद नहीं करनी चाहिए।
  • जल संबंधी पाइप लाइन व कनेक्शन के साथ छेड़छाड़ बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए।
  • प्लास्टिक की जगह कागज को उपयोग में लाना चाहिए। रसायनिक खाद की जगह जैविक खाद का इस्तेमाल दैनिक जीवन में करें। पॉलिएस्टर की जगह जूट व सूती कपड़ों का इस्तेमाल करना चाहिए। जल की महत्वता को समझें। जल का संरक्षण कर के हम जल प्रदूषण की समस्या को रोक सकते हैं।
  • वृक्षों की कटाई को रोकना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाना चाहिए। हरित क्रांति का प्रचार करना चाहिए। हमें ऑर्गेनिक खेती करने की ओर ध्यान देना चाहिए। प्रतिदिन एक वृक्ष लगाने का संकल्प लें। वृक्ष हमारे जीवन का आधार हैं। तो इसे काटने की बेवकूफी बिल्कुल भी ना करें। वृक्षों से हमें शुद्ध हवा प्राप्त होती है जोकि वायु प्रदूषण की समस्या को रोकने में समर्थ है।
  • घर में टीवी, स्पीकर की आवाज को कम करके सुने। ईयरफोन/ हेडफोन का इस्तेमाल कम से कम करें। पटाखों का उपयोग न करें। पटाखे अकेले वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण के पीछे का कारण है तो इसे बिल्कुल भी प्रयोग में ना लाएं। और ऐसा करके हम pradushan ki samasya समाप्त कर सकते हैं।
  • मृदा में उर्वरक व कीटनाशक का उपयोग कम से कम करें। ज्यादा खेती के लिए ज्यादा कीटनाशक का प्रयोग करना सही नहीं है इसलिए अपनी गलत अवधारणा को बदल लें।
  • वाहनों के अत्यधिक इस्तेमाल पर रोक लगाना चाहिए। यदि ज्यादा जरूरी ना हो तो साइकिल का प्रयोग करें या तो पैदल चलना prefer करें। इससे आपकी सेहत भी अच्छी रहेगी एवं हमारे पर्यावरण रूपी संपदा भी सशक्त व स्वच्छ होगी। और प्रदूषण की समस्या भी नहीं होगी।
  • सरकार द्वारा प्रदूषण रोकने को लेकर सख्त नियम बनाए जाएं एवं सभी नागरिकों द्वारा कठोरता से उनका पालन किया जाए तभी प्रदूषण को हम और आप मिलकर अपने देश और विश्व से दूर भगा सकते हैं अन्यथा यह प्रदूषण हमारी रग-रग में पुष्कर हमें आर्थिक व शारीरिक रूप से समाप्त कर देगा। और ऐसे ही प्रदूषण की समस्या (pradushan ki samasya) बढ़ती ही चली जाएगी।

प्रदूषण का पर्यावरण पर प्रभाव (pradushan ka paryavaran par prabhav):-

प्रदूषण के पर्यावरण पर प्रभाव बहुत ही भयावह है। पर्यावरण के शुद्ध हवा अब अशुद्ध हवा में परिवर्तित होती जा रही है। जहां भी देखो अशुद्ध हवा का ही संचालन हो रहा है। मनुष्य के लिए आज समाज में सांस लेना भी दूभर हो गया है। इसलिए ‘pradushan ki samasya’ बढ़ती चली जा रही है।

ग्लोबल वार्मिंग (global warming) भी आज के समय में चिंता का विषय बन चुका है। कुछ दिनों पहले ही प्रदूषण के कारण एक बच्ची की मौत की खबर सामने आई है इसे सुनकर ही आप सोच सकते हैं कि यह प्रदूषण किस हद तक हमारे लिए हानिकारक हो सकता है।

मनुष्य की असीमित लापरवाही आज उसी को इस स्थिति पर पहुंचा दे रही है कि वह अपनी जान बचाने के लिए इधर से उधर भाग रहा है परंतु उससे बचने का कोई साधन प्राप्त नहीं हो रहा है।

हमारे लिए बहुत ही ज्यादा जरुरी है की सरकार द्वारा प्रदूषण मुक्त भारत बनाने के लिए जो नियम व कानून बनाया जाएं उनका हम सख्ती से पालन करें और अपने दैनिक जीवन में भी प्रयास करें की इको फ्रेंडली प्रोडक्ट्स व वर्क को encourage करें।

इस प्रकार हम अपने शरीर की सफाई करते हैं उसी प्रकार हमें अपने आसपास की सफाई भी रखनी चाहिए क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि, स्वच्छता में ही देवता निवास करते हैं। हमारे लिए अति आवश्यक है कि हम जिस प्रकार अपने शरीर का ध्यान रखते हैं उसी प्रकार अपनी पृथ्वी रूपी संपदा का भी ध्यान रखें। और अगर हम सब लोग ऐसा ही करने लगे तो ज्यादा समय नहीं लगेगा कि जब हमारे आसपास से pradushan ki samasya चली जायेगी।

जिस प्रकार प्रकृति के संतुलन के लिए हमें प्रकृति के अनुरूप ही चलना होता है ठीक उसी प्रकार इस प्रकृति की रक्षा भी हमारे हाथ में ही है यदि हम इसकी रक्षा नहीं करेंगे तो आने वाले समय में यह हमें हमारे कर्मों का फल अवश्य देगी।

इस बात का पता आप भूकंप ,बाढ़ ,सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं से लगाया ही जा सकता है कि किस तरह से यह प्राकृतिक आपदाएं हमारे जीवन को क्षण भर में खत्म कर सकती है अतः हमारे लिए जरूरी है कि हम प्रकृति के साथ संतुलन बना कर अपने जीवन को सफल बनाएं और प्रदूषण की समस्या (pradushan ki samasya) ना होने दें। 

दोस्तों आपके लिए इस पोस्ट में हम लेकर आए थे- pradushan ki samasya par nibandh ( प्रदूषण की समस्या पर निबंध ), केवल हमारे देश मे ही नहीं अपितु पूरे विश्व भर में है। हमने अपने, प्रदूषण की समस्या पर निबंध हिंदी में, प्रदूषण Zest Money की समस्या और निवारण पर निबंध, में पूरी जानकारी देने का छोटा सा प्रयास किया है। तो दोस्तों हम आशा करते हैं की हमारे इस आर्टिकल प्रदूषण की समस्या पर निबंध Essay on pollution in hindi उपयोगी लगा होगा और आपको प्रदूषण की समस्या से संबंधित सभी जानकारी प्राप्त हो चुकी होंगी।

आपको हमारा यह आर्टिकल कैसा लगा हमें कमेंट में अवश्य बताएं एवं “प्रदूषण की समस्या पर निबंध (pradushan ki samasya par nibandh)” आर्टिकल को अपने दोस्तों, रिश्तेदारों एवं सगे संबंधियों में भी अवश्य शेयर करें ताकि यह उपयोगी जानकारी उन तक भी पहुंच पाये।

अब हम आइए अब Pradushan ki samasya par nibandh से सम्बंधित कुछ प्रश्नों के उत्तर जानते हैं।

प्रदूषण की समस्या पर निबंध से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ):-

Q1- क्या इस प्रदूषण की समस्या पर निबंध को हम 400, 500 , 600 से लेकर 2000 शब्दों में लिख सकते हैं?

Q2- प्रदूषण को रोकने का उपाय बताइए?

Q3- भारत में सर्वाधिक रेडियो dharmi pradushan कहां पाया जाता है

Q4- क्या हम प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 100 शब्दों में लिख सकते हैं?

Q5- प्रदूषण की समस्या क्या है?

Q6- प्रदूषण पर निबंध कैसे लिखा जाता है

तो दोस्तों हम आशा करते हैं की हमारे इस आर्टिकल प्रदूषण की समस्या पर निबंध Essay on pollution in hindi उपयोगी लगा होगा और आपको प्रदूषण की समस्या से संबंधित सभी जानकारी प्राप्त हो चुकी होंगी।

आपको हमारा यह आर्टिकल कैसा लगा हमें कमेंट में अवश्य बताएं एवं “प्रदूषण की समस्या पर निबंध” आर्टिकल को अपने दोस्तों, रिश्तेदारों एवं सगे संबंधियों में भी अवश्य शेयर करें ताकि यह उपयोगी जानकारी उन तक भी पहुंच पाये।

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Pradushan ki Samasya Par Nibandh : प्रदूषण की समस्या पर निबंध in Hindi

Pradushan ki Samasya Par Nibandh

Pradushan ki Samasya Par Nibandhप्रदूषण : कारण और निदान अथवा प्रदूषण की समस्या अथवा पर्यावरण का जीवन में महत्त्व

“साँस लेना भी अब मुश्किल हो गया है। \

वातावरण इतना प्रदूषित हो गया है।”

[ विस्तृत रूपरेखा (1) प्रस्तावना, (2) प्रदूषण के विभिन्न प्रकार, (3) प्रदूषण की समस्या का समाधान, (4) उपसंहार ।]

