जल संरक्षण पर निबंध Essay on Conservation of Water in Hindi

जल संरक्षण पर निबंध Essay on Conservation of Water in Hindi

आप इस पोस्ट में जल संरक्षण पर निबंध Essay on Conservation of Water in Hindi पढेंगे। साथ ही पानी बचाने के आवश्यकताओं और उपायों के बारे में भी हमने विस्तार से बताया है। यह लेख हमें जल के महत्व को समझाता है। इसको हमने स्कूल और कॉलेज के बच्चों के लिए 1500+ शब्दों मे लिखा है।

आईये शुरू करते हैं – जल संरक्षण पर निबंध हिन्दी में

Table of Contents

प्रस्तावना Introduction

ईश्वर ने हमें पांच महत्वपूर्ण तत्व दिए हैं जल, वायु, अग्नि, आकाश, और पृथ्वी। कभी कल्पना की है कि इन पांच तत्वों में से एक तत्व ना रहे तो क्या होगा? जी हाँ ! हर एक तत्व का एक अलग महत्व है जिसमे से जल का एक बहुत ही अनमोल महत्व है। आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी ‘जल ही जीवन है’।

जल संरक्षण क्या है? What is Conservation of Water in Hindi?

स्वच्छ और पेयजल का व्यर्थ बहाव ना करते हुए उसको सही तरीके से उपयोग में लाकर जल के बचाव की ओर किए गए कार्य को जल संरक्षण कहते हैं। जल के बिना मनुष्य का जीवन संभव नहीं है। 

पृथ्वी का लगभग 71 प्रतिशत भाग पानी है जिसका 96.5 प्रतिशत नमकीन या समुद्री पानी है और मात्र 3.5 प्रतिशत ही पीने लायक पानी है। इससे यह साफ़ पता चलता है कि आने वाले वक्त में मनुष्य के लिए जल का कितना बड़ा अभाव होने वाला हो। इसलिए हमें आज से ही जल संरक्षण का कार्य शुरू करना होगा।

जल संरक्षण का काम किसी नेता या सरकारी संस्थान का काम नहीं है। इसे हमें घर-घर से शुरू करना होगा। अगर हम शुरू करेंगे तो धीरे-धीरे हमें देख कर हमारे आसपास के लोग और आने वाली पीढ़ी भी सीखेंगे।

जल संरक्षण का महत्व Importance of Water Conservation in Hindi

हम सभी को जल के महत्त्व को और भविष्य में जल की कमी से संबंधित समस्याओं को समझने चाहिए। धरती पर जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए जल का संरक्षण और बचाव बहुत जरूरी होता है, क्योंकि बिना जल के जीवन संभव नहीं है। पृथ्वी पूरे ब्रह्मांड में मात्र एक ऐसा ग्रह है जहां पानी और जीवन आज की तारीख तक मौजूद है।

पृथ्वी पर हर चीजों को पानी की जरूरत होती है जैसे पेड़- पौधे, जीव- जंतु, कीड़े, इंसान और अन्य जीवित चीजें। हमें पीने, खाना पकाने, नहाने, कपड़े धोने, कृषि आदि जैसी हर गतिविधियों में पानी की आवश्यकता होती है। इसीलिए पानी बचाने के लिए केवल हम ही जिम्मेदार हैं।

आईये एक-एक करके जानते हैं हमें जल संरक्षण की ज़रुरत क्यों है?

जल संरक्षण की आवश्यकता क्यों है? Why to Conserve Water in Hindi?

  • मनुष्य जल के बिना जीवित नहीं रह सकता है। यह पानी बचाने का सबसे बड़ा कारण है।
  • शहरी क्षेत्रों में लोगों को पानी की बहुत किल्लत होती है। इसका सबसे बड़ा कारण प्रदूषण है और बढती जनसंख्या है। परन्तु जिस प्रकार आज सरकार ने पानी का बिल लेना शुरू कर दिया है और बाजारों में पीने का पानी तेज़ी से बिक रहा है यह साफ़ पता चलता है की पेयजल में तेज़ी से कमी आ रही है।
  • पीने का पानी कम होने के कारण लोग अशुद्ध पानी का सेवन कर रहे हैं जिसके कारण मनुष्य को बड़ी-बड़ी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • बड़े-बड़े किसान अधिक लोभ के कारण ज्यादा-ज्यादा से बोरेवेल खुदवा रहे हैं जिससे वे भू-जल का ज्यादा भाग गर्मियों के महीने में कृषि के लिए उपयोग कर रहे हैं। इसका सीधा असर पृथ्वी के जल स्तर पर पड़ रहा है और कुछ वर्षों की अच्छी खेती के बाद उनकी धरती बंजर होते जा रही है।
  • मनुष्य को पानी की आवश्यकता हर क्षेत्र में है जैसे पीने, भोजन बनाने, स्नान करने, कपड़े धोने, फसल उगाने, आदि के कार्य में।
  • जल की कमी से प्रकृति का संतुलन बुरी तरह से बिगड़ते जा रहा है जो पृथ्वी के हर जीव को संकट की और लेते जा रहा है।

जल संकट के कारण Reasons of Water Crisis in Hindi

  • हमारे देश में औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और खनिज संपदा का बड़ी मात्राओं में विद्रोहन तथा कल कारखानों के विषैले रासायनिक अवशिष्टओ का उत्सर्जन होने से जल संकट निरंतर बढ़ रहा है इससे ना तो खेती-बाड़ी के लिए पर्याप्त पानी मिल पा रहा है और ना ही पेयजल की आपूर्ति हो पा रही है।

जल संकट के प्रभाव Effects of Water Crisis in Hindi

जल संकट के कारण तालाब सरोवर एवं कुएं सूख रहे हैं, नदियों का जलस्तर घट रहा है और जमीन का जलस्तर भी लगातार कम होते जा रही है, जिसके कारण अनेक प्रकार के जीव जंतु एवं पादपों का अस्तित्व मिट गया है, खेतों की उपज घट गई है और वन भूमि सूख रही है तथा धरती का तापमान लगातार बढ़ते जा रहा है। इस तरह से जल संकट का दुष्परिणाम देखने को मिल रहा है।

जल संरक्षण के उपाय How to Conserve Water in Hindi?

  • फ़ैक्टरी व कारख़ानों से निकलने वाले गंदे पानी को एक सुनिश्चित जगह पर निर्धारित किया जाना चाहिए जिससे वह अशुद्ध पानी, शुद्ध पानी के जल स्रोतों से ना मिल जाये।
  • समरसेबल पंप से निकलने वाले पानी को हम सब जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं जो कि गलत है। हमें उतना ही इस्तेमाल करना चाहिए जितना की हमें जरूरत है।
  • सार्वजनिक स्थलों पर लगाए गए पानी की टंकियों को ऑटोमेटिक करना चाहिए जिससे शुद्ध जल की बर्बादी ना हो सके।
  • हम सभी को जागरूक नागरिक की तरह जल संरक्षण का अभियान चलाते हुए बच्चों और महिलाओं में जागरूकता लानी होगी। स्नान करते समय हमें शावर टब का प्रयोग ना करके बाल्टी में पानी लेकर नहाना चाहिए जिससे हम बहुत जल बता सकते हैं।
  • रसोई में जल की बाल्टी या टब में बर्तन साफ करें तो पानी बहुत बचाया जा सकता है।
  • ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा वर्षा जल संचयन के प्रोजेक्ट शुरू किये जाने जाने चाहिए।
  • गांव कस्बों और नगरों में छोटे बड़े तालाब बनाकर वर्षा जल का संरक्षण किया जाए।
  • नगरों और महानगरों में घरों कि नालियों में पानी को गड्ढा बनाकर एकत्रित किया जाए और पेड़ पौधे की सिंचाई के काम में लाया जाए तो साफ पानी की बचत की जा सकती है।
  • यदि प्रत्येक घर के छत पर वर्षा जल का भंडार करने के लिए एक या दो टंकी बनाया जाए और उन्हें मजबूत जालिया फिल्टर कपड़े से ढक दिया जाए तोहर नगर में जल संरक्षण किया जा सकेगा।
  • घरों मुहल्लों और सार्वजनिक पार्कों स्कूलों अस्पतालों दुकानों मंदिरों आदि में नली की टोटियां खुली या  टूटी रहती है, तो अनजाने ही प्रतिदिन हजारों लीटर जल बेकार हो जाता है। इस बर्बादी को रोकने के लिए नगर पालिका एक्ट में टोंटियों की चोरी को दंडात्मक अपराध बनाकर, जागरूकता भी बढ़ानी होगी।
  • विज्ञान की मदद से आज समुद्र के खारे जल को पीने लायक बनाया जा रहा है। गुजरात के आदि नगरों और प्रत्येक घर में पीने के जल के साथ-साथ घरेलू कार्यों के लिए खारे जल का प्रयोग करके शुद्ध जल का संरक्षण किया जा रहा है। इसे बढ़ावा देना चाहिए।
  • गंगा तथा यमुना जैसी बड़ी नदी की सफाई करना बहुत जरूरी है। बड़ी नदियों के जल का शोधन करके पेयजल के रूप में प्रयोग किया जा सके। शासन प्रशासन को लगातार सक्रिय रहना होगा।
  • जंगलों को काटने से हमें दोहरा नुकसान हो रहा है। पहला यह कि वाष्पीकरण ना होने से वर्षा नहीं हो पाती है तथा भूमिगत जल सूख जाता है। बढ़ती हुई जनसंख्या और औद्योगिकीकरण के कारण जंगल और वृक्षों के अंधाधुन काटने से भूमि की नामी लगातार कम होते जा रही है, इसीलिए वृक्षारोपण लगातार किया जाना चाहिए।
  • पानी का दुरुपयोग हर स्तर पर कानून के द्वारा प्रचार माध्यमों से प्रचार करके तथा विद्यालयों में पर्यावरण प्रदूषण की तरह जल संरक्षण विषय को अनिवार्य रूप से पढ़ाकर रोका जाना जरूरी है। अब समय आ गया है कि केंद्रीय और राज्यों की सरकारों जल संरक्षण को नए विषय बनाकर प्राथमिक से उच्च स्तर तक नई पीढ़ी को बताने का कानून बनाएं।

