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[Download PDF] दिवाली पर निबंध 300, 500 और 800 शब्दों में | Essay on Diwali in Hindi in 300, 500 and 800 Words for School Students

Lalit Rohilla

Table of Contents

स्कूली छात्रों के लिए दिवाली पर 300, 500 और 800 शब्दों में निबंध | Essay on Diwali in 300, 500 and 800 Words for School Students

दिवाली पर 300 शब्दों का निबंध | 300-Word Essay on Diwali

परिचय (introduction):.

दीपावली, जिसे हम सामान्य भाषा में ‘दिवाली’ के नाम से जानते हैं, हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार हर साल अक्टूबर और नवम्बर के बीच मनाया जाता है और इसका मतलब होता है ‘दीपों की पंक्ति’। दीपावली का मतलब होता है की अंधकार से प्रकाश की ओर जाना, जिससे यह दिखाता है कि बुराई से अच्छाई की ओर हमें जाना चाहिए।

दीपावली का महत्व (Significance of Diwali):

दीपावली का महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि यह एक ऐसा त्योहार है जो परिवार और दोस्तों के साथ मनाया जाता है। इसे आपसी समरसता और खुशी का संकेत माना जाता है। यह एक साथी और परिवार के संबंधों को मजबूत करने का मौका भी प्रदान करता है।

दीपावली की तैयारियां (Preparations for Diwali):

दीपावली के आने पर, लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करने और सजाने के लिए तैयारी करते हैं। घरों के बाहर और अंदर दीपकों की रौशनी से भर देते हैं। बच्चे और युवा लोग आत्मनिर्भरता का प्रतीक मानते हुए खुद ही दीया बनाने का प्रयास करते हैं।

धार्मिक महत्व (Religious Significance of Diwali):

हिन्दू धर्म के अनुसार, दीपावली भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने के दिन का स्मरण है। भगवान श्रीराम ने रावण को पराजित करके अयोध्या वापस लौटने पर अपने भक्तों के द्वारा उसका स्वागत किया था, और इसके साथ ही अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का संकेत दिया था।

समापन (Conclusion):

दीपावली हम सभी के लिए एक खुशी का त्योहार है, जिसमें हम सभी एक-दूसरे के साथ अच्छे से वक्त बिता सकते हैं। यह हमारे लिए एक साथी और परिवार के संबंधों को मजबूत करने का भी मौका प्रदान करता है।

दिवाली पर 500 शब्दों का निबंध | 500-Word Essay on Diwali

दीपावली की उपयोगिता (utility of diwali):.

दीपावली के दिन लोग अपने बच्चों को दूसरों के साथ मिलकर अच्छी आदतों की ओर प्रोत्साहित करते हैं। यह परिवार के संबंधों को मजबूत करने का मौका भी प्रदान करता है।

दिवाली पर 800 शब्दों का निबंध | 800-Word Essay on Diwali

दीपावली का महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि यह एक ऐसा त्योहार है जो परिवार और दोस्तों के साथ मनाया जाता है। इसे आपसी समरसता और खुशी का संकेत माना जाता है। यह एक साथी और परिवार के संबंधों को मजबूत करने का मौका भी प्रदान करता है। दीपावली के दिन लोग अपने परिवार के साथ खुशियां मनाते हैं, और इस त्योहार के दौरान दूसरों के साथ भी अच्छे संबंध बनाने का प्रयास करते हैं।

दीपावली के आने पर, लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करने और सजाने के लिए तैयारी करते हैं। घरों के बाहर और अंदर दीपकों की रौशनी से भर देते हैं। यह एक अद्वितीय दृश्य होता है, जब हजारों दीपक एक साथ जलाए जाते हैं और रात को आसमान में चमकते हैं। बच्चे और युवा लोग आत्मनिर्भरता का प्रतीक मानते हुए खुद ही दीया बनाने का प्रयास करते हैं, और इससे उनका सृजनात्मक दिमाग भी विकसित होता है।

हिन्दू धर्म के अनुसार, दीपावली भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने के दिन का स्मरण है। इसके पीछे की कहानी बहुत महत्वपूर्ण है। भगवान श्रीराम ने रावण को पराजित करके अयोध्या वापस लौटने पर अपने भक्तों के द्वारा उसका स्वागत किया था, और इसके साथ ही अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का संकेत दिया था। इससे हमें यह सिख मिलती है कि बुराई का अंत हमेशा अच्छाई की ओर होता है और सत्य की जीत हमेशा होती है।

दीपावली के दिन लोग अपने बच्चों को दूसरों के साथ मिलकर अच्छी आदतों की ओर प्रोत्साहित करते हैं। यह एक साथी और परिवार के संबंधों को मजबूत करने का मौका भी प्रदान करता है। इसके साथ ही, दीपावली के दिन लोग अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों को गिफ्ट्स देते हैं, जिससे एक-दूसरे के साथ मानसिक और आर्थिक तौर पर सटीकता बना रहता है।

करूणा का महत्व (Importance of Compassion):

दीपावली के इस त्योहार पर, हमें करूणा की महत्वपूर्ण बात सिखने को मिलती है। हमें याद दिलाया जाता है कि हमें दरिद्र, गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिए। इसके लिए, हम कई तरह की सामाजिक और धार्मिक क्रियाएँ करते हैं, जैसे कि खाने-पीने की वस्तुओं की दानशीलता और धार्मिक प्राथनाओं का आयोजन।

दीपावली हम सभी के लिए एक खुशी का त्योहार है, जो हमें आपसी समरसता, सामंजस्य, और करूणा के महत्व को समझाता है। इस त्योहार के माध्यम से हम एक-दूसरे के साथ बढ़ते संबंध बनाते हैं और खुशियों का संदेश देते हैं।

हमारे ब्लॉग aaravhindi.com की ओर से सभी छात्रों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। इस त्योहार को आपके जीवन में खुशियों और समृद्धि देने के लिए आपका स्नेहपूर्ण स्वागत है।

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दीपावली पर निबंध (300 शब्दों में): जानिए दीपावली का महत्व और मनाने के अनुसरणीय तरीके

DiwaliShare

Essay on Diwali in Hindi 300 Words

  • दीपावली पर निबंध 300 शब्दों में

इस पोस्ट मे शुभ दिवाली के शुभ अवसर पर  Happy Diwali   के लिए Essay on Diwali in Hindi 300 Words शेयर कर रहे है ,  जिस निबंध को C lass 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखी गई है। जिसे इन कक्षा के छात्र अपनों के साथ शेयर  कर सकते है ,   तो चलिये अब 300 Words On Diwali In Hindi Essay  –  दीपावली पर निबंध 300 शब्दों में को जानते है।

  • दिवाली पर निबंध 300 शब्दों में

Essay on Diwali In Hindi 300 Words

दिवाली जो की हमारे भारत देश में मनाया जाने वाला सबसे बडा़ त्यौहार है। यह त्योहार भगवान श्रीराम के 14 वर्षो के वनवास के पश्चात अयोध्या मे वापस लौटने की खुशी मे पूरे अयोध्या मे घर घर, गली मुहल्ले, हर जगह दीये जलाए गए थे, जिससे पूरा अयोध्या स्वर्ग के समान जगमगाने लगा था, इस तरह हर साल दीये इस शुभ दिन दीये जलाया जाने लगा, जिसे हम सभी दिवाली के त्योहार के रूप मे मनाते है।

दिवाली का त्यौहार हर किसी के लिए खुशियां लेकर आता है, फिर चाहे वो बड़ा हो या बच्चा। हर कोई इस त्यौहार को बड़ी ही धूम धाम से मनाता है। साथ ही स्कूलों, कॉलेजों, दफ्तरों आदि में भी दीवाली का त्यौहार बहुत ही उल्लास के साथ मनाया है, दीपावली का ये त्यौहार साल में एक बार आता है जो कि अक्टूबर या नवम्बर की माह में होता है, दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है,

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दीवाली के कुछ हफ्ते पहले से ही लोग आते ही लोग अपने घर की साफ-सफाई भी करते है। फिर दिवाली के दिन नए कपड़े पहनते है, मिठाई खाते हैं, दीप जलाते है, पटाखे जलाते हैं, लक्ष्मी-गणेश भगवान की पूजा करते हैं, और एक दूसरे को दिवाली की मिठाई बांटते है, और एक दूसरे को दिवाली की शुभकामना देते है, और मिलजुलकर इस तरह दिवाली का त्योहार मनाते है,

दिवाली के एक माह पूर्व से ही लोग घरों की साफ़ सफाई तथा पर्व की तैयारी में लग जाते हैं. लोग अपने घरों दुकानों तथा ऑफिस आदि को सजाते संवारते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी सबसे स्वच्छ स्थल में वास करती हैं. रात में लोग माँ के स्वागत के लिए घरों के द्वार भी खुले छोड देते हैं.

ऐसा भी कहा जाता है कि दीपावली के दिन साफ सफाई रखने से लक्ष्मी का वास होता है। इसीलिए दीपावली के दिन धन की देवी लक्ष्मी माँ और गणेश जी की पूजा होती है. और माँ लक्ष्मी जी के आशीर्वाद से घर मे सुख शांति और वैभव प्राप्त होते है, इसलिए दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी और गणेश जी विशेष अर्चना किया जाता है।

दिवाली को पूरे भारत में खूब धूमधाम से मनाया जाता है, यहा तक कि दिवाली  सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि भारत के बाहर रहने वाले विदेशो मे भी भारतीय और अन्य धर्म के लोग भी बहुत धूम धाम से मनाते हैं…

उसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए हम हर साल दिवाली का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. इस दिन धन की देवी माँ लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती हैं. इस तरह यह एक खुशियों का पर्व है जो हमारे जीवन में आनन्द बिखेर जाता हैं.

हर त्योहार का अपना महत्व हैं. जिस प्रकार ईद मुसलमानों में भाईचारे का त्यौहार माना जाता हैं. उसी प्रकार दीपावली भी स्नेह का त्योहार हैं. इस दिन सभी व्यक्ति अपने इष्ट मित्रों से मिलते हैं. और उन्हें शुभकामनाओं सहित मिठाई आदि भेट करते हैं. सांस्कृतिक पर्व की दृष्टि से यह त्योहार पौराणिक परम्पराओं को बनाए रखने वाला हैं.

तो आप सभी को यह  दिवाली के लिए निबंध – Essay on Diwali in Hindi 300 Words  खूब पसंद आया होगा, तो आप अपने विचार कमेंट मे जरूर बताए और  दिवाली पर निबंध 300 शब्दों में –  Diwali Essay In Hindi 300 Words  को शेयर भी लोगो के साथ जरूर करे। और अंत मे आप सभी को  हैप्पी दिवाली…

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Diwali FAQs: दिवाली से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर: दिवाली के बारे में सब कुछ जानें

दिवाली क्यों और कैसे मनाई जाती है पूरी जानकारी और रोचक तथ्य, 2023 में दिवाली कब है जानिए तारीख और महत्वपूर्ण तिथियाँ.

Sir Ji bahut hi Mast essay . Thanks to you . Happy Diwali

Thank you Isha. aapko bhi Happy Diwali

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दिवाली पर निबंध | Diwali Essay in Hindi : दीपावली का निबंध हिंदी में यहां से पढ़ें

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दिवाली हमारे भारत देश का सबसे बड़ा त्यौहार है। इसे हम दीपावली के नाम से भी जानते हैं। इस दिन हर तरफ ख़ुशी का माहौल होता है, लोग रंग-बिरंगी लाइटों से अपने-अपने घरों को सजाते हैं और बच्चे-युवा लोग मिलकर घरों के बाहर पटाखे छुड़ाते हैं। दिवाली सिर्फ देश का ही नहीं अपितु भारत के बाहर रहने वाले भारतीय और अन्य लोगों के लिए भी एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। वे लोग भी दिवाली को बहुत धूम-धाम से मानते हैं। दीपावली के मौके पर स्कूलों-कॉलेजों में अवकाश रहता है। स्कूलों-कॉलेजों में निबंध लेखन किया जाता है तो कहीं-कहीं प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। अतः बहुत से छात्र-छात्राएं इंटरनेट पर दिवाली पर निबंध हिंदी में खोजते हैं। हम अपने ऐसे ही पाठकों के लिए यह आर्टिकल लेकर आये हैं जहाँ आप दिवाली के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। जैसे कि दिवाली का त्यौहार कैसा होता है, दिवाली का महत्व क्या है, दीपावली क्यों मनाते है, दीपावली मनाने का कारण क्या है, दीपावली का अर्थ क्या है, दिवाली पर निबंध शार्ट में या 10 लाइन में आदि। स्कूलों के अलावा भी अन्य बहुत से क्षेत्रों के लोग भी दिवाली पर निबंध हिंदी में खोजते हैं अतः इसके बारे में और अधिक विस्तृत जानकारी के लिए यह अर्टिकल पूरा पढ़ें।

दिवाली पर निबंध | Diwali Essay in Hindi

दिवाली का त्यौहार हर किसी के लिए खुशियां लेकर आता है, फिर चाहे वो बड़ा हो या बच्चा। हर कोई इस त्यौहार को बड़ी ही धूम धाम से मनाता है। साथ ही स्कूलों, कॉलेजों, दफ्तरों आदि में भी दीवाली का त्यौहार बहुत ही उल्लास के साथ मनाया है। ये त्यौहार साल में एक बार आता है जो कि अक्टूबर या नवम्बर की माह में होता है। दीवाली आते ही लोग अपने घर की साफ-सफाई भी करते है। नए कपड़े पहनते है, मिठाई खाते हैं, दीप जलाते है, पटाखे जलाते हैं, लक्ष्मी-गणेश भगवान की पूजा करते हैं। दीवाली के त्यौहार के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप नीचे दिए गए निबंध पढ़ सकते हैं।

दीपावली का निबंध (400-500 Words)

दिवाली के इस विशेष त्योहार के लिए हिंदू धर्म के लोग बहुत उत्सुकता से इंतजार करते हैं। यह बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए हर किसी का सबसे महत्वपूर्ण और पसंदीदा त्यौहार है। दीवाली भारत का सबसे महत्वपूर्ण और मशहूर त्यौहार है। जो पूरे देश में साथ-साथ हर साल मनाया जाता है। रावण को पराजित करने के बाद, 14 साल के निर्वासन के लंबे समय के बाद भगवान राम अपने राज्य अयोध्या में लौटे थे। लोग आज भी इस दिन को बहुत उत्साहजनक तरीके से मनाते हैं। भगवान राम के लौटने वाले दिन, अयोध्या के लोगों ने अपने घरों और मार्गों को बड़े उत्साह के साथ अपने भगवान का स्वागत करने के लिए प्रकाशित किया था। यह एक पवित्र हिंदू त्यौहार है जो बुरेपन पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह सिखों द्वारा भी मुगल सम्राट जहांगीर द्वारा ग्वालियर जेल से अपने 6 वें गुरु, श्री हरगोबिंद जी की रिहाई मनाने के लिए मनाया जाता है।

इस दिन बाजारों को एक दुल्हन की तरह रोशनी से सजाया जाता है ताकि वह इससे एक अद्भुत त्यौहार दिख सके। इस दिन बाजार बड़ी भीड़ से भरा होता है, विशेष रूप से मीठाई की दुकानें। बच्चों को बाजार से नए कपड़े, पटाखे, मिठाई, उपहार, मोमबत्तियां और खिलौने मिलते हैं। लोग अपने घरों को साफ करते हैं और त्योहार के कुछ दिन पहले रोशनी से सजाते हैं। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार सूर्यास्त के बाद लोग देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। वे अधिक आशीर्वाद, स्वास्थ्य, धन और उज्जवल भविष्य पाने के लिए भगवान और देवी से प्रार्थना करते हैं। वे दिवाली त्यौहार के सभी पांच दिनों में खाद्य पदार्थों और मिठाई के स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं। लोग इस दिन पासा, कार्ड गेम और कई अन्य प्रकार के खेल खेलते हैं। वे अच्छी गतिविधियों के करीब आते हैं और बुरी आदतों को दूर करते हैं।

पहले दिन धनतेरस या धन्त्ररावदाशी के रूप में जाना जाता है जिसे देवी लक्ष्मी की पूजा करके मनाया जाता है। लोग देवी को खुश करने के लिए आरती, भक्ति गीत और मंत्र गाते हैं। दूसरे दिन नरका चतुर्दशी या छोटी दिवाली के रूप में जाना जाता है जिसे भगवान कृष्ण की पूजा करके मनाया जाता है क्योंकि उन्होंने राक्षस राजा नारकसुर को मार डाला था।  तीसरे दिन मुख्य दिवाली दिवस के रूप में जाना जाता है जिसे शाम को रिश्तेदारों, दोस्तों, पड़ोसियों और जलती हुई फायर क्रैकर्स के बीच मिठाई और उपहार वितरित करते हुए देवी लक्ष्मी की पूजा करके मनाया जाता है। चौथे दिन भगवान कृष्ण की पूजा करके गोवर्धन पूजा के रूप में जाना जाता है। लोग अपने दरवाजे पर पूजा करकेगोबर के गोवर्धन बनाते हैं। पांचवें दिन यम द्वितिया या भाई दौज के रूप में जाना जाता है जिसे भाइयों और बहनों द्वारा मनाया जाता है। बहनों ने अपने भाइयों को भाई दौज के त्यौहार का जश्न मनाने के लिए आमंत्रित करती हैं।

Essay on Diwali for Students in English

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दिपावली का निबंध (200-300 Words) शॉर्ट निबंध

दिपावली का त्यौहार भारत में और अन्य कई देशों में बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। दीपावली को दीप का त्यौहार भी कहा जाता है। दिवाली का त्यौहार भारत के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। जिसे भारत में बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्री राम ने रावण को पराजित करके और अपना 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे। श्री राम भगवान की आने की खुशी वहां के सभी लोगों ने दिये जलाए थे। तब से लेकर अब तक हर वर्ष इस दिन को दीवाली के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। लोग आज भी इस दिन को उतने की खुशी से मनाते हैं। ये त्यौहार बच्चा, बूढें, बड़े हर कोई बहुत ही अच्छे से मनाता है। यहां तक कि स्कूल, कॉलेज और दफ्तरों में भी दीवाली को त्यौहार को बहुत धूम धाम से मनाया जाता है। इन दिन लोग एक दूसरे को दीवाली की बधाई देते हैं और बहुत से उपहार भी तोहफे के रूप में देते हैं।

दिवाली का त्यौहार हर साल अक्टूबर या नवम्बर माह में मनाया जाता है। दीवाली आने से कुछ दिन पहले ही लोग इस त्यौहार को मनाने की तैयारी में लग जाते हैं। दीवाली के दिन लोग अपनी दुकानें, अपना घर, स्कूल, दफ्तर आदि को दुल्हन की तरह सजाते हैं। सभी लोग नए कपड़े खरीदते हैं, इस दिन घर और दुकानों की भी अच्छे से सफाई की जाती है। दीवाली की रात पूरा भारत जगमगाता है। रंग बिरंगी लाइटें, दिए, मोमबत्ती आदि से पूरे भारत को सजाया जाता है। दीवाली की शाम भगवान लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। पूजा करने के बाद सभी लोग अपने पड़ोसियों और अपने रिश्तेदारों को प्रसाद, मिठाई, गिफ्ट आदि देते हैं। इस दिन लोग पटाखे, बम, फुलजड़ी आदि भी जलाते हैं। दीवाली के त्यौहार को बुरे पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी माना जाता है। भारत की नहीं बल्कि और भी कई देशों में दीवाली का त्यौहार बहुत की धूम धाम से मनाया जाता है।

दिपावली पर 10 लाइनें

  • दिवाली का त्यौहार हिंदूओ के प्रमुख त्यौहारों में से एक है।
  • दिपावली को दीप का त्यौहार भी कहा जाता है।
  • दिवाली इसलिए मनायी जाती है क्योंकि इस दिन भगवान श्री राम 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे।
  • भगवान श्री राम के वापिस अयोध्या लौटने की खुशी में वहां के लोगों ने इस दिन को दीवाली के रूप में मनाया।
  • दिवाली का त्यौहार हर साल अक्टूबर या नवम्बर माह में आता है।
  • इस दिन पूरे भारत को दुल्हन की तरह सजाया जाता है।
  • दीवाली की शाम भगवान लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है।
  • इन दिन सभी लोग अपने घरों, दुकानों, दफ्तरों आदि में दीप जलाते हैं।
  • दीवाली के दिन सभी लोग अपने पड़ोसियों और रिश्तेदारों को मिठाई, गिफ्ट आदि देते हैं।
  • इन दिन बहुत से लोग पटाखे, फुलझड़ी, बम आदि भी जलाते हैं।

दिवाली लेखन हिंदी में

  • दिवाली – लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त, समय, तिथि, दिवाली का महत्व आदि
  • दिवाली महत्वपूर्ण क्यों है
  • दीपावली का निबंध हिंदी में यहां से पढ़ें
  • दिवाली की कविताएं और शुभ दीपावली शायरी
  • दिवाली स्लोगन और दिवाली कोट्स

दिवाली पर शुभकामनाएँ, बधाई, मैसेज

  • पटाखे बिना दिवाली मनाने के तरीके

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दिवाली पर निबंध (Diwali Essay in Hindi)

दिवाली

दीपावली (Deepawali) या दिवाली का अर्थ है दीपों की अवली मतलब दीपों की पंक्ति। यह पर्व विशेष कर भारत और भारत के पड़ोसी देश नेपाल में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त अन्य देशों में (जहां हिंदू निवास करते हैं) भी यह विधि पूर्वक मनाया जाता है। यह पर्व अपने साथ खुशी, उत्साह और ढ़ेर सारा उमंग लेकर आता है। कार्तिक माह के अमावस्या को दिवाली का पर्व अनेक दीपों के प्रकाश के साथ मनाया जाता है। इस विशेष दिन पर अमावस्या की काली रात दिपों के जगमगाहट से रौशन हो जाती है। दिपावली पर पुराने रीत के अनुसार सभी अपने घरों को दीपक से सजाते हैं।

दिवाली पर 10 वाक्य   || दिवाली के कारण होने वाला प्रदूषण पर निबंध

दीपावली 2021 पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Diwali 2021 in Hindi, Deepawali par Nibandh Hindi mein)

निबंध – 1 (300 शब्द).

प्रभु राम के चौदह वर्ष का वनवास पूर्ण कर अयोध्या वापस आने के उपलक्ष्य में दिवाली मनाया गया, तब से प्रति वर्ष दिवाली मनाया जाने लगा। स्कंद पुराण के अनुसार दिवाली से जुड़ी अनेक कथाएं प्रचलित हैं। अतः आध्यात्मिक दृष्टि से दिवाली हिंदुओं का बहुत अधिक महत्वपूर्ण त्योहार है।

दीपावली (Deepawali) के उपलक्ष्य में विभिन्न प्रचलित कथाएं (इतिहास)

दिवाली का इतिहास बहुत पुराना है, इससे जुड़ी अनेक पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं जैसे कुछ लोगों के अनुसार सतयुग में भगवान नृसिंह ने इस दिन हिरण्यकश्यप का वध किया था इस उपलक्ष्य में दिवाली मनाया जाता है। कुछ लोगों का मानना है द्वापर में कृष्ण ने नरकासुर का वध कार्तिक आमवस्या को किया था इसलिए मनाया जाता है। कुछ के अनुसार इस दिन माता लक्ष्मी दूध सागर से प्रकट हुई थी, एवं अन्य के अनुसार माँ शक्ति ने उस दिन महाकाली का रूप लिया था इसलिए मनाया जाता है।

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दीपावली की सर्वाधिक प्रचलित कथा

दिवाली मनाए जाने वाले कारणों में सबसे प्रचलित कहानी त्रेता युग में प्रभु राम के रावण का वध कर चौदह वर्ष पश्चात माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटने के उपलक्ष्य में पूरी अयोध्या नगरी को फूलों और दीपों से सजाया गया। तब से प्रति वर्ष कार्तिक अमावस्या को दिवाली मनाया जाने लगा।

दीपावली कब मनाई जाती है

उत्तरी गोलार्द्ध में शरद ऋतु के कार्तिक माह की पूर्णिमा को यह दिपोत्सव धूम-धाम से मनाया जाता है। ग्रेगोरी कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार अक्टूबर या नवम्बर माह में मनाया जाता है।

दीपावली (Deepawali) का महत्व

दिवाली की तैयारी के वजह से घर तथा घर के आस-पास के स्थानों की विशेष सफाई संभव हो पाती है। साथ ही दिवाली का त्योहार हमें हमारे परंपरा से जोड़ता है, हमारे आराध्य के पराक्रम का बोध कराता है। इस बात का भी ज्ञान कराता है कि, अंत में विजय सदैव सच और अच्छाई की होती है।

दिवाली के साथ जुड़ी अनेक पौराणिक कहानियां इसके महत्व को और अधिक बढ़ा देती हैं। इस त्योहार से हम सभी को सच के राह पर चलने की सीख प्राप्त होती है।

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निबंध – 2 (400 शब्द)

दीपावली (Deepawali), स्वयं में अपनी परिभाषा व्यक्त करने वाला एक शब्द है, जिसे हम सब त्योहार के रूप में मनाते हैं। यह दीपों और रोशनी का त्योहार है। हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अमावस्या को हम दीवाली के रुप में मनाते हैं। इसे सभी हिंदू देशों जैसे की भारत, नेपाल, आदि में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। परन्तु इस वर्ष कोरोना के कारण दीवाली की परिभाषा थोड़ी अलग होगी। खुशियां तो आएंगी परंतु अभी लोगों से दूरी बनाने में ही समझदारी है।

2020 की कोरोना वाली दीवाली

इस वर्ष जहां एक ओर पूरा विश्व कोरोना नामक महामारी से लड़ रहा है तो वही त्योहारों का मौसम भी ज़ोर पर है। त्योहारों का आनंद जरूर उठाये परन्तु यह याद रखें की सावधानी हटी, दुर्घटना घटी अर्थात कोरोना किसी भी रूप में आप तक पहुंच सकता है इस लिये कुछ नियमों का पालन करें जैसे:

  • बाज़ार आवश्यक होने पर ही जाएं।
  • सामान लेने के बाद घर आकर सामान को सैनिटाइज जरूर करें।
  • मास्क पहनना न भूलें और एक छोटा सैनिटाइजर भी साथ में अवश्य रखें।
  • दीवाली अपने साथ ठंडक को भी दस्तक देती है तो अपनी सेहत का भी ध्यान दें।
  • एक जिम्मेदार नागरिक बनें और बच्चों को भी पटाखों से होने वाले नुकसान बताएं।
  • मौसम बदलने पर ज्यादातर लोग बीमार पड़ते हैं इस लिये त्योहार की भागा दौड़ी में खुद का ख्याल रखना न भूलें।
  • घरों में डस्टिंग और सफाई आदि करने से कई बार श्वास संबंधी रोग से पीड़ित लोगों को दिक्कत होने लगती है, इस लिये इसे करने से बचें क्यों की किसी भी तरह की श्वास संबंधी बीमारी होने पर लोगों में बेमतलब कोरोना की आशंका हो जाती है।
  • स्वास्थ्य के अतिरिक्त लोकल सामानों को खरीदें और लोकल के लिये वोकल बनें और भारतीय उत्पाद अपनाएं।
  • दीयों से खूबसूरत कुछ नहीं लगते, इस लिये विदेशी लाइटों की जगह घरों को मिट्टी के दीयों से सजाएँ और देश की अर्थव्यवस्था सुधारने में मदद करें।

अपकी दीवाली केवल परिवार के साथ

दीवाली रोशनी का त्योहार तो है ही, साथ में खुशियां भी लाती है। बच्चों से लेकर बूढ़ों तक हर कोई इस दिन का बेसबरी से इंतजार करता है। नए कपड़ों, रंग-बिरंगी मिठाइयों और रंगोली के सामान से बाजारों में रौनक आ जाती है। लोग जम कर खरीदारी करते हैं और अपने-अपने घरों को भी सजाते हैं। इस दिन पूरे देश में खुशी का माहौल रहता है।

इस दीवाली खुद भी सुरक्षित रहें और दूसरों को भी रखें इस लिये इस वर्ष किसी के घर न जाएं सब को फ़ोन पर ही बधाई दे दें। अच्छा भोजन खाएं, ज्यादा बाज़ार के उत्पाद न खाएं घर पर बना खाना खाएं और स्वास्थ्य का विशेष ध्यान दें और परिवार के साथ इसका आनंद लें।

हर त्योहार की अपनी खासियत होती है, ठीक इसी प्रकार रोशनी के इस पर्व को समृद्धि का सूचक माना जाता है। ज्यादातर घरों में इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है और धन-धान्य का वरदान मांगा जाता है। इस वर्ष पर्यावरण और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए एक शांत और रोशनी से भरपूर त्योहार अपने-अपने परिवार के साथ मनाएं।

Diwali Essay

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निबंध – 3 (500 शब्द)

दीपावली (Deepawali) धन, धान्य, सुख, चैन व ऐश्वर्य का त्योहार है। भारत के विभिन्न राज्य इस अवसर पर पौराणिक कथाओं के आधार पर विशेष तरह की पूजा करते हैं। दिवाली, भारत तथा नेपाल में प्रमुख रूप से मनाया जाता है। इसके अलावा अन्य देशों में भी उत्साह के साथ मनाया जाता है।

भारत के विभिन्न स्थान पर दिपावली मानाने की वजह

भारत के विभिन्न राज्यों में दिवाली मानाने की अलग-अगल वजह है। उन में से कुछ प्रमुख निम्नवत् हैं-

  • भारत के पूर्वी भाग में स्थित उड़ीसा, बंगाल इस दिन माता शक्ति को, महाकाली का रूप धारण करने के वजह से मनाते हैं। और लक्ष्मी के स्थान पर काली की उपासना करते हैं।
  • भारत के उत्तरी भाग में स्थित पंजाब के लिए दिवाली बहुत महत्व रखता है क्योंकि 1577 में इसी दिवस पर अमृतसर में स्वर्ण मंदिर की नींव रखी गई थी। और इसी दिन पर सिक्खों के गुरु हरगोबिंद सिंह को जेल से रिहा किया गया था।
  • भारत के दक्षिण भाग में स्थित राज्य जैसे तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, आदि दिवाली पर, द्वापर में कृष्ण द्वारा नरकासुर के वध के खुशी में कृष्ण की पूजा करके मनाते हैं।

विदेश में दिपावली का स्वरूप

  • नेपाल – भारत के अलांवा भारत के पड़ोसी देश नेपाल में दिपावली का त्योहार धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिवस पर नेपाली कुत्तों को सम्मानित करते हुए उनकी पूजा करते हैं। इसके अलांवा वह संध्याकाल में दीपक जलाते हैं तथा एक-दूसरे से मिलने उनके घर जाते हैं।
  • मलेशिया – मलेशिया में हिंदुओं की संख्या ज्यादा होने के वजह से इस दिन पर सरकारी अवकाश दिया जाता है। लोग अपने घरों में पार्टी आयोजित करते हैं। जिसमें अन्य हिंदू व मलेशियाई नागरिक सम्मिलित होते हैं।
  • श्रीलंका – इस द्वीप में रह रहे लोग दिवाली के सुबह उठ कर तेल से स्नान करते हैं और पूजा के लिए मंदिर जाते हैं। इसके अतिरिक्त यहां दिवाली के मौके पर खेल, आतिशबाजी, गायन, नृत्य, भोज आदि आयोजित किया जाता है।

इन सब के अतिरिक्त अमेरिका, न्यूजीलैंड, मॉरिशस, सिंगापुर, रीयूनियन, फिजी में बसे हिंदुओं द्वारा यह पर्व मनाया जाता है।

दीपावली (Deepawali) पर ध्यान रखने योग्य बातें

विशेषकर लोग दीपावली (Deepawali)पर पटाखे जलाते हैं, यह पटाखे अत्यधिक खतरनाक होते हैं। मस्ती में होने के वजह से अनचाही दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है। अतः त्योहार के धूम-धाम में व्यक्ति को सुरक्षा का भी पूर्ण खयाल रखना चाहिए।

दीपावली (Deepawali)पर अभद्र व्यवहार न करें

कई लोगों का मानना है, दिपावली के अवसर पर जुआ खेलने से घर में धन की बाढ़ आ जाती है। इस कारणवश अनेक लोग इस अवसर पर जुआ खेलते हैं। यह उचित व्यवहार नहीं है।

अत्यधिक पटाखो का जलाया जाना

पटाखों के आवाज से अनेक बेजुबान जानवर बहुत अधिक डरते हैं। इसके अलांवा बड़े-बुजुर्ग और गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीज़ भी इन ध्वनि से परेशानियों का सामना करते हैं। इसके साथ ही दिवाली के दूसरे दिन प्रदुषण में वृद्धि हो जाती है।

दिवाली खुशीयों का त्योहार है। इससे जुड़ी प्रत्येक चीज हमें खुशी देती है। हम सभी को समाज के ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते यह कर्तव्य बनता है की हमारे मस्ती और आनंद के वजह से किसी को भी किसी प्रकार का कष्ट न होने पाए।

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दीपावली पर निबंध हिंदी में | Diwali Par Nibandh | Diwali Essay in Hindi 2023

  • Festival 2024

Diwali Essay in Hindi

Diwali Par Nibandh:- दीपावली हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है पूरे भारत में इसे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है दीपावली मनाने के पीछे की कहानी काफी रोचक है I ऐसा कहा जाता है कि इसी दिन भगवान श्री राम अपनी पत्नी सीता के साथ अपनी नगरी अयोध्या वापस आए थे I जिसके कारण वहां के निवासियों ने दीप जला कर उनका स्वागत किया था .दीपावली को बुराई पर अच्छाई के जीत के तौर पर भी देखा जाता है | इसके पीछे की वजह है कि भगवान श्रीराम ने रावण को युद्ध में हराकर ही अपने नगर वापस आए थे I इसलिए दीपावली का त्यौहार अपने आप में काफी महत्वपूर्ण है I ऐसे में अगर आप एक छात्र हैं और दिवाली पर निबंध लिखना चाहते हैं लेकिन आपको समझ में नहीं आ रहा है कि आप दीपावली के ऊपर एक बेहतरीन Deepavali Essay in Hindi 2023   कैसे लिखें तो हम आपसे निवेदन करेंगे कि हमारे आर्टिकल पर आखिर तक बने रहे हैं चलिए शुरू करते हैं:–

Deepawali

Diwali Par Nibandh 2023 – Overview

त्यौहार का नामदीपावली
साल2023
त्यौहार की तारीख12 नवंबर
कहां कहां मनाया जाएगा?पूरे भारत में
कौन से धर्म के लोग मनाते हैं?हिंदू धर्म के
क्यों मनाई जाती है?इसी दिन भगवान श्री राम अयोध्या वापस आए थे
दीपावली के दिन किसकी पूजा की जाती हैमाता लक्ष्मी और भगवान गणेश
दीपावली का शुभ मुहूर्त 2023 में06:12 से 08 : 15 तक |

दीपावली भारत का एक प्रमुख त्यौहार है I इसे भारत के प्रत्येक राज्य में मनाया जाता है I दीपावली का अपने आप में एक खास महत्व है I दीपावली के दिन पर हम अपने घर में माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करते हैं I छोटे बच्चे विशेष तौर पर इस दिन पटाखा जलाते हैं I इसके अलावा घर को हम भिन्न प्रकार के रंग बिरंगी लाइट के द्वारा सजाते हैं I इस दिन पूरा वातावरण प्रकाश में रहता है चारों तरफ प्रकाश ही प्रकाश दिखाई पड़ता है I

Diwali ka Nibandh

दीपावली का त्यौहार 2023 में 12 नवंबर को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा I इस दिन हम सभी लोग अपने घर में माता लक्ष्मी भगवान गणेश की पूजा करते हैं I इसके 2 दिन पहले धनतेरस का भी त्यौहार हम मनाते हैं और उस दिन घर के अंदर कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं I ऐसा है कि कुबेर की पूजा करने से आपके घर में धन में वृद्धि होगी क्योंकि कुबेर को जन्म का देवता माना जाता है और अगर आप धनवंतरी की पूजा करते हैं तो आप हमेशा स्वस्थ रहेंगे क्योंकि धनवंतरी को आधुनिक शल्य चिकित्सा का जनक कहा जाता है I

दीपावली पर निबंध कक्षा- 3/ 4 /5 /6 /7 8 /9 10

 दीपावली एक विशेष प्रकार का हिंदू पर्व है और इसे कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है I इसे हम लोग ज्योति और प्रकाश उत्सव के रूप में भी जानते हैं इसकी प्रमुख वजह है कि इस दिन दीप जलाए जाते हैं I दीपावली कार्तिक अमावस्या महीने में आता है और इस महीने में ही और भी चार प्रकार के त्यौहार आते हैं I इसीलिए इस महीने लोग काफी हर्षोल्लास के साथ सभी पर्वों को मनाते हैं I दीपावली के पहले दिन धनतेरस का त्यौहार आता है जिस दिन कोई ना कोई नया वर्तन आभूषण खरीदने की मान्यता है I इसके बाद आती  छोटी दीपावली और फिर बड़ी दीपावली अगले कुछ दिनों में गोवर्धन पूजा और उसके बाद छठ पूजा इस प्रकार सभी त्योहार इसी महीने में समाप्त हो जाते है I

Diwali Quotes

Diwali Essay For Class 3 to 10

Diwali Par Nibandh For Class 3/ 4 /5 /6 /7 8 /9 10:- दीपावली त्यौहार से जुड़ी हुई कई धार्मिक और ऐतिहासिक घटना भी है समुद्र मंथन करते समय प्राप्त 14 रत्नों में से लक्ष्मी देवी प्रकट होते हैं  इसके अलावा जैन मत के अनुसार तीर्थंकर महावीर का महानिर्वाण भी किस दिन हुआ था I  भारतीय संस्कृति के आदर्श पुरुष श्री राम लंका नरेश रावण पर विजय प्राप्त कर सीता लक्ष्मण सहित अयोध्या लौटे थे उस कारण भी दीपावली मनाई जाती है I ऐतिहासिक दृष्टि से इस दिन से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाओं में सिक्खों के छठे गुरु हरगोविन्दसिंह मुगल शासक औरंगजेब की कारागार से मुक्त हुए थे। राजा विक्रमादित्य सिंहासन पर बैठे थे I यह त्यौहार बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है और इस दिन सभी लोग दीप और मोमबत्ती जलाते हैं I इसके अलावा माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है और उसके बाद प्रसाद का वितरण सभी लोगों के बीच में किया जाता है I

दिवाली स्टेटस हिंदी में

दीपावली पर निबंध हिंदी में 10 लाइन (Diwali Essay 10 Lines)

Diwali Essay 10 Lines

  • दीपावली हिंदुओं का विशेष पर्व है I
  • दीपावली के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है I
  • दिवाली त्यौहार धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भैया दूज त्यौहार का समूह माना जाता है।
  • दीपावली के दिन पूजा समाप्त होने के बाद हम सभी अपने बड़ों का आशीर्वाद देते हैं
  • दिवाली के दिन हम अपने घरों को रंग बिरंगी लाइटों के द्वारा सजाते हैं I
  • होली पर नई चीजें खरीदना काफी शुभ माना जाता है I
  • दीपावली लोग एक दूसरे को उपहार और मिठाइयों का भेंट देते है।
  • दीपावली पर छोटे बच्चे काफी पटाखा जलाते हैं
  • दीपावली पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है I
  • दीपावली कार्तिक पूर्णिमा महीने में मनाई जाती है I

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दीपावली पर निबंध 20 लाइन ( Dipawali Per 20 Lines)

  • दीपावली भारत का सबसे बड़ा पर्व है।
  • दिवाली एक प्रमुख हिंदू त्यौहार है .
  •  दीपावली को प्रकाश का पर्व भी कहा जाता है
  • दीपावली के दिन भगवान श्री राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या वापस आए थे
  • भगवान राम के आने की खुशी में अयोध्या के लोगों दीप जलाए थे
  • Diwali त्योहार पूरे 5 दिन मनाया जाता है
  • दिवाली के दिनों घरों लाइटों से सजाए जाते हैं
  • इस दिन भगवान गणेश जय माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है I
  • दीपावली के शुभ अवसर पर छोटे बच्चे पटाखे कुछ चलाते हैं
  • दिवाली के त्यौहार से पहले घर के साफ-सफाई काफी अच्छी तरह से की जाती है
  • दीपावली के पांचवे दिन को भाई बीज का त्यौहार मनाया जाता है।
  • दिवाली के दिन दीप जलाए जाते हैं I
  • दिवाली का त्यौहार अमावस्या की रात को मनाया ऐसी मान्यता है कि दीप जलाने से आपके जीवन का अंधकार दूर हो जाएगा
  • दिवाली से पहले धनतेरस और धनतेरस के बाद छोटी दिवाली आती है छोटी दिवाली के बाद गोवर्धन की पूजा होती है और उसके अगले दिन भैया दूज आता है।
  • दीवाली की रात को लोग माता लक्ष्मी की पूजा कर लोग धन की प्राप्ति करते हैं और गणेश जी की पूजा कर उन्हें गणेश जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है जिसे उनके जीवन में अगर कोई भी संकट या दुख है तो उसका निवारण हो जाएगा
  • भगवान श्री राम ने रावण का वध कर अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या आए थे
  • दीपावली को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में देखा जाता है I
  • हर साल कार्तिक मास की अमावस्या की रात को दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है।
  • दीपावली कार्तिक पूर्णिमा महीने में मनाई जाती है
  • मिठाई की दुकाने सजने लगती हैं बाज़ारों में पटाखों और फुलझड़ियों की दुकाने सजती हुई दिखाई देती हैं I

दीपावली पर निबंध 150 शब्द | Diwali Per Nibandh (150 Words)

Diwali Par Nibandh :- भारत में दीपावली का त्यौहार बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता हैं। इस त्यौहार को हिन्दू धर्म के परंपरा और मान्यता के अनुसार मनाया जाता है दीपावली के पहले घर की साफ सफाई की जाती है उसके बाद दीपावली के दिन घर में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर विधि विधान के साथ पूजा की जाती है ताकि आपके ऊपर माता लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहे I इस दिन पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है और लोगों के घरों में जाकर मिठाई देने की भी परंपरा है इस दिन सभी व्यक्ति ने नए कपड़े पहनते हैं और छोटे बड़े सभी पटाखा जलाते हैं I दीपावली मनाने के पीछे सबसे प्रमुख वजह है कि इसी दिन भगवान श्रीराम अपनी पत्नी सीता के साथ अयोध्या वापस आए थे और उनके आने की खुशी में वहां के निवासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था तभी से दीपावली मनाने की परंपरा स्थापित हो चुकी है तभी से दीपावली मनाने का प्रयास शुरू हुआ I

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दीपावली पर निबंध 200 शब्दों में | Diwali Par Nibandh 200 Words

Diwali Per Nibandh :- हम भारत देश में रहते हैं जिसे अलग-अलग धर्मों में एकता, संस्कृति, रीति-रिवाजों और अलग-अलग उत्सवों की वजह से जाना जाता है। भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है I यहां पर विभिन्न प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं I ऐसे में दीपावली भी भारत का एक प्रमुख त्योहार है दीपावली मनाने के पीछे क्या कारण है कि इस दिन भगवान श्री राम अपनी नगरी अयोध्या वापस आए थे  I उनके आने की खुशी में दीपावली बनाने की परंपरा शुरू हुई I

दीपावली को हम सभी लोग अपने घर को रंग बिरंगी लाइट से सजाते हैं I इसके अलावा घर में विभिन्न प्रकार के पकवान बनते हैं I हर एक व्यक्ति एक दूसरे के घर में जाता है और वहां पर जाकर दीपावली की हार्दिक बधाइयां देता है I इसके अलावा पूजा संपन्न होने के बाद हम प्रसाद का वितरण करने दूसरे के घर में जाते हैं और वहां पर जाने के बाद हमें वहां से भी प्रसाद मिलता है I दीपावली एक प्रकार का भाईचारा त्यौहार है  I सभी लोग गले मिलते हैं I दीपावली आने से पहले हम अपने घर की साफ सफाई अच्छी तरह से करते हैं उसके बाद ही दीपावली का त्यौहार हम मनाते हैं I

दिवाली पर निबंध 500 शब्द | Diwali Par Nibandh 500 Words

भूमिका : भारत दुनिया का ऐसा देश है I जहां पर विभिन्न धर्म के मानने वाले लोग रहते हैं और यहां के त्यौहार भी काफी अलग अलग है I इसलिए भारत में प्रत्येक महीने कोई ना कोई त्यौहार आता ही रहता है I ऐसे में दीपावली हिंदुओं का एक विशेष त्यौहार है  I इसी दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था और उसके बाद अपनी पत्नी सीता को रावण के कैद से आजाद करवाया और उसके बाद उन्हें लेकर अयोध्या गए I जिसके कारण आज आवासी बहुत ज्यादा खुश है और श्री राम के आने की खुशी में उन्होंने पूरे नगर में दीप जलाए I जिसके बाद से ही दीपावली मनाने की परंपरा और प्रथा शुरू हो गई जो आज तक कायम है I

वर्षा ऋतु समाप्त होने के बाद जब शीत ऋतु का आगमन होता है तो उसे समय दीपावली का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है I इस त्यौहार को पांच दिनों तक मनाया जाता है जिसमें धनतेरस, छोटी दीपावली, बड़ी दीपावली, गौधन, भाई दूज आदि त्यौहार बनाए जाते हैं

दीपावली का अर्थ :

दीपावली दो शब्दों से मिलकर बना है जो संस्कृत से लिया गया है जिसका अर्थ होता है दीपों की पंक्ति या दीपों से सजी हुई पंक्ति। रीना अधिक मात्रा में दीप और मोमबत्तियां जलाई जाती हैं जिसके कारण दीपावली को दीपोत्सव कहा जाता है I

दीपावली का महत्व :

दीपावली को पूरे भारत में बहुत ही खुशी और धूम-धाम से मनाया जाता है। दीपावली को अंधकार पर प्रकाश बुराई पर अच्छाई और अज्ञानता पर ज्ञान की विजय के रूप में देखा जाता है दीपावली को सुंदर और तरीके से मनाया जाता है इस दिन भारत के प्रत्येक राज्य में विभिन्न प्रकार के दीपावली संबंधित कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिसमें अधिक से अधिक लोग भाग लेते हैं इसके अलावा घरों में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की विधि विधान के साथ पूजा की जाती है उसके बाद लोग दूसरे के घर प्रसाद देने के लिए जाते हैं  I दीपावली के दिन लोग बर्तन सोना मिठाइयां कपड़े इत्यादि खरीदते हैं और पैसे खर्च करते हैं उनका मानना है कि इस दिन अगर वह पैसे माता लक्ष्मी के चरणों में अर्पित करेंगे तो उनके धन में वृद्धि होगी I

इस दिन का महत्त्व पांडवों की वजह से भी बढ़ जाता है क्योंकि इसी दिन पांडवों 13 वर्ष का वनवास समाप्त हुआ था I इसके अलावा दीपावली मनाने के पीछे और भी एक रोचक कहानी है ऐसा कहा जाता है कि आज के दिन ही माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था और उन्होंने भगवान विष्णु से विवाह किया था जिसके कारण इस दिन को दीपावली के रूप में मनाया जाता है I

दीपावली की बुराईयाँ :

कोई भी त्यौहार या पर अब खराब नहीं होता है लेकिन उसे खराब करने का काम इंसान ही करते हैं I दीपावली के दिन कई लोग घर में जुआ और शराब का भी सेवन करते जो कि इस महान पर्व के लिए कलंक के समान है I ऐसा करने वाले लोगों की संख्या अधिक है I इसलिए हमें दीपावली त्यौहार को काफी हर्षोल्लास और पवित्र तौर पर बनाना चाहिए ना की कुरीतियों जैसे काम कर I

इसके अलावा आज के समय  आवाज वाले पटाखे का इस्तेमाल किया जाता है I जिसके कारण वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण जैसी समस्या उत्पन्न होती है I जिससे हमारा वातावरण प्रदूषित होता है I और इसका खामियाजा आने वाले पीढ़ी और हमें भी भुगतना पड़ेगा I इसलिए हमें दीपावली के दिन पटाखों का इस्तेमाल कम करना होगा और अगर आप पटाखा जलाना चाहते हैं तो ऐसे पटाखे का इस्तेमाल करें जिसकी आवाज ना के बराबर हो I

Diwali Par Nibandh PDF Download:

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FAQ. Diwali Par Nibandh 2023

Q: भारत में दिवाली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है.

Ans: दीपावली का त्योहार पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीराम 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या वापस आए थे I इसीलिए इस दिन को दीपावली मनाया जाता है

Q. क्या भारत के अलग-अलग राज्यों में दिवाली को एक ही रूप में मनाया जाता है ?

Ans बिल्कुल नहीं प्रत्येक राज्य में दीपावली मनाने की परंपरा और रीति-रिवाज अलग है

Q: दीपावली में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा क्यों की जाती है ?

Ans; दीपावली के दिन माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है इसके पीछे की वजह है कि माता लक्ष्मी को धन का देवी कहा जाता है और भगवान गणेश को बुद्धि का इसलिए अगर आपके पास बुद्धि होगी तभी तो आप धन का सदुपयोग कर पाएंगे I

Q वर्ष 2023 में दीपावली का त्यौहार कब मनाया जायेगा?

12 नवंबर 2023 को दीपावली का त्यौहार मनाया जायेगा

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आज हमने इस आर्टिकल में दिवाली पर निबंध Essay on Diwali in Hindi लिखा है जिसमें हमने प्रस्तावना, पौराणिक एवं ऐतिहासिक महत्व, वैज्ञानिक दृष्टि से महत्व, व्यावसायिक महत्व, दार्शनिक महत्व, दिवाली से लाभ और दिवाली से हानि, Ecofriendly मनाने का तरीके, कविताएं तथा दिवाली पर 10 लाइन के बारे में लिखा है।

Table of Contents

प्रस्तावना (दिवाली पर निबंध Essay on Diwali in Hindi)

प्रतिवर्ष कार्तिक मास के अमावस के दिन हिंदू समाज में दिवाली का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।दिवाली का अर्थ है- दीपों की पंक्ति इस दिन घर- घर को दीपों से सजाया जाता है इसीलिए इस पर्व को दिवाली कहते हैं। एक साथ असंख्य दीपों की जगमगाती लड़ियों से संपूर्ण वातावरण प्रकाशित हो  उठता होता है।

दीपमालाओं की प्रज्वलित सिखाओ की  घटा देखते ही बनती है, घर घर में लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। इस दिन लोग आपकी दुश्मनी को भूलकर एक दूसरे के घर जाते हैं और मिठाइयां बांटते हैं।

बच्चों के लिए यह दिन विशेष खुशी का होता है इस दिन रंग-बिरंगे कपड़ों को पहनकर पटाखे फोड़ते हैं और अपने दोस्तों के साथ मिठाईयां खाते हैं। दिवाली मनाने की तैयारी पहले से ही प्रारंभ हो जाती है। लोग अपने घरों और दुकानों को साफ-सफाई करवाते हैं तथा रंग लगाते हैं और अनेक प्रकार के रंग बिरंगे बल्ब के द्वारा सजाते हैं।

दीपावली का इतिहास व महत्व History and importance of Deepawali in Hindi

 दीपों का खास पर्व होने के कारण इसे दीपावली नाम दिया गया है। अर्थात दीपावली का अर्थ होता है दीपों की अवलि। कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाने वाला यह पर्व अंधेरी रात को दिये जलाकर दीपावली मनाया जाता है। दीपावली के पीछे अलग-अलग कारण और कहानियां हैं।

1. भगवान राम कार्तिक अमावस्या को 14 वर्ष का वनवास  पूरा करके तथा असुरी कृतियों के प्रति बुराई का दमन करके अयोध्या लौटे थे तो अयोध्या वासियों ने उनके स्वागत में पूरे अयोध्या को असंख्य दिये जलाकर  उन की स्वागत की थी  तथा उत्सव मनाए थे इसी कारण यह प्रमुख त्योहारों में से एक है।

2. इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर का वध किया। इसलिए इस दिन जनता खुश हो कर के अपने घरों में घी के दीया जलाए थे।

पौराणिक एवं ऐतिहासिक महत्व Mythological and Historical significance in Hindi

दिवाली का अपना पौराणिक महत्व है। इसका संबंध पुराणों से वर्णित भारतीय समाज के पौराणिक इतिहास से है। इसी दिन काली माता ने रक्तबीज नामांक राक्षस का संहार क्या था, जिसके अत्याचार से संपूर्ण समाज परेशान था, उस दुष्ट राक्षस के सहार के बाद लोगों ने अपने घर में घी के दिये जलाए थे, इस मंगलकारी घटना के स्मृति में ही प्रतिवर्ष यह त्यौहार मनाया जाता है।

लंका विजय के बाद जब भगवान राम अयोध्या लौटे, तो इस दिन उनका राज्याभिषेक किया गया था, और संपूर्ण भारत वर्ष में दीपक जला कर ख़ुशियाँ मनाई गई थी, कुछ लोग दीपक का प्रारंभ है इसी दिन से मानते हैं किंतु विद्वानों का मानना है कि दिवाली का त्यौहार इससे भी प्राचीन काल से मनाया जाता रहा है। यह विद्वान इस पर्व का संबंध है मां काली द्वारा रक्तबीज के संघार से ही बताते हैं।

वैज्ञानिक दृष्टि से महत्व Scientific Significance in Hindi

दिवाली का पौराणिक महत्व तो है ही लेकिन इसका वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्व है। वर्षा ऋतु से उत्पन्न न कीड़े, मकोड़े जल, में  घास -फूस एवं गंदगी के सड़ने से उत्पन्न विषैली गैस, तथा घर मकान में व्याप्त सीलन को दूर करने में दिवाली के त्यौहार की महत्वपूर्ण भूमिका है।

लोग दिवाली का त्यौहार आने की बहुत पहले से ही उनके घरों एवं आस पास की सफाई करना प्रारंभ कर देते हैं। वे घर एवं दुकानों पर नया रंग रोगन करवाते हैं।  इससे घर कि सीतन एवं कोनों में छुपे हुए कीट मुखड़े भी नष्ट हो जाते हैं।

प्राचीन काल से दिवाली के दिन सरसों एवं घी का दीपक जलाए जाते थे। इससे वातावरण का प्रदूषण दूर होता था। और कीड़े मकोड़े इसकी दीपशिखा ऊपर जल मरते हैं।

व्यवसायिक महत्व Business Value in Hindi

दिवाली के दिन व्यवसाय लक्ष्मी की पूजा करते हैं। इस दिन से किसी व्यवसाय कार्य का आरंभ है शुभ माना जाता है। इसके पीछे भी कुछ बताने का रहे हैं, इस काल में वर्षा ऋतु पूर्णतय समाप्त हो जाती है। यात्रा और व्यावसायिक कार्य के लिए यह समय अनुकूल माना जाता है।

इस समय किसानों के घर धान की फसल काट कर आना शुरू हो जाती है, और उन्हें इसी समय अपने किसी संबंधी सामग्रियों का क्रय करना होता है। 

दीपावली का दार्शनिक महत्व Philosophical Importance in Hindi

दिवाली को प्रकाश पर्व कहा जाता है। यहां अंधेरे पर प्रकाश से तथा असत्य से सत्य पर विजय की प्रतीक है यह इस दार्शनिक तथ्य को अभिव्यक्त करता है कि, अंधेरा कितना भी खाना हो गया, ज्ञान और कर्तव्य का सामूहिक दीप अंधेरे को प्रकाश में बदल देता है।

किसी समाज के उत्थान के लिए प्रेरक इस तथ्य को वाड़ी देते हुए दीपमाला  की अनगिनत हमसे यह कहते हुए प्रतीत होती है कि, हमारी तरह जल कर देखो तुझे से भी प्रकाश की किरणें निखरने लगेगी जो समाज में छाए हुए अंधेरे को मिटा देगी।

दिवाली से लाभ Benefit from Diwali in Hindi

 दिवाली मात्र एक  त्यौहार ही नहीं अपितु इससे अनेक लाभ भी हैं, घर मोहल्लों के साथ सफाई  वातावरण की शुद्धि,  आपसि सद्भावना का विकास  तथा नए कार्य  व नए योजनाओं का आरंभ है करने की प्रेरणा के साथ-साथ दिवाली हमें अंधेरे से लड़ने की प्रेरणा भी देती है।

दिवाली से हानि Loss from Diwali in Hindi

मनुष्य एक ऐसा प्राणी है, जो अपने आंतरिक (ईर्ष्या और द्वेष से पुण) विचार एवं अज्ञानता पुण व्यवहारों के द्वारा किसी लाभप्रद रीति-रिवाजों को भी हानिकारक बना देता है।

दिवाली के दिन जुआ खेलने शराब पीने पर अनिष्ट आचरण से विनाश को आमंत्रित करने वाले लोग आज भी हैं। ऐसे लोगों के लिए दिवाली का त्यौहार लाभ के बदले हानि को आमंत्रित करता है।

देश में पटाखों के रूप में अरबों रुपए का बारूद फूंक दिया जाता हैं इससे देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित होती है, और वातावरण भी प्रदूषित होता है। अनेक लोग पटाखों के कारण पाली दुर्घटना से प्रदूषित हो कर अपने जीवन को नर्क बना लेते हैं।

दीपावली के दौरान मनाए जाने वाले त्योहार Festivals celebrated during Deepawali in Hindi

 दीपावली के दौरान मनाए जाने वाले त्योहार धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज

धनतेरस Dhanteras in Hindi

कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी के दिन दीपावली का पहला दिन होता है जिसे धनतेरस कहते हैं। धनतेरस के दिन कुछ भी खरीदना शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि उस दिन घर में लक्ष्मी का आगमन होता है। लोग उस दिन अपने जरूरत का सामान खरीदते हैं, जैसे सोना, चांदी, गाड़ी, कार, बर्तन आदि।

नरक चतुर्दशी Nakarak Chaturdashi in Hindi

कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के दिन दीपावली का दूसरा दिन होता है इसे नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली, रूप चौदस, काली चौदस के नाम से जानी जाती है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का संहार किया था इसीलिए उनके जीत के किसी के सम्मान में यह त्यौहार मनाया जाता है। अपनी मृत्यु के समय नरकासुर सत्यभामा से विनती की थी कि उनकी मृत्यु को रंगीन प्रकाशमय उत्सव के रूप में मनाया जाए।

दीपावली Deepawali in Hindi

दीपावली का यह त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। यहां हिंदुओं का मुख्य धार्मिक व सामाजिक पर्व है। कहा जाता है कि रामचंद्र जी 14 बरस का बनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे जिनकी खुशी में अयोध्यावासी असंख्य दीप जलाकर उनका स्वागत किया था।

गोवर्धन पूजा Govardhan Pooja in Hindi

गोवर्धन पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन गोवर्धन तथा गाय की विशेष पूजा की जाती है। जिसका अपना एक खास महत्व हैं। इस पर्व को कृष्ण भगवान की जन्मभूमि मथुरा, गोकुल, और वृंदावन में खास तौर पर मनाया जाता है।

हालांकि भारत के कई क्षेत्रों में भी ऐसे लोग बहुत ही श्रद्धा के साथ बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। गोवर्धन पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन गौ के गोबर से गोवर्धन बनाया जाता है और उसे विशेष प्रकार के फूलों से सजा कर उसकी पूजा-अर्चना की जाती है।

कहां जाता है कि मूलाधार बारिश से बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को 7 दिनों तक अपनी एक उंगली पर उठाए रखा। इससे इंद्र क्रोधित हो उठे और मूलाधार बारिश होने लगी गोवर्धन पर्वत के नीचे सभी बृजवासी सुरक्षित थे।

सातवें दिन जब श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और गोवर्धन पूजा की अभिभूत बनाकर उसकी पूजा करने को कहा तब से दीपावली के समय गोवर्धन पूजा जाने की कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पूजा की जाती है।

भाई दूज Bhai Dooj in Hindi

यह त्यौहार बहन के प्रति भाई का कर्तव्य का बोध कराता है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और समृद्ध जीवन की कामना करते हैं। इसे भारत के विभिन्न जगहों पर भव बिच, भाई तिलक, रात्र द्वितीय, आदि कहा जाता है।

हिंदू समाज में भाई-बहन के प्रेम को सम्मान दिया जाता है। भाई दूज का यह त्यौहार दीपावली के 2 दिन बाद आता है। हिंदुओं के बाकी परंपराओं की तरह यह त्यौहार भी से जुड़ा हुआ है इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर, उपहार देकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती है।

बदले में भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है। भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इसीलिए इस पर्व पर यम देव की पूजा भी की जाती है। मान्यता के अनुसार इस दिन जो यम देवता की पूजा अर्चना करता है उसे असमय मृत्यु का कोई भय नहीं रहता।

दीपावली मेरा प्रिय त्यौहार है मुझे इस त्यौहार का बेसब्री से इंतजार रहता है दीपावली के समय हम घरों में दीया जलाते हैं मुझे यह त्यौहार बहुत ही अच्छा लगता है।

दीपावली कैसे मनाते हैं? How to celebrate Deepawali in Hindi

  • दीपावली के दिन हम रंग बिरंगी रंगोलियां बनाते हैं।
  • उस दिन लोग नए नए कपड़े पहनते हैं।
  • दीपावली के दिन महालक्ष्मी की पूजा की जाती है।
  • उस दिन रात्रि के समय पूरे घरों को असंख्य दीपों से सजाया जाता है ।
  • लोग पटाखे फोड़ते हैं, फुलझड़ियां जलाते हैं, और दीपावली का आनंद लेते हैं परंतु हमें दिवाली में पटाखे नहीं फोड़ना चाहिए।
  • दीपावली के दिन घरों में अनेक प्रकार की मिठाइयां बनाए जाते हैं।
  • दीपावली के दिन लोग एक दूसरे को मिठाई बांटते हैं और दीपावली की शुभकामनाएं देते हैं।

प्रदूषण मुक्त दीपावली Pollution free Deepawali in Hindi

हमें हमेशा प्रदूषण मुक्त दीपावली (Ecofriendly Diwali) की मनाना चाहिए। हमें दीपावली के समय ज्यादा से ज्यादा दिया जलाकर ही दीपावली का आनंद लेना चाहिए। ना की पटाखे फोड़ कर। दीपावली के समय पटाखों के कारण कई प्रकार के हादसे होते हैं।

पटाखों के धुए से वायु भी प्रदूषित होता है तथा उसके ध्वनि से ध्वनि प्रदूषण भी होता है।  दीपावली के समय पटाखों के कारण हमारा वातावरण प्रदूषित होता है इस कारण हमें पटाखों का प्रयोग ना करके हम दीया जलाकर दीपावली मना सकते है। इको फ्रेंडली दीपावली मना कर ही हम हमारे वातावरण को सुरक्षित रख सकते है।

दिवाली पर 10 लाइन 10 lines on Diwali

  • प्रतिवर्ष कार्तिक मास के अमावस के दिन हिंदू समाज में दिवाली का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
  • दिवाली का अर्थ है- दीपों की पंक्ति इस दिन घर- घर को दीपों से सजाया जाता है इसीलिए इस पर्व को दिवाली कहते हैं। 
  • एक साथ असंख्य दीपों की जगमगाती लड़ियों से संपूर्ण वातावरण प्रकाशित हो  उठता होता है।
  • दीपमालाओं की प्रज्वलित सिखाओ की  घटा देखते ही बनती है, घर घर में लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है।
  • इस दिन लोग आपकी दुश्मनी को भूलकर एक दूसरे के घर जाते हैं और मिठाइयां बांटते हैं।
  • बच्चों के लिए यह दिन विशेष खुशी का होता है इस दिन रंग-बिरंगे कपड़ों को पहनकर पटाखे फोड़ते हैं और अपने दोस्तों के साथ मिठाईयां खाते हैं।
  • दिवाली मनाने की तैयारी पहले से ही प्रारंभ हो जाती है। लोग अपने घरों और दुकानों को साफ-सफाई करवाते हैं तथा रंग लगाते हैं और अनेक प्रकार के रंग बिरंगे बल्ब के द्वारा सजाते हैं।
  • दिवाली का अपना पौराणिक महत्व है। इसका संबंध पुराणों से वर्णित भारतीय समाज के पौराणिक इतिहास से है।
  • इसी दिन काली माता ने रक्तबीज नामांक राक्षस का संहार क्या था, जिसके अत्याचार से संपूर्ण समाज परेशान था, उस दृष्ट राक्षस के सहार के बाद लोगों ने अपने घर में घी के दिये जलाए थे, इस मंगलकारी घटना के स्मृति में ही प्रतिवर्ष यह त्यौहार मनाया जाता है।
  • लंका विजय के बाद जब भगवान राम अयोध्या लौटे, तो इस दिन उनका राज्याभिषेक किया गया था, और संपूर्ण भारतवर्ष में दीपक जला कर खुशियां मनाई गई थी, कुछ लोग दीपक का प्रारंभ है इसी दिन से मानते हैं किंतु विद्वानों का मानना है कि दिवाली का त्यौहार इससे भी प्राचीन काल से मनाया जाता रहा है।

दीपावली पर कविता Poem on diwali in Hindi

  • गर सूख गया हो दीये का मान, मौसम है स्नेह का तेल चढ़ा लेना। हो मन में कहीं गर लोभ क्रोध का अंधेरा, मौका है प्रेम के दीये जला लेना। घर को मन को कर चुके हो साफ, पड़ोस पड़ोसियों से कचरा क्लेश भी हटा लेना। कब तक रखोगे रामायण में राम, आज दिन है मन में भगवान बसा लेना। गर सूख गया हो दीये का मन, मौसम है स्नेहा का तेल चढ़ा लेना।
  • दीपावली का त्योहार आया, साथ में खुशियों की बौछार लाया। दीपो की सजी है कतार, जगमग आ रहा है पूरा संसार। अंधकार पर प्रकाश की विजय लाया, दीपावली का त्योहार आया। सुख समृद्धि की बौछार लाया, भाईचारे का संदेश लाया। बाजारों में रौनक छाया, दीपावली का त्यौहार आया।
  • दीपों का त्योहार दिवाली आई है, खुशियों का संसार दिवाली आई है। घर आंगन सब नया सा लगता है, नया-नया परिधान सभी को फबता है। नए-नए उपहार दिवाली लाई है, खुशियों का संसार दिवाली लाई है।
  • दीप जलाओ दीप जलाओ आज दिवाली रे, खुशी-खुशी सब हंसते आओ आज दिवाली रे, नाचो गाओ खुशी मनाओ आज दिवाली आई, दीप जलाओ दीप जलाओ आज दिवाली रे, नए नए कपड़े पहनो खाओ खूब मिठाई,  हाथ जोड़ कर पूजा कर लो आज दिवाली आई।
  • आओ मिलकर दीप जलाएं अंधेरा धरा से दूर भगाएं। रहा न जाए अंधेरा कहि घर का कोई सुना कोना, सदा ऐसा कोई दीप जलाते रहना, हर घर आंगन में रंगोली सजाएं, आओ मिलकर दीप जलाएं।

निष्कर्ष Conclusion

किसी त्योहार को मनाते समय हमें उसमें निहित कल्याणकारी अर्थ को भी समझना चाहिए। दिवाली के त्यौहार में भी यही दृष्टिकोण अपनाना उचित होगा, तभी हम इसका वास्तविक आनंद प्राप्त कर सकते हैं।

यदि आपको  यह दिवाली पर निबंध Essay on Diwali in Hindi अच्छा लगा हो तो और भी जानकारी पाने के लिए हमारे साथ इसी तरह से जुड़े रहिए।

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दीपावली पर निबंध 300, 500 और 1000 शब्दों में – Diwali Essay in Hindi

Diwali Essay in Hindi

Diwali Essay in Hindi: आप यह जरूर जानते होंगे कि दिवाली अब काफी नजदिक आ चुकी है, और लोगों ने अभी से दिवाली की तैयारियां शुरू कर दी है। दिवाली भारत का सबसे बड़ा त्यौहार है जिसे पांच दिनों तक लगातार मनाया जाता है। स्कूलों में दिवाली के त्योहार के समय होमवर्क में बच्चों को दीपावली पर निबंध 300, 500 और 1000 शब्दों में लिखने के लिए दिया जाता है।

अगर आपको भी टिचर ने दिवाली पर 300, 500 या 1000 शब्दों में निबंध लिखने के लिए कहा है तो यह आर्टिकल पूरा पढ़े। मैने इस आर्टिकल में, दिवाली पर निंबध लिखने का काफी आसान तरीका बताया है जिससे आप अपनी क्लास में सबसे ज्यादा नंबर प्राप्त कर सकते है।

दिपावली पर निबंध कैसे लिखे

दीपावली भारत का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। स्कूलों में अक्सर होमवर्क के लिए दिपावली पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है। इसके अलावा कई बार स्कूलों में निबंध प्रतियोगिता भी होती है।

अगर आप सबसे अच्छा निबंध लिखना चाहते है तो आपको सबसे पहले निबंध की रूपरेखा लिखनी चाहिए, जिसमें निबंध परिचय, मु्ख्य भाग और उपसंहार शामिल होना चाहिए। अगर आप निबंध को Points बनाकर लिखते है तो निबंध और ज्यादा अच्छा दिखता है। चलिए मैं आपको दीपावली पर निबंध 300, 500 और 1000 शब्दों में लिखकर बताता हूँ।

दीपावली पर निबंध 300 शब्दों में (Diwali Essay in Hindi)

दिपावली पर निबंध लिखने से पहले रूपरेखा लिखे, और फिर निबंध लिखना शुरू करें।

रूपरेखा – 1. प्रस्तावना, 2. दिपावली त्यौहार मनाने का कारण, 3. दिपावली का महत्व, 4. उपसंहार

प्रस्तावना

दीपावली भारत का सबसे बड़ा त्यौहार है जो हर साल हिंदी कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। भारत में दिपावली के त्यौहार को धनतेरस, छोटी दिवाली, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज के रूप में 5 दिनों तक मनायी जाती है।

दीपावली की तैयारी कई दिनों पहले ही शुरू हो जाती है। लोग अपने घरों को साफ करते है और सजाते है। वे घरों को रंगीन रोशनी, दीयों और रंगोली से सजाते है। घरों में लक्ष्मी की पूजा की जाती है और फिर पटाखे जलाए जाते हैं।

अगले दिन लोग नए कपड़े पहनते है और एक दूसरे से मिलते है। दिवाली काफी हर्षोल्लास का त्यौहार है।

दिपावली त्यौहार मनाने का कारण

दीपावली भारत में हर साल दशहरा ( Dashahra ) के बाद मनायी जाती है। भारत में यह त्यौहार इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इस दिन भगवान राम ने रावण को मारकर 14 वर्षों का वनवास पूरा करके अयोध्या लोटे थे। जब राम जी अयोध्या लौटे थे तो वहां के लोगों ने राम जी के स्वागत के लिए पूरी अयोध्या नगरी को दीयों से सजाया था। इसी कारण आज भी हर घर में रोशनी करके दिवाली के त्यौहार को मनाया जाता है.

दिपावली का महत्व

दीपावली, जो कि भारतीय पर्वों में से एक है, एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्यौहार हमें बुराई पर अच्छाई की जीत की प्रेरणा देता है। दिवाली के दिन हम लक्ष्मी पूजा करते है ताकि घर में धन समृद्धि बनी रहे। इसके अलावा यह त्यौहार परिवारों और दोस्तों को एक साथ मिलाता है, और खुशिया लाता है।

उपसंहार

दीपावली को भारतीय समाज में एक बड़ा और आनंदमय पर्व माना जाता है। यह त्यौहार लोगों के मनों में उज्जाला लाने का कार्य करता है।

दीपावली पर निबंध 500 शब्दों में – Diwali Essay in 500 Words

जैसा की मैने बताया कि दिपावली पर निबंध लिखने से पहले रूपरेखा लिखे, और फिर निबंध लिखना शुरू करें।

रूपरेखा – 1. प्रस्तावना, 2. दिपावली प्रकाश का त्यौहार, 3. दिपावली के धार्मिक महत्व, 4. दिपावली के सामाजिक महत्व, 5. उपसंहार

दीपावली हिंदुओ का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्यौहार है। इस त्यौहार को हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। यह त्यौहार अंधकार पर प्रकाश की विजय, बुराई पर अच्छाई की जीत और ज्ञान पर अज्ञानता की जीत का प्रतीक है।

दिपावली प्रकाश का त्यौहार

दीपावली को प्रकाश का त्यौहार भी माना जाता है। क्योंकि इस दिन लोग अपने घरों को साफ करते हैं और उन्हें दीयों और रंगीन रोशनियों से सजाते हैं। वे मिठाइयां, पकवान और अन्य स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाते हैं।

दीपावली के दिन, लोग नए कपड़े पहनते हैं और मंदिर जाते हैं। वे भगवान राम, माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। शाम को, लोग अपने घरों के बाहर दीये जलाते हैं और आतिशबाजी करते हैं।

इस त्यौहार में पूरा भारत देश रोशनी से भर जाता है, इसलिए इसे प्रकाश का त्यौहार कहा जाता है।

दिपावली के धार्मिक महत्व

दीपावली हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, क्योंकि इस दिन भगवान राम 14 साल के वनवास को पूरा करके अयोध्या लौटे थे। राम जी, हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं क्योंकि उनका जीवन धर्म, अच्छाई और न्याय की जीत की कहानी को बताता है।

दीपावली को धनतेरस, नरक चतुर्थी और गोवर्धन पूजा के रूप में भी मनाया जाता है। धनतेरस धन के देवता कुबेर की पूजा का दिन है। नरक चतुर्थी पर, लोग अपने पूर्वजों की आत्माओं को श्रद्धांजलि देते हैं। इसके अलावा गोवर्धन पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि भगवान कृष्ण ने इंद्र के क्रोध से लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था।

दीपावली के सामाजिक महत्व

दीपावली त्यौहार का काफी बड़ा सामाजिक महत्व भी है। यह एक ऐसा समय है जब लोग एक साथ आते हैं और खुशियां मनाते हैं। इस दिन, लोग अपने परिवार और दोस्तों को उपहार देते हैं। वे एक साथ खाते हैं, खेलते हैं और मस्ती करते हैं।

दीपावली एक ऐसा त्यौहार है जो लोगों को एक साथ लाता है और उन्हें खुशी और आशा की भावना देता है। यह एक ऐसा समय है जब लोग अपने पुराने पापों को छोड़ देते हैं और एक नई शुरुआत करते हैं।

दीपावली एक खुशी और उत्सव का त्यौहार है। यह एक ऐसा त्यौहार है जो लोगों को एक साथ लाता है और हमारी नफरतों को खत्म करता है। इस त्यौहार के बाद कुछ नए पलों की शुरूआत होती है। दिपावली के दिन पूराने टूटे हुए रिस्ते भी जुड़ जाते है।

दीपावली पर निबंध 1000 शब्दों में

अगर आप दिवाली पर 1000 शब्दों का आर्टिकल लिखना है तो आप निम्न तरीके से लिख सकते है।

रूपरेखा – 1. प्रस्तावना, 2. दीपावली का महत्व, 3. दीपावली का इतिहास, 4. दीपावली के मुख्य दिन, 5. दीपावली को मनाने का तरीका, 6. दीपावली की परम्पराए, 7.दीपावली त्यौहार के फायदे और नुकसान, 8. उपसंहार

दीपावली, जिसे हम दिवाली के रूप में भी जाना जाता है। यह भारत में एक प्रमुख हिन्दू पर्व में से एक है जो हर साल  कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। भारत में इस पर्व का महत्व धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक दृष्टि से काफी ज्यादा है। इस निबंध में, हम दीपावली के महत्व, इतिहास, और इसके प्रमुख त्योहारों के बारे में चर्चा करेंगे।

दीपावली का महत्व

दीपावली का त्यौहार धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से काफी महत्वपूर्ण त्यौहार है।

  • धार्मिक महत्व : दीपावली का धार्मिक महत्व है क्योंकि यह भगवान राम के अयोध्या लौटने के बाद की विजय का पर्व है। इसे उनके आगमन के रूप में मनाया जाता है और लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं।
  • सांस्कृतिक महत्व: यह एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक त्योहार है जिसमें भारतीय कला, संगीत, और गीतों का महत्वपूर्ण स्थान है। लोग दीपावली के मौके पर विभिन्न रंगीन रंगों के आसपास रंगों की फुलझड़ी और आतिशबाजी करते हैं।
  • सामाजिक महत्व: दिवाली के त्यौहार की वजह से लोगों एक-दूसरे से मिल पाते है, और इससे खुशिया बढ़ती है।
  • आर्थिक महत्व : दीपावली के दिनों लोगों को रोजगार मिलता है।

दीपावली का इतिहास

दीपावली का इतिहास बहुत पुराना है। माना जाता है कि यह त्यौहार सिंधु घाटी सभ्यता के समय से ही मनाया जा रहा है। सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेषों में मिट्टी के दीपक और रोशनी के अन्य साधनों के अवशेष मिले हैं।

दीपावली का इतिहास हिंदू धर्म के साथ भी जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि दीपावली भगवान राम के 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाई जाती है। राम, हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। उनका जीवन धर्म, अच्छाई और न्याय की जीत की कहानी है।

दीपावली को धनतेरस, नरक चतुर्थी और गोवर्धन पूजा के रूप में भी मनाया जाता है।

दीपावली के मुख्य दिन

इस साल 2023 में दीपावली 10 नवंबर से 14 नवंबर तक मनायी जाएगी और इन पांच दिनों में धनतेरस, छोटी दिवाली, दिवाली, गोवर्धन पूरा और भाई दूज जैसे त्यौहार मनाए जाते हैं।

  • धनतेरस : दीपावली के पहले दिन को “धनतेरस” के रूप में मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जो धन और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं।
  • छोटी दीपावली : दूसरे दिन को “छोटी दीपावली” कहा जाता है, जिसमें घर को दीपों से सजाया जाता है और खास विशेष भोजन बनाया जाता है।
  • महापर्व दीपावली : दीपावली के तीसरे दिन को “महापर्व दीपावली” के रूप में मनाया जाता है, जिसमें लोग आतिशबाजी करते हैं और एक दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं।

दिवाली के त्यौहार में उपरोक्त तीनों त्यौहार काफी महत्वपूर्ण हैं।

दीपावली को मनाने का तरीका

इस त्यौहार को काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। दिवाली की तैयारियां 1 महीने पहले ही शुरू हो जाती है। लोग सबसे पहले अपने घरों की साफ-सफाई करते है। और फिर कुछ खऱीदारी करते है, जिसमें खाने-पीने का सामान, फटाखे, दीये, कपड़े आदि शामिल होते है।

लोग धनतेरश के दिन कोई नयी चीज़ खरीदते है, जो घर में खुशिया लाती है। इसके बाद लोग दीपावली के दिन फटाखे जलाते है, और माता लक्ष्मी व कुबेर की पूजा करते है। अगले लोग एक – दूसरे से मिलते है और खुशिया बढ़ाते है।

दिवाली के दिन लोग नए-नए कपड़े पहनते है और काफी सारे स्वादिष्ट व्यंजन बनाते है। इस त्यौहार दौहरान हर घर रोशनी से जगमगाता हुआ दिखाई देता है। यह भारत का काफी बड़ा और मजेदार त्यौहार है।

दीपावली की परंपराएँ

दीपावली के त्योहार के साथ कई परंपराएँ भी जुड़ी हैं, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं।

  • दीपक : दीपावली के दिन लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं। इसके अलावा घरों को रंगनी रोशनीयों से भी सजाया जाता है।
  • पूजा : पूजा भगवान की आराधना का एक तरीका है। यह आशा और विश्वास का प्रतीक है।
  • रंगोली: दीपावली के मौके पर घरों के बाहर रंगोली बनाई जाती है। यह एक प्रकार की चित्रकला होती है, जिसमें विभिन्न रंगों का प्रयोग करके आकर्षक डिज़ाइन बनायी जाती है।
  • पटाखे: दीपावली के त्योहार पर पटाखे जलाना भी एक प्रमुख परंपरा है। लोग पटाखों के साथ आतिशबाजी करते है और आसमान में फूलझड़ियों की रोशनी के साथ त्यौहार का आनंद लेते हैं।
  • नए कपड़े : नए कपड़े नई शुरुआत का प्रतीक हैं।
  • स्वादिष्ट व्यंजन: दीपावली के त्योहार पर विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट खाने का आनंद भी लिया जाता है। लोग एक-दूसरे के घर जाकर खाने-पीने का आनंद लेते हैं और मिलकर खुशियों का स्वाद चखते हैं।

दिपावली त्यौहार के फायदे और नुकसान

दीपावली त्यौहार के काफी सारे फायदे है लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं।

दीपावली त्यौहार के फायदे:

  • दीपावली खुशियों और एकत्ता का त्यौहार है।
  • दीपावली से नयी शुरूआत होती है।
  • लोगों को रोज़गार मिलता है।
  • लोग अपने घरों और अन्य स्थानों की सफाई करते हैं।
  • यह त्यौहार भारत की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को बनाए रखता है।

दीपावली के कुछ नुकसान:

  • दीपावली के दिन लोग अनावश्यक खर्च करते है।
  • आतिशबाजी के कारण पर्यावरण काफी ज्यादा प्रदुषित होता है।
  • कागज और प्लास्टिक भी पर्यावरण को प्रदुषित करते है।

दीपावली भारतीय समाज में आनंद, उत्साह, और एकता का प्रतीक है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि अच्छाई हमेशा बुराई पर विजय प्राप्त करती है और धर्म की जीत होती है। दीपावली का महत्व और इसकी परंपराएँ हमे समृद्धि और सफलता की ओर ले जाती हैं। इस त्योहार को पूरे परिवार के साथ मनाने से हमारे जीवन में खुशियाँ और समृद्धि आती हैं, और इससे हम अच्छे और सजीव समाज के निर्माण में योगदान दे सकते हैं।

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Diwali Essay in Hindi- दीपावली | दिवाली पर निबंध हिंदी में

In this article, we are providing Diwali Par Nibandh | Diwali Essay in Hindi दीपावली | दिवाली पर निबंध हिंदी | Nibandh in 100, 200, 250, 300, 500 words For Students & Children.

दोस्तों हमने Deepawali Par Nibandh | Essay on Diwali in Hindi लिखा है दीपावली | दिवाली पर निबंध हिंदी में कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, और 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए है। 8 Simple Essay on Diwali in Hindi language.

Diwali Essay in Hindi- दिवाली पर निबंध हिंदी में

दीपावली पर निबंध हिंदी में 10 लाइन- Diwali Essay in Hindi 10 lines for Child & Kids ( 100 words )

1. दीपावली हिंदुओं का पावन त्योहार है।

2. यह अक्टूबर-नवंबर के महीने में आता है।

3. दीपावली के दिन ही श्री राम चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे।

4. उनके आने पर पूरी अयोध्या नगरी को दीपों से सजाया गया था।

5. दीपावली के आने की तैयारी घर और दुकानों की साफ़-सफ़ाई और रंग-रोगन से होती है।

6. दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस के अवसर पर लोग अपने घरों के लिए नया सामान खरीदते हैं।

7. सभी मित्र-संबंधी आपस में मुँह मीठा करवाते हैं।

8. दीपावली के दिन गणेश-लक्ष्मी का पूजन होता है।

9. सभी रात में अपने घर को दीपों से सजाते हैं और पटाखे चलाते हैं।

10. दीपावली की रात रोशनी की रात होती है।

10 lines दीपावली पर निबंध कक्षा 3

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दीपावली पर निबंध 150 शब्द- Diwali Par Nibandh | Diwali Essay in Hindi 150 words

परिचय : दीपावली हिन्दू जाति का प्रधान पर्व है। इसकी प्रतीक्षा लोग बड़ी उत्सुकता से करते हैं।

वर्णन : यह कार्तिक की अमावस्या को खूब धूम-धाम से मनायी जाती है। सबलोग इस दिन संध्या को अपने-अपने घरों को रंग-बिरंगी बत्तियों से सजाते हैं। आज के दिन व्यापारी लोग अपना कार्य शुरू करना शुभ मानते हैं।

लाभ : दीपावली सफाई का त्योहार है। दीपावली के पहले ही घरों एवं दुकानों की लिपाई-पुताई की जाती है। दुकानदारों के पुरान बकाए वसूल हो जाते हैं। लोग मित्रों और संबंधियों से मिलते-जुलते हैं। इससे प्रेम और भाई-चारा बढ़ता है।

हानि : कुछ लोग दीपावली के दिन जुआ खेलना अच्छा समझते हैं लेकिन यह गन्दी आदत है। वे लोग जुआ खेलकर अपना सब कुछ गँवा बैठते हैं। आतिशबाजी के कारण लड़के जल जाते हैं एवं कहीं-कहीं आग लगने की दुर्घटना घट जाती है।

उपसंहार : दीपावली हमारे जीवन में नवीन प्रकाश लाती है। यह हमें भाई-चारा, सहयोग, सुख और शान्ति का सन्देश देती है।

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Short Essay on Diwali in Hindi – दीपावली पर निबंध हिंदी में ( 180 words )

दीपावली हिन्दुओं का एक मुख्य त्योहार है। यह कार्तिक मास की अमावास्या के दिन मनाया जाता है।

भगवान राम चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे। अयोध्या के लोगों ने खुशी में घी के दीपक जलाए। तब से दीपावली मनाते हैं।

दीपावली आते ही खुशी की लहर दौड़ जाती है। घरों और दुकानों की साफ सफाई की जाती है। उन्हें सुन्दर तरीके से सजाया जाता है। घर में अनेक तरह के पकवान और मिठाईयाँ बनती हैं। नए कपड़े खरीदे जाते हैं। इस दिन गाँव एवं नगर दीयों और रंगीन बल्बों के प्रकाश से जगमग करते हैं।

बच्चों को दीपावली बहुत पसंद है। परिक्षाएँ खत्म हो चुकी रहती है और पाठशालाओं में छुट्टियाँ हो जाती है। बच्चे पटाखे खरीदते हैं जैसे -अनार, रॉकेट, फुलझड़ी, चरखी आदि। दीपावली के दो-चार दिन पहले से ही वे पटाखे जलाने लगते हैं । कुछ पटाखे खतरनाक होते हैं। पटाखे सदा बड़ों के संरक्षण में जलाने चाहिए।

दीपावली खुशियों और प्रेम का त्योहार है। इसे हिलमिलकर मनाना चाहिए।

Deepawali Essay in Hindi

Diwali Essay in Hindi

दिवाली पर निबंध हिंदी में- Hindi Essay on Diwali in 200 words

दीपावली या दीवाली हिन्दुओं का एक बहुत पवित्र तथा महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह सारे भारत में बड़े धूमधाम और उत्साह से मनाया जाता है। कार्तिक माह की अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है।

दीपों, मिठाइयों, लक्ष्मीपूजन और पटाखों का यह दिन सचमुच अद्भुत है। इस दिन के लिए बहुत पहले से ही तैयारियाँ प्रारंभ हो जाती हैं। घर-द्वार की सफाई, रंग-रोगन, दूकानों की सजावट, नये वस्त्रों, बरतनों, गहनों आदि की खरीद इस अवसर पर की जाती है। लोग-बाग उदारता से धन खर्च करते हैं और आनन्द मनाते हैं।

इसी दिन भगवान राम अपने 14 वर्ष के वनवास के पश्चात सीता के साथ अयोध्या लौटे थे। राम ने दुष्ट रावण का वध किया था। उन्होंने संतों, सज्जनों और दूसरे सभी अच्छे लोगों को रावण के भय से मुक्त किया था। इसी याद में सारी रात दीपक मालायें जलाई जाती हैं, सजावट की जाती है, मिलन मनाया जाता है और पकवान पकाये जाते हैं।

धनी और व्यापारी वर्ग इस दिन धन की देवी लक्ष्मी तथा विद्या के देवता गणेश का पूजन करते हैं। कुछ लोग इस दिन जुआ खेलते हैं। यह एक बड़ी सामाजिक बुराई है। हमें इससे बचना चाहिये। जैन धर्म के महान प्रवर्तक वर्धमान महावीर का देहावसान इसी दिन हुआ था।

इसी दिन आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानन्द सरस्वती ने देह त्याग किया था।

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दिवाली पर निबंध हिंदी में- Essay on Diwali in Hindi Language ( 250 words )

दिवाली या दीपावली एक मुख्य त्योहार है। यह केवल भारत में ही नहीं, विदेशों में भी मनायी जाती है। लोग’ आश्वयुज अमावास्या के दिन यह पर्व मनाते हैं। दिवाली का अर्थ दीपों की पंक्ति है।

उत्तर भारत में यह पर्व पाँच दिनों का है। आन्ध्र प्रदेश में यह तीन दिन मनाया जाता है। दिवाली के एक दिन पूर्व नरक चतुर्दशी पर्व और दिवाली के बाद दूसरे दिन भैया-दूज पर्व मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी पर्व मनाने के सम्बन्ध में एक कथा प्रचलित है। श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा ने नरक नामक राक्षस का वध किया था। उस घटना की स्मृति में नरक चतुर्दशी पर्व मनाया जाता है।

दिवाली पर्व के सम्बन्ध में यह कथा प्रचलित है। रावण-वध के बाद जब राम अयोध्या लौटे तब पुरजनों ने उनके स्वागत में दीपों का आयोजन किया था। तब से दिवाली प्रचलित हुई। यह पर्व बूढ़े-बच्चे, स्त्री-पुरुष सब बड़े आनंद से मनाते हैं। इस दिन सब स्नान करके नये कपड़े पहनते हैं। वे मीठे पकवान खाते हैं। वे पटाखे जलाते हैं। रात को दीप जलाते हैं और लक्ष्मी की पूजा करते हैं।

भैया-दूज भाई-बहन का त्योहार है। भाई बहन के घर जाकर खाना खाता है। बहन भाई को कपड़े देती है। भाई बहन को उपहार देता है। इस प्रकार यह पर्व भाई-बहन के प्रेम को बढ़ाने वाला है।

संक्षेप में दिवाली प्रकाश का पर्व है। यह आनंद का त्यौहार है। यह पर्व हमें यह सन्देश देता है कि ज्ञान रुपी प्रकाश अज्ञान रुपी अन्धकार कि दूर करता है।

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दिवाली पर निबंध- Diwali Essay in Hindi for Class 10 ( 300 to 350 words )

दीपावली हिन्दुओं का अत्यन्त प्रमुख पर्व है। यह त्यौहार कार्तिक मास। के कष्ण पक्ष की अमावस्या को समारोह पूर्वक समस्त भारत में मनाया जाता है। यह धन-धान्य की देवी लक्ष्मी की पूजा का पर्व है, इस कारण भी इसका अधिक महत्त्व है।

यह त्यौहार कब से और क्यों मनाया जाता है ? इस सम्बन्ध में एक विचार यह है कि श्रीराम चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात् इसी दिन अयोध या लौटे थे। नगर निवासियों ने उनके स्वागत में दीप जलाए थे, तभी से यह पर्व मनाया जाता है। वैसे यह एक ऋतु पर्व है। वर्षा ऋतु में जो अन्न बोए जाते हैं, वे इस समय तक पक कर तैयार हो जाते हैं। किसानों के घर नए अन्न से भर जाते हैं, उन्हें इसकी प्रसन्नता होती है। किसान के साथ ही व्यापारी और जनता को भी इसकी प्रसन्नता होती है। अतः अन्न और धन-लक्ष्मी के स्वागत का ही यह त्यौहार है।

इसी दिन भगवान् श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था और समुद्र मंथन से लक्ष्मी की उत्पत्ति भी इसी दिन हुई थी। दीपावली अपने साथ कई त्यौहार लेकर आती है। दीपावली से दो दिन पूर्व धन त्रयोदशी होती है। इसके पश्चात् नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली) आती है। अमावस्या को दीपावली का मुख्य उत्सव होता है। अगले दिन अन्नकूट या गोवर्धन पूजा का उत्सव होता है और उससे अगले दिन द्वितीया को भैया दूज का उत्सव मनाया जाता है।

दीपावली से पूर्व लोग घरों की सफाई करवाते हैं। इस दिन प्रातः काल से ही घरों में बड़ी चहल-पहल होती है। लोग बाजार से मिठाइयाँ, फल, खील-बताशे और दीवे लाते हैं। बच्चे फुलझड़ियाँ और पटाखे खरीदते हैं।

सायं होते ही लोग घर की मुंडेरों पर सरसों के तेल के दीपकों की पंक्तियाँ जलाते हैं। बिजली के लटू या मोमबत्ती भी जलाये जाते हैं। दीपकों के प्रकाश से अन्धेरी राम भी पूर्णिमा की राम की तरह चमक उठती है। रात को लोग घरों और दुकानों पर लक्ष्मी पूजन करते हैं। लक्ष्मी पूजन के पश्चात् प्रसाद वितरण होता है। बच्चे फुलझड़ी और पटाखे चलाते हैं। इस अवसर पर मित्रों और सम्बन्धियों को भी मिठाई दी जाती है।

वास्तव में यह आनन्द और उत्साह का अनुपम पर्व है।

दिवाली पर निबंध- Deepawali par Nibandh Hindi mein ( 350 to 400 words )

भारत वास्तव में त्यौहारों तथा मेलों का देश है। यहाँ विभिन्न धर्म, जाति तथा सम्प्रदाय के लोग निवास करते हैं। ये लोग समय-समय पर अपने त्यौहार तथा पर्व मनाते हैं। ये पर्व ही भारत की संस्कृति की असली तस्वीर हैं। दीपावली भारतीय त्यौहारों में अपना प्रमुख स्थान रखता है। यह हिन्दुओं का मुख्य त्यौहार है। पूरे भारत वर्ष में यह अत्यंत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार श्रीरामचन्द्रजी के चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या वापस लौटने की खुशी में मनाया जाता है। ऐसा विश्वास है कि जब श्रीराम ने लंका के राक्षसपति रावण को हरा दिया तथा सीता माता को उसके चंगुल से मुक्त करा लिया तब वह अपने भाई लक्ष्मण तथा सेवक हनुमान के साथ अयोध्या लौटे थे। तब जनता ने खुशी में घी के दिये जलाकर प्रकाश किया तथा उनका अयोध्या में स्वागत किया। श्री राम के आने से अयोध्या की जनता अत्यंत प्रसन्न थी।

दीपावली आने से पहले लोग अपने घरों में साफ-सफाई तथा पुताई करते हैं। दीपावली से दो दिन पूर्व का दिन धनतेरस माना जाता है। इस दिन बर्तन खरीदना, जेवर या अन्य कोई नयी चीज खरीदना शुभ माना जाता है। दीपावली की रात को लोग लक्ष्मी देवी तथा गणेश की पूजा करते हैं। घरों में दिये, लैम्प आदि जलाये जाते हैं। पकवान बनते हैं तथा मिठाईयाँ पड़ोसियों व रिश्तेदारों में बाँटी जाती हैं। दीपावली की रात को बच्चों की तो मौज होती है। वे मिठाई, पकवान खाते घूमते हैं तथा पटाखे, अनार, फुलझड़ियाँ चलाते हैं। अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है। उसके बाद भाई दौज आता है। इस दिन बहनें भाइयों के तिलक लगाती हैं। भाई बहनों को कुछ रुपये उपहार स्वरूप देते हैं।

दीपावली एक पावन पर्व है। लेकिन कुछ लोग जुआ और शराब में अपना पूरा त्यौहार निकाल देते हैं। वे इस दिन डटकर शराब पीते हैं तथा जुआ खेलते हैं। जुए में बहुत सी रकम हार जाते हैं। क्रोध में बीवी, बच्चों को मारते-पीटते हैं। इस पवित्र दिन यह अपिवत्र बातें नहीं करनी चाहिये। मर्यादा और गरिमा की सीमा में रहकर त्यौहार का आनन्द उठाना चाहिये। अत्यधिक धन खर्च करके पटाखे फोड़ना भी गलत है। इसमें से कुछ धन बचाकर दान दे देना चाहिये। ताकि निर्धन लोग भी खुशी के साथ त्यौहार का आनन्द उठा सकें।

दीपों का त्यौहार दिवाली पर निबंध- Essay on Diwali in Hindi with Headings (500 words )

प्रस्तावना

भारतवर्ष त्यौहारों-पर्वो तथा उत्सवों का देश है। भारतीय त्यौहारों में दीपावली का विशेष महत्त्व है। यह इस देश का सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय त्यौहार है। दीपावली दीपों का त्यौहार है। दीपावली का बिगड़ा हुआ रूप है ‘दीवाली’। इसका अर्थ है दीपों की अवली अर्थात् दीपों की कतार (पंक्ति)। इस दिन हिन्दू लोग अपने घरों में दीये, मोमबत्तियाँ तथा बिजली के बल्बों को जलाकर, उनकी पंक्तियाँ अर्थात् कतार लगा देते हैं।

दीपावली कब मनाई जाती है? Diwali ka tyohar kab manaya jata hai

यह त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को सारे भारतवर्ष में बहुत धूमधाम तथा उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन सभी ओर इतनी अधिक रोशनी की जाती है जिससे अमावस्या की काली रात भी पूर्णमासी की तरह जगमगाने लगती है। दीपावली से पूर्व ‘धनतेरस’ तथा इसके बाद ‘गोवर्धन पूजा’ और ‘भैया दूज’ के त्यौहार मनाए जाते हैं।

दीपावली क्यों मनाई जाती है? Diwali kyon manai jati hai

इस दिन भगवान श्रीराम चौदह वर्षों का वनवास काटकर तथा लंका पर विजय प्राप्त करके सीता तथा लक्ष्मण सहित अयोध्या लौटे थे। इस तिथि को श्रीरामचन्द्र जी का राजतिलक किया गया था। अतः इस दिन सारे अयोध्यावासियों ने इसी खुशी में आनन्दोत्सव मनाया था तथा अपने हर्षोल्लास को प्रकट करने के लिए दीप जलाए थे और मिठाइयाँ बाँटी थीं। जैन धर्म के महावीर स्वामी तथा आर्य समाज के स्वामी दयानन्द सरस्वती जी को भी इसी दिन मुक्ति मिली थी। इसीलिए जैनी तथा आर्य समाज के लोग भी इस त्यौहार को बहुत धूमधाम से मनाते हैं। यह भी कहा जाता है कि महाराज युधिष्ठिर का राजसूय यज्ञ भी इसी तिथि को सम्पन्न हुआ था।

दीपावली कैसे मनाई जाता हैं? Diwali Kaise manai jaati hai

इस दिन लोग अपने घरों व दुकानों को सजाते हैं। गलियों तथा बाजारों को भी सजाया जाता है बाजारों में हलवाइयों की दुकानें खूब सजी होती हैं और सभी लोग मिठाइयाँ खरीदते हैं। इस दिन बाजारों से सुन्दर-सुन्दर खिलौने व बर्तन आदि भी खरीद कर लाए जाते हैं। इस दिन स्त्रियाँ अपने घरों में पकवान भी बनाती हैं। बच्चे व युवक आतिशबाजी चलाते हैं। घरों में आस्थावान लोग गणेश और लक्ष्मी की पूजा करते हैं। लोग दीवाली पूजन के बाद अपने इष्ट मित्रों व सम्बन्धियों के घर मिठाइयाँ भेजते हैं। व्यापारी बन्धु इस दिन अपना नए वर्ष का नया बहीखाता बनाते हैं।

उपसंहार

दीपावली के दिन कुछ लोग जुआ खेलना व शराब पीना अच्छा मानते हैं। यद्यपि इस कारण से अनेक घर बर्बाद हो जाते हैं। एक ओर लक्ष्मी की पूजा करके लोग उससे धन-प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं तो दूसरी ओर बहुत से लोग जुआ खेल कर धन हार जाते हैं। फिर भी यह पर्व धनी-निर्धन, राजा-रंक एवं शिक्षित-अशिक्षित सभी के लिए हर्षोल्लास प्रदान करने वाला त्यौहार है।

दिवाली पर निबंध- Long Essay on Diwali in Hindi with Headings (650 words )

भूमिका

भारत वर्ष में अनेक धर्मो, विश्वासों और आस्थावाले लोग रहते हैं। इसलिए यहाँ अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं। भारत में पर्वो की गौरवशाली परंपरा है। सभी लोग अपने-अपने त्यौहार उल्लास और आनंद से मनाते हैं। हिन्दू बहुसंख्यक हैं, इसलिए उनके त्यौहार भी अधिक हैं। कुछ त्यौहार क्षेत्रीय हैं और कुछ राष्ट्रीय। हिन्दुओं के प्रमुख त्यौहार हैं— दीपावली, विजयदशमी (दुर्गापूजा) रक्षा बन्धन और होली। दीपावली हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है। यह कहना असंगत न होगा कि दीपावली भारत का राष्ट्रीय पर्व है।

परिचय | Dipawali ka arth 

दीपावली मनाने के बारे में एक कहानी प्रचलित है। कहते हैं कि इसी दिन श्री रामचन्द्र जी लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे थे। इस खुशी में अयोध्या-वासियों ने घर-घर दीप जलाए थे और आनंद मनाया था। तभी से यह त्यौहार पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

Dipawali ka Itihas

दीपावली पर्वो का समूह है। यह शरद ऋतु में मनाई जाती है। दीपावली का त्यौहार कार्तिक कृष्ण पक्ष 13 से लेकर कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तक अर्थात 5 दिनों तक मनाया जाता है। इस त्यौहार का पहला दिन ‘धन तेरस’ कहलाता है। इस दिन लोग नए-नए बर्तन खरीदते हैं। घर-घर में यमराज की पूजा होती हैं और दीप जलाकर घर के द्वार पर रखा जाता है। चतुर्दशी का दिन ‘नरक चौदस’ कहलाता है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर अत्याचारी राजा हिरण्य कश्यप का वध किया था और भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी। एक अन्य घटना के अनुसार इसी दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर को मारा था। इस दिन घरों की सफाई की जाती है। मुख्य पर्व कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है। उस दिन शाम को लक्ष्मी जी का पूजन किया जाता है और घर-घर दीप जलाये जाते हैं। बच्चे फुलझड़ियाँ और पटाखे छोड़ते हैं। लोग स्वादिष्ट भोजन करते हैं। बच्चे प्रेम से मिठाइयाँ खाते हैं। चौथा दिन ‘गोवर्द्धन पूजन’ का होता है। इसी दिन श्रीकृष्ण ने गोवर्द्धन पर्वत उठाकर इन्द्र के कोप से गोकुल के लोगों की रक्षा की थी। दीपावली का पाँचवाँ दिन ‘भैया दूज’ या ‘यम द्वितीया’ के नाम से प्रसिद्ध है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाती हैं और मिठाइयाँ खिलाती हैं। कहा जाता है कि इस दिन यमुना नदी में स्नान करने से यमराज के चक्कर से बचा जा सकता है।

पर्व की विशेषता | Dipawali parv ka mahatva 

यह पर्व वर्षा समाप्त होने के बाद आता है। बरसात के कारण अनेक मकान टूट-फूट जाते हैं इनकी लोग मरम्मत करते हैं। महीनों पहले से घरों की लिपाई-पुताई और सफाई होने लगती है। सभी घर तरह-तरह से सजाए जाते हैं। बाजारों को साफ-सुथरा करके सजाया जाता है। रंग-बिरंगे फूल-पत्तियों और बल्बों से शहर वाले अपने मकानों, दुकानों और गलियों को सुसज्जित करते हैं। हर ओर प्रसन्नता और आपसी वैर-भाव भूलकर प्रेमपूर्वक लोग एक दूसरे से मिलते हैं और शुभकामनाएँ देते हैं। सभी के मन और हृदय शुद्ध और स्वच्छ हो जाते हैं। सफाई से रोग फैलाने वाले कीड़ों-पतंगों का नाश हो जाता है। आतिशबाजी और पटाखों की गंध और धुएँ से कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।

पर्व के दुरुपयोग से हानियाँ

वह लोग जो जोश में आकर अपनी हैसियत से अधिक खर्च कर देते हैं, वे कर्ज से लद जाते हैं। वे वर्ष भर कष्ट पाते हैं। कई लोग दीपावली पर जुआ खेलना आवश्यक समझते हैं। जुआ खेलने से धन-दौलत हार जाते हैं। इससे उन्हें बहुत आर्थिक हानि हो जाती है, जिससे उनका जीवन दुःखी हो जाता है। कतिपय लोग इस अवसर पर नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं, जो उनके लिए हानिप्रद होता है। लापरवाही से आतिशबाजी छोड़ने से कभी-कभी आग लग जाती है, जिससे जन-धन का बहुत नुकसान होता है।

दीपावली आनंद का पर्व है। इसे प्रेम पूर्वक और सावधानी से मनाना चाहिए। साज-सज्जा, आतिशबाजी आदि पर व्यर्थ पैसे खर्च करना बुरा है। जुआ खेलने तथा दूसरे दुर्व्यसनों से बचना चाहिए। आतिशबाजी छोड़ते समय सावधानी बरतनी चाहिए जिससे दुर्घटनाएँ न हों। यह त्यौहार हमें अंधकार पर प्रकाश की विजय का संदेश देता है। इसलिए हमें ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जो हमारे लिए हानिप्रद हो।

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इस लेख के माध्यम से हमने Diwali Par Nibandh | Diwali Essay in Hindi का वर्णन किया है और आप यह निबंध नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल कर सकते है।

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Meaning In Hindi

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Essay On Diwali In Hindi – दिवाली पर निबंध 200, 500, 1000 शब्दों में

Essay on Diwali in Hindi ( दिवाली पर निबंध ): जैसा कि हमारे देश में कई तरह के त्योहार मनाए जाते है जिनका अपने आप में अलग अलग विशेषता और महत्व होती है। भारत में होली, दीपावली, रक्षाबंधन, ईद, लोहड़ी आदि त्योहार मुख्य रूप से मनाया जाता है। लेकिन ज्यादातर सबका पसंदीदा त्योहार दीपावली ही होता है। जिसका लोग बेचैनी से इंतजार कर रहे होते है। इस त्योहार का कुछ अलग ही माहौल होता है।

Essay on Diwali in Hindi

क्षात्रो को स्कूल में हमेशा टास्क दिया जाता है “दिवाली पर निबंध लिखें (Write an Essay on Diwali)” ऐसे में कई बच्चो को Essay लिखने में प्रॉब्लम होती है। इसी प्रॉब्लम का समाधान इस लेख में दी जा रही है। यहाँ पर दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali) लिखी जा रही है।

Essay on Diwali – Introduction

हमारे देश भारत में दिवाली को दीपावली के नाम से भी जानते है। Diwali(दिवाली) के बारे में सोचते ही आपके दिमाग में सबसे पहले क्या आता है?

जब भी दिवाली करीब आती है तो लाइट, fireworks (पटाखे), मिठाइयां और ड्राई फ्रूट्स आदि ऐसी चीजे मन में आती है। यह एक ऐसा अवसर होता है जब हमारे परिवार के सभी सदस्य दिवाली की रात मनाने के लिए एक साथ आते हैं।

दिवाली (Diwali) को हिंदू के सबसे बड़े festivals में से एक कहा जा सकता है जो न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में खुशी और सुंदर भाव के साथ मनाया जाता है। 

दीपावली का त्योहार हर साल october या november के महीने में होता है। यह विजयदशमी (vijayadashmi) के ठीक 20 दिन बाद मनाया जाता है। Deepawali दो शब्दों दीप या दीया और आवली शब्द से मिलकर बना है। दिवाली (Diwali) भारत में ही नही बल्कि विदेशों में भी हिंदुओं और अन्य गैर हिंदू समुदायों द्वारा मनाई जाती है जो वहां रहते हैं। इस त्योहार को अन्य समुदाय (बौद्ध,जैन आदि) के लोग भी मानते है। 

Essay on Diwali – दिवाली (Diwali) कैसे मनाई जाती है?

दीपावली आने के लगभग 10 दिन पहले से ही सभी घरों में साफ सफाई होने लगती है।

लोग अपने अपने घरों, दुकानों आदि की साफ सफाई में जुट जाते है। और बहुत से लोग अपने  घरों या दुकानों को नया बनाने के लिए पेंट कराते है। कहा जाता है की दीपावली पर घरों की सफाई करना इसलिए जरूरी होता है क्योंकि इस दिन lord Ganesha और lordess lakshmi जी ही घरों में वास करते है।

बाजारों में खूब दौड़ भाग होती है। लोग इस मौके पर नए कपड़े, बर्तन, मिठाइयां और गणेश और लक्ष्मी जी की मूर्ति आदि खरीदते है। हिंदुओं द्वारा देवी lakshmi की पूजा की जाती है क्योंकि व्यापारी दिवाली के पर्व पर नई खाता बही की शुरुआत करते हैं। लोगों का मानना है कि यह खूबसूरत त्योहार सभी के लिए धन, समृद्धि और सफलता लाता है।

लोग खुशी और उत्साह के साथ दिवाली का पूरा आनंद लेते हैं। इस दिन घर में तरह तरह की मिठाइयाँ बनाई जाती हैं और दोस्तों और रिश्तेदारों में बाँटी जाती हैं। लोग अपने पड़ोसी और प्रिय लोगों को आमंत्रित करते हैं। लोग अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलने भी जाते हैं और गिफ्ट और सूखे मेवों का आदान प्रदान भी करते हैं।

वही कुछ लोग ऐसे भी जिनके यह त्योहार कुछ अलग ही रूप से मनाया जाता है जैसे शराब का सेवन, जुआ खेलना, टोना-टोटका करना और पटाखों के गलत इस्तेमाल से इसे ख़राब करने में जुटे रहते हैं। जो की समाज की बहुत बुरी आदत है। कम से कम इस दिन तो ये सोच बनाके रखना चाहिए की इस पावन अवसर पर ये बुरी आदत छोड़के अपने अंदर अच्छी आदतों का वास करना चाहिए।

बच्चे इस त्योहार का बेसब्री से इंतजार करते हैं।  उन्हें पटाखे फोड़ने और आतिशबाजी में खूबसूरत रंगोली बनाने और अपने घर को सजाने में भी मजा आता है।

Essay on Diwali: इतिहास

यह त्योहार बहुत ही खूबसूरत और इमोशनल इतिहास के अंदर छिपा हुआ है।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस त्योहार के दिन ही भगवान राम (Ram) 14 वर्षों के वनवास के बाद अपनी पत्नी सीता,भाई लक्ष्मण और उनके प्रिय भक्त हनुमान के साथ अयोध्या ( Ayodhya), राक्षस रावण और उसकी सेना को हराने के बाद, लौटे थे।

अमावस(Amavasya) की रात होने के कारण Diwali के दिन काफी अंधेरा होता है, जिस वजह से उस दिन पुरे Ayodhya को दीपों और फूलों से श्री Ram Chandra के लिए सजाया गया था ताकि भगवान राम के आगमन में कोई परेशानी न हो और तब से लेकर आज तक इसे दीपों का त्योहार और अंधेरे पर प्रकाश की जीत के रूप में मनाया जाता है।

उस समय पूरे अयोध्या के लोगों ने अपने प्रिय राजकुमार राम पत्नी सीता,भाई लक्ष्मण और हनुमान के साथ मिट्टी के दीये जलाकर और पटाखे फोड़कर स्वागत किया। 

दीपावली त्योहार के बारे में एक और पौराणिक कथा भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की शादी है। कहते है इस दिन देवी lakshmi ने भगवान विष्णुओ को चुना और उनसे विवाह किया। देवी लक्ष्मी को धन और समृद्धि देने के लिए भी जाना जाता है।

दूसरी तरफ यह भी है की Diwali हिंदुओं का सबसे ज्यादा मनाया जाने वाला त्योहार है। मुगल सम्राट जहांगीर( Jahangir) की कैद से Guru Govind की रिहाई की याद में सिख(Sikh) दीवाली मनाते हैं।

जैन धर्म में भी दीवाली को “महावीर निर्वाण दिवस” महावीर की शारीरिक मृत्यु और अंतिम मुक्ति के दिन के रूप में मनाया जाता है।

बौद्ध देवी लक्ष्मी की पूजा करके diwali मनाते हैं।

दीपावली के उत्सव के बारे में एक और मिथ्या यह है कि विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर (Narkasur) को मार डाला और राक्षस नरकासुर द्वारा बंदी बनाई गई 16000 से अधिक लड़कियों को रिहा कर दिया। जिस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था, उसे दिवाली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी (Chaturdashi) के रूप में मनाया जाता है।

लोग diwali पर भगवान गणेश की पूजा करते हैं जो बाधाओं को दूर करने और तलाश करने के प्रतीक है। यह त्योहार पूरे देश का त्योहार है।  हिंदू पौराणिक कथाओं के लिए इसका बहुत महत्व है और लोगों को वास्तविक सुख और शांति के महत्व को समझने की जरूरत है।

यह बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार है। Diwali अच्छे कर्मों में विश्वास पैदा करती है और खुशी, आनंद और बुराई के अंत का दिन है। यह भारत के प्रत्येक शहर और शहर में और विदेशों में भी भारतीयों द्वारा असाधारण उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह यूनिटी का प्रतीक बन जाता है।  भारत इस पर्व को हजारों सालों से मनाता आ रहा है और आज भी मनाता आ रहा है।

यह पांच दिन तक मनाने जाना वाला त्योहार है जिसमें अच्छा भोजन, आतिशबाजी, रंगीन रेत और विशेष मोमबत्तियां और दीपक शामिल हैं।  हिंदू जहां रहते हैं उसके आधार पर दीवाली की कहानी की व्याख्या करते हैं।

दीपावली कितने दिनों तक मनाते है?

दिवाली का यह त्योहार लगभग 5 दिनों तक मनाया जाता है। जिस के पहले दिन धनतेरस(Dhanteras) होता है। धनतेरस के दिन लोग धातु(Metals) की वस्तुओं जैसे सोने और चांदी के आभूषण को खरीद कर अपने घर जरूर लेकर जाते हैं।

Deepawali का दूसरा दिन नरक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। कुछ लोग इस दिन को छोटी दिवाली के रूप में भी मनाते हैं।

तीसरा दिन deepawali त्योहार का मुख्य दिन होता है। इस दिन महालक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है।

Deepawali के चौथे दिन गोवर्धन (Govardhan) पूजा की जाती है क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने इंद्र के क्रोध से हुई लगातार वर्षा से लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठा लिया था।

दिवाली के त्योहार के आखिरी दिन को भाई दूज के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पर बहन अपने भाई को रक्षा बांधकर मिठाई खिलाती है।

दीपावली से तमाम जानकारी प्राप्त करके हम इस निष्कर्ष पर पहुंच गए हैं की दिवाली को सभी उत्साहों में से एक माना गया है जिसका एक अलग ही महत्व है। Deepawali का त्यौहार असत्य पर सत्य की जीत और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है।

दीपावली के त्योहार के दिन हमें अपने अंधकार को मिटाकर दीयों और रोशनी से पूरे एनवायरनमेंट को रोशन करना चाहिए। जैसा कि हम जानते हैं कि दीपावली के पर्व का अर्थ दीप, प्रेम और सुख समृद्धि होता है। इस दिन ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे किसी को दुख पहुंचे क्योंकि ऐसा करने से इस festival का कोई मतलब ही नहीं रह जाता। हमे हर दुखिजनों के साथ इस पर्व को celebrate करना चाहिए।

भेदभाव और अपने अंदर की बुराइयों का त्याग़ करना चाहिए। साथ ही साथ खुद के अंदर भी अंधकार को खत्म करके एक रोशन दीप जलाना चाहिए।

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Diwali Essay in Hindi – दिवाली पर निबंध हिंदी में

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दिवाली पर निबंध (Diwali Essay in Hindi) – दिवाली एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जिसे ‘बुराई पर अच्छाई की विजय’ का प्रतीक माना जाता है। इस त्योहार की खूबी और महत्व को छात्रों को परिचित कराने के लिए छोटी कक्षाओं में ‘दिवाली पर निबंध (Diwali Essay in Hindi)’ का प्रश्न पूछा जाता है, जो हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में होता है।

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इस हिंदी दिवाली निबंध (Diwali Essay in Hindi) से वे युवा छात्र जो दीवाली त्योहार पर हिंदी में निबंध लिखना चाहते हैं, सिख सकते हैं। निम्नलिखित निबंध में हमने ‘दीपावली’ के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में संक्षेप में जानकारी प्रदान की है। बच्चे इस निबंध से सीख सकते हैं कि वे कैसे अपने लेखन कौशल को बेहतर बना सकते हैं, और कैसे उन्हें दीपावली निबंध में किन-किन बिंदुओं का महत्व है।”

दिवाली पर निबंध 100 शब्दों में (Diwali Essay in Hindi)

दिवाली हिंदू त्योहार है, जिसको भारत में खुशी-खुशी मनाया जाता है। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि अच्छाई हमेशा बुराइयों पर विजय प्राप्त करेगी। इससे कई हफ्ते पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं। लोग अपने घर और काम के स्थान की सफाई करने लगते हैं। फिर वे अपने घरों और काम के स्थानों को रोशनी, लैंप, फूल, और अन्य सजावटी चीजों से सजाते हैं।

इस उत्सव के मौके पर, लोग अपने प्रियजनों के लिए नए कपड़े, घर के सामान, और उपहार खरीदते हैं। इस मौसम में बाजार में विभिन्न प्रकार के उपहार और खाने-पीने की चीजें खरीदी जाती हैं। दिवाली भी प्रियजनों के साथ संबंधों को मजबूत करने का अच्छा मौका प्रदान करती है।

Essay on Diwali in Hindi

दिवाली पर निबंध 200 शब्दों में (Diwali Essay in Hindi)

हम भारत में रहते हैं, जो विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों, परंपराओं, और विभिन्न त्योहारों के संगठन के लिए प्रसिद्ध है। भारत में, सभी धर्मों के त्योहारों को महत्व दिया जाता है, जैसे कि हिन्दुओं के लिए दीपावली का महत्व है। दीपावली त्योहार को कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान श्री राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अपने देश अयोध्या लौटे थे।

श्री राम के आगमन के मौके पर, लोगों ने दीपकों की पंक्ति जलाकर अयोध्या नगर को चमक दिया। दीपावली शब्द का अर्थ होता है ‘दीपों की पंक्ति’, जिसमें दीपकों को एक पंक्ति में जलाने का रितुअल होता है। इस दिन को और भी खास बनाने के लिए, लोग नए कपड़े, पटाखे, बर्तन, और सजावटी वस्त्र खरीदते हैं। दीपावली के दिन, लोग पहले लक्ष्मी पूजा करते हैं, फिर आपसी मिलनसर मनाते हैं, और मिठाईयों का साझा करते हैं। बच्चे पटाखे जलाकर अपनी खुशी व्यक्त करते हैं। इस तरह, लोग भगवान श्री राम के आगमन के इस पवित्र दिन को खुशी और आनंद के साथ मनाते हैं।

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दिवाली पर निबंध 300 शब्दों में (Diwali Essay in Hindi)

दिवाली हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे बहुत उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। बच्चे दिवाली पर निबंध लिखकर इस त्योहार के बारे में अपने खुशी के पलों को साझा करने का मौका पाते हैं। युवा लोग इस त्योहार को आमतौर पर बहुत पसंद करते हैं, क्योंकि यह सबके लिए खुशियों और आनंद के पल लेकर आता है। वे अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलते हैं और अपने प्रियजनों के साथ शुभकामनाएं और उपहार साझा करते हैं। साल 2023 में दिवाली पर्व 12 नवंबर, 2023 को मनाया जाएगा। इस दिन विशेष रूप से धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

दीपावली पूजा शुभ मुहूर्त

दिवाली के अवसर पर, धन की देवी माँ लक्ष्मी, विघ्नहर्ता गणेश जी, और कुबेर जी की पूजा को विशेष महत्व दिया जाता है। लक्ष्मी पूजा को प्रदोष काल में करने का विशेष महत्व है, इससे बड़े पुण्य की प्राप्ति होती है। प्रदोष काल में स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन करना भी बहुत शुभ माना जाता है। यह कहा जाता है कि स्थिर लग्न में पूजा करने से माता लक्ष्मी आपके घर में आने के लिए प्रसन्न हो जाती हैं।

साल 2023 में, दिवाली के अवसर पर, 12 नवंबर को लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त सायं 05:41 मिनट से रात 07:37 मिनट तक होगा। लक्ष्मी पूजन मुहूर्त की कुल अवधि लगभग 01 घंटे 55 मिनट होगी। बताया जा रहा है कि साल 2022 में, देश भर में दिवाली का त्योहार 24 अक्टूबर को मनाया गया था।

दिवाली का इतिहास

हिंदू धर्म के अनुसार, दिवाली का महत्व है क्योंकि इस दिन भगवान श्री राम, जिन्होंने 14 साल के वनवास के बाद अपनी पत्नी सीता, भाई लक्ष्मण, और हनुमान जैसे उनके भक्तों के साथ अयोध्या लौटने का समय चुना, वे इसी दिन लौटे थे। इस दिन का विशेषत: बहुत अंधेरा होता है क्योंकि यह अमावस्या का दिन होता है, और इसलिए अयोध्या के लोगों ने अपने नगर को दीपों और फूलों से सजाया ताकि भगवान श्री राम का स्वागत कर सकें। इसके बाद से, दिवाली को दीपों का त्योहार और अंधेरे के खिलाफ प्रकाश की जीत के रूप में मनाया जाता है।

इस शुभ अवसर पर, बाजारों में भगवान गणेश जी, लक्ष्मी जी, और भगवान श्री राम की मूर्तियों की खरीददारी की जाती है। इस समय बाजार में बहुत चहल-पहल होती है। लोग इस मौके पर नए कपड़े, बर्तन, मिठाइयाँ, और अन्य चीजें खरीदते हैं। हिंदू लोग दिवाली के पर्व के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, क्योंकि व्यापारी वर्ग इस दिन नए खाता बही की शुरुआत करते हैं। इसके साथ ही, लोग मानते हैं कि दिवाली सभी के लिए धन, समृद्धि, और सफलता का प्रतीक है। लोग दिवाली के इस खास मौके पर अपने परिवार, दोस्त, और रिश्तेदारों के साथ उपहारों का आदान-प्रदान करने के लिए तैयार रहते हैं।

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दीपवाली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां

जैसे ही दीपावाली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व के पावन अवसर के पास आते हैं, कुछ लोग इसके महत्वपूर्ण दिनों पर असामाजिक कार्यों में लिपट जाते हैं, जैसे कि शराब पीना, जुआ खेलना, टोना-टोटका करना, और पटाखों का गलत तरीके से उपयोग करना। इससे दीपावाली का महत्व बिगाड़ दिया जाता है। अगर हम समाज में इन गलतियों को दीपावाली के दिनों पर नहीं करें, तो वास्तव में दीपावाली का पर्व खुशियों और पौराणिक महत्व के साथ मनाया जा सकता है।

दिवाली पर निबंध 10 लाइन

  • दीपावली को दीपों का त्योहार या दीपोत्सव भी कहा जाता है।
  • दिवाली भारत के सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है।
  • यह त्यौहार भगवान राम की याद में मनाया जाता है जो चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे।
  • इस अवसर पर हिंदू अनुयायी मिट्टी के दीपक जलाते हैं और अपने घरों को रंगोली से सजाते हैं।
  • बच्चे इस त्योहार पर पटाखे जलाकर बहुत खुश होते हैं।
  • हिंदूओं में इस अवसर पर धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।
  • बच्चे, बूढ़े और जवान, सभी इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी और विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा करते हैं।
  • इस दिन सभी लोग अपने दोस्तों और पड़ोसियों को मिठाइयाँ और उपहार देते हैं।
  • भारत में इस दिन सार्वजनिक अवकाश रहता है और लोग इस त्योहार को बड़े धूम-धाम के साथ मनाते हैं।
  • यह हिंदूओं के सबसे प्रिय और आनंददायक त्योहारों में से एक है, जिसे अन्य धर्म और संप्रदाय के लोग भी आपस में मिलजुल कर मनाते हैं।
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दिवाली पर निबंध FAQs

दीपावली पर निबंध दीपावली क्यों मनाई जाती है.

दीपावली पर्व हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में मनाया जाता है, जो विजय का प्रतीक है।

What time is Diwali Puja in 2023?

Diwali Puja time in 2023 varies but generally falls in the evening.

What are the 5 days of Diwali?

The 5 days of Diwali are known as Dhanteras, Choti Diwali, Diwali, Govardhan Puja, and Bhai Dooj.

Why is Diwali famous for?

Diwali is famous for celebrating the victory of light over darkness and good over evil.

दिवाली क्यों प्रसिद्ध है?

दिवाली पुनर्मिलित नियमों के हिस्से के रूप में प्रसिद्ध है, और इसके साथ ही हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार है।

In which year Diwali will be on 17 October?

Diwali will be on 17 October in the year 2030.

What is the real date of Diwali in 2025?

The real date of Diwali in 2025 is November 14th.

What is day 3 of Diwali called?

Day 3 of Diwali is called Diwali or the main Diwali day.

Can we drink on Dhanteras?

Drinking on Dhanteras is a matter of personal choice and cultural beliefs.

How many diyas are lit on Dhanteras?

Typically, 13 diyas are lit on Dhanteras.

Why do we light 13 diyas on Diwali?

The tradition of lighting 14 diyas on Diwali varies, but it can symbolize various aspects, including celebrating the 14th day of Kartik, a lunar month.

Why do we light 14 diyas on Diwali?

There are 14 diyas for Diwali, often representing the 14th day of Kartik or various aspects of the festival's significance.

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  • दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) - हिंदी में दीपावली पर निबंध कक्षा 1 से 8 तक के लिए 200 से 500 शब्दों में यहां देखें

Updated On: September 02, 2024 06:33 pm IST

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दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi)

दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) - शुभ मुहूर्त

  • दीपदान: लोग अपने घरों, मंदिरों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर दीपक जलाते हैं।
  • पटाखे चलाना: लोग आतिशबाजी और पटाखे चलाते हैं।
  • भाई दूज: बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और उन्हें उपहार देती हैं।
  • छोटी दिवाली: यह दीपावली से एक दिन पहले मनाई जाती है। इस दिन, लोग लक्ष्मी पूजन करते हैं।

दिवाली पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Diwali in Hindi in 200 words)

दिवाली पर हिंदी में निबंध 500 शब्दों में (Essay on Diwali in Hindi in 500 Words) - प्रस्तावना

Paragraph on Diwali in Hindi

दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi)

दिवाली पर निबंध हिंदी में (essay on diwali in hindi) - उपसंहार.

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दिवाली पर हिंदी में निबंध 10 लाइन (Essay on Diwali in Hindi in 10 Lines)

  • दिवाली या दीपावली एक भारतीय धार्मिक त्योहार है।
  • यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतिक है.
  • दुनिया भर में लोग अलग-अलग कारणों और अवसरों पर दिवाली मनाते हैं।
  • दीये, मोमबत्तियाँ जलाना और पटाखे फोड़ना दिवाली उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • दिवाली या शुभ दीपावली न केवल हिंदू समुदाय के बीच बल्कि अन्य धर्मों के लोगों द्वारा भी मनाई जाती है।
  • दिवाली आमतौर पर पांच दिवसीय त्योहार है और इस दौरान भारत में हर साल सोने और नए कपड़ों की बिक्री आसमान छूती है।
  • हिंदू कैलेंडर के अनुसार, दिवाली कार्तिक माह के 15वें दिन मनाई जाती है।
  • अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर महीने में मनाया जाता है।
  • आमतौर पर, दिवाली उत्सव के रूप में स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी कार्यालयों के लिए 3 से 4 दिनों की छुट्टियों की घोषणा की जाती है।
  • इस अवसर पर देश भर से परिवार और मित्र एकत्रित होते हैं और आनंदमय समय एक साथ बिताते हैं।

diwali ke bare mein

हिंदी में दीपावली निबंध (Deepavali Essay in Hindi) - दिवाली के साथ मनाए जाने वाले अन्य त्यौहार

  • दिवाली लगभग 5 दिनों का त्यौहार है, दिवाली से एक दिन पहले लोग धातु की वस्तुएं (सोना, चांदी, पीतल आदि) की खरीदारी करके धनतेरस का त्यौहार मनाते हैं।
  • दिवाली के अगले दिन को लोग छोटी दीपावली के रूप में भी मनाते हैं।
  • दीपावली के तीसरे दिन देवी महालक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है।
  • इसके बाद, दीपावली से ठीक चौथे दिन पर गोवर्धन पूजा की जाती है क्योंकि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने इंद्रदेव के क्रोध से हुई मूसलाधार वर्षा से लोगों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था।
  • दीपावली के पांचवे दिन आखिरी पर्व को भाई दूज के रूप में मनाया जाता है।

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दिवाली का पूरा कैलेंडर यहां दिया गया है- 

शुभ दीपावली का उत्सव कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है और ज्योतिष शाश्त्र के अनुसार इस वर्ष दिवाली 1 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। 

दीपावली को लेकर कई किस्से हैं लेकिन, हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान राम, रावण को मारकर और 14 वर्षों का वनवास काटकर अयोध्या नगरी वापस लौटे थे, उनके आने की खुशी में अयोध्या वासियों ने घी के दीप जलाए व जश्न मनाया था और तब से भारत में दिवाली की शुरुआत हुई।

दिवाली को दीपावली भी कहा जाता है और इसके पीछे कारण यह है कि दीपावली संस्कृत शब्द से लिया गया है, जिसका का अर्थ होता है- दीप + आवलिः (कतार में रखे हुए दिप)।

प्राचीनकाल में दिवाली को दीपोत्सव के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ है दीपों का उत्सव होता है। 

प्राचीन काल से दिवाली को विक्रम संवत के कार्तिक माह में मनाया जा रहा है। पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में दिवाली का उल्लेख मिलता है। दिये को स्कन्द पुराण में सूर्य के हिस्सों का प्रतिनिधित्व करने वाला माना गया है, जो जीवन के लिए प्रकाश और ऊर्जा का लौकिक दाता भी है।

उत्तर भारत में लोग मिट्टी के दीयों को जलाकर रावण को हराने के बाद श्री राम की अयोध्या वापसी का जश्न मनाते हैं, जबकि दक्षिणी भारत इसे उस दिन के रूप में मनाता है जब भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को हराया था।

दिवाली पर निबंध हिंदी में लिखकर नमूना के साथ यहां विस्तार में बताया गया है। इच्छुक इस लेख में दिए गए बिंदुओं से अपने लिए बेहतरीन हिंदी में दीपावली पर निबंध तैयार कर सकते हैं। 

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Diwali Par Nibandh

Diwali Par Nibandh: (Essay on Diwali in Hindi 300 Words) दिवाली पर निबंध

Diwali Par Nibandh : यह तो आप सभी जानते ही है कि हमारे देश में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्योहार दिवाली है यह त्यौहार भगवान श्री राम के 14 वर्षों के वनवास के पश्चात अयोध्या में वापस लौटने की खुशी में मनाया जाता है| इसके अलावा आपको बता दें कि दीपावली के नाम से जाना जाने वाला यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है| दिवाली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द दीपावली से हुई है जिसका अर्थ है रोशनी और पंक्ति इसलिए दिवाली के दौरान लोग यह दिखाने के लिए अपने घरों की रोशनी मोमबत्तियां और देव से सजाते हैं कि कैसे रोशनी दुनिया से अंधेरे को मिटाने की शक्ति रखती है|

दिवाली आमतौर पर दशहरे के 20 दिन बाद आती है और हिंदू महीने कार्तिक में मनाई जाती है यदि आप एक छात्र है और आप दिवाली पर निबंध लिखने के बारे में जानना चाहते हैं| तो आज का हमारा लेख आपके लिए बेहद उपयोगी साबित होगा क्योंकि आज हम आपको Diwali Par Nibandh लिखने के बारे में सभी जानकारियां विस्तारपूर्वक प्रदान करेंगे

Diwali Par Nibandh (Essay on Diwali in 300 Words)

Table of Contents

दिवाली, जिसे “दिवाली” के नाम से भी जाना जाता है, साल में एक बार मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। यह त्यौहार भारत में सुंदरता और खुशी के साथ मनाया जाता है और आत्मा की पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। दिवाली भगवान राम की पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाई जाती है।

दिवाली का अर्थ है “दीपकों की पंक्ति” और लोग इसे अपने घरों में दीपक जलाकर मनाते हैं। घरों को सजाने से लोग अपने हृदय में सकारात्मक और आध्यात्मिक रूप से आत्मा की शुद्धता की ओर बढ़ते हैं। दिवाली के दिन लोग विभिन्न प्रकार के जुलूस, पूजा और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं। मंदिरों और घरों को विशेष रूप से सजाया जाता है और वहां दीपक जलाए जाते हैं। व्यापारी वर्ग अपने बही-खाते साफ़ करें और नए खाते शुरू करें। दिवाली के दिन लोग अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताते हैं और उनके साथ खुशियों के संदेश साझा करते हैं।

Diwali हिंदू धर्म के साथ-साथ विभिन्न धार्मिक समुदायों में भी मनाई जाती है। यह त्यौहार भारत की विविधता और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है और एकता और भाईचारे की भावना को प्रोत्साहित करता है। इसके अलावा दिवाली के दिन लोग एक-दूसरे को उपहार देते हैं और खासतौर पर मिठाइयों के साथ इस दिन का आनंद लेते हैं। इससे समाज में सदाचार और सहयोग की भावना को बढ़ावा मिलता है।

संक्षेप में, दिवाली भारतीय समाज में खुशियों का एक महत्वपूर्ण और मनोरंजक त्योहार है, जो आत्मा की पवित्रता और सांस्कृतिक विरासत की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह त्यौहार लोगों को जीवन में नई आशाओं और खुशियों की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है और सामाजिक और पारंपरिक मूल्यों के महत्व को सुनिश्चित करता है।

Diwali Par Nibandh

दीपावली पर निबंध (Diwali Par Nibandh)

  • दीपावली का अर्थ – दिवाली जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है| यह भारत और दुनिया भर में रहने वाले हिंदुओं का सबसे पवित्र त्योहार में से एक है दीपावली संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है दीप + आवली देव का अर्थ होता है दीपक तथा आवली का अर्थ होता है| श्रृंखला जिसका मतलब हुआ दीपों की श्रृंखला या दीपों की पंक्ति दीपावली का त्योहार कार्तिक मास के अमावस्या के दिन मनाया जाता है| यह त्यौहार दुनिया भर के लोगों द्वारा बहुत उत्सव के साथ मनाया जाता है हालांकि इसे हिंदू त्योहार माना जाता है लेकिन बहुत से समुदाय के लोग भी दीपावली पर पटाखे और आतिशबाजी के जरिए इस उज्जवल त्यौहार को मानते हैं|
  • दिवाली में पटाखों का महत्व – दीपावली को रोशनी का त्योहार कहा जाता है इस दिन लोग मिट्टी के बने दीपक जलते हैं और अपने घरों को विभिन्न रंगों और आकारों की रोशनी से सजाते हैं| जिसे देखकर कोई भी मंत्र मुग्ध हो सकता है इस पर्व में बच्चों को पटाखे जलाना और कई प्रकार की आतिशबाजी जैसे फुलझड़ियां रॉकेट फव्वारे चरखी आदि बहुत पसंद होते हैं|

दिवाली का महत्त्व

यह त्यौहार उस समय मनाया जाता है जब किसान अपनी ख़रीफ़ फसल काट चुके होते हैं। चार महीने की कड़ी मेहनत के बाद फसल काटने के बाद उनके पास खुशी और खुशी के लिए बहुत समय होता है। जिसे वे ऐसे उत्सवों के माध्यम से पूरा करते हैं। लोग अपने घरों की सफ़ाई करते हैं और नये कपड़े खरीदते हैं। धनतेरस के दिन बर्तन, सोने-चांदी के आभूषण आदि भी खरीदे जाते हैं। इस प्रकार, दिवाली का त्योहार हर जगह खुशियों का स्वच्छ और खुशहाल माहौल लेकर आता है।

  • धार्मिक महत्व

देशभर में मनाया जाने वाला यह त्योहार पश्चिम बंगाल में काली पूजा या दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बड़े-बड़े पंडालों और पूजा स्थलों में शक्ति की प्रतीक देवी दुर्गा की मूर्ति स्थापित करके पूजा अनुष्ठान किया जाता है। मां दुर्गा की पूजा के पीछे मान्यता यह है कि सर्वशक्तिमान देवी हमारे सभी दुखों को दूर करें और इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है ताकि वह धन प्रदान करके जीवन की गरीबी को नष्ट कर दें और जीवन को भौतिक रूप से खुशहाल बना दें। .

  • दिवाली का आर्थिक महत्व

सभी त्योहारों और उत्सवों का अपना-अपना सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक महत्व होता है। दिवाली मनाने का आर्थिक महत्व भी है. व्यवसायी लोग कार्तिक अमावस्या की लक्ष्मी पूजा के बाद ही अपना नया खाता-बही शुरू करते हैं। साहूकार इस दिन तक अपने साल भर के ऋण खाते को पूरा करने का प्रयास करते हैं। धनतेरस के बाद बाजार में सभी दुकानें पटाखों, मिठाइयों और कपड़ों से सज जाती हैं। दुकानदार और कंपनियां ग्राहकों को आकर्षक ऑफर देते हैं। इस तरह सोना, चांदी, वाहन, कपड़े और मिठाइयों के बाजार में साल की सबसे ज्यादा बढ़ोतरी दिवाली के त्योहार के दौरान ही होती है।

Diwali से जुड़े कुछ तथ्य

अब हम आपको दिवाली से जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में बताने वाले हैं|

  • दिवाली हिंदू धर्म का प्रमुख त्यौहार है जिसे विभिन्न भागों में विशेष रूप से मनाया जाता है जैसे की लक्ष्मी पूजा, धनतेरस, छोटी दीवाली, महापर्व और भैया दूज|
  • दिवाली के दिन लक्ष्मी माता की पूजा की जाती है जिसे धन संपत्ति और सफलता की आशीर्वाद प्राप्ति करने के लिए किया जाता है|
  • दिवाली के दिन लोग विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट खाने बनाते हैं और उन्हें दोस्तों और परिवारों के साथ साझा हैं|
  • दिवाली के मनोरंजन का हिस्सा पटाखे होते हैं जिन्हें बच्चे और बड़े दोनों खुशी-खुशी  पटाखे जलाते हैं|
  • दीपावली एक सामाजिक महत्वपूर्ण त्यौहार है जो लोगों को एक साथ आने और एक दूसरे के साथ समय बिताने का मौका देता है|
  • हिंदुओं में इस अवसर पर धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं|
  • दिवाली भारत के सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण त्योहार में से एक है|
  • भारत में इस दिन सार्वजनिक अवकाश रहता है और लोग इस त्यौहार को बड़े धूमधाम के साथ मनाते हैं|
  • यह त्यौहार हिंदुओं का सबसे प्रिया और आनंददायक त्योहारों में से एक है जिसे अन्य धर्म और संप्रदाय के लोग भी आसपास में मिलजुल कर मनाते हैं|

FAQ’s

दिवाली के 5 दिन धनतेरस नरक चतुर्दशी लक्ष्मी पूजा गोवर्धन पूजा और भैया दूज है|

दीपावली संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है| दीप + आवली। ‘दीप’ अर्थात ‘दीपक’ और ‘आवली’ अर्थात श्रृंखला जिसका मतलब हुआ दीपकों की श्रृंखला या दीपों की पंक्ति|

दिवाली का त्योहार मिट्टी के दीप या फिर तरह-तरह के लाइट और रंगोली से अपने घर को सजाकर खुशियां बताकर लक्ष्मी गणेश की पूजा करके अच्छे-अच्छे पकवान बनाकर और हर्ष और उल्लास के साथ दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है|

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दिवाली पर निबंध – Essay on Diwali in Hindi

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दिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है। रोशनी के इस त्यौहार को “दीपावली ” के नाम से भी जाना जाता है। दिवाली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। भले ही बुराई रावण की तरह शक्तिशाली और बुद्धिमान हो, लेकिन उसका अंत एक दिन अवश्य होता है।

Table of Contents

दीपावली पर निबंध (300 शब्दों में) – Diwali Essay in Hindi

दिवाली, हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है, जिसका अर्थ है ‘दीपकों की पंक्ति।’ यह त्यौहार ख़ुशी और उत्सव का प्रतीक है और हर साल अक्टूबर और नवंबर के बीच मनाया जाता है। दिवाली के दिन लोग अपने घरों को सुंदर ढंग से सजाते हैं और रात में दीयों से रोशनी करते हैं।

दिवाली का महत्व कई परंपराओं और कहानियों से जुड़ा हुआ है। एक प्रमुख किंवदंती के अनुसार, इस दिन भगवान राम, उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण अपने 14 साल के वनवास से अयोध्या लौटे थे, लोगों ने उनके स्वागत के लिए दीपक जलाए थे। इसके साथ ही श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध करके लोगों को खुशहाली भी दिलाई थी।

दिवाली के पांच दिवसीय त्योहार में हर दिन का विशेष महत्व होता है। पहले दिन को ‘धनतेरस’ कहा जाता है, जिसमें लोग अपने व्यवसायों और घरों की सफाई करते हैं। दूसरे दिन को ‘छोटी दिवाली’ कहा जाता है, जिसमें लोग अपने घरों को खूबसूरती से सजाते हैं। तीसरे दिन को ‘मुख्य दिवाली’ कहा जाता है, जब लोग अपने घरों को दीयों से रोशन करते हैं और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं।

दिवाली के इस खास मौके पर लोग नए कपड़े पहनते हैं और मिठाइयां बनाते हैं। फूल और पटाखे फोड़े जाते हैं और दुकानों, बाजारों और घरों को रंग-बिरंगे दीयों से सजाया जाता है।

दिवाली के चौथे दिन को ‘गोवर्धन पूजा’ कहा जाता है, जिसमें गाय माता की पूजा की जाती है। इस दिन, लोग बहुत सारे विशेष व्यंजन, जैसे खील-बताशा, बर्फी, गुलाब जामुन और अन्य स्वादिष्ट भोजन तैयार करते हैं और उन्हें दोस्तों और परिवार के साथ साझा करते हैं।

दिवाली के आखिरी दिन को ‘भाई दूज’ कहा जाता है, जिसमें बहनें यमराज की पूजा करती हैं और अपने भाइयों के लिए आशीर्वाद मांगती हैं।

दिवाली का त्योहार हर किसी के जीवन में सुख और समृद्धि का प्रतीक है। इसे एक नई शुरुआत का संकेत माना जाता है और लोग नए संकल्प लेते हैं और अपने जीवन को सफल और खुशहाल बनाने की कोशिश करते हैं।

दिवाली के इस उत्सव के तहत, लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर खुशियाँ मनाते हैं, और सामाजिक और आपसी दोस्ती को मजबूत करते हैं।

दिवाली पर निबंध (500 शब्दों में) – Diwali Nibandh in Hindi

दिवाली, जिसे “रोशनी का त्योहार” के रूप में जाना जाता है, न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर के हिंदू समुदायों द्वारा मनाए जाने वाले सबसे प्रमुख और प्राचीन हिंदू त्योहारों में से एक है। यह भव्य त्योहार अपने साथ समृद्धि, खुशियाँ और रोशनी की आशा लेकर आता है, जिसे विभिन्न समुदायों के लोगों द्वारा अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है।

दिवाली कार्तिक माह की अमावस्या को पड़ती है। यह एक ऐसा समय होता है जब अंधेरी रात अनगिनत दीपकों और दीयों के साथ जीवंत हो उठती है, जिससे आसपास का वातावरण जगमगा उठता है। दिवाली का बड़ा धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह चौदह साल के वनवास के बाद भगवान राम की अयोध्या वापसी की याद दिलाता है। उनकी वापसी के दौरान, अयोध्या के निवासियों ने अंधेरे पर प्रकाश की जीत का प्रतीक, दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था।

इसके अतिरिक्त, इस दिन, भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को हराया था, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक था। दिवाली जैन धर्म के संस्थापक भगवान महावीर के निर्वाण दिवस का भी प्रतीक है। इन कई कारणों से, दिवाली कई लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान रखती है।

यह त्यौहार पांच दिनों तक चलता है, जो धनतेरस से शुरू होता है और भाई दूज के साथ समाप्त होता है। दिवाली की तैयारियां कई दिन पहले से ही शुरू हो जाती हैं। घरों की अच्छी तरह से सफाई की जाती है और सजावट शुरू हो जाती है। नए कपड़े सिले जाते हैं और तरह-तरह की स्वादिष्ट मिठाइयाँ बनाई जाती हैं। ठंड का मौसम भव्यता, स्वच्छता और जीवंत सजावट के समय में बदल जाता है, जो हमारे घरों में धन की देवी लक्ष्मी का स्वागत करता है।

पहले दिन, धनतेरस पर, लोग सोने और चांदी के आभूषण जैसी धातु की वस्तुएं खरीदते हैं क्योंकि इस दिन इन सामग्रियों में निवेश करना शुभ माना जाता है। दूसरा दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली है, जब कुछ लोग पटाखे फोड़कर भी जश्न मनाते हैं।

तीसरा दिन, मुख्य दिवाली का दिन, देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है। यह दिन खासतौर पर उन व्यापारियों के लिए बहुत महत्व रखता है जो नए बही-खाते की शुरुआत करते हैं। विभिन्न आयु वर्ग और विभिन्न वर्गों के लोग धार्मिक अनुष्ठान करने और देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश का आशीर्वाद लेने के लिए एक साथ आते हैं।

चौथे दिन, गोवर्धन पूजा मनाई जाती है, जो भगवान इंद्र के प्रकोप के कारण होने वाली मूसलाधार बारिश से ग्रामीणों की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाने का प्रतीक है। यह पर्व प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर जोर देता है।

दिवाली का आखिरी दिन, भाई दूज, भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित है। बहनें अपने भाइयों की आरती करती हैं और उनकी सलामती के लिए प्रार्थना करती हैं और बदले में भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं।

दिवाली धार्मिक सीमाओं से परे है, विभिन्न धर्मों और पृष्ठभूमि के लोग त्योहार मनाने के लिए एक साथ आते हैं। यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव है जो परिवारों और दोस्तों के बीच प्यार, एकता और खुशी का प्रतीक है।

रोशनी का त्योहार दिवाली हमारे दिलों में एक खास जगह रखता है। यह एक नई शुरुआत का आरंभ करता है और हमारे जीवन को खुशी, आशा और सकारात्मकता से भर देता है। यह वह समय है जब अंधकार दूर हो जाता है और प्रकाश बुराई पर विजय प्राप्त करता है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि अच्छे कर्म, एकता और विश्वास हमें हमेशा एक उज्जवल कल की ओर ले जाएंगे।

दिवाली के त्योहार पर निबंध (600 शब्दों में) – Essay on the festival of Diwali in Hindi

प्रस्तावना:

दिवाली हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। आमतौर पर छोटे बच्चों को यह त्योहार बहुत पसंद आता है क्योंकि यह सभी के लिए ढेर सारी खुशियाँ और उपहार लाता है। दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है।

दिवाली का मतलब

“दिवाली”, जिसे “दीपावली” के नाम से भी जाना जाता है, भारत और दुनिया भर में रहने वाले हिंदुओं के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है। यह त्यौहार हिंदू पौराणिक और सांस्कृतिक धार्मिक महत्व से ओत-प्रोत है और विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है।

दिवाली का अर्थ “दीपकों की पंक्ति” से है, जो दर्शाता है कि इस त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा दीपक या दीये जलाना है। ‘दीपावली’ संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है – दीप+आवली। ‘दीप’ का अर्थ है ‘दीपक’ और ‘आवली’ का अर्थ है ‘श्रृंखला’, जिसका अर्थ है दीपकों की श्रृंखला या दीपकों की पंक्ति।

इस त्यौहार के अवसर पर घरों को दीपों से सजाया जाता है, जिससे रात बेहद खूबसूरत और रोशनी से भरी हो जाती है। यह दीयों की चमकती रोशनी है जिसका महत्वपूर्ण प्रतीक बुराई के अंधेरे से अच्छाई की रोशनी की ओर बढ़ना है।

दिवाली त्योहार की तैयारियां

“दिवाली” के त्यौहार की तैयारियां दिवाली से कई दिन पहले ही शुरू हो जाती हैं। दिवाली के आगमन से ही लोग अपने घरों को सजाना शुरू कर देते हैं। इस त्योहार की तैयारियों में घर की साफ-सफाई सबसे अहम होती है। लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करके सजाते हैं, जिससे घर का वातावरण शुद्ध और रमणीय हो जाता है।

ऐसा माना जाता है कि दिवाली के दिन, धन और समृद्धि की देवी देवी लक्ष्मी जी का आगमन होता हैं, और वह विशेष रूप से उन घरों में प्रवेश करती हैं जहां साफ-सफाई और सुशीलता बनी रहती है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए घर का साफ सुथरा होना जरूरी है। देवी लक्ष्मी के आगमन को घर में सुख-समृद्धि बढ़ने का संकेत माना जाता है और इसलिए यह तैयारियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

दिवाली नजदीक आते ही लोग अपने घरों को दीयों और तरह-तरह की लाइटों से सजाना शुरू कर देते हैं। इस त्यौहार की शुरुआत घर के कोने-कोने में दीपक और मोमबत्तियाँ जलाकर की जाती है, जिससे रात के समय घर की सुख-समृद्धि में रोशनी फैल जाती है। दीये और रोशनी का यह उत्स्व बुराई के अंधेरे को हराने और अच्छाई की रोशनी की ओर बढ़ने का संकेत है।

“लक्ष्मी पूजन” का विशेष महत्व है

इस दिन विशेष रूप से धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। दिवाली के शुभ अवसर पर धन की देवी मां लक्ष्मी, विघ्नहर्ता गणेश और धन संचय के देवता कुबेर की विधि-विधान से पूजा करने का विशेष महत्व माना जाता है। दिवाली, जिसे धनतेरस के नाम से भी जाना जाता है, धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

इस दिन लोग अपने घर में आने वाले धन का स्वागत करने के लिए अपने घरों को विशेष तरीके से सजाते, साफ-सुथरा और तैयार करते हैं। धनतेरस के दिन लोग अपने घरों को धन और समृद्धि से भरने के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा कर उन्हें प्रसन्न करते हैं।

धनतेरस के दिन भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है क्योंकि वह घर के रास्ते को साफ और सुरक्षित रखते हैं और बाधाओं को दूर करते हैं। कुबेर जी की पूजा से धन के प्रवाह पर नियंत्रण रहता है।

प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन सबसे अधिक फलदायी माना जाता है। धनतेरस का महत्व यह भी है कि यह धन निवेश और व्यापार के लिए शुभ समय होता है। इस दिन लोग नई संपत्ति की योजना बनाते हैं और नवीनतम व्यावसायिक प्रक्रियाओं में पहल करते हैं।

दिवाली का मतलब है दीपों की पंक्ति और रोशनी की ओर बढ़ना। इस त्योहार की तैयारियां दिवाली से कई दिन पहले से ही शुरू हो जाती हैं, जिससे हमारे घरों में रोशनी और खुशियां आती हैं। “लक्ष्मी पूजन” इस त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि यह धन और समृद्धि की देवी देवी लक्ष्मी की पूजा है, जो हमारे जीवन में समृद्धि और वित्तीय स्थिति की कामना करती है। दिवाली के दिन घरों को दीपों से सजाने के साथ-साथ आध्यात्मिक और आत्मनिर्भरता की भावना बढ़ती है, जिससे हम अपने जीवन में नए आदर्शों और समर्पण की ओर बढ़ सकते हैं।

दीपावली पर निबंध (900 शब्दों में) – Essay on Diwali in Hindi

दिवाली, जिसे “रोशनी का त्योहार” भी कहा जाता है, भारत और दुनिया भर में बड़े धूमधाम से मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। इस त्योहार का महत्व आने वाले समय में सुख, समृद्धि और रोशनी की आशा से जुड़ा है। दिवाली को “रोशनी का त्योहार” कहा जाता है क्योंकि इस दिन लोग अपने घरों में दीये और पटाखे जलाते हैं, जो रोशनी का प्रतीक है। इस त्योहार के दौरान लोग अपने घरों को सजाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और साफ-सफाई करते हैं। इसके साथ ही दिवाली आध्यात्मिक और आत्मनिर्भर भावना को बढ़ावा देती है और लक्ष्मी पूजन के माध्यम से समृद्धि की कामना करती है।

दिवाली का इतिहास

हिंदू मान्यताओं के अनुसार दिवाली का इतिहास भगवान श्री राम के आगमन से जुड़ा है। भगवान श्री राम, माता सीता और भगवान लक्ष्मण ने चौदह वर्ष के वनवास के बाद अपनी प्रिय अयोध्या लौटने का फैसला किया था। उनके आगमन के दिन अमावस्या की रात थी, जिसके कारण पूरा नगर अंधकार में डूबा हुआ था। लोगों ने अपने घरों को दीपों और फूलों से सजाया था, ताकि भगवान राम और उनके परिवार के स्वागत के लिए पूरा शहर उज्ज्वल और सुंदर हो। 

तब से लेकर आज तक इसे रोशनी के त्योहार और अंधेरे पर प्रकाश की जीत के रूप में मनाया जाता है। लोग अपने घरों को दीयों और दीपों से सजाते हैं, जिससे घरों में रोशनी होती है और त्योहार की भावना में उत्सव का माहौल पैदा होता है। इसे “दीपावली” कहा जाता है, जिसका अर्थ है “दीपकों की पंक्ति”। यह पंक्ति न सिर्फ घर को रोशन करती है बल्कि यह भी दर्शाती है कि रोशनी हर समय बुराई को हराती है।

इस शुभ अवसर पर, भगवान गणेश, लक्ष्मी जी, राम जी और अन्य देवताओं की मूर्तियाँ बाजारों में खरीदारी के लिए उपलब्ध होती हैं। इस समय बाजारों में विशेष रौनक रहती है। इस अवसर पर लोग नए कपड़े, उपहार, आभूषण, बर्तन, मिठाइयाँ और अन्य सामान खरीदते हैं। 

हिंदू धर्म के अनुसार, दिवाली का त्योहार नई व्यावसायिक गतिविधियों की शुरुआत का भी प्रतीक है। व्यवसायी लोग दिवाली के त्योहार पर नए बही-खाते शुरू करके वित्तीय सफलता की आशा करते हैं।

इसके साथ ही लोगों का मानना है कि यह खूबसूरत त्योहार सभी के लिए धन, समृद्धि और सफलता लाता है। दिवाली के अवसर पर, लोग अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ उपहारों और मिठाइयों का आदान-प्रदान करने के लिए उत्सुक रहते हैं, जिससे खुशियों का आदान-प्रदान होता है और रिश्ते मजबूत होते हैं।

दिवाली में पटाखों का महत्व

दिवाली को “रोशनी का त्योहार” कहा जाता है। इस त्यौहार में बच्चे पटाखे और विभिन्न प्रकार की आतिशबाजी जैसे फुलझड़ी, रॉकेट, फव्वारे, चकरी आदि जलाना पसंद करते हैं। दिवाली में पटाखों का भी महत्व है क्योंकि पटाखे इस त्योहार की खुशियों को और भी रंगीन बना देते हैं।

पटाखे फोड़ना इस त्योहार को रंगीन और आनंदमय बनाता है। पटाखे दिवाली मनोरंजन का एक हिस्सा हैं और बच्चों और वयस्कों के बीच मनोरंजन का एक स्रोत हैं। पटाखे अपनी आवाज और ध्वनि से लोगों को आनंद लेने का वातावरण देते हैं और त्योहार के माहौल को और अधिक जीवंत और उत्सवपूर्ण बनाते हैं।

दिवाली के साथ मनाये जाने वाले त्यौहार

  • दिवाली का त्यौहार लगभग 5 दिनों तक मनाया जाता है। दिवाली 5 त्योहारों धनतेरस, नरक चतुर्दशी, महालक्ष्मी पूजा, धनतेरस और भाई दूज का संगम है।
  • धनतेरस: यह दिवाली के त्योहार का पहला दिन होता है, जिसमें लोग सोने और चांदी के आभूषण जैसी धातु की वस्तुएं खरीदते हैं।
  • नरक चतुर्थी (छोटी दिवाली): दिवाली के दूसरे दिन को नरक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है और कुछ लोग इसे छोटी दिवाली के रूप में भी मनाते हैं।
  • मुख्य दीपावली (दिवाली): यह दिवाली का मुख्य दिन है, जिसमें लोग देवी महालक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। इस दिन को “अमावस्या” के रूप में मनाया जाता है, जिसका अर्थ है कि अमावस्या की रात होने के बावजूद, अमावस्या की रात को अच्छाई का प्रतीक माना जाता है।
  • गोवर्धन पूजा: दिवाली के त्योहार का चौथा दिन गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बलभद्र गिरिराज रूप की पूजा की जाती है और कई तरह के अनुष्ठान किए जाते हैं।
  • भैया-दूज: दिवाली के त्योहार का आखिरी दिन भैया-दूज के रूप में मनाया जाता है, जिसमें बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं और उनकी रक्षा की कामना करती हैं।

ये त्यौहार अलग-अलग तरीके से मनाए जाते हैं और हर दिन का अपना विशेष महत्व होता है, हर दिन से अपनी-अपनी महत्वपूर्ण कहानियां और धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हैं।

दिवाली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियाँ

दिवाली जैसे धार्मिक महत्व के त्योहार के शुभ अवसर पर भी कुछ असामाजिक तत्व शराब, जुआ, जादू-टोना और पटाखों के दुरुपयोग जैसी अपनी बुरी आदतों से इसे खराब करने में लगे रहते हैं। पटाखों के अत्यधिक उपयोग से ध्वनि प्रदूषण बढ़ सकता है, जिससे क्षेत्र और आसपास के लोगों को परेशानी हो सकती है। यदि दिवाली के दिन इन बुराइयों को समाज से दूर रखा जाए तो दिवाली का त्योहार सचमुच शुभ दिवाली बन जाएगा।

दिवाली, जिसे भगवान श्री राम की अयोध्या वापसी के दिन के रूप में जाना जाता है, को अच्छाई के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है, और लक्ष्मी पूजा के साथ धन और समृद्धि की कामना की जाती है। पांच दिनों की दिवाली अपने अंदर के अंधेरे को मिटाकर पूरी दुनिया को रोशन करने का त्योहार है। दिवाली के दिन, लोग पटाखों का उपयोग करते हैं, जो उत्सव की आवाज़ और रंगों के साथ जश्न मनाने में मदद करते हैं। हमें यह समझना होगा कि दिवाली के त्योहार का मतलब रोशनी, प्यार और सुख-समृद्धि है। ऐसे में पटाखों का प्रयोग सावधानी से और बड़ों की मौजूदगी में करना चाहिए। इस दिन अवगुणों को दूर करने की जरूरत है ताकि यह त्योहार अपने वास्तविक महत्व को उजागर कर सके।

दिवाली पर निबंध 10 लाइन (Essay on Diwali in 10 lines)

  • दिवाली, जिसे “रोशनी का त्योहार” भी कहा जाता है, भारत का एक प्रमुख और महत्वपूर्ण त्योहार है। 
  • यह त्यौहार भगवान राम की अयोध्या वापसी की ख़ुशी को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है, जब लोग दीपक और रंगोली के साथ उनके आगमन का स्वागत करते हैं।
  • इस दिन, हिंदू अनुयायी मिट्टी के दीपक जलाते हैं और अपने घरों को रंगोली से सजाते हैं। 
  • इस त्योहार के मौके पर बच्चे पटाखे जलाकर अपनी खुशी और उत्साह का इजहार करते हैं, जो खास लगता है।
  • हिंदू धर्म के अनुसार दिवाली के इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा की जाती है, जिसका महत्व धन, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति से जुड़ा है। 
  • लोग इस दिन को अपने दोस्तों और पड़ोसियों के साथ खुशी के लिए उपहार और मिठाइयाँ देकर मनाते हैं।
  • दिवाली को भारत में सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है और इस त्योहार को बहुत धूमधाम से मनाने की तैयारी की जाती है। 
  • यह हिंदू समुदाय के सबसे प्रिय और आनंददायक त्योहारों में से एक है, और इसे अन्य धर्मों और संप्रदायों के लोगों द्वारा भी मनाया जाता है। 
  • दिवाली एक महत्वपूर्ण सामाजिक और पारंपरिक अवसर है, जो परिवारों और प्रियजनों के बीच प्रेम और मेल-मिलाप का प्रतीक है।

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diwali essay 300 words in hindi

दिवाली पर निबंध हिन्दी में 2023, Essay on Diwali in Hindi

Essay on Diwali in Hindi

दिवाली पर निबंध  Essay on Diwali in Hindi 2023, Format, Examples |

दिवाली पर निबंध – इस लेख में हम दिवाली ( दीपावली) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दे रहे हैं – दिवाली का अर्थ, दिवाली कब मनाई जाती है, दिवाली का इतिहास, दीपोत्सव मनाने की तैयारियाँ, दीपावली के साथ मनाए जाने वाले उत्सव, दिवाली का महत्त्व । दीपावली एक ऐसा विषय है जिस पर आपको किसी भी कक्षा में निबंध लिखने के लिए कहा जा सकता है। उच्च कक्षाओं में जब आप निबंध लिखते हैं तो आपको उस निबंध के विषय के बारे में सम्पूर्ण जानकारी पता होनी चाहिए। तभी आप एक प्रभावशाली निबंध का निर्माण कर सकते हैं। आशा करते हैं कि हमारे दीपावली के निबंध से आपको सहायता मिलेगी।

Essay on Diwali in Hindi – Find here Essay on Diwali in Hindi, Essay on Diwali for kids, Meaning of Deepawali, Diwali History, Preparations for celebrating the festival, Importance of Deepawali, Benefits, and disadvantages of Diwali festival, Suggestions to celebrate Diwali differently, Diwali festival in abroad.

In this Essay on Diwali in Hindi , we are giving complete information about the Festival of Deepawali. Deepawali is a subject on which you can be asked to write an essay in any class. When you write an essay in higher classes, you should know all about the topic of that essay. Only then can you create an effective essay. Hope that our Deepawali essay will help you.

  • दिवाली का अर्थ
  • दिवाली कब मनाई जाती है
  • दिवाली का इतिहास
  • दीपोत्सव मनाने की तैयारियाँ
  • दीपावली के साथ मनाए जाने वाले उत्सव
  • दिवाली का महत्त्व
  • दीपावली के त्यौहार के लाभ और हानियाँ
  • दीपावली को अलग तरीके से मनाने के सुझाव
  • विदेशों में दीवाली का त्यौहार
  • दिवाली पर निबंध 100 शब्द, 150 शब्द, 250 से 300 शब्द, 10 Line

प्रस्तावना  

प्रत्येक समाज त्यौहारों के माध्यम से अपनी खुशी एक साथ प्रकट करता है। भारत एक ऐसा देश है, जहाँ सबसे ज्यादा त्यौहार मनाये जाते हैं, यहाँ विभिन्न धर्मों के लोग अपने-अपने उत्सव और पर्व को अपनी  परंपरा और संस्कृति के अनुसार मनाते हैं। दीपावली का त्यौहार खुशियों और सुख-समृद्धि का त्यौहार है। यह पांच दिवसीय, हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला, सबसे बड़ा त्यौहार है। दिवाली के त्यौहार को सिर्फ हमारे देश में ही नहीं, विदेशों में भी मनाया जाता है, इससे इसकी प्रमुखता का पता लगाया जा सकता है। इस दिन अमावस्या की काली रात होने के बावजूद भी पूरा भारत रोशनी से जगमगाया हुआ होता है। दीपावली का त्यौहार असत्य पर सत्य की जीत और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं है बल्कि इसका सामाजिक, आध्यात्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और आर्थिक महत्व भी है। यह त्यौहार सामाजिक एकता को बढ़ाने का कार्य करता है। हालांकि दिवाली के त्यौहार का एक दूसरा पहलू भी है, जिसे हम अपने आनंद के लिए वर्ष-प्रतिवर्ष बढ़ावा देते जा रहे है। वो दूसरा पहलू है, आतिशबाजी और पटाखे फोड़ना। यह एक ऐसा कार्य है, जिसका दिवाली के त्यौहार से कोई प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं है और ना ही दिवाली के त्यौहार में इसका कोई ऐतिहासिक और पौराणिक वर्णन है, इसके साथ ही दिवाली पर होने वाली इस आतिशबाजी के कारण दिन-प्रतिदिन पर्यावरण प्रदूषण में वृद्धि होती जा रही है।

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दिवाली का अर्थ (Meaning of Diwali) –

‘दीपावली’ संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है – दीप + आवली। ‘दीप’ अर्थात ‘दीपक’ और ‘आवली’ अर्थात ‘लाइन’ या ‘श्रृंखला’, जिसका मतलब हुआ दीपकों की श्रृंखला या दीपों की पंक्ति। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। दीपक को स्कन्द पुराण में सूर्य के हिस्सों का प्रतिनिधित्व करने वाला माना गया है। वैदिक प्रार्थना है – ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात अंधकार से प्रकाश में ले जाने वाला और ‘दीपावली’ को भी रोशनी का उत्सव कहा जाता है।

दिवाली कब मनाई जाती है (Deepawali is celebrated when)-

दिवाली का त्यौहार दशहरे के 21 दिन बाद सितंबर से अक्टूबर माह के बीच में कार्तिक मास की अमावस्या को आता है। वैसे इस त्यौहार की धूम-धाम कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से कार्तिक शुक्ल द्वितीय अर्थात् पाँच दिनों तक रहती है। दीवाली के पर्व की यह विशेषता है कि इसके साथ चार त्यौहार और मनाये जाते हैं। दीपावली का उत्साह एक दिन नहीं, अपितु पूरे सप्ताह भर रहता है। दिवाली का त्यौहार वर्षा ऋतु के समाप्त होने और शरद ऋतु की प्रारंभ होने का संकेत होता है। दीपावली के त्यौहार पर मौसम गुलाबी ठंड का होता  है। जिससे चारों और खुशहाली का मौसम बनता है।

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दिवाली का इतिहास (History of Deepawali)

दिवाली का त्यौहार भारत में प्राचीन समय से ही मनाया जाता रहा है। इस त्यौहार का इतिहास अलग-अलग राज्यों के लोग भिन्न-भिन्न मानते हैं, लेकिन अधिकतर लोगों का मानना है कि जब भगवान राम 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे, तब अयोध्या वासियों ने उनके स्वागत के लिए घी के दीपक प्रज्वलित किए थे और साथ ही अयोध्या के हर रास्ते को सुनहरे फूलों से सजा दिया गया था। जिस दिन भगवान राम अयोध्या लौट कर आए थे उस दिन अमावस्या की काली रात थी। जिसके कारण वहां पर कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था, इसलिए अयोध्या वासियों ने वहां पर दीपक जलाए थे। यह भी एक कारण है कि इस दिन को अंधकार पर प्रकाश की विजय भी माना जाता है। और यह सच भी है क्योंकि इस दिन पूरा भारत अमावस्या की काली रात होने के बावजूद भी दीपकों की रोशनी से जगमगाता रहता है। जैन धर्म के लोग दीपावली के त्यौहार को इसलिए मनाते हैं क्योंकि चौबीसवें तीर्थंकर, महावीर स्वामी को इस दिन मोक्ष की प्राप्ति हुई थी और संयोगवश इसी दिन उनके शिष्य गौतम को ज्ञान प्राप्त हुआ था। सिख धर्म के लोग भी इस त्यौहार को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। वे लोग त्यौहार को इसलिए मनाते है क्योंकि इसी दिन ही अमृतसर में 1577 में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था। साथ ही सिक्खों के छठे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को भी इसी दिन ग्वालियर की जेल से जांहगीर द्वारा रिहा किया गया था। आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द तथा प्रसिद्ध वेदान्ती स्वामी रामतीर्थ ने इसी दिन मोक्ष प्राप्त किया था। इस त्योहार का संबंध ऋतु परिवर्तन से भी है। इसी समय शरद ऋतु का आगमन लगभग हो जाता है। इससे लोगों के खान-पान, पहनावे और सोने आदि की आदतों में भी परिवर्तन आने लगता है।

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दीपोत्सव मनाने की तैयारियाँ (Preparations for celebrating the festival)

नवीन कामनाओं से भरपूर, यह त्यौहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। दीपावली के कई हफ्तों पहले ही लोग अपने घरों और कार्यालयों की साफ-सफाई करने में जुट जाते हैं क्योंकि ऐसी मान्यता है कि जो घर साफ-सुधरे होते हैं, उन घरों में दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी विराजमान होती हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करके वहां सुख-समृद्धि में बढ़ोत्तरी करती है। दीवाली के दिन सब बहुत खुश रहते है। व्यापारी तथा दुकानदार अपनी-अपनी दुकानें सजाते हैं तथा लीपते पोतते हैं। दीपावली के दिन बाजारों में गणेश जी, लक्ष्मी जी, राम जी आदि की तस्वीरे खरीदी जाती है। बाजारों में खूब चहल पहल होती है। लोग इस अवसर पर नए कपड़े, बर्तन, मिठाइयां आदि खरीदते है। इस दिन खील बताशों तथा मिठाइयों की खूब बिक्री होती है। लोग अपने इष्ट-मित्रों के यहाँ मिठाइयों का आदान-प्रदान करके दीपावली की शुभकामनाएँ लेते-देते हैं। बच्चे अपनी इच्छानुसार बम, फुलझडि़यां तथा अन्य पटाखे खरीदते हैं। दीवाली के एक से दो दिन पहले ही बच्चों द्वारा स्कूलों में छोटी दिवाली मनाई जाती है। अध्यापकों द्वारा बच्चों को कहानियाँ सुनाकर, रंगोली बनवाकर, अपनी-अपनी कक्षा को सजा कर और खेल खिलाकर इस पर्व को मनाया जाता है। शिक्षक विद्यार्थियों को पटाखों और आतिशबाजी को लेकर सावधानी बरतने की सलाह देते है, साथ ही पूजा की विधि और दीपावली से संबंधित रिवाज आदि भी बताते हैं। रात्रि के समय लक्ष्मी, गणेश के पूजन के बाद आतिशबाजी का दौर शुरु होता है। इसी दिन लोग बुरी आदतों को छोड़कर अच्छी आदतों को अपनाते हैं। भारत के कुछ जगहों पर दीवाली को नया साल की शुरुआत माना जाता है, साथ ही व्यापारी लोग आज से अपना नया बही खाता शुरु करते है।

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दिवाली के साथ मनाए जाने वाले उत्सव (Celebrations celebrated with Diwali)

दिवाली का यह त्यौहार 5 दिनों तक चलता है। जिस के पहले दिन धनतेरस होता है । धनतेरस के दिन लोग अपने घर कुछ ना कुछ बर्तन जरूर लेकर जाते हैं और साथ ही साथ लोग इस दिन सोने और चांदी के आभूषण खरीदना भी पसंद करते है। लोगों का मानना है कि इस दिन खरीदारी करने से घर में बरकत होती है। दीपावली का दूसरा दिन नरक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है , क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को मार गिराया था। कुछ लोगों द्वारा यह दिन छोटी दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन घर के बाहर 5 दीपक जलाए जाते है। प्राचीन परंपरा के अनुसार इस दिन लोग दीपक का काजल अपनी आंखों में डालते है। उनका मानना है कि इसे आंखें खराब नहीं होती है। तीसरा दिन दीपावली त्यौहार का मुख्य दिन होता है। महालक्ष्मी की पूजा की जाती है, साथ ही साथ विद्या की देवी मां सरस्वती और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस दिन घर में रंगोली बनाई जाती है और तरह-तरह की मिठाइयां बनाई जाती है। दीपावली के चौथे दिन को गोवर्धन पूजा की जाती है , क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने इंद्र के क्रोध से हुई मूसलाधार वर्षा से लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत अपनी एक अंगुली पर उठा लिया था। इस दिन घर के बाहर महिलाएं गोबर रखकर पारंपरिक पूजा करती है। दीपावली के त्यौहार के आखिरी दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहन, भाई को रक्षा सूत्र बाँधती हैं, साथ ही तिलक लगाकर मिठाई खिलाती है और बदले में भाई उनकी रक्षा का वचन देते हैं और उन्हें अच्छा उपहार भी देते है। यह दिन कुछ-कुछ रक्षाबंधन त्यौहार की तरह ही होता है।

दिवाली का महत्व (Importance of Diwali)

दीपावली का त्यौहार सभी वर्गों के लोगों के लिए महत्वपूर्ण होता है। यह हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार माना गया है। सबसे बड़ा त्यौहार होने के कारण सभी की आस्था इस त्यौहार से जुड़ी हुई है। यह त्यौहार कई तरह के महत्व अपने अंदर समेटे हुए हैं –

आध्यात्मिक महत्व – दीपावली त्यौहार अनेक धार्मिक, ऐतिहासिक और पौराणिक कहानियों से मिलकर बना है। इस त्यौहार की नीव अच्छाई पर टिकी हुई है इसलिए यह त्यौहार जब भी आता है, तो सभी लोगों में एक अलग ही खुशी और आस्था होती है। दीपावली के त्यौहार को हिंदू, जैन, सिख आदि धर्मों द्वारा भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इन सभी धर्मों में दीपावली के दिन ही ऐसी कोई ना कोई घटना हुई है, जिससे अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, निराशा पर आशा और बुराई पर अच्छाई की विजय हुई है। दीपावली का त्यौहार पूजा पाठ और अच्छाई से जुड़ा हुआ है इसलिए लोग इस पर्व पर आध्यात्मिकता की ओर बढ़ते हैं और इससे अच्छे विचारों का उद्गम होता है।

सामाजिक महत्व – दीपावली के त्यौहार का सामाजिक महत्व भी बहुत बड़ा है क्योंकि इस त्यौहार पर सभी धर्मों के लोग मिल-जुलकर त्यौहार को मनाते है। इस दिन सभी लोग पूजा करते हैं। एक दूसरे से मिलने जाते है जिससे सामाजिक सद्भावना उत्पन्न होती है। आजकल की व्यस्त जिंदगी में लोगों को एक दूसरे से मिलने का अवसर बहुत कम मिलता है इसलिए इस दिन लोग जब लोग एक दूसरे से स्नेह पूर्वक मिलते हैं और साथ में एक दूसरे को मिठाइयां बांटते हैं, गले मिलते हैं जिस से लोगों को एक दूसरे की भावनाओं और धर्मों को समझने में रुचि उत्पन्न होती है। इसलिए इस त्यौहार का सामाजिक महत्व और भी बढ़ जाता है।

आर्थिक महत्व – दीपावली के त्यौहार पर भारतीय लोग जमकर खरीदारी करते हैं। सभी लोग अपने घरों में उपहार, सोने-चांदी के आभूषण, बर्तन, राशन का सामान, कपड़े, मिठाइयां इत्यादि लेकर जाते है। हिंदू धर्म के लोगों का मानना है कि इस दिन खरीदारी करने से घर में किसी भी वस्तु की कमी नहीं रहती है और इस दिन खरीदारी करने से वह वस्तु फलदाई रहती है, इसलिए बाजारों में इस दिन ज्यादा चहल-पहल और अधिक खरीदारी होती है। जिसके कारण लोगों की आमदनी बढ़ जाती है। दीपावली त्योहार के पीछे सबसे पुराना आर्थिक महत्व इस बात पर जुड़ा हुआ है कि भारत में लगभग सभी फसलें मानसून पर निर्भर करती है इसलिए गर्मियों की फसल इस त्यौहार के पर्व से कुछ दिन पहले ही पक कर तैयार हो जाती है। तो किसान इस फसल को काटकर बाजारों में बेचकर आमदनी कमाता है। इसलिए इस त्यौहार का आर्थिक महत्व और भी बढ़ जाता है।

ऐतिहासिक महत्व – दीपावली के त्यौहार के इस दिन बहुत सी ऐतिहासिक घटनाएं घटी हैं। जिसके कारण इस त्यौहार का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है। इस दिन भगवान राम 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या में लौटे थे। इसी दिन समुंदर मंथन के दौरान मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। स्वामी रामतीर्थ का जन्म व महाप्रयाण दोनों दीपावली के दिन ही हुए थे। दीपावली के पावन अवसर पर आर्य समाज की स्थापना हुई थी। इसी दिन मुगल समाज के सबसे बड़े बादशाह अकबर ने दौलत खाने में 40 फीट ऊंचा आकाश दीप जलाकर दीपावली त्यौहार को मनाना शुरू किया था। इस कारण हिंदू और मुसलमान धर्म के लोगों में एक दूसरे के प्रति नफरत खत्म हो गई थी। दीवाली के दिन सिक्खों के छठे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को जेल से रिहा किया गया था। महावीर स्वामी को इस दिन मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।

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दीपावली के त्यौहार के लाभ और हानियाँ (Benefits and disadvantages of Diwali festival)

जहाँ लाभ होता है, वहाँ हानियाँ भी होती है। दीपावली एक बड़ा त्यौहार है, जो अपने साथ अपार खुशियाँ और प्रेम लेकर आता है। खुशियों के साथ-साथ कभी-कभी कुछ दुःख भी दस्तक दे जाते हैं। इन दुःखों को जान कर कुछ सावधानियाँ बरत कर उन्हें भी खुशियों में बदला जा सकता है।

दीपावली के लाभ – (1) छोटे-बड़े सभी व्यापारियों के लिए यह समय अत्यधिक कमाई का होता है। (2) दीपावली में सभी प्रकार के व्यापार में तेजी आती है। क्योंकि लोग घर की सज-सज्जा, कपड़े, गहने और खाने-पिने की चीजों सभी पर खर्च करते हैं। (3) दीपावली में आपसी प्रेम बढ़ता है और आपसी संबंधों में मिठास बढ़ती है। (4) इस त्यौहार पर साफ़-सफाई पर अत्यधिक महत्त्व दिया जाता है, पुरे घर की सफाई की जाती है और घर में रंग-रोगन भी किया जाता है। इससे घर के आस-पास का वातावरण शुद्ध हो जाता है, जो स्वस्थ्य की दृष्टि से भी लाभदायक होता है। (5) कुटीर उद्योगों के लिए दीपावली का त्यौहार अत्यधिक खुशहाली लता है। क्योंकि दीपावली में बिकने वाला ज्यादातर सामान जैसे- साज-सज्जा का सामान और मिट्टी का सामान कुटीर उद्योगों द्वारा ही तैयार किया जाता है ,इस त्यौहार में उनकी आमदनी भी बढ़ जाती है।

दीपावली की हानियाँ – (1) पटाखों के कारण प्रदुषण फैलता है। (2) दीपकों में फजूल तेल जलता है। (3) अत्यधिक मिठाइयाँ और पकवान हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं। (4) लाइट्स की सजावट के कारण अत्यधिक बिजली बर्बाद होती है। (5) दिखावे के चक्कर में लोग फज़ूल खर्च करते हैं।

दीपावली को अलग तरीके से मनाने के सुझाव (Suggestions to celebrate Deepawali differently)

दीपावली के त्यौहार को मनाने का तरीका और पूजन विधी हर जगह लगभग एक समान ही होती है। फिर भी ऐसे कई कार्य है जिनके द्वारा हम दीपावली के त्यौहार को हम ना सिर्फ अपने लिए मंगलकारी बना सकते हैं बल्कि दूसरों के लिए भी इस दिन को खास बना सकते हैं और दीपावली के वास्तविक अर्थ को सच्चे रुप से सार्थक कर सकते हैं। 1. छोटे विक्रेताओं से समान खरीदकर हम उनकी आजीविका बढ़ाने में मदद कर सकते हैं क्योंकि हमारी तरह इन्हें भी वर्ष भर इस त्यौहार का इंतजार होता है। ताकि वे अपने द्वारा की गई तैयार वस्तुओं को बाजार में आकर बेच सकें। 2. इलेक्ट्रिक झालरों की जगह दीपों का अधिक उपयोग करके हम हमारे देश के छोटे व्यापारियों और कुम्हारों को आर्थिक रुप से सुदृढ़ बनाकर देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद क्र सकते है और साथ-ही-साथ दीपावली के पारंपरिक रुप को भी बनाए रखने में योगदान दे सकते हैं। 3. हममें से कई लोग दीपावली के त्यौहार की साज-सज्जा, पटाखों और उत्सव मनाने में काफी अधिक मात्रा में धन व्यय करते हैं। अगर हम चाहे तो इन चीजों में कुछ कटौती करके या अपने पास से कुछ अधिक खर्च निकालकर कुछ गरीबों और जरूरतमंद लोगों को कंबल, मिठाइयां और उपहार जैसी चीजें बांटकर उनके चेहरों पर खुशियां ला सकते हैं। 4. हम सब ही जानते हैं कि दीपावली पर पटाखों और भारी आतिशबाजी के कारण काफी ज्यादा मात्रा में प्रदूषण उत्पन्न होता है। हमें इस बात को समझना होगा की दीपावली के त्यौहार का अर्थ दीप और प्रकाश है, ना कि पटाखे फोड़ना है। हम सब को मिलकर पटाखों का उपयोग ना करके हरित दीपावली मनाने का संकल्प लेना चाहिए और यह दीपावली पर हमारे द्वारा प्रकृति को दिया जा सकने वाली सबसे बड़ी भेंट होगी। 5. प्रदूषण के कारण ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी कुछ राज्यों में पटाखों के उपयोग को लेकर या तो समय सीमा तय कर दी गयी है या फिर इसे पूर्ण रुप से प्रतिबंधित कर दिया गया है पर कई लोग सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को भी धार्मिक रंग देने लग जाते है, ऐसे लोगों को हमें समझाना होगा कि छोटे-छोटे फैसलों से ही बड़े परिवर्तन प्राप्त होते हैं। लोगों में जागरूकता लाकर ही हम पटाखों के प्रतिबंध को सफल बना सकते हैं और प्रदूषण मुक्त पर्यावरण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

विदेशों में दिवाली का त्यौहार (Diwali festival abroad)

मलेशिया – दीपावली के पर्व पर मलेशिया में भारत की तरह सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाता है। यहां पर सभी धर्मों के लोगों द्वारा मिलकर इस त्यौहार को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्यौहार के दिन सभी लोगों द्वारा सभी के लिए भोजन की व्यवस्था की जाती है और पूरे दिन भर लोग अच्छे खाने का आनंद उठाते हैं और एक दूसरे से मिलते है। दीपावली के इस त्यौहार को मलेशिया में सामाजिक सद्भावना के रूप में मनाया जाता है।

संयुक्त राज्य अमेरिका – अमेरिका में भी भारतीय मूल के बहुत से लोग बसे हुए हैं, इसलिए वहां पर भी दीपावली के त्यौहार को उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। सन 2003 में अमेरिका के व्हाइट हाउस में पहली बार दीपावली का त्यौहार मनाया गया था। उसके बाद से लगभग पूरे अमेरिका ने इस त्यौहार को अपना लिया।

नेपाल – हमारे भारत देश का पड़ोसी देश नेपाल एक छोटा सा देश है। जहाँ पर हमारी दीपावली के पर्व के दिन ही नव वर्ष मनाया जाता है। नेपाल में दीपावली को ‘तिहार’ या ‘स्वन्ति’ के रूप में जाना जाता है और वहां पर भी इसे 5 दिनों तक मनाया जाता है। इस पर्व पर यहां के लोग दान धर्म करते हैं और पशु पक्षियों को भी खाना खिलाते है।

सिंगापुर – सिंगापुर में दीपावली के त्यौहार के उपलक्ष में राजपत्रित अवकाश होता है। यहां पर भारतीय मूल के तमिल समुदाय के लोग रहते हैं, जो दीपावली के त्यौहार को बड़ी धूम-धाम से मनाते है। दीपावली के त्यौहार पर सिंगापुर के बाजारों में भी रौनक देखने को मिलती है। यहां पर भी भारतीय बाजारों की तरह ही सजावट की जाती है और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते है। सिंगापुर सरकार द्वारा भी सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करवाए जाते है।

मॉरीशस – इस देश की लगभग 44% आबादी भारतीय लोगों की है। जिसके कारण यहां पर हिंदू संस्कृति बहुत बड़े पैमाने पर देखने को मिलती है। साथ ही यहां पर दीपावली के त्यौहार के दिन सार्वजनिक अवकाश होता है। इस देश में हिंदी भाषा भी बोली जाती है।

श्रीलंका – श्रीलंका में भी दीपावली के त्यौहार के उपलक्ष में सार्वजनिक अवकाश होता है। यहां पर भारतीय मूल के तमिल लोग अधिक मात्रा में रहते हैं। जिसके कारण यहां पर भारतीय संस्कृति की झलक देखने को मिलती है. यहां पर भी दीपावली को खूब हर्षोल्लास से मनाया जाता है। दीपावली के दिन यहां पर महालक्ष्मी की पूजा की जाती है और चारों तरफ मोमबत्तियां और दीपक जलाए जाते है।

उपसंहार (conclusion)

दीपावली पर्व है अपने अंदर के अंधकार को मिटा कर समूचे वातावरण को प्रकाशमय बनाने का। दीपावली हिंदूओं का प्रमुख पर्व है। यह पर्व समूचे भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता है। दीपावली के दिन घरों में दिए, दुकानों तथा प्रतिष्ठानों पर बहुत सारी सजावट की जाती है और दिए जलाए जाते हैं। बाजारों में खूब चहल-पहल होती है। मिठाई तथा पटाखों की दुकानें खूब सजी होती हैं। इस दिन पकवानों तथा मिठाइयों की खूब बिक्री होती है। बच्चे अपनी इच्छानुसार बम, फुलझड़ियाँ तथा अन्य पटाखे खरीदते हैं और बड़े बच्चों द्वारा किये गए आतिशबाजी का आनंद उठाते हैं। हमें इस बात को समझना होगा कि दीपावली के त्यौहार का अर्थ दीप, प्रेम और सुख-समृद्धि से है, ना कि पटाखों और बे-फिज़ूल के प्रदूषण से, यही कारण है कि दीपावली के त्यौहार पर हमारे द्वारा किये गये यह छोटे-छोटे कार्य बड़े परिवर्तन ला सकते हैं। इस त्यौहार से हमें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती रहती है। यह त्यौहार हमें सिखाता है कि कभी भी अंधकार से नहीं डरना चाहिए क्योंकि एक छोटे से दीपक की लौ भी काले अंधकार को प्रकाश में बदल सकती है, इसलिए हमें हर समय अपने जीवन में आशावादी रहना चाहिए और अपने जीवन में हमेशा खुश रहना चाहिए। दीपावली का त्यौहार सांस्कृतिक और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है। इस त्यौहार से सभी के जीवन में खुशियाँ आती है। इसी त्यौहार के कारण लोगों में आज भी सामाजिक एकता बनी हुई है।

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Nibandh

दिवाली पर निबंध

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रूपरेखा : परिचय - पौराणिक कथाएँ - दिवाली त्योहार का महत्त्व - दिवाली की तैयारी - सामाजिक महत्व - उपसंहार।

दुर्गापूजा की तरह दीवाली भी भारत के बड़े त्योहारों में एक है। यह हमारे देश में बड़े उत्साह के साथ मनायी जाती है। इसमें सभी तरह की जातियों, धर्मों और संप्रदायों के लोग दिल खोलकर भाग लेते हैं और सारे भेदभाव भुला देते हैं। अतः दीवाली हमारा एक महान राष्ट्रीय पर्व है। दिवाली को दीपावली भी कहते हैं।

दीवाली के आरंभ की अनेक पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार श्रीरामचंद्र जब 14 वर्ष के बाद रावण को मारकर सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे तब सभी जगह खुशी के दीये जलाये गये। उसी विजय की स्मृति में यह दीवाली हर वर्ष मनायी जाने लगी। दूसरी कथा के अनुसार दीवाली उस दिन शुरू हुई, जब श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया। इसी खुशी में दीवाली का श्रीगणेश हुआ। तीसरी कथा है कि जब भगवान विष्णु राजा बलि के दान से प्रसन्न हुए, तब यह वर दिया कि सभी लोग बलि के नाम पर घी के दीये जलायेंगे। एक कथा यह भी प्रचलित है कि जब भगवान शंकर ने महाकाली का क्रोध शांत किया, तभी से दीवाली मनायी जाने लगी।

कथा चाहे जो भी हो, इन बातों से एक बात बिलकुल साफ है कि दीवाली हर साल हम भारतवासियों को जीवन का नया संदेश देने आती है और यह बताती है कि सत्य की जीत और असत्य की हार एक-न-एक दिन अवश्य होती है। यह हमारे जीवन का अंधकार दूर कर फुलझरियों की तरह नया प्रकाश बिखेरती है। हम अपने अंदर नवीनता का अनुभव करते हैं।

दीवाली आने के पहले से ही लोग अपने-अपने घर की सफाई, पुताई-रँगाई शुरू कर देते हैं। छोटे-बड़े, अमीर-गरीब सभी तरह के लोग दीवाली के स्वागत की तैयारी में लग जाते हैं। किसी शुभ कार्य का आरंभ भी दीवाली के दिन होता है। दीवाली आती है अमावस्या की रात में। मकान के छतों-छज्जों और मुँडेरों पर दीपों की माला सजायी जाती है। बच्चे पटाखे और रंग-बिरंगी फुलझरियाँ छोड़ते हैं। हर जगह रोशनी-ही-रोशनी दिखायी देती है। रोशनी की इस जगमगाहट में सबके चेहरों पर खुशी की लहर छा जाती है। लोग बाजार की रोशनी और सजावट देखने घर से बाहर जाते हैं। मिठाइयाँ खाते-खिलाते रात के कुछ घंटे बीत जाते हैं। व्यापारी और सेठ-साहूकार रात में धन की देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, नये-नये कपड़े और बरतन खरीदते हैं।

दीवाली का धार्मिक महत्व तो है ही, इसका सामाजिक महत्त्व भी है। वर्षाऋतु के बाद मकानों की मरम्मत और उसकी पुताई, खिड़कियों और दरवाजों की रँगाई, पास-पड़ोस की सफाई— हमारे यहाँ इसी दीवाली के उपलक्ष्य में होती है। साल में एक बार ऐसा करना जरूरी समझा जाता है। इस प्रकार, सारी गंदगी दूर हो जाती है।

दिवाली हमारे जीवन में नयी प्रकाश लाती है, हमारे आसपास के वातावरण को शुद्ध और पवित्र बनाती है। यह हमें भाईचारे, सहयोग, सुख और शांति का संदेश देती है।

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diwali essay 300 words in hindi

Essay on Diwali

essay on diwali

Here we have shared the Essay on Diwali or Deepawali in detail so you can use it in your exam or assignment of 150, 300, 500, or 1000 words.

You can use this Essay on Diwali in any assignment or project whether you are in school child (class 10th or 12th), a college student, or preparing for answer writing in competitive exams. 

Topics covered in this article.

Essay on Diwali in 150 words

  • Essay on Diwali in 250-300 words
  • Essay on Diwali in 500-1000 words

Diwali, the festival of lights, is a widely celebrated Hindu festival in India. It symbolizes the victory of light over darkness and good over evil. During Diwali, homes are adorned with lights, rangolis, and decorations. Families come together, exchange gifts, and enjoy delicious sweets and snacks. Fireworks illuminate the night sky, adding to the festive atmosphere.

Diwali holds deep spiritual significance, commemorating Lord Rama’s return to Ayodhya after defeating the demon king Ravana. It also marks the beginning of a new year for many communities. Beyond its cultural and religious importance, Diwali promotes unity, joy, and compassion. It encourages people to spread happiness and love, transcending differences.

In conclusion, Diwali is a festival that brings people together, celebrates the triumph of good over evil, and spreads light and joy. It is a time to appreciate the blessings in our lives and to share happiness with others.

Essay on Diwali in 250-350 words

Diwali, also known as Deepavali, is one of the most significant festivals celebrated in India. It holds immense cultural, religious, and social importance for people of the Hindu faith. The festival spans over five days and signifies the victory of light over darkness and good over evil.

Diwali is a time of immense joy and enthusiasm. The preparations begin weeks in advance as people clean and decorate their homes. Colorful rangolis, Diyas (earthen lamps), and decorative lights adorn every corner, creating a mesmerizing ambiance. The air is filled with excitement and anticipation as families come together to celebrate.

The festival is deeply rooted in mythology. It commemorates Lord Rama’s return to Ayodhya after 14 years of exile and his victory over the demon king Ravana. The lighting of lamps and the bursting of fireworks symbolize the triumph of light and righteousness. Goddess Lakshmi, the goddess of wealth and prosperity, is also worshipped during Diwali. People offer prayers and seek her blessings for a prosperous year ahead.

Diwali is not only a religious festival but also a time for social bonding and celebration. Families and friends exchange gifts, sweets, and heartfelt wishes. The festival brings people from diverse backgrounds together, fostering unity and harmony. It is a time to forgive past grievances, mend broken relationships, and spread love and joy.

However, in recent years, there has been a growing awareness about the environmental impact of Diwali celebrations. The excessive use of firecrackers contributes to air and noise pollution, harming both humans and the environment. Many people are now opting for eco-friendly celebrations by using less harmful alternatives like decorative lights and celebrating with eco-friendly fireworks.

In conclusion, Diwali is a vibrant and joyful festival that celebrates the triumph of good over evil. It brings families and communities together, spreading happiness, love, and prosperity. While celebrating, it is essential to be mindful of the environmental impact and embrace eco-friendly practices. Diwali is not just a festival of lights; it is a celebration of life, positivity, and the enduring spirit of goodness.

Essay on Diwali in 500 words

Title: Diwali – The Festival of Lights and Spiritual Significance

Introduction

Diwali, also known as Deepavali, is one of the most prominent and widely celebrated festivals in India. It holds immense cultural, religious, and social significance for people of the Hindu faith. The festival spans over five days and signifies the victory of light over darkness and good over evil. This essay explores the various aspects of Diwali, including its historical, religious, and social significance.

Historical and Religious Significance

Diwali finds its roots in ancient Indian mythology and legends. The most well-known story associated with Diwali is the return of Lord Rama, along with his wife Sita and brother Lakshmana, to the kingdom of Ayodhya after 14 years of exile. Their return symbolizes the triumph of righteousness over evil. Lord Rama’s victory over the demon king Ravana is celebrated with great fervor during Diwali.

The lighting of lamps and bursting of fireworks during Diwali signify the removal of darkness and the spreading of light and positivity. The tradition of lighting Diyas (earthen lamps) and illuminating homes and streets represents the victory of good over evil and the triumph of knowledge over ignorance. It is believed that these lights guide Goddess Lakshmi, the deity of wealth and prosperity, into people’s homes.

Social Significance

Diwali is not only a religious festival but also a time for social bonding, family gatherings, and community celebrations. Families come together to clean and decorate their homes, exchange gifts, and share festive meals. The festival brings people from diverse backgrounds together, fostering unity, love, and harmony.

During Diwali, people visit their relatives and friends, exchanging sweets, dry fruits, and gifts as a token of love and affection. It is also a time to forgive past grievances and mend broken relationships, as the festival promotes the spirit of forgiveness, reconciliation, and compassion.

Cultural Celebrations

Diwali celebrations go beyond religious rituals. The festival is marked by colorful rangoli designs, vibrant decorations, and intricate patterns created with colored powders, flowers, and Diyas. Fireworks light up the night sky, filling the air with joy and excitement.

The festival also showcases the rich cultural heritage of India. Traditional dances, music, and performances are organized to entertain and engage the community. Diwali melas (fairs) are held, featuring various cultural activities, folk dances, and food stalls. These events provide an opportunity for people to come together, celebrate, and appreciate the diverse cultural tapestry of India.

Environmental Concerns

While Diwali is a time of celebration and joy, it is essential to address the environmental concerns associated with the festival. The excessive use of firecrackers contributes to air and noise pollution, which poses health hazards and disturbs the ecosystem. It is crucial for individuals and communities to adopt eco-friendly practices, such as minimizing the use of fireworks and opting for environmentally friendly alternatives like decorative lights and lamps.

Diwali, the festival of lights, holds immense cultural, religious, and social significance in India. It is a time of joy, togetherness, and the triumph of good over evil. Diwali celebrations embody the values of unity, love, forgiveness, and the spirit of giving. However, it is equally important to celebrate the festival in an environmentally responsible manner. By embracing eco-friendly practices, we can ensure that the essence of Diwali, as a festival of light and hope, is preserved for future generations to enjoy.

Essay on Diwali in 1000 words

Title: Diwali – A Celebration of Light, Joy, and Cultural Significance

Introduction:

Diwali, also known as Deepavali, is one of the most widely celebrated festivals in India and holds immense cultural, religious, and social significance. The festival stretches over five days, and each day has its own significance and rituals. Diwali is a time of vibrant celebrations, where people come together to illuminate their homes with lamps, exchange gifts, indulge in delicious sweets, and participate in various cultural activities. This essay explores the historical origins, religious significance, cultural traditions, social impact, and environmental considerations associated with Diwali.

I. Historical Origins of Diwali

The roots of Diwali can be traced back to ancient Indian mythology and various historical events. One of the most popular legends associated with Diwali is the story of Lord Rama’s return to Ayodhya after defeating the demon king Ravana. The people of Ayodhya celebrated Rama’s homecoming after 14 years of exile by lighting lamps, signifying the triumph of good over evil. Diwali also commemorates the victory of Lord Krishna over the demon Narakasura, symbolizing the triumph of righteousness and the eradication of darkness.

II. Religious Significance of Diwali

Diwali holds deep religious significance for Hindus, Jains, and Sikhs. For Hindus, it is a time to worship Goddess Lakshmi, the deity of wealth and prosperity. Devotees clean their homes and create intricate rangoli designs to invite the goddess into their households. Diwali is also associated with the worship of Lord Ganesha, the remover of obstacles, and the offering of prayers to seek divine blessings.

In Jainism, Diwali marks the spiritual enlightenment and liberation of Lord Mahavira, the 24th and last Tirthankara. Jains celebrate Diwali by offering prayers, visiting temples, and engaging in acts of charity and compassion.

For Sikhs, Diwali holds historical significance as it commemorates the release of Guru Hargobind Sahib Ji, the sixth Sikh Guru, and 52 other kings from imprisonment in the Gwalior Fort. This event represents the victory of truth and freedom.

III. Cultural Traditions and Celebrations

Diwali is not only a religious festival but also a time for cultural celebrations and festivities. The preparations for Diwali begin weeks in advance, as people clean their homes and decorate them with colorful rangoli designs, bright lights, and flowers. The lighting of diyas (earthen lamps) and candles is a significant aspect of Diwali, symbolizing the triumph of light over darkness.

During Diwali, families come together to perform puja (worship) rituals, exchange gifts, and share special meals. Traditional sweets and snacks, such as ladoos and gujiyas, are prepared and distributed among relatives, friends, and neighbors. The exchange of gifts signifies love, respect, and the strengthening of relationships.

Cultural performances, such as traditional dances like Garba and Bharatanatyam, music concerts, and plays, are organized during Diwali. These cultural activities showcase the rich heritage of Indian art and provide a platform for artists to display their talent.

IV. Social Impact and Community Bonding

Diwali serves as a unifying force, bringing people from different communities, religions, and backgrounds together. It is a time when families and friends come together to celebrate and bond. Diwali encourages individuals to visit their loved ones, exchange greetings, and share the joy of the festival.

The spirit of giving and sharing is strongly emphasized during Diwali. Many people extend acts of kindness by donating to charities, distributing food to the underprivileged, and supporting those in need. This collective effort to help others promotes empathy, compassion, and social cohesion.

Diwali also fosters a sense of unity and harmony among communities. People of different religions and cultures join in the celebrations, participating in events and exchanging cultural experiences. The festival acts as a platform for cultural exchange, fostering understanding and appreciation for diversity.

V. Environmental Considerations

In recent years, there has been growing concern about the environmental impact of Diwali celebrations. The excessive use of firecrackers during Diwali contributes to air and noise pollution, causing harm to human health and the environment. Additionally, the disposal of firework waste poses a significant challenge.

To address these concerns, there has been a shift towards eco-friendly Diwali celebrations. Many individuals and communities now opt for alternative ways to celebrate, such as using decorative lights, eco-friendly fireworks, and organic materials for rangoli designs. Awareness campaigns promote the use of environmentally friendly practices, encouraging people to celebrate Diwali in a responsible manner.

Conclusion:

Diwali is a festival that encapsulates the essence of Indian culture, spirituality, and social values. It is a time when people come together to celebrate light, joy, and prosperity. Diwali’s historical origins, religious significance, cultural traditions, and social impact make it an integral part of Indian society.

As we celebrate Diwali, it is crucial to remain mindful of the environmental impact and embrace sustainable practices. By promoting eco-friendly celebrations and minimizing pollution, we can ensure that the essence of Diwali, as a festival of light and togetherness, is preserved for future generations to enjoy. Diwali serves as a reminder of the triumph of good over evil, the importance of unity, and the power of love and compassion in our lives.

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दीपावली पर निबंध – Diwali Essay In Hindi

diwali essay 300 words in hindi

Essay On Diwali In Points

1. दिवाली हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है जिसे बहुत उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाता है। 2. हिन्दू महाकाव्य रामायण के अनुसार दीपावली का त्यौहार श्री राम भगवान, सीता माता और लक्ष्मण के 14 वर्ष 2 महीने के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है। 3. दीपावली का त्योहार अक्टूबर या नवम्बर के महीने में कार्तिक मास के अमावस्या के दिन मनाया जाता है। 4. इस पर्व के दिन लोग रात को अपनी प्रसन्नता प्रकट करने के लिए दीपों की पंक्तियाँ जलाते हैं और प्रकाश करते हैं इसलिए इसे दीपों का पर्व भी कहा जाता है। दीपावली को तद्भव भाषा में दीवाली भी कहा जाता है। 5. इस दिन समुद्र मंथन के समय लक्ष्मी जी का जन्म हुआ था इसी वजह से दीपावली पर लक्ष्मीजी की पूजा की जाती है और घर में धन-धान और एश्वर्य की कामना की जाती है।। 6. दीपावली की तैयारियां लोग दशहरे से ही करने लग जाते हैं। दीपावली से पहले सभी लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और घर की लिपाई-पुताई करवाते हैं। 7. दीपावली के अवसर पर लोग अपने लिए नए कपड़े, मोमबत्तियां, खिलौने, पटाखे, मिठाईयां, रंगोली बनाने के लिए रंग और घरों को सजाने के लिए बहुत सामान खरीदते हैं। 8. इस शुभ अवसर पर, बाजारों में गणेश जी, लक्ष्मी जी, राम जी आदि की मूर्तियों की खरीदारी की जाती है। बाजारों में खूब चहल पहल होती है। 9. इस दिन लोग अपने ईष्ट बन्धुओं और मित्रों को बधाई देते हैं और नूतन वर्ष में सुख-समृदधि की कामना करते हैं। बालक-बालिकाएं नए कपड़े पहनकर मिठाईयां बांटते हैं। 10. बच्चे अपनी इच्छानुसार बम, फुलझड़ियाँ तथा अन्य पटाखे खरीदते हैं और आतिशबाजी का आनंद उठाते हैं। 11. यह त्यौहार नया जीवन जीने का उत्साह प्रदान करता है। हमें इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि हमारे किसी भी काम और व्यवहार से किसी को भी दुःख न पहुंचे तभी दीपावली का त्यौहार मनाना सार्थक होगा।

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Essay On Diwali In Details

भारत को त्यौहारों का देश माना जाता है। भारत के प्रमुख त्यौहार होली, रक्षाबंधन, दशहरा और दीपावली हैं पर इन सभी त्यौहारों में दीपावली सबसे अधिक प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार दीपों का पर्व है। जब हम अज्ञान रूपी अंधकार को हटाकर ज्ञान रूपी प्रकाश प्रज्ज्वलित करते हैं तो हमें एक असीम और आलौकिक आनन्द का अनुभव होता है। दीपावली भी ज्ञान रूपी प्रकाश का प्रतीक है।

इस दिन दीप जलाये जाते हैं इसलिए इसे दीपों का पर्व भी कहा जाता है। दीपावली को तद्भव भाषा में दीवाली भी कहा जाता है। दीपावली को हिन्दुओं का सबसे प्रमुख त्यौहार माना जाता है। दीपावली को लोग बहुत ही उत्साह के साथ मनाते है।

दीपावली का त्यौहार पांच दिन तक मनाया जाता है। दशहरे के त्यौहार के बाद से ही दीपावली की तैयारियां की जाने लगती हैं। जो लोग नौकरियां करते हैं उन्हें दीपावली का पर्व मनाने के लिए कुछ दिनों की छुट्टियाँ भी दी जाती हैं ताकि वे अपने परिवार के साथ खुशी से दीपावली मना सकें।

दीपावली को अक्टूबर या नवम्बर के महीने में मनाया जाता है।  इस पर्व के दिन लोग रात को अपनी प्रसन्नता प्रकट करने के लिए दीपों की पंक्तियाँ जलाते हैं और प्रकाश करते हैं। नगर और गाँव दीपों की पंक्तियों से जगमगाने लगते हैं ऐसा लगता है मानो रात दिन में बदल गयी हो।

दीपावली का अर्थ

दीपावली शब्द संस्कृत से लिया गया है। दीपावली दो शब्दों से मिलकर बना होता है दीप और आवली जिसका अर्थ होता है दीपों से सजा। दीपावली को रोशनी का त्यौहार और दीपोत्सव भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन चारों और दीपों की रोशनी होती है। इस दिन हम सभी दीपों की पंक्ति बनाकर अंधकार को मिटाने में जुट जाते हैं और अमावस्या की अँधेरी रात जगमग असंख्य दीपों से जगमगाने लगती है।

दीपावली का यह पावन पर्व कार्तिक मांस की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। गर्मी और वर्षा ऋतू को विदा कर शीत ऋतू के स्वागत में यह पर्व मनाया जाता है। उसके बाद शीत के चन्द्र की कमनीय कलाएं सबके चित्त-चकोर को हर्ष विभोर कर देती है। शरद पूर्णिमा को ही भगवान कृष्ण ने महारास लीला का आयोजन किया था। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।

दीपावली का इतिहास

जब भगवान श्री राम लंकापति रावण को मारकर और चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे तो अयोध्यावासियों ने उनके आगमन पर प्रसन्नता प्रकट करने के लिए और उनका स्वागत करने के लिए दीपक जलाए थे। उसी दिन की पावन स्मृति में यह दिन बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है।

इस दिन के अवसर पर भगवान राम की स्मृति बिलकुल ताजा हो जाती है। इस दिन समुद्र मंथन के समय लक्ष्मी जी का जन्म हुआ था इसी वजह से दीपावली पर लक्ष्मीजी की पूजा की जाती है और घर में धन-धान और एश्वर्य की कामना की जाती है। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध भी किया था।

दीपावली की तैयारियां

दीपावली की तैयारियां लोग दशहरे से ही करने लग जाते हैं। दीपावली से पहले सभी लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और घर की लिपाई-पुताई करवाते हैं। दीपावली के अवसर पर लोग अपने लिए नए कपड़े, मोमबत्तियां, खिलौने, पटाखे, मिठाईयां, रंगोली बनाने के लिए रंग और घरों को सजाने के लिए बहुत सामान खरीदते हैं।

दीपावली के दिन पहनने के लिए नए कपड़े बनवाए जाते हैं, मिठाईयां बनाई जाती हैं। घरों को सजाने के लिए बिजली से जलने वाली झालर लगाई जाती है। दीपावली भारत का सबसे अधिक प्रसन्नता और मनोरंजन का पर्व है। इस दिन बच्चों से लेकर बूढों तक में खुशी की लहर उत्पन्न हो उठती है।

आतिशबाजी और पटाखों की आवाज से सारा आकाश गूंज उठता है। लोग शरद ऋतू के आरम्भ में घरों की लिपाई पुताई करवाते हैं तथा कमरों को चित्रों से सजवाते हैं। अच्छी तरह से साफ-सफाई करने की वजह से मक्खी-मच्छर भी दूर हो जाते हैं।

दीपावली पर्व का महत्व

दीपावली का भारत देश में बहुत अधिक महत्व है। इस दिन को अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक माना जाता है। इस दिन को बहुत ही सुंदर और बड़े पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है। दीपावली के दिन धन की देवी लक्ष्मी जी, सरस्वती जी और गणेश भगवान की पूजा की जाती है।

हिन्दू महाकाव्य रामायण के अनुसार दीपावली का त्यौहार श्री राम भगवान, सीता माता और लक्ष्मण के 14 वर्ष 2 महीने के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है। भारत के कुछ क्षेत्रों में महाकाव्य महाभारत के अनुसार दीपावली त्यौहार को पांडवों के 12 वर्ष के वनवास और 1 वर्ष के अज्ञातवास के बाद लौटने की खुशी में भी मनाया जाता है।

ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन देवी-देवताओं और राक्षसों द्वारा समुद्र मंथन करते समय माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था। भारत के कुछ पूर्वी और उत्तरी क्षेत्रों में नव हिंदी वर्ष के रूप में भी इस त्यौहार को मनाया जाता है।

दीपावली का वर्णन

दीपावली त्यौहार कार्तिक माह की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। दीपावली का त्यौहार पांच दिनों तक चलने वाला सबसे बड़ा त्यौहार होता है। दीपावली से तीन दिन पहले धनतेरस आती है इस दिन अहोई माता का पूजन किया जाता है। इस दिन के अवसर पर लोग पुराने बर्तनों को बेचते हैं और नए बर्तनों को खरीदते हैं।

सभी बर्तनों की दुकानें बर्तनों से बहुत ही अनोखी दिखाई देती है। चतुर्दशी के दिन लोग घरों के कूड़े-करकट को बाहर निकालते हैं। कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। धनतेरस के दिन व्यापारी अपने नए बहीखाते बनाते हैं।

अगले दिन नरक चौदस के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करना अच्छा माना जाता है। अमावस्या के दिन लक्ष्मीजी की पूजा की जाती है। पूजा में खील-बताशे का प्रसाद चढाया जाता है। नए कपड़े पहने जाते हैं। असंख्य दीपों की रंग-बिरंगी रोशनियाँ मन को मोह लेती हैं।

दुकानों, बाजारों और घरों की सजावट दर्शनीय रहती है। अगला दिन परस्पर भेंट का दिन होता है। एक-दूसरे के गले लगकर दीपावली की शुभकामनाएँ दी जाती हैं। गृहिणियां मेहमानों का स्वागत करती हैं। लोग छोटे-बड़े, अमीर-गरीब का भेदभाव भूलकर आपस में मिलकर इस त्यौहार को मनाते हैं।

महापुरुषों का निर्वाण दिवस

दीपावली के दिन ही जैनियों के तीर्थकर महावीर स्वामी ने निर्वाण प्राप्त किया था। इसी वजह से यह दिन जैन भाईयों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्वामी दयानन्द और स्वामी रामतीर्थ भी इसी दिन निर्वाह को प्राप्त हुए थे। ऋषि निर्वाणोत्सव का दिन आर्य समाजी भाईयों के लिए विशेष महत्व रखता है। सिक्ख भाई भी दीपावली को बड़े समारोह के साथ मनाते हैं। इस प्रकार यह दिन धार्मिक दृष्टि से बड़ा पवित्र होता है।

लक्ष्मी पूजन

यह पर्व शुरू में महालक्ष्मी पूजा के नाम से मनाया जाता था। कार्तिक अमावस्या के दिन ही समुद्र मंथन में महालक्ष्मी जी का जन्म हुआ था। आज भी इस दिन घरों में महालक्ष्मी जी की पूजा की जाती है।

इस दिन लोग अपने ईष्ट बन्धुओं और मित्रों को बधाई देते हैं और नूतन वर्ष में सुख-समृदधि की कामना करते हैं। बालक-बालिकाएं नए कपड़े पहनकर मिठाईयां बांटते हैं। रात के समय में आतिशबाजी चलाते हैं। बहुत से लोग रात के समय लक्ष्मी पूजन भी करते हैं। कहीं-कहीं पर दुर्गा सप्तमी का पाठ किया जाता है। जो लोग तामसिक वृत्ति के होते हैं वे जुआ खेलकर बुद्धि नष्ट करते हैं।

स्वच्छता का प्रतीक

दीपावली जहाँ पर अंत:करण के ज्ञान का प्रतीक है वहीं पर बाह्य स्वच्छता का भी प्रतीक है। घरों में मच्छर, खटमल, पिस्सू आदि धीरे-धीरे अपना घर बना लेते हैं। मकड़ी के जाले लग जाते हैं इसीलिए दीपावली से कई दिन पहले से ही घरों की सफाई, लिपाई, पुताई और सफेदी होने लग जाती है। सारे घर को चमकाकर स्वच्छ किया जाता है। लोग अपनी परिस्थिति के अनुकूल घरों को सजाते हैं।

किसी अच्छे उद्देश्य को लेकर बने त्यौहार में भी कालान्तर में विकार पैदा हो जाते हैं। जिस लक्ष्मी की पूजा लोग धन-धान्य की प्राप्ति हेतु बड़ी श्रद्धा से करते थे उनकी पूजा बहुत से लोग जुआ खेलने के लिए भी करते हैं। जुआ खेलना एक प्रथा बन गयी है जो समाज व पावन पर्वों के लिए एक कलंक के समान है।

इसके अलावा आधुनिक युग में बम्ब पटाखों से हुए कई दुष्परिणाम भी देखने को मिलते हैं। आज के समय में पुरे भारत में पटाखों का प्रयोग बहुत ही जोर-शोर से होता है। ऐसा माना जाता है कि दीपावली के दिन भारत के प्रदुषण की मात्रा 50% बढ़ जाती है। पटाखों का उपयोग करके हम थोड़ी देर के मजे के लिए अपने पर्यावरण को बहुत हद तक बर्बाद कर देते हैं।

आतिशबाजी हमारे शरीर और पर्यावरण दोनों के लिए बहुत ही हानिकारक होती है। दीपावली में पटाखों का प्रयोग करके हम भारतीय केवल भारत का ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का प्रदुषण बढ़ाते हैं। पटाखों के कारण ऐसे बहुत से हादसे होते हैं जिनका शिकार बच्चे से लेकर बड़े तक हो जाते हैं।

पटाखों के धुएं की वजह से अस्थमा और कई प्रकार की अन्य बीमारियाँ हो जाती हैं। पटाखों की वजह से सभी तरह का प्रदुषण होता है जैसे – धुएं के कारण वायु प्रदुषण, पटाखों की आवाज के कारण ध्वनि प्रदुषण, जहरीले पदार्थ धरती पर गिर जाने से भूमि प्रदुषण, पटाखों का जहरीला पदार्थ पानी में मिल जाने की वजह से जल प्रदुषण आदि।

दीपावली हमारा धार्मिक त्यौहार है। दीपावली का पर्व सभी पर्वों में एक विशिष्ट स्थान रखता है। हमें अपने पर्वों की परम्पराओं को हर स्थिति में सुरक्षित रखना चाहिए। परम्पराओं से हमें उसके आरम्भ और उसके उद्देश्य को याद करने में आसानी होती है।

परम्पराएँ हमें उस पर्व के आदिकाल में पहुंचा देती हैं जहाँ पर हमें अपनी आदिकालीन संस्कृति का ज्ञान होता है। आज हम अपने त्यौहारों को भी आधुनिक सभ्यता का रंग देकर मनाते हैं लेकिन हमें उसके आदि स्वरूप को बिगाड़ना नहीं चाहिए। इसे हमेशा यथोचित रीति से मनाना चाहिए।

जुआ और शराब का सेवन बहुत ही बुरा होता है हमें सदैव इससे बचना चाहिए। आतिशबाजी पर अधिक व्यय नहीं करना चाहिए। हम सभी का कर्तव्य होता है कि हम अपने पर्वों की पवित्रता को बनाये रखें। इस दिन लोग व्याख्यान देकर जन साधारण को शुभ मार्ग पर चला सकते हैं।

यह त्यौहार नया जीवन जीने का उत्साह प्रदान करता है। हमें  इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि हमारे किसी भी काम और व्यवहार से किसी को भी दुःख न पहुंचे तभी दीपावली का त्यौहार मनाना सार्थक होगा।

Essay On Diwali In English

Bharat ko tyauharon ka desh mana jata hai. Bharat ke pramukh tyauhar Holi, Rakshabandhan, Dashhara or Dipawali hain par in sabhi tyauharon me Dipawali sabse adhik pramukh tyauhar hai. Yah tyauhar dipon ka parv hai. Jab ham agyan rupi andhkar ko hatakar gyan rupi prakash prajjvalit karte hain to hamen ek aseem or aalaukik aanand ka anubhav hota hai. Dipawali bhi gyan rupi prakash ka pratik hai.

Is din deep jalaye jate hain isliye ise dipon ka parv bhi kaha jata hai. Dipawali ko tadbhav bhasha me Diwali bhi kaha jata hai. Dipawali ko hinduon ka sabse pramukh tyauhar mana jata hai. Dipawali ko log bahut hi utsah ke sath manate hain.

Dipawali ka tyauhar panch din tak manaya jata hai. Dashhare ke tyauhar ke baad se hi Dipawali ki taiyariyan ki jane lagti hain. Jo log naukriyan karte hain unhen Dipawali ka parv manane ke liye kuch dinon ki chhuttiyan bhi di jati hain taki ve apne parivar ke sath khushi se Dipawali mana saken.

Dipawali ko october ya november ke mahine me manaya jata hai. Is parv ke din log raat ko apni prasannta prakat karne ke liye dipon ki panktiyan jalate hain or prakash karte hain. Nagar or ganv dipon ki panktiyon se jagmagane lagte hain aesa lagta hai mano raat din me badal gayi ho.

Dipawali ka arth 

Dipawali shabd Sanskrat se liya gaya hai. Dipawali do shabdon se milkar bana hota hai dip or aavli jiska arth hota hai dipon se saja. Dipawali ko roshni ka tyauhar or dipotsav bhi kaha jata hai kyonki is din charon or dipon ki roshni hoti hai. Is din ham sabhi dipon ki pankti banakar andhkar ko mitane me jut jate hain or amavasya ki andheri raat jagmag asankhya dipon se jagmagane lagti hai.

Dipawali ka yah pavan parv kartik mans ki amavasya ke din manaya jata hai. Garmi or varsha ritu ko vida kar sheetritu ke svagat me yah parv manaya jata hai. Uske baad sheet ke chandra ki kamniya kalayen sabke chitt-chakor ko harsh vibhor kar deti hai. Sharad purnima ko hi bhagvan Krishna ne maharas leela ka aayojan kiya tha. Ise burayi par achhayi ki jeet ka pratik mana jata hai.

Dipawali ka itihas 

jab bhahvan Shree Ram Lankapati Ravan ko markar or chaudah varsh ka vanvas katkar Ayodhya laute the to ayodhyavasiyon ne unke aagman par prasannta prakat karne ke liye or unka svagat karne ke liye deepak jalaye the. Usi din ki pavan smrati me yah din bade hi utsah se manaya jata hai.

Is din ke avsar par bhagvan Ram ki smrati bilkul taja ho jati hai. Is din samudra manthan ke samay Lakshmi ji ka janam huaa tha isi vajah se Dipawali par Lakshmi ji ki pooja ki jati hai or ghar me dhan-dhaan or aeshvarya ki kamna ki jati hai. Isi din bhagvan Shree Krishna ne narkasur namak rakshas ka vadh bhi kiya tha.

Dipawali ki taiyariyan 

Dipawali ki taiyariyan log Dashahare se hi karne lag jate hain. Dipawali se pahle sabhi log apne gharon ki safayi karte hain or ghar ki lipayi-putayi karvate hain. Dipawali ke avsar par log apne liye naye kapde, mombattiyan, khilaune, patakhe, mithayiyan, rangoli banane ke liye rang or gharon ko sajane ke liye bahut saman kharidte hain.

Dipawalli ke in pahanane ke liye naye kapde banvaye jate hain, mithayiyan banayi jati hain. Gharon ko sajane ke liye bijli se jalne vali jhalar lagayi jati hai. Dipawali Bharat ka sabse adhik prasannta or manoranjan ka parv hai. Is din bacchon se lekar budhon tak me khushi ki lahar utpann ho uthti hai.

Aatishbaji or patakhon ki aavaj se sara aakash guunj uthta hai. Log sharad ritu ke aarmbh me gharon ki lipayi putayi karvate hain tatha kamron ko chitrin se sajvate hain. Achhi tarah se saaf-safayi karne ki vajah se makkhi-macchar bhi door ho jate hain.

Dipawali parv ka mahatva 

Dipawali ka bharat desh me bahut adhik mahatva hai. Is din ko andhkar par prakash ki vijay ka pratik mana jata hai. Is din ko bahut hi sundar or bade parnparik tarike se manaya jata hai. Dipawali ke din dhan ki devi Lakshmi ji, Saraswati ji or Ganesh bhagvan ki pooja ki jati hai.

Hindu Mahakavya Ramayana ke anusar Dipawali ka tyauhar Shree Ram bhagvan, Seeta mata or Lakshman ke 14 varsh 2 mahine ke vanvas ke baad Ayodhya lautne ki khushi me manaya jata hai. Bharat ke kuch kshetron me Mahakavya Mahabharat ke anusar Dipawali tyauhar ko Pandavon ke 12 varsh ke vanvas or 1 varsh ke agyatvas ke baad lautne ki khushi me bhi manaya jata hai.

Aesa bhi mana jata hai ki is din devi-devtaon or rakshason dvara samudra manthan karte samaya mata Lakshami ka janam huaa tha. Bharat ke kuch purvi or uttari kshetron me nav Hindi varsh ke rup me bhi is tyauhar ko manaya jata hai.

Dipawali ka varnan 

Dipawali tyauhar kartik maah ki amavasya ke din manaya jata hai. Dipawali ka tyauhar panch dinon tak chalne vala sabse bada tyauhar hota hai. Dipawali se teen din pahle Dhanteras aati hai is din Ahoyi Mata ka pujan kiya jata hai. Is din ke avsar par log purane bartanon ko bechte hain or naye bartanon ko kharidte hain.

Sabhi bartanon ki dukanen bartanon se bahut hi anokhi dikhayi deti hai. Chaturdashi ke din log gharon ke kude-karkat ko bahar nikalte hain. Kartik maah ki amavasya ko Dipawali ka tyauhar badi dhumdham se manaya jata hai. Dhanteras ke din vyapari apne naye bahikhate banate hain.

Agle din narak chaudas ke din suryoday se pahle snan karna accha mana jata hai. Amavasya ke din Lakshmi ji ki pooja ki jati hai. Pooja me kheel-batashe ka prasad chadhaya jata hai. Naye kapde pahne jate hain. Asankhya dipon ki rang-birangi roshniyan man ko moh leti hain.

Dukanon, bajaron or gharon ki sajavat darshniya rahti hai. Agla din parspar bhent ka din hota hai. Ek-dusre ke gale lagkar Dipawali ki shubhkamnayen di jati hain. Grahiniyan mehmanon ka svagat karti hain. Log chhote-bade, ameer-garib ka bhedbhav bhulkar aapas me milkar is tyauhar ko manate hain.

Mahapurushon ka nirvan divas 

Dipawali ke din hi jainiyon ke tirthkar mahaveer Swami ne nirvan prapt kiya tha. Isi vajah se yah din jain bhayiyon ke liye bahut mahatvapurn hai. Swami Dayanand or Swami Ramtirth bhi isi din nirvah ko prapt huye the. Rishi Nirvanotsav ka din aarya samaji bhayiyon ke liye vishesh mahatva rakhta hai. Sikkha bhai bhi Dipawali ko bade samaroh ke sath manate hain. Is prakar yah din sharmik drashti se bada pavitra hota hai.

Lakshmi Pujan 

Yah parv shuru me mahalakshmi pooja ke name se manaya jata tha. Kartik amavasya ke din hi smudra manthan me Mahalakshmi ji ka janam huaa tha. Aaj bhi is din gharon me Mahalakshmi ji ki pooja ki jati hai.

Is din log apne yisht bandhuon or mitron ko badhayi dete hain or nutan varsh me sukh-samraddhi ki kamna karte hain. Balak-balikayen naye kapde pahankar mithayiyan bantte hain. Raat ke samay me aatishbaji chalate hain. Bahut se log raat ke samay Lakshmi pujan bhi karte hain. Kahin-kahin par Durga Saptmi ka paath kiya jata hai. Jo log tamsik vratti ke hote hain ve juaa khelkar buddhi nasht karte hain.

Swachhta ka pratik 

Dipawali jahan par antahkaran ke gyan ka pratik hai vahin par bahay swachhta ka bhi pratik hai. Gharon me macchar, khatmal, pissu aadi dheere-dheere apna ghar bana lete hain. Makdi ke jaale lag jate hain isliye Dipawali se kayi din pahle se hi gharon ki safayi, lipayi, putayi or safedi hone lag jati hai. Sare ghar ko chamkakar swachh kiya jata hai. Log apni paristhiti ke anukul gharon ko sajate hain.

Kisi acche uddeshya ko lekar bane tyauhar me bhi kalantar me vikar paida ho jate hain. Jis Lakshmi ki pooja log dhan-dhanya ki prapti hetu badi shraddha se karte the unki pooja bahut se log juaa khelne ke liye bhi karte hain. Juaa khelna ek pratha ban gayi hai jo samaj va pavan parvon ke liye ek kalank ke saman hai.

Iske alava adhunik yug me bamb patakhon se huye kayi dushparinam bhi dekhne ko milte hain. Aaj ke samay me pure Bharat me patakhon ka prayog bahut hi jor-shor se hota hai. Aesa mana jata hai ki Dipawali ke din Bharat ke pradushan ki matra 50% badh jati hai. Patakhon ka upyog karke ham thodi der ke maje ke liye apne paryavaran ko bahut had tak barbad kar dete hain.

Aatishbaji hamare shrir or pryavaran donon ke liye bahut hi hanikarak hoti hai. Dipawali me patakhon ka prayog karke ham Bhartiya keval Bharat ka hi nhin balki pure vishva ka pradushan badhate hain. Patakho ke kaaran aese bahut se hadse hote hain jinka shikar bachhe se lekar bade tak ho jate hain.

Patakhon ke dhuyen ki vajah se asthma or kayi prakar ki anya bimariyan ho jati hain. Patakhon ki vajah se sabhi tarah ka pradushan hota hai jaise – dhuyen ke kaaran vaayu pradushan, patakhon ki aavaj ke kaaran dhvani pradushan, jahrile padarth dharti par gir jane se bhoomi pradushan, patakhon ka jahrila padarth pani me mil jane ki vajah se jal pradushan aadi.

Dipawali hamara dharmik tyauhar hai. Dipawali ka parv sabhi parvon me ek vishisht sthan rakhta hai. Hamen apne parvon ki parmparaon ko har sthiti me surakshit rakhna chahiye. Parmparaon se hamen uske aarambh or uske uddeshya ko yaad karne me aasani hoti hai.

Parmparayen hamen us parv ke aadikal me pahuncha deti hain jahan par hamen apni aadikalin sanskrati ka gyan hota hai. Aaj ham apne tyauharon ko bhi aadhunik sabhyata ka rang dekar manate hain lekin hamen uske aadi svarup ko bigadna nhin chahiye. Ise hamesha yathochit riti se manana chahiye.

Juaa or sharab ka sevan bahut hi bura hota hai hamen sadaiv isse bachna chahiye. Aatishbaji par adhik vyay nhin karna chahiye. Ham sabhi ka kartavya hota hai ki ham apne parvon ki pavitrata ko banaye rakhen. Is din log vyakhyan dekar jan sadharan ko shubh marg par chala sakte hain.

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Essay on diwali in hindi दिवाली पर निबंध.

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hindiinhindi Essay on Diwali in Hindi

Essay on Diwali in Hindi 200 Words

भारत एक त्यौहारों का देश है। यहाँ पर कई त्यौहार मनाए जाते है उनमें से एक हैं दीवाली। दीवाली या दीपावली भारत का एक बड़ा त्यौहार है। दीपावली का मतलब ‘दीपक की पंक्ति है’। यह त्यौहार राम जी के चौदह वर्ष बाद बनवास से अध्योया वापिस लौट आने की खुशी में मनाया जाता है। इस दिन अध्योया के लोगों ने उनका स्वागत धी के दीपक जलाकर किया था। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

लोग इस त्यौहार को बहुत हर्ष और उल्लास के साथ मनाते है। लोग अपने घरों को दीपक से सजाते है और हर तरफ रोशनी फैलाते है। शाम के वक्त माता लक्ष्मी जी की और गणेश जी की पूजा की जाती है। पूजा के बाद बच्चे पटाखे जलाते है। यह त्यौहार रिश्तेदारों तथा दोस्तों को मिठाईयॉ बॉटकर, तोहफे देकर मनाया जाता है। यह त्यौहार हिन्दुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और वह बेसब्री से इस त्यौहार का इंतजार करते हैं। हमें बुराई पर अच्छाई की जीत जो इस त्यौहार का प्रतीक है, इससे कुछ सीख लेनी चाहिए और कोई भी गलत काम नहीं करना चाहिए।

Essay on Diwali in Hindi 250 Words

दीपावली यानी रोशनी, सजावट, पटाखे, मिठाई, और हाँ, स्कूल की लंबी छुट्टियाँ भी! अब ऐसे त्योहार का भला किसे इंतजार नहीं रहेगा! क्या बच्चे, क्या बड़े सभी दीपावली का बेसब्री से इंतजार करते हैं। दीपावली का अर्थ है – दीपों की पंक्ति। माना जाता है कि इस दिन अयोध्या के राजा श्री रामचंद्र चौदह बरस के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। लोगों ने अपने राजा के स्वागत में घी के दीपक जलाए थे। उस समय अमावस्या की अँधेरी रात दीयों की रोशनी से जगमगा उठी थी। तब से आज तक यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को उसी उमंग, उसी जोश के साथ मनाया जाता है।

दीपावली कई दिनों तक मनाया जाने वाला त्योहार है। दशहरे के बाद से ही इसकी तैयारियाँ शुरू होने लगती हैं। घरों और दुकानों की साफ-सफाई, और रँगाई-पुताई की जाती है। यहाँ तक कि गली-मोहल्लों में भी रंग-बिरंगी झालरों से सजावट की जाती है। लोग नए कपड़े खरीदते हैं। घरों में मिठाइयाँ और पकवान बनाए जाते हैं।

दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन घर में एक दीया जलाया जाता है और बर्तन खरीदे जाते हैं। इसके अगले दिन छोटी दीपावली मनाई जाती है। इस दिन भी खूब रोशनी की जाती है और बड़ी दीपावली की सारी तैयारियाँ पूरी कर ली जाती हैं।


अगले दिन यानी बड़ी दीपावली को सुबह से ही लोग अपने मित्रों और, रिश्तेदारों के घर मिठाइयाँ और पकवान लेकर शुभकामनाएँ देने जाने लगते हैं। शाम को माँ लक्ष्मी और गणेशजी की पूजा की जाती है। सभी घर, गलियाँ और बाजार दीयों, मोमबत्तियों और रंगीन बल्बों से जगमगा उठते हैं। भले ही देश के अलग-अलग राज्यों में इसे अलग-अलग तरह से मनाया जाता हो, पर यह हर जगह खुशियाँ लेकर आता है।

Essay on Diwali in Hindi 300 Words

भारत त्यौहारों का देश है और दिवाली भारत में हिन्दुओं द्वारा मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्योहार है। यह त्यौहार प्रतिवर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। दीपों का खास पर्व होने के कारण इसे दीपावली या दिवाली नाम दिया गया है। दीपावली का मतलब होता है, दीपों की अवली यानि पंक्ति। दिवाली दशहरा के 20 दिन बाद अक्टूबर या नवंबर महीने में मनाया जाता है। दशहरे के बाद से ही घरों में दिवाली की तयारियाँ शुरू हो जाती है। इस दिन ही अयोध्या के राजा श्री राम ने लंका के अत्याचारी राजा रावण का नाश कर और चौदह वर्ष का वनवास काटकर सीता, लक्ष्मण सहित अयोध्या वापस लौटकर आये थे। उनकी विजय और आगमन की खुशी में अयोध्यावासियों ने पूरे नगर को घी के दीयों से प्रकाशित कर दिया था। उस दिन से ही प्रत्येक वर्ष भारतवासी इस दिन दीप जलाकर अपना हार्दिक हर्षोउल्लास प्रकट करते हैं और एक दूसरे को मिठाईया खिलाकर अपनी प्रसन्ता जाहिर करते है।

दिवाली से कुछ दिन पहले से ही घर, दुकान और कार्यालय की साफ़ – सफाई की जाती है क्यूंकि ऐसा माना जाता है कि दिवाली के दिन अपने घर, दुकान, और कार्यालय आदि में सफाई रखने से उस स्थान पर लक्ष्मी माता का प्रवेश होता है। इस दिन सभी लोग खास तौर से बच्चे उपहार, मिठाईयां, पटाखे और नये कपड़े बाजार से खरीदते हैं। दिवाली के दिन घर, दुकान, कार्यालय में लक्ष्मी और गणेश पूजा की जाती है। पूजा संपन्न होने के बाद सभी एक दूसरे को प्रसाद और उपहार बाँटते हैं तथा साथ ही ईश्वर से अपने जीवन और दूसरों की खुशियों की कामना करते हैं। शाम के समय सभी अपने घर में पूजा करने के बाद घरों को दीयों से सजाते हैं और अंत में पटाखों और विभिन्न खेलों से सभी दिवाली की मस्ती में डूब जाते है।

दिवाली सभी के लिये एक महत्वपूर्ण उत्सव है क्योंकि यह लोगों के लिये खुशी और आशीर्वाद लेकर आता है। इसी दिन लोग बुरी आदतों को छोड़कर अच्छी आदतों को अपनाते हैं। इस दिवाली के साथ ही बुराई पर अच्छाई की जीत के साथ ही नए सत्र की शुरुआत भी होती है। सभी भारतीयों के लिए दिवाली एक प्रिय त्यौहार है।

Essay on Diwali in Hindi 350 Words

भारत त्योहारों की भूमि के रूप में जाने वाला महान देश है। यहाँ प्रसिद्ध और सबसे ज्यादा मनाया जाने वाले त्योहारों में से एक दीवाली या दीपावली है। दीवाली हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो देश भर में और साथ ही देश के बाहर हर साल मनाया जा रहा है। यह रोशनी का त्योहार है, जो कि लक्ष्मी के घर आने और बुराई से सच्चाई की जीत का प्रतीक है। यह तब मनाया जाता है, जब 14 वर्ष के वनवास के बाद भगवान राम, सीता और लक्ष्मण अयोध्या लौटे थे और अयोध्या के लोगों ने उनका तेल का दीपक जलाकर स्वागत किया था। यही कारण है कि इसे ‘प्रकाश का महोत्सव’ कहा जाता है। इस दिन भगवान राम ने लंका के राक्षस राजा, रावण को मार डाला ताकि पृथ्वी को बुरी गतिविधियों से बचाया जा सके। यह हिन्दू कैलेंडर द्वारा हर साल कार्तिक के महीने की अमावस्या पर मनाया जाता हैं। दीवाली के दिन हर कोई खुश होता है और एक दसरे को बधाई देता है। लक्ष्मी का स्वागत करने के लिए लोग अपने घरों कार्यालयों और दुकानों को साफ करते हैं और सफेदी भी करवाते है, वे अपने घरों को सजाते हैं, और दीपक जलाकर माता लक्ष्मी का स्वागत करते है।

दिवाली के त्योहार में पांच दिन का जश्न है जिसे आनंद और प्रसन्नता के साथ मनाया जाता है। दिवाली का पहला दिन धनतेरस के रूप में जाना जाता है, दूसरे दिन नारका चतुर्दशी या छोटी दिवाली है, तीसरी दिन मुख्य दीवाली या लक्ष्मी पूजा है,चौथे दिन गोवर्धन पूजा है और पांचवे दिन भैया दौज है। दिवाली समारोह के पांच दिनों में से प्रत्येक का अपना धार्मिक और सांस्कृतिक विश्वास है। दिवाली त्योहार पूरे देश का त्योहार है। यह हमारे देश के प्रत्येक नुक्कड़ और कोने में मनाया जाता है। इस प्रकार यह त्यौहार भी लोगों के बीच एकता की भावना पैदा करता है। यह एकता का प्रतीक बन गया है। भारत इस त्यौहार को हजारों सालों से मना रहा है और आज भी इसे जश्न और उल्लास के साथ मनाया जाता है, जो ऐतिहासिक और धार्मिक दोनों है।

Essay on Diwali in Hindi 400 Words

दीपावली बच्चो का सबसे मन-पसंदिदा त्यौहार है। यह उन्हें पटाके चलने के साथ साथ जश्न मानाने का भी मौका देता है। दीपावली के साथ जुडी बहुत कहानिया है। दीपावली का त्यौहार भगवान राम व पत्नी सीता और उनके भाई लक्ष्मण का 14 वर्षो के बनवास काटने के बाद उनकी वापसी के सम्मान के रूप में मानते हैं। ऐसा कहा जाता है की प्रभु श्री राम ने लंका-पति रावण को मर जब अयोध्या में वापिसी की थी, इसी ख़ुशी में प्रभु के स्वागत के लिए दीपवाली मनाई जाती है। विष्णु के “वामन” अवतार द्वारा महाबली चाकुरवर्ती की हार भी इसी दिन हुई थी।

दीवाली से एक दिन पहले नरक चतुदर्शी का त्यौहार होता है जिसे लोग अगले दिन दीप और पटाखों के साथ इस अवसर को मनाते है। दिवाली का अर्थ ही दीपों की पंक्तियां है। दिवाली सिर्फ हिंदुओं का ही नहीं बल्कि जैन और सिख लोग भी इसे अपने-अपने कारन इस त्यौहार को मनाते हैं। जैन:ओ के आखिरी देवता वर्धमान महावीर का निर्माण भी इसी दिन हुआ था। इस दिन पर लोग धन की देवी माँ लक्ष्मी देवी जी की पूजा करते हैं। माना जाता है कि इसे जिन माता लक्ष्मी अपने भक्तों को दर्शन देती हैं। दरअसल दिवाली का दूसरा नाम ही लक्ष्मी पूजा है। मारवाड़ी लोक भी इसी दिन माँ लक्ष्मी पूजा को बहुत महत्व देते हैं, यहां तक कि उनका नया साल की दिवाली के साथ ही शुरू होता है।

दिवाली के दिन सभी सुबह जल्दी उठकर स्नान करके, नए कपड़े पहनते हैं, स्वादिष्ट मिठाई के साथ अपना दिन बताते हैं। घर में छोटे-बड़े श्रद्धा के साथ लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं। सूर्यास्त में दीपक जलाते हैं और पटाखे भी फोड़ते हैं। अमृत की अंधेरी रात में दीपावली पर जलाया दीपक चमक उठता है। दिवाली पर आतिशबाजी सर्दियों की ठंडक कम कर देती है। दिवाली की रात जैसे ही गाढ़ी हो जाती है और पटाखों का शोर कम हो जाता है, अगले वर्ष तक रहने वाली खुशियां लिपटकर बच्चे अपने बिस्तर पर सो जाते हैं।

Essay on Diwali in Hindi 450 Words

दिवाली हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध त्यौहार है। दीपावली को दीपों का त्यौहार भी कहा जाता है। इस दिन लोग अपने घरों पर मोमबत्तियों और दीपकों की कतार लगा देते है। यह त्यौहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पूरे भारत में बड़ी धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार विशेष रूप से पांच दिन तक होता है। पहले दिन धनतेरस के रूप में जाना जाता है, जिसे देवी लक्ष्मी की पूजा करके मनाया जाता है। दूसरे दिन नरका चतुर्दशी या छोटी दिवाली के रूप में जाना जाता है, जिसे भगवान कृष्ण की पूजा करके मनाया जाता है। तीसरे दिन मुख्य दिवाली दिवस के रूप में जाना जाता है जिसे देवी लक्ष्मी की पूजा करके मनाया जाता है।

चौथे दिन भगवान कृष्ण की पूजा करके गोवर्धन पूजा के रूप में जाना जाता है। लोग अपने दरवाजे पर पूजा करके गोबर के गोवर्धन बनाते हैं। पांचवें दिन यम द्वितिया या भाई दौज के रूप में जाना जाता है। जिसे भाइयों और बहनों द्वारा मनाया जाता है। दिवाली पर दीपों, मोमबत्तियों और बिजली के बल्बों से इतनी रौशनी की जाती है की अमावस्या की रात पूर्णिमा की रात जैसे जगमगाती है। कहा जाता है की इस दिन श्रीराम 14 साल बनवास काटकर तथा रावण का वध कर, सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे। इसके आने की खुशी में अयोध्या के लोगों ने दिये जलाये थे। साथ ही हर घर मिठाईयां बाँटी थी। इसीलिए दिवाली को बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक भी माना जाता है।

ऐसा माना जाता है कि इस दिन अपने घर, दुकान, और कार्यालय आदि में साफ-सफाई रखने से उस स्थान पर लक्ष्मी का प्रवेश होता है। दिवाली के दिन घरों को दीयो से सजाना और पटाखे फोडने का भी रिवाज है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन नई चीजों को खरीदने से घर में लक्ष्मी माता आती है। इस दिन सभी लोग खास तौर से बच्चे उपहार, पटाखे, मिठाइयां और नये कपडे बाजार से खरीदते है। शाम के समय, सभी अपने घर में लक्ष्मी आराधना करने के बाद घरों को रोशनी से सजाते है। पूजा संपन्न होने पर सभी एक दूसरे को प्रसाद और उपहार बाँटते है, साथ ही ईश्वर से जीवन में खुशियों की कामना करते है।

अंत में पटाखों और विभिन्न खेलों से सभी दीवाली की मस्ती में डूबा जाते है। दीपावली का त्योहार सभी के जीवन को खुशी प्रदान करता है। नया जीवन जीने का उत्साह प्रदान करता है। अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाईचारे व प्रेम का संदेश फैलाता है। दीप जलते रहें मन से मन मिलते रहें, गिले शिकवे सारे मन से निकलते रहें, सारे विश्व मे सुख-शांति की प्रभात ले आये, ये दीपो का त्योहार खुशी की सौगात ले आये…

Essay on Diwali in Hindi 500 Words

जन-जन ने हैं दीप जलाए, लाखों और हज़ारों ही । धरती पर आकाश आ गया, सेना लिए सितारों की ।

भूमिका – ‘दीपावली’ का अर्थ होता है – ‘दीपों की आवली या पंकित’ यह त्यौहार कार्तिक मास की अमावस को मनाया जाता है । यह सब धर्मो का सबसे बड़ा त्यौहार है । इस दिन लोग अमावस की काली रात को असंख्य दीपक जलाकर पूर्णिमा में बदल देते हैं ।

इतिहास : इस त्योहार को मनाने के कारणों में सबसे प्रमुख कारण है इस दिन भगवान श्री राम लंका के राजा रावण को मारकर तथा वनवास के चौदह वर्ष पूरे कर सीता और लक्ष्मण सहित अयोध्या लोटे थे । उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीये जलाये थे ।

जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर स्वामी तथा आर्यसमाज के संस्थापक स्वामी दयानंद और अट्ठेत वेदान्त के संस्थापक स्वामी रामतीर्थ को इसी दिन निर्वाण प्राप्त हुआ था । सिक्ख भाई भी दीवाली को बड़े धूमधाम से मनाते है क्योंकि छठे गुरु हरगोबिंद सिंह जी 52 राजाओं को ग्वालियर की जेल से मुक्त करवाकर लाए थे । इन सबकी पवित्र याद में सब धर्मो के द्वारा यह दिन बड़े सम्मान से मनाया जाता है । दीपावली से दो दिन पूर्व ” धनतेरस’ मनाई जाती है । इस दिन लोग नए बर्तन खरीदना शुभ मानते हैं । अगले दिन चौदस के घरों का कूड़ा-कर्कट बाहर निकाला जाता है और छोटी दीवाली मनाई जाती है क्योंकि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था ।

मनाते की तैयारी : दीपावली है कुछ दिन पहले ही लोग घरों की लिपाई-पुताई करवा कर उन्हें चमकाना शुरू कर देते हैं घर, बाजार सजाना शुरू कर देते हैं । मिठाइयाँ, पटाखे और सजावट की वस्तुओं से बाजार भर जाते हैं ।

” होली लाईं पूरी, दीवाली लाई भात । “

मनाने का ढंग : अमावस्या के दिन दीवाली मनाई जाती है । घरों में रोशनी की जाती है । रात को लश्मी-पूजा की जाती है । सगे-संबंधियों और मित्रों को मिठाइयाँ तथा उपहार भेजे जाते है । बच्चे बम तथा पटाखे चलाते हैं । व्यापारी लोग लक्षमी-पूता के बद नये बही-खाते शुरू करते हैं । अमृतसर की दीवाली की शोभा अनोखी होती है ।

दिवाली पूरे वातावरण में उमंग, उल्लास, उत्साह और नवीनता का संचार करती है ।

संदेश : यह त्यौहार हमे अंधेरे पर प्रकाश की विजय और बुराई पर अच्छाई की जीत की प्रेरणा देता है । कहीं-कहीं पटाखों को लापरवाही से चलाते समय बच्चों के हाथ-पाँव जल जाते है । ‘ अहिंसा परमो धर्म: ‘ का पालन करते हुए अधिकार जैन लोग पटाखे नहीं चलाते ताकि जीव हत्या न हो । ऐसा करने से धन की हानि पर भी अंकुश लगता है ।

उपसंहार : जिन महापुरषों की याद में यह दीपावली पर्व मनाया जाता है, हमें उनके आदर्शो पर चलना चाहिए। यह त्योहार सबके मनों में ज्ञान का उजाला भरे इसी शुभेच्छा के साथ हमें इसे मनाना चाहिए।

Essay on Diwali in Hindi 700 Words

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने एक स्थान पर लिखा है: “दीपावली प्रकाश का पर्व है। इस दिन जिस लक्ष्मी की पूजा होती है, वह गरुड़वाहिनी है; शक्ति, सेवा और गतिशीलता उसके मुख्य गुण हैं। प्रकाश और अंधकार का नियत विरोध है। अमावस्या की रात को प्रयत्नपूर्वक लाख-लाख प्रदीपों को जलाकर हम लक्ष्मी के उलुकवाहिनी रूप की नहीं, गरुड़वाहिनी रूप की उपासना करते हैं। हम अंधकार का समाज से बटकर रहने की स्वार्थपरता का प्रयत्नपूर्वक प्रत्याख्यान करते हैं और प्रकाश का, समाजिकता का और सेवावृत्ति का आह्वान करते हैं। हमें भूलना नहीं चाहिए कि यह उपासना ज्ञान द्वारा चालित और क्रिया द्वारा अनुगमित होकर ही सार्थक होती है।

”सर्वध्या दया महालक्ष्मी स्त्रिगुणा परमेश्वरी।

लक्ष्यातिलक्ष्य स्वरूपा सा व्याप्य कुत्स्नं व्यवस्थिता ।।”

अर्थात् दीपावली प्रकाश का त्योहार है। यह घने अंधकार को दूर भगाने वाले उज्ज्वल प्रकाश का त्योहार। यह मानव-मन की साम्यवादिता और पवित्रता का त्योहार है। हमारा मन परस्पर अंधी और जाग्रत दोनों ही प्रकार की वृत्तियों से युक्त होता है और ये ही दोनों हमारे सम्पूर्ण जीवन को प्रभावित करती हैं। जिस व्यक्ति में अंधी वृत्तियों का दबाव ज्यादा होता है, वह व्यक्ति अपने जीवन में जिस-जिस प्रकार के कार्यों को संपन्न करता है उन्हें प्रायः असामाजिक और कुकृत्य कहकर संज्ञानित किया जाता है। किन्तु जिस व्यक्ति में जाग्रत वृत्तियों का बाहुल्य होता है वह व्यक्ति अपने सम्पूर्ण जीवन में जितनी भी कार्यों को संपन्न करता है उन्हें सम्पूर्ण समाज पूरी हार्दिकता के साथ न केवल सम्मानीय स्थान प्रदान करता है, अपितु उन्हें सम्पूर्ण समाज का अनुकरणीय प्रतिमान के रूप में भी स्थापित करता है। दीपावली एक ऐसा ही त्योहार है जो मानव-मन की सात्विक वृत्तियों को प्रेरित, पोषित और पल्लवित करता है। वह हममें अनेकानेक ऐसे जीवन-संकल्पों को जाग्रत कराती है जो न केवल हमारे व्यक्तिगत, मनुष्योचित-विकास के प्रधान कारक होते हैं बल्कि सम्पूर्ण समाज के समुचित उन्नयन के कारक भी होते हैं।

दीपावली भारत का एक अति प्राचीन त्योहार है। कहा जाता है कि ये त्योहार महात्मा बुद्ध के समय में और गुप्तकाल में भी इसी भांति मनाया जाता था, जिस प्रकार इसे आज मनाया जाता है। दीपावली का ऐतिहासिक, पौराणिक और सांस्कृतिक महत्व भारतीयों के लिए बहुत अधिक है। उनकी आन्तरिक भावनाएं और आस्थाएं इस पर्व से पूर्णत: मिली और घुली हुई हैं।

दीपावली का पर्व जिस गहरे उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है उससे हम सभी लोग परिचित हैं। इस अवसर पर प्रत्येक भांति की स्वच्छता का पूरा ध्यान रखा जाता है। घरों की सफाई आदि व्यापक स्तर पर हम लोगों ने इस अवसर पर ही होती हुई देखी हैं। हम सभी लोग साफ-सुथरे वस्त्र और अन्य भांति के अनेक प्रसाधन धारण करते हैं। इस अवसर पर नाना भांति के खाद्य पदार्थ और व्यंजन तैयार किए जाते हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इस दिन शाम को हर घर में लक्ष्मी जी की पूजा होती है ताकि प्रत्येक प्रकार की अभावग्रस्तता से हम मुक्त हो सके।

किन्तु इस व्यापक पर्व का जो सामाजिक-महत्व है उसे अत्यंत उच्चतर श्रेणी का कहा जा सकता है। द्विवेदी जी ने इसे रेखांकित करते हुए लिखा है: “आज से हजारों वर्ष पहले मनुष्य ने निश्चय किया था कि वह दरिद्रता की अवस्था में नहीं रहेगा, वह सामाजिक रूप में समृद्ध रहेगा। एक व्यक्ति नहीं, एक परिवार नहीं, एक जाति भी नहीं, बल्कि समूचा मानव समाज समृद्धि चाहता है, अदारिद्र्य चाहता है, अभावों का अन्त चाहता है, उल्लास और उमंग चाहता है दीपावली का उत्सव उसी सामाजिक मंगलेच्छा का दृश्यमान मूर्तरूप है।” अर्थात यह त्योहार एक सामान्य प्रकार का उत्सव न होकर एक अति विशिष्ट उद्देश्य और लक्ष्य से प्रेरित उत्सव है। यह पर्व समूची मानव-जाति की शुभेच्छा चाहने वाला और उस शुभेच्छा को प्राप्त करने हेतु गतिशीलता प्रदान करने वाला पर्व है।

अन्त में कहा जा सकता है कि दीपावली मात्र मनोरंजन आदि का पर्व नहीं अपितु, वह समस्त मानव सभ्यता के मूल में गतिशील रही उस जिजीविषा का पर्व है जो उसे निरन्तर मंगल की ओर, प्रकाश की ओर, हार्दिकता और मनुष्यता की ओर गतिशील बने रहने का संदेश देता है।

Essay on Diwali in Hindi 1000 Words

रूपरेखा : दीपावली का महत्त्व, दीपावली की तैयारी, दीपावली मनाने के विविध कारण, सजे-धजे बाज़ार, मनाने की विधि, लक्ष्मी पूजन का महत्त्व, गोवर्धन और भैयादूज, कतिपय कुरीतियों का समावेश और उनका निवारण, दीपावली का संदेश, उपसंहार।

दीपावली दीपों का त्योहार है। प्रकाश का त्योहार है। सुख-समृधि का त्योहार है। हर्ष-विनोद का त्योहार है। प्यार-प्रीति और उल्लास का त्योहार है। मनुष्य ने ईश्वर से सदैव अँधेरे से उजाले की ओर ले जाने की प्रार्थना की है -“तमसो मा ज्योतिर्गमय – हे प्रभु! हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो।” यह अंधकार अज्ञान का है, अभाव का है, दीन-हीनता और गरीबी का है, आपसी वैरभाव और मनमुटाव का है। दीपावली के दिन दीप जलाकर हम जैसे संपूर्ण मानवजाति को इन सबसे मुक्त करने की कामना करते हैं, ज्ञान का प्रकाश फैलाने का संकल्प लेते हैं और गा उठते हैं – जगमग जगमग दीप जल उठे, चमक उठी है रजनी काली।

सारे भारत में शरद ऋतु में दीपावली का त्योहार किसी-न-किसी रूप में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। कई सप्ताह पहले से ही इस त्योहार की तैयारी आरंभ हो जाती है। सभी लोग अपने घरों की सफ़ाई करते हैं। वर्षाकाल में मकानों के अंदर और बाहर जो गंदगी इकट्ठी हो जाती है, उसे निकाल दिया जाता है। मकानों की रँगाई और पुताई की जाती है, सड़कों और गलियों की विशेष सफ़ाई कराई जाती है। दुकानदार अपनी दुकानों की सफ़ाई कराकर उन्हें आकर्षक ढंग से सजाते हैं। त्योहार के समय सभी ग्राम तथा नगर बड़े ही साफ़-सुथरे दिखाई देते हैं। इसलिए हम दीपावाली को स्वच्छता का त्योहार भी कह सकते हैं।

दीपावली हमारे देश का बहुत प्राचीन त्योहार है। कहा जाता है कि दीपावली के दिन श्री रामचंद्र जी चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे। इसलिए अयोध्यावासियों का हृदय उल्लास से भरा हुआ था। विजयी राम के स्वागत में अयोध्या नगर के निवासियों ने नगर की दीपमालाओं से सजाया था। तभी से दीपावली का त्योहार प्रतिवर्ष मनाया जाने लगा।

यह सुख-समृद्धि का त्योहार है। कृषि प्रधान देश में खरीफ़ की फ़सल इस समय तक कटकर घर में आ जाती है। घर अन्न से भर जाते हैं और लोग हर्षपूर्वक दीपावली मनाकर समृधि की देवी लक्ष्मी का पूजन करते हैं।

दीपावली का त्योहार वास्तव में प्रकाश और आनंद का पर्व है। इस अवसर पर घरों में तरह-तरह की मिठाइयाँ और पकवान बनते हैं। बाज़ार से खील, बतासे, मिठाइयाँ, खिलौने, लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियाँ आदि खरीदकर लाई जाती हैं। बच्चे पटाखे और विभिन्न प्रकार की आतिशबाज़ी खरीदते हैं। शहर की सड़कों पर और गली में आतिशबाज़ी की दुकानें पहले से लगी रहती हैं।

दीपावली का पर्व लगातार पाँच दिनों तक मनाया जाता है – धनतेरस से लेकर भैयादूज तक। दीपावली के दो दिन पूर्व धनतेरस होती है। यह भी दीपावली का ही अंग है। धनतेरस के दिन बाज़ार सजाए जाते हैं और वे दीपावली तक सजे रहते हैं। बरतनों की दुकानों की शोभा तो देखते ही बनती है। इस दिन प्रायः सभी हिंदू परिवारों में कोई छोटा या बड़ा बरतन अवश्य खरीदा जाता है। धनतेरस के अगले दिन छोटी दीपावली होती है। छोटी दीपावली पर भी लोग कुछ दीपक जलाकर अपना उल्लास प्रकट करते हैं।

दीपावली के दिन सायंकाल में लक्ष्मी और गणेश की पूजा की जाती है। दुकानदार अपनीअपनी दुकानों पर भी लक्ष्मी-गणेश का पूजन करते हैं। इस पूजन के बाद जगमगाते दीपकों से मकानों और दुकानों की सजावट की जाती है। चारों ओर बच्चे पटाखे छोड़ते हुए घूमते हैं। शहरों में बिजली की रोशनी से भी सजावट होती है। उस समय का दृश्य बड़ा ही मनोहारी होता है। अमावस्या के गहन अंधकार के बीच छोटे-छोटे दीपों की मालाएँ बहुत आकर्षक लगती हैं। जब बच्चे जी भरकर आतिशबाज़ी छोड़ लेते हैं और पटाखों का संग्रह समाप्त हो जाता है, तब वे घर जाकर प्रसाद, खील-बतासे और मिठाइयाँ खाते हैं। लोग अपने पड़ोसियों और संबंधियों के यहाँ उपहार के रूप में खील-बतासे, मिठाई-पकवान आदि भेजते हैं। देर रात तक चहल-पहल रहती है और पटाखों की आवाज़ गूंजती रहती है।

दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की धूमधाम रहती है। इस दिन लोग अपनी पशु-संपदा की पूजा करते हैं। अनेक स्थानों पर गाय-बैलों को रंगों से अलंकृत भी किया जाता है। तीसरे दिन भैयादूज (भ्रातृ द्वितीया) का पर्व मनाया जाता है। भैयादूज के दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक करती हैं। उन्हें मिठाई खिलाती हैं और उनके मंगलमय भविष्य की कामना करती हैं।

खेद की बात है कि इस पवित्र पर्व के साथ कुछ बुराइयाँ भी जुड़ गई हैं। आजकल खतरनाक ढंग से आतिशबाज़ी छोड़ने का रिवाज़ बहुत बढ़ गया है। इसके कारण प्रायः आग लग जाने की दुर्घटनाएँ हो जाती हैं। कभी-कभी बच्चे अपने हाथ-पैर आदि जला बैठते हैं। आतिशबाज़ी से प्रदूषण भी बहुत फैलता है। यदि बच्चे आतिशबाज़ी का प्रयोग करें भी तो हलकी-फुलकी आतिशबाज़ी का प्रयोग करें और बड़ों के निर्देशन में ही करें। यह प्रसन्नता की बात है कि अब धीरे-धीरे लोगों में आतिशबाज़ी के भयंकर परिणामों के प्रति चेतना जगने लगी है।

इस पर्व पर लोग जुआ भी खेलते हैं, जिसके कारण अनेक परिवार नष्ट हो जाते हैं। यह कुरीति दीपावली के अवसर पर जैसे भी आई हो, उचित नहीं है। शायद उल्लास के इस पर्व को मनाने की उमंग में यह दुष्प्रवृत्ति बढ़ती गई। इस कुरीति को बिलकुल ही समाप्त कर देने का संकल्प लेना चाहिए। अच्छा यह होगा कि दीपावली को हम प्रकाश का ही पर्व बना रहने दें। उसे अँधरे की ओर न ठेलें। धरती पर फैले सभी प्रकार के अँधेरे को मिटाने का संकल्प लें। इस कवि की गुहार भी सुनें – जलाओ दिये पर रहे ध्यान इतना, अँधेरा धरा पर कहीं रह न पाए।

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diwali essay 300 words in hindi

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दिवाली पर निबंध – 10 lines long and short Essay on Diwali 2024 in Hindi (150, 200, 250 , 400, 500 शब्दों में)

diwali essay 300 words in hindi

दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) – दिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहर है। जिसे बहुत उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाता है। बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक है। छात्रों को इस त्योहार और इसकी खूबियों से परिचित कराने के लिए छोटी कक्षाओं से   दिवाली निबंध पर प्रश्न हिंदी भाषा में  पूछा जाता है। इस से उन युवा शिक्षार्थियों को फायदा मिलेगा जो  दिवाली पर निबंध लिखना चाहते हैं।

बच्चों के पास एक निबंध लिखने के लिए बहुत अच्छा समय होता है क्योंकि उन्हें त्योहार के बारे में अपने आनंदमय अनुभव साझा करने का अवसर मिलता है। युवा आमतौर पर इस त्योहार को पसंद करते हैं क्योंकि यह सभी के लिए ढेर सारी खुशियाँ और आनंदमय क्षण लेकर आता है।

वे अपने परिवार , दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलते हैं और अपने प्रियजनों के साथ बधाई और उपहार साझा करते हैं। दिवाली त्योहार पर हिन्दी में एक निबंध बच्चों को अपने विचार व्यक्त करने और शुभ त्योहार के सार के बारे में अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में मदद करता है।

2024 में दिवाली कब है?

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, दिवाली हर साल कार्तिक महीने के 15वें दिन अमावस्या को मनाई जाती है। दीपावली पूजा में, इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है।

इस साल दिवाली 31 अक्टूबर को पूरे देश में मनाई जाएगी। लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – अपडेट किया जाएगा

अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 03:55 बजे से शुरू हो रही है।

अमावस्या तिथि 1 नवंबर, 2024 को शाम 06:15 बजे समाप्त होगी।

दीपावली पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Essay on Diwali 10 Lines in Hindi)

  • दिवाली या दीपावली एक भारतीय धार्मिक त्योहार है
  • यह बुराई पर अच्छाई की जीत है
  • दुनिया भर में लोग अलग-अलग कारणों और अवसरों के लिए दिवाली मनाते हैं
  • दीया, मोमबत्तियां जलाना और पटाखे फोड़ना दिवाली समारोह का एक हिस्सा है
  • दिवाली या दीपावली न केवल हिंदू समुदाय में बल्कि अन्य धर्मों के लोगों द्वारा भी मनाई जाती है
  • दिवाली आमतौर पर पांच दिवसीय त्योहार है और इस समय के दौरान भारत में हर साल सोने और नए कपड़ों की बिक्री आसमान छूती है।
  • हिंदू पंचांग के अनुसार दिवाली कार्तिक मास के 15वें दिन मनाई जाती है
  • अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर के महीने में मनाया जाता है
  • आमतौर पर स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी कार्यालयों में दीपावली उत्सव के एक भाग के रूप में 3 से 4 दिनों की छुट्टियों की घोषणा की जाती है
  • देश भर के परिवार और दोस्त इस अवसर पर एक साथ आते हैं और दिवाली मानते है ।
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दीपावली पर निबंध 150 शब्द (Short Essay on Diwali in Hindi)

Essay on Diwali in Hindi – रोशनी का त्योहार दिवाली काफी समय से चल रहा है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम इस दिन राक्षस राजा रावण का वध करके अयोध्या लौटे थे। अपने राजा के आगमन पर, अयोध्या के निवासियों ने इस अवसर को मनाने के लिए सड़कों और घरों को तेल के दीयों से रोशन किया। तब से, हिंदू इस त्योहार को धूमधाम से मनाकर परंपरा का पालन कर रहे हैं। यह बच्चों के लिए पसंदीदा त्योहार है क्योंकि उन्हें अपनी पसंदीदा मिठाई खाने और नए कपड़े पहनने को मिलता है।

यह त्योहार हमें सिखाता है कि अच्छाई की हमेशा बुराई पर जीत होती है और हमें प्रकाश से अंधकार को मिटाना चाहिए। हर भारतीय घर में दिवाली के दौरान उत्सव का माहौल देखा जा सकता है। हर कोई घरों की सफाई करने, मिठाइयां बनाने या दीया जलाने में लगा हुआ है।

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दीपावली पर निबंध 200 शब्द (Essay on Diwali 200 words in Hindi)

Essay on Diwali in Hindi – भारत त्योहारों और मेलों का देश है। दिवाली या दीपावली भारत के सबसे महत्वपूर्ण और रंगीन त्योहारों में से एक है। इसे रोशनी का त्योहार कहा जाता है। दीवाली 14 साल के वनवास में रहने के बाद भगवान राम, सीता और लक्ष्मण की अयोध्या वापसी आने का जश्न मनाती है। अयोध्या के लोग बड़ी संख्या में उनका स्वागत करने के लिए खुशी से झूम उठे। यह पर्व भगवान राम के समय से ही मनाया जाता रहा है। लोग अपने घरों, दुकानों और अन्य इमारतों की सफेदी और पेंटिंग करके महान त्योहार की तैयारी करते हैं।

दिवाली के दिन घरों, दुकानों और अन्य इमारतों को मोमबत्ती, दीयों और छोटे बल्बों से सजाया जाता है। हम चारों तरफ रोशनी देख सकते हैं। दिवाली के दिन, लोग अच्छे कपड़े पहनते हैं, वे खुश दिखते हैं और उत्सव के मूड में होते हैं। और वे अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ बधाई का आदान-प्रदान करते हैं। वे मिठाइयों का आदान-प्रदान भी करते हैं।

दीपावली की रात को, धन की देवी भगवान गणेश और लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पटाखों और फुलझड़ियों से खेल रहे लोग। धन, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना। यह त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाता है। सभी लोग, चाहे वे किसी भी जाति या रचना के हों, उत्सव में शामिल होते हैं।

दीपावली पर निबंध 250 – 300 शब्द (Essay on Diwali 250 – 300 words in Hindi)

दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali ) – त्यौहार मानव जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू हैं। वे भाईचारे, को साझा करने और मनुष्यों की सामाजिक प्रकृति का जश्न मनाते हैं। ऐसा ही एक त्योहार है दिवाली। यह हिंदुओं द्वारा राक्षस राजा रावण के साथ एक भयंकर और खूनी लड़ाई के बाद अयोध्या के राजा राम के आगमन की खुशी मे मनाया जाता है। यह अंधेरे के खिलाफ प्रकाश की जीत के मूल विषय का जश्न मनाता है। हमारे मानव मन सामाजिक और व्यवहारिक पैटर्न के लोकाचार से सुसज्जित हैं जो हमारे आसपास के लोगों के साथ जटिल संबंध बनाते हैं।

त्यौहार अपने पड़ोसियों को जानने और उनके साथ जश्न मनाने का सही तरीका है। दिवाली हमें हर किसी के प्रति दयालु होना सिखाती है और अच्छे परिणाम आने की प्रतीक्षा करने के लिए धैर्यवान दिल और दिमाग रखती है। हमारे विश्वास हमारे मन को आकार देते हैं; इसलिए हमें कभी भी त्योहारों में विश्वास नहीं खोना चाहिए। दिवाली लंबे समय से पटाखे फोड़ने से जुड़ी हुई है, लेकिन क्या यह जरूरी है? बिलकूल नही! दिवाली अभी भी आश्चर्यजनक रूप से मनाई जा सकती है यदि हम सभी घर पर रहें और अपने दोस्तों और परिवार के साथ हार्दिक डिनर का आनंद लें। पटाखों को जलाने से वातावरण में हानिकारक गैसें निकलती हैं जो अंततः वायु प्रदूषण का कारण बनती हैं।

पटाखों से हमारे आसपास रहने वाले जानवरों को नुकसान होता है। हमें दूसरों की सुरक्षा से समझौता किए बिना जिम्मेदारी से त्योहार मनाना चाहिए। दिवाली के दौरान, घर ताजा पके हुए भोजन से उठने वाली स्वादिष्ट सुगंध की महक से भर जाते हैं। त्योहार के दौरान स्वादिष्ट व्यंजनों को पकाया और खाया जाता है। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि त्योहार हमारे बीच भाईचारे की महत्वपूर्ण भावना को बढ़ावा देने के लिए बनाए गए हैं न कि उत्सव के नाम पर हमारे परिवेश को नष्ट करने के लिए।

दिवाली पर निबंध 400 – 500 शब्द (Long Essay on Diwali in Hindi)

दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali ) – सबसे पहले यह समझ लें कि भारत त्योहारों का देश है। दिवाली निश्चित रूप से भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। यह शायद दुनिया का सबसे चमकीला त्योहार है। विभिन्न धर्मों के लोग Diwali मनाते हैं। सबसे उल्लेखनीय, त्योहार अंधेरे पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है। इसका अर्थ बुराई पर अच्छाई की जीत और अज्ञान पर ज्ञान की जीत भी है। इसे रोशनी के त्योहार के रूप में जाना जाता है। नतीजतन, दिवाली के दौरान पूरे देश में चमकदार रोशनी होती है। दिवाली पर इस निबंध में, हम दिवाली के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व को देखेंगे।

दीपावली का धार्मिक महत्व

इस त्योहार के धार्मिक महत्व में अंतर है। यह भारत में एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में भिन्न होता है। दिवाली के साथ कई देवी-देवताओं, संस्कृतियों और परंपराओं का जुड़ाव है। इन भिन्नताओं का कारण संभवतः स्थानीय फसल उत्सव हैं। इसलिए, इन फसल त्योहारों का एक अखिल हिंदू त्योहार में एक संलयन था।

रामायण के अनुसार दिवाली राम की वापसी का दिन है। इस दिन भगवान राम अपनी पत्नी सीता के साथ अयोध्या लौटे थे। यह वापसी राम द्वारा राक्षस राजा रावण को हराने के बाद की गई थी। इसके अलावा, राम के भाई लक्ष्मण और हनुमान भी विजयी होकर अयोध्या वापस आए।

दिवाली के कारण एक और लोकप्रिय परंपरा है। यहां भगवान विष्णु ने कृष्ण के अवतार के रूप में नरकासुर का वध किया था। नरकासुर निश्चित रूप से एक राक्षस था। सबसे बढ़कर, इस जीत ने 16000 बंदी लड़कियों को रिहा कर दिया।

इसके अलावा, यह जीत बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाती है। यह भगवान कृष्ण के अच्छे होने और नरकासुर के दुष्ट होने के कारण है।

देवी लक्ष्मी के लिए दिवाली का संबंध कई हिंदुओं की मान्यता है। लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं। वह धन और समृद्धि की देवी भी होती है।

एक पौराणिक कथा के अनुसार दिवाली लक्ष्मी विवाह की रात है। इस रात उसने विष्णु को चुना और शादी की। पूर्वी भारत के हिंदू दिवाली को देवी दुर्गा या काली से जोड़ते हैं। कुछ हिंदू दिवाली को नए साल की शुरुआत मानते हैं।

दीपावली का आध्यात्मिक महत्व (Spiritual Significance of Diwali)

दिवाली पर निबंध – सबसे पहले तो कई लोग दिवाली के दौरान लोगों को माफ करने की कोशिश करते हैं। यह निश्चित रूप से एक ऐसा अवसर है जहां लोग विवादों को भूल जाते हैं। इसलिए दिवाली के दौरान दोस्ती और रिश्ते और भी मजबूत हो जाते हैं। लोग अपने दिल से नफरत की सभी भावनाओं को दूर कर देते हैं।

यह खूबसूरत त्योहार समृद्धि लाता है। दीपावली पर हिंदू व्यापारी नई खाता बही खोलते हैं। इसके अलावा, वे सफलता और समृद्धि के लिए भी प्रार्थना करते हैं। लोग अपने लिए और दूसरों के लिए भी नए कपड़े खरीदते हैं।

यह प्रकाश पर्व लोगों में शांति लाता है। यह हृदय में शांति का प्रकाश लाता है। दिवाली निश्चित रूप से लोगों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है। खुशी और खुशी बांटना दिवाली का एक और आध्यात्मिक लाभ है। रोशनी के इस त्योहार में लोग एक दूसरे के घर जाते हैं। वे खुश संचार करते हैं, अच्छा खाना खाते हैं, और आतिशबाजी का आनंद लेते हैं।

अंत में, संक्षेप में, दिवाली भारत में एक बहुत ही खुशी का अवसर है। इस गौरवमयी पर्व के रमणीय योगदान की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। यह निश्चित रूप से दुनिया के सबसे महान त्योहारों में से एक है।

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दिवाली पर अनुच्छेद पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

दिवाली क्यों मनाई जाती है.

राक्षस राजा रावण को हराने के बाद भगवान राम के अयोध्या आगमन के उपलक्ष्य में दिवाली मनाई जाती है।

दिवाली कब मनाई जाती है?

‘कार्तिक’ के महीने में। यह हिंदू कैलेंडर में एक महीना है और अक्टूबर के अंत और नवंबर के बीच कहीं पड़ता है।

दिवाली कैसे मनाई जाती है?

हमारे घरों को पारंपरिक तेल के दीयों से सजाकर दिवाली मनाई जाती है। आप स्वादिष्ट व्यंजन भी बना सकते हैं और उन्हें अपने परिवार और दोस्तों के साथ साझा कर सकते हैं।

आप दिवाली के लिए कैसे बचत कर सकते हैं?

इसके पारंपरिक तरीकों और प्रथाओं से चिपके हुए और पटाखों से दूर रहकर हमारे पास एक सुरक्षित और मजेदार दिवाली है।

  • गर्भधारण की योजना व तैयारी
  • गर्भधारण का प्रयास
  • प्रजनन क्षमता (फर्टिलिटी)
  • बंध्यता (इनफर्टिलिटी)
  • गर्भावस्था सप्ताह दर सप्ताह
  • प्रसवपूर्व देखभाल
  • संकेत व लक्षण
  • जटिलताएं (कॉम्प्लीकेशन्स)
  • प्रसवोत्तर देखभाल
  • महीने दर महीने विकास
  • शिशु की देखभाल
  • बचाव व सुरक्षा
  • शिशु की नींद
  • शिशु के नाम
  • आहार व पोषण
  • खेल व गतिविधियां
  • व्यवहार व अनुशासन
  • बच्चों की कहानियां
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कंप्यूटर पर निबंध (Essay On Computer in Hindi)

Essay On Computer in Hindi

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कंप्यूटर पर 10 लाइन का निबंध (10 Lines On Computer In Hindi)

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देश के कल्याण में आधुनिक चीजों का अहम योगदान रहा है और हाल के समय में कंप्यूटर का योगदान सबसे अधिक माना जाता है। कंप्यूटर का आविष्कार एक ऐसी खोज है जिसने डिजिटल दुनिया का रूप बदल दिया है। कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो हमारा सभी डाटा उसमें इकट्ठा करता है और हमारे अनुसार उसे प्रोसेस करता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए आपको कीबोर्ड, माउस, सीपीयू, मॉनिटर आदि की जरूरत होती है। इसे चलाना बहुत आसान होता है जिसकी वजह से छोटे बच्चों से लेकर बड़े लोग भी इसे चलाना आसानी से सीख जाते हैं। घर, स्कूल, ऑफिस, कॉलेज आदि हर जगह इसका इस्तेमाल किया जाता है। कंप्यूटर एक ऐसी मशीन है जिसके बिना अब अपने जीवन की कल्पना करना संभव नहीं लगता है। इसकी मदद से कई तरह के काम किए जा सकते हैं जैसे कि किसी भी जानकारी को सुरक्षित रखना, ई-मेल करना, डेटा प्रोसेसिंग, मैसेजिंग, सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग आदि। कंप्यूटर का कमाल है कि आज टेक्नोलॉजी इतनी ज्यादा विकसित हो चुकी है। इन दिनों बैग में डालकर ले जाने वाला कंप्यूटर यानी ‘लैपटॉप’ लोगों की एक जरूरत बन गया है।

कंप्यूटर एक ऐसा संसाधन है जिसकी जरूरत दुनिया भर में हर किसी को है, इसकी मदद से डाटा को सुरक्षित रखना, जानकारी हासिल करना और भी ज्यादा आसान हो गया है। यदि आपके बच्चे को कंप्यूटर की विशेषताओं के बारे में जानकारी चाहिए और वह कम शब्दों में निबंध लिखना चाहता है तो आप नीचे दी गई 10 पंक्तियों की मदद ले सकते हैं।

  • कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है।
  • ये जानकारियां रखने और प्रोसेस करने में मदद करता है।
  • इसमें कई प्रकार के हार्डवेयर होते हैं, सीपीयू, माउस, कीबोर्ड, मॉनिटर आदि।
  • सीपीयू (सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट) इसका सबसे अहम हिस्सा है।
  • इंटरनेट, कंप्यूटर की सबसे बड़ी देन है।
  • यह समय और मेहनत दोनों बचाने में मदद करता है।
  • शॉपिंग, ऑनलाइन टिकट, बैंक ट्रांसफर इससे आसानी से किया जा सकता है।
  • कंप्यूटर के बिना लोगों की जिंदगी अधूरी मानी जाती है।
  • इसका इस्तेमाल स्कूल, घर, कॉलेज, ऑफिस आदि हर जगह होता है।
  • इसमें डेटा, फोटो, वीडियो आदि सुरक्षित रहते हैं।

कंप्यूटर एक अद्भुत मशीन है जिसका उपयोग अब हर क्षेत्र में किया जाता है। यह न सिर्फ हमें कामकाज और पढाई में मदद करता है बल्कि लोग इस पर फिल्म, सीरियल आदि देखकर अपना मनोरंजन भी करते हैं। यदि आपको अपने बच्चों को कंप्यूटर के महत्व के बारे मेंं समझाना है तो नीचे दिए 200-300 शब्दों वाले निबंध सैंपल से सहायता ले सकते हैं।

कंप्यूटर एक ऐसी आधुनिक तकनीक है जिसका इस्तेमाल दुनिया भर के हर क्षेत्र में किया जा रहा है। इसमें हम कई प्रकार की जानकारियां, जरूरी फोटो, दस्तावेज, वीडियो आदि सुरक्षित रख सकते हैं। कंप्यूटर कई मुख्य अंगों से पूरा होता है जैसे मॉनिटर, कीबोर्ड, सीपीयू, माउस आदि। सीपीयू को कंप्यूटर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है क्योंकि इसके बिना कंप्यूटर को चलाना मुमकिन नहीं है। कंप्यूटर के विकास से लोगों के जीवन में इंटरनेट आया है उसके बाद जीवन आसान हो गया। इंटरनेट की मदद से हम कई तरह की सेवाओं का आनंद उठा सकते हैं। फेसबुक, गूगल और कई सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर आसानी से जाया जा सकता है। हम घर बैठे कंप्यूटर की मदद से शॉपिंग, टिकट बुकिंग, पैसे ट्रांसफर आदि सब आसानी से कर सकते हैं। कंप्यूटर ने लोगों के जीवन को आसान तो बनाया ही है और उसके साथ यह काफी समय भी बचाता है। लोगों को अब घंटों लाइन में नहीं लगना पड़ता है। इसका इस्तेमाल घर, स्कूल, कॉलेज, ऑफिस आदि हर जगह किया जाता है। इसके उपयोग से आपको जो जानकारी चाहिए वो कुछ ही सेकंड में प्राप्त हो जाती है। समय के साथ-साथ कंप्यूटर की कार्य करने की क्षमता भी बढ़ गई है और लोग अब इस पर पूरी तरह से निर्भर हो गए हैं। ऐसा कहा जा सकता है कि कंप्यूटर के बिना लोगों को जीवन अधूरा लगता है।

बच्चों से लेकर बड़े-बूढ़े हर कोई कंप्यूटर की विशेषताओं के बारे में जानता है और लोगों का जीवन भी इस पर निर्भर हो गया है। बढ़ते बच्चे को कंप्यूटर की जानकारी होना जरूरी है ताकि वो भविष्य में इसका अच्छे से उपयोग कर पाए। वर्तमान स्थिति को देखते हुए यही जाहिर हो रहा है कि टेक्नोलॉजी के बिना जीवन अधूरा है और इसकी सबको आदत डालनी होगी। अपने बच्चे को यह निबंध जरूर पढ़ाएं और उसे कंप्यूटर की अहमियत समझाएं। यदि उसे इस पर निबंध लिखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहते हैं तो आप उसे इस निबंध सैंपल का सुझाव दे सकती हैं।

कंप्यूटर क्या है? (What Is A Computer?)

कंप्यूटर एक आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जिसमें हम जरूरी डाटा रखते हैं और बाद में हमारे निर्देशों के हिसाब से वो उन्हें प्रोसेस करता है। इसके कई अहम हिस्से होते हैं, जैसे मॉनिटर, माउस, कीबोर्ड, सीपीयू आदि। सीपीयू को कंप्यूटर का दिमाग भी कहा जाता है और बिना इसके कंप्यूटर को ऑन नहीं किया जा सकता है। आज के समय में हर मुश्किल से मुश्किल काम भी इसकी मदद से आसानी से किए जा सकते हैं। जैसे-जैसे देश में टेक्नोलॉजी विकसित हो रही है वैसे ही कंप्यूटर भी विकसित हो रहा है। पहले बड़े कंप्यूटर आते थे और ज्यादा जगह लेते थे लेकिन अब छोटे और कम जगह लेने वाले भी आ गए हैं। विद्यार्थी हो या ऑफिस का कोई कर्मी कंप्यूटर की जरूरत हर किसी को होती है। ये हमारा काम न सिर्फ आसान करता है बल्कि काफी समय भी बचाता है।

कंप्यूटर का इतिहास (History Of Computer)

कंप्यूटर सालों से पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है। इसका आविष्कार लगभग से 2000 साल पहले था और समय के साथ इसका विकास होता गया है। शुरुआत में इसका इस्तेमाल सिर्फ गणना के लिए किया जाता था और संख्या को कैलकुलेट करने वाले उपकरण को अबेकस कहते थे। अबेकस लकड़ी से बना होता था जिसमें दो तार लगे होते थे। तार के ऊपर बॉल्स लगी होती थी जिसे घुमाकर परिणाम हासिल किए जाते थे। अबेकस को सबसे शुरुआती गणना उपकरणों में से एक माना जाता है और इसे अक्सर आधुनिक डिजिटल कंप्यूटर का अग्रदूत माना जाता है। इसके बाद फ्रेंच गणितज्ञ ब्लेज पास्कल ने 1642-1645 के बीच पास्कलाइन नामक एक उपकरण बनाया जो एक यांत्रिक कैलकुलेटर जैसा दिखता था। इसे पहला डिजिटल कैलकुलेटर माना जाता है। साल 1822 में चार्ल्स बैबेज के द्वारा पहले मैकेनिकल कंप्यूटर का आविष्कार किया गया और उसके बाद से यह उपकरण दिनोंदिन विकसित होता गया।

कंप्यूटर का उपयोग (Uses Of Computer)

दुनियाभर के कई देशों जैसे कि अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन आदि में कंप्यूटर को इंसान के दिमाग के बराबर समझा गया है। भारत में भी कंप्यूटर का उपयोग काफी तेजी से विकसित हुआ है। लोग अपने कार्य को बेहतर और जल्दी करने के लिए कंप्यूटर की सहायता ले रहे हैं। इसका उपयोग कई सारे कार्यों के लिए बहुत सी जगहों पर होता है जैसे कि –

  • सभी प्रकार के पैसे से जुड़े हुए लेनदेन के लिए
  • मेडिकल क्षेत्र में एक्स-रे, एमआरआई, सिटी स्कैन की जांच के लिए
  • अस्पतालों में
  • शॉपिंग मॉल्स
  • रेलवे स्टेशन
  • स्कूल और कॉलेज

छात्रों के लिए कंप्यूटर के फायदे (Benefits Of Computer For Students)

बडों के साथ बच्चों के लिए भी कंप्यूटर को बेहद उपयोगी माना जाता है। कंप्यूटर एक ऐसा डिवाइस है जो बड़ा से बड़ा डेटा भी एकत्र करके रखता है जैसे सभी जरूरी जानकारियां, पढ़ाई के नोट्स, स्कूल के प्रोजेक्ट, फोटो, वीडियो आदि। बच्चे इसके इस्तेमाल से आसानी से अपने स्कूल का प्रोजेक्ट पूरा कर सकते हैं। ये पढ़ाई में उनकी मदद करता है। जब भी बच्चा किसी बड़े कैलकुलेशन में फंसता है तो उसे हल करने की क्षमता कंप्यूटर में जरूर होती है। बच्चे इंटरनेट की मदद से आसानी से कंप्यूटर के द्वारा किसी नए विषय या नए कौशल के बारे मे पढ़ सकते हैं और अपने को बेहतर बना सकते हैं। सिर्फ पढ़ाई ही नहीं बच्चे इसमें कई तरह की चीजें जैसे पेंटिंग, गेमिंग, राइटिंग आदि भी सीख सकते हैं जो उनके लिए फायदेमंद होगा।

कंप्यूटर का महत्व (Importance Of Computer)

आज के दौर में हर क्षेत्र में कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जा रहा है। कंप्यूटर की वजह से टेक्नोलॉजी काफी विकसित हो गई है और अगर कंप्यूटर न होता तो इंटरनेट भी हमारे जीवन में नहीं होता है। यदि कंप्यूटर न होता तो गूगल और फेसबुक जैसी संस्थाएं नहीं बनती, जो आज के समय की जरूरत बन चुकी हैं। बिना कंप्यूटर के जीवन की कल्पना करना बहुत मुश्किल है। टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में तो कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जा ही रहा है और साथ ही साथ शिक्षा के क्षेत्र जैसे स्कूल, कॉलेज में भी इनका उपयोग होता है। आधुनिक जीवन कोई भी कार्यस्थल बिना कंप्यूटर के कार्य करने लगभग असमर्थ है। इसका इस्तेमाल बड़े-बड़े और पेचीदा डाटा को स्टोर करने के लिए व मैनेज करने के लिए भी किया जाता है। कंप्यूटर हर किसी की जिंदगी में अपने-अपने तरीके से महत्व रखता है।

  • कंप्यूटर का विकास दूसरे विश्वयुद्ध के बाद हुआ था।
  • दुनिया के पहले कंप्यूटर का नाम एनिएक विजवर्ड था, जो 1946 में बना था।
  • बिल गेट्स और पॉल एलेन ने माइक्रोसॉफ्ट कंपनी की स्थापना की थी, जो विश्व की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी है।
  • पहले कंप्यूटर का वजन लगभग 27 टन से अधिक था।
  • डौग एंगेलबार्ट ने 1964 में पहला माउस डिजाइन किया था, जो लकड़ी का बना था।
  • क्वर्टी कीबोर्ड का उपयोग लोगों की टाइपिंग स्पीड को बढ़ाने के लिए किया गया था।
  • दुनिया में सबसे पहले मॉनिटर का उपयोग 1980 में किया गया था।

तकनीक जैस-जैसे विकसित होती जा रही है वैसे ही देश भी विकसित होता जा रहा है। इस निबंध से आपके बच्चे को यह जानकारी मिलेगी कि तकनीक कितनी फायदेमंद है और उसकी सबसे बड़ी देन कंप्यूटर है, जिसके बिना आज जीवन की कल्पना करना बहुत मुश्किल है। इस निबंध का मुख्य उद्देश्य बच्चे को ये समझाना है कि जिस इंटरनेट और सोशल मीडिया का वो इस्तेमाल कर रहा है, आखिर उसका विकास कैसे हुआ और क्यों कंप्यूटर हमारे जीवन में इतनी अहमियत रखता है। साथ ही वो कंप्यूटर के बारे में पढ़कर अपने शब्दों में भी एक अच्छा निबंध लेख सकेगा या दूसरों को इसकी विशेषताएं बता पाएगा।

1. कंप्यूटर बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी का क्या नाम है?

आईबीएम (इंटरनेशनल बिजनेस मशीन) कंप्यूटर बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है।

2. फादर ऑफ कंप्यूटर किसे कहा जाता है?

चार्ल्स बैबेज को फादर ऑफ कंप्यूटर कहा जाता है।

3. भारत के पहले सुपर कंप्यूटर का क्या नाम है?

भारत के पहले सुपर कंप्यूटर का नाम परम (PARAM) 8000 है।

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Teachers Day Essay: शिक्षक दिवस पर 10 लाइन का हिंदी निबंध, 250 शब्द लिखकर बन जाएं टीचर के फेवरिट

Teachers day par nibandh: हमारे जीवन में शिक्षकों का महत्व केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं है। वे हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और हमें अच्छा इंसान बनने में मदद करते हैं। शिक्षक दिवस हमें यह अवसर प्रदान करता है कि हम अपने शिक्षकों को धन्यवाद कह सकें और उनके द्वारा दिए गए ज्ञान को अपने जीवन में उतार सकें।.

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क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस?

क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस?

शिक्षक दिवस हमारे देश में हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है। यह हमारे देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। यह दिन शिक्षकों के योगदान को स्वीकार करने और उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। वे एक सच्चे शिक्षक थे, जिन्होंने अपने जीवन को शिक्षा और ज्ञान के लिए समर्पित किया था।

हमारे जीवन में क्या होता है शिक्षकों का महत्व

हमारे जीवन में क्या होता है शिक्षकों का महत्व

गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय। बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय।

शिक्षकों का महत्व हमारे जीवन में बहुत अधिक है। वे हमारे जीवन को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शिक्षक हमें सही और गलत के बीच का अंतर सिखाते हैं, जो हमें जीवन में सही रास्ते पर चलने में मदद करता है। वे हमें भविष्य के लिए तैयार करते हैं, जिससे हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। वे हमें अपने जीवन को सुधारने में मदद करते हैं, और हमें एक अच्छा इंसान बनाते हैं।

शिक्षक देते हैं हमारे जीवन को आधार

शिक्षक देते हैं हमारे जीवन को आधार

शिक्षक हमारे मार्गदर्शक हैं, जो हमें सही रास्ते पर चलने में मदद करते हैं। वे हमें शिक्षा देते हैं, जो हमारे जीवन का आधार है। इसके साथ ही हमें सही दिशा में आगे बढ़ने में मदद करते हैं। वे हमें जीवन के हर पहलू में सहायता करते हैं, जैसे कि कैसे अच्छे इंसान बनना है, कैसे समाज में योगदान करना है, और कैसे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना है।

आओ मिलकर करें शिक्षकों को धन्यवाद

आओ मिलकर करें शिक्षकों को धन्यवाद

हमें अपने शिक्षकों को धन्यवाद देना चाहिए, जिन्होंने हमें पढ़ाया और हमारे जीवन को सुधारा। वे हमारे रोल मॉडल हैं, जिन्होंने हमें सही रास्ते पर चलने में मदद की है। यह दिन हमें मौका देता है उनके प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करने का। वे हमारे जीवन को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसलिए उनको जितना भी धन्यवाद दो कम ही है। आओ मिलकर शिक्षकों को धन्यवाद दें, जिन्होंने हमें पढ़ाया और हमारे जीवन को सुधारा।

शिक्षकों को समर्पित एक दिन

शिक्षकों को समर्पित एक दिन

वैसे तो शिक्षक दिवस का महत्व केवल एक दिन के समारोह तक सीमित नहीं होना चाहिए। लेकिन तब भी, शिक्षक दिवस हमें अपने शिक्षकों को धन्यवाद देने और उनके योगदान को स्वीकार करने का अवसर प्रदान करता है। हमें अपने शिक्षकों द्वारा दिए गए ज्ञान को अपने जीवन में उतारना चाहिए। इस दिन हमें उनके योगदान की सराहना करते हुए, उन्हें धन्यवाद कहना चाहिए, क्योंकि उनके बिना हमारा जीवन अधूरा है।

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