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प्रस्तावना-   Pradushan ki Samasya Par Nibandhप्रदूषण का अर्थ-प्रदूषण पर्यावरण में फैलकर उसे प्रदूषित बनाता है और इसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर उल्टा पड़ता है। इसलिए हमारे आस-पास की बाहरी परिस्थितियाँ जिनमें वायु, जल, भोजन और सामाजिक परिस्थितियाँ आती हैं; वे हमारे ऊपर अपना प्रभाव डालती हैं। प्रदूषण एक अवांछनीय परिवर्तन है; जो वायु, जल, भोजन, स्थल के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों पर विरोधी प्रभाव डालकर उनको मनुष्य व अन्य प्राणियों के लिए हानिकारक एवं अनुपयोगी बना देता है। कहने का तात्पर्य यह है कि जीवधारियों के समग्र विकास के लिए और जीवनक्रम को व्यवस्थित करने के लिए वातावरण को शुद्ध बनाये रखना परम आवश्यक है। इस शुद्ध और सन्तुलित वातावरण में उपर्युक्त घटकों की मात्रा निश्चित होनी चाहिए। अगर यह जल, वायु, भोजनादि तथा सामाजिक परिस्थितियाँ अपने असन्तुलित रूप में होती हैं; अथवा उनकी मात्रा कम या अधिक हो जाती है, तो वातावरण प्रदूषित हो जाता है तथा जीवधारियों के लिए किसी-न-किसी रूप में हानिकारक होता है। इसे ही प्रदूषण कहते हैं

प्रदूषण के विभिन्न प्रकार – प्रदूषण निम्नलिखित रूप में अपना प्रभाव दिखाते हैं-

(1) वायु प्रदूषण – वायुमण्डल में गैस एक निश्चित अनुपात में मिश्रित होती है और जीवधारी अपनी क्रियाओं तथा साँस के ऑक्सीजन और कार्बन द्वारा डाइ-ऑक्साइड का सन्तुलन बनाये रखते हैं। आज मनुष्य अज्ञानवश आवश्यकता के नाम पर इन सभी गैसों के सन्तुलन को नष्ट कर रहा है। आवश्यकता दिखाकर वह वनों को काटता है जिससे वातावरण में ऑक्सीजन कम होती है। मिलों की चिमनियों के धुएँ से निकलने वाली कार्बन डाइ-ऑक्साइड, क्लोराइड, सल्फर-डाइ-ऑक्साइड आदि भिन्न-भिन्न गैसें वातावरण में बढ़ जाती हैं। वे विभिन्न प्रकार के प्रभाव मानव शरीर पर ही नहीं-वस्त्र, धातुओं तथा इमारतों तक पर भी डालती हैं।  Pradushan ki Samasya Par Nibandh

यह प्रदूषण फेफड़ों में कैंसर, अस्थमा तथा नाड़ीमण्डल के रोग, हृदय सम्बन्धी रोग, आँखों के रोग, एक्जिमा तथा मुहासे इत्यादि रोग फैलाता है।

(2) जल-प्रदूषण- जल के बिना कोई भी जीवधारी, पेड़-पौधे जीवित नहीं रह सकते। इस जल में भिन्न-भिन्न खनिज तत्व, कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थ तथा गैसें घुली रहती हैं, जो एक विशेष अनुपात में होती हैं। वे सभी के लिए लाभकारी होती हैं। लेकिन, जब इनकी मात्रा अनुपात में कम या अधिक हो जाती है; तो जल प्रदूषित हो जाता है और हानिकारक बन जाता है। जल प्रदूषण के कारण अनेक रोग पैदा करने वाले जीवाणु, वायरस, औद्योगिक संस्थानों से निकले पदार्थ, कार्बनिक पदार्थ, रासायनिक पदार्थ, खाद आदि हैं। सीवेज को जलाशय में डालकर उपस्थित जीवाणु कार्बनिक पदार्थों का ऑक्सीकरण करके ऑक्सीजन का उपयोग कर लेते हैं जिससे ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और उन जलाशयों में मौजूद मछली आदि जीव मरने लगते हैं। ऐसे प्रदूषित जल से टायफाइड, पेचिस, पीलिया, मलेरिया इत्यादि अनेक जल जनित रोग फैल जाते हैं। हमारे देश के अनेक शहरों को पेयजल निकटवर्ती नदियों से पहुँचाया जाता है और उसी नदी में आकर शहर के गन्दे नाले, कारखानों का अपशिष्ट Pradushan ki Samasya Par Nibandh पदार्थ, कचरा आदि डाला जाता है, जो पूर्णत: उन नदियों के जल को प्रदूषित बना देता है।

(3) रेडियोधर्मी प्रदूषण – परमाणु शक्ति उत्पादन केन्द्रों और परमाणु परीक्षणों से जल, वायु तथा पृथ्वी का सम्पूर्ण पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है और वह वर्तमान पीढ़ी को ही नहीं, बल्कि भविष्य में आने वाली पीढ़ी के लिए भी हानिकारक सिद्ध हुआ है। इससे धातुएँ पिघल जाती हैं और वह वायु में फैलकर उसके झोंकों के साथ सम्पूर्ण विश्व में व्याप्त हो जाती हैं तथा भिन्न-भिन्न रोगों से लोगों को ग्रसित बना देती हैं। Pradushan ki Samasya Par Nibandh

(4) ध्वनि प्रदूषण- आज ध्वनि प्रदूषण से मनुष्य की सुनने की शक्ति कम हो रही है। उ उसकी नींद बाधित हो रही है, जिससे नाड़ी संस्थान सम्बन्धी और नींद न आने के रोग उत्पन्न हो रहे हैं। मोटरकार, बस, जेट विमान, ट्रैक्टर, लाउडस्पीकर, बाजे, सायरन और मशीनें अपनी ध्वनि से सम्पूर्ण पर्यावरण को प्रदूषित बना रहे हैं। इससे छोटे-छोटे कीटाणु नष्ट हो रहे हैं और मन बहुत-से पदार्थों का प्राकृतिक स्वरूप भी नष्ट हो रहा है। Pradushan ki Samasya Par Nibandh

(5) रासायनिक प्रदूषण – आज कृषक अपनी कृषि की पैदावार बढ़ाने के लिए अनेक प्रकार के रासायनिक खादों, कीटनाशक और रोगनाशक दवाइयों का प्रयोग कर रहा है, जिससे उत्पन्न खाद्यान्न, फल, सब्जी, पशुओं के लिए चारा आदि मनुष्यों तथा भिन्न-भिन्न जीवों के ऊपर घातक प्रभाव डालते हैं और उनके शारीरिक विकास पर भी इसके दुष्परिणाम हो रहे हैं। Pradushan ki Samasya Par Nibandh

प्रदूषण की समस्या का समाधान- आज औद्योगीकरण ने इस प्रदूषण की समस्या को अति गम्भीर बना दिया है। इस औद्योगीकरण तथा जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न प्रदूषण को व्यक्तिगत और शासकीय दोनों ही स्तर पर रोकने के प्रयास आवश्यक हैं। भारत सरकार ने सन् 1974 ई. में जल प्रदूषण निवारण एवं नियन्त्रण अधिनियम लागू कर दिया है जिसके अन्तर्गत प्रदूषण को रोकने के लिए अनेक योजनाएँ बनायी गई हैं। Pradushan ki Samasya Par Nibandh

प्रदूषण को रोकने का सबसे महत्त्वपूर्ण उपाय है-वनों का संरक्षण। साथ ही, नये वनों का लगाया जाना तथा उनका विकास करना। जन-सामान्य में वृक्षारोपण की प्रेरणा दिया जाना, इत्यादि प्रदूषण की रोकथाम के सरकारी कदम हैं। इस बढ़ते हुए प्रदूषण के निवारण के लिए सभी लोगों में जागृति पैदा करना भी महत्त्वपूर्ण कदम है; जिससे जानकारी प्राप्त कर उस प्रदूषण को दूर करने के समन्वित प्रयास किये जा सकते हैं। Pradushan ki Samasya Par Nibandh

नगरों, कस्बों और गाँवों में स्वच्छता बनाये रखने के लिए सही प्रयास किये जाएँ। बढ़ती हुई आबादी के निवास के लिए समुचित और सुनियोजित भवन-निर्माण की योजना प्रस्तावित की जाए। प्राकृतिक संसाधनों का लाभकारी उपयोग करने तथा पर्यावरणीय विशुद्धता बनाये रखने के उपायों की जानकारी विद्यालयों में पाठ्यक्रम के माध्यम से शिक्षार्थियों को दिये जाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। Pradushan ki Samasya Par Nibandh

उपसंहार- इस प्रकार सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं के द्वारा पर्यावरण की शुद्धि के लिए समन्वित प्रयास किये जाएँगे, जो मानव-समाज (सर्वे सन्तु निरामया) वेद वाक्य की अवधारणा को विकसित करके सभी जीवमात्र के सुख-समृद्धि की कामना कर सकता है।

Table of Contents

प्रदूषण की समस्या पर 100 शब्दों मे निबंध लिखिए ।

प्रदूषण देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए एक ज्वलंत समस्या का रूप धारण कर चुकी है। प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सभी के योगदान की आवश्यकता होगी। प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi)   से देश के भविष्य छात्रों में जागरूकता आएगी तथा प्रदूषण पर निबंध   (Pradushan ki Samasya Par Nibandh)   से उनको प्रदूषण की समस्या को दूर करने में अपना योगदान देने में आसानी होगी। इस लेख से प्रदूषण क्या है और प्रदूषण के कितने प्रकार का होता है – वायु, जल, ध्वनि, पर्यावरण, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है, जिससे प्रदूषण पर निबंध हिंदी में (Essay on Pollution in Hindi) ऑनलाइन सर्च कर रहे विद्यार्थियों को प्रदूषण पर निबंध (essay on pollution) लिखने में सहायता मिलेगी। विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध (essay on world environment day) लिखने में भी इस लेख की सहायता ली जा सकती है। इसके अलावा कई ऐसे छात्र भी होते हैं जिनकी हिंदी विषय/भाषा पर पकड़ कमजोर होती है, ऐसे में प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) विशेष इस लेख से उन्हें निबंध लिखने के तरीके को समझने व लिखने में सहायता प्राप्त होगी।

प्रदूषण की समस्या पर लगभग 200 शब्दों मे निबंध लिखिए ।

प्रदूषण समस्या अथवा पर्यावरण प्रदूषण

मानवता पर बढ़ रहा रातत प्रदूषण भार।

” मनुज अचेतन हो रहा कैसे हो ऊद्वार ।”

[ रूपरेखा – (1) प्रस्तावना, (2) वैज्ञानिक प्रगति और प्रदूषण, (3) प्रदूषण का घातक प्रभाव, (4) पर्यावरण शुद्धि, (5) उपसंहार।]

प्रस्तावना – ईश्वर ने प्रकृति की गोद में उज्ज्वल प्रकाश, निर्मल जल और स्वच्छ वायु का वरदान दिया है।’ मानव ने प्रकृति पर अपना आधिपत्य जमाने की धुन में वैज्ञानिक प्रगति के नाम पर प्रकृति को स्वामिनी के महत्त्वपूर्ण पद से हटाकर सेविका के स्थान पर प्रतिष्ठित कर दिया। प्रकृति की गोद में विकसित होने वाले प्रसून, सुन्दर लताएँ, हरे-भरे वृक्ष तथा चहचहाते विहग अब उसके आकर्षण के केन्द्र-बिन्दु नहीं रहे। प्रकृति का उन्मुक्त वातावरण अतीत के गर्भ में विलीन हो गया। मानव मने की जिज्ञासा और नयी-नयी खोजों की अभिलाषा ने प्रकृति के सहज कार्यों में हस्तक्षेप करना प्रारम्भ किया है। अतः पर्यावरण में प्रदूषण होता जा रहा है। यह प्रदूषण मुख्यतः तीन रूपों में दिखायी देता है-

(1) वायु प्रदूषण, (2) जल प्रदूषण, (3) ध्वनि प्रदूषण।

प्रदूषण का प्रकोप-वैज्ञानिक प्रगति के कारण वायु, जल और ध्वनि के प्रदूषण ने प्रकृति के सहज-स्वाभाविक रूप को विकृत किया है। इससे पर्यावरण में अनेक प्रकार से प्रदूषण हुआ है और प्राणीमात्र के लिए यह किसी भी प्रकार हितकर नहीं है। पर्यावरण एक व्यापक शब्द है, जिसका सामान्य अर्थ है- प्रकृति द्वारा प्रदान किया गया समस्त भौतिक और सामाजिक वातावरण। इसके अन्तर्गत जल, वायु, भूमि, पेड़-पौधे, पर्वत तथा प्राकृतिक सम्पदा और परिस्थितियाँ आदि का समावेश होता है।

आज वायु, जल तथा ध्वनि प्रदूषण के कारण जीवन कष्टकारक हो गया है। Pradushan ki Samasya Par Nibandhमानव ने बनिज और कच्चे माल के लिए खानों की खुदाई की, धातुओं को गलाने के लिए कोयले की भट्टियाँ जलायीं तथा कारखानों की स्थापना करके चिमनियों से ढेर सारा धुआँ आकाश में पहुंचाकर वायुमण्डल को प्रदूषित किया। फर्नीचर और भवन-निर्माण के लिए, उद्योगों और ईंधन आदि के लिए जंगलों की कटाई करके स्वच्छ वायु का अभाव उत्पन्न कर दिया। इससे भूमिक्षरण और भूस्खलन होने लगा तथा नदियों के जल से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई। कल-कारखानों और शोधक कारखानों के अवशिष्ट गन्दे नालों में बहकर पवित्र नदियों के जल को दूषित करने लगे। विज्ञान निर्मित तेज गति के वाहनों का दूषित धुआँ तथा तीव्र ध्वनि से बजने वाले हॉर्न और साइरनों की कर्ण भेदी ध्वनि से वातावरण प्रदूषित होने लगा। कृषि में रासायनिक खादों के प्रयोग से अनेक प्रकार के रोगों और विषैले प्रभावों को जन्म मिला। इस प्रकार वैज्ञानिक प्रगति पर्यावरण प्रदूषण में सहायक बनी।

प्रदूषण का घातक प्रभाव – आधुनिक युग में सम्पूर्ण संसार पर्यावरण के प्रदूषण से पीड़ित है।Pradushan ki Samasya Par Nibandh हर साँस के साथ इसका जहर शरीर में प्रवेश पाता है और तरह-तरह की विकृतियाँ पनपती जा रही हैं। इस सम्भावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि प्रदूषण की इस बढ़ती हुई गति से एक दिन यह पृथ्वी प्राणी तथा वनस्पतियों से विहीन हो सकती है और सभ्यता तथा प्रगति एक बीती हुई कहानी बनकर रह जायेगी।

पर्यावरण शुद्धि- दिनों-दिन बढ़ने वाले प्रदूषण की आपदा से बचाव का मार्ग खोजना आज की महती आवश्यकता है।Pradushan ki Samasya Par Nibandh इसके लिए सबका सम्मिलित प्रयास अपेक्षित है। वृक्षों की रक्षा करके इस महान् संकट से छुटकारा पाया जा सकता है। ये हानिकारक गैसों के प्रभाव को नष्ट करके प्राण-वायु प्रदान करते हैं, भूमि के क्षरण को रोकते हैं और पर्यावरण को शुद्धता प्रदान करते हैं।

उपसंहार – पर्यावरण की सुरक्षा और उचित सन्तुलन के लिए हमें जागरूक और सचेत होना परम आवश्यक है। Pradushan ki Samasya Par Nibandhवायु, जल, ध्वनि तथा पृथ्वी के प्रत्येक प्रकार के प्रदूषण को नियन्त्रित कर धीरे-धीरे उसे समाप्त करना आज के युग की माँग है। वास्तविकता यह है कि-

“गफलत में डूबा मनुज नहीं जागेगा।

जल-वायु प्रदूषण भूत नहीं भागेगा।।”

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500 शब्दों में यहाँ देखें

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) – प्रदूषण क्या है (what is pollution).

प्रदूषण, जिसे पर्यावरण प्रदूषण भी कहा जाता है। पर्यावरण में किसी भी पदार्थ (ठोस, तरल, या गैस) या ऊर्जा का किसी भी रूप (जैसे गर्मी, ध्वनि, या रेडियोधर्मिता) में उसके पुनर्नवीनीकरण, किसी हानिरहित रूप में संग्रहण या विघटित करने के स्तर से ज्यादा तेजी से फैलना ही प्रदूषण कहलाता है।

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) – प्रदूषण का वर्तमान परिदृश्य

प्रदूषण हमारे जीवन के उन प्रमुख विषयों में से एक है, जो इस समय हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। Pradushan ki Samasya Par Nibandh यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा व चिंता का विषय रहा है तथा 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इसके प्रभाव को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी इस समस्या के समाधान हेतु एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं Pradushan ki Samasya Par Nibandh या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीवित रहने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग आदि शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, मगर फिर भी उन्हें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। इन स्थानों की वायु गुणवत्ता खराब है और भूमि तथा जल प्रदूषण में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। अब समय आ गया है कि इन शहरों से प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए, यहाँ मौजूद प्रशासन एक ठोस रणनीति तैयार करके उसपर अमल करे

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) – वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) क्या है? (What is Air Quality Index (AQI)?)

Pradushan ki Samasya Par Nibandh वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) (Air Quality Index (AQI)) एक सूचकांक है जिसका उपयोग सरकारी एजेंसियों द्वारा वायु प्रदूषण के स्तर को मापने के लिए किया जाता है ताकि आम लोग वायु गुणवत्ता को लेकर जागरूक हो सकें। जैसे-जैसे एक्यूआई (AQI) बढ़ता है, इसका मतलब है कि एक बड़ी जनसंख्या गंभीर प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों का अनुभव करने वाली है। वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी AQI लोगों को यह जानने में मदद करता है कि स्थानीय वायु गुणवत्ता उनके स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है। पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) पांच प्रमुख वायु प्रदूषकों के लिए एक्यूआई (AQI) की गणना करती है, जिसके लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक स्थापित किए गए हैं।

  • जमीनी स्तर की ओजोन (ग्राउंड लेवल ओज़ोन)
  • कण प्रदूषण/पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5/pm 10)
  • कार्बन मोनोऑक्साइड
  • सल्फर डाइऑक्साइड
  • नाइट्रोजन डाइऑक्साइड

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) – प्रदूषण के प्रकार

मूल रूप से प्रदूषण चार प्रकार का होता है, जो नीचे उल्लिखित है –

  • वायु प्रदूषण (Air Pollution)
  • जल प्रदूषण (Water Pollution)
  • ध्वनि प्रदूषण (Pollution Essay)
  • मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) – आइए एक करके प्रदूषण के विभिन्न प्रकारों के बारे में जानें:

वायु प्रदूषण :  वायु प्रदूषण मुख्य रूप से वाहनों से गैस के उत्सर्जन के कारण होता है। बेहद ही हानिकारक गैस कारखानों तथा उद्योगों में उप-उत्पाद के रूप में उत्पादित होती हैं, प्लास्टिक और पत्तियों जैसे जहरीले पदार्थों को खुले में जलाने से, वाहनों के एग्जॉस्ट से, रेफ्रीजरशन उद्योग में उपयोग किए जाने वाले सीएफ़सी से वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है।

हाल के दशक में बेहतर आय की वजह से भारत में सड़कों पर वाहनों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी गई है। ये सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों को फैलाने के लिए भी जिम्मेदार हैं। ये गैसें पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा को कम करने के लिए जिम्मेदार हैं। इनकी वजह से सांस लेने की कई समस्याएं, श्वसन रोग, कई प्रकार के कैंसर आदि जैसी बीमारियाँ तेजी से पनप रही हैं।

जल प्रदूषण :  जल प्रदूषण आजकल मनुष्यों के सामने मौजूद सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। Pradushan ki Samasya Par Nibandhसीवेज अपशिष्ट, उद्योगों या कारखानों आदि के कचरे को सीधे नहरों, नदियों और समुद्रों जैसे जल निकायों में डाला जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप समुद्री जीव जंतुओं के आवास का नुकसान हो रहा है और जल निकायों में घुली ऑक्सीजन का स्तर भी घट रहा है। पीने योग्य पानी की कमी जल प्रदूषण का एक बड़ा दुष्प्रभाव है। लोग प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं जिससे हैजा, डायरिया, पेचिश आदि रोग होने का खतरा रहता है।

मृदा प्रदूषण :  भारतीय आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। Pradushan ki Samasya Par Nibandh इस काम के लिए, किसान बहुत सारे शाकनाशी, उर्वरक, कवकनाशी और अन्य समान प्रकार के रासायनिक यौगिकों का उपयोग करते हैं। इनके इस्तेमाल से मिट्टी दूषित होती है और इससे मिट्टी आगे फसल उगाने लायक नहीं रह जाती। इसके अलावा, अगर अधिकारी जमीन पर पड़े औद्योगिक या घरेलू कचरे को डंप नहीं करते हैं, तो यह भी मिट्टी के प्रदूषण में बड़ा योगदान देता है। इसकी वजह से मच्छरों के प्रजनन में वृद्धि होती है, जो डेंगू जैसी कई जानलेवा बीमारियों का कारण बनता है। ये सभी कारक मिट्टी को विषाक्त बनाने के लिए जिम्मेदार हैं।

ध्वनि प्रदूषण :  वायु प्रदूषण में योगदान देने के अलावा, भारतीय सड़कों पर बड़ी संख्या में मौजूद वाहन, Pradushan ki Samasya Par Nibandh ध्वनि प्रदूषण में भी भरपूर योगदान देते हैं। यह उन लोगों के लिए खतरनाक है जो शहरी क्षेत्रों में या राजमार्गों के पास रहते हैं। यह लोगों में चिंता और तनाव जैसे संबंधित मुद्दों का कारण बनता है।

इसके अलावा, पटाखे, कारखानों के कामकाज, लाउडस्पीकर की आवाज (विशेष रूप से समारोहों के मौसम में) Pradushan ki Samasya Par Nibandhआदि भी ध्वनि प्रदूषण में अपनी भूमिका निभाते हैं। अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह हमारे मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता है।

अक्सर, दिवाली के त्योहार के अगले दिन मीडिया में यह बताया जाता है कि कैसे पटाखों की वजह से भारत के प्रमुख शहरों में ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है।

Pradushan ki Samasya Par Nibandh हालाँकि ये चार प्रमुख प्रकार के प्रदूषण हैं, जीवनशैली में बदलाव के कारण कई अन्य प्रकार के प्रदूषण भी देखे गए हैं जैसे कि रेडियोधर्मी प्रदूषण, प्रकाश प्रदूषण अन्य। यदि किसी स्थान पर अधिक या अवांछित मात्रा में मानवनिर्मित प्रकाश पैदा किया जाता है, तो यह प्रकाश प्रदूषण में योगदान देता है। आजकल, कई शहरी क्षेत्र अधिक मात्रा में अवांछित प्रकाश का सामना कर रहे हैं।

हम परमाणु युग में जी रहे हैं। चूंकि बहुत से देश अपने स्वयं के परमाणु उपकरण विकसित कर रहे हैं, इससे पृथ्वी के वातावरण में रेडियोधर्मी पदार्थों की उपस्थिति में वृद्धि हुई है। इसे रेडियोधर्मी प्रदूषण के रूप में जाना जाता है। रेडियोधर्मी पदार्थों का संचालन और खनन, परीक्षण, रेडियोधर्मी बिजली संयंत्रों में होने वाली छोटी दुर्घटनाएँ रेडियोधर्मी प्रदूषण में योगदान देने वाले अन्य प्रमुख कारण हैं।

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) – ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming)

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारक है। धरती के चारों ओर गर्मी को फंसाने वाले प्रदूषण की परत ही मुख्य कारण है, जो आजकल ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) को बढ़ा रही है। जैसे मनुष्य जब जीवाश्म ईंधन जलाते हैं, प्लास्टिक जलाते हैं, वाहन से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जंगल अधिक स्तर पर जलाए जाते हैं, तो इनसे खतरनाक गैस का उत्सर्जन होता है।

एक बार जब यह गैस पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर जाती है, तो अंततः यह पूरे विश्व में फैल जाती है। नतीजतन, गर्मी फिर से उत्सर्जित होने के बाद अगले 50 या 100 सालों तक पृथ्वी के चारों ओर फंस जाती है। सबसे गंभीर बात यह है कि कार्बन डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैस का स्तर खतरनाक दर से बढ़ा है। इससे आने वाली पीढ़ी सैकड़ों वर्षों तक ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के प्रभावों को महसूस करेगी।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) – प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए प्रमुख कदम

पर्यावरण प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिकारियों ने कई कदम उठाए हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल :  भारत सरकार ने भारत में पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर अंकुश लगाने के लिए NGT की स्थापना की थी। 2010 से जब कई उद्योग एनजीटी के आदेश का पालन करने में विफल रहे हैं, तो इसने ऐसे उद्योगों पर भारी जुर्माना लगाया। इसने कई प्रदूषित झीलों को साफ करने में भी मदद की है। इसने गुजरात में कई कोयला आधारित उद्योगों को बंद करने का भी आदेश दिया, जिससे वायु प्रदूषण में इजाफा हो रहा था।

ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत :  पिछले कुछ वर्षों से, भारत सरकार लोगों को ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर जाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। तमिलनाडु राज्य के निवासियों के लिए अपनी छतों पर सौर पैनल और वर्षा जल संचयन प्रणाली रखना अनिवार्य है। वैकल्पिक ऊर्जा के अन्य स्रोत जैव ईंधन, पवन ऊर्जा, जलविद्युत ऊर्जा आदि हैं।

BS-VI ईंधन :  भारत सरकार द्वारा घोषणा के बाद देश अब BS-VI (भारत चरण VI) ईंधन का उपयोग करने में सक्षम है। इस नियम अस्तित्व में आने के बाद, वाहनों से सल्फर के होने वाले उत्सर्जन में 50% से अधिक की कमी आने की संभावना है। यह डीजल कारों से नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन को 70% और पेट्रोल कारों में 25% तक कम करता है। इसी तरह, कारों में पार्टिकुलेट मैटर के उत्सर्जन में 80% की कमी आएगी।

वायु शोधक:  वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए लोग अब वायु शोधक विशेष रूप से इनडोर में इस्तेमाल किए जाने वाले का उपयोग कर रहे हैं। एयर प्यूरीफायर हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर को साफ करते हैं, हानिकारक बैक्टीरिया को हटाते हैं और हवा की गुणवत्ता में काफी हद तक सुधार करते हैं।

प्रदूषण पर निबंध (Pradushan ki Samasya Par Nibandh) – प्रदूषण पर अंकुश लगाने में यूएनओ की भूमिका

अपने बैनर के तहत, संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1972 में प्रदूषण के मुद्दे को संबोधित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की शुरुआत की गई थी। इसने जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन, पर्यावरण प्रशासन, संसाधन दक्षता आदि जैसे कई मुद्दों की तरफ आम लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। इसने कई सफल संधियों को मंजूरी दी है, जैसे कि मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (1987) जो गैसों के उत्सर्जन को सीमित करने के लिए सुरक्षात्मक ओजोन परत को पतला कर रहे थे, जहरीले पारा आदि के उपयोग को सीमित करने के लिए मिनामाता कन्वेंशन (2012) यूएनईपी प्रायोजित ‘सौर ऋण कार्यक्रम’ जहां विभिन्न देशों के लाखों लोगों को सौर ऊर्जा पैनल प्रदान किए गए थे।

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प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) – प्रदूषण पर अंकुश लगाने के विभिन्न तरीके

हालांकि विभिन्न शहरों के अधिकारी प्रदूषण के मुद्दे पर अंकुश लगाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। ऐसे में नागरिकों और आम लोगों का भी यह कर्तव्य है कि वे इस प्रक्रिया में अपना योगदान दें। सभी प्रकार के प्रदूषण को रोकने के कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं –

पटाखों का इस्तेमाल बंद करें :  जब आप दशहरा, दिवाली या किसी अन्य अवसर पर त्योहार मनाते हैं, तो पटाखों का इस्तेमाल ना करें। यह ध्वनि, मिट्टी के साथ-साथ प्रकाश प्रदूषण का कारण बनता है। साथ ही इसका हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

वाहनों का प्रयोग सीमित करें :  वाहन प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। वाहनों का प्रयोग कम से कम करें। Pradushan ki Samasya Par Nibandhयदि संभव हो, तो उन्हें व्यक्तिगत उपयोग के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने का प्रयास करें। आने-जाने के लिए ज्यादा से ज्यादा सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें।

अपने आस-पास साफ-सफाई रखें :  एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य होना चाहिए कि हम अपने घर के आस-पास के Pradushan ki Samasya Par Nibandh क्षेत्र को साफ-सुथरा रखें। हमें कचड़ा इधर-उधर फेंकने की बजाय कूड़ेदान में फेकना चाहिए।

रिसाइकल और पुन: उपयोग –  कई गैर-बायोडिग्रेडेबल उत्पाद जैसे कि प्लास्टिक से बने दैनिक उपयोग की वस्तुएं हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं। हमें या तो इन्हें ठीक से डिकम्पोज करना होगा या इसे रिसाइक्लिंग के लिए भेजना होगा। आजकल सरकार प्लास्टिक को रिसायकल करने के लिए बहुत सारी योजनाएं चला रही है, जहां नागरिक न केवल अपने प्लास्टिक के कचरे को दान कर सकते हैं, बल्कि अन्य वस्तुओं के बदले में इसका आदान-प्रदान भी कर सकते हैं।

पेड़ लगाएं :  कई कारणों से पेड़ों की कटाई जैसे सड़कों का चौड़ीकरण, घर बनाना आदि के कारण विभिन्न प्रकार के प्रदूषण में वृद्धि हुई है। पौधे वातावरण में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड आदि जैसे हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं। चूंकि वे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन छोड़ते हैं, इसलिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाएं और उनकी देखभाल करें। Pradushan ki Samasya Par Nibandh

प्रदूषण एक ऐसी समस्या है, जिसका हमें जल्द से जल्द समाधान करने की जरूरत है, ताकि मनुष्य व अन्य जीव जन्तु, इस ग्रह पर सुरक्षित रूप से रह सकें। यह महत्वपूर्ण है कि हम इस मुद्दे के समाधान के लिए सुझाए गए उपायों का पालन करें। यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम अपने घर को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाएं। पृथ्वी को जीवित रखने के लिए हमें इसे प्रदूषित करना बंद करना होगा।

Frequently Asked Question (FAQs)

वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) (Air Quality Index) दैनिक आधार पर वायु गुणवत्ता की रिपोर्ट करने के लिए एक सूचकांक है।

प्रदूषण पर हिंदी में निबंध लिखने के लिए आप इस लेख को संदर्भित कर सकते हैं। इस लेख में प्रदूषण पर निबंध से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

प्रदूषण मुख्य रूप से 4 प्रकार के होते हैं, जिन्हे वायु प्रदूषण (Air Pollution), जल प्रदूषण (Water Pollution), ध्वनि प्रदूषण (Pollution Essay), मृदा प्रदूषण (Soil Pollution) के रूप में जाना जाता है।

पटाखों के इस्तेमाल पर कमी, अधिक से अधिक पेड़ लगाकर, वाहनों के उपयोग पर कमी और अपने आस-पास स्वच्छता रखकर प्रदूषण में कमी की जा सकती है।

सांविधिक संगठन, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वर्ष 1974 में गठित किया गया था।

पर्यावरण में किसी भी पदार्थ (ठोस, तरल, या गैस) या ऊर्जा का किसी भी रूप (जैसे गर्मी, ध्वनि, या रेडियोधर्मिता) में उसके पुनर्नवीनीकरण, किसी हानिरहित रूप में संग्रहण या विघटित करने के स्तर से ज्यादा तेजी से फैलना ही प्रदूषण है। प्रदूषण उन प्रमुख मुद्दों में से एक है,Pradushan ki Samasya Par Nibandh जो हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा में है, 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया गया है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इन प्रभावों को रोकने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है। Pradushan ki Samasya Par Nibandh

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Anushasan ka Mahatva Essay : अनुशासन का महत्व निबंध

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प्रदूषण की समस्या (Pollution) PRADUSHAN KI SAMASYA Nibandh in Hindi -

PRADUSHAN KI SAMASYA

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Hindi Essay on “Pradushan ki Samasya aur Samadhan”, “प्रदूषण की समस्या और समाधान ”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

प्रदूषण की समस्या और समाधान

Pradushan ki Samasya aur Samadhan

अजि मनुष्य ने इतना विकास कर लिया है कि वह अब मनुष्य से बढ़कर देवताओं की शक्तियों के समान शक्तिशाली हो गया। मनुष्य ने यह विकास और महत्त्व विज्ञान के द्वारा प्राप्त किया है। विज्ञान का आविष्कार करके मनुष्य ने चारों ओर से प्रकृति परास्त को करने का का कदम बढ़ा लिया है। देखते-देखते प्रकृति। धीरे-धीरे मनुष्य की दासी बनती जा रही है। आज प्रकृति मनुष्य के अधीन बन गई है। इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि मनुष्य ने प्रकृति को अपने अनुकूल बनाने के लिए कोई कसर न छोड़ने का निश्चय कर लिया है।

जिस प्रकार मनुष्य मनुष्य का और राष्ट्र-राष्ट्र का शोषण करते रहे हैं, उसी प्रकार मनुष्य प्रकृति का भी शोषण करता रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रकृति में कोई गंदगी नहीं है। प्रकृति में सब जीव-जन्तु, प्राणी तथा वनस्पति-जगत परस्पर मिलकर संतुलन बनाए रहते हैं। प्रत्येक का अपना विशिष्ट कार्य है। प्रकृति में ब्रह्म ! विष्णु और महेश का काम अपने स्वाभाविक रूप में बराबर चलता रहता है। जब तक मनुष्य का हस्तक्षेप नहीं होता, तब तक न गंदगी होती है और न रोग ही। जब मनुष्य प्रकृति के कार्य में हस्तक्षेप करता है, तब प्रकृति का समतोल बिगड़ती है। इससे सारी सृष्टि का स्वास्थ बिगड़ जाती है।

आज का युग वैज्ञानिक और औद्योगिक युग है। औद्योगीकरण के फलस्वरूप वायु-प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ रहा है । ऊर्जा तथा उष्णता पैदा करने वाले संयंत्रों से गरमी निकलती है। यह उद्योग जितने बड़े होंगे और जितना बढ़ेंगे, उतनी ज्यादा । गरमी फैलाएँगे। इसके अतिरिक्त ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए जो ईधन प्रयोग में लाया जाता है, वह प्रायः पूरी तरह नहीं जल पाता। इसका दुष्परिणाम यह होता है कि धुएँ में कार्बन मोनोक्साइड काफी मात्रा में निकलती है। आज मोटर वाहनों का यातायात तेजी से बढ़ रहा है। 960 किलोमीटर की यात्रा में एक मोटर वाहन। उतनी आक्सीजन का उपयोग करता है, जितनी एक आदमी को एक वर्ष में चाहिए ।। दुनिया के हर अंचल में मोटर-वाहनों का प्रदूषण फैलता जा रहा है। रेल का यातायात भी आशातीत रूप से बढ़ रहा है। हवाईजहाजों का चलन भी सभी देशों में हो चुका है। तेल-शोधन, चीनी-मिट्टी की मिलें, चमड़ा, कागज, रबर आदि के कारखाने तेजी से बढ़ रहे हैं। रंग बार्निश, प्लास्टिक, कुम्हारी चीनी के कारखाने बढ़ते जा रहे हैं। हर प्रकार के यंत्र बनाने के कारखाने बढ़ रहे हैं। ये सय ऊर्जा-उत्पादन के लिए किसी-न-किसी रूप में ईधन को फेंकते हैं। ये अपने धुएँ से सारे वातावरण को दूषित करते हैं। यह प्रदूषण जहाँ पैदा होता है, वहीं पर स्थिर नहीं रहता। वायु के प्रवाह में वह सारी दुनिया फैलता में रहता है। 

सन् 1968 में ब्रिटेन में लाल धूल, गिरने लगी, वह सहारा रेगिस्तान से उड़कर आई। जव उत्तरी अफ्रीका में टैंकों का युद्ध चल रहा था। तब वहाँ से धूल उड़कर। कैरीबियन समुद्र तक पहुँच गई थी।

आजकल लोग घरों, कारखानों, मोटरों और विमानों के माध्यम से हया, मिट्टी और पानी में अंधाधुंध दूषित पदार्थ प्रवाहित कर रहे हैं। विकास के क्रम में प्रकृति अपने लिए ऐसी परिस्थितियाँ बनाती है, जो उसके लिए आवश्यक है। इसलिए इन व्यवस्थाओं में मनुष्य का हस्तक्षेप राव प्राणियों के लिए घातक होता है। प्रदूषण का मुख्य खतरा इसी से है कि इससे परिस्थिति-संस्थान पर दबाव पड़ता है। धनी आबादी के क्षेत्रों में कार्बन मोनोक्साइड की वजह से रक्त-संचार में 5-10 प्रतिशत ऑक्सीजन कम हो जाती है। शरीर के ऊतकों को 25 प्रतिशत ऑक्सजीन की आवश्यकता होती है। ऑक्सजीन की तुलना में कार्बन मोनोक्साइड लाल रुधिर कोशिकाओं के साथ ज्यादा मिल जाती है। इससे यह हानि होती है कि ये कोशिकाएँ ऑक्सीजन को अपनी पूरी मात्रा में संभालने में असमर्थ रहती है।

लंदन में चार घंटों तक ट्रैफिक संभालने के काम पर रहने वाले पुलिस कर्मी के फेफड़ों में इतना विष भर जाता है, मानो उसने 105 सिगरेटें पी ली हों।

आराम की स्थिति में मनुष्य को दस मीटर हवा की आवश्यकता होती है। कड़ी मेहनत पर उससे दस गुना ज्यादा चाहिए न एक दिन में एक दिमाग को इतनी ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है जितनी कि यह 17,000 हेक्टेयर वन में पैदा होती है। मिट्टी में बढ़ते हुए विष से वनस्पति की निरंतर कमी और महासागरों के प्रदूषण आदि की वजह से ऑक्सीजन की उत्पति में कमी होती जा रही है। इसके अतिरिक्त प्रतिवर्ष हम वायुमण्डल में अस्सी अरब टन धुआँ फेंकते हैं। कारों तथा विमानों से दषित गैस निकलती है। मनुष्य और प्राणियों के साँस से जो कार्बन ‘डाइआक्साइड निकलती है; वह प्रदूषण फैलाती है। कुछ वैज्ञानिकों की मान्यता है। कि वातावरण के प्रदूषण वर्तमान रफ्तार से तीस वर्ष में जीवन-मंडल (बायोस्फियर) जिस पर प्राणी और वनस्पति निर्भर हैं, समाप्त हो जाएंगे। पशु, पौधे और मनुष्यों का अस्तित्व नहीं रहेगा। सारी पृथ्वी की जलवायु बदल जाएगी। संभव है बरफ का युग फिर से आएं। तीस साल के बाद हम कुछ नहीं कर पाएँगे। उस समय तक पृथ्वी का वातावरण, नदियाँ और महाराष्ट्र सव विषैले हो जाएंगे।

यदि मनुष्य प्रकृति के नियमों को समझकर, प्रकृति को गुरु मानकर उसकी साथ सहयोग करता है और विशेष करके सब अवशिष्टों की प्रकृति को लौटाता है तो सृष्टि और मनुष्य स्वस्थ्य रह सकते हैं, नहीं तो लंबे अर्से में अणु-विस्फोट के खतरे की अपेक्षा प्रकृति के कार्य में मनुष्य का कृत्रिम हस्तक्षेप कम खतरनाक नहीं है।

अतएव हमें प्रकृति के शोषण-क्रम को कम करना होगा; अन्यथा हमारा जीवन  पानी के बुलबुले के समान बेवजह समाप्त हो जाएगा। हमारे सारे विकास कार्य ज्यों-के-त्यों पड़े रह जाएँगे।

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an essay on pradushan ek samasya in hindi

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प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध (Plastic Pollution Essay in Hindi)

प्लास्टिक प्रदूषण हमारे पर्यावरण को काफी तेजी से नुकसान पहुंचा रहा है। प्लास्टिक पदार्थो से उत्पन्न कचरे का निस्तारण काफी कठिन होता है और पृथ्वी पर प्रदूषण में भी इसका काफी अहम योगदान है, जिससे यह एक वैश्विक चिंता का विषय बन गया है। प्लास्टिक बैगों, बर्तनो और फर्नीचर के बढ़ते इस्तेमाल के वजह से प्लास्टिक के कचरे में काफी वृद्धि हुई है, जिससे प्लास्टिक प्रदूषण जैसी भीषण समस्या उत्पन्न हो गयी है। यह वह समय है जब हमे इस समस्या पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए, इसके समाधान के लिये प्रयास शुरु करने होंगे।

प्लास्टिक प्रदूषण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Plastic Pollution in Hindi, Plastic Pradushan par Nibandh Hindi mein)

निबंध – 1 (300 शब्द).

प्लास्टिक प्रदूषण प्लास्टिक के कचरे से उत्पन्न होता है, आज के समय में यह विकराल रुप धारण कर चुका है और दिन-प्रतिदिन यह बढ़ता ही जा रहा है। यह हमारे इस खुबसूरत ग्रह पे भी कई प्रकार के नकारात्मक प्रभाव डालता है, जिससे यह जनजीवन के लिये एक गंभीर संकट बन गया है, यही कारण है कि आज प्लास्टिक प्रदूषण एक वैश्विक चिंता का विषय बना हुआ है।

प्लास्टिक प्रदूषण को कैसे रोके

इन दो उपायो का अपने दैनिक जीवन में अपनाकर हम प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने में महात्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है।

  • उपयोग ना करके/ अन्य विकल्पो को अपनाकर

प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिये सबसे महात्वपूर्ण कदम यह है कि हमें प्लास्टिक के उपयोग से बचना चाहिये।

क्योंकि अब हम इनके उपयोग के आदि हो चुके है तथा यह काफी सस्ते भी है, इसलिये हम इनके उपयोग को पूरी तरह से बंद नही कर सकते है। हालांकि हम उन प्लास्टिक उत्पादो के उपयोग को आसानी से बंद कर सकते है, जिनके इको-फ्रैंडली विकल्प उपलब्ध है। जैसे कि उदहारण के लिये , बाजार से सामान खरीदते समय हम प्लास्टिक बैग के जगह हम जूट, कपड़े या पेपर से बने बैगों का इस्तेमाल कर सकते है। ठीक इसी तरह पार्टियो और उत्सवो के दौरान हम प्लास्टिक के बर्तन और अन्य सामानो का उपयोग के जगह हम स्टील, कागज, थर्माकोल या अन्य उत्पादो से वस्तुओ का उपयोग कर सकते है, जिनका आसानी से पुनरुपयोग और निस्तारण किया जा सके।

यदि आप प्लास्टिक बैगों और प्लास्टिक से बने अन्य वस्तुओ का उपयोग नही बंद कर सकते तो कम से कम उन्हे फेंकने से पहले जितनी बार भी हो सके उनका पुनरुपयोग करे। प्लास्टिक बैगों और सामानो का उपयोग करके उन्हे फेंक देना लगभग हमारी आदत सा बन चुका है, जबकि यदि हम चाहे तो फेंकने से पहले हम इनका पुनरुपयोग कर सकते है, इस लिये यह काफी आवश्यक है कि हम फेंकने से पहले इनका पुनरुपयोग करे। इस प्रकार से हम प्लास्टिक कचरे को कम करने में और प्लास्टिक प्रदूषण के रोकथाम में अपनी महात्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है।

निष्कर्ष यह वह समय है जब हमें एक साथ मिलकर प्लास्टिक प्रदूषण जैसे इस भयावह दानव का सामना करने की आवश्यकता है। अगर हम सभी इन बताये गये उपयो को अपना ले तो हम प्लास्टिक प्रदूषण के स्तर को कम करके आसानी से इसपर काबू पा सकते है।

निबंध – 2 (400 शब्द)

आज के समय में प्लास्टिक प्रदूषण पर्यावरण के लिये एक गंभीर संकट बन गया है और आने वाले समय में यह और भी ज्यादे भयावह होने वाला है। इस प्रदूषण के कई कारण है तथा इसके नकरात्मक प्रभावो की संख्या उससे भी ज्यादे है।

प्लास्टिक प्रदूषण के कारण

1.किफायती और उपयोग में आसान प्लास्टिक सबसे ज्यादे इस्तेमाल किये जाने वाले पदार्थो में से एक है इससे डब्बे, बैग, फर्नीचर और अन्य कई उत्पाद बनाये जाते है क्योंकि किफायती होने के साथ इन्हे किसी भी आकार में ढाला जा सकता है। प्लास्टिक के वस्तुओं के बढ़ते उपयोग के कारण ही प्लास्टिक प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या उत्पन्न हुई है।

2.नान-बायोग्रेडबल

प्लास्टिक से उत्पन्न कचरा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, क्योंकि प्लास्टिक एक नान- बायोडिग्रेडबल पदार्थ है इसलिये यह जल और भूमि में विघटित नही होता है। यह वातावरण में सैकेड़ो वर्षो तक बना रहता है, जिससे यह भूमि, जल और वायु प्रदूषण का कारण बनता है

3.प्लास्टिक क्षय होता है परंतु विघटित नही होता है

प्लास्टिक बैग और प्लास्टिक से बने अन्य उत्पाद छोटे-छोटे टुकड़ो में टूट जाते है तथा मिट्टी और पानी के स्त्रोतो में मिल जाते है, जिससे प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है।

प्लास्टिक प्रदूषण के प्रभाव              

इन बताये गये तरीको से प्लास्टिक प्रदूषण हमारे पर्यावरण और पृथ्वी के जनजीवन पर प्रभाव डालता है।

1.जल को प्रदूषित करता है

प्लास्टिक से उत्पन्न कचरा पानी के स्त्रोतो जैसे कि, नदियो, समुद्रो तथा महासागरो में मिल जाता है और इन्हे बुरे तरीके से प्रभावित करता है। यही पानी हमारे उपयोग के लिये हम तक पहुंचाया जाता है, इससे कोई भी फर्क नही पड़ता कि हम इन्हे कितना भी छाने यह उपने वास्तविक अवस्था में कभी वापस नही आ सकता और इस पानी के उपयोग से हमारे स्वास्थ्य पर भी नकरात्मक प्रभाव पड़ता है।

2.भूमि को प्रदूषित करता है

भारी मात्रा में प्लास्टिक से उत्पन्न होने वाले कचरे का लैंडफिलो में निस्तारण किया जाता है। इसके अलावा हवा द्वारा उड़ा लिये जाने पर प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े एक स्थान से उड़कर दूसरे स्थान पर पहुंचा दिये जाते है और प्लास्टिक के यह टुकड़े हानिकारक रसायन उत्पन्न करते है जोकि मिट्टी के गुण तथा  उर्वरकता को नष्ट कर देता है। यह पेड़-पौधो के वृद्धि को भी प्रभावित करता है, इसके अलावा बेकार पड़े हुए प्लास्टिक से मच्छर और अन्य तरह के कीड़े उत्पन्न होते है जो कई तरह की बिमारिया फैलाते है।

3. समुद्री जीवन के लिये खतरा

प्लास्टिक बैग और अन्य प्लास्टिक कचरे जोकि नदियो और समुद्रो में पहुंच जाते है। उसे समुद्री जीवो द्वारा भ्रमवश अपना भोजन समझकर खा लिया जाता है, जिससे वह बिमार पड़ जाते है।

4.पशुओ के लिये हानिकारक

ज्यादेतर छुट्टा पशुओं द्वारा कचरे में फेका गया खाना खाया जाता है। वह प्लास्टिक बैगों को अपने खाने के साथ खा लेते है, जो उनके आंतो में फंस जाता है, जिससे अंत में या तो उनकी मृत्यु हो जाती है या फिर उनके अंदर कई गंभीर बिमारीयां उत्पन्न कर देता है।

प्लास्टिक प्रदूषण विश्व भर के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। हमारे द्वारा की जाने वाली लापरवाहियो के कारण यह और भी बढ़ता जा रहा है। यह वह समय है जब हमे इसके समाधान के लिये कठोर फैसले लेने की आवश्यकता है।

Essay on Plastic Pollution in Hindi

निबंध – 3 (500 शब्द)

प्लास्टिक प्रदूषण पूरे विश्व के लिए एक चिंताजनक विषय बन गया है। कई सारे देशो के सरकारो द्वारा इस मुद्दे को लेकर प्लास्टिक बैगों पर प्रतिबंध जैसे कड़े फैसले लिये जा रहे है। इसके बाद भी इस समस्या का समाधान तभी संभव है जब हम सभी इस समस्या को लेकर जागरुक हो और इसे रोकने में अपना योगदान दे।

सरकार द्वारा कड़े फैसले लेने की आवश्यकता

यह वह समय है जब सरकार द्वारा इस समस्या से लड़ने के लिये कड़े फैसले लेने की आवश्यकता है। यह कुछ जरुरी कदम है जिनका आवश्यक रुप से पालन किया जाना चाहिए।

  • प्लास्टिक उत्पादन पर नियंत्रण करके

प्लास्टिक वस्तुओं के बढ़ते मांग के कारण, विश्व भर में प्लास्टिक का उत्पादन बढ़ता जा रहा है। सरकार को अब किसी नयी संस्था को प्लास्टिक उत्पादन की मंजूरी नही देनी चाहिये, जिससे प्लास्टिक के उत्पादन को नियंत्रित किया जा सके।

  • प्लास्टिक के वस्तुओ पर प्रतिबंध

कई देशो के सरकारो द्वारा प्लास्टिक बैग के उपयोग प्रतिबंधित कर दिया गया है क्योंकि इनके द्वारा ही सबसे ज्यादे मात्रा में प्लास्टिक प्रदूषण फैलाया जाता है। हालांकि भारत जैसे कुछ देशो में इन प्रतिबंधो को सही ढंग से लागू नही किया गया है। इसके लिये सरकार को प्लास्टिक बैग के उपयोग को रोकने के लिये कड़े फैसले लेने की आवश्यकता है।

  • जागरुकता फैलाकर

इसके साथ ही लोगो में प्लास्टिक कचरे के पर्यावरण पर नकरात्मक प्रभाव को लेकर लोगो में जागरुकता फैलाने की भी आवश्यकता है। यह कार्य टेलीविजन और रेडियो विज्ञापनो, होर्डिगों तथा सोशल मीडीया के माध्यमों से आसानी से किया जा सकता है।

  • प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के कुछ अन्य आसान उपाय

यहा प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के कुछ अन्य उपाय आसान बताये गये, जिनको अपनाकर प्लास्टिक प्रदूषण को कम करके वातावरण को स्वच्छ रखा जा सकता है।

  • प्लास्टिक बैगों का उपयोग ना करके

पलास्टिक बैग टूटकर छोटे-छोटे टुकड़ो में विभक्त होकर पानी के स्रोतों में मिल जाता है जिससे यह मिट्टी में मिलकर पेड़-पौधो की वृद्धि पर भी नकरात्मक प्रभाव डालता है। इसके साथ ही यह जलीय जीवन पर भी हानिकारक प्रभाव डालता है। ज्यादेतर यह बैग किराने का सामान लाने के लिए उपयोग किये जाते है यदि हम चाहे तो आसानी से इनका उपयोग बंद करके पुनरुपयोग होने वाले कपड़े के बैगों को अपना सकते है।

  • बोतलबंद पानी का उपयोग बंद करके

बोतलबंद पानी प्लास्टिक के बोतलो और ग्लासो में आता है। यह खराब पानी के बोतल और ग्लास, प्लास्टिक प्रदूषण में अहम भूमिका निभाते है। एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य है कि हम बोतलबंद पानी को खरीदना बंद कर दे और इसके बजाय अपने खुद के पानी के बोतलो का इस्तेमाल करे।

  • बाहर का खाना मंगाना बंद करके

ज्यादेतर बाहर का खाना प्लास्टिक के डिब्बो में पैक करके दिया जाता है, जोकि प्लास्टिक से उत्पन्न होने वाले कचरे का कारण बनता है। इसलिये रेस्तरां से खाना मंगाने के जगह हमें घर का बना हुआ भोजन करना चाहिये, जोकि हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनो के लिये ही अच्छा है।

बहुत सारी रिसायकलिंग कंपनियां इस्तेमाल किये हुए प्लास्टिक के डिब्बे, बोतल, और अन्य चीजे लेती है, तो इन्हे फेंकने के बजाय हमें इन चीजो को इन रीसायकलिंग कंपनियो को दे देना चाहिये।

  • किराने का सामान थोक में खरीदकर

किराने के छोटे-छोटे कई पैकेटो को खरीदने से अच्छा है कि हम एक बड़ा पैकेट खरीद ले क्योकि ज्यादेतर यह चीजे प्लास्टिक के छोटे-छोटे पन्नीयो या डिब्बो में पैक होते है, इस तरीके को अपनाकर भी हम प्लास्टिक के कचरे में कमी ला सकते है।

प्लास्टिक से उत्पन्न होने वाले कचरे का निस्तारण और इसकी बढ़ती मात्रा एक चुनौती बनते जा रही है, जिससे प्लास्टिक प्रदूषण जैसी समस्या ने इतना भयावह रुप धारण कर लिया है। इन दिये गये कुछ आसाना और दिर्घकालिक उपायो से हम प्लास्टिक प्रदूषण के स्तर को कम करने में अपनी सराहनीय भूमिका निभा सकते है।

निबंध 4 (600 शब्द)

प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रही है। शोधों से पता चला है कि पिछले दो दशको में प्लास्टिक का उपयोग काफी तेजी से बढ़ा है। प्लास्टिक इस्तेमाल करने में काफी आसान और किफायती भी होता है यही वजह है कि लोगो के बीच प्लास्टिक से बने उत्पाद इतने लोकप्रिय है। लोगो की बढ़ती मांगो को देखते हुए प्लास्टिक के उत्पाद बनाने वाली कंपनियों के संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। जितना ज्यादे प्लास्टिक इस्तेमाल होता है, इससे उतना ज्यादे कचरा भी इकठ्ठा होता है, जिससे प्लास्टिक प्रदूषण जैसी खतरनाक समस्या उत्पन्न हो जाती है। यह जनजीवन पर संकट बढ़ाने के साथ ही कई तरह के बीमारीयो को भी जन्म देता है।

प्लास्टिक उत्पादनः उपयोगी संसाधनो का दोहन

प्लास्टिक के निस्तारण के साथ-साथ ही इसका उत्पादन भी उतनी ही गंभीर समस्या है। प्लास्टिक के निर्माण में कई तरह के जीवाश्म ईंधनो जैसे की तेल और पेट्रोलियम आदि का उपयोग किया जाता है। यह जीवाश्म ईंधन गैर-नवकरणीय संसाधन होते है और इन्हे प्राप्त करना भी काफी कठिन होता है, इन जीवाश्म ईंधनो को निकालने में काफी निवेश और संसाधनो की आवश्यकता होती है और यदि हम इसी तरह प्लास्टिक उत्पादन में इनका उपयोग करते रहेगे तो वह दिन दूर नही है जब ये समाप्त हो जायेगे, जिससे हमारे बाकी के जरुरी काम भी ठप पड़ जायेंगे।

समुद्री जीवनः प्लास्टिक प्रदूषण से सबसे बुरी तरह से प्रभावित

प्लास्टिक बैग और अन्य प्लास्टिक के कण हवा तथा पानी द्वारा समुद्रो, महासागरो और अन्य पानी के स्रोतों में मिला दिये जाते है। वह लोग जो पिकनिक और कैपिंग के लिये जाते है, उनके द्वारा भी प्लास्टिक बोतलो और पैकटो के द्वारा प्लास्टिक प्रदूषण फैलाया जाता है।

यह सब नदीयों और समुद्रों में पहुंच जाता है, जिससे समुद्री जीवो के लिये एक गंभीर संकट उत्पन्न हो जाता है, क्योकि निरीह जीवो द्वारा इन प्लास्टिको को अपना भोजन समझकर खा लिया जाता है। जिससे मछलियों, कछुओं और अन्य समुद्री जीवो के स्वास्थ्य पर गंभीर संकट उत्पन्न हो जाता है। प्रतिवर्ष कई समुद्री जीव प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या इस से अपनी जान गवा बैठते है और शोधकर्ताओं का दावा है कि आने वाले समय में इस संख्या में और इजाफा होने वाला है।

प्लास्टिक प्रदूषणः मानव और पशुओं के लिये एक खतरा

समुद्री जीवो की तरह ही, छुट्टा पशुओ द्वारा भी कूड़े में इधर-उधर बिखरे प्लास्टिक को भोजन समझकर खा लिया जाता है। कई बार इन पशुओं द्वारा काफी ज्यादे मात्रा में प्लास्टिक में खा लिया जाता है जोकि उनके आंतो में फंस जाता है, जिससे की उनकी मृत्यु हो जाती है। प्लास्टिक का कचरा समय बितने के साथ ही और भी ज्यादे खराब होता जाता है, जिससे यह मच्छर, मख्खियों, और दुसरे किड़ो के पनपने लिये एक अच्छा निवास स्थान बन जाता है, जोकि विभिन्न प्रकार के बिमारियों का कारण बनती है।

प्लास्टिक से उत्पन्न हुआ कचरा हमारे नदियों तथा पानी पीने के अन्य स्रोतों को भी दूषित कर रहा है। प्लास्टिक प्रदूषण के कारण हमारे पीने के पानी की गुणवत्ता दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है, जिसेस इस पानी को पीने के कारण कई सारी बिमारीयां उत्पन्न हो रही है।

प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिये सामूहिक प्रयास

प्लास्टिक पदार्थो का निस्तारण करना काफी चुनौतिपूर्ण कार्य है। जब प्लास्टिक का कचरा लैंडफिलो या पानी के स्रोतों में पहुंच जाता है तब यह एक गंभीर संकट बन जाता है। लकड़ी और कागज की तरह हम इसका दहन करके भी इसे समाप्त नही कर सकते। क्योंकि प्लास्टिक के दहन से इससे कई सारी हानिकारक गैसे उत्पन्न होती है, जोकि पृथ्वी के वातावरण और जनजीवन के लिये काफी हानिकारक हैं। इस वजह से प्लास्टिक वायु, जल तथा भूमि तीनो तरह के प्रदूषण फैलाता है।

हम चाहे जितना भी प्रयास कर ले परन्तु प्लास्टिक उत्पादो के उपयोग को पूर्ण रुप से बंद नही कर सकते पर हम चाहे तो निश्चित रुप से इसके उपयोग को कम जरुर कर सकते है। प्लास्टिक से बने कई उत्पाद जैसे कि प्लास्टिक बैग, डिब्बे, ग्लास, बोतल, आदि की जगह हम आसनी से पर्यावरण के अनुकूल अन्य उत्पादो जैसे कि कपड़े, पेपर बैग, स्टील से बने बर्तनो और अन्य चीजो का उपयोग कर सकते है।

प्लास्टिक प्रदूषण को नियंत्रित करना मात्र सरकार की जिम्मेदारी नही है और वास्तव में अकेले सरकार इस विषय में कुछ कर भी नही सकती है। एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य है कि प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने में हम भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे।

पिछले कुछ दशको में प्लास्टिक प्रदूषण का स्तर काफी तेजी से बढ़ा है, जोकि एक गंभीर चिंता का विषय है। हमारे द्वारा प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग को रोककर ही इस भयावह समस्या पर काबू पाया जा सकता है। हममे से हर एक व्यक्ति को इस समस्या के निवारण के लिये आगे आना होगा। और इसे रोकने में अपना बहूमुल्य योगदान देना होगा।

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Hindi Essay on “Pradushan – Samasya Aur Samadhan” , ”प्रदुषण – समस्या और समाधान” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

प्रदुषण – समस्या और समाधान

Pradushan – Samasya Aur Samadhan

प्रस्तावना- वर्तमान समय में प्रदुषण ने एक भयानक रूप धारण किया हुआ है। आज देश के कोने-कोने में प्रदुषण फैलाव बढता जा रहा है जिसके कारण हजारों व्यक्ति बीमारी का शिकार हो रहे है। घनी आबादी वाले शहरों में स्वस्थ अॅक्सीजन मिलना कठिन हो रहा है, जिसकी वजह से श्वास व ह्रदय रोग बढ रहे है।

सामान्यतः प्रदूषण की समस्या मूल रूप से आधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों के द्वारा अन्धाधुन्ध मशीनीकरण और औद्योगीकरण की ही देन है। देश की राजधानी दिल्ली दुनिया का तीसरा सर्वाधिक प्रदूषित नगर है। प्रदूषण का अर्थ

प्रदूषण वायु, जल एवं स्थल की भौतिक, रासायनिक और जैविक विशेषताओं में होनेवाला वह अवांछनीय परिवर्तन है जो मनुष्य और उसके लिए लाभदायक दूसरे जन्तुओं, पौधों, औद्योगिक संस्थानों तथा दूसरे कच्चे माल इत्यादि को किसी भी रूप में हानि पहुंचाता है।

प्रदुषण के प्रकार

विकसित और अविकासशील सभी देशों में विभिन्न प्रकार के प्रदूषण विद्यमान है। इनमें से कुछ इस प्रकार है- (1) वायु प्रदूषण- वायु प्रदूषण का मनुष्य के स्वास्थ्य पर विशेष प्रभाव पडता है। वायु में प्रदूषण कारखानों के वाहनों और घरों के चुल्हों से निकले धुएं से फैलता है। इसके कारण फेफडों के कैंसर, दमा, आंखों के रोग, आदि जन्म लेते है। इसी प्रकार प्रदूषित वायु एग्जीमा तथा मुहांसे आदि रोग उत्पन्न करती है।

(2) जल प्रदूषण- सभी जीव-जन्तुओं के लिए जल का बहुत महत्व है। जल के बिना जीव-जन्तु जीवित नहीं रह सकते। इसके लिए जल स्वच्छ और दोषरहित होना चाहिए। नगरों में धरती के अन्दर बने सीवर का जल भी अक्सर नदियों में गिराया जाता है, जिससे पानी दूषित, विषाक्त होकर जीवनरहित हो जाता है। ये जमीन के अन्दर जाकर भूमिगत जल को प्रदूषित करते है।

(3) ध्वनी प्रदूषण- अनेक प्रकार के वहन, स्कूटर, मोटरसाइकिल, कार, जेट विमान, लाउडस्पीकर, बाजे, टैªक्टर एवं कारखानों के रसायन विभिन्न प्रकार की मशीनों आदि से ध्वनी प्रदूषण उत्पन्न होता है। ध्वनी प्रदूषण का सबसे अधिक प्रकोप शहरों व मुख्य राजमार्गों पर दिखाई पडता है। अधिक ध्वनी की वजह से हजारों व्यक्ति अपने सुनने की क्षमता खो बैठते है या कम सुनने लगते है। ध्वनी प्रदूषण से बेचानी, घबराहट और तन्मयता में बाधा पडती है। इससे दिमांगी सन्तुलन बिगडने और दिल की बीमारियां बढने का खतरा पैदा होता है।

(4) रेडियोधर्मी प्रदूषण- आज विश्व के सभी विकसित और विकासशील देशों में परमाणु विस्फोट और वेज्ञानिक परीक्षण हो रहे हैं। प्रदूषण के ये भी बहुत बडे कारण हैं, परमाणु शक्ति, उत्पादन केन्द्रों और परमाणु परीक्षण के फलस्वरूप् जल, वायु और पृथ्वी का प्रदूषण निरन्तर बढता ही जा रहा है। यह प्रदूषण केवल आज की पीढी के लिए ही नहीं वरन् आने वाली पीढी के लिए भी खतरनाक है। इस पर पाबन्दी लगाना सबसे बडी समस्या है, क्योंकि हथियारों और वैज्ञानिक क्षमता से लैस होने की होड में हर देश आगे बढना चाहता है। इस होड को रोकने के उपाय अभी कारगर नहीं हो पाये है।

प्रदूषण की समस्या का समाधान

प्रदूषण की समस्या को समाप्त करने के लिए सरकार द्वारा अनेक प्रयास किये गये है। इस समस्या को रोकने के लिए हमारी सरकार ने विभिन्न नियम एवं कानून बनाये है। आइए पहले उन पर ही विचार करें- (1) पुराने वाहनों से निकलने वाले धुएं को चेक करवाना। (2) नए लाइसेन्स दिये जाने से पुर्व उन्हे औद्योगिक कचरे के निस्ताकरण की समुचित व्यवस्था तथा पर्यावरण विशेषज्ञों से स्वीकृत कराना। (3) वनों की अनियन्त्रित कटाई को रोकने के लिए कठोर नियम बनाया जाना। (4) कारखानों को नगरो के बाहर विस्थापित किया जाना। (5) आठ वर्षो से पुराने व्यापारिक वहनों के चलाने नर रोक लगाया जाना।

उपसंहार- सरकार द्वारा प्रदूषण की समस्या से छुटकारा दिलवाने के लिए ही सम्भव प्रयास किया जा रहा हैं। इसके लिए आज जनता को भी जागरूक होने की आवश्यकता है तभी हम इस भयानक समस्या से मुक्त हो सकते हैं। सिर्फ सरकार के प्रयास, नागरिक इसके प्रति जागरूक नहीं होगा। जागरूक होने के लिए पहली आवश्यकता इस बात की है कि हम अपने घर का कुडा-कचरा इधर-उधर न फेंक कर ऐसी उचित जगह फैंके जहां से सरकारी तौर पर उसके जल्द उठाये जाने की व्यवस्था हो। कुडे-कचरे का सडना भी वायु प्रदूषण का कारण बनता है।

पाॅलिथिन का बढता चलन, प्रदूषण का एक नया कारण है। पाॅलिथिन में सामान बिक्री पर पाबन्दी लगानी चाहिये। पाॅलिथिन अन्य प्रकार के कचरे के मुकाबले बहुत देर से जमीन में दबने के बाद गलती है। यह नाले-नालियों में एकत्र होकर पानी के बहाव को रोकती है। नदियों और समुद्र में जल प्रदूषण की समस्या को जन्म देती है। जब तक इसके प्रयोग पर सरकारी तौर पर पाबन्दी लगे, हमें चाहिये की पाॅलिथिन प्रयोग कर इसे इधर-उधर फंेकने के बनाय एकत्र करके या तो खुले वातावरण में जला दें या फिर कूडे के साथ इसे इस तरह डाल दें कि यह इधर-उधर उडने न पाये।

रेडियोधर्मी प्रदूषण से बचने के लिए यू0एन0ओ0 तथा विश्व स्वास्थ्य संगठनों को रेडियोधर्मी प्रयोग को सीमित करने के नियम बनाकर उन पर कडाई से पालन कराये जाने चाहियें।  

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