जल संरक्षण पर 10 लाइन 10 lines on Conservation of Water in Hindi

  • स्वच्छ  और पेयजल का व्यर्थ बहाव न करते हुए उसको सुनिश्चित तरीके से उपयोग मे लाकर जल के बचाव की ओर किए गए कार्य को जल संरक्षण कहते हैं।
  • हम सभी को जल के महत्त्व को और भविष्य में जल की कमी से संबंधित समस्याओं को समझने चाहिए।
  • धरती पर जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए जल का संरक्षण और बचाव बहुत जरूरी होता है, क्योंकि बिना जल के जीवन संभव नहीं है।
  • पृथ्वी पर हर चीजों को पानी की जरूरत होती है जैसे पेड़ पौधे, जीव जंतु, कीड़े, इंसान और अन्य जीवित चीजें।
  • हमें पीने, खाना पकाने, नहाने, कपड़े धोने, कृषि आदि जैसी हर गतिविधियों में पानी की आवश्यकता होती है। इसीलिए पानी बचाने के लिए केवल हम ही जिम्मेदार हैं।
  • पेयजल की कमी होने से लोग इसका उपयोग कम से कम करें। शुद्ध जल कम होने के कारण लोगों को बड़ी बड़ी बीमारियां शुरू हो जाएगी।
  • धरती के अंदर जल का स्तर कम होने से धरती बंजर होने लगेगी और धीरे-धीरे करके चटकना शुरू कर देगी जो भूकंप जैसे हालातों को बढ़ावा देती है।
  • फैक्ट्री व कारखाने से निकलने वाले गंदे पानी को एक सुनिश्चित जगह पर निर्धारित कर दिया जाना चाहिए, जिससे साफ पानी गंदा ना हो।
  • समरसेबल पंपों से निकलने वाले पानी को हम सब जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं जो कि गलत है, हमें उतना ही इस्तेमाल करना चाहिए जितना हमें जरूरत है।

निष्कर्ष Conclusion

अंत में बस में कहूँगी –

जल है तो जीवन है और जीवन है तो पर्यावरण है पर्यावरण से धरती है और धरती से हम सब हैं

जल को जीवन का आधार मानकर समाज में नई जागृति लाने का प्रयास किया जाए। अमृत जल जैसा जनजागरण किये जाए। जल चेतना की जागृति लाने से जल संचय एवं जल संरक्षण की भावना का प्रयास होगा तथा इससे धरती का जिवन सुरक्षित रहेगा।

जल संरक्षण पर निबंध Essay on Conservation of Water in Hindi) आपको कैसा लगा कमेंट के माध्यम से बताइये और हमारे साथ जुड़े रहें।

2 thoughts on “जल संरक्षण पर निबंध Essay on Conservation of Water in Hindi”

Fantastic and very nice

Very very fantastic essay on conservation of water

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जल संरक्षण पर निबंध – Essay on water conservation in Hindi

जल संरक्षण पर निबंध (Water conservation essay in Hindi): जब हमें पानी के महत्व का पता चलेगा, तब हम पानी का संरक्षण कर सकते हैं. दिन ब दिन जल का उपयोग बढ़ रहा है. बहुत सारे जगह में जल का उपयोग जरूरत से ज्यादा किया जाता है. जिससे जल नष्ट होता है. और यह नष्ट होते हुए जल को संरक्षण में बदलना जरूरी है. जिससे आने वाली पीढ़ी को फायदा पहुंचेगा. तो चलिए जल संरक्षण पर निबंध (Essay on water conservation in Hindi) की ओर बढ़ते हैं.  

मानव प्रकृति से विभिन्न उत्पाद दान के रूप में लाभ किया है. हवा, मिट्टी, जंगल, जानवर, खनिज आदि मनुष्य को अपने दैनिक जीवन में मदद करते हैं. ये सब संपत्ति हैं. इसी तरह जल विभिन्न कार्यों में मदद करता है. इसके बिना जीवन को आगे बढ़ाना असंभव है. इसलिए जल का दूसरा नाम ‘ जीवन ‘ है. जल मनुष्य के लिए एक अनमोल धन है.

यह अमूल्य प्राकृतिक संसाधन बहुत काम में निवेशित होता है. सुबह बिस्तर से उठने से लेकर रात को बिस्तर पर जाने तक पानी की जरूरत होती है. भोजन बनाने, स्नान करने, कपड़े और बर्तन साफ करने में जल आवश्यक है. अच्छे पेयजल की कमी से स्वास्थ्य खराब हो सकता है. कृषि के लिए सिंचाई की जरूरत है. यह कारखानों और नावों के लिए आवश्यक है. बिजली पैदा करने के लिए जल जरूरी है. आवास, पशुपालन और मत्स्य पालन के लिए भी पानी की आवश्यकता होती है. व्यापारी जहाजों और नौसेना के जहाजों के लिए पानी महत्वपूर्ण है.

jal sanrakshan par nibandh

हम पानी के बिना जीवित नहीं रह सकते. आवश्यकता या मजबूर होने पर एक व्यक्ति भोजन के बिना कुछ दिनों तक जीवित रह सकता है; लेकिन वह पानी के बिना एक हफ्ते भी नहीं रह सकता.

सबसे पहले, पृथ्वी पर जीवन पानी द्वारा प्रेषित किया गया था. धीरे-धीरे विभिन्न पौधे और जानवर सृष्टि हुए. मानव ने पहले जल स्रोतों के पास अपना घर बनाया था. दुनिया के सबसे पुराने शहर सिंधु नदी, नील नदी, टाइग्रिस, यूफ्रेट्स और होयांग हो तट में थे.

जल का अवस्थिति

ये तो सब जानते है की, पृथ्वी की सतह का लगभग तीन-चौथाई भाग पानी से ढका है. यदि दुनिया का सारा पानी भारत के ऊपर रखा दिया जाता, तो जल स्तर की ऊंचाई 425 किलोमीटर होता. यह एवरेस्ट की ऊंचाई का लगभग 50 गुना है. यह सब पानी हमारे काम के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा पा रहा है. पुरे विश्व में जितना पानी है उनमें से सागरों और महासागरों में लगभग 97 प्रतिशत पानी होता है. कुछ पर्वत चोटियों और अंटार्कटिका जैसे ठंडे स्थानों में, लगभग 2 प्रतिशत पानी बर्फ के रूप में है. लगभग सौ प्रतिशत पानी नदियों और झीलों में, वायुमंडल में कणों के रूप में और भूमिगत जलाशयों में होता है.

भूजल संसाधनों को कुओं, नलकूपों और कुओं की मदद से लाया जाता है और विभिन्न गतिविधियों में निवेश किया जाता है. जब कम बारिश होती है, तो भूजल विशेष रूप से हमारे लिए सहायक होता है. जिन क्षेत्रों में नदियाँ या झीलें नहीं हैं, वहाँ पर भूजल पर निर्भर रहना पड़ता है. कम दृश्यता और शुष्क क्षेत्रों में, लोग भूजल का उपयोग करते हैं. भूजल का बेहतर उपयोग करने के लिए भारत में केंद्रीय भूजल बोर्ड की स्थापना की गई है.

देश में विभिन्न योजनाएं

भारत कृषि प्रधान देश है. कृषि सिंचाई पर निर्भर करती है. इसके लिए विभिन्न योजनाएं बनाई गई है. इनमें बड़े पैमाने पर सिंचाई योजनाएँ, मध्यम पैमाने की सिंचाई योजनाएँ और लघु-सिंचाई योजनाएँ शामिल हैं. सिंचाई नहरों, कुओं और तालाबों द्वारा की जाती है. नदी जल के समुचित निवेश को सुनिश्चित करने के लिए भारत में कुछ बहुमुखी नदी घाटी योजनाएँ कार्यान्वित की जा रही हैं. बाढ़ नियंत्रण, बिजली उत्पादन, मत्स्य पालन, जल आपूर्ति, सिंचाई और नौका विहारआसान हो रहे हैं.

हमारे देश की वक्रा-नांगल योजना, हीराकुंड बांध योजना, तुंगभद्रा योजना, नागार्जुन सागर योजना, राजस्थान नहर योजना, कोशी योजना, दामोदर उपाध्याय योजना और अन्य प्रमुख बहुआयामी योजनाएं लोगों को लाभ पहुंचा रही हैं.

जल चक्र            

समुद्री जल से नमक बनाया जाता है. नमक को अलग करना और इसे पीने के पानी में बदलना महंगा है. समुद्र का पानी वाष्पित आकार में आकाश में जाकर बादल सृष्टि करता है. बादल बारिश हो कर धरती पर बरसते हैं. वर्षा का पानी मिट्टी में प्रवेश करता है और भूमिगत रूप से संग्रहीत हो कर रहता है. कुछ पानी नदियों में बह जाता है और वापस समुद्र में चला जाता है. मानव उपयोग के बाद कुछ पानी वाष्पित हो जाता है. इस तरह जल का चक्र चलता है.

गर्मियों में देश के कुछ हिस्सों में जल का अभाव दिखाई देता है. पीने के पानी की भारी कमी होती है. कुछ जगहों पर लोग दूषित पानी पीने को मजबूर होते हैं. नतीजतन, वे बीमार हो जाते हैं. इसलिए जल संसाधनों के संरक्षण के लिए उचित व्यवस्था की जानी चाहिए. जल प्रदूषण नियंत्रण कानून के तहत हमारे देश की नदी के पानी की गुणवत्ता की रक्षा के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. गंगा का पानी कई कारणों से प्रदूषित है. भारत सरकार इस नदी को जल प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए कदम उठा रही है. सब कुछ अकेले कानून से नहीं हो सकता. इसके लिए जन जागरूकता की आवश्यकता है. जल संसाधन दिवस के उत्सव के माध्यम से पानी के संरक्षण और नियंत्रण के लिए व्यापक प्रचार वांछनीय है. इंसानों और जानवरों के शवों को नदी में बहा देने से पानी दूषित होता है. इन सबका विरोध करना हमारा कर्तव्य है. अगर हम पानी का ध्यान रखेंगे तो पानी हमारी देखभाल करेगा. भविष्य में उपयोग के लिए घर की छत पर या अन्य जगहों पर बारिश के मौसम में के पानी का भंडारण करके किया जा सकता है. भूजल स्तर गिर रहा है. चिंता है कि इस जल संकट से भविष्य में तीसरा विश्व युद्ध हो सकता है. इसलिए पानी बर्बाद न करने में ही समझदारी है.

जल मानव जीवन को बचाता है और सामाजिक और आर्थिक जीवन को समृद्ध करता है. जल पथ पर शिपिंग होता है. मूल्यवान मोती समुद्र से एकत्र किए जाते हैं और मछलियों पकड़ा जाता है. इसे पानी से बिजली पैदा करके मानव दैनिक गतिविधियों में निवेश किया जा रहा है. आधुनिक मनुष्यों के लिए बिजली के बिना चलना मुश्किल है. यदि मेरु क्षेत्र की चोटियों पर बर्फ और ऊंचे पहाड़ों की चोटी पर बर्फ को पिघलाया जा सकता है और मानव सेवाओं के लिए उपयोग किया जाता है, तो दुनिया की पानी की कमी कुछ हद तक दूर हो जाएगी.

  • वायु प्रदूषण पर निबंध
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध
  • भूकंप पर निबंध
  • मृदा संरक्षण पर निबंध
  • जल संकट और समाधान पर निबंध

तो ये था जल संरक्षण पर निबंध (Essay on water conservation in Hindi) . आशा है कि आप इस लेख को अच्छी तरह से समझ गए होंगे. अगर आपको जल संरक्षण के बारे में और कुछ पता है, तो कमेंट करके जरूर बताएं. मिलते है अगले लेख में. धन्यवाद.

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10 मोटिवेशनल किताबें जो आपको ज़रूर पढ़नी चाहिएं

पानी की बर्बादी रोकने के 18 तरीके जिनपर आपने ध्यान नहीं दिया.

Last Updated: April 29, 2024 By Gopal Mishra 38 Comments

हम हमेशा से सुनते आये हैं “जल ही जीवन है” । जल के बिना जीवन की कल्पना भी मुश्किल है जीवन के सभी कार्यों का निष्पादन करने के लिये जल की आवश्यकता होती है।

rummy gold

कवि एवं सन्त  रहीम दास जी ने सदियों पहले पानी का महत्व बता दिया था किन्तु हम आज भी जल संरक्षण के प्रति गम्भीर नहीं हैं।

  रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून |

पानी गये ना ऊबरे, मोती मानुष चून ||

Rummy Perfect

How To Save Water in Hindi / Hindi Story on Save Water

कैसे बचाएं पानी .

जैसे जैसे गर्मी बढ़ रही है देश के कई हिस्सों में पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर रही है। प्रतिवर्ष यह समस्या पहले के मुकाबले और बढ़ती जाती है। लातूर जैसी कई जगह तो पानी की कमी की वजह से हालात अत्यन्त भयावह हो रहे हैं। लेकिन हम हमेशा यही सोचते हैं बस जैसे तैसे गर्मी का सीजन निकाल जाये बारिश आते ही पानी की समस्या दूर हो जायेगी और यह सोचकर जल सरंक्षण के प्रति बेरुखी अपनाये रहते हैं।

 ➡ पढ़ें:  पानी बचाओ व जल संरक्षण पर 60 अनमोल विचार व नारे

किन्तु आज मानव जाति के लिये जल सरंक्षण अत्यन्त महत्वपूर्ण हो गया है। यदि अब भी हम लोग जल सरंक्षण के प्रति गम्भीर नहीं हुए तो यह बात बिलकुल सही साबित होगी कि-

तीसरा विश्व युद्ध पानी के लिये होगा।

जल संसाधन / Water Resources in Hindi :

जल संसाधन पानी के वह स्रोत हैं जो मानव जाति के लिये उपयोगी हैं या जिनके उपयोग में आने की सम्भावना है। पूरे विश्व में धरती का लगभग तीन चौथाई भाग जल से घिरा हुआ है किन्तु इसमें से 97% पानी खारा है जो पीने योग्य नहीं है, पीने योग्य पानी की मात्रा सिर्फ 3% है। इसमें भी 2% पानी ग्लेशियर एवं बर्फ के रूप में है। इस प्रकार सही मायने में मात्र 1% पानी ही मानव के उपयोग हेतु उपलब्ध है।

जल के स्रोतों को हम तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं –

1. धरातल के ऊपर से प्राप्त जल – यह बारिश का जल है जो शुद्ध होता है किन्तु सतर्कता ना रखने पर जमीन पर आते आते इसमें कई प्रकार की अशुद्धियाँ घुलने का डर रहता है।

2. धरातलीय जल – नदी, तालाब, झील, झरने आदि धरातलीय जल के प्रकार हैं।

3. अन्त: धरातलीय जल – कच्चे तथा पके  कुएं , बावड़ी, बोरिंग आदि।

जल सरंक्षण की आवश्यकता क्यों है ?  Why water conservation is needed in Hindi ? 

जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण तथा औधोगिकीकरण के कारण प्रति व्यक्ति के लिये उपलब्ध पेयजल की मात्रा लगातार कम हो रही है जिससे उपलब्ध जल संसाधनों पर दबाव बढ़ता जा रहा है। जहाँ एक ओर पानी की मांग लगातार बढ़ रही है वहीँ दूसरी ओर प्रदूषण और मिलावट के कारण उपयोग किये जाने वाले जल संसाधनों की गुणवत्ता तेजी से घट रही है।

साथ ही भूमिगत जल का स्तर तेजी से गिरता जा रहा है ऐसी स्तिथि में पानी की कमी की पूर्ति करने के लिये आज जल संरक्षण की नितान्त आवश्यकता है।

सम्पूर्ण विश्व में 22 मार्च को विश्व जल दिवस ( World Water Day ) मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करना है। अटल जी कहा करते थे-

यदि हम लोग जल संरक्षण के प्रति गम्भीर नहीं हुए तो तीसरा विश्व युद्ध पानी के लिये होगा।

और अब यह बात अब बिलकुल सही लगने लगी है।

जल संरक्षण के उपाय / How To Conserve and Save Water in Hindi

जल संरक्षण आज विश्व की सर्वोपरि प्राथमिकताओं में से होनी चाहिये। जल संरक्षण हमे घर में, घर के बाहर, बाग़ बगीचों, खेत खलिहान हर जगह करना चाहिये।

1. घरेलू जल सरंक्षण / How to save water at home

  • दाढ़ी बनाते समय, ब्रश करते समय, सिंक में बर्तन धोते समय, नल तभी खोलें जब सचमुच पानी की ज़रूरत हो।
  • गाड़ी धोते समय पाइप की बजाय बाल्टी व मग का प्रयोग करें, इससे काफी पानी बचता है।
  • नहाते समय शॉवर की बजाय बाल्टी एवं मग का प्रयोग करें,काफी पानी की बचत होगी। इस काम के लिए आप भारत रत्न सचिन तेंदुलकर से प्रेरणा ले सकते हैं जो सिर्फ १ बाल्टी पानी से ही नहाते हैं।
  • वाशिंग मशीन में रोज-रोज थोड़े-थोड़े कपड़े धोने की बजाय कपडे इकट्ठे होने पर ही धोएं।
  • ज्यादा बहाव वाले फ्लश टैंक को कम बहाव वाले फ्लश टैंक में बदलें। सम्भव हो तो दो बटन वाले फ्लश का टैंक खरीदें। यह पेशाब के बाद थोड़ा पानी और शौच के बाद ज्यादा पानी का बहाव देता है।
  • जहाँ कहीं भी नल या पाइप लीक करे तो उसे तुरन्त ठीक करवायें। इसमें काफी पानी को बर्बाद होने से रोका जा सकता है।
  • बर्तन धोते समय भी नल को लगातार खोले रहने की बजाये अगर बाल्टी में पानी भर कर काम किया जाए तो काफी पानी बच सकता है।

2. घर के बाहर जल संरक्षण

  • सार्वजनिक पार्क, गली, मौहल्ले, अस्पताल, स्कूलों आदि में जहाँ कहीं भी नल की टोंटियाँ खराब हों या पाइप से पानी लीक हो रहा हो तो तुरन्त जलदाय ऑफिस में या सम्बन्धित व्यक्ति को सूचना दें, इसमें हजारों लीटर पानी की बर्बादी रोकी जा सकती है।
  • बाग़ बगीचों एवं घर के आस पास पौधों में पाइप से पानी देने के बजाय वाटर कैन द्वारा पानी देने से काफी पानी की बचत हो सकती है
  • बाग़ बगीचों में दिन की बजाय रात में पानी देना चाहिये। इससे पानी का वाष्पीकरण नहीं हो पाता। कम पानी से ही सिंचाई हो जाती है
  • सिंचाई क्षेत्र हेतु कृषि के लिये कम लागत की आधुनिक तकनीकों को अपनाना जल सरंक्षण हतु उपयोगी है।

3. वृक्षा रोपण / Plantation

वृक्ष हमारे अभिन्न मित्र हैं ये हमें छाया,फल,लकड़ी प्रदान करते हैं जमीन का कटाव रोकते हैं, बाढ़ से सुरक्षा करते हैं। जहाँ ज्यादा वृक्ष होते हैं वहां अच्छी बारिश होती है जिससे बारिश में नदी नाले भर जाते हैं और पानी की कमी नहीं हो पाती। इसलिए लगातार वृक्षा रोपण करते रहना चाहिये।

4. जल संरक्षण हेतु कानून 

कई क्षेत्रों में बिना रोकथाम के पानी निकालने से भूजल के स्तर में भारी गिरावट आ जाती है। इसके लिये भूजल के वितरण प्रबन्धन नियमों का पालन करना जरूरी है। साथ ही नए कानून बनाने की ज़रूरत है जो किसी भी प्रकार के वाटर वेस्टेज को एक गैर-कानूनी काम के रूप में देखें और ऐसा करने वालों को जुरमाना और सजा देने का प्रावधान करें।

5. औधोगिक क्षेत्र में नई तकनीक

पानी की जरूरत को कम करने लिये, औद्योगिक क्षेत्र, कारखानों आदि में आधुनिक तकनीक को प्रयोग में लेना चाहिये।

6. वर्षा जल संचयन / Rain water harvesting in Hindi

हम लोगों की अकेली यह आदत ही जल संरक्षण हेतु मील का पत्थर साबित हो सकती है। एक बारिश के बाद अगली बारिश से छतों से वर्षा जल का संचय करें। यह पीने, कपड़े धोने, बागवानी आदि सभी कार्यों हेतू उत्तम है। इसके लिये गाँव, शहरों में भवन निर्माण सम्बन्धी नियमों में वर्षा जल संचयन को अनिवार्य किया जाना चाहिये तथा लोगों को वर्षा जल संचय हेतु प्रोत्साहित किये जाने वाले उपाय ढूंढे जाने चाहियें।

7. जल जागरूकता कार्यक्रम

पानी की बर्बादी रोकने, वर्षा जल का संचयन करने, लगातार वृक्षारोपण करने तथा पानी को प्रदुषण से बचाने हेतु लगातार जागरूकता कार्यक्रम चलाते रहना चाहिये और यह प्रयास हम सबको मिलकर करना चाहिए।

8. वाटर ओवरफ्लो अलार्म लगाएं

छतों पर लगी टंकियों से पानी गिरकर बर्वाद होना एक आम दृश्य है। हमें इसे रोकना होगा और इसके लिए सबसे सरल उपाय है कि आप अपनी टंकी को एक water overflow alarm से जोड़ दें। इस बारे में हम डिटेल में अगली पोस्ट में बात करेंगे।

9 . Flush के अन्दर पानी की बोतल में बालू-कंकड़ भर कर डाल दें

अमूमन फ्लश से ज़रूरत से अधिक पानी बहता है, इसलिए अगर आप उसमे १ लीटर की बोतल में बालू-कंकड़ आदि भर के डाल देते हैं तो हर एक फ्लश पे आप १ लिटर पानी बचा सकते हैं, और पूरे वर्ष में हज़ारों लीटर पानी बचाया जा सकता है।

फ्लश से रिलेटेड इस बात पर भी ध्यान दें कि कहीं फ्लश का नौब पूरी तरह से न उठने के कारण वो leak तो नहीं हो रहा है। कई बार इस कारण से रात भर में पूरी टंकी खाली हो जाती है।

10. Water Supply के पानी को अपना पानी समझें 

जो लोग भाग्यशाली हैं उनके घरों में सरकार की तरफ से वाटर-सप्लाई का पानी भी आता है। देखा गया है कि अक्सर लोग लगभग मुफ्त में मिलने वाले इसे पानी को बहुत अधिक बवाद करते हैं…वे इसे क्यारी में लगा कर छोड़ देते है (बरसात के मौसम में भी), अपने कूलर में पानी भरने के लिए लगा कर भूल जाते हैं या वाशिंग मशीन में लगा कर छोड़ देते हैं। और चूँकि ये पाने टाइम-टाइम से आता है, इसलिए कई बार लोग टोटियां खुली छोड़ कर बाकी काम में व्यस्त हो  जाते हैं और जब पाने आने का टाइम होता है तो पानी बस यूँही गिरता रहता है।

इन लापरवाहियों की वजह से वे एक ही दिन में सैकड़ों लीटर पानी बर्वाद कर देते हैं। वहीँ दूसरी और वे अपनी टंकियों में भरे पानी को लेकर बहुत सजग होते हैं।  यदि आप भी ऐसे लोगों में शामिल हैं तो कृपया ऐसा करना बंद करें। पानी तो पानी है, इसमें सरकारी और अपने का भेद नहीं करना चाहिए।

11. उतना ही पानी लें जितना पीना है

जब आप 1 glass RO water पीते हैं तो ध्यान रखिये कि इसे फ़िल्टर करने के प्रोसेस में 3 glass पानी waste किया जाता है। इसलिए जब भी आप गिलास में RO वाटर लें तो पूरा भर के लेने की बजाये उतना ही लें जितना पीना है। और किसी को देना भी हो तो उसे पानी ग्लास में भर कर देने की बजाये जग या water bottle के साथ गिलास दे सकते हैं। इस तरह से काफी पानी बचाया जा सकता है।

यदि आप किसी रेस्टोरेंट में जाते हैं तो सबसे पहले वेटर पानी ला कर रख देता है, तब भी जब आपको उसकी ज़रूरत न हो! इसलिए जब आप ऐसी जगह जाइए तो तभी पानी लीजिये जब वाकई में आपको उसकी need हो।

12. RO Machine या AC से निकलने वाले  waste water को उपयोग करें

RO machine द्वारा लिए गए कुल पानी का 75% part waste हो जाता है। इसलिए कोशिश करिए कि मशीन की वास्ते पाइप से जो पानी निकला रहा है उसे बकेट में इकठ्ठा कर लिया जाए या पाइप लम्बी करके उसे पौधों को सींचने के काम में लाया जाये। इसी तरह AC से निकलने वाले पानी को भी सही तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है।

13. Hand-Pump का प्रयोग करें 

पहले के जमाने में लोग हैण्ड पंप का ही प्रयोग करते थे। इस वाजह से पानी की बर्बादी बहुत कम होती थी, जिसको जितनी ज़रूर होती थी वो उतना ही पानी निकालता था। पर समय के साथ लोग मोटर से पानी भरने लगे और हैण्ड पंप को भूल गए। यदि आपके यहाँ हैण्ड पंप लगा ही न हो तो कोई बात नहीं लेकिन अगर लगा है और बेकार पड़ा है तो उसे ठीक करा कर कभी-कभार प्रयोग करें। अच्छा होगा अगर हम intentionally हफ्ते का एक दिन सिर्फ हैण्ड पंप use करके पानी निकालें। ऐसा करने से कम से कम एक दिन हम सिर्फ उतना ही पानी निकालेंगे जितने की हमें सचमुच ज़रूरत है।

14. सब्जियां-फल किसी बर्तन में धोएं

कई बार लोग सब्जियों और फलों को running water से धोते हैं, अगर इसकी जगह आप किसी बड़े भगौने या बर्तन में पानी भर कर सब्जियां धोएँगे तो पानी भी कम लगेगा और वो ठीक से साफ़ भी हो पाएंगी।

15. Wash-basin का फ्लो कम कर दें 

वाश बेसिन के नीचे भी पानी कण्ट्रोल करने के लिए एक टोटी लगी होती है, अकसर वो पूरी खुली होती है, अगर आप उसे थोड़ा सा घुमा देंगे तो पानी का फ्लो अपने आप कुछ कम हो जाएगा और काफी पानी बर्वाद होने से बच पायेगा।

16. Bathroom में एक-आध बाल्टी एक्स्ट्रा रखें

अकसर गर्मियों के दिनों में टंकी का पानी बहुत गरम हो जाता है और लोग नहाते समय पहले कुछ पानी गिरा देते हैं कि उसके बाद ठंडा पानी आने लगे। ऐसा करना पड़े तो पानी गिराने की बजाये किसी बाल्टी में भर कर रख लें। और बेहतर तो ये होगा कि सुबह के टाइम ही आप बाल्टियों में पानी भर कर रख लें ताकि नहाते वक्त आपको ठंडा पानी मिल सके।

17. प्लम्बर का हल्का-फुल्का काम खुद सीखें 

अकसर देखा जाता है कि घर में मौजूद पानी के taps टपकते रहते हैं और हम उसे यूँही ignore करते रहते हैं क्योकि हम आलस में प्लम्बर को बुलाते नहीं या ये सोचते हैं कि अगर प्लम्बर को बुलायेंगे तो वो अनाप-शनाप पैसे मांगेगा और हम खुद उसे ठीक करने की हिम्मत नहीं दिखाते। लेकिन अगर हम plumbing के बेसिक सामान घर पे रखें और खुद ही छोटी-मोटी चीजें ठीक करना सीख लें तो हम बहुत सारा पानी बर्वाद होने से रोक सकते हैं। मेरी तो सलाह है कि हमें स्कूलों में बच्चों को plumbing से रिलेटेड बेसिक काम ज़रूर सिखाने चाहिए।

18. जो भी पानी बर्वाद करता है उसे रोकें

AKC पर कुछ महीनों पहले एक पोस्ट शेयर की गयी थी –  प्लेट में खाना छोड़ने से पहले Ratan Tata का ये संदेश ज़रूर पढ़ें!

जिसमे उन्होंने जर्मनी के एक रेस्टोरेंट का अनुभव बताया था जिसमे खाना वेस्ट करने पर वहां के नागरिकों ने आपत्ति जताई थी कि भले आपने पैसे देकर खाना खरीदा हो, फिर भी आप उसे बर्वाद नहीं कर सकते क्योंकि  भले पैसा पैसा आपका है पर संसाधन देश के हैं !

और यही बात हम Indians को भी समझनी होगी। पानी की बर्बादी सिर्फ उसे बर्वाद करने वाले को ही नहीं बल्कि पूरे समाज को प्रभावित करती है। अगर आपका पड़ोसी पानी बर्वाद करता है तो आपका भी वाटर-लेवल कम होता है…इसलिए इस अनमोल संसाधन को न waste करिए और न waste करने दीजिये।

आइये जल बचाएँ, “क्योंकि जल होगा तो कल होगा “

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Dr. Manoj Gupta

Dr. Manoj Gupta

Dr.Manoj Gupta

B-3 Palam Vihar, Gurgaon (Haryana) Mob & WhatsApp#:  09929627239 Email:   [email protected] Blog:  drmanojgupta.blogspot.in  (plz visit for Health Articles in Hindi)

डॉ० मनोज गुप्ता राज्य स्तरीय आयुर्वेद के सर्वोच्च पुरस्कार धन्वंतरि पुरस्कार से सम्मानित सीनियर आयुर्वेद विशेषज्ञ हैं। आयुर्वेद एवं स्वास्थ्य लेखन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए आपको माननीय स्वास्थ्य मन्त्री तथा अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। आपके लेख राजस्थान पत्रिका, निरोगसुख   जैसे प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में पब्लिश होते रहे हैं।

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We are grateful to Dr. Manoj Gupta for sharing a very informative article on How to save water in Hindi / Hindi Story on Save Water

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July 3, 2019 at 11:48 am

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जल प्रदूषण क्या है कारण प्रभाव एवं रोकने के उपाय | Water Pollution in Hindi

जल प्रदूषण क्या है कारण प्रभाव एवं रोकने के उपाय Water Pollution in Hindi: जलाशय, मीठे जल के बड़े तालाब, झीले तथा नदियाँ मानव व जन्तुओं के लिए पेयजल के मुख्य स्रोत है.

अधिकांश कस्बें, बड़े शहर व औद्योगिक नगर भी इन्ही जल स्रोतों के निकटवर्ती क्षेत्रों में बसे हुए है. घरेलू अपशिष्ट एवं औद्योगिक अपशिष्ट इन्ही जल स्रोतों में प्रवाहित किया जाता है.

जिससे बड़ी मात्रा जल प्रदूषण होता है. जल प्रदूषण विकास शील तथा विकसित राष्ट्रों के लिए एक समस्या बन गईं है.

वाटर पोल्यूशन  क्या है, इनके कारण प्रभाव तथा जल प्रदूषण को रोकने के लिए किन उपायों को अपनाना चाहिए, इसकी चर्चा इस लेख में करेगे.

जल प्रदूषण क्या है कारण प्रभाव रोकने के उपाय Water Pollution in Hindi

जल प्रदूषण क्या है कारण प्रभाव एवं रोकने के उपाय | Water Pollution in Hindi

इन जल स्रोतो का प्रदूषण विभिन्न प्रदूषकों जैसे वाहित मल (Sewage) , कार्बनिक अपमार्जकों (detergents), जल में विलयित पीडकनाशी व कीटनाशी औद्योगिक द्रव अपशिष्ट में घुले कार्बनिक व अकार्बनिक रसायनों, हानिकारक सूक्ष्मजीवों , नदी नालों के साथ बहकर आने वाले मृदा अवसाद (soil sediment) के कारण जल प्रदूषण होता है.

जल प्रदूषण क्या है अर्थ एवं परिभाषा (What is water pollution Meaning & Definition in hindi)

जीवमंडल में जीवों के शरीर के सम्पूर्ण भार का दो तिहाई या 66 प्रतिशत भाग जल ही होता है. मानव रक्त में 79%, मस्तिष्क में 80%, हड्डियों में 10 प्रतिशत जल की मात्रा निहित होती है. जल समस्त जैविक कारकों के शरीर के भागों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.

प्राकृतिक जल में किसी भी अवांछित बाह्य पदार्थ की उपस्थिति जिससे जल की गुणवत्ता में कमी आती हो, जल प्रदूषण कहलाता है. सिंचाई या पीने के लिए जो पानी उपलब्ध है वह मनुष्य की विकृत जीवन पद्धति के कारण प्रदूषित होता जा रहा है.

सिंचाई में कीटनाशकों का उपयोग, उद्योगों द्वारा दूषित पानी को जल स्रोतों में छोड़ा जाना, तेजाबी वर्षा, शहरों के सीवरेज के पानी को नदियों एवं झीलों में छोड़ा जाना. खनिजों का पानी में घुला होना जल प्रदूषण के मुख्य कारण है.

जल प्रदूषित होने से मनुष्य केवल रोगग्रस्त ही नही होते बल्कि भूमि की उत्पादकता में गिरावट भी आती है. जल प्रदूषण के मुख्य स्रोत निम्नलिखित है.

  • घरेलू अपमार्जक
  • औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थ
  • कीटनाशकों का उपयोग
  • ताप एवं आणविक बिजलीघर आदि के प्रयोग से निकलने वाला प्रदूषित जल आदि. जलीय प्रदूषण से जलीय पौधों व जन्तुओं की वृद्धि रुकने व इनकी म्रत्यु हो जाने के साथ साथ भूमि की सतह पर जल अवरोधी सतह बन जाने से भूमिगत जल के स्तर में कमी आती है. उद्योगों से निकलने वाले दूषित जल को उपचारित कर उद्योगों में पुनः कम में लाया जाना चाहिए.

जल प्रदूषण के कारण (Cause of Water Pollution in Hindi)

प्रदूषित जल के प्राकृतिक व मानव जनित दो प्रकार के कारण होते है.-

जल प्रदूषण प्राकृतिक स्रोत (Natural sources of water pollution)-

  • जल प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोतों के अंतर्गत जन्तुओं के मल पदार्थ, पादपो व जन्तुओं के अवशेष, ह्यूमरस, विभिन्न प्रकार के खनिजों की खानों से निकलकर जल में सम्मिश्रण, भू क्षरण इत्यादि सम्मिलित है.
  • बहते हुए पानी में कई बार धातुओं जैसे आर्सेनिक, सीसा (लेड), केडमियम, पारा इत्यादि की मात्रा अधिक हो जाती है. तो ऐसा जल जहरीला हो जाता है.

मानव जनित स्रोतों से जल प्रदूषण (Water Pollution from Human Generated Sources)

  • घर से निकलने वाले कचरे में सड़े फल, तरकारियों के छिलके, कूड़ा करकट, गंदा साबुन व अपमार्जक युक्त प्रमुख है. घरेलू अपशिष्ट पदार्थ मलिन बहिस्राव को मलिन जल कहते है.
  • जनसंख्या में वृद्धि होने के साथ पानी अधिक खर्च होने लगा तथा कल कारखानों में भी पानी की मांग तेजी से बढ़ी. वस्त्र उद्योग, कागज, रसायन उद्योगों में पानी की खपत ज्यादा होती है व प्रयोग के बाद हल प्रदूषित होता है. इस प्रकार औद्योगिकिकरण की प्रगति के साथ साथ प्रदूषित जल की मात्रा भी बढती है.
  • जल में कणीय पदार्थ अत्यंत सूक्ष्म अघुलनशील पदार्थ, कोलायडी व सूक्ष्मजीव होते है. घरों से निकलने वाली गंदगी में रसोईघरों, स्नानघरों व शौचालयों से निकलने वाली गंदगी प्रदूषकों के रूप में उपस्थित रहती है.
  • कई बार नाइट्रोजन व फास्फोरस की मात्रा अधिक होने पर समुद्र में शैवालों की संख्या अधिक बढ़ जाती है जिससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने लगता है. जल में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने से वह हड्डियों के रोग उत्पन्न करता है.
  • घरों व उद्योगों से निकले प्रदूषित जल को नदियों व नालों में छोड़ दिया जाता है. आज जल प्रदूषण इतना बढ़ चुका है, कि नदियाँ प्रदूषित जल लेकर समुद्रों में इसे मिलाकर प्रदूषित करती जा रही है.

जल प्रदूषण के मुख्य कारण (water pollution causes and effects)

वाहित मल (sewage as water pollution in hindi).

यह अधिकांश कार्बनिक पदार्थ होते है. जो सूक्ष्मजीवों द्वारा CO2 व जल में ऑक्सीकृत कर दिए जाते है. अतः जल स्रोतों में वाहित मल का अनुपात कम है तो जल प्रदूषित नहीं हो पाएगा.

लेकिन यदि झील या नदी में अधिक वाहित मल को विसर्जित किया है तो सूक्ष्मजीवों की आबादी बहुत बढ़ जाएगी और उनकी श्वसन क्रिया में जल में घुलित ऑक्सीजन समाप्त हो जाएगी तथा उसी अनुपात में जल में CO2 की मात्रा बढ़ जाएगी.

CO2 के अभाव में मछलियाँ व अन्य जलीय जन्तु व पौधें मर जाएगे और नदी या झील एक बदबूदार जलाशय बन जाएगा. एक इकाई आयतन जल में निर्धारित समय में O2 के उपयोग की मात्रा ज्ञात करके कार्बनिक प्रदूषकों की मात्रा का अनुमान लगा देते है, इस प्रकार के मापन को जैव रासायनिक आवश्यक ऑक्सीजन (BIOLOGICAL OXYGEN DEMAND BOD) कहते है.

चमड़े के कारखानों, पशु वधशालाओं, यात्री जहाजों व नौकाओं द्वारा विसर्जित वाहित मल में अनेक संक्रामक जीवाणु होते है. जो मानव व जन्तुओं के कई रोगों जैसे (हैजा, टायफाइड, पीलिया) के कारक है. वाहित मल जलीय जीवों के पोषक है और जलाशयों को अधिक उर्वर या सुपोषी (EUTROPHIC) बनाते है.

सुपोषकों से शैवालों की वृद्धि तेजी से होती है और अल्प काल में ही जलाशय, झील, नदी आदि शैवालों की सघन फूली हुई वृद्धि से भर जाती है. इसे शैवाल ब्लूम (ALGAL LOOM) कहते है.

शैवालों के मरने से इनका जीवाणुओं द्वारा अपघटन भी होता है, जिससे जल में O2 की मात्रा कम हो जाती है. साथ ही साथ जल प्रदूषण बढ़ता जाता है. ऐसी अवायवीय परिस्थतियों में अनेक जलीय पौधें व मछलियाँ मर जाती है.

विभिन्न उद्योगों द्वारा द्रव अपशिष्ट विसर्जन (Fluid waste excretion by various industries)

विभिन्न उद्योगों जैसे पेट्रो रसायन, उर्वरक तेल शोधन, औषधि रेशे, रबर, प्लास्टिक आदि के कारखानों से निकला द्रव अपशिष्ट नदियों के लिए गंभीर प्रदूषक है.

इन कारखानों से निकलने वाले अपशिष्टों में अनेक विषाक्त रसायन व अम्ल घुले रहते है, ये जल को दूषित करते है तथा भूमि में रिसकर भूमितल के जल को भी प्रदूषित करते है.

इन द्रव अपशिष्टों के कारण झीलों के जल का प्रदूषण हो जाता है. इनमें रहने वाले पेड़ पौधे मर जाते है. जन्तुओं तथा मनुष्यों द्वारा इस जल को पीने से अनेक गम्भीर रोग हो जाते है.

ये विषाक्त पदार्थ एक जीव से दूसरे जीव में खाद्य श्रंखला द्वारा स्थानातरित हो जाते है. रसायन उद्योग व पारा, द्रव अपशिष्टों के रूप में नदियों और फिर समुद्री जल में पहुच जाता है. स्वचालित नौकाओं के विरेचन से भी पारा व सीसा होता है और जल में मिलता रहता है.

यह अत्यंत विषाक्त मिथाइल पारा बनाता है जो जलीय जन्तुओं के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है. जल का दूसरा धातु प्रदूषक सीसा (lead) है.

यह सीसा खनन व स्वचालित जलवाहक रेचकों द्वारा जल में पहुचता है तथा जन्तुओं में खाद्य श्रंखला द्वारा पहुचकर विषाक्त प्रभाव दिखाता है.

जल प्रदूषक के रूप में रासायनिक उर्वरक (Chemical fertilizer as a water pollution In Hindi)

कृषि उत्पादन में वृद्धि करने हेतु रासायनिक उर्वरकों जैसे यूरिया, पोटाश, डाइमोनियम फास्फेट आदि का उपयोग किया जाता है. ये उर्वरक जल के साथ बहकर जलाशयों में आ जाते है. इस कारण शैवाल ब्लूम (algal bloom) बनते है.

जल प्रदूषण के रूप में पीडकनाशी व कीटनाशक (Pidicidal and pesticide in the form of water pollution In Hindi)

फसल के रोगाणुओं व कीटों का नाश करने हेतु पीड़कनाशीयों व कीटनाशकों का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है. पीड़क नाशक ddt का उपयोग कृषि में नाशक जीवों को नष्ट करने व मच्छरों का नाश करने में किया जाता है. इसका अधिक उपयोग अब एक गंभीर मृदा एवं जल प्रदूषण का कारण बन गया है.

ये सभी अविघनीय कार्बिनिक यौगिक है. इसके लगातार उपयोग से मृदा व जल में इनकी सांद्रता बढती जाती है. ये रसायन जैविक आवर्धन (biological magnification) भी प्रदर्शित करते है.

इन हानिकारक रसायनों की सांद्रता उतरोतर पोषकस्तरों में बढ़ती जाती है. जब पादप शरीर में ddt की सांद्रता बढ़ती जाती है तब इन पर निर्भर शाकाहारी कीटों मछलियों द्वारा इन पादपों का भक्षण, इन उपभोक्ताओं में ddt की सांद्रता को और अधिक बढ़ा देते है.

इसी क्रम में खाद्य श्रंखला के अंतिम मासाहारी उपभोक्ताओं में DDT की सांद्र्ट्स की वृद्धि होना हानिप्रद हो जाता है. मानव द्वारा मच्छलियों को खाने से उनका स्वास्थ्य गम्भीर रूप से प्रभावित होता है.

प्रदूषित जल पीने योग्य नही होता है. इसमें प्राय एक विशिष्ट प्रकार की दुर्गन्ध आती है. यह नहाने धोने के लिए उपयुक्त नही होता है. इसमें अनेक रोगों (टाइफाइड, हैजा व पीलिया ) के रोगाणु होते है. ये प्रदूषित जल पीने से रोग फैलते है.

सागरीय जल का प्रदूषण (Pollution of sea water)

सागरीय जल का प्रदूषण निम्न कारणों से होता है.

  • सागर के तटवर्ती भागो में नगरीय एवं औद्योगिक प्रतिष्ठानों से अपशिष्ट जल, मलजल, कचरा तथा विषाक्त रसायनों का विसर्जन.
  • ठोस अपशिष्ट पदार्थों खासकर प्लास्टिक की वस्तुओं का सागरों में निस्तरण.
  • तेल वाहक जलयानों से भारी मात्रा में खनिज तेल का रिसाव तथा अपतट सागरीय तेल कुंपो से निसंतत प्रदूषण. खनिज तेल के रिसाव से सागरीय जल की सतह पर तेल की परत (oil slicks) बन जाती है. जो सागरीय जीवों को नष्ट कर देती है.
  • भारी धात्विक पदार्थों यथा सीसा, तांबा, जस्ता, क्रोमियम व निकल आदि का वायुमंडलीय मार्ग से सागरों में पहुचना. जलयानों तथा नाभिकीय शस्त्रों के परीक्षण से निकलकर सागरों में पहुचना आदि.

सागरीय जल प्रदूषण को रोकने के उपाय ( Can Do To Reduce Water Pollution)

सागरीय जल को विश्व समुदाय की ओर से प्रदूषण मुक्त रखने के लिए प्रभावी उपाय जरुरी है. यदि प्रदूषकों के सागरों में विसर्जन एवं निस्तारण पर पूर्ण रोक संभव नही है तो कम से कम उसकी न्यूनतम मात्रा तो निर्धारित होनी चाहिए.

इस सन्दर्भ में कई कानून भी बनाए गये है. यथा उच्च सागर के कानून, महाद्वीपीय मग्न तट कानून आदि. लेकिन ये कानून पर्याप्त नही है.

गहरे सागरों के विदोहन, सागरों के सामरिक और सैनिक उपयोग, वैज्ञानिक शोध आदि से सम्बन्धित कानून तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है. सागरीय जैविक प्रक्रिया के अध्ययन के लिए गहन एवं व्यापक पारिस्थतिकीय शोध की अति आवश्यकता है.

जल प्रदूषण का प्रभाव (impact of water pollution on human health)

  • पारे द्वारा प्रदूषित जल के उपयोग से मिनिमाटा रोग हो जाता है.
  • पेयजल में नाइट्रेड की अत्यधिक मात्रा मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. तथा इससे नवजात शिशुओं की म्रत्यु भी हो जाती है. नाइट्रेड के कारण ब्लू बेबी सिंड्रोम नामक बीमारी हो जाती है.
  • पेयजल में फ्लोराइड की अत्यधिक मात्रा से दांतों में विकृति आ जाती है.
  • जल में आर्सेनिक होने से ब्लैकफुट बीमारी हो जाती है. आर्सेनिक से डायरिया, पेरिफेरल, फेफड़े व त्वचा का कैंसर हो जाता है.
  • प्रदूषित जल से मानव की खाद्य श्रंखला प्रभावित होती है.
  • मछुआरों की आजीविका व स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.

जल प्रदूषण पर नियंत्रण, रोकने के उपाय (Control over water pollution in hindi)

निम्नलिखित उपाय जल प्रदूषण के नियंत्रण हेतु कारगर हो सकते है.

  • मानव समुदाय को जल प्रदूषण के विभिन्न पक्षों के विषय में चेतना तथा जन जागरण कराना होगा तथा जल प्रदूषण का सही बोध कराना होगा.
  • आम जनता को जल प्रदूषण एवं उससे उत्पन्न कुप्रभावों के बारे में शिक्षित करना होगा.
  • आम जनता को घरेलू अपशिष्ट प्रबन्धन में दक्ष करना होगा.
  • औद्योगिक प्रतिष्ठान हेतु स्पष्ट नियम बनाए जाए, जिससे वें कारखानों से निकले अपशिष्टों को बिना शोधित किये नदियों, झीलों या तालाबों में विसर्जित ना करे.
  • नगरपालिकाओं के लिए सीवर शोधन सयंत्रों की स्थापना कराई जानी चाहिए तथा सम्बन्धित सरकार को प्रदूषण नियंत्रण की योजनाओं के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन के लिए आवश्यक धन तथा अन्य साधन प्रदान किये जाएं.
  • नियमों एवं कानूनों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए. तथा इनके उल्लघन करने पर कठोर सजा एवं अर्थ दंड मिलना चाहिए.

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कई बार वहां हालात इतने खराब हो गए कि लोग घरों में रहने के लिए मजबूर हुए. हॉस्टल, आईटी कम्पनीज और होटल सब या तो बंद करने पड़े, या फिर अनियमित तरीके से खोले गए. लोग पानी के लिए हाथा-पाई करते तक देखे गए. ऐसे में अगर जल्द ही इस समस्या पर काम नहीं किया गया, तो स्थिति और खराब हो सकती है. तो आइए आज उन तरीकों को जानते हैं, जिनकी मदद से पानी का संरक्षण संभव है.

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1. हर दिन बालों को शैम्पू करने से बच सकते हैं

अपने बालों को धोने के लिए अतिरिक्त मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है. ऐसे में वैकल्पिक दिनों में या दो दिन के अंतराल के बाद बाल धोने से बड़ी मात्रा में पानी को बचाया जा सकता है.

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2. दांत ब्रश करते समय नल को बंद रख सकते हैं

दांत ब्रश करने के लिए ज्यादातर लोग नल की टोटी का प्रयोग करते हैं. इस आदत के कारण कई लीटर पानी बेकार बहता है. जबकि, अगर हम इस काम के लिए लोटा या मग का प्रयोग करते हैं, तो महज 1 लीटर पानी में हमारा काम चल सकता है.

3. शावर, टब की जगह बाल्टी से स्नान कर सकते हैं

स्नान करते समय 'बाल्टी' में पानी लेकर शावर, टब में नहाने की तुलना में अधिक जल बचाया जा सकता है. रसोई में भी टब या बाल्टी से बर्तन साफ कर सकते हैं.

4. टॉयलेट फ्लश में रेत से भरी बोतल रख सकते हैं

जल बचाने का यह एक कारगर उपाय है. इसमें अगर हम प्लॉस्टिक की एक बोत में रेत भरकर अपने टॉयलेट के फ्लश की टंकी में रखते हैं, तो उसमें कम पानी भरेगा और कम यूज होगा.

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5. बरसात के पानी को स्टोर कर काम में ला सकते हैं

गांवों, कस्बों में आपने तालाब जरूर देखे होंगे. जिनमें बारिश का पानी आसानी से स्टोर हो जाता है. दुर्भाग्यवश हम तालाबों को पाटते चले गए. परिणाम सबके सामने हैं. ऐसे में तालाब की जगह अगर हम अपने-अपने घरों की छत से नीचे गिरने वाले पानी को ही किसी तरह स्टोर कर लें. तो यह जानवरों के साथ-साथ हमारी कई जरूरतों को पूरा कर सकता है.

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6. पौधों को पानी देने के लिए वाटरिंग कैन का प्रयोग

यदि हम पौधों को बाल्टी या मग की मदद से पानी देते हैं, तो हमें अधिक पानी की जरूरत होती है. वाटरिंग कैन का प्रयोग इसमें मददगार होगा. वहीं अगर हम यह काम सुबह-सवेरे करते हैं, तो यह सोने में सुहागा जैसा होगा.

7. वॉशिंग मशीन में एकसाथ कपड़े धो सकते हैं

आमतौर पर हम 2-4 कपड़ों को धुलने के लिए भी वॉशिंग मशीन का प्रयोग करने से नहीं चूकते. जबकि अगर हम तब तक अपने कपड़े न धुले, जब तक वह पूरी तरह से भरी न हो. यह पानी बचाने की दिशा में आपका एक बड़ा कदम होगा.

8. सार्वजनिक स्थलों की टोटियां सही करा सकते हैं

अगर आपके आसपास किसी भी सार्वजनिक स्थल पर नल की टोंटियां खुली या टूटी रहती हैं, तो आप इन्हें सही कराकर. अनजाने ही प्रतिदिन हजारों लीटर बेकार होने वाले पानी को संरक्षित कर सकते हैं. सर्वाजनिक स्थल पार्क, स्कूल, अस्पताल, मन्दिर, आदि कुछ भी हो सकता है.

9. कार धोते वक्त पाइप के उपयोग से बच सकते हैं

सिर्फ एक बार आप कार को धोने के लिए पानी के पाइप की जगह बाल्टी और एक स्पंज प्रयोग करके देखे. इससे कितनी बड़ी मात्रा में पानी को बचाया जा सकता है. इसका अंदाजा आपको खुद लग जाएगा.

10. पौधों पर कम से कम उर्वरक डाल सकते हैं

इसमें कोई दो राय नहीं कि उर्वरक पौधों की वृद्धि में सहायक होते हैं. मगर वह पानी की खपत को भी बढ़ाते हैं. ऐसे में अगर हम इसका कम से कम प्रयोग करते हैं, तो पानी की मात्रा भी पौधों को कम से कम चाहिए होगी.

Homegardennet

11. जानवरों को बगीचे में स्नान करा सकते हैं

अगर आप अपने पालतू जानवरों को बगीचे में स्नान कराते हैं, तो इससे तीन फाएदे होंगे. पहला तो आपका जानवर नहा लेगा, दूसरा आपके बगीचे को भी पानी मिल जाएगा. तीसरा एक बड़ी मात्रा में आप पानी को संरक्षित करने में कामयाब होंगे.

ये तो महज कुछ एक सरल चीजें हैं. इस सूची में कई और तरीके हो सकते हैं, जिनकी मदद से हम पानी को बचाकर जल संकट से निपट सकते हैं. अगर आप भी किसी ऐसे तरीके को जानते हैं, तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं. हम उसे अपने इस लेख का हिस्सा बना सकते हैं.

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सुधीर सिंह

नाम सुधीर सिंह, पता कानपुर और दिमागी उपज नवोदय की है. पढ़ने-लिखने के शौक ने पत्रिकारिता की राह दिखाई. हिस्ट्री, स्पोर्ट्स, लाइफ स्टाइल, वार हीरोज़ की कहानियों के साथ कई सफल इंटरव्यू कर चुके हैं. शहर में गांव जैसे रहते हैं और ज़ुबान पर तमाम किस्से-कहानी रखते हैं.

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presentation on water conservation in hindi

जल संरक्षण पर निबंध | Essay on Water Conservation in Hindi

by Meenu Saini | Nov 23, 2023 | Hindi | 0 comments

Essay on Water Conservation in Hindi

Hindi Essay and Paragraph Writing – Water Conservation (जल संरक्षण ) for classes 1 to 12

जल संरक्षण  पर निबंध – इस लेख में हम जल संरक्षण की आवश्यकता क्यों है, जल संरक्षण के क्या लाभ हैं, जल को बचाने के लिए हमें क्या करना चाहिए के बारे में जानेंगे। पृथ्वी का 70% भाग पानी से ढका हुआ है लेकिन इसका अधिकांश भाग समुद्र में मौजूद है, जो खारा है। इससे हमें ताजे पानी के लिए महासागरों के अलावा अन्य स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है।  जल की प्रत्येक बूँद हमारे लिए कीमती है। इसे बचाने का प्रयास किया जाना चाहिए। अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में जल संरक्षण पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में जल संरक्षण  पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250 से 350 शब्दों में अनुच्छेद दिए गए हैं।

  • जल संरक्षण पर 10 लाइन  10 lines
  • जल संरक्षण पर अनुच्छेद 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में
  • जल संरक्षण पर अनुच्छेद 4 और 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में
  • जल संरक्षण पर अनुच्छेद 6, 7 और 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में
  • जल संरक्षण पर अनुच्छेद 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में

जल संरक्षण पर 10 लाइन 10 lines on Water Conservation in Hindi

  • जल संरक्षण का अर्थ है – जल के प्रयोग को घटाना एवं सफाई, निर्माण एवं कृषि आदि के लिए अवशिष्ट जल का पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) करना।
  • हमारी पृथ्वी का 71% भाग जल से घिरा हुआ है जिसमें से केवल 1.6% जल ही मानव के प्रयोग करने लायक है। 
  • पृथ्वी के के सभी जीवित प्राणियों के लिए पानी बेहद महत्वपूर्ण है, इसलिए इसे बचाना और संरक्षित करना अनिवार्य है। 
  • सूखा, कॉन्टेमिनेशन तथा प्रदूषण के कारण हर साल पीने योग्य पानी की कमी होती जा रही है।
  • भारत में कई ऐसे क्षेत्र है जहाँ पानी की गंभीर समस्या बनी हुई है।
  • अगर आज हमने जल का संरक्षण नहीं किया तो आने वाली भावी पीढ़ियां स्वच्छ पानी के लिए तरस जायेंगी।
  • बरसात के पानी को जमा करके उसका उपयोग करने से स्वच्छ जल बचाने में मदद मिल सकती है।
  • प्रत्येक व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में कुछ परिवर्तन करके जल संरक्षण कर सकते है, जैसे अनावश्यक पानी का इस्तेमाल कम करके।
  • इसके अलावा, टूटे-फूटे नलों से बहते अनावश्यक पानी की बर्बादी को रोक कर पीने योग्य पानी बचाया जा सकता है।
  • पानी को दूषित होने से बचाने के लिए कारखानों से निकलने वाले हानिकारक तत्वों को नदियों में मिलने से रोक कर किया जा सकता है।

Short Essay on Water Conservation in Hindi जल संरक्षण  पर अनुच्छेद 100, 150, 200, 250 से 350 शब्दों में

जल संरक्षण पर निबंध – जल जीवन का आधार है। जल न हो तो हमारे जीवन का आधार ही समाप्त हो जाएगा। इसलिए हमारे धरती पर जल की सीमित उपलब्धता को देखते हुए जल का संरक्षण करना अनिवार्य हो जाता है।

जल संरक्षण पर निबंध/ अनुच्छेद कक्षा 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में

पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणियों के लिए जल बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए जल को बचाना और उसका संरक्षण करना बहुत जरूरी है। जैसे जैसे जनसंख्या बढ़ रही है वैसे वैसे पानी की माँग भी बढ़ रही है। पीने के लिए, नहाने के लिए,  खाना बनाने के लिए, साफ-सफाई के लिए तथा अन्य कामों के लिए पानी मनुष्य की सबसे प्राथमिक और प्रमुख आवश्यकता बन गई है। इसलिए, जल संरक्षण के लिए कड़े कदम उठाना जरूरी है। जैसे अनावश्यक पानी की बर्बादी को रोक कर तथा वर्षा जल को जमा करके और उसके उपयोग के माध्यम से।

जल संरक्षण पर निबंध/ अनुच्छेद कक्षा 4, 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में

पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणियों के अस्तित्व के लिए पानी बेहद जरूरी है, इसलिए पानी को बचाना और इसे संरक्षित करना अनिवार्य है। बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ पानी की आवश्यकता भी बढ़ती जा रही है। पीने, नहाने, खाना पकाने, सफाई और अन्य विभिन्न उद्देश्यों के लिए पानी की आवश्यकता मनुष्य के लिए सर्वोपरि आवश्यकता बन गई है। नतीजतन, जल संरक्षण के लिए कड़े कदम उठाना जरूरी है। हम घर पर पानी की खपत के बारे में जागरूक होकर पानी की कमी को रोक सकते हैं और इस मूल्यवान संसाधन का संरक्षण कर सकते हैं। इसमें कम देर तक नहाना, ब्रश या शेव करते समय नल बंद रखना और अनावश्यक पानी का उपयोग कम करना शामिल है। इसके अलावा, वर्षा जल को इकट्ठा करना और इस जल को पौधों को पानी देने या स्वच्छता जैसी गतिविधियों के लिए में शामिल करके जल संरक्षण प्रयासों में और योगदान दे सकते है। 

जल संरक्षण पर निबंध/ अनुच्छेद कक्षा 6, 7, 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में

जल है तो कल है। यह कथन अतिशयोक्ति नहीं है, क्योंकि पानी के बिना पृथ्वी पर किसी का भी जीवित रहना असंभव है। पानी व्यक्ति के जीवन के सभी पहलुओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि इसके बिना कई गतिविधियाँ पूरी नहीं की जा सकतीं। यह सब बाते जानते हुए भी व्यक्ति इसे बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ता है। हमारी पृथ्वी का 71% भाग जल से घिरा हुआ है जिसमें से केवल 1.6% जल ही मानव के प्रयोग करने लायक है। और यह भी जल धीरे-धीरे घटता जा रहा है या दूषित होता जा रहा है। भारत के कई राज्यों में स्वच्छ जल की कमी है। लोगों को कई मील दूर जाकर अपने लिए पानी का इंतजाम करना पड़ता है। कई स्थानों पर प्रकृति के इस अमूल्य उपहार को खरीद कर प्रयोग किया जाता है। यह सब देखते हुए प्रकृति की इस धरोहर को बचाने और धरती पर जीवन कायम रखने के लिए कई देश जल संरक्षण पर काम भी कर रहे हैं। जीवन जीने के लिए जल और वह भी स्वच्छ जल बहुत ही आवश्यक है। इसलिए हमें जल का दुरुपयोग करने से बचना चाहिये। हमें जितनी आवश्यकता हो उतना ही पानी लेना चाहिए और पानी की एक-एक बूँद को बचाकर जल संरक्षण में अपना योगदान देना चाहिए। 

जल संरक्षण पर निबंध/ अनुच्छेद कक्षा 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 300 शब्दों में

पृथ्वी पर सभी जीव के जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए जल का संरक्षण करना बहुत जरूरी है, क्योंकि बिना जल के जीवन जीना संभव नहीं है। पूरे ब्रह्मांड में एक अपवाद के रूप में पृथ्वी पर जीवन चक्र को जारी रखने में पानी बहुत मदद करता है क्योंकि यह मनुष्यों द्वारा अपनी दैनिक दