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पंडित जवाहरलाल नेहरू की जीवनी

Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

आज़ादी के लिये लड़ने वाले और संघर्ष करने वाले मुख्य महापुरुषों में से जवाहरलाल नेहरु एक थे। उन्हें हम पंडित जवाहरलाल नेहरु –  Pandit Jawaharlal Nehru  या चाचा नेहरु – Chacha Nehru के नाम से जाने जाते थे। जिन्होंने अपने भाषणों से लोगो का दिल जीत लिया था। इसी वजह से वे आज़ाद भारत के सबसे पहले प्रधानमंत्री भी बने। इस महान महापुरुष के जीवन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी।

पंडित जवाहरलाल नेहरू की जीवनी – Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

पंडित जवाहर लाल नेहरू के बारेमें – Jawaharlal Nehru Information in Hindi

पंडित जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय – jawaharlal nehru history in hindi.

“विफलता तभी मिलती है, जब हम अपने आदर्शों, उद्देश्यों और सिद्धांतों को भूल जाते हैं।”

आदर्शवादी, और सिधान्तिक छवि के महानायक थे पंडित जवाहरलाल नेहरू उनका मानना था कि जो इंसान अपने उद्देश्य, सिद्धांत और आदर्शों को भूल जाते हैं तो उन्हें सफलता हाथ नहीं लगती।

पंडित जवाहर लाल नेहरू एक ऐसे राजनेता थे जिन्होनें अपने व्यक्तित्व का प्रकाश हर किसी के जीवन पर डाला है। यही नहीं पंडित नेहरू एक समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतान्त्रिक गणतन्त्र के वास्तुकार भी माने जाते थे।

पंडित नेहरू को आधुनिक भारत का शिल्पकार भी कहा जाता था। उन्हें बच्चों से अत्याधिक लगाव था इसलिए बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कहकर बुलाते थे। इसलिए उनके जन्मदिन को भी “ बालदिवस – Children’s Day ” के रूप में मनाया जाता है।

Jawaharlal Nehru Photo

उनका कहना था कि

“नागरिकता देश की सेवा में निहित होती हैं ।”

इसी सोच के बल पर उन्हें आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ। इसके साथ ही वे एक आदर्शवादी और महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होनें गुलाम भारत को आजाद दिलवाने में महात्मा गांधी का साथ दिया था।

नेहरू जी में देशभक्ति की भावना शुरु से ही थी साथ ही उनके जीवन से कई सीख सीखने को मिलती है वे सभी के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत हैं।

पंडित जवाहर लाल नेहरू का शुरुआती जीवन – Jawaharlal Nehru Early Life

महान लेखक, विचारक और कुशल राजनेता जवाहर लाल नेहरू ने कश्मीरी ब्राहाण परिवार में 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में जन्म लिया था। पंडित नेहरू के पिता का नाम पंडित मोतीलाल नेहरू था जो कि मशहूर बैरिस्टर औऱ समाजसेवी थे और उनकी माता का नाम श्रीमती स्वरूप रानी था। जो कि कश्मीरी ब्राहाण परिवार से तालुक्कात रखती थी।

जवाहर लाल नेहरू के तीन भाई-बहन थे जिसमें नेहरू जी सबसे बड़े थे। नेहरू जी की बड़ी बहन का नाम विजया लक्ष्मी था जो कि बाद में संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष बनी जबकि उनकी छोटी बहन का नाम कृष्णा हठीसिंग था जो कि एक अच्छी और प्रभावशाली लेखिका था।

उन्होनें अपने भाई पंडित नेहरू के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कई किताबें भी लिखी थी।

आपको बता दें कि पंडित नेहरू जन्म से ही तेज दिमाग के और ओजस्वी महापुरुष थे। वे जिससे भी एक बार मिल लेते थे वह उनसे प्रभावित हो जाता था। इसी कारण वे बड़े होकर एक कुशल राजनेता, आदर्शवादी, विचारक और महान लेखक भी बने।

कश्मीरी पंडित समुदाय के साथ उनके मूल की वजह से उन्हें पंडित नेहरू के नाम से भी पुकारा जाता था।

पंडित जवाहर लाल नेहरू की आरंभिक शिक्षा- Jawaharlal Nehru Education

उनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई थी जबकि पंडित नेहरू ने दुनिया के मशहूर स्कूलों और यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त की थी। 15 साल की उम्र में 1905 में नेहरू जी को इंग्लैंड के हैरो स्कूल में पढ़ाई के लिए भेजा गया।

लॉ की पढ़ाई

2 साल तक हैरो में रहने के बाद जवाहर लाल नेहरू ने लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज से लॉ में एडमिशन लिया। इसके बाद उन्होनें कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से कानून शास्त्र की पढ़ाई पूरी की।

कैम्ब्रिज छोड़ने के बाद लंदन के इनर टेंपल में 2 साल पूरा करने के बाद उन्होंने वकालत की पढ़ाई पूरी की।

आपको बता दें कि 7 साल में इंग्लैण्ड में रहकर इन्होनें फैबियन समाजवाद एवं आयरिश राष्ट्रवाद की जानकारी भी हासिल की। वहीं 1912 में वे भारत लौटे और वकालत शुरु की।

नेहरू जी का विवाह और बेटी इंदिरा गांधी का जन्म – Jawaharlal Nehru Marriage and Indira Gandhi Birth

Jawaharlal Nehru Image

भारत लौटने के 4 साल बाद 1916 में पं जवाहर लाल नेहरू जी का विवाह कमला कौर के साथ हुआ। कमला कौर दिल्ली में बसे कश्मीरी परिवार से तालुक्कात रखती थी।

1917 में उन्होनें इंदिरा प्रियदर्शिनी को जन्म दिया जो कि भारत के प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनी। जिन्हें हम इंदिरा गांधी के नाम से जानते हैं।

महात्मा गांधी के संपर्क में आए पंडित नेहरू ( राजनीति में प्रवेश ) – Jawaharlal Nehru Political Career

जवाहर लाल नेहरू 1917 में होमरूल लीग‎ – Indian Home Rule movement में शामिल हो गए। इसके 2 साल बाद 1919 में वे राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश कर गए। तभी उनका परिचय महात्मा गांधी से हुआ।

आपको बता दें कि ये वो दौर था जब महात्मा गांधी ने रौलेट अधिनियम – Rowlatt Act के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था। नेहरू जी, महात्मा गांधी जी के शांतिपूर्ण सविनय अवज्ञा आंदोलन से काफी प्रभावित हुए।

वे गांधी जी को अपना आदर्श मानने लगे यहां तक की नेहरू जी ने विदेशी वस्तुओं का त्याग कर दिया और खादी को अपना लिया इसके बाद उन्होनें 1920-1922 के गांधी जी के असहयोग आंदोलन में भी साथ दिया इस दौरान उन्हें गिरफ्तार भी किया गया।

‘पूर्ण स्वराज्य’ की मांग (राजनैतिक जीवन) – Jawaharlal Nehru Political Life

Jawaharlal Nehru Picture

पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 1926 से 1928 तक, अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव के रूप में सेवा भी की। कांग्रेस के वार्षिक सत्र का आयोजन साल 1928-29 में किया गया जिसकी अध्यक्षता उनके पिता मोतीलाल नेहरू ने की।

उस सत्र के दौरान पंडित नेहरू और सुभाष चंद्र बोस ने पूरी राजनीतिक स्वतंत्रता की मांग का समर्थन किया था जबकि मोतीलाल नेहरू और अन्य नेता ब्रिटिश शासन के अंदर ही प्रभुत्व संपन्न राज्य चाहते थे। दिसम्बर 1929 में, लाहौर में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन का आयोजन किया गया।

जिसमें जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष चुने गए। इसी सत्र के दौरान एक प्रस्ताव भी पारित किया गया जिसमें ‘पूर्ण स्वराज्य’ की मांग की गई।

26 जनवरी 1930 ( राजनीतिक सफर में संघर्ष ) – Jawaharlal Nehru Political Career after Republic Day

26 जनवरी 1930 को लाहौर में जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्र भारत का झंडा फहराया। इस दौरान महात्मा गांधी ने में सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की थी। इस आंदोलन में सफलता हासिल हुई इसके साथ ही इस शांतिपूर्ण आंदोलन ने ब्रिटिश शासको को राजनीति में परिवर्तन लाने पर मजबूर कर दिया।

अब तक नेहरू जी को राजनीति का खासा ज्ञान प्राप्त हो चुका था और उन्होनें राजनीति में अपनी अच्छी पकड़ बना ली थी। इसके बाद 1936 और 1937 में जवाहर लाल नेहरू को कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुना गया था।

यही नहीं उन्हें 1942 में महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गिरफ्तार भी किया गया था और 1945 में वे जेल से रिहा किए गए थे। यही नहीं नेहरू जी ने गुलाम भारत को आजाद करवाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

साल 1947 में आजादी के समय उन्होंने अंग्रेजी सरकार के साथ हुई वार्तालाप में भी अपनी अहम भूमिका निभाई है। इसके बाद से उनकी देशवासियों के सामने एक अलग छवि बनती गई और वे देशवासियों के लिए आदर्श बने गए।

महात्मा गांधी के काफी करीबी थे पंडित नेहरू

कहा जाता है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू गांधी जी के काफी करीबी दोस्त थे दोनों में पारिवारिक संबंध भी काफी अच्छे थे। ये भी कहा जाता है कि महात्मा गांधी के कहने पर ही पंडित नेहरू को देश का पहला प्रधानमंत्री बनाया गया था।

वहीं पंडित नेहरू महात्मा गांधी जी के विचारों से काफी प्रभावित थे। पंडित नेहरू को महात्मा गांधी जी के शांतिपूर्ण आंदोलन से एक नई सीख और ऊर्जा मिलती थी यही वजह है कि वे गांधी जी के संपर्क में आने के बाद उनके हर आंदोलन में उनका साथ देते थे लेकिन नेहरू जी का राजनीति के प्रति धर्मनिरपेक्ष रवैया महात्मा गांधी जी के धार्मिक और पारंपरिक नजरिए से थोड़ा अलग था।

दरअसल गांधी जी प्राचीन भारत के गौरव पर बल देते थे जबकि नेहरू जी आधुनिक विचारधारा के थे।

भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में जवाहर लाल नेहरू – India First Prime Minister

साल 1947 जब गुलामी से आजादी मिली थी। देशवासी आजाद भारत में सांस ले रहे थे इसी वक्त देश की तरक्की के लिए लोकतांत्रिक व्यवस्था भी बनानी थी।

इसलिए देश में पहली बार प्रधानमंत्री के चुनाव हुए थे जिसमें कांग्रेस से प्रधानमंत्री के दावेदारी के लिए चुनाव किेए गए जिसमें लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल और आचार्य कृपलानी को ज्यादा वोट मिले थे।

लेकिन गांधी जी के कहने पर पंडित जवाहर लाल नेहरू को देश का प्रथम प्रधानमंत्री बनाया गया इसके बाद पंडित नेहरू ने लगातार तीन बार प्रधानमंत्री पद पर रहे और भारत की तरक्की के लिए प्रयासरत रहे।

प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए पंडित नेहरू ने देश के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण काम किए इसके साथ ही उन्होनें मजबूत राष्ट्र की नींव रखी और भारत को आर्थिक रूप से मजबूती भी देने में अहम भूमिका निभाई। इसके साथ ही उन्होनें भारत में विज्ञान और प्रोद्योगिकी के विकास को भी प्रोत्साहित किया।

आपको बता दें कि पंडित नेहरू आधुनिक भारत के पक्षधर थे इसलिए उन्होनें आधुनिक सोच पर भारत की मजबूत नींव का निर्माण किया और शांति एवं संगठन के लिए गुट-निरपेक्ष आंदोलन की रचना की। इसके साथ ही उन्होनें कोरियाई युद्ध, स्वेज नहर विवाद सुलझाने और कांगो समझौते में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

जवाहर लाल नेहरू को मिले हुए सर्वोच्च सम्मान – Jawaharlal Nehru Award

जवाहर लाल नेहरू ने भारतवासियों के मन में जाातिवाद का भाव मिटाने और निर्धनों की सहायता करने के लिए जागरूकता पैदा की इसके साथ ही उन्होनें लोगों में लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति सम्मान पैदा करने का काम भी किया।

इसके अलावा उन्होनें संपत्ति के मामले में विधवाओं को पुरुषों के बराबर हक दिलवाने समेत कई अनेक काम किए।

इसके अलावा भी नेहरू जी का पश्चिम बर्लिन, ऑस्ट्रिया और लाओस के जैसे कई अन्य विस्फोटक मुद्दों के समाधान में समेत कई समझौते और युद्ध में महत्वपूर्ण योगदान रहा। जिसके लिए उन्हें 1955 में सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

लेखक के रूप में पंडित जवाहर लाल नेहरू – Jawaharlal Nehru as a Writer

पंडित जवाहर लाल नेहरू की एक अच्छे राजनेता और प्रभावशाली वक्ता ही नहीं बल्कि वे अच्छे लेखक भी थे। उनकी कलम से लिखा हुआ हर एक शब्द सामने वाले पर गहरा असर डालता था इसके साथ ही लोग उनकी किताबें पढ़ने के लिए काफी उत्साहित रहते थे। उनकी आत्मकथा 1936 में प्रकाशित की गई थी।

पंडित जवाहरलाल नेहरू की क़िताबे – Jawaharlal Nehru Books

  • भारत और विश्व
  • सोवियत रूस
  • विश्व इतिहास की एक झलक
  • भारत की एकता और स्वतंत्रता
  • दुनिया के इतिहास का ओझरता दर्शन (1939) (Glimpses Of World History)

लोकप्रिय किताब डिस्कवरी ऑफ इंडिया (Discovery of India)

Discovery of India (डिस्कवरी ऑफ इंडिया) जिसको उन्होनें 1944 में अप्रैल-सितंबर के बीच अहमदनगर की जेल में लिखा था। इस किताब को पंडित नेहरू ने अंग्रेजी भाषा में लिखा था इसके बाद इस पुस्तक का हिंदी समेत कई भाषाओं में अनुवाद किया गया।

आपको बता दें इस किताब में नेहरू जी ने सिंधु घाटी सभ्‍यता से लेकर भारत की आज़ादी और भारत की संस्‍कृति, धर्म और संघर्ष का वर्णन किया है।

पंडित जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु ( 27 मई 1964 मृत्यु ) – Jawaharlal Nehru Death

पंडित जवाहर लाल नेहरू का चीन के साथ संघर्ष के थोड़े वक्त बाद भी स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। इसके बाद उन्हें 27 मई 1964 में दिल का दौरा पड़ा और वे इस दुनिया से हमेशा के लिए चल बसे।

पंडित जवाहर लाल नेहरू अपना प्यार बच्चों पर ही नहीं लुटाते थे बल्कि वे अपने देश के लिए भी समर्पित थे।

जवाहर लाल नेहरू राजनीति का वो चमकता सितारा थे जिनके ईर्द-गिर्द भारतीय राजनीति का पूरा सिलसिला घूमता है उन्होनें भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बनकर भारत देश को गौरन्वित किया है इसके साथ ही उन्होनें भारत की मजबूत नींव का निर्माण किया और शांति एवं संगठन के लिए गुट-निरपेक्ष आंदोलन की रचना की स्वाधीनता संग्राम के योद्धा के रूप में वह यशस्वी थे और आधुनिक भारत के निर्माण के लिए उनका योगदान अभूतपूर्व था।

पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के विचार – Jawaharlal Nehru slogans in Hindi

  • नागरिकता देश की सेवा में निहित है।
  • संस्कृति मन और आत्मा का विस्तार है।
  • असफलता तभी आती है जब हम अपने आदर्श, उद्देश्य, और सिद्धांत भूल जाते हैं।
  • दूसरों के अनुभवों से लाभ उठाने वाला बुद्धिमान होता है।
  • लोकतंत्र और समाजवाद लक्ष्य पाने के साधन है, स्वयम में लक्ष्य नहीं।
  • लोगों की कला उनके दिमाग का सही दर्पण है।

पंडित जवाहरलाल नेहरू की खास बातें – Important things of Pandit Jawaharlal Nehru

  • पंडित नेहरू को आधुनिक भारत का शिल्पकार कहा जाता है।
  • पंडित नेहरु के जन्मदिन 14 नवम्बर को ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

पंडित जवाहर लाल नेहरु के नाम सड़कें, स्कूल, यूनिवर्सिटी और हॉस्पिटल – Pandit Jawaharlal Nehru’s legacy

महापुरुष की मृत्यु भारत के लिए बड़ी क्षति थी इससे सम्पूर्ण देशवासियों को गहरा दुख पहुंचा था क्योकिं उन्होनें अपने अच्छे व्यक्तित्व की छाप हर किसी पर छोड़ी थी। वे लोकप्रिय राजनेता थे वहीं उनके कुर्बानियों और योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

इसलिए उनकी याद में कई सड़क मार्ग, जवाहर लाल नेहरु स्कूल, जवाहर लाल नेहरु टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी , जवाहरलाल नेहरु कैंसर हॉस्पिटल आदि को बनाने की शुरुआत की गई।

पंडित जवाहर लाल नेहरू के मुख्य उद्देश्य उनके प्रधानमंत्री के कार्यकाल में लोकतांत्रिक परंपराओं को मजबूत करना, राष्ट्र और संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को स्थायी भाव प्रदान करना और योजनाओं के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को सुचारु करना थे।

इन्हीं संकल्पों और उद्देश्यों ने उन्हें महान पुरुष बनाया जो कि सभी के लिए प्रेरणादायी हैं।

Next Page पर एक नजर में जवाहरलाल नेहरु की जानकारी…

73 thoughts on “पंडित जवाहरलाल नेहरू की जीवनी”

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Nice article about nehru ji.

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श्री जवाहर लाल नेहरू

श्री जवाहर लाल नेहरू

पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने घर पर निजी शिक्षकों से प्राप्त की। पंद्रह साल की उम्र में वे इंग्लैंड चले गए और हैरो में दो साल रहने के बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया जहाँ से उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। 1912 में भारत लौटने के बाद वे सीधे राजनीति से जुड़ गए। यहाँ तक कि छात्र जीवन के दौरान भी वे विदेशी हुकूमत के अधीन देशों के स्वतंत्रता संघर्ष में रुचि रखते थे। उन्होंने आयरलैंड में हुए सिनफेन आंदोलन में गहरी रुचि ली थी। उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अनिवार्य रूप से शामिल होना पड़ा।

1912 में उन्होंने एक प्रतिनिधि के रूप में बांकीपुर सम्मेलन में भाग लिया एवं 1919 में इलाहाबाद के होम रूल लीग के सचिव बने। 1916 में वे महात्मा गांधी से पहली बार मिले जिनसे वे काफी प्रेरित हुए। उन्होंने 1920 में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में पहले किसान मार्च का आयोजन किया। 1920-22 के असहयोग आंदोलन के सिलसिले में उन्हें दो बार जेल भी जाना पड़ा।

पंडित नेहरू सितंबर 1923 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव बने। उन्होंने 1926 में इटली, स्विट्जरलैंड, इंग्लैंड, बेल्जियम, जर्मनी एवं रूस का दौरा किया। बेल्जियम में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक आधिकारिक प्रतिनिधि के रूप में ब्रुसेल्स में दीन देशों के सम्मेलन में भाग लिया। उन्होंने 1927 में मास्को में अक्तूबर समाजवादी क्रांति की दसवीं वर्षगांठ समारोह में भाग लिया। इससे पहले 1926 में, मद्रास कांग्रेस में कांग्रेस को आजादी के लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध करने में नेहरू की एक महत्वपूर्ण भूमिका थी। 1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन के खिलाफ एक जुलूस का नेतृत्व करते हुए उन पर लाठी चार्ज किया गया था। 29 अगस्त 1928 को उन्होंने सर्वदलीय सम्मेलन में भाग लिया एवं वे उनलोगों में से एक थे जिन्होंने भारतीय संवैधानिक सुधार की नेहरू रिपोर्ट पर अपने हस्ताक्षर किये थे। इस रिपोर्ट का नाम उनके पिता श्री मोतीलाल नेहरू के नाम पर रखा गया था। उसी वर्ष उन्होंने ‘भारतीय स्वतंत्रता लीग’ की स्थापना की एवं इसके महासचिव बने। इस लीग का मूल उद्देश्य भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से पूर्णतः अलग करना था।

1929 में पंडित नेहरू भारतीय राष्ट्रीय सम्मेलन के लाहौर सत्र के अध्यक्ष चुने गए जिसका मुख्य लक्ष्य देश के लिए पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करना था। उन्हें 1930-35 के दौरान नमक सत्याग्रह एवं कांग्रेस के अन्य आंदोलनों के कारण कई बार जेल जाना पड़ा। उन्होंने 14 फ़रवरी 1935 को अल्मोड़ा जेल में अपनी ‘आत्मकथा’ का लेखन कार्य पूर्ण किया। रिहाई के बाद वे अपनी बीमार पत्नी को देखने के लिए स्विट्जरलैंड गए एवं उन्होंने फरवरी-मार्च, 1936 में लंदन का दौरा किया। उन्होंने जुलाई 1938 में स्पेन का भी दौरा किया जब वहां गृह युद्ध चल रहा था। द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने से कुछ समय पहले वे चीन के दौरे पर भी गए।

पंडित नेहरू ने भारत को युद्ध में भाग लेने के लिए मजबूर करने का विरोध करते हुए व्यक्तिगत सत्याग्रह किया, जिसके कारण 31 अक्टूबर 1940 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें दिसंबर 1941 में अन्य नेताओं के साथ जेल से मुक्त कर दिया गया। 7 अगस्त 1942 को मुंबई में हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में पंडित नेहरू ने ऐतिहासिक संकल्प ‘भारत छोड़ो’ को कार्यान्वित करने का लक्ष्य निर्धारित किया। 8 अगस्त 1942 को उन्हें अन्य नेताओं के साथ गिरफ्तार कर अहमदनगर किला ले जाया गया। यह अंतिम मौका था जब उन्हें जेल जाना पड़ा एवं इसी बार उन्हें सबसे लंबे समय तक जेल में समय बिताना पड़ा। अपने पूर्ण जीवन में वे नौ बार जेल गए। जनवरी 1945 में अपनी रिहाई के बाद उन्होंने राजद्रोह का आरोप झेल रहे आईएनए के अधिकारियों एवं व्यक्तियों का कानूनी बचाव किया। मार्च 1946 में पंडित नेहरू ने दक्षिण-पूर्व एशिया का दौरा किया। 6 जुलाई 1946 को वे चौथी बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए एवं फिर 1951 से 1954 तक तीन और बार वे इस पद के लिए चुने गए।

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प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय

» पंडित जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय «

इसे पढ़े: जीवन में सफलता प्राप्त करने के 3 अद्भुत तरीके

प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय

14 नवम्बर 1889 नेहरू जी का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। पिता मोतीलाल नेहरू और माता स्वरूप रानी नेहरू थे। इनके पिता जी मशहुर बैरिस्टर और समाजवादी थे।

नेहरू जी इकलौते बेटे थे और तीन बहने भी थी। उन्होंने देश-विदेश के नामी विद्यालयों एवं महाविद्यालयों से शिक्षा प्राप्त की थी और इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से कानून शास्त्र में पारंगत हुए।

7 वर्ष इंग्लैंड में रहकर फैबियन समाजवाद एवं आयरिश राष्ट्रवाद की जानकारी विकसित की।

नेहरू जी भारत के सबसे पहले प्रधानमंत्री थे। उनके जन्मदिन को ही बाल दिवस के रूप में देशभर में मनाया जाता है । जवाहरलाल नेहरू जी का जीवन भी अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की तरह रहा है।

कहां जाता है कि उन्हें बच्चों से बहुत प्यार था। जिस कारण बच्चे उन्हें प्यार से चाचा जी कहा करते थे। महात्मा गांधी जी उन्हें अपना शिष्य मानते थे। जवाहर लाल जी के अंदर अपने देश के लिए बहुत प्रेम था।

Biography of Jawaharlal Nehru in Hindi

Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

जवाहर लाल जी को पंडित क्यों कहा जाता था?

कश्मीरी पंडित समुदाय के साथ उनके मूल की वजह से वे पंडित नेहरू कहलाये जाते थे।

सन् 1941 में जवाहर लाल जी को स्वतंत्र भारत का प्रधानमंत्री बनने का प्रश्न सुलझ चुका था, वे भारत के सपनों को साकार करने के लिए चल पड़े और भारत के अधिनियम लागू होने के बाद उन्होंने आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सुधारों के लिए योजना बनाने लगे।

उन्होंने बहुवचनी दलीय को बनाए रखा और अंग्रेजी शासन से भारत को एक गणराज्य देश बना दिया। उन्होंने विदेश नीति में भारत को दक्षिण एशिया में एक क्षेत्रीय नायक के रूप में दिखाया और गैर-निरपेक्ष आन्दोलन में सबसे आगे रहे।

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नेहरू के शासन में कांग्रेस पार्टी 1951, 1957, 1962 के चुनाव लगातार जीतते रहे और 1962 के चीनी-भारत युद्ध में उनके नेतृत्व को असफलता मिली।

Pandit Jawaharlal Nehru History in Hindi

  • सन्-1912: नेहरू जी भारत वापस आए और वकालत शुरू।
  • सन्-1916:  नेहरू जी की शादी “कमला नेहरू” जी के साथ हुई।
  • सन्-1917:   “होमरूल लीग” शामिल हुए।
  • सन्-1919: “ महात्मा गांधी “ जी से मिले और राजनीति में अपना योगदान दिया। जिस समय महात्मा गांधी जी ने रॉलेट एक्ट अधिनियम के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था।
  • सन्-(1920-1922): जवाहर लाल नेहरू ने भी असहयोग आन्दोलन में सहयोग दिया और गिरफ्तार भी हुए और कुछ दिनों के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।
  • सन्-1924:   “इलाहाबाद” के अध्यक्ष चुने गये और 2 साल तक कार्यकारी अधिकारी के रूप में काम किया। 1926 में ब्रिटिश अधिकारियों से सहायता न मिलने पर इस्तीफा दे दिया।
  • सन्-(1926-1928): जवाहर लाल नेहरू ने अखिल भारतीय कांग्रेस के नेता के रूप में कार्य किया।
  • सन्-(1928- 1929): मोतीलाल की अध्यक्षता में कांग्रेस का वार्षिक सत्र का आयोजन किया और तभी जवाहर लाल नेहरू और सुभाष चन्द्र बोस ने पूर्ण राजनीतिक की स्वतंत्रता की मांग की जबकि मोतीलाल नेहरू और अन्य नेताओं ने ब्रिटिश साम्राज्य के अन्दर ही संपन्न राज्य का दर्जा पाने की मांग की।

इन दोनों के बीच की बहस को गांधी जी ने हल निकालने के लिए कहा की ब्रिटेन को भारत के राज्य का दर्जा देने के लिए दो साल का समय दिया जायेगा और यदि ऐसा नहीं हुआ तो कांग्रेस स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करेगी।

नेहरू और बोस ने मांग की, कि इस समय को कम करके एक साल का कर दिया जाये जिस पर ब्रिटिश सरकार का कोई फैसला नहीं आया।

  • सन्-1929: दिसम्बर के महीने में कांग्रेस के अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू जी को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष चुना गया। तभी पूर्ण स्वराज की मांग भी की गयी थी। ये अधिवेशन लाहौर में हुआ था ।
  • 26 जनवरी 1930: जवाहर लाल नेहरू ने लाहौर में स्वतंत्र भारत का झंडा फहराया था। गांधी जी ने तभी 1930 में सविनय अवज्ञा नमक आन्दोलन की शुरुआत की ओर वो इतना सफल हुआ की ब्रिटिश को एक महत्वपूर्ण निर्णय के लिये मजबूर होना पड़ा।
  • सन्-1935 में: ब्रिटिश सरकार ने अधिनियम लागू करने का प्रस्ताव सामने रखा तो कांग्रेस ने चुनाव लड़ना ही सही समझा, नेहरू ने चुनाव के दौरान पार्टी का समर्थन चुनाव से बाहर रह कर ही किया। कांग्रेस हर प्रदेश में छा गयी और सबसे अधिक जगहों पर जीत हासिल की।
  • सन्-1936-1937: नेहरू जी को कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
  • सन्-1942: गांधी जी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आन्दोलन हुआ जिसमें जवाहर लाल नेहरू जी को जेल भी हुई और जिसके बाद उन्हें 1945 में जेल के बाहर आये।

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री कौन थे?

Pandit Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

सन् 1947 में भारत को आजादी मिल गयी थी। तब बात ये हुई की प्रधानमंत्री के लिए कांग्रेस में मतदान हुआ तो सरदार पटेल को सबसे ज्यादा मतदान मिले और उनके बाद सबसे ज्यादा मत आचार्य कृपलानी को मिले लेकिन गांधी जी के कहने पर सरदार पटेल और आचार्य कृपलानी ने अपना नाम वापस ले लिया और जवाहर लाल नेहरू जी को प्रधान मंत्री बनने दिया।

अंग्रेजों ने 500 देशी रियासतों को रिहा किया था। प्रधानमंत्री बनने के बाद उनके आगे सबसे बड़ी परेशानी आ गयी थी की आजाद लोगों को एक झंडे के सामने लाना और उन्होंने भारत को दोबारा बनाया और आगे आने वाली हर समस्या का सामना समझदारी के साथ किया।

जवाहर लाल नेहरू ने आधुनिक भारत के निर्माण में योगदान दिया। उन्होंने विज्ञान और प्रोद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहित किया। साथ में तीन लगातार पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारंभ किया।

उनके कारण व उनके निर्णयों व उनकी नीतियों की वजह से देश में कृषि व उद्योग की लहर आ गयी। नेहरू जी ने विदेशी नीति में एक अपनी भूमिका निभाई।

नेहरु जी ने एशिया और अफ्रीका में उपनिवेशवाद को खत्म करने के लिए जोसिप ब्रोज़ टिटो और अब्दुल गमाल नासिर के साथ मिलकर एक गुट निरपेक्ष आन्दोलन की रचना की। उन्होंने अपना योगदान कोरियाई युद्ध का अंत करने, स्वेज नहर विवाद सुलझाने और कांगो समझौते को अन्य समस्याओं को सुलझाने में दिया।

जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार

पंडित जवाहर लाल नेहरू को वर्ष 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

पंडित जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु कब और कैसे हुई?

Jawaharlal Nehru and Gandhiji

»नेहरू जी ने पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के रिश्तों को सुलझाने की भी कोशिश की मगर असफल रहे।

»पाकिस्तान कहता है कि कश्मीर हमारा है और जब चीन से दोस्ती की बात करो तो वो सीमा विवाद आगे कर देता है। जिस कारण नेहरू जी ने एक बार चीन से मित्रता के लिए हाथ भी बढ़ाया लेकिन 1962 में चीन ने मौके का फायदा उठा कर धोखे से आक्रमण कर दिया।

»नेहरू जी को इस बात का बहुत बड़ा झटका लगा और लोगों का कहाँ था की हो सकता है इस झटके के कारण ही उनकी मृत्यु हुई हो।

»27 मई 1964 को जवाहरलाल नेहरू को दिल का दौरा पड़ा जिसमें उनकी मृत्यु हो गई।

जवाहरलाल नेहरू के नाम सड़कें, स्कूल, यूनिवर्सिटी और हॉस्पिटल क्यों बनाये गए?

Jawaharlal Nehru Original Photo

उनकी मृत्यु होने से भारत को बहुत बड़ी चोट पहुंची थी। जवाहरलाल नेहरू जी सबके लोकप्रिय थे उन्होंने देश के लिए जो भी किया वो बहुत ही कीमती था उन्हें भुलाया नहीं जा सकता था।

जिस कारण उनकी याद में देश के महान नेताओं ने व स्वतंत्रता सेनानियों ने उन्हें हर पल याद रखने के लिए सड़के मार्ग, जवाहर लाल नेहरू स्कूल, जवाहर लाल नेहरु टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी, जवाहरलाल नेहरु कैंसर हॉस्पिटल आदि को बनाने की शुरुआत की गयी।

Pandit Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

(जवाहर लाल नेहरू जी पर आलोचना – श्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय)

पंडित जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु कब और कैसे हुई

गांधी जी ने जब सरदार वल्लभ भाई पटेल की जगह जवाहर लाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया तो बहुत लोगों में क्रोध जाग उठा।

बहुत लोगों का ये सोचना था की नेहरू जी ने अन्य भारत के स्वतंत्रता सेनानियों की तुलना में योगदान कम दिया था और फिर भी गांधी जी ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाया और तो और जब कांग्रेस के अध्यक्ष बनने की बात आजादी से पहले हुई थी तो ये कहा गया था की जो भी कांग्रेस का अध्यक्ष बनेगा वही आजाद भारत का पहला प्रधानमंत्री बनेगा।

तब भी गांधी जी ने प्रदेश कांग्रेस समितियों के प्रस्ताव अनदेखा करते हुए बातों को न मानते हुए नेहरू जी को अध्यक्ष बनाने की कोशिशें की।

नेहरू के प्रधानमंत्री बनने पर लोगों ने कहा की गांधी जी ने नेहरू को प्रधानमंत्री बनवाया है और जरूर गांधी जी उनसे वो काम करवा पाएंगे जिन्हें वो खुद करना चाहते थे और कर न सके लेकिन सच्चाई ये नहीं थी।

ये बात किसी और ने नहीं बल्कि उनके साथ एक टीम के तौर पे काम करने वाले जयप्रकाश नारायण जी 1978 में आई किताब “गाँधी टुडे” में कहा था.

जयप्रकाश, नेहरू के काफी नजदीक थे और उनके मित्र भी थे और उनकी कही बातों पर विश्वास भी किया जा सकता है। इसके बावजूद भी जयप्रकश ने नेहरू के बनाये मॉडल की कमियों को उजागर किया था।

List of Prime Ministers of India From 1947 To 2020

10 lines on pandit jawaharlal nehru essay in hindi.

जवाहरलाल नेहरू पर निबंध:  पंडित जवाहर लाल नेहरू (14 नवंबर 1889-27 मई 1964)

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 इलाहाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनका जन्मदिन प्रत्येक वर्ष बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था, जो एक धनाढ्य परिवार के थे और माता का नाम स्वरूपरानी था। उनके पिता पेशे से वकील थे।

जवाहरलाल नेहरू उनके इकलौते पुत्र थे और 3 पुत्रियां थी। नेहरू जी को बच्चों से बड़ा स्नेह और लगाव था और वे बच्चों को देश का भावी निर्माता मानते थे।

जवाहरलाल नेहरू को दुनिया के बेहतरीन स्कूलों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिला था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हैरो और कॉलेज की शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज, लंदन से पूरी की थी।

उन्होंने अपनी लॉ की डिग्री कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की। हैरो और कैम्ब्रिज में पढ़ाई कर 1912 में नेहरू जी ने बार-एट-लॉ की उपाधि ग्रहण की और वे बार में बुलाए गए।

जवाहर लाल नेहरू शुरू से ही गांधी जी से प्रभावित रहे और 1912 में कांग्रेस से जुड़े। 1920 के प्रतापगढ़ के पहले किसान मोर्चे को संगठित करने का श्रेय उन्हीं को जाता है।

1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन के विरोध में नेहरू घायल हुए और 1930 के नमक आंदोलन में गिरफ्तार भी हुए। उन्होंने 6 माह जेल काटी।

1935 में अल्मोड़ा जेल में “आत्मकथा” लिखी। उन्होंने कुल 9 बार जेल यात्राएं कीं। उन्होंने विश्वभ्रमण किया और अंतरराष्ट्रीय नायक के रूप में पहचाने गए।

सन् 1947 में भारत को आजादी मिलने पर जब भावी प्रधानमंत्री के लिए कांग्रेस में मतदान हुआ तो सरदार वल्लभभाई पटेल और आचार्य कृपलानी को सर्वाधिक मत मिले थे। किंतु महात्मा गांधी के कहने पर दोनों ने अपना नाम वापस ले लिया और जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया गया।

पंडित जवाहरलाल नेहरू 1947 में स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। आजादी के पहले गठित अंतरिम सरकार में और आजादी के बाद 1947 में भारत के प्रधानमंत्री बने और 27 मई 1964 को उनके निधन तक इस पद पर बने रहे।

नेहरू पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंधों में सुधार नहीं कर पाए। उन्होंने चीन की तरफ मित्रता का हाथ भी बढ़ाया, लेकिन 1962 में चीन ने धोखे से आक्रमण कर दिया।

चीन का आक्रमण जवाहरलाल नेहरू के लिए एक बड़ा झटका था और शायद इसी वजह से उनकी मौत भी हुई। जवाहरलाल नेहरू को 27 मई 1964 को दिल का दौरा पडा़ जिसमें उनकी मृत्यु हो गई।

“स्वाधीनता और स्वाधीनता की लड़ाई को चलाने के लिए की जाने वाली कार्रवाई का खास प्रस्ताव तो करीब-करीब एकमत से पास हो गया। …खास प्रस्ताव इत्तफाक से 31 दिसंबर की आधी रात के घंटे की चोट के साथ, जबकि पिछला साल गुजरकर उसकी जगह नया साल आ रहा था, मंजूर हुआ।” -लाहौर अधिवेशन में स्वतंत्रता प्रस्ताव पारित होने के बारे में नेहरू की “मेरी कहानी” से।

Pandit Jawaharlal Nehru Speech in Hindi

  • जवाहरलाल नेहरू पर भाषण

आप सभी को मेरा नमस्कार, मैं आज आपको जवाहर लाल नेहरू के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताने जा रहा/रही हूं और उम्मीद करता/करती हूं की यह आप सबको अवश्य पसंद आएगा।

पंडित जवाहर लाल नेहरू जी का जन्म 14 नवम्बर सन् 1889 को इलाहाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था। उस समय भारत पर ब्रिटीशियों का राज था और तब भारत गुलाम था। उनके पिता का नाम श्री मोतीलाल नेहरू और माता का श्रीमती स्वरूपरानी थुस्सू था। वे एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे।

उन्होने कैम्ब्रिज, लंदन के ट्रिनिटी से उच्च शिक्षा प्राप्त की और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अपनी लॉ की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वे भारत आ गये और भारत के स्वतंत्रता की क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और जिसके लिए उन्हे कई बार जेल भी जाना पड़ा।

देश को आजाद कराने में उनकी बहुत अहम भूमिका रही थी। उन्हें छोटे बच्चों से बहुत लगाव था और बच्चे प्यार से उन्हे चाचा नेहरू बुलाते थे और इसलिये उनके जन्मदिन ‘14 नवम्बर’ को बाल दिवस के रूप में भी मनाते हैं।

जैल के दौरान नेहरू जी ने “भारत की खोज” नमक पुस्तक भी लिखी थी जिसे दुनिया भरा में बहुत ही प्रतिष्ठा मिली है|

नेहरू जी को बहुत ही अच्छा प्रधानमंत्री कहा जाता है। इनका विवाह “कमला कौल” से हुआ था और इनकी पुत्री का नाम इंदिरा गांधी (पूर्व प्रधानमंत्री) था। वे एक बहुत अच्छे लेखक भी थे। इनकी कुछ प्रमुख पुस्तकें हैं, मेरी कहानी, विश्व इतिहास की झलक, भारत की खोज हिन्दुस्तान की कहानी आदि।

इन्हे बच्चों से बहुत लगाव था, इसलिये इनके जन्म दिवस को ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

जवाहर लाल नेहरू एक महान शख्सियत के साथ एक महान व्यक्ति भी थे और उनके भारतीय इतिहास में अपने अतुल्य योगदान के लिये भारत रत्न से भी नवाजा जा चुका है और इन्हे आज भी याद किया जाता है।

FAQs on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi

Question. Who is the first prime minister of India to be born after independence?

Answer. नरेंद्र मोदी (17 सितंबर 1950) भारत के स्वतंत्रता के बाद पैदा होने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं। अन्य सभी पूर्व प्रधान मंत्री भारत की स्वतंत्रता से पहले पैदा हुए थे।

Question. Who is the first prime minister of India?

Answer. जवाहरलाल नेहरू

Question. Pandit Jawaharlal Nehru Wife Name

Answer. पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की पत्नी का नाम “कमला कौल” था।

Question. Pandit Jawaharlal Nehru Birthday

Answer. पंडित जवाहर लाल नेहरू जी का जन्म 14 नवम्बर सन् 1889 को हुआ था।

Question. When was born Pandit Jawaharlal Nehru?

Answer. इलाहाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था।

Question. What is Nehru famous for?

Answer. जवाहर लाल नेहरू एक महान शख्सियत के साथ एक महान व्यक्ति भी थे और उनके भारतीय इतिहास में अपने अतुल्य योगदान के लिये भारत रत्न से भी नवाजा जा चुका है। नेहरू जी का भारत की आजादी में बहुत ही बड़ा योगदान था उन्होने प्रधानमंत्री बन कर भारत की सेवा भी की थी।

Question. How did Pandit Nehru die?

Answer. नेहरू पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंधों में सुधार नहीं कर पाए। पाकिस्तान के साथ एक समझौते तक पहुंचने में कश्मीर मुद्दा और चीन के साथ मित्रता में सीमा विवाद रास्ते के पत्थर साबित हुए।

नेहरू ने चीन की तरफ मित्रता का हाथ भी बढाया, लेकिन 1962 में चीन ने धोखे से आक्रमण कर दिया। नेहरू के लिए यह एक बड़ा झटका था और शायद / किंचित उनकी मौत भी इसी कारण हुई। 27 मई 1964 को जवाहरलाल नेहरू को दिल का दौरा पड़ा जिसमें उनकी मृत्यु हो गयी।

Question. Is Nehru a Brahmin?

Answer. नेहरू जी कश्मीरी पंडित थे।

पंडित जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय का यह लेख यही समाप्त होता है।  पंडित जवाहर लाल नेहरु की जीवनी को पढ़ने के लिए धन्यवाद

अगर आपको इस विषय से सम्बन्धित या जवाहरलाल नेहरू जीवनी (चाचा नेहरू) के विषय में कुछ बोलना है तो आप कमेंट के माध्यम से बोल सकते हो। अथवा इस लेख को आप फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप्प पर शेयर भी कर सकते हो।

अन्य जीवन परिचय⇓

पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय

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पंडित जवाहरलाल नेहरू की जीवनी Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

पंडित जवाहरलाल नेहरू की जीवनी Jawaharlal Nehru Biography in Hindi – भारत की राजनीति के शिखर पुरुष जिनका नाम पंडित जवाहरलाल नेहरू  था.

वे स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे तथा जीवन पर्यन्त वे इस पद पर बने रहे. देश के सबसे बड़े नेता होने के बावजूद उनका दिल बच्चों जैसा था.

वे बच्चों के बिच बेहद लोकप्रिय हुए, यही वजह है की पंडित नेहरू का जन्मदिन हम हर साल राष्ट्रीय बाल दिवस के रूप में मनाते हैं उन्हें चाचा नेहरू के उपनाम से संबोधित किया जाता हैं.

ऐसे ही जीवंत नेता एवं हमारे प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जीवन परिचय जीवनी  में आज हम उनके जीवन के बारे में संक्षिप्त में जानते हैं.

जवाहरलाल नेहरू की जीवनी Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

पंडित जवाहरलाल नेहरू की जीवनी Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

नेहरु जी का जन्म 14 नवम्बर, 1889 के दिन उत्तरप्रदेश के इलाहबाद में एक सुविधा सम्पन्न ब्राह्मण परिवार में हुआ था. इनके पिताजी का नाम मोतीलाल नेहरु था, जो अपने समय के बेहतरीन वकील थे.

इनकी माता का नाम स्वरूप देवी नेहरू था. पण्डित जवाहरलाल नेहरू ने  ट्रिनि टी कॉलेज, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, इनर टेंपल से पढ़ाई कर वकालत के पेशे को चुना वो एक महान लेखक एवं भविष्यद्रष्टा राजनेता थे.

इनका विवाह कमला नेहरू के साथ हुआ, इनके एक बेटी भी थी जिनका नाम इंदिरा गाँधी था जो बाद में भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री भी बनी, इन्ही से नेहरू गाँधी का भारतीय राजनीती पर वर्चस्व आरम्भ हुआ जो आज तक कायम हैं.

1912 में नेहरू इंग्लैंड से वकालत की पढ़ाई पूरी कर भारत लौटे तथा इस समय उन्होंने अपना काफी वक्त कोर्ट में भी गुजारा. इसके बाद ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य चुने गये थे.

जब रोलेट एक्ट के विरुद्ध महात्मा गाँधी ने 1921 में सविनय अवज्ञा आंदोलन छेड़ा तो नेहरू की पहली बार महात्मा गांधी से मुलाक़ात हुई.

अंग्रेज प्रशासनिक भारत में सबसे बड़े नेता गांधीजी के जीवन की सादगी से वे बेहद प्रभावित हुए तथा उनके बाद के जीवन पर इसका व्यापक असर देखा जा सकता हैं.

उन्होंने ऐशों आराम की जिन्दगी की बजाय भारत की स्वतंत्रता के लिए गांधीजी के सत्य एवं अहिंसा के सिद्धांतों पर चलकर भारत को पूर्ण स्वराज्य दिलाने का संकल्प किया.

923 में वह कांग्रेस के महासचिव नियुक्त किये गये और 1929, 1939 और 1946 में तथा 1951 से 1954 तक नेहरू जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर भी रहे.

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में नेहरू जी का योगदान महत्वपूर्ण था. 1929 के लाहौर अधिवेशन में इन्ही की अध्यक्षता में कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य का अधिनियम पारित किया था.

उन्हें अंग्रेज सरकार विरोधी कार्यों के लिए कुल 9 बार जेल भी जाना पड़ा. अपने जीवन के 10 वर्ष इन्होने जेल में ही बिताएं.

भारत शासन अधिनियम के तहत इन्ही के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने भारत के कई प्रान्तों में बड़े बहुमत के साथ विजय पाई थी. 15 अगस्त को जब भारत आजाद हुआ तो 1946 की अंतरिम सरकार द्वारा उन्हें ही प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था.

स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में नेहरू जी ने पहली बार 14-15 अगस्त 1947 को लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराया, एक अद्वितीय भाषण दिया था . नेहरू जी 1946 से अपने जीवन पर्यन्त 1964 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे.

पंडित जवाहरलाल नेहरू के विचार ( thoughts of jawaharlal nehru)

महात्मा गाँधी नेहरूजी के राजनितिक गुरु थे, उनके सत्य एवं अहिंसा के सिद्धांतों में नेहरू का अटूट विश्वास था. महात्मा गांधी ने अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी भी नेहरू को ही बनाया था,

उनका मानना था कि आज के विश्व में शांति के लिए अहिंसा के विचारों का पनपना जरुरी हैं, जो भारत के लिहाज से नेहरू से बेहतर कोई विकल्प नही हैं.

विश्व शांति एवं सद्भाव नेहरू जी के सोच के मुख्य स्तम्भ थे, वे अपने देश के प्रति भी अटूट श्रद्धा रखते थे. एक बार उन्होंने अपने भाषण में कहा था मेरी मृत्यु हो जाने के बाद मेरी बची हुई अस्थियों को भारत के खेतों में बिखेर दिया जाए,

अपनी माटी मातृभूमि से अगाध प्रेम करने वाले इस व्यक्ति की देशभक्ति का कयास इसी घटना से लगाया जा सकता हैं.

सच्चे मानवतावादी सोच के नेता होने के साथ साथ वे विश्व में साम्राज्यवाद तथा उपनिवेशवाद के प्रबल विरोधी थे. उन्होंने विभिन्न उपनिवेशिक राष्ट्रों के साथ मिलकर विश्व राजनीती के तीसरे धुर्व अर्थात गुटनिरपेक्षता को जन्म दिया.

वे विश्व के किसी भी हिस्से में होने वाले उदारवादी आंदोलन का समर्थन करते थे. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ जैसे संगठन की स्थापना एवं निष्पक्ष रूप से कार्य करने पर जोर दिया. उन्होंने हमेशा विश्व के अलग अलग देशों के मध्य शांति स्थापना के लिए मध्यस्था की भूमिका अदा की.

नेहरू जी भारत में आर्थिक सुधारों के प्रबल समर्थक थे, अपने परम मित्र देश से उन्होंने पंचवर्षीय योजना का मॉडल भारत में अपनाया, जो आज भी जारी हैं, वे समाजवादी नीति के समर्थक थे.

भारत में आर्थिक नियोजन के लिए समाजवादी ढाँचे को अपनाने की सोच इन्ही की थी. भारत के प्रधानमंत्री के रूप में इन्होने कृषि तथा उद्योग पर विशेष रूप से ध्यान दिया तथा विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के द्वारा भारत में उद्योगों का जाल बिछाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की.

वे हर क्षेत्र में सूचना प्रोद्योगिकी तथा तकनीक के उपयोग को बढ़ाने के समर्थक थे. वे भारतीय विज्ञान कांग्रेस के अध्यक्ष भी चुने गये थे.

उनकी दूरदर्शिता उनके भाषणों एव व्यक्तव्यों तथा उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकों में भी देखने को मिलती हैं. 17 वर्ष तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करने वाले नेहरू का विदेश नीति पर भी गहरा प्रभाव था.

चीन व पाकिस्तान के प्रति उनकी नीति के कारण आज भी उनकी आलोचना की जाती हैं. चीन द्वारा नेहरू जी को धोखा देकर 1962 में किया गया हमला संभवत उनकी सबसे बड़ी राजनितिक हार थी.

वे इस सदमे से उबर नही पाए थे. इसी धोखे ने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री की जान ले ली थी.कश्मीर रियासत के विषय को संयुक्त राष्ट्र संघ के पटल पर ले जाना उनके कार्यकाल की दूसरी बड़ी चुक थी, जिसकी भरपाई भारत आज तक नही कर पाया हैं.

स्वाभाविक है इतने लम्बे समय तक देश के महत्वपूर्ण पद पर कार्य करते हुए उनसे भी कुछ गलतियाँ हुई थी. मगर वे भारतीय जनता एवं खासकर बच्चों के लिए आदर के स्रोत थे. आज भी बहुत से युवा नेहरू को अपने आदर्श राजनेता के रूप में मानते हैं.

जवाहरलाल नेहरू को भारत रत्न (Jawaharlal Nehru Awards)

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू जी को सबसे बड़ा नागरिक सम्मान भारत रत्न 1955 में दिया गया था. इसके अलावा उन्हें कई बड़े राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से भी नवाजा गया था.

जवाहरलाल नेहरू की पुस्तकें (Jawaharlal Nehru Books)

पुत्री के नाम – 1929, जवाहरलाल नेहरू वाङ्मय, विश्व इतिहास की झलक, राजनीति से दूर, इतिहास के महापुरुष,  राष्ट्रपिता,  मेरी कहानी, भारत की खोज ये कुछ इन पुस्तकों के नाम है जिन्हें पंडित नेहरू के द्वारा लिखा गया हैं.

पिता का पुत्री के नाम यह एक पत्र संकलन था जो नेहरू जी द्वारा जेल में रहते हुए अपनी बेटी इंदिरा को लिखे गये थे. इसके अलावा भारत की खोज उनकी सबसे लोकप्रिय रचना मानी जाती हैं.

जवाहरलाल नेहरू जी की मृत्यु (Death of Jawaharlal Nehru)

27 मई, 1964 का वो दिन था जब भारतमाता ने अपने सच्चे सपूत को खो दिया था, उनकी मृत्यु का कारण हार्ड अटैक बताया जाता हैं. मगर इसकी असली वजह चीन का धोखा था जो उन्हें 1962 में मिला था.

नेहरू की का जन्म दिन बाल दिवस

चाचा नेहरू का जन्मदिन हर साल 14 नवम्बर को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता हैं. इस दिन स्कूल के बच्चे सजधज कर स्कूल जाते है

वे बाल दिवस पर भाषण निबंध आ दि की तैयारी करते है तथा पंडित जवाहरलाल नेहरू पर कविता निबंध उनका जीवन परिचय , उनके विचारों को आम जनता तक पहुचाया जाता हैं.

  • जवाहरलाल नेहरू पर निबंध
  • चिल्ड्रन डे पर शायरी हिंदी में
  • बाल दिवस पर निबंध

उम्मीद करता हूँ दोस्तों पंडित जवाहरलाल नेहरू की जीवनी Jawaharlal Nehru Biography in Hindi का यह लेख आपको पसंद आया होगा.

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जवाहरलाल नेहरु की जीवनी – jawaharlal-nehru Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको जवाहरलाल नेहरु की जीवनी – jawaharlal-nehru Biography Hindi के बारे में बताएंगे।

जवाहरलाल नेहरू की जीवनी

जवाहरलाल नेहरू, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे और स्वतंत्रता के पूर्व और बाद की भारतीय राजनीति में केंद्रीय व्यक्तित्व है।

महात्मा गांधी के संरक्षण में, भी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सर्वोच्च नेता के रूप में उभरे और उन्होंने 1947 में भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापना से लेकर 1964 तक अपने निधन के समय तक उन्होंने शासन किया . भारत के स्वतंत्रता में उनका बहुत बड़ा योगदान है।

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 में इलाहाबाद में हुआ था।

उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू और माता का नाम स्वरूपरानी था।

उनका पूरा नाम पंडित जवाहरलाल नेहरू था।

उनके पिता जवाहरलाल नेहरू उनके इकलौते पुत्र और 3 पुत्रियां थी।

जवाहरलाल नेहरू को बच्चो से बढ़ा ही लगाव था और वे बच्चों को देश का भावी निर्माता मानते थे।

1916 में उनकी शादी कमला नेहरू से हुई।

1917 में इनके घर में एक बेटी ने जन्म लिया जिसका नाम प्रियदर्शनी रखा गया।

जो कि भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनी। जिन्हें हम इंदिरा गांधी के नाम से जानते हैं।

शिक्षा – जवाहरलाल नेहरु की जीवनी

नेहरू को दुनिया के बेहतरीन स्कूलों और विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिला था।

उन्होने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हैरो कॉलेज की शिक्षा ट्रिनिट लंदन से पूरी की।

उन्होने लॉ की डिग्री कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की।

हैरो और लंदन के बीच में पढ़ाई करके 1912 में नेहरू जी ने बार-एट-लॉ की उपाधि ग्रहण की और वह बार में बुलाए गए। इंग्लैंड दोनों ने 7 साल बिताए जिसमें वहां के फैबियन समाजवाद और आयरिश राष्ट्रवाद के लिए एक तर्कसंगत दृष्टिकोण विकसित किया.

योगदानऔर संघर्ष

  • नेहरू जी शुरू से ही गांधी जी से प्रभावित रहे और 1912 में कांग्रेस से जुड़े। 1920 के प्रतापगढ़ के पहले किसान मोर्चा को संगठित करने में उनका बहुत बड़ा योगदान था। 1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन के विरोध में नेहरू घायल हुए.
  • 1930 के नमक आंदोलन में गिरफ्तार हुए।  उन 6 महीनों तक जेल काटी।
  • जवाहरलाल नेहरू 6 बार कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर लाहौर 1929, 1936 में लखनऊ, फैजपुर1937,1951 में दिल्ली, हैदराबाद 1953 और कल्याणी 1954 को सुशोभित किया।
  • 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में नेहरू जी 9 अगस्त 1942 को मुंबई में गिरफ्तार हुए और अहमदनगर जेल में रहे। वहां से 15 जून 1945 को उन्हें रिहा कर दिया गया।
  • 1947 में भारत की आजादी मिलने पर जब भावी प्रधानमंत्री के लिए कांग्रेस में मतदान शुरू हुआ तो सरदार वल्लभभाई पटेल और आचार्य कृपलानी को सबसे अधिक वोट मिले थे। लेकिन महात्मा गांधी के कहने पर दोनों ने अपना नाम वापस ले लिया और जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया गया।
  • पंडित जवाहरलाल नेहरू 1947 में स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने।
  • नेहरू पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंधों में सुधार नहीं कर पाए। उन्होंने चीन की तरफ मित्रता का हाथ भी बढ़ाया, लेकिन 1962 में चीन ने धोखे से आक्रमण कर दिया। चीन का आक्रमण जवाहरलाल नेहरू के लिए एक बड़ा झटका था ।

जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखी गई किताबें

पंडित जवाहरलाल नेहरू एक अच्छे नेता और प्रभावशाली वक्ता ही नहीं बल्कि वह एक अच्छे लेखक भी थे।

उनकी कलम के द्वारा लिखा हुआ हर एक शब्द सामने वाले पर गहरा असर डालता था।

इसके साथ साथ ही उनके किताबें पढ़ने के लिए काफी उत्साहित रहते थे।

उनके द्वारा लिखी गई आत्मकथा पुस्तक 1936 में प्रकाशित की गई थी।

इसके साथ-साथ उन्होंने कई अन्य किताब भी लिखी उनके नाम इस प्रकार हैं-

  • भारत और विश्व
  • भारत की एकता और स्वतंत्रता
  • दुनिया के इतिहास का  ओझरता दर्शन 1939
  • विश्व इतिहास की एक झलक।
  • डिस्कवरी ऑफ इंडिया- इस किताब को नेहरू ने 1944 में अहमदनगर जेल में लिखा था।  स किताब में पंडित नेहरू ने अंग्रेजी भाषा भाषा का प्रयोग किया था। इसके बाद में इस पुस्तक का हिंदी समेत कई अन्य भाषाओं में भी अनुवाद किया गया। इस किताब में नेहरू जी ने सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर भारत की आजादी और भारत की संस्कृति, धर्म और संघर्ष का वर्णन किया है।

चार्ली चैप्लिन की जीवनी- Charlie Chaplin Biography Hindi

  • जवाहरलाल नेहरू ने संपत्ति के मामले में विधवाओं को पुरुषों के बराबर हक दिलवाने इसके समेत अनेक कार्य किए।
  • नेहरू ने भारतीयों के मन में जातिवाद के भाव को मिटाने और निर्धनों की सहायता करने के लिए जागरूकता पैदा की और इसके साथ ही उन्होंने लोगों में लोकतांत्रिक मूल्यों के सम्मान पैदा करने का कार्य किया।
  • पंडित नेहरू जी का पश्चिमी बर्लिन, ऑस्ट्रिया और लाओस के जैसे कई अन्य विस्फोटक मुद्दों के समस्याओं के समाधान समेत कई समझौते और युद्ध में महत्वपूर्ण योगदान रहा था। जिसके लिए उन्हें 1955 में सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया।

मृत्यु – जवाहरलाल नेहरु की जीवनी

चीन के साथ हुए युद्ध के थोड़े वक्त बाद ही जवाहरलाल नेहरू का स्वास्थ्य बिगड़ गया।

इसके बाद मई 1964 को दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई।

जवाहरलाल जैसे महापुरुष की मृत्यु के बाद भारत के देशवासियों को बहुत गहरा दुख पहुंचा था क्योंकि उन्होंने अपने अच्छे व्यक्तित्व की छाप हर किसी पर छोड़ी थी।  वह एक लोकप्रिय राजनेता थे वहीं उनकी कुर्बानी और योग दानों को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। इस लिए उनकी याद में कई सड़कें, जवाहरलाल नेहरू स्कूल, जवाहरलाल नेहरू टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी, जवाहरलाल नेहरू कैंसर हॉस्पिटल इत्यादि को बनाने की शुरुआत की गई।

इसे भी पढ़े – निकोलस रोरिक की जीवनी – Nicholas Roerick Biography Hindi

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पंडित जवाहरलाल नेहरु का जीवन परिचय Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

पंडित जवाहरलाल नेहरु का जीवन परिचय Jawaharlal Nehru Biography in Hindi (चाचा नेहरु की जीवनी)

इस लेख में आप (चाचा नेहरु) पंडित जवाहरलाल नेहरु जीवनी (Jawaharlal Nehru Biography in Hindi) आप पढेंगे। इसमें आप नेहरु जी के इतिहास और जयंती के विषय में पूरी जानकारी पढेंगे।

पंडित जवाहर लाल नेहरु जिन्हें बच्चे आज भी चाचा नेहरु के नाम से जानते हैं, वह एक महान नेता थे। वह नेता होने के साथ-साथ एक महान व्यक्ति भी थे जिनका भारत की आजादी में बहुत अहम योगदान रहा। उन्हें स्वतंत्र भारत का प्रथम प्रधानमंत्री चुना गया था। नेहरु जी के जन्म दिवस 14 नवम्बर को प्रतिवर्ष बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

वो लोगों के दिल में बसते थे और अपने महान कार्यों के कारण आज भी बसे हुए हैं। उन्हें गरीब दीन-दुखी लोग अपना भगवान मानते थे। उनके इस उदार भाव और लोगों के प्रति प्रेम के कारण पुरे विश्व भर में उनका नाम प्रसिद्ध है।

पढ़ें: बाल दिवस पर निबंध व भाषण

Table of Content

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा Early Life and Education

पंडित जवाहरलाल नेहरु जी का जन्म 14 नवम्बर, 1889 को प्रयाग, अल्लाहाबाद में पिता पंडित मोतीलाल नेहरु के घर में हुआ। उनके पिता एक प्रसिद्ध वकील थे। उनके पिता ने उनकी प्रारंभिक शिक्षा का प्रबंध उनके घर पर किया था।

जवाहरलाल नेहरु जी को उनके पिताजी मोतीलाल नेहरु जी ने 15 वर्ष की आयु में इंग्लैंड के हैरो स्कूल और कैंब्रिज विश्वविद्यालय में दाखिला कराया। उसके बाद सन 1912 को नेहरु जी अपनी वकालत की पढाई पूरी कर के वापस लौटे।

अपने पढाई के दौरान इंग्लैंड में चाचा नेहरु के मन में आज़ादी और देश प्रेम की भावना जागृत हुई। उनके दिन में भारत को स्वतंत्र देखने की तड़प सी जाग गयी। उसके बाद उन्होंने भारत में अपनी वकालत शुरू की परन्तु उसमें उनका मन नहीं लगा क्योंकि वह अपने देश को आज़ाद देखना चाहते थे। सन 1915 में उनका विवाह कमला जी से हुआ।

जवाहरलाल राजनीति जीवन Political Life

सन 1919 के रॉलेट एक्ट और अमृतसर के दुख भरे जलियावाला बाग़ हत्याकांड के बाद नेहरु जी स्वयं को रोक ना सके और वे भी अपने पिताजी मोतीलाल नेहरु जी और अन्य बड़े राजनीतिक नेताओं के साथ मिल कर राजनितिक क्षेत्र में कूद पड़े।

सितम्बर 1920 से 1922 के बिच महात्मा गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन में भी पं. जवाहरलाल नेहरु जी ने भाग लिया। असहयोग आन्दोलन के कारण नेहरु जी को जेल भी जाना पड़ा।

उसके बाद सन 1929 को लाहौर के कांग्रेस अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरु को कांग्रेस का मुख्य चुना गया। 26 जनवरी को उन्होंने रावी नदी के किनारे तिरंगा झंडे को लहरते हुए उस दिन को पूर्ण स्वतंत्रता पाने का ऐलान किया।

सन 1942 में नेहरु जी ने अंग्रेजों-भारत छोड़ो का नारा उठाया जो बात ब्रिटिश सरकार को पसंद न आई और उन्होंने उनको जेल में डाल दिया। उनके इस बहादुरी के कार्यों ने पुरे भारत वर्ष में स्वतंत्रता के लिए लड़ने की एक आग सी फैला दी। दूसरी तरफ ब्रिटिश सरकार की अंतर्राष्ट्रीय हालत भी बिगड़ चुकी थी जिसके कारन वह धीरे-धीरे पीछे हटने लगे थे।

पढ़ें: जवाहरलाल नेहरु के 30 तथ्य

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में पंडित जवाहरलाल नेहरु First Prime Minister of India – Pt. Jawaharlal Nehru

आखिरकार 15 अगस्त 1947 को उनके और भारत के महान स्वतंत्रता सेनानियों के कड़े परिश्रम और कई क्रांतिकारियों के बलिदान के बाद भारत आज़ाद हुआ। स्वतंत्रता के बाद नेहरु जी को भारत का प्रथम प्रधानमंत्री बनाया गया।

स्वतंत्रता के बाद यह उनके लिए बहुत ही मुश्किल का काम था क्योंकि ब्रिटिश शासन ने पुरे भारत की अर्थव्यवस्था को तहस नहस कर दिया था। तब भी दृढ़ता के साथ उन्होंने इस पद का कार्यभार संभाला।

आजादी के बाद उनके सामने कई प्रकार के मुश्किलों का सामना करना पड़ा। जैसे कभी कोई साम्राज्यवादी देशों का गुट भारत को साथ जोड़ने के लिए धमकियां दे रहा था तो कहीं प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़ की समस्या आ खड़ी होती थी। जगह-जगह मजदूर हड़ताल पर चले जाया करते थे। ब्रिटिश देश को लूट कर बस गरीबी और बेरोज़गारी को छोड़ गए थे।

ऐसे ही कई अन्य प्रकार की बड़ी मुश्किलों से ना घबराते हुए वो साहस के साथ अपना कार्य करते चले और इन सभी मुश्किलों को कई हद तक उन्होंने दूर किया और देश की बागडोर को संभाला। जवाहरलाल नेहरु ज़बरदस्त नेता थे।

उन्होंने सन 1962 के त्रितय निर्वाचन में पुरे भारत में जोर शोर से दौरा किया। उन्होंने पैदल, बस, रेल, हवाई जहाज हर माध्यम से दौरा करते हुआ भाषण दिए। वो भारत में जहाँ भी गए वहां लोगों द्वारा उनको सम्मान मिला।

वो एक महान लेखक भी थे। उन्होंने “आराम हराम है” का नारा लोगों के सामने रखते हुए लोगों को समझाया की देश को कैसे आगे ले कर जाना होगा। उन्होंने पुरे भारत के लोगों को शांति, सहयोग, और प्यार के रास्ते का पाठ पढाया। नेहरु जी ने भारत के विकास के लिए पंचवर्षीय योजना का निर्माण किया और “पंचशील” की स्थापना की गयी।

जवाहरलाल नेहरु जयंती के रूप में बाल दिवस का उतसव Celebration of Jawaharlal Nehru Jayanti as Children’s Day in Hindi

जवाहरलाल नेहरु जी बच्चों से बहुत प्रेम करते थे और बच्चे भी उनसे इसीलिए बच्चे उन्हें चाचा नेहरु के नाम से पुकारा करते थे और आज भी उन्हें इस नाम से सभी लोग जानते हैं। नेहरु जी बच्चों के कल्याण हेतु बहुत सोचते थे और उनके लिए सही आहार और जरूरतों का ख्याल रखने के समय-समय पर नयी योजनाओं की शुरू करते थे।

नेरु जी का यह भी मानना था की बच्चों को पौष्टिक आहार , और ज्यादा से ज्यादा अच्छी शिक्षा मिले जिससे की वह आने वाले वर्षों में देश को आगे लेकर जाएँ। इसलिए प्रतिवर्ष भारत में हम सभी उनको याद करते हुए सम्मान के साथ जवाहरलाल नेहरु जी के जन्म दिवस पर बाल दिवस (Children’s Day) का उत्सव मनाते हैं।

नेहरु प्रसिद्ध किताबें Books by Pt. Jawaharlal Nehru

उन्होंने कई भारत देश की शान बढ़ाते और ज्ञान से भरे हुए किताबें भी लिखी जैसे –

  • The Discovery of India
  • Hindustan Ki Kahani
  • Pita Ke Patra (Letters from Father to His Daughter in Hindi)
  • Glimpses of World History

मृत्यु Death

सन 1962 में अचानक से भारत के पडोसी देश चीन ने हमारे देश के ऊपर आक्रमण कर दिया। चीन ने जो किया उसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था क्योंकि चीन हमेशा भारत से मित्रता करने का दिखावा करता था। दिल्ली में 27 मई, 1964 को जवाहरलाल नेहरु जी की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने के कारण हुआ।

9 thoughts on “पंडित जवाहरलाल नेहरु का जीवन परिचय Jawaharlal Nehru Biography in Hindi”

A lot of thanks for your unite. I want to read and like also programme all.

Nice p. Jawaharlal nehru

बहुत ही ज्ञानपूर्ण आर्टिकल था

Beautiful story to our patriotism

Thanking you…and so Best story of pt. Jawaharlal nehru

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केंद्र एव राज्य की सरकारी योजनाओं की जानकारी in Hindi

पंडित जवाहर लाल नेहरू की जीवनी | Pandit Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

Pandit Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

Pandit Jawaharlal Nehru Biography in Hindi:- जवाहरलाल नेहरू आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे भारत की आजादी में उनका योगदान अतुल्य रहा था I 1947 में जब भारत को अंग्रेजों के 200 वर्षो की गुलामी के बाद आजादी मिली उस समय देश की बागडोर जवाहरलाल नेहरू ने अपने हाथों में लिया और भारत को पद के अवसर पर ले जाने का काम उन्होंने किया ऐसे में पंडित जवाहर नेहरू के जीवन के बारे में जानना आपके लिए आवश्यक है . जैसे पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय, शिक्षा, राजनीतिक सफर, परिवार ,उपलब्धियां, देश के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल कैसा रहा इसके बारे में अगर आप नहीं जानते हैं तो हम आपसे निवेदन करेंगे कि हमारे आर्टिकल पर आखिर तक बने रहे हैं चलिए शुरू करते हैं

सरदार वल्लभ भाई पटेल की जीवनी

Pandit Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

Pandit jawahar lal nehru jivani, पंडित नेहरू का प्रारम्भिक जीवन परिचय pandit jawaharlal nehru biography in hindi.

पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर अट्ठारह सौ नवासी को एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था इनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था जो एक मशहूर बैरिस्टर थे पंडित नेहरू का बचपन काफी शान शौकत में गुजरा उनके घर में किसी भी चीज की कमी नहीं थी उनके पिता भारतीय कांग्रेस पार्टी से जुड़े हुए थे I बचपन से ही इनके घर में राजनीतिक लोगों का आना जाना था इसके फल स्वरुप इनके ऊपर राजनीतिक प्रभाव बचपन काल से ही काफी अधिक प्रभावी रहा जिसके फलस्वरूप पंडित जवाहरलाल नेहरू दो बार देश के प्रधानमंत्री बने I पंडित नेहरू के तीन बहने थी I

पंडित जवाहर लाल नेहरू की शिक्षा Education of Pandit Jawaharlal Nehru

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने प्रारंभिक शिक्षा इलाहाबाद में स्थित प्राथमिक विद्यालय से पूरी की और जब उनकी उम्र 15 वर्ष हुई तो उनके स्कूली शिक्षा पूरी हो सके इसके लिए पिताजी ने उन्हें इंग्लैंड के हैरो स्कूल में भेज दिया। इसके पश्चात नेहरु जी ने अपने कॉलेज की शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज कैंब्रिज लंदन से पूरी की। इसके बाद उन्होंने लॉ में डिग्री हासिल करने के लिए कैंब्रिज विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। इंग्लैंड में नेहरु जी ने 7 साल व्यतीत किए  इंग्लैंड में लॉ की डिग्री हासिल करने के बाद नेहरू जी 1912 में भारत लौटे और वकालत शुरू की

परिवार family of Jawaharlal Nehru

पंडित जवाहरलाल नेहरू के परिवार के बारे में अगर हम चर्चा करें तो उनके परिवार में उनके पिता मोतीलाल नेहरू माता स्वरूपरानी नेहरु और उनके तीन बहने थी I 1916 में पंडित जवाहर नेहरू ने शादी की उनकी पत्नी का नाम कमला नेहरू था और 1917 में उनके घर एक लड़की का जन्म हुआ जिसका नाम उन्होंने इंदिरा रखा जो आगे चलकर देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनी I

राजनितिक सफ़र Political career

पंडित जवाहरलाल नेहरू के राजनीतिक सफर के बारे में अगर हम चर्चा करें तो 1912 में जब वह भारत है और आने के बाद यहां पर उन्होंने रजिस्टर की प्रैक्टिस शुरू की इसके बाद गांधी जी के संपर्क में 1919 में आए और उनसे बहुत ज्यादा प्रभावित हुए इसके बाद उन्होंने राजनीतिक में आने का फैसला किया और सक्रिय रूप से राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी में काम करने लगे I पंडित नेहरू गांधी जी को अपना गुरु मानते थे  I 1919 में गांधी जी ने रोलेट अधिनियम के खिलाफ मोर्चा संभाला गांधी जी के द्वारा संचालित सविनय अवज्ञा आंदोलन से नेहरू जी बहुत ज्यादा प्रभावित हुए और उन्होंने भी उस आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया

इसके लिए उन्होंने ब्रिटिश परिधान का त्याग किया और देसी कपड़े को पहनना उन्होंने शुरू किया 1920 से 1922 में जब गांधी जी ने देश में अशोक आंदोलन का बिगुल फूंका तो उसमें नेहरु जी ने बढ़ चढ़कर भाग लिया और पहली बार ऐसा हुआ कि नेहरू जी जेल गए इस वक्त गांधी जी को इस बात का एहसास हो गया कि आने वाले भविष्य में अगर भारत का नेतृत्व करने वाला कोई नेता है तो उसका नाम जवाहरलाल  1924 में इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष के रूप में 2 वर्षों तक शहर की सेवा की। 1926 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया। 1926 से 1928 गांधी जी अकेले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव बनाए गए

पंडित जवाहरलाल नेहरू की राजनीतिक उपलब्धियां

1928 में मोतीलाल नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी का वार्षिक सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें यह प्रस्ताव रखा गया कि भारत ब्रिटिश सरकार के अंतर्गत सरकार का संचालन करेगा लेकिन इस सम्मेलन में दो  का निर्माण हुआ पहले गुट में जवाहरलाल नेहरू और दूसरे गुट में सुभाष चंद्र बोस सुभाष चंद्र बोस की मांग की कि भारत को पूरी तरह से स्वतंत्र दिलाना ही हमारा मकसद है जिसके कारण इस सम्मेलन में काफी मनमुटाव की स्थिति उत्पन्न हो गई तो इसको देखते हुए गांधीजी ने बीच का रास्ता निकाला .

उन्हें कहा कि हम लोग ब्रिटिश सरकार को 2 साल का समय देंगे अगर उस दौरान भी सरकार ने हमें आजाद ना किया तो हम उनके खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़  देंगे गांधीजी के इस प्रस्ताव का सभी लोगों ने समर्थन किया लेकिन अंग्रेजों ने गांधी जी के इस प्रस्ताव पर कोई भी अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी और फिर 1930 में लाहौर का अधिवेशन हुआ जिसमें इस बात का फैसला हुआ कि हम लोग अंग्रेजों के खिलाफ सविनय अवज्ञा आंदोलन का बिगुल फूंका गया जिसके बाद 1935 में अंग्रेजों ने राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के द्वारा भारतीय अधिनियम कानून पारित किया I 

तब कांग्रेस ने चुनाव लड़ने का फैसला किया। नेहरू ने चुनाव के बाहर रहकर ही पार्टी का समर्थन किया। कांग्रेस ने हर प्रदेश में सरकार बनाई और सबसे अधिक जगहों पर जीत हासिल की। 1936 से 1937 में नेहरू जी की कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। 1942 में गांधी जी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन के बीच नेहरू जी को गिरफ्तार किया गया। जिसके बाद वह 1945 में जेल से बाहर आए। 1947 में भारत एवं पाकिस्तान की आजादी के समय नेहरु जी ने सरकार के साथ बातचीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उपलब्धियां  Achievement

अगर हम जवाहरलाल नेहरू के जीवन के उपलब्धियों के बारे में बात करें तो उ, 1924 में इलाहाबाद के नगर निगम के अध्यक्ष चुने गए और शहर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में उन्होंने काम किया 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन की अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू ने की थी, 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन की अध्यक्षता की और आजादी की मांग का प्रस्ताव पारित किया, 1936, 1937 और 1946 में कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए, स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने, गुट निरपेक्ष आंदोलन का शुभारंभ जवाहरलाल नेहरू के द्वारा किया गया था .

उन्होंने ही गुटनिरपेक्ष आयोग की स्थापना की थी इसके अलावा भारत के विकास के लिए उन्होंने पंचवर्षीय योजना का शुभारंभ किया इसके अलावा कृषि के क्षेत्र में किस प्रकार देश आत्मनिर्भर बनेगा उसके लिए भी उन्होंने लगातार काम किया उनके उपलब्धियों को शब्द के माध्यम से बयान करना असंभव है उनका जीवन  उपलब्धियों से भरा हुआ है I

देश के प्रथम प्रधान मंत्री के रूप में कार्यकाल

पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे जो शादी होने के बाद उन्होंने 1952 के आम चुनाव में भारी बहुमत से विजय हासिल की और उसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली I पंडित नेहरू जी ने 16 सालों तक देश की कमान प्रधानमंत्री के तौर पर संभाला इस दौरान भारत पाकिस्तान युद्ध 1947 जिसमें पाकिस्तान ने कश्मीर के ऊपर हमला कर कश्मीर को कब्जा करने की कोशिश की उस युद्ध में भारत ने इनके नेतृत्व में जीत हासिल की जब से महात्मा गांधी ने नेहरू को लाहौर में कांग्रेस अधिवेशन के अध्यक्ष के रूप में चुना तब से जवाहर लाल नेहरू का प्रधानमंत्री बनना यह तय था।

वोटो की संख्या कम होने के बाद गांधी जी ने जवाहर लाल नेहरू को देश का प्रधानमंत्री बनाया क्योंकि उनका विश्वास था कि देश को अगर कोई सही दिशा दे सकता है तो वह ज्वाला नेहरू थे इसके बाद जवाब नेहरू ने प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए देश के हित में अनेकों प्रकार के ऐसे फैसले किए कि उनके फैसलों की कुछ लोगों ने आलोचना भी की लेकिन उन्होंने उनकी परवाह नहीं की बल्कि देश हित को सबसे आगे रखा इसलिए यह भारत के आर्थिक विकास में ज्वाला नेहरू की भूमिका अतुल्य है जिसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह बहुत ही कम है I

Q: जवाहरलाल नेहरू का जन्म कहां हुआ था?

Ans: जवाहरलाल नेहरू का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था I

Q: जवाहरलाल नेहरू का जन्म कब हुआ था?

Ans: जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को हुआ था

Q: जवाहरलाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री कितने दिनों तक थे?

Ans: जवाहरलाल नेहरू ने प्रधानमंत्री के तौर पर 17 वर्षों तक काम किया I

इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं

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Information About Jawaharlal Nehru in Hindi

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Jawaharlal Nehru Biography in Hindi 300 Words

पं. जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को प्रयाग (इलाहाबाद) में हुआ था। इनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था मोतीलाल नेहरू एक प्रसिद्ध वकील थे। वे काफी संपन्न व्यक्ति थे। बाद में उन्होंने देश के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया था। जवाहर लाल की माता का नाम श्रीमती स्वरूप रानी था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर हुई। 15 वर्ष की आयु में नेहरू जी को शिक्षा प्राप्ति के लिए इंग्लैण्ड भेज दिया। सन 1912 में बैरिस्ट्री की परीक्षा उत्तीर्ण कर वे भारत लौट आए। 1915 में जवाहर लाल कमला नेहरू के साथ विवाह-सत्र में बंध गए।

स्वदेश लौटने पर नेहरू जी ने वकालत आरंभ की परंतु उसमें उनका चित्त नहीं रहा। भारत की परतंत्रता उनके मन में काँटे की तरह चुभती थी। उन्होंने इंग्लैण्ड का स्वतंत्र वातावरण देखा था, उसकी तुलना में भारत दीन हीन देश था। यहाँ की दीन दशा के लिए अंग्रेजों की नीति जिम्मेदार थी। उधर पंजाब में हुए जलियाँवाला हत्याकाँड ने उनके मन को झकझोर कर रख दिया। नेहरू जी ने पहले होमरूल आदोलन में भाग लिया, फिर गाँधी जी के नेतृत्व में चल रहे अहिंसात्मक आदोलन में सक्रिय सहयोग देने लगे। राजसी ठाठ-बाट छोडकर खादी का कपड़ा पहना और सत्याग्रही बन गए। असहयोग आदोलन में बढ़-चढ़ कर भागीदारी की। इसके बाद उन्होंने संपूर्ण जीवन देश की सेवा में अर्पित कर दिया।

सन् 1929 में लाहौर अधिवेशन में जवाहर लाल जी कांग्रेस के अध्यक्ष बने। नेहरू जी ने इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य की माँग की। 15 अगस्त 1947, के दिन भारत अंग्रेजो की दो सौ वर्षों की गुलामी को पछाड़ कर स्वतंत्र राष्ट्र बन गया। नेहरू जी स्वतंत्र राष्ट्र के प्रथम प्रधानमंत्री बने। बच्चों के चाचा नेहरु और भारत के पहले प्रधानमंत्री की देश की सेवा करते हुए हृदय घात की वजह से 27 मई 1964 को निधन हो गया। भारत के पहले प्रधानमंत्री और भारतीय राजनीति के महानायक पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने जिस तरह अपने दूरदर्शी सोच, कठोर प्रयास और संघर्षों के बाद भारत को शक्तिशाली और मजबूत राष्ट्र बनाने में अपने अपूर्व योगदान दिया, उससे हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। वहीं हम सभी को उनके आदर्शों पर चलकर भारत के विकास में अपना सहयोग देना चाहिए।

Biography of Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi 400 Words

पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री और हम सबके प्यारे चाचा नेहरू उन नेताओं में से एक थे, जिन्हें आधुनिक भारत के निर्माण का श्रेय जाता है। श्री नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद में हुआ। उनके पिता मोतीलाल नेहरू एक मशहूर वकील थे। उनकी माताजी का नाम स्वरूप रानी था। श्री नेहरू ने विदेश के बेहतरीन शिक्षण संस्थानों से शिक्षा प्राप्त की। 1912 में वे भारत लौटकर वकालत करने लगे।

चार साल बाद 1916 में उनका विवाह कमला नेहरू से हुआ। इसके बाद वे छोटी-मोटी राजनीतिक गतिविधियों से जुड़ने लगे, लेकिन राजनीति से उनका असल जुड़ाव 1919 में महात्मा गांधी के संपर्क में आने के बाद हुआ। वे गांधीजी की शांतिपूर्वक प्रतिरोध करने की नीति से बहुत प्रभावित हुए। वहीं गांधीजी ने भी उनमें भारत कीं राजनीति का भविष्य देखा। सक्रिय राजनीति में कदम रखने के बाद श्री नेहरू 1924 में इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष चुने गए। तीन साल तक पार्टी के महासचिव रहने के बाद दिसंबर, 1929 में लाहौर अधिवेशन के दौरान वे कांग्रेस के अध्यक्ष चुन लिए गए। इसी अधिवेशन के दौरान 26 जनवरी, 1930 को भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रस्ताव पारित किया गया।

1935 को भारत सरकार अधिनियम बनने के बाद हुए चुनावों में उन्होंने पार्टी के लिए बढ़-चढ़कर प्रचार किया। नतीजा यह हुआ कि पार्टी ने लगभग हर राज्य में अपनी सरकार बनाई और वे एक प्रभावशाली राष्ट्रीय नेता के रूप में उभरे। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया।

1945 में जेल से बाहर आने पर उन्होंने देश की आज़ादी को लेकर ब्रिटिश सरकार से हुई बातचीत में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। 15 अगस्त, 1947 को भारत आजाद हो गया और पं० नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने। अगले 17 सालों, यानी 1964 तक वे इस पद पर बने रहे। इस दौरान उन्होंने देश के सामने आने वाली हर चुनौती का बहुत सूझबूझ से सामना किया। ये उनकी नीतियों का ही कमाल था कि भारत ने कृषि, विज्ञान और उद्योग के क्षेत्र में खूब प्रगति की। पंचवर्षीय योजनाओं से लेकर भारत की विदेश नीति तय करने में भी उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई। यही वजह है कि उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता भी कहा जाता है। 27 मई, 1964 को हृदय गति रुक जाने से उनका निधन हो गया।

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Quotes of Jawaharlal Nehru in Hindi

Action to be effective must be directed to clearly conceived ends। कार्य के प्रभावी होने के लिए उसे स्पष्ठ लक्ष्य की तरफ निर्देशित किया जाना चाहिए।

Citizenship consists in the service of the country. नागरिकता देश की सेवा में निहित है।

ESSAY ON JAWAHARLAL NEHRU IN HINDI

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Jawaharlal Nehru Essay in Hindi 300 Words

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 4 नवंबर 1889 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, में हुआ था। उनके पिता का नाम पं. मोती लाल नेहरू था, जो प्रसिदध वकील थे तथा उनकी मां का नाम स्वरुप्रानी था। जवाहरलाल नेहरू की परवरिश एक राजकुमार की तरह हुई थी। एक अंग्रेजी ट्यूटर द्वारा घर पर अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद, उन्हें उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड भेजा गया। उन्होंने इंग्लैंड से कानून में अपनी डिग्री ली और बैरीस्टर के रूप में भारत लौट आये।

जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी के साथ भारत की स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल थे। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्हें कई बार जेल भेजा गया। उनका पूरा जीवन स्वतंत्रता के लिए भारत की लड़ाई का इतिहास है। उन्होंने कई सालों के लिए महा सचिव के रूप में कांग्रेस की सेवा की। वह एक महान राजनीतिक नेता थे और स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए उन्होंने पांच साल की योजना शुरू कर दी थी और बहुउद्देशीय परियोजनाओं का निर्माण किया था। अंत में, 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद वह भारत के पहले प्रधान मंत्री बने।

जवाहरलाल नेहरू बच्चों से बहुत प्रेम करते थे। उन्हें बच्चो से बात करना, उनके साथ रहना बहुत पसंद था और बच्चे उन्हें प्यार से चाचा नेहरू कहते थे। बच्चो के प्रति उनके इसी प्रेम के कारण, हमारे देश में हर साल 14 नवंबर को उनका जन्मदिन ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इसे स्कूल और कॉलेज के छात्रों द्वारा बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है तथा कई प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।

जवाहरलाल नेहरू भारत के महानतम नेताओं में से एक थे और भारतीय संस्कृति के प्रेमी थे। वह पंचशीला के संस्थापक थे, जो मानवीय अच्छाई और नैतिक मूल्यों में विश्वास रखता है और जिसमे नेहरू जी ने सुरक्षा और व्यवस्था के सिंधान्तो का जवाब दिया। उन्होंने “आत्मकथा”, “द डिस्कवरी ऑफ इंडिया” और “ग्लिम्प्स ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री” जैसी प्रसिद्ध किताबें लिखीं।

27 मई 1964 को नेहरू जी का निधन हो गया। चाचा नेहरू जी की मौत दुनिया के सभी शांतिप्रिय लोगों के लिए एक बड़ा झटका था। राष्ट्र ने अपना एक महान आदमी और महान राष्ट्रवादी खो दिया है जिनका स्थान भरना बहुत कठिन होगा।

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi 500 Words

पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को भारत के प्रसिद्ध व्यक्तियों में गिना जाता है और लगभग हर भारतीय उनके बारे में बहुत अच्छी तरह से जानता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1898 को इलाहाबाद में एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वह स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्हें हम चाचा नेहरू के रूप में भी जानते हैं। उनका जन्मदिन, देश के बच्चों के लिए उनके महान प्रेम और स्नेह के कारण बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। जवाहरलाल नेहरू के मुताबिक, बच्चे देश के उज्ज्वल भविष्य हैं। नेहरुजी अच्छी तरह से जानते थे कि देश का उज्ज्वल भविष्य बच्चों के उज्ज्वल भविष्य पर ही निर्भर करता है।

उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था और माता का नाम स्वरूपरानी थूसु था। उनके पिता इलाहाबाद के एक प्रसिद्ध वकील थे। इसलिए उन्होंने जवाहरलाल नेहरू को उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड भेजा। नेहरू जी ने वहां वकालत पूरी की और 1912 में एक वकील के रूप में भारत लोट आए।

भारत में पंडित जवाहरलाल नेहरू महात्मा गांधी से मिले। महात्मा गांधीजी से मिलने के बाद नेहरु जी – गांधी जी से बहुत प्रभावित हुए थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी जी ने देश की स्वतंत्रता के लिए बहुत संघर्ष किया था। भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान जवाहरलाल नेहरू जी को कई बार जेल भेजा दिया गया। इस प्रकार, पंडित नेहरू जी ने भारत की आजादी के लिए बहुत संघर्ष किया था।

1916 में उन्होंने 27 साल की उम्र में कमला कौल (कमला नेहरू) से शादी की और उनकी पुत्री का नाम इंदिरा गांधी था। पंडित जवाहरलाल नेहरू एक महान राजनीतिक नेता थे और वह एक बहुत ही अनुकूल व्यक्ति थे। नेहरू जी हमेशा बच्चों को देशभक्त बनने के लिए प्रोत्साहित करते थे और उन्हें कड़ी मेहनत और बहादुरी से काम करने का सुझाव देते थे, क्योंकि नेहरु जी बच्चों को देश का भविष्य मानते थे।

इस प्रकार, 27 मई, 1964 को, भारत की सेवा के दौरान, दिल का दौरा पड़ने के कारण नेहरू जी का निधन हो गया। दुनिआ भर के शांतिप्रिय लोगो पर इनकी मौत का गहरा असर पड़ा, क्योकि उन्होंने एक ऐसा शांतिप्रिय नेता खो दिया था जिनका स्थान भरना बहुत कठिन होगा। उनकी मृत्यु के बाद, हर साल 14 नवंबर को, उनका जन्मदिन एक बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। चाचा नेहरू को उनके बलिदान और राजनीतिक उपलब्धियों के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi 800 Words

स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधान मंत्री पण्डित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद के प्रसिद्ध आनन्द भवन में हुआ था। यह भवन उन दिनों अखिल भारतीय कांग्रेस और राजनीतिक गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र था। देश के सभी बड़े नेता समय-समय पर यहीं एकत्रित होते थे और अपनी रणनीति तय करते थे। बालक नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू अपने समय के प्रसिद्ध वकील और कांग्रेस के नेता थे। इनकी माता का नाम स्वरूप रानी नेहरू था। वे अपने माता-पिता के इकलौते पुत्र थे। इनकी दो बहिनें-विजय लक्ष्मी पंडित और कृष्णा हठी सिंह थीं। जवाहरलाल नेहरू का पालन-पोषण बड़ी सुख-सुविधाओं के बीच हुआ। 15 वर्ष की आयु में इन्हें उच्च कानूनी शिक्षा प्राप्त कर वैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड भेजा गया। लंदन में इन्होंने हैरे तथा कैम्ब्रिज में अध्ययन किया और इनर टैम्पल में कानून का प्रशिक्षण पूरा किया। अंततः 1912 में वे स्वदेश लौट आए।

सन् 1916 में इनका विवाह कमला कॉल से हो गया। नेहरू जी की गाँधी जी से मुलाकात से उनके जीवन में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ आया। 1916 में वकालत छोड़कर वे स्वतन्त्रता संग्राम में कूद पड़े। गाँधी जी के नेतृत्व ने नेहरू जी के जीवन में एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया। इसके पश्चात् उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 19 नवम्बर, 1919 को बेटी इन्दिरा का जन्म हुआ। 1936 में कमला नेहरू की मृत्यु पर नेहरू जी को बड़ा धक्का लगा परन्तु वे देश की आजादी के संग्राम में लगे रहे। 1918 में उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस का सदस्य बनाया गया और फिर वे जीवन भर इसके सदस्य बने रहे। उन्होंने भारत का व्यापक दौरा किया और अपनी आंखों से देश की दयनीय तस्वीर देखी।

जलियांवाला बाग की त्रासदी और अत्याचार ने तो सभी देशवासियों को गहरा आघात पहुंचाया। नेहरू जी भी इससे बड़े आहत हुए। सन् 1923 में वे पहली बार जेल गये। 1926 में उन्होंने यूरोप का भ्रमण किया तथा वहां के स्वतन्त्र देशों के संविधान, कार्यप्रणाली आदि का अध्ययन किया। 1927 में वे भारत लौट आये और पुन: स्वतन्त्रता-संग्राम में संलग्न हो गये। 1929 में लाहौर अधिवेशन में उन्हें कांग्रेस का प्रधान बनाया गया। इसी ऐतिहासिक अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। शीघ्र ही नेहरू जी, गाँधी जी के राजनीतिक उत्तराधिकारी और देश के प्रमुख नेताओं में गिने जाने लगे।

9 अगस्त, 1942 को मुम्बई अधिवेशन में ऐतिहासिक ”भारत छोडो” आन्दोलन का प्रस्ताव पारित किया गया। इसके तुरन्त बाद गाँधी जी, नेहरू जी व अन्य सभी बड़े नेताओं को जेल भेज दिया गया। गाँधी जी ने ‘करो या मरो’ का नारा देश को दिया और स्वतन्त्रता आन्दोलन अपने पूरे उफान पर पहुंच गया। इसी बीच नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिन्द फौज का गठन कर लिया था। दूसरे विश्व युद्ध में विनाश का तांडव सर्वत्र छाया हुआ था। अंतत: अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा और भारत 15 अगस्त, 1947 को स्वतन्त्र हो गया, परन्तु जाते-जाते भी अंग्रेज देश का हिन्दुस्तान और पाकिस्तान में विभाजन करने में सफल रहे।

नेहरू जी स्वतन्त्र भारत के प्रधान मंत्री बनाये गये। 30 जनवरी, 1948 को महात्मा गाँधी जी की हत्या ने सारे भारत को गहरे शोक में डुबो दिया। नेहरू जी को इससे बड़ा आघात लगा परन्तु शीघ्र ही उन्होंने अपने आप को संभाल लिया और वे पुन: अपने कार्यों में सक्रिय हो गये। नेहरू जी ने अपने राजनीतिक जीवन में कई परिवर्तन देखे परन्तु कभी हिम्मत नहीं हारी। वे पूरे आशावादी थे। सन् 1960 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ (यू. एन. ओ.) में एक बड़ा ओजस्वी भाषण दिया और विश्वशांति की जोरदार वकालत की।

नेहरू जी के व्यक्त्वि के कई आयाम थे। 17 वर्ष की लम्बी अवधि तक वे देश को समृद्ध, शिक्षित, गतिशील व पूर्णत: स्वावलम्बी बनाने के प्रयत्न में लगे रहे। वे महान मानवतावादी तथा सहिष्णु स्वभाव के नेता थे और जनता की सेवा को ही अपना परम धर्म मानते थे। देश के लोगों में वे बहुत लोकप्रिय थे और सारी जनता उन्हें बड़ा आदर व प्यार करती थी। वे एक बहुत अच्छे वक्ता, लेखक और इन्सान थे। उनके भाषण सुनने हजारों की भीड़ उमड़ पड़ती थी। बच्चों से उनको असीम प्यार था। उन्हीं की आंखों में वे भारत का स्वर्णिम भविष्य देखते थे। बहुत व्यस्त रहने के बावजूद भी वे बच्चों से मिलने का समय निकाल लेते थे। बच्चों में वे स्वयं भी बच्चे बन जाते थे।

उनका जन्म दिन 14 नवम्बर उनकी इच्छा के अनुसार “बाल दिवस” के रूप में मनाया जाने लगा और आज भी मनाया जाता है। इस दिन देश के सभी बच्चे अपने प्यारे चाचा नेहरू को याद करते हैं, उनके जीवन से प्रेरणा लेते हैं तथा उनके द्वारा बताये गये मार्ग पर चलने का प्रयत्न करते हैं। यदि पण्डित नेहरू राजनीति में नहीं होते तो महान् लेखक बनते। लिखने और पढ़ने का उन्हें बड़ा शौक था। जब भी समय मिलता तो वे पुस्तकें पढ़ते थे या फिर सृजन करते। वर्ल्ड हिस्ट्री, द डिस्कवरी ऑफ इंडिया, ऑटोबाओग्राफी, लैटर्स फ्रॉम फादर टू हिज डॉटर, ए बन्च ऑफ लैटर्स आदि उनकी प्रसिद्ध कृतियां हैं। अंग्रेजी भाषा पर उनकी असाधारण पकड़ थी। विश्वशांति के लिए उन्होंने अनेक प्रयत्न किये। पंचशील के सिद्धांतों का प्रतिपादन इन में से एक था। इन सिद्धान्तों का पालन कर सहज ही विश्व में शांति और व्यवस्था को बनाये रखा जा सकता है।

Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi 1000 Words

काल-चक्र के परिभ्रमण के साथ विश्व-इतिहास और मानवीय सभ्यता के इतिहास में अनेक परिवर्तन हुए हैं। इस परिवर्तन की प्रक्रिया के परिणाम स्वरूप समाज, देश, सभ्यता तथा मूल्यों में परिवर्तन हुए हैं। इन परिवर्तनों को रूप देने वाले और नवीन-सिद्धान्तों की स्थापना करने वाले व्यक्ति भी इतिहास के ही अंग बन जाते हैं। इस प्रकार के व्यक्तित्व कभी धर्म और दर्शन के क्षेत्र में कभी ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में तो कभी राजनीति और साहित्य के क्षेत्र में प्रकट होते हैं तथा अपनी मान्यताओं और कार्यों से विश्व इतिहास को नई दिशा देते हैं भारतीय राजनीति के इतिहास में जवाहर लाल नेहरू ऐसे ही गौरवशाली व्यक्तित्व के रूप में प्रकट हुए हैं। शान्ति के उपासक, पंचशील के अधिष्ठाता, बच्चों के “चाचा नेहरू” विश्व इतिहास में अमर हो गए हैं।

जवाहर लाल नेहरू का जन्म पावन तीर्थ प्रयाग में माता स्वरूप रानी की गोद हरी करने के लिए नेहरू वंश की वृद्धि के लिए, पीड़ित भारत के कल्याण के लिए 14 नवम्बर, सन् 1889 को श्री मोती लाल के घर हुआ। श्री मोती लाल विख्यात वकील थे और पाश्चात्य सभ्यता से प्रभावित थे। आरम्भ में नेहरू जी को शिक्षा भी कुछ ऐसी ही मिली। अध्यापक कुछ आध्यात्मिक अधिक थे, इसलिए नेहरू भी आध्यात्मिक बनने लगे। पिता को यह अच्छा न लगा और उन्होंने सन् 1905 में नेहरू को इंग्लैंड भेज दिया। वहां नेहरू जी ने निरन्तर सात वर्ष तक अध्ययन किया। 1912 में वकालत पास करके आए। पिता की इच्छा थी कि बेटा इनकी तरह ही विख्यात वकील बने, फलतः पुत्र ने पिता के साथ वकालत में सहयोग देना शुरु किया। इधर वकालत चलती उधर विख्यात राजनीतिज्ञ मोती लाल नेहरू के घर आते और राजनीतिक चर्चा करते। फलत: नेहरू पर भी कुछ-कुछ राजनीतिक प्रभाव पड़ने लगा।

1916 में श्री कौल की पुत्री कमला से जवाहर लाल नेहरू का पाणिग्रहण हुआ और 1917 में एक लड़की हुई जिसका नाम इन्दिरा प्रियदर्शिनी रखा गया। कुछ समय बाद एक लड़का पैदा हुआ पर वह जीवित न रह सका। 1919 में जलियांवाला बांग के गोलीकांड को देखकर नेहरू की आत्मा कांप उठी और तब वह राजनीतिक नेताओं के सम्पर्क में आने लगे। 1921 से छः मास की और 1922 में अठारह महीने की कैद का दण्ड उनको मिला। इधर कमला का स्वास्थ्य बहुत गिर रहा था। 1927 में नेहरू स्विट्ज़रलैण्ड गए। वहां उन्होंने कई नेताओं से भेंट की। अब तो नहेरू का ध्येय ही बदल गया।

26 जनवरी, 1930 को रावी के किनारे साँझ के समय तिरंगा फहराते हुए पण्डित जवाहरलाल ने कहा, “स्वतन्त्रता प्राप्त करके ही रहेंगे।” कांग्रेस के इस प्रस्ताव से अंग्रेज़ बौखला उठे। उन्होंने दमनचक्र शुरू किया, कमला फिर बीमार हुई। आखिर 1936 में कमला का देहान्त हो गया। इधर मोती लाल की भी मृत्यु हो गई। नेहरू अब राजनीतिक कार्यों में अधिक भाग लेने लगे। आन्दोलन करते और जेल जाते। गांधी जी के पथप्रदर्शन से नेहरू का व्यक्तित्व विकसित होने लगा। 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन शुरू हुआ। बड़े-बड़े नेता जेल में डाल दिए गए। देश में बहुत हलचल हुई। युद्ध समाप्त हो गया। अंग्रेज़ों की विजय तो हुई पर वे बहुत जर्जर हो गए। 1945 में शिमला कांन्फ्रेंस हुई, पर वह असफल रही। 1946 में अन्तरिम सरकार बनी, पर जिन्ना के कारण वह भी असफल ही रही। आखिर भारत का विभाजन करके 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेज़ चल दिए।

प्रधानमन्त्री के रूप में

नेहरू स्वतन्त्र देश के पहले प्रधानमन्त्री बने। भारत के सामने एक नहीं, अनेक समस्याएं मुंह खोले खड़ी थीं। नेहरू ने कुशल वीर पुरुष की तरह डट का उनका मुकाबला किया। तकनीकी उन्नति, वैज्ञानिक उन्नति, शिक्षा-सम्बन्धी उन्नति, आर्थिक उन्नति, तात्पर्य यह कि भारत को हर तरह से उन्नत करने का प्रयास किया। उनके जीवनकाल में तीन बार आम चुनाव हुए – 1952 1957 और 1962 में, तीनों ही बार नेहरू भारत के प्रधानमन्त्री बने तथा तीनों बार कांग्रेस को बहुमत मिला। नेहरू की पंचशील की योजना का

सम्मान विश्व भर में हुआ। देश की बागडोर अपने हाथ में लेकर नेहरू देश के नव-निर्माण में जुट गए। इसके लिए पंचवर्षीय योजनाओं का आरम्भ हुआ। सन् 1951 में प्रथम पंचवर्षीय योजना आरम्भ हुई। देश के औद्योगीकरण की ओर कदम बढ़ाए गए। वैज्ञानिक प्रगति के इस युग में इस ओर आए बिना उन्नति संभव न थी। अतः बड़े-बड़े कल कारखाने आरम्भ हुए और बड़े-बड़े बाँध बनाए गए। वैज्ञानिक क्षेत्र में अनुसंधान हुए। इन को ही नेहरू आधुनिक मन्दिर मानते थे। परमाणु शक्ति के विकास की आधारशिला रखी गई। रेल के इंजन और हवाई जहाज का निर्माण अपने देश में आरम्भ हुआ।

विदेश नीति के क्षेत्र में भी भारत पूरे विश्व में उभर कर सामने आया। पंचशील और सह-अस्तित्व के सिद्धान्तों को अपनाया गया। रूस अमेरिका और चीन के साथ मैत्री सम्बन्ध बने, इण्डोनेशिया और कोरिया के साथ जुड़े।

सन् 1962 में जब चीन ने मैत्री के नारे के साथ भारत की पीठ में चाकू घोंपा तो नेहरू को बहुत आघात पहुंचा। उसके बाद भारत सैन्य-विकास की ओर बढ़ा। शस्त्रों के बड़े-बड़े कारखाने बने। इस प्रकार वे नए भारत के निर्माता बने।

जवाहर लाल नेहरू को अपने पर पूरा भरोसा था। उनका विश्वास था कि अगर दृढ़-संकल्प से, कोई कार्य किया जाए तो कोई कारण नहीं कि वह पूर्ण न हो। इसलिए भारत की आज़ादी से पहले ही उन्हें भरोसा था कि हम आज़ाद हो कर ही रहेंगे। और उन्हें दृढ़ विश्वास था कि आज़ाद होकर हम स्वतन्त्रता की रक्षा कर सकेंगे और समस्याओं को सुलझा लेंगे। नेहरू जी अधिक परिश्रमी थे। निराशा तो उनके मुख पर कभी झलकती तक न थी। कार्यों से वह घबराते न थे। उनका विचार था कि यह जीवन संग्राम है, संघर्षों से ही जीवन निखरता है, निकम्मे और निठल्ले रहने से जीवन अपने आप में ही बोझ बन जाता है। उनका कहना था कि मैं सौ वर्ष तक जीना चाहता हैं और देखना चाहता हूँ कि जीवन की पगडंडियां कितनी ऊबड़-खाबड़ हैं। वह जीवन इसीलिए नहीं चाहते थे कि सुख-भोग प्राप्त करें, वह जीवन इसलिए नहीं चाहते थे कि उन्हें वैभव का नशा था, अधिकारों का उन्माद था बल्कि उनके विचार में जीने का अर्थ था जनता की भलाई, संघर्षों से दो हाथ होना और साधना के पथ पर चलना।

वह एशिया की एक महान् विभूति थे। सारा विश्व भी उन्हें आदर की दृष्टि से देखता था। वह अपने कोट के ऊपर गुलाब का फूल लगाया करते थे, इसलिए कि जितनी देर जियो मुस्कराते हुए जियो। अपने सत्कार्य-सुमनों की महक को बिखेरते हुए जियो। बच्चों के चाचा नेहरू को कैसे भुलाया जा सकता था। उन्हें बच्चों से, नन्हें मुन्नों से बहुत प्यार था। इसीलिए उनका जन्म दिन ‘बाल-दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

नेहरू के प्रभावशाली व्यक्तित्व के सम्मुख उनके विरोधी भी दब जाते हैं अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में विदेशी नेता उनकी प्रशंसा और सम्मान करते थे। उन्होंने केवल भारत की राजनीति को ही नहीं अपितु विश्व राजनीति को नई दिशा दी थी। राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ वे उच्च-कोटि के लेखक और वक्ता भी थे। नेहरू का लेखकीय व्यक्तित्व भी प्रभावशाली रहा है। उन्होंने पिता के पत्र पुत्री के नाम ‘विश्व इतिहास की झलक’ ‘मेरी कहानी तथा ‘भारत की खोज’ जैसी बहुचर्चित पुस्तकें लिखी हैं। लोकतंत्र के समर्थक नेहरू के संबंध में अमेरिकी राजदूत श्री चेस्टर बोल्स ने कहा था -“भारत में जवाहर लाल नेहरू की राजनीतिक शक्ति इस सीमा तक बढ़ी थी कि वे आसानी से उसी प्रकार एक व्यक्ति के शासन का मार्ग अपना सकते थे जिस प्रकार दूसरे अन्य विकासशील देश के नेताओं ने किया था। पर इसके विपरीत उन्होंने अपने अपार व्यक्तित्व के प्रभाव का प्रयोग रचनात्मक ढंग से भारत के लोकतंत्रीय संस्थानों को सबल बनाने के लिए किया।

भारतीय-राजनीति के इतिहास में नेहरू का व्यक्तित्व निर्विवाद रूप से अप्रतिम रहा है, उन्होंने भारत को विश्व के सम्मुख एक उन्नत और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में खड़ा करने में अपूर्व योगदान दिया। अपने देश, अपनी संस्कृति और अपने लोगों से उन्हें असीमित प्यार था। उन्हीं के शब्दों में – “अगर मेरे बाद कुछ लोग मेरे बारे में सोचे तो मैं चाहँगा कि वे कहें – वह एक ऐसा आदमी जो अपने पूरे दिल और दिमाग से हिन्दुस्तानियों से मुहब्बत करता था और हिन्दुस्तानी भी उस की कमियों को भुलाकर उससे बेहद मुहब्बत करते थे।”

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Home » Biography Hindi » पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय | Pandit Jawaharlal Nehru In Hindi

पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय | Pandit Jawaharlal Nehru In Hindi

इस लेख Biography Of Pandit Jawaharlal Nehru In Hindi में पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय दिया गया है। प्यार से बच्चे जिन्हें “चाचा नेहरू” कहते है। दुनिया इन्हें भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में जानती है। आधुनिक भारत की नींव रखने वाले “पंडित जवाहरलाल नेहरू” ने अपने विचारों और कार्य से दुनिया में अमिट छाप छोड़ी है। देश की आजादी में पंडित नेहरू जी का अभूतपूर्व योगदान था।

वो एक राजनीतिज्ञ, स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक और लेखक थे। तो आइए दोस्तो, पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के बारे में संक्षिप्त जीवनी “Pandit Jawaharlal Nehru Ki Jivani In Hindi” जानने का छोटा सा प्रयास करते है।

जवाहरलाल नेहरू की जीवनी – Biography Of Pandit Jawaharlal Nehru In Hindi

पंडित जवाहर लाल नेहरू ( Pandit Jawaharlal Nehru ) का जन्म 14 नवम्बर, 1889 को इलाहाबाद में कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था जो आज का प्रयागराज है। पंडित नेहरू के पिता का नाम मोतीलाल नेहरू और माता का नाम स्वरूप रानी नेहरू था। मोतीलाल नेहरू jivउस समय के प्रसिद्ध वकील और समाजसेवी थे। नेहरू जी का सम्पन्न परिवार था और घर में किसी चीज की कमी नही थी।

नेहरू जी ने अपनी वकालत की पढ़ाई लन्दन के केम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पूरी की थी। वर्ष 1912 में वो भारत लौटे और उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत का कार्य शुरू किया। नेहरू जी की पत्नी का नाम कमला नेहरू था। उनकी पुत्री का नाम प्रियदर्शिनी था जो आगे चलकर भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री “इंदिरा गांधी” बनी।

स्वतन्त्रता आंदोलन में नेहरू जी की भूमिका

वर्ष 1917 में नेहरू जी होमरूल लीग से जुड़ गए। वर्ष 1919 में पंडित जवाहर लाल नेहरू का मिलना गांधीजी से हुआ और वो उनके विचारों से काफी प्रभावित हुए। उन्होंने विदेशी वस्तुओं का त्याग किया और खादी को अपना लिया। वर्ष 1920 में गांधीजी के असहयोग आंदोलन में पंडित नेहरू ने सक्रिय भूमिका का निर्वाह किया था। इस कारण उनका जेल भी जाना हुआ। वर्ष 1924 में वो इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष चुने गए। वर्ष 1928 में पंडित नेहरू कांग्रेस के महासचिव चुने गए।

जवाहर लाल नेहरू जी पूर्ण राष्ट्र के समर्थक थे। वर्ष 1929 के लाहौर अधिवेशन में उनकी अध्यक्षता में पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित किया गया। 26 जनवरी, 1930 में पंडित नेहरू जी ने स्वतंत्र भारत का झंडा फहराया था। वर्ष 1936 में पंडित नेहरू जी को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया।

सन 1942 में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध गांधीजी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया गया जिसमें पंडित नेहरू ने सक्रिय भूमिका निभाई थी। इस बार भी पंडित जी को गिरफ्तार किया गया। करीब 3 साल जेल में बिताने के बाद वर्ष 1945 में उन्हें रिहा किया गया। जेल में रहने के दौरान पंडित जी अपनी बेटी इंदिरा को पत्र लिखा करते थे।

प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में पंडित जवाहर लाल नेहरू का योगदान

वर्ष 15 अगस्त 1947 में भारत को आजादी मिली और पंडित जवाहर लाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) प्रधानमंत्री चुने गए। आजादी के वक्त भारत देश की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। बेरोजगारी, महंगाई आसमान छू रही थी। अंग्रेजो ने भारत को कंगाल बना दिया था। ऐसे बुरे वक्त में पंडित नेहरू जी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। भारत को विकास के पथ पर अग्रसर करने के लिए उन्होंने कई योजनाएं शुरू की थी जिसमें पंचवर्षीय योजना प्रमुख थी।

पंडित जवाहरलाल नेहरू दूरदर्शी व्यक्तित्व के धनी थे। आज भारत पंथनिरपेक्ष, धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक देश है जिसमें नेहरू जी का अतुलनीय योगदान है। आप नेहरू जी का विरोध कर सकते हो, उनकी आलोचना भी होती है और यही लोकतंत्र है जो संविधान ने हमे दिया है।

जवाहरलाल नेहरू जी खुद की भी आलोचना करने से नही चूकते थे और यही बात उन्हें महान बनाती है। नेहरू जी चीन जैसे कुछ मोर्चो पर असफल भी रहे लेकिन असफलता से उनका योगदान कम नही हो जाता है।

पंडित नेहरू के बारे में विशेष जानकारी – Pandit Nehru Jawaharlal Information In Hindi

1. दुनिया में गुटनिरपेक्ष आन्दोलन की शुरुआत पंडित नेहरू जी ने की थी। उन्होंने अमेरिका और रूस के गुट से भारत को अलग रखा।

2. पंडित जवाहर लाल नेहरू ( Pandit Jawaharlal Nehru ) को प्यार से चाचा नेहरू भी कहा जाता है। उन्हें बच्चो से काफी लगाव था, इसलिए उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

3. नेहरू जी को गुलाब का फूल काफी पसंद था। गुलाब को नेहरू जी अपने कोट की जेब पर लगाते थे। यह कोट इतना प्रसिद्ध हुआ कि इसे नेहरू जैकेट भी कहते है।

4. जवाहरलाल नेहरू एक प्रभावी लेखक भी थे। पंडित नेहरू ने जेल में रहते हुए भारत दर्शन की किताब “ Discovery Of India ” लिखी थी। इस पुस्तक में उन्होंने भारत की संस्कृति, विविधता, एकता, धर्म, जाती इत्यादि के बारे में लिखा था। उन्होंने “Glimpse Of The World History” नामक पुस्तक भी लिखी थी।

5. आजादी के बाद वर्ष 1947 में भारत के प्रधानमंत्री पद पर नेहरू जी को चुना गया और अपने निधन तक इस पद पर रहे।

6. पंडित जवाहर लाल नेहरू जी को वर्ष 1955 में भारत रत्न से नवाजा गया था।

7. जवाहरलाल नेहरू जी ने पंचशील का सिद्धांत दिया था।

8. जवाहरलाल नेहरू कुल 9 बार जेल गए थे और जीवन के करीब 10 वर्ष जेल में बिताये थे।

9. पंडित नेहरू जी के मित्रों में नेताजी सुभाषचंद्र बोस मुख्य थे। पूर्ण स्वराज्य की मांग का दोनों ने समर्थन किया था।

10. पंडित नेहरू जी 6 बार कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे। प्रथम बार वर्ष 1929 में लाहौर में अध्यक्ष पद पर नियुक्त हुए और अंतिम बार 1954 में अध्यक्ष बने थे।

पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु और वसीयत (Pandit Jawaharlal Nehru Ki Jivani In Hindi)

नेहरू जी ने हिंदी चीनी भाई भाई का नारा दिया था लेकिन चीन ने विस्वासघात किया। वर्ष 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया। नेहरू जी यह सदमा बर्दास्त नही कर पाए और 27 मई 1964 को हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया। नेहरू जी ने अपनी आखिरी इच्छा या वसीयत में लिखा –

“में चाहता हु की मेरी मुट्ठीभर राख प्रयाग के संगम में बहा दी जाए जो हिंदुस्तान के दामन को चूमते हुए समंदर में जा मिले, लेकिन मेरी राख का ज्यादा हिस्सा हवाई जहाज से ऊपर ले जाकर खेतों में बिखेर दिया जाये, वो खेत जिसमें हजारों मेहनतकश इंसान काम में लगे हुए है, ताकि मेरे वजूद का हर जर्रा वतन की खाक में मिलकर एक हो जाये”।

पंडित जवाहर लाल नेहरू जी (Pandit Jawaharlal Nehru In Hindi) का जीवन सदैव देश को समर्पित रहा था। पंडितजी के आलोचक भी है और प्रशंसा करने वाले भी है। लेकिन देश की आजादी के वक्त परिस्थिति बहुत खराब थी और इन कठिन परिस्थितियों में भी उन्होने देश की अखंडता को बनाये रखा। पंडित नेहरू जी को उनके महान कार्यो के लिए यह देश सदैव याद रखेगा।

Note – पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय (Biography Of Pandit Jawaharlal Nehru In Hindi) आर्टिकल आपको कैसा लगा? नेहरू जी का आजादी में योगदान, इतिहास “Pandit Jawaharlal Nehru History” और कहानी पर आपकी क्या राय है? हमे जरूर बताये। यह पोस्ट “Pandit Jawaharlal Nehru Ki Jivani In Hindi” अच्छी लगी हो इसे शेयर भी करे।

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Biography of jawaharlal nehru, जाने पंडित जवाहरलाल नेहरु के जीवन परिचय के बारे में विस्तार से.

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Safalta Expert Published by: Blog Safalta Updated Mon, 04 Dec 2023 06:07 PM IST

जवाहरलाल नेहरु  स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। वे महात्मा गाँधी के सहायक के तौर पर भारतीय स्वतंत्रता अभियान के मुख्य नेता थे। वे अंत तक भारत को स्वतंत्र बनाने के लिए लड़ते रहे और अंत मे उन्होंने स्वतंत्रता दलाई उसके बाद वे 1964 में उनकी मृत्यु हो गई। उन्हें आधुनिक भारत का रचयिता माना जाता था। पंडित संप्रदाय से होने के कारण उन्हें पंडित नेहरु भी कहा जाता था। जबकि बच्चो से उनके लगाव के कारण बच्चे उन्हें “चाचा नेहरु” के नाम से जानते थे।

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Source: safalta

पंडित जवाहरलाल नेहरु से जुड़े महत्वपूर्ण फैक्ट  

 पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। जवाहरलाल नेहरु हैरो और कैंब्रिज से पढ़ाई करने के बाद 1912 में एट लॉ की डिग्री हासिल की और बार में बुलाए गए। पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री और कांग्रेस पार्टी के 6 बार अध्यक्ष पद को संभालने वाले कार्यकर्ता थे, (लाहौर 1929, लखनऊ 1936, फैजपुर 1947, दिल्ली 1951, हैदराबाद 1953 और कल्याण 1954 में यहां से जवाहरलाल नेहरू ने कांग्रेश के अध्यक्ष पद को संभाला था। Free Daily Current Affair Quiz- Attempt Now with exciting prize   1. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में जवाहरलाल नेहरू को 9 अगस्त 1942 को मुंबई में गिरफ्तार किया गयै और अहमदनगर जेल में इन्हें रखा गया था, जहां इन्हें 15 जून 1945 को रिहा किया गया। 2. बच्चों के प्यारे चाचा नेहरू के रूप में पंडित जवाहरलाल नेहरू देश को प्रगति और विकास के पथ पर ले जाने वाले खास पथ प्रदर्शक व्यक्ति थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में लोकतांत्रिक परंपराओं को मजबूत करना राष्ट्र एवं संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को स्थाई भाव देना और योजनाओं के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को सुचारू और विकास करना ही इनका मुख्य उद्देश्य रहा था। 3. पंडित जवाहरलाल नेहरू शुरू से ही गांधी जी से प्रभावित थे और 1912 में कांग्रेस पार्टी से जुड़े थे, 1920 के प्रतापगढ़ के पहले किसान मोर्चा को संगठित करने का श्रेय पंडित जवाहरलाल नेहरू को जाता है। 4. 1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन के विरोध में नेहरू जी घायल हुए और 1930 के नमक आंदोलन में इन्हें गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने इसके लिए 6 महीने की सजा काटी और 1935 में अल्मोड़ा जेल में इन्होंने आत्मकथा लिखी थी। 5. उन्होंने कुल 9 बार जेल की यात्रा की। जवाहरलाल नेहरु ने विश्व भ्रमण किया और अंतरराष्ट्रीय नायक के रूप में जाने गए। 6. नेहरू जी ने पंचशील का सिद्धांत प्रतिपादित किया और 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किए गए। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इस ऐप से करें फ्री में प्रिपरेशन -  Safalta Application 7. नेहरु जी ने तटस्थ राष्ट्रों को संगठित किया और इनका नेतृत्व भी किया था।  स्वाधीनता की लड़ाई को चलाने के लिए की जाने वाली कार्यवाही का खास प्रस्ताव तो एकमत से प्राप्त हो गया था, खास प्रस्ताव इत्तेफाक से 31 दिसंबर की आधी रात के घंटे की चोट के साथ जबकि पिछले साल की जगह नया साल आ रहा था तब मंजूर हुआ। 8. पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद सर्वपल्ली राधा कृष्ण ने कहा था, जवाहरलाल नेहरू हमारे पीढ़ी के एक महान व्यक्ति थे वे एक ऐसे अद्वितीय राजनीतिज्ञ थे जिनकी मानव मुक्ति की प्रति सेवाएं किरण स्मरणीय रहेंगी। 9. स्वाधीनता संग्राम के योद्धा के रूप में यशस्वी और आधुनिक भारत के निर्माता थे मैथिलीशरण गुप्त की कविताएं में नेहरू जी के संबंध में यह खास पंक्तियां लिखी गई थी  हम कोटि-कोटि कुटुंबियों की और विश्व विशाल की  सुख - शांति - चिंता थी, तुम्हारी सहचारी चिरकाल की  तुम जागते थे रात में भी, जबकि सोते थे सभी  जन मात्र की सच्ची विजय है, यह जवाहरलाल की  10आजादी के पहले गठित अंतरिम सरकार और आजादी के बाद 1947 में प्रधान भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को बनाया गया और 27 मई 1964 को उनके निधन तक यह इस पद पर बने रहे। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इन करंट अफेयर को डाउनलोड करें

जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु ;

1962 के बाद नेहरू के स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आने लगी, और उन्होंने 1963 तक कश्मीर में स्वस्थ होने में महीनों बिताए। कुछ इतिहासकार इस नाटकीय गिरावट का श्रेय भारत-चीन युद्ध पर उनके आश्चर्य और चिंता को देते हैं, जिसे उन्होंने विश्वास के विश्वासघात के रूप में माना। 26 मई 1964 को देहरादून से लौटने पर, वे काफी सहज महसूस कर रहे थे और हमेशा की तरह लगभग बजे बिस्तर पर सोने चले गए।  करीब 06:30 बजे तक उन्होंने आराम से रात गुजारी।  बाथरूम से लौटने के तुरंत बाद नेहरू ने पीठ में दर्द की शिकायत की।  उन्होंने उन डॉक्टरों से बात की जिन्होंने कुछ समय के लिए उनका इलाज किया, और लगभग तुरंत ही वह गिर गए।  दोपहर बाद उसकी मौत होने तक वह बेहोश रहा।   27 मई 1964 को स्थानीय समयानुसार 14:00 बजे लोकसभा में उनकी मृत्यु की घोषणा की गई;  मौत का कारण  दिल का दौरा बताया गया।

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Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi – Freedom Fighters of India

Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi - Freedom Fighters of India

Table of Contents

स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पण्डित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। 16 वर्ष की उम्र तक घर पर शिक्षा प्राप्त करने के बाद नेहरू प्रसिद्ध अंग्रेजी स्कूल हैरो चले गए।

वहाँ उन्होंने दो साल पढाई की। उसके बाद जवाहर लाल ने कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज में प्रवेश लिया। कैंब्रिज से शिक्षा प्राप्त करने के बाद वह लंदन के इनर टैम्पल में दो वर्ष की पढाई के बाद बेरिस्टर बन गए।

भारत लौटने पर नेहरू ने सबसे पहले वकील के रूप में स्थापित होने का प्रयास किया, लेकिन अटोर्नी के रूप में नेहरू असफल रहे।

भारतीय राजनीति में नेहरू की भूमिका

महात्मा गांधी से मिलने तक उनकी किसी कार्य में रूचि नहीं थी। गांधी जी के कहने पर जवाहर भारत में ब्रिटिश शासकों के खिलाफ संघर्ष की ओर आकर्षित हुए।

भारतीय राजनीति में नेहरू की भूमिका 1929 में कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष निर्वाचित होने तक दूसरे दर्जे की ही बनी रही। लाहौर में कांग्रेस के ऐतिहासिक अधिवेशन में उनके अध्यक्ष बनने पर भारत के राजनीतिक लक्ष्य के रूप में संपूर्ण आजादी की मांग की गई।

1921 से 1945 तक नेहरू को आठ बार हिरासत में लिया गया। इस तरह वह कुल मिलाकर नौ वर्ष जेल में रहे। स्वतंत्रता के उपरांत नेहरू को प्रथम प्रधानमंत्री चुना गया।

Netaji Subhash Chandra Bose in Hindi – Freedom Fighters of India

प्रधानमंत्री के रूप नेहरू जी

नए गणतंत्र के पहले प्रधानमंत्री के रूप में नेहरू ने लोकतंत्रात्मक राजनीति, नियोजित अर्थव्यवस्था और औद्योगिक विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान किया। उन्होंने उच्च शिक्षा के संस्थानों पर भी ध्यान दिया। अंतरिक्ष, प्रौद्योगिकी और नाभिकीय ऊर्जा के क्षेत्र में उनकी नीतियां दूरदर्शी थी।

नेहरू अठारह वर्ष भारत के प्रधानमंत्री रहे। पहले कुछ समय अंतरिम प्रधानमंत्री रहे और 1950 से भारतीय गणतंत्र के प्रधानमंत्री बने।

नेहरू ने भारत में संसदीय सरकार की स्थापना कि और विदेशी राजनीति में निष्पक्ष और गुटनिरपेक्ष नेता के रूप में पहचान बनाई।

वे 1930 और 1940 के दशक में भारत के स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में शामिल थे।

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27 मई 1964 को चाचा नेहरू का निधन हो गया।

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पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय, शिक्षा, रचनाएं, प्रधानमंत्री कार्यकाल, निधन

पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय.

पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 ई० को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। पंडित जवाहरलाल नेहरू के पिता का नाम मोतीलाल नेहरू तथा माता का नाम स्वरूप रानी नेहरू था। पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म एक सारस्वत कौल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। मोतीलाल नेहरू जी के तीन बच्चे थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू सबसे बड़े थे बाकी दोनों बहने छोटी थी। बड़ी बहन का नाम विजयालक्ष्मी तथा छोटी बहन का नाम कृष्णा हठीसिंग था। विजयलक्ष्मी संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष बनी। हठीसिंग एक लेखिका बनी और अपने परिवार से संबंधित पुस्तकें लिखी।

पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय

पंडित जवाहरलाल नेहरू जी एक कुशल व संपन्न परिवार से थे। नेहरू जी ने देश-विदेश के नामी कॉलेज तथा विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। नेहरू जी ने प्रारंभिक शिक्षा हैरो स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद अपने आगे की शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज कैंब्रिज लंदन से प्राप्त की। नेहरू जी ने अपनी लाॅ (वकालत) की डिग्री कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पूर्ण की। नेहरू जी ने इंग्लैंड में लगभग 7 साल गुजारे आपने वहां के फेबियन समाजवाद और आयरिश राष्ट्रवाद के लिए एक तर्कसंगत दृष्टिकोण विकसित किया। वर्ष 1912 में नेहरू जी भारत वापस आए और आपने वकालत शुरू की।

पंडित जवाहरलाल नेहरू का विवाह

पंडित जवाहरलाल नेहरू का विवाह 8 फरवरी सन् 1916 को कमला नेहरू के साथ हुआ था। जवाहरलाल नेहरू जी के घर 1917 को एक पुत्री ने जन्म लिया था। उसका नाम अपने इंदिरा गांधी रखा था। इंदिरा गांधी आगे चलकर भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनी थी।

पंडित जवाहरलाल नेहरू का गांधी प्रेम

वर्ष 1919 में पंडित जवाहरलाल नेहरू महात्मा गांधी जी के संपर्क में आए। वर्ष 1919 में गांधीजी ने राॅलेट एक्ट के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था। नेहरू जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन के लिए अपने शांतिपूर्ण तथा सक्रिय रवैया के लिए गांधी जी के साथ खासे आकर्षित साबित हुए। वर्ष 1920 से 1922 में असहयोग आंदोलन में सक्रिय हिस्सा लिया। और जवाहर लाल नेहरू इस आंदोलन के लिए पहली बार गिरफ्तार भी हुए थे। कुछ महीने बाद नेहरू जी रिहा कर दिया गया था। नेहरू जी ने गांधी जी के उपदेशों के अनुसार ही अपना पारिवारिक रहन-सहन पोशाक संस्कार आदि को ढाल लिया था। आपने महंगे कपड़ों और टोपी को त्याग दिया और गांधी जी के अनुसार खादी कुर्ता और गांधी टोपी पहनने लगे।

पंडित जवाहरलाल नेहरू का राजनीति क्षेत्र

पंडित जवाहरलाल नेहरू जी वर्ष 1924 में इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष चुने गए। वर्ष 1924 से 1926 तक शहर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में 2 वर्ष तक अपनी सेवाएं प्रदान की। वर्ष 1926 में आपने ब्रिटिश अधिकारियों को त्यागपत्र दे दिया था। वर्ष 1926 से 1928 तक नेहरू अखिल भारतीय कांग्रेस के महासचिव रहे। वर्ष 1928 से 1929 में कांग्रेस के वार्षिक सत्र का आयोजन मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में किया गया। वर्ष 1929 में नेहरू और सुभाष चंद्र बोस ने राजनीतिक स्वतंत्रता की मांग का समर्थन किया तथा मोतीलाल नेहरू व अन्य नेताओं ने ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर ही प्रभुत्व संपन्न राज्य का दर्जा पाने की मांग का समर्थन किया। इस मुद्दे का हल निकालने के लिए गांधीजी ने ब्रिटिश सरकार को 2 साल का समय दिया भारत को राज्य का दर्जा देने का। और ब्रिटिश सरकार को चेतावनी दी अगर ऐसा नहीं किया तो कांग्रेस पूर्ण राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय संघर्ष शुरू करेगी। लेकिन नेहरू और सुभाष चंद्र बोस 2 साल को 1 साल करने के लिए कह रहे थे लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। वर्ष 1929 में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन लाहौर में आयोजित किया गया। जिसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष चुने गए थे। वर्ष 1929 में एक प्रस्ताव भी पारित किया गया जिसमें पूर्ण स्वराज की मांग की गई। 26 जनवरी 1930 को लाहौर में जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्र भारत का झंडा फहराया था। गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का नेतृत्व किया था। वर्ष 1935 में कांग्रेस पार्टी ने चुनाव लड़ने का फैसला किया क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने भारतीय अधिनियम 1935 की प्रख्यापित किया था। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने यह चुनाव नहीं लड़ा था, क्योंकि वह बाहर रहकर पार्टी के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान चला रहे थे। इस चुनाव में कांग्रेस ने लगभग हर प्रांत में सरकारों का गठन किया और केंद्रीय असेंबली में सबसे अधिक सीटें जीतकर हासिल की। पंडित जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए 1 936-37 में चुने गए। वर्ष 1942 में “भारत छोड़ो आंदोलन” के दौरान गिरफ्तार हुए थे। वर्ष 1945 में पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को 3 साल बाद छोड़ा गया था। वर्ष 1947 में भारत और पाकिस्तान की आजादी के समय उन्होंने ब्रिटिश सरकार के साथ हुई वार्ताओं में महत्वपूर्ण भागीदारी की थी।

पंडित जवाहरलाल नेहरू का प्रधानमंत्री कार्यकाल

15 अगस्त सन् 1947 को भारत को स्वतंत्रता दिलाने के बाद नेहरू जी को स्वतंत्र भारत का प्रथम प्रधानमंत्री बनाया गया। जवाहरलाल नेहरू जी को महात्मा गांधी जी के आग्रह पर प्रधानमंत्री बनाया गया था। स्वतंत्रता के बाद भारत को पूर्ण रूप से संगठित करना तथा उसका नेतृत्व करके एक सफल व मजबूत राष्ट्र की नींव का निर्माण कार्य जवाहरलाल नेहरू जी ने दिल व लगन से पूर्ण किया। स्वतंत्र भारत को आर्थिक रूप से निर्भिक बनाने के लिए नेहरू जी का बहुत बड़ा योगदान रहा था। अपने भारत में शांति बनाए रखने के लिए ‘ गुटनिरपेक्ष आंदोलन ‘ की स्थापना की। नेहरू जी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने। पंडित जवाहरलाल नेहरू जी प्रधानमंत्री के पद पर 16 साल 9 महीने तथा 13 दिन तक रहे यह अभी तक का सबसे लंबा कार्यकाल है। पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने भारत को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए बहुत मेहनत की थी। परंतु आप पाकिस्तान और चीन के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध नहीं बना पाए थे। आपका पाकिस्तान के साथ कश्मीर मुद्दा अहम था तथा चीन के साथ सीमा विवाद अहम मुद्दा था। नेहरू जी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय चुनाव में प्रभुत्व दिखाते हुए व र्ष 1951, 1957, व 1962 में लगातार चुनाव जीते हुए एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में उभर कर आई।

वर्ष 1955 को भारत का सर्वोच्च सम्मान “भारत रत्न” पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को प्राप्त हुआ।

पंडित जवाहरलाल नेहरू की रचनाएं

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने निम्न किताबें लिखी है- भारत की खोज (discovery of India), विश्व इतिहास की झलक (Glimpses of world history), मेरी आत्मकथा (An autobiography: toword freedom)।

पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु

27 मई सन् 1964 को प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान ही दिल का दौरा (हृदयाघात) पड़ने से नई दिल्ली में आपका निधन हो गया था।आपका इस दुनिया से जाना भारत के लिए बहुत बड़ी क्षति था। पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की स्मृति में- सड़क, योजनाएं, स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, अस्पताल आदि स्थापित किए गए थे।

पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म दिवस

14 नवंबर को पंडित जवाहरलाल नेहरू जी का जन्म दिवस “बाल दिवस” के रूप में मनाते हैं। क्योंकि पंडित जवाहरलाल नेहरू को बच्चों से बहुत प्रेम था वह बच्चों के साथ बहुत खुश रहा करते थे। इसीलिए नेहरू जी को बच्चे प्यार से “चाचा नेहरू” कहकर पुकारते थे।

पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के बारे में कुछ खास बातें

1. स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री। 2. पंडित जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री के पद पर 16 साल 9 माह तथा 13 दिन तक रहे। 3. पंडित जवाहरलाल नेहरू जी 15 अगस्त 1947 में भारत के एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापना से लेकर 1964 तक अपने निधन के समय तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। 4. पंडित जवाहरलाल नेहरू आधुनिक भारतीय राष्ट्र के एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणतंत्र के वास्तुकार माने जाते हैं। 5. महात्मा गांधी जी के संरक्षण में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सर्वोच्च नेता। 6. सर्वप्रथम पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने 26 जनवरी 1930 को लाहौर में स्वतंत्र भारत का झंडा फहराया था। 7. कश्मीरी पंडित समुदाय की वजह से जवाहरलाल नेहरू को पंडित नेहरू भी बुलाया जाता था। 8. पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को गुलाब का फूल अत्यधिक पसंद था इसलिए आप अपनी शेरवानी की जेब पर गुलाब का फूल लगाया करते थे। 9. पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने डिस्कवरी ऑफ इंडिया नामक किताब की रचना की थी जो बहुत प्रसिद्ध हुई। 10. पंडित जवाहरलाल नेहरू जी का आराम हराम है नारा प्रसिद्ध हुआ। 11. पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को बच्चे प्यार से चाचा नेहरू कहकर पुकारते थे। 12. पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के जन्म के 100 वर्ष पूरे होने पर इसके उपलक्ष्य में भारतीय सरकार ने शताब्दी एक्सप्रेस की शुरुआत करी। 13. पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के जन्मदिवस को बाल दिवस के रूप में मनाते हैं।

पंडित जवाहरलाल नेहरू से संबंधित प्रश्न उत्तर

Q1. पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म कब और कहां हुआ था.

Ans. पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 ई० को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था।

Q2. पंडित जवाहरलाल नेहरू के माता-पिता का नाम क्या था?

Ans. पंडित जवाहरलाल नेहरू के पिता का नाम मोतीलाल नेहरू तथा माता का नाम स्वरूप रानी नेहरू था।

Q3. पंडित जवाहरलाल नेहरू की पत्नी तथा पुत्री का क्या नाम था?

Ans. पंडित जवाहरलाल नेहरू की पत्नी का नाम कमला नेहरू तथा पुत्री का नाम इंदिरा गांधी था।

Q4. पंडित जवाहरलाल नेहरू कब प्रधानमंत्री कार्यकाल कब से कब तक रहा?

Ans. 15 अगस्त 1947 से लेकर 1964 तक।

Q5. पंडित जवाहरलाल नेहरू का प्रमुख नारा कौन सा है?

Ans. नेहरू जी का प्रमुख नारा आराम हराम है था।

Q6. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कौन सी पुस्तक लिखी?

Ans. डिस्कवरी ऑफ इंडिया।

Q7. पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने सर्वप्रथम भारतीय झंडा कब फहराया था?

Ans. 26 जनवरी 1930 को लाहौर में

Q8. पंडित जवाहरलाल नेहरू का निधन कब और कैसे हुआ?

Ans. 27 मई सन् 1964 को प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान ही दिल का दौरा (हृदयाघात) पड़ने से नई दिल्ली में आपका निधन हो गया था।

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जवाहर लाल नेहरू पर निबंध (Pandit Jawaharlal Nehru Essay in Hindi)

जवाहर लाल नेहरु

पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद में कश्मीरी पंडित के एक समृद्ध परिवार में हुआ। इनके पिता मोतीलाल नेहरू शहर के जाने माने वकील थे तथा माता स्वरूपरानी नेहरू का संबंध लाहौर के एक सुपरिचित कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से था। बच्चों से अत्यधिक प्रेम होने के वजह से इनके जन्म दिवस को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

पंडित जवाहर लाल नेहरू पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi, Jawaharlal Nehru par Nibandh Hindi mein)

जवाहर लाल नेहरू पर निबंध – 1 (300 शब्द).

स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व तथा उसके बाद भारत की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पं. जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 में हुआ। लोगों के अनुसार पढ़ाई में इनका विशेष रुझान था। नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो आन्दोलन, असहयोग आन्दोलन तथा इसी प्रकार के अनेक महत्वपूर्ण आन्दोलन में महात्मा गाँधी के कंधे से कंधा मिला कर जवाहर लाल नेहरू ने भाग लिया।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

जवाहर लाल नेहरू ने 13 वर्ष की उम्र तक अपने घर पर रह कर ही हिंदी, अंग्रेजी तथा संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त किया। अक्टूबर 1907 में नेहरू ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज गए और वहां से 1910 में प्राकृतिक विज्ञान में डिग्री प्राप्त की। इस अवधि के दौरान उन्होंने राजनीति, अर्थशास्त्र, इतिहास तथा साहित्य का भी अध्ययन किया।

बर्नार्ड शॉ, वेल्स, जे. एम. केन्स, मेरेडिथ टाउनसेंड के लेखन ने उनके राजनैतिक सोच पर गहरा असर डाला। 1910 में अपनी डिग्री पूर्ण करने के पश्चात नेहरू कानून की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए और ‘इनर टेम्पल इन’ से वकालत किया।

स्वतंत्र भारत के लिए संघर्ष और सफलता

7 अगस्त 1942 मुम्बई में हुई कांग्रेस कमेटी की बैठक में नेहरू के ऐतिहासिक संकल्प “भारत छोड़ो” के वजह से नेहरू को एक बार फिर गिरफ्तार किया गया। यह अंतिम मौका था जब वह जेल जा रहें थे। इस बार नेहरू की गिरफ्तारी लंबे समय के लिए हुई। अपने पूरे जीवन काल में वह देश की सेवा करने के वजह से नौ बार जेल जा चुके हैं।

1929 लाहौर अधिवेशन के पश्चात, नेहरू देश के बुद्धिजीवी तथा युवा नेता के रूप में उभरे। भारतीय नेता के रूप में उन्होंने अपनी भूमिका अनेक यातनाएं सह कर निभाई है।

इसे यूट्यूब पर देखें : Pandit Jawaharlal Nehru par Nibandh

Pandit Jawaharlal Nehru par Nibandh – निबंध 2 (400 शब्द)

नेहरू का जन्म कश्मीरी ब्राह्मण के एक ऐसे परिवार में हुआ था जो उनकी प्रशासनिक योग्यता और विद्वत्ता के लिए प्रसिद्ध थे। इनके पिता मोती लाल नेहरू पेशे से वकील और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नेता थे। आगे चल कर नेहरू महात्मा गाँधी के प्रमुख सहयोगी में से एक बने। उनकी आत्मकथा में भारतीय राजनीति के प्रति उनकी जिवांत रुचि का पता चलता है।

जवाहर लाल नेहरू राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में

जवाहर लाल नेहरू ने 1912 में बांकीपुर पटना में कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया। स्थिति सुस्त और निराशाजनक होने के वजह से उन्होंने तिलक और एनी बेसेंट द्वारा होम रूल लीग के साथ अपना राजनैतिक जुड़ाव शुरू किया। 1916 में राष्ट्रीय कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू की गांधी जी से मुलाकात हुई और वह उनके शालीन व्यक्तित्व से अत्यधिक प्रभावित हुए।

जवाहर लाल नेहरू 1924 में इलाहाबाद, नगर निगम विभाग के अध्यक्ष बने। दो साल के कार्यकाल के उपरांत 1926 में इस पद से उन्होंने इस्तीफा दे दिया। तत्पश्चात 1926 से 1928 तक कांग्रेस समीति के महासचिव के रूप में नेहरू ने कार्यभार संभाला। दिसम्बर 1929 लाहौर, कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में नेहरू पार्टी के अध्यक्ष नियुक्त हुए। इसी वर्ष में इन्होनें पूर्ण स्वराज की मांग किया।

नेहरू तथा भारत के लिए महत्वपूर्ण सत्र

1935 में कांग्रेस पार्टी ने चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। नेहरू इस चुनाव का हिस्सा नहीं थे पर ज़ोरो-शोरों से पार्टी का प्रचार-प्रसार करने लगे इसके परिणाम में कांग्रेस को लगभग हर प्रांत से जीत हासिल हुई। नेहरू 1935-1936 के लिए कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान उनकी गिरफ्तारी हुई तथा 1945 में उन्हें रिहा कर दिया गया। 1947 में भारत पाकिस्तान विभाजन के समय उन्होंने ब्रिटिश सरकार से वार्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया।

नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में

जब से महात्मा गांधी ने नेहरू को लाहौर में कांग्रेस अधिवेशन के अध्यक्ष के रूप में चुना तब से जवाहर लाल नेहरू का प्रधानमंत्री बनना यह तय था। वोटो की संख्या कम होने के बाद भी नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। इसके बाद उनके आलोचकों ने जमकर उनकी निंदा की पर उन्होंने अपने पद पर रहते हुए अपने शक्तियों का उचित प्रयोग कर देश के हित में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिया।

प्रधानमंत्री पद पर नेहरू की महत्वपूर्ण भूमिका

1947 में ब्रिटिश सरकार ने लगभग 500 छोटे-बड़े रियासतों को आज़ाद किया। इन सभी रियासतों को पहली बार एक झण्डे के नीचे लाना चुनौतीपूर्ण कार्य था पर नेहरू ने अन्य महापुरुषों के मदद से इस कार्य में सफलता प्राप्त किया। आधुनिक भारत के निर्माण में नेहरू का विशेष योगदान है। उनके नीतियों के परिणाम स्वरूप आज पंचवर्षिय योजना के माध्यम से कृषि तथा उद्योग में विकास देखा जा सकता है।

नेहरू के राजनीतिक जीवन के उतार-चढ़ाव तथा देश के हित में लिए गए निर्णय के फलस्वरूप गर्व से कहा जा सकता है स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री का पद उन्हें उनकी योग्यता के आधार पर मिला है।

Essay on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi – निबंध 3 (500 शब्द)

जवाहर लाल नेहरू के पंडित होने के वजह से लोग उन्हें पंडित नेहरू भी पुकारते थे तथा भारत में उनकी लोकप्रियता होने के वजह से भारतीय उन्हें चाचा नेहरू कहकर भी बुलाते थे। तीन भाई बहनों में जवाहर लाल नेहरू अकेले भाई थे, इनके अलावां इनकी दो बहने थीं। एक विजय लक्ष्मी पंडित तथा दूसरी कृष्णा हुतेसिंग।

नेहरू एक निपुण लेखक के रूप में

समस्त राजनीतिक विवादों से दूर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता की नेहरू एक उत्तम लेखक थे। उनकी ज्यादातर रचना जेल में ही लिखी गई हैं, पिता के पत्र : पुत्री के नाम (1929), विश्व इतिहास की झलक (1933), मेरी कहानी (नेहरू की ऑटो बायोग्राफी – 1936), इतिहास के महापुरुष, राष्ट्रपिता, भारत की खोज (Discovery of India – 1945) यह कुछ महान रचनाएं नेहरू के कलम से लिखी गई। यह आज भी लोगों के मध्य उतनी ही लोक प्रिय है जितना की उस वक्त थीं।

नेहरू का देश हित में निर्णायक निर्णय

कांग्रेस समीति का वार्षिक सत्र 1928-29, मोतीलाल नेहरू के अध्यक्षता में आयोजित किया गया। उस समय पर मोतीलाल नेहरू ने ब्रिटिश सरकार के अंदर ही प्रभुत्व संपंन राष्ट्र का दर्जा पाने की मांग की। जबकि जवाहर लाल नेहरू तथा सुबास चंद्र बोस ने पूरी राजनीतिक स्वतंत्रता की मांग की। यहां पहली बार जवाहर लाल नेहरू अपने पिता के निर्णय का विरोध कर रहें थे। यह स्वतंत्र भारत के लिए उचित निर्णय था।

नेहरू की आलोचना

कुछ लोगों के अनुसार, गाँधी जी के वजह से नेहरू को प्रधानमंत्री का पद मिला। माना जाता है की कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष ही प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभालेगा यह तय था। इसके बाद भी गाँधी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल समेत अन्य योग्य नेताओं के स्थान पर नेहरू को कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में चुना। जो भी हो नेहरू ने अपने पद के महत्व को समझते हुए अनेक बेहतर प्रयास कर आधुनिक भारत का निर्माण किया है।

चाचा नेहरू का जन्म दिवस, बाल दिवस के रूप में

चाचा नेहरू का बच्चों के प्रति असीम प्रेम के वजह से 14 नवम्बर, नेहरू का जन्म दिवस, को बाल दिवस के रूप में देश के सभी विद्यालयों में मनाया जाता है। इस दिन बच्चों को ख़ास महसूस कराने के लिए विद्यालय में विभिन्न प्रकार के प्रतियोगिता तथा खेल का आयोजन किया जाता है।

जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु

नेहरू ने 50 की दशक में कई राजनैतिक, आर्थिक तथा समाजिक निर्णय देश के आने वाले आधुनिक कल को सोच कर लिए। 27 मई 1964 की सुबह उनकी तबीयत खराब हुई तथा दोपहर 2 बजे तक उनका निधन हो गया।

पंडित नेहरू ने अपनी वसीयत में लिखा था- “मैं चाहता हूँ कि मेरी मुट्ठीभर राख को प्रयाग संगम में बहा दिया जाए जो हिंदुस्तान के दामन को चुमते हुए समंदर में जा मिले, लेकिन मेरी राख का ज्यादा हिस्सा हवाई जहाज से ऊपर ले जाकर खेतों में बिखेर दिया जाए, वो खेत जहां हजारों मेहनतकश इंसान काम में लगे हैं, ताकि मेरे वजूद का हर जर्रा वतन की खाक में मिल जाए..”

जाने माने तथा समृद्ध परिवार से संबंध होने के फलस्वरूप नेहरू का पालन पोषण बहुत ही नाजो से किया गया था। इसके बाद भी वह अपने देश की मिट्टी से जुड़े हुए थे। बच्चों में लोक प्रियता के वजह से लोग उन्हें चाचा नेहरू कह कर संबोधित करते हैं।

Jawaharlal Nehru Essay

FAQs: जवाहरलाल नेहरू पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उत्तर. जवाहरलाल नेहरू की जयंती भारत में बाल दिवस के रूप में मनाई जाती है।

उत्तर. जवाहरलाल नेहरू पेशे से वकील थे। तथा भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे।

उत्तर. जवाहरलाल नेहरू द्वारा शुरू किया गया अखबार ‘नेशनल हेराल्ड’ था।

उत्तर. जवाहरलाल नेहरू 1947 से 1964 तक 18 वर्षों तक भारत के प्रधान मंत्री रहे।

उत्तर. जवाहरलाल नेहरू के स्मारक को ‘शांतिवन’ कहा जाता है।

उत्तर. ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ जवाहरलाल नेहरू द्वारा दिया गया प्रसिद्ध भाषण था।

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Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय: Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

पंडित जवाहरलाल नेहरु स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे. नेहरु जी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, इन्होनें देश को आजाद कराने में महात्मा गाँधी का साथ दिया था. नेहरु जी के व्यक्तित्त्व में देश प्रेम और सेवा की भावना साफ दिखाई देती थी. इन्हें महात्मा गाँधी अपना शिष्य मानते थे, जो उनके प्रिय थे. नेहरु जी को आधुनिक भारत का निर्माता भी माना जाता है. तो आज हम आपसे जवाहरलाल नेहरु का जीवन परिचय के बारे में बात करेंगे. Jawaharlal Nehru Biography in Hindi.

Table of Contents

पंडित जवाहरलाल नेहरु कौन थे?

जवाहरलाल नेहरु महान स्वतंत्रता सेनानी और स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे. बच्चे इन्हें प्यार से ‘ चाचा नेहरू ‘ कहते थे. इन्हें गुलाब का फूल बहुत पसंद था, अपने जेब में गुलाब का फूल हमेशा रखते थे. इनके जन्म दिन को बाल दिवस यानि चिल्ड्रेन डे के रूप में मनाया जाता है. परतंत्र भारत को स्वतंत्र कराने में महात्मा गाँधी का समर्थन किये थे, इन्हें गांधी अपना प्रिय शिष्य मानते थे.

जवाहरलाल नेहरु का जन्म कहाँ हुआ था? 

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री का जन्म 14 नवम्बर, 1889 को उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद जिले में हुआ था. इनके पिताजी का नाम मोतीलाल नेहरू और माताजी का नाम स्वरूप रानी था. नेहरू जी की प्रारंभिक शिक्षा घर में ही हुई थी. 1916 में कमला नेहरु से इनकी शादी हुई थी. कमला नेहरू और पंडित नेहरु की एक संतान थी, इंदिरा गांधी.

जवाहरलाल नेहरु का जीवन परिचय 

इनके पिताजी मोतीलाल नेहरू बड़े नामी बैरिस्टर थे और माताजी गृहणी थी. ऐसे प्रतिभाशाली समृद्ध पिता के इकलौते पुत्र होने का सौभाग्य  जवाहरलाल नेहरू को प्राप्त हुआ था. बैरिस्टर के पुत्र होने के कारण इन्हें भी कानून में रूचि उत्पन्न हो गया और प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने के बाद वकालत की पढाई करने के लिए विदेश चले गए.

इनकी प्रारंभिक शिक्षा का श्री गणेश घर पर ही हुआ. 15 वर्ष की उम्र में वे इंगलैंड के सुप्रसिद्ध स्कूल ‘हैरो’ भेजे गए. वहां दो वर्षों  तक पढाई करने के बाद उन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज में दाखिला लिया.उस कॉलेज में तीन वर्षो तक विज्ञान की शिक्षा प्राप्त की. उसके बाद लॉ की पढाई करने के लिए लन्दन चले गए. वकालत की परीक्षा लंदन-स्थित विद्यालय से उत्तीर्ण कर 1912 ई० में वे स्वदेश (भारत ) लौट आए.

Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

नेहरू उच्च शिक्षा प्राप्त कर विदेश से लौटे थे, उन्हें अच्छी-से-अच्छी नौकरी मिल सकती थी. किन्तु वे सरकारी नौकरियों को लात मारकर वकालत करने लगे. वकालत से अर्थोंपार्जन में समय की अधिक बर्बादी होती थी.

अतः देशसेवा के लिए उन्होंने वकालत को भी त्याग दिया और उन्होंने अपना सारा जीवन ही राष्ट्रसेवा के लिए अर्पित कर दिया. ऐसे समय में उन्हें  एक सुयोग्य पथप्रदर्शक की आवश्यकता थी. उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी से मिले और उनका नेतृत्व करने लगे.

गाँधी जी ऐसा व्यक्ति चाहते थे, जो मनसा, वाचा कर्मणा देशसेवा में अपना उत्सर्ग कर दें. उन्हें उनके मन के अनुकूल यानि मन चाहा व्यक्ति नेहरू के रूप में पंडित नेहरू मिले. गाँधी जी ने ‘रॉलेट ऐक्ट’ के विरोध में सत्याग्रह करने का संकल्प किया. पंडित जवाहरलाल नेहरू भी उसमें सम्मिलित होना चाहते थे, परंतु उनके पिता नहीं चाहते थे. पंडित मोतीलाल नेहरू ने गाँधीजी से सिफारिश किये की, जवाहरलाल नेहरु जेल ना जाएँ. गाँधी जी इनकी आज्ञा से पंडित जवाहरलाल नेहरू का जेल जाना स्थगित किये.

जवाहरलाल नेहरू की कहानी 

कुछ दिनों बाद देश में जालियाँवाला बाग-कांड हुआ. निर्दोष भारतवासी संगीन की नोक पर डायर द्वारा तड़पा-तड़पाकर मारे गए. अंग्रेज के इस राक्षसी दुर्व्यवहार ने जवाहरलाल जी के हृदय पर बड़ा ही गहरा आघात किया.

विदेशी सरकार ने इस खूनी कांड के कारण भारतीयों के हृदय की धकधकी ज्वाला को शांत करने के लिए प्रिंस ऑफ वेल्स को भारत बुलाकर, उसके प्रति भारतीयों से भक्ति प्रदर्शन कराने की चेष्टा की. किन्तु प्रिंस का आना तो आग में और भी घी डालना था.

गाँधी जी ने इसका विरोध किया और ऐलान किया कि प्रिंस का स्वागत काले झंडे से किया जाए. इलाहाबाद में पं० मोतीलाल नेहरू तथा जवाहरलाल नेहरू ने यह काम किया. बस क्या था, अंग्रेजी सरकार ने पिता-पुत्र को जेल की चहारदीवारी के अंदर बंद कर दिया.

जेल में जवाहरलाल जी ने श्रवणकुमार की भाँति पितृभक्ति दिखाई. वे स्वयं के कमरे में झाड़ू लगते थे, पिता के कपड़े साफ करते थें. इसी प्रकार के अनेक सेवाकार्य खुशी-खुशी करते थें. तब से जवाहरलाल अनेक बार जेल गए, तरह-तरह की विपत्तियाँ झेली और तभी दम लिया, जब अंग्रेज-रावण का विनाश किये.

जवाहरलाल नेहरु के बारे में 

1947 ई० में जब राष्ट्र स्वतंत्र हुआ, तब शताब्दियों से परतंत्र भारतीयों ने आजादी की साँस ली. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारतीय जनता ने अपने जनप्रिय नेता को अपने स्वतंत्र देश का प्रथम प्रधानमंत्री चुना. उसके बाद भारत में खुशहाली का सूरज चमका.

तत्पश्चात 1952 ई०, 1957 ई० और 1962 ई० में जब-जब निर्वाचन होता रहा, जवाहरलाल नेहरू जी एकमत से देश के प्रधानमंत्री बनते रहे. कुल तीन चुनावों में वे प्रधानमंत्री पद के लिए निर्वाचित हुए. उन्होंने इस देश को धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए कुछ नहीं कर पाए.

नेहरू केवल भारत के ही नहीं,बल्कि पुरे विश्व के नेता थे. सारे संसार में जब कोई तूफान आता था, लोगों की दृष्टि उनकी ओर जाती थी. उन्होंने समग्र संसार को पंचशील की अमोघ औषधि प्रदान की. जब नेहरू जी 1961 ई० के नवंबर में अमेरिका गए थे, वहाँ के प्रेसीडेंट केनेडी ने उनका स्वागत करते हुआ कहा था- “आपका स्वागत करते हुए, हमारे देश को प्रसन्नता होती है.आप और आपके महान नेता गाँधी जी विश्व नेता है. संसार आपकी नीति का मान-आदर और सत्कार करने के लिए लालायित है.

जवाहरलाल नेहरु की मृत्यु कब हुई?

जवाहरलाल नेहरु की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से 27 मई, 1964 को हुई थी. नेहरु की मौत भारत के लिए बहुत बड़ी क्षति थी. इस तरह से दिल का दौरा पड़ने से प्रथम प्रधानमंत्री का पंचभौतिक शरीर उठ गया. देश के महान नेता व स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उन्हें आज भी याद किया जाता है. उनकी याद में बहुत सी योजनाएं शुरू की गयी. जैसे, जवाहरलाल नेहरु विद्यालय , जवाहरलाल नेहरु टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी, जवाहरलाल नेहरु कैंसर हॉस्पिटल आदि.

उनके निधन पर किसी कवि ने बड़े ही दुःख भाव शब्दों में लिखा था,

धरती काँपी, आकाश हिला, सागर में उठा उबाल रे, रो रही विकल भारतमाता, चल बसा जवाहरलाल रे, गंगा रोई, यमुना रोई, लो, रोने लगा प्रयाग रे, आ गए हिमालय के आँसू, सागर में आए झाग रे

आज हम दर्पण की तरह स्वच्छ राजनीतिज्ञ, महान मुक्तदाता, भारत के निर्माता, शांति के अग्रदूत तथा मानवता के महान हितैषी पंडित जवाहरलाल नेहरू के पदचिन्हों पर चल पाएँ. इससे हमारी स्वतंत्रता ही सुरक्षित नहीं रहेगी, वरन मानव-कल्याण के कितने ही राजमार्ग खुल सकेंगे.

जवाहरलाल नेहरु द्वारा लिखी गयी पुस्तकें 

  • भारत और विश्व
  • भारत की एकता और स्वतंत्रता
  • दुनिया के इतिहास का ओझरता दर्शन 1939
  • विश्व इतिहास की एक झलक
  • डिस्कवरी ऑफ इंडिया ( भारत की खोज )

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जवाहरलाल नेहरू पर निबंध 10 lines (Jawaharlal Nehru Essay in Hindi) 100, 200, 250, 300, 500, words

pandit jawaharlal nehru short biography in hindi

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi – पंडित जवाहरलाल नेहरू सबसे प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे और स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री थे। चूंकि वह देश के लिए एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक शख्सियत थे, इसलिए बच्चों को उनके व्यक्तित्व और योगदान के बारे में पढ़ाया जाता है। उन्हें अक्सर एक संक्षिप्त नोट या जवाहरलाल नेहरू निबंध के रूप में जवाहरलाल नेहरू के बारे में कुछ पंक्तियाँ लिखने के लिए कहा जाता है। यहां जवाहरलाल नेहरू पर लंबी और छोटी पं के रूप में कुछ पंक्तियां दी गई हैं। जवाहरलाल नेहरू निबंध दिया जाता है। 

जवाहरलाल नेहरू पर अनुच्छेद छात्रों के लिए न केवल हिन्दी में पंडित जवाहरलाल नेहरू निबंध लिखने में बल्कि हिंदी में पंडित जवाहरलाल पर निबंध लिखने में भी सहायक होगा।

जवाहर लाल नेहरू पर 10 लाइन निबंध (10 Lines Essay on Jawahar Lal Nehru in Hindi)

  • 1) पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने।
  • 2) पंडित जवाहरलाल नेहरू कश्मीरी पंडितों के समुदाय से संबंधित थे।
  • 3) पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 1889 में इलाहाबाद में हुआ था।
  • 4) नेहरू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व थे।
  • 5)पंडित जवाहरलाल नेहरू के पिता का नाम मोतीलाल नेहरू और माता का नाम स्वरूपरानी था।
  • 6) पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • 7) बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कहते थे।
  • 8) पंडित नेहरू महात्मा गांधी के अनुयायी थे।
  • 9)पंडित जवाहरलाल नेहरू ने “डिस्कवरी ऑफ इंडिया” पुस्तक लिखी।
  • 10) 1955 में, जवाहरलाल नेहरू को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

जवाहरलाल नेहरू पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay On Jawaharlal Nehru in Hindi)

15 अगस्त, 1947 को देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत के पहले प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। उनका जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज के रूप में जाना जाता है) में हुआ था। उनका जन्मदिन भारत में “बाल दिवस” ​​​​के रूप में मनाया जाता है क्योंकि उनका बच्चों के साथ मधुर संबंध था। उनके पिता एक वकील के रूप में काम करते थे। नेहरू उन स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे जिन्होंने भारत को अंग्रेजों से मुक्त कराने के लिए लड़ाई लड़ी थी। महात्मा गांधी की मान्यताओं पर उनका गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने गांधी के साथ मुक्ति संग्राम में भाग लेते हुए कानूनी शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने अपनी स्वतंत्रता सक्रियता के लिए कई बार जेल में बिताया। बाद में, 1929 में, उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में सेवा देने के लिए चुना गया।

जवाहरलाल नेहरू पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay On Jawaharlal Nehru in Hindi)

आजादी के बाद जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। उनके पास उत्कृष्ट दृष्टि थी, और वे एक राजनीतिज्ञ, एक लेखक और एक नेता भी थे। उन्होंने हमेशा देश को बेहतर बनाने के लिए दिन-रात काम किया क्योंकि वह चाहते थे कि भारत समृद्ध हो। जवाहरलाल नेहरू एक दूरदर्शी नेता थे। उन्होंने जो सबसे महत्वपूर्ण बात कही वह थी “आराम हराम है”।

उन्होंने अपनी हाई स्कूल की शिक्षा पूरी करने के लिए लंदन की यात्रा की। उन्होंने कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज से कानून की डिग्री प्राप्त की और लंदन के इनर टेंपल में अभ्यास करना शुरू किया। भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए, उन्होंने भारत वापस यात्रा की। उन्होंने 1942 और 1946 के बीच कैद के दौरान डिस्कवरी ऑफ इंडिया लिखी।

शांतिप्रिय होने के बावजूद, जवाहरलाल नेहरू ने देखा कि कैसे अंग्रेजों ने भारतीयों को गाली दी। परिणामस्वरूप उन्होंने मुक्ति आंदोलन में शामिल होने का फैसला किया। उन्होंने अपने राष्ट्र के प्रति जुनून के कारण महात्मा गांधी से हाथ मिलाया। वह महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए।

आजादी की लड़ाई में उन्हें कई बाधाओं को पार करना पड़ा। यहां तक ​​कि उन्होंने काफी समय जेल में भी बिताया। हालांकि, उन्होंने राष्ट्र के प्रति अपना स्नेह नहीं खोया। उन्होंने एक बहादुर लड़ाई लड़ी, जिससे आजादी मिली। जवाहरलाल नेहरू ने भारत के पहले प्रधान मंत्री का पद जीतने के लिए कड़ी मेहनत की।

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  • Beti Bachao Beti Padhao Essay
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जवाहरलाल नेहरू पर 250 शब्दों का निबंध (250 Words Essay On Jawaharlal Nehru in Hindi)

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi जवाहरलाल नेहरू मोतीलाल नेहरू नाम के एक प्रमुख वकील के पुत्र थे। जवाहरलाल नेहरू का जन्म 1889 में 14 नवंबर को इलाहाबाद, भारत में हुआ था। उन्हें बाद में स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उनका परिवार बहुत प्रभावशाली राजनीतिक परिवार था जहाँ उन्होंने अपना प्रारंभिक अध्ययन प्राप्त किया और उच्च अध्ययन के लिए हैरो स्कूल और ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में इंग्लैंड गए और एक प्रसिद्ध वकील के रूप में भारत लौट आए। 

उनके पिता एक वकील थे लेकिन एक प्रमुख नेता के रूप में राष्ट्रवादी आंदोलन में भी रुचि रखते थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू भी महात्मा गांधी के साथ देश के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए और कई बार जेल गए। उनकी कड़ी मेहनत ने उन्हें पहला भारतीय प्रधान मंत्री बनने और देश के प्रति सभी जिम्मेदारियों को समझने में सक्षम बनाया। उन्होंने 1916 में कमला कौल से शादी की और 1917 में इंदिरा नाम की एक प्यारी सी बच्ची के पिता बने।

1916 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक में उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई। जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना के बाद उन्होंने अंग्रेजों से भारत के लिए लड़ने की कसम खाई। अपने कार्यों के लिए आलोचना झेलने के बाद भी वे स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बने। वह 1947 से 1964 तक भारत के सबसे लंबे समय तक और पहले प्रधान मंत्री बने। अपने महान कार्यों से देश की सेवा करने के बाद, स्ट्रोक की समस्या के कारण वर्ष 1964 में 27 मई को उनका निधन हो गया। वह एक लेखक भी थे और उन्होंने अपनी आत्मकथा टूवार्ड फ्रीडम (1941) सहित कई प्रसिद्ध पुस्तकें लिखीं।

जवाहरलाल नेहरू पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay On Jawaharlal Nehru in Hindi)

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi – पंडित जवाहरलाल नेहरू एक महान व्यक्ति, नेता, राजनीतिज्ञ, लेखक और वक्ता थे। वह बच्चों से बहुत प्यार करते थे और गरीब लोगों के बहुत अच्छे दोस्त थे। उन्होंने हमेशा खुद को भारत के लोगों का सच्चा सेवक समझा। उन्होंने इस देश को एक सफल देश बनाने के लिए दिन रात कड़ी मेहनत की। वह स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री बने और इस प्रकार उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा गया। भारत में कई लोग महान पैदा हुए और चाचा नेहरू उनमें से एक थे। वह महान दृष्टि, ईमानदारी, कठिन परिश्रम, ईमानदारी, देशभक्ति और बौद्धिक शक्तियों वाले व्यक्ति थे।

वह “अराम हराम है” के रूप में एक प्रसिद्ध नारा के दाता थे। वह राष्ट्रीय योजना आयोग के पहले अध्यक्ष बने और दो साल बाद उन्होंने भारतीय लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए राष्ट्रीय विकास परिषद की शुरुआत की। उनके मार्गदर्शन में 1951 में पहली पंचवर्षीय योजना शुरू की गई और लागू की गई। उन्हें बच्चों से बहुत लगाव था इसलिए उन्होंने उनकी वृद्धि और विकास के लिए कई रास्ते बनाए। बाद में भारत सरकार द्वारा बाल दिवस को उनके जन्मदिन की सालगिरह पर बच्चों की भलाई के लिए हर साल मनाया जाने की घोषणा की गई। वर्तमान में, उनकी जयंती पर मनाए जाने के लिए भारत सरकार द्वारा बाल स्वच्छता अभियान नाम से एक और कार्यक्रम शुरू किया गया है।

उन्होंने हमेशा अछूतों, समाज के कमजोर वर्गों के लोगों के सुधार, महिलाओं और बच्चों के कल्याण के अधिकार को प्राथमिकता दी। भारतीय लोगों के कल्याण के लिए सही दिशा में महान कदम उठाने के लिए “पंचायती राज” प्रणाली पूरे देश में शुरू की गई थी। उन्होंने भारत के साथ अंतर्राष्ट्रीय शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए “पंच शील” प्रणाली का प्रचार किया और भारत को दुनिया के अग्रणी देशों में से एक बना दिया।

जवाहरलाल नेहरू पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay On Jawaharlal Nehru in Hindi)

जवाहरलाल नेहरू एक प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और भारत के पहले प्रधान मंत्री थे। वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे और उन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आजादी के लिए देश के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह एक राजनेता, राजनीतिक नेता और लेखक भी थे जिन्हें आधुनिक भारत के विकास में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद, ब्रिटिश भारत में हुआ था। वह एक प्रमुख वकील और राजनीतिज्ञ, मोतीलाल नेहरू के पुत्र थे। नेहरू ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा निजी शिक्षकों के मार्गदर्शन में घर पर प्राप्त की। बाद में उन्होंने लंदन के हैरो स्कूल में पढ़ाई की, जहाँ उन्होंने इतिहास, राजनीति और अर्थशास्त्र का अध्ययन किया। इसके बाद वे कैंब्रिज विश्वविद्यालय में अध्ययन के लिए गए, जहाँ उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में डिग्री हासिल की।

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी

अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, नेहरू भारत लौट आए और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हो गए। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और तेजी से इसके प्रमुख नेताओं में से एक बन गए। वह असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन में अग्रणी व्यक्ति थे। स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया और नौ साल से अधिक समय तक जेल में रहना पड़ा।

प्रधान मंत्री के रूप में नेतृत्व

1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, नेहरू भारत के पहले प्रधान मंत्री बने। उन्होंने 1964 में अपनी मृत्यु तक, 17 वर्षों तक प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने नए राष्ट्र को आकार देने और इसे एक आधुनिक, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय लोगों के जीवन में सुधार लाने और देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों को लागू किया। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मामलों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, विशेषकर गुटनिरपेक्ष आंदोलन में।

परंपरा (legacy)

जवाहरलाल नेहरू की विरासत आज भी भारत में महसूस की जाती है। उन्हें देश के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान और प्रधान मंत्री के रूप में उनके नेतृत्व के लिए याद किया जाता है। उन्हें आधुनिक भारत के विकास में विशेष रूप से शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भी याद किया जाता है। उनका जन्मदिन, 14 नवंबर, बच्चों के प्रति उनके प्यार और स्नेह को पहचानते हुए, उनके सम्मान में भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

लेसन्स हिज लाइफ

शिक्षा का महत्व | जवाहरलाल नेहरू एक उच्च शिक्षित व्यक्ति थे, जो जीवन और समाज को बदलने के लिए शिक्षा की शक्ति में विश्वास करते थे। उन्होंने भारत में शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने और सभी के लिए शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों को लागू किया। हम उनके उदाहरण से शिक्षा के महत्व और व्यक्तिगत और सामाजिक विकास में इसकी भूमिका के बारे में सीख सकते हैं।

दृढ़ता की शक्ति | नेहरू ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी भागीदारी के लिए कई साल जेल में बिताए। चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, उन्होंने स्वतंत्रता के लिए अपनी लड़ाई को कभी नहीं छोड़ा और इस उद्देश्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता से कभी नहीं डगमगाए। हम उनके उदाहरण से दृढ़ता की शक्ति और अपने विश्वासों के प्रति सच्चे रहने के महत्व से सीख सकते हैं।

लोक सेवा | नेहरू का जीवन भारत के लोगों की सेवा के लिए समर्पित था। उन्होंने उनके जीवन को बेहतर बनाने और एक बेहतर राष्ट्र बनाने के लिए अथक प्रयास किया। हम उनके उदाहरण से सीख सकते हैं कि सार्वजनिक सेवा का महत्व और समाज में बदलाव लाने में इसकी क्या भूमिका है।

नेतृत्व | नेहरू एक दूरदर्शी नेता थे जिन्होंने भारत के नए राष्ट्र को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके पास देश के भविष्य के लिए एक स्पष्ट दृष्टि थी और इसे वास्तविकता बनाने के लिए अथक प्रयास किया। हम उनके उदाहरण से मजबूत नेतृत्व के महत्व और देश के भविष्य को आकार देने में इसकी भूमिका से सीख सकते हैं।

जवाहरलाल नेहरू पर अनुच्छेद पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1. जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु कब और कैसे हुई.

उत्तर जवाहरलाल नेहरू का निधन वर्ष 1964 में दिल का दौरा पड़ने से हुआ था।

प्रश्न 2. पंडित नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष कब बने थे?

उत्तर: पंडित जवाहरलाल नेहरू वर्ष 1929 – 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस या कांग्रेस के अध्यक्ष बने और लाहौर अधिवेशन की अध्यक्षता की।

प्रश्न 3. कांग्रेस में जवाहरलाल नेहरू के गुरु कौन थे?

उत्तर: जब पंडित नेहरू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए, तो उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रशंसा की, जो बाद में उनके गुरु बने।

प्रश्न 4. जवाहरलाल नेहरू को दी जाने वाली लोकप्रिय उपाधियाँ क्या हैं?

उत्तर: पंडित और चाचा नेहरू जैसी उपाधियों के अलावा, जवाहरलाल नेहरू को भारत के वास्तुकार के रूप में भी जाना जाता था क्योंकि उन्होंने धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, संप्रभु और समाजवादी भारत के निर्माण में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी।

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  • Jawaharlal Nehru Biography

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Jawahar Lal Nehru’s Biography - A journey of Struggle, Sacrifice and Victory

Jawahar Lal Nehru was an Indian independence fighter and the first prime minister of India. He was considered as a central warrior in Indian Politics before independence as well as after independence. He was born on 14 November 1889 in Allahabad and served the nation from 1947 until his death in 1964. The birthplace of Jawahar Lal Nehru is Prayagraj which is in Allahabad. Due to his association with the Kashmiri Pandit community, he was also known as Pandit Nehru, while the Indian kids referred to them as Chacha Nehru. Jawahar Lal Nehru’s birthday is widely celebrated as Children’s day. His father’s name is Motilal Nehru who served as Indian Prime minister in 1919 and 1928. His mother’s name is Swarup Rani Thussu and she was the second wife of Motilal. Jawahar Lal Nehru had 2 sisters and he was the eldest among all. Vijay Laxmi was the eldest sister who later became the President of the United Nations General Assembly. And the youngest sister Krishna Hutheesing was a noted writer and authored several books on her brother. Jawahar Lal Nehru was married to Kamala Nehru who was born in 1899.

Childhood and Early Age:

He grew up in a privileged atmosphere in a rich home. His father trained him by private governesses and tutors. Nehru became interested in science and theosophy under the influence of Ferdinand T. Brooks' tutelage. At the age of thirteen, family friend Annie Besant subsequently introduced him to the Theosophical Society. For nearly three years Brooks was with me and in some ways, he influenced me greatly.

Jawahar Lal Nehru’s Education:

In October 1907, Nehru visited Trinity College, Cambridge, and graduated with an honours degree in science in 1910. He also studied politics, economics, history, and literature with little interest during this time. Most of his political and financial philosophy was molded by the writings of Bernard Shaw, H. G. Wells, John Maynard Keynes, Bertrand Russell, Lowes Dickinson, and Meredith Townsend.

After completing his degree in 1910, Nehru moved to London and studied law at the Inner Temple Inn. During this period, including Beatrice Webb, he continued researching the Fabian Society scholars. He was called to the Bar in 1912.

Early Struggle for Independence (1912 - 1938)

During his time in Britain as a student and a barrister, Nehru developed an interest in Indian politics. Nehru attended an annual session of the Indian National Congress in Patna within months of his return to India in 1912. In 1912, Congress was the party of progressives and elites, and he was disconcerted by what he saw as "very much an English-knowing upper-class affair." Nehru had reservations about Congress' efficacy but decided to work for the party to support the Indian civil rights movement led in South Africa by Mahatma Gandhi, raising funds for the movement in 1913. Later, in the British colonies, he protested against indentured labour and other such injustice faced by Indians.

Non-Cooperation Movement:

Nehru's first significant national participation came at the beginning of the Non-Cooperation Movement in 1920. Nehru was arrested in 1921 on charges of anti-government activities Nehru remained loyal to Gandhi in the rift that developed within the Congress following the sudden closure of the Non-Cooperation movement after the Chauri Chaura incident and did not join the Swaraj Party formed by his father Motilal Nehru and CR Das.

Salt Satyagraha Success:

The Salt Satyagraha succeeded in attracting the world's attention. Increasingly, Indian, British, and world views started to accept the validity of the Congress party's independence claims. Nehru found the high-water mark of his involvement with Gandhi to be the salt satyagraha and thought that its enduring significance was in transforming Indian attitudes.

Jawahar Lal Nehru The First Prime Minister of India:

Nehru served for 18 years as prime minister, first as temporary prime minister, and then as prime minister of the Republic of India from 1950.

In the 1946 elections Congress captured a majority of seats in the assembly and, with Nehru as the prime minister, led the provisional government. On 15 August 1947, Jawaharlal Nehru was sworn in as the first Prime Minister of Free India. On 15 August, he took office because the Prime Minister of India and gave his inaugural entitled "Tryst with Destiny".

Hindu Marriage Law and Role of Jawahar Lal Nehru:

Several laws passed such as the Hindu Code law in the 1950s that sought to codify and amend Hindu personal law in India. After India's independence in 1947, this codification and change, a process initiated by the British Raj, was completed by the Indian National Congress government headed by Prime Minister Jawaharlal Nehru. The object of the Hindu Code Bill was to provide a civil code instead of a body of personal Hindu law, which had been amended only to a limited extent by the British authorities. On 9 April 1948, the bill was submitted to the Constituent Assembly, but it created a lot of uproars and was subsequently broken down to three more specialized bills that came before the 1952-7 term of the Lok Sabha. The Hindu Marriage Bill abolished polygamy and included restrictions on inter-caste marriages and divorce procedures; the Hindu Adoption and Maintenance Bill had the adoption of girls as its main thrust, which had been little practiced until then; the Hindu Succession Bill put daughters on the same footing as widows and sons when it came to family property inheritance.

1952 Elections and Jawahar Lal Nehru:

Following the constitution's ratification on 26 November 1949, the Constituent Assembly, before new elections, proceeded to serve as the provisional parliament. The interim cabinet of Nehru was composed of 15 representatives from different communities and parties. Different cabinet members resigned from their positions and formed their parties to contest the elections. Nehru was also elected the president of Congress for 1951 and 1952 while being the PM. In the election, the Congress party under the leadership of Nehru won significant majorities at both state and national level, despite a large number of parties competing.

Death of Jawahar Lal Nehru:

After 1962, Nehru's health started to decline slowly, and he spent months recovering in Kashmir until 1963. He felt very relaxed after his return from Dehradun on 26 May 1964 and went to bed, as usual, he had a restful night after he returned from the bathroom, Nehru complained of back pain. He talked to the doctors who were attending him for a short time, and Nehru collapsed almost instantly. Before he died, he remained unconscious. His death was registered to Lok Sabha on 27 May 1964 (the same day) the cause of death is suspected to be a heart attack. The body of Jawaharlal Nehru was put for public viewing on the Indian national Tri-colour flag. Nehru was cremated on 28 May at Shantivan on the banks of the Yamuna by Hindu rituals, witnessed by 1.5 million mourners flocking to the streets of Delhi and the cremation grounds.

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FAQs on Jawaharlal Nehru Biography

Q1. Why do we Celebrate Jawahar Lal Nehru’s Birthday as a Children’s Day?

Ans. Every year, 14th November is celebrated as children’s day. Jawahar Lal Nehru also remembered as Chacha Nehru was the first-ever Prime Minister of India. Children’s day is celebrated for the awareness of child rights, child care, and education for all children. According to him, children were the real assets and strength of society. Cultural activities for children are held across the world on this day, in different schools, colleges, and other educational institutions. There are some programs and events, which also see the involvement of students. Kids also dress up as Jawaharlal Nehru with a red rose pinned to their 'Nehru' jacket collar.

Q2. What was Nehru’s Contribution Towards India?

Ans. After achieving independence, Jawaharlal Nehru was India's first Prime Minister. He was previously one of the influential leaders of the Indian National Congress, having pulled the intellectuals and youth of the country into the movement's mainstream. His descendants were also influential Indian politicians, including Indira Gandhi, Rajiv Gandhi, and Rahul Gandhi. Nehru played a leading role in the growth of the Indian independence struggle's internationalist perspective. He found foreign allies for India and forged relations with independence and democracy movements around the world. He brought moderate socialist economic reforms into practice and dedicated India to an industrialization policy. Also, Nehru acted as India's foreign minister.

Q3. Explain the Education History of Jawahar Lal Nehru?

Ans. Jawaharlal Nehru had a Western childhood, in large part. He was homeschooled in India as a child, often by a series of governesses and tutors in English. In October 1907, Nehru went to Trinity College, Cambridge, and graduated in 1910 with an honors degree in natural science. He started his education in England, in London at Harrow School, and in Cambridge at Trinity College. He also studied politics, economics, history, and literature with little interest during this time. He spent seven years in England, but he was very confused and still felt neither in England nor in India that he was in a half-home. "I have become a queer mixture of East and West, out of place everywhere, at home now where" I have become a queer East-West combination, out of place anywhere, at home now, where.

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Jawaharlal Nehru Biography in Hindi | पंडित जवाहरलाल नेहरू की जीवनी

Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

Pandit Jawaharlal Nehru Biography in Hindi – जवाहरलाल नेहरू, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे और स्वतन्त्रता के पूर्व और पश्चात की भारतीय राजनीति के केन्द्रीय व्यक्तित्व थे. महात्मा गांधी के नेतृत्व में, वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के सर्वोच्च नेता के रूप में उभरे और उन्होंने 1947 में भारत के एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापना से लेकर 1964 तक अपने निधन तक, भारत के प्रधानमंत्री के रूप में भारत की सेवा किए. भारतीय बच्चे उन्हें चाचा नेहरू के रूप में जानते हैं. भारत में इनका जन्मदिन बाल दिवस ( Bal Diwas ) के रूप में मनाया जाता हैं.

Jawaharlal Nehru Biography in Hindi | जवाहरलाल नेहरू की जीवनी

नाम – पण्डित जवाहरलाल नेहरू ( Pandit Jawaharlal Nehru ) जन्मतिथि – 14 नवम्बर, 1889 जन्मस्थल – इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत माता का नाम – स्वरूपरानी नेहरू पिता का नाम – मोतीलाल नेहरू शिक्षा – ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, इनर टेंपल पेशा – बैरिस्टर, लेखक, राजनीतिज्ञ पत्नी – कमला नेहरू बच्चे – इंदिरा गांधी मृत्यु – 27 मई 1964, नई दिल्ली पुरस्कार – भारतरत्न (1955)

इन्होंने एक अन्य स्वतन्त्रता सेनानी, पण्डित मोती लाल नेहरू ( Pandit Moti Lal Nehru ) के घर 14 नवम्बर, 1889 को जन्म लिया. एक अमीर वकील के बेटे होने के कारण उन्हें विद्याग्रहण करने के लिए इंग्लैंड भेज दिया गया. 1912 में वह बैरिस्टर बनकर लौटे. उन्होंने बांकीपुर में कांग्रेस अधिवेशन में एक कांग्रेस प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया. 1921में सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दिनों वे गांधीजी के निकट सम्पर्क में आये. उन्होंने नौ बार जेल यात्रा की जिसका सामूहिक समय नौ वर्ष से अधिक हैं. 1923 में वह कांग्रेस के महासचिव नियुक्त किये गये और 1929, 1939 और 1946 में तथा 1951 से 1954 तक वह इसके अध्यक्ष रहे. 1946 में नेहरू अंतरिम सरकार में और स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने जिस पद पर वह 1964 में मृत्युपर्यन्त बने रहे.

अपने राजनैतिक दर्शन में वह गांधीजी के सच्चे शिष्य थे और अहिंसा के अनुयायी थे. गांधीजी को नेहरू जी में पूर्ण विश्वास था और वह इस तथ्य को प्रकट रूप से कह चुके थे कि पण्डित नेहरू उनके राजनैतिक उत्तराधिकारी हैं और उन्हें विश्वास था कि उनके पश्चात भी वह देश को अहिंसा के मार्ग पर चलते रहेंगे. Mahatma Gandhi Biography in Hindi | महात्मा गांधी जी का जीवन परिचय

पण्डित नेहरू की अन्तराष्ट्रीयता के लिए राष्ट्रीयता की परिधि बहुत संकरी थी. वह एक सच्ची अन्तर्राष्ट्रीय भावना से प्रेरित व्यक्ति थे और सदा पददलित मानवता के प्रति साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद के विरूद्ध विचार व्यक्त करने और सहायता देने को उद्यत रहते थे. उन्होंने एशिया, अफ्रीका और अमरीका महाद्वीपों में सभी उदारवादी आंदोलनों को अपना नैतिक समर्थन दिया. वह शान्ति में दृढ़ विश्वास रखते थे और अन्तर्राष्ट्रीय संगठन (U.N.O.) के समर्थक थे. अनगिनत अन्तर्राष्ट्रीय संकटों में, जैसे स्वेज नहर, कोरिया, कांगो, वीयतनाम, अरब-इजराइली झगड़े सभी में नेहरू का यही प्रयत्न रहा कि शांति पुनः स्थापित हो जाए और अपनी मध्यस्थता देने का प्रस्ताव किया.

आर्थिक क्षेत्र में नेहरू समाजवादी थे और उन्होंने आर्थिक योजना की आवश्यकता पर बल दिया. 1939 में कांग्रेस द्वारा नियोजित राष्ट्रीय योजना समिति ( National Planning Committee ) के अध्यक्ष भी थे. स्वतंत्रता के पश्चात वह राष्ट्रीय योजना आयोग के प्रधान थे. यह इन्हीं के प्रयत्नों का परिणाम था कि भारत में आर्थिक योजन का उद्देश्य समाज का समाजवादी ढांचा, स्वीकार किया गया.

वह आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण के समर्थक थे और भारत की उन्नति के लिए वैज्ञानिक ( Scientific ) तथा प्रौद्योगिकी ( Technological ) ढंगों का प्रयोग करना चाहते थे. उन्होंने कई बार भारतीय विज्ञान कांग्रेस ( Indian Science Congress ) के अध्यक्ष पद से भाषण दिए. भारत के भिन्न-भिन्न भागों में स्थापित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसन्धान परिषद ( Council of Scientific and Industrial Reasearch ) के अनेक केंद्र उनकी दूरदर्शिता के स्पष्ट प्रतीक हैं.

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में देशवासियों ने इन्हें 17 वर्ष तक अपरिमित समर्थन दिया. वह राष्ट्रीय जीवन के अनेक क्षेत्रों में गतिदर्शक थे. उनका विशेष बल धर्मनिपेक्षता, समाजवाद, और प्रजातन्त्रवाद पर था और ये आज हमारे भारत में गहरे जड़ पकड़ गये हैं और भारत के आदर्श हैं.

स्वतन्त्रता संग्राम के विशेष सेनानी, पण्डित नेहरू ने लोगों के दिलों को जीत लिया और वह जीवन पर्यन्त उनके स्नेह और श्रद्धा के पात्र बने रहे.

जवाहरलाल नेहरू को मिला सम्मान | Jawaharlal Nehru Awards

जवाहरलाल नेहरू जी को 1955 में, देश का सर्वोच्च सम्मान “ भारत रत्न ( Bharat Ratna ) ” से सम्मानित किया गया.

जवाहरलाल नेहरू की पुस्तकें | Jawaharlal Nehru Books

  • पिता के पत्र : पुत्री के नाम – 1929
  • विश्व इतिहास की झलक ( Glimpses of World History ) 1933
  • मेरी कहानी ( An Autobiography ) – 1936
  • भारत की खोज/हिन्दुस्तान की कहानी ( The Discovery of India ) – 1945
  • राजनीति से दूर
  • इतिहास के महापुरुष
  • राष्ट्रपिता
  • जवाहरलाल नेहरू वाङ्मय (11 खंडों में)

अन्य रोचक बातें जवाहरलाल नेहरू से सम्बंधित | Other Interesting Facts related to Jawaharlal Nehru

  • पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जो ” शिवकाशी ( Sivakasi or Shivakashi ) ” को कुट्टी जापान ( Kutti Japan ) ” कहा था जिसका मतलब होता हैं “ छोटा जापान ( Little Japan ) “. शिवकाशी स्थान तमिलनाडु में हैं.

नेहरू जी की मृत्यु | Death of Jawaharlal Nehru

27 मई, 1964 में, दिल का दौरा पड़ने से जवाहर लाल नेहरू जी का देहांत हो गया. उनकी मौत भारत देश के लिए एक बहुत बड़ी क्षति थी.

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pandit jawaharlal nehru short biography in hindi

Pandit Jawaharlal Nehru: Architect of Modern India – A Comprehensive Biography

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Context: November 14 is the birth anniversary of independent India’s first Prime Minister Jawaharlal Nehru.

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Pandit Jawaharlal Nehru: Pioneer of Indian Nationalism and Architect of Modernity

  • About: Pandit Jawaharlal Nehru was a lawyer, Indian nationalist, politician and socialist thinker who played a major role in post-independent India.

Jawaharlal Nehru

  • Motilal Nehru was a famous lawyer and nationalist.
  • He completed studying law from Inner Temple in London.
  • Early Career : After returning to India, Nehru practiced law for some years. Later he abandoned his practice and joined the freedom struggle .
  • He was a supporter of liberal brand of politics.

Pandit Jawaharlal Nehru’s Dynamic Role in India’s Struggle for Independence

  • He served as the Secretary of the  Home Rule League, Allahabad in 1919.
  • Non-cooperation movement: Nehru participated in the non-cooperation movement where he came in contact with Mahatma Gandhi.
  • Foreign Allies: Nehru worked to obtain support of foreign allies for Indian freedom struggle by establishing contacts with movements for independence and democracy around the world.
  • Independence for India League: Nehru formed the Independence for India League , a pressure group with the Congress, demanding complete Independence for India. 
  • Individual Satyagraha: Nehru participated as the second satyagrahi in the individual satyagraha movement launched by Mahatma Gandhi in 1940, and was sentenced to imprisonment. 
  • It was in this session that the Poorna Swaraj declaration of Congress was adopted.
  • Nehru also presided over the Congress party session of 1936 held in Lucknow.
  • Congress Policy: Nehru drafted the Fundamental Rights and Economic Policy resolution, which were to be the main goals of the Congress party and the nation’s future. 
  • Quit India Movement: Nehru introduced the  ‘Quit India’ resolution  at the  All-India Congress Committee session in Bombay in 1942.
  • Defence of INA Officials: Nehru played a main role in organizing legal defence for Indian National Army (INA) officers and troops tried for disloyalty by the British.  
  • Interim Prime Minister: Nehru headed the interim government as the Prime Minister under the Cabinet Mission plan in 1946.
  • During his Oath as the Prime Minister of India, Nehru made the famous “ Tryst with Destiny ” speech.
  • Linguistic States: Nehru appointed the States Reorganisation Commission , known as Fazl Ali Commission , for the creation of states on linguistic lines.
  • He also included free and compulsory primary education to all children in his five-year plans.
  • Science and Technology: Nehru laid the stepping stone for India Atomic Energy Commission and space agency .
  • Nehru’s 1946 ‘ Objective Resolution’ became the underlying principles behind the Preamble of Indian Constitution.
  • He introduced five policy outlines known as ‘ Tribal Panchsheel’ for approaching tribal development in India.
  • Indo-China Peace Agreement: Nehru signed the peace deal with China, called the Five Principles of Peaceful Coexistence , known popularly as the Panchsheel . 
  • Non-Aligned Movement (NAM): NAM is considered to be Nehru’s biggest foreign policy accomplishment as he created a group of like-minded countries which decided to not align with any superpower during the  cold war era.
  • Commonwealth: Nehru decided to maintain good relations with Britain and other British Commonwealth countries by signing the 1949 London Declaration , under which India agreed to remain within the Commonwealth of Nations after becoming a republic.
  • Under Nehru’s policies, government invested in large-scale public sector industries such as steel, iron, coal, and power.
  • The second five year plan was known to be based on the Nehru-Mahalanobis model . 
  • Land Reforms: Nehru initiated land reform policies to abolish Zamindari system and carried out redistribution of land resources among small farmers.
  • Green Revolution: The idea of self sufficiency in food production was envisioned by Nehru, who decided to initiate Green Revolution in the third Five Year Plan in 1961.
  • De-nuclearisation: Nehru campaigned for abolition of nuclear weapons , as he feared that nuclear arms race would lead to over-militarization that would be unaffordable for developing countries.

Criticisms of Pandit Jawaharlal Nehru’s Policies: Examining Kashmir and the Sino-Indian War

  • Kashmir Policy: Nehru has been frequently criticized for his blunders while handling Kashmir . It is alleged that his delayed action led to India losing control over large areas of land.
  • China Policy: It is alleged that Nehru’s military unpreparedness cost India the victory in the Sino-Indian war of 1962. The diplomatic failure to tackle a hostile territorial situation has continued to haunt India even today.

Jawaharlal Nehru: Literary Legacy and Thoughtful Quotes

  • Books:   Letters from a Father to His Daughter (1929) ,  An Autobiography (1936) and The Discovery of India (1946) are some of the well known works of Jawaharlal Nehru.
  • “The policy of being too cautious is the greatest risk of all.”
  • “Culture is the widening of the mind and of the spirit.”
  • “Politics and religion are obsolete. The time has come for science and spirituality.”
  • “Time is not measured by the passing of years but by what one does, what one feels, and what one achieves.”
  • “Only through the right education can a better order of society be built up.”
  • “It is the habit of every aggressor nation to claim that it is acting on the defensive.”
  • “The children of today will make the India of tomorrow. The way we bring them up will determine the future of the country.”
  • “Failure comes only when we forget our ideals and objectives and principles .”

Jawaharlal Nehru: Honors and Legacy:

  • Children’s Day: Children’s day is celebrated every year to mark the birthday of Jawaharlal Nehru . Initially, Children’s Day in India was celebrated on November 20 but post the demise of Jawaharlal Nehru’s in 1964, a resolution was passed to declare November 14 as Children’s Day to honour his legacy.
  • Bharat Ratna: Nehru was awarded the  Bharat Ratna , India’s highest civilian honour, in 1955.

Conclusion:

Jawaharlal Nehru was one of the greatest political icons of modern India. His contributions towards building a modern nation cannot be ignored.

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Frequently Asked Questions

Who was jawaharlal nehru, in which year did nehru become the president of congress for the first time, what is the non-aligned movement, which are the famous books written by jawaharlal nehru, what are the honours accorded to jawaharlal nehru.

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COMMENTS

  1. जवाहरलाल नेहरू

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    पंडित जवाहर लाल नेहरू के बारेमें - Jawaharlal Nehru Information in Hindi. पूरा नाम (Name) जवाहरलाल मोतीलाल नेहरु. जन्मतिथि (Birthday) 14 नवम्बर 1889 ( Children's Day) जन्मस्थान (Birthplace ...

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    आज इस आर्टिकल में हम आपको जवाहरलाल नेहरु की जीवनी - jawaharlal-nehru Biography Hindi के बारे में बताएंगे।. Contents hide. 1 जवाहरलाल नेहरू की जीवनी. 1.1 जन्म. 1.2 शिक्षा ...

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    January 3, 2023 by बिजय कुमार. इस लेख में आप (चाचा नेहरु) पंडित जवाहरलाल नेहरु जीवनी (Jawaharlal Nehru Biography in Hindi) आप पढेंगे। इसमें आप नेहरु जी के इतिहास और ...

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  11. Pandit Jawaharlal Nehru In Hindi

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  13. Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi

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  15. Jawaharlal Nehru

    Jawaharlal Nehru was born on 14 November 1889 in Allahabad in British India. His father, Motilal Nehru (1861-1931), a self-made wealthy barrister who was born into to the Kashmiri Pandit community, served twice as president of the Indian National Congress, in 1919 and 1928.

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    जवाहर लाल नेहरू पर निबंध (Pandit Jawaharlal Nehru Essay in Hindi) By लक्ष्मी श्रीवास्तव / August 4, 2023. पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद में ...

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    Jawaharlal Nehru Biography in Hindi. नेहरू उच्च शिक्षा प्राप्त कर विदेश से लौटे थे, उन्हें अच्छी-से-अच्छी नौकरी मिल सकती थी. किन्तु वे सरकारी नौकरियों को ...

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    Jawaharlal Nehru Essay in Hindi जवाहरलाल नेहरू मोतीलाल नेहरू नाम के एक प्रमुख वकील के पुत्र थे। जवाहरलाल नेहरू का जन्म 1889 में 14 नवंबर को इलाहाबाद, भारत ...

  19. Jawaharlal Nehru Biography

    Jawahar Lal Nehru was an Indian independence fighter and the first prime minister of India. He was considered as a central warrior in Indian Politics before independence as well as after independence. He was born on 14 November 1889 in Allahabad and served the nation from 1947 until his death in 1964. The birthplace of Jawahar Lal Nehru is ...

  20. Jawaharlal Nehru

    Jawaharlal Nehru (born November 14, 1889, Allahabad, India—died May 27, 1964, New Delhi) was the first prime minister of independent India (1947-64), who established parliamentary government and became noted for his neutralist (nonaligned) policies in foreign affairs. He was also one of the principal leaders of India's independence ...

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    Jawaharlal Nehru Biography in Hindi | पंडित जवाहरलाल नेहरू की जीवनी - आज़ादी के लिए लड़ने वाले और संघर्ष करने वाले मुख्य महापुरूषों में से जवाहरलाल नेहरू एक थे.

  22. Pandit Jawaharlal Nehru

    Early Life. Pandit Jawaharlal Nehru was the first prime minister of India. He was born on 14th November,1889 in Allahabad. He was born to Shrimati Swarup Rani Thussu and Shri Moti Lal Nehru, a prominent lawyer in Allahabad. He received his early education at home, and later, at the age of 15, he went to England to pursue his higher studies in law.

  23. Pandit Jawaharlal Nehru: Architect Of Modern India

    About: Pandit Jawaharlal Nehru was a lawyer, Indian nationalist, politician and socialist thinker who played a major role in post-independent India. Birth: Jawaharlal Nehru was born in Allahabad in 1889 to Motilal Nehru and Swarup Rani. Motilal Nehru was a famous lawyer and nationalist. Education: He was initially home tutored and later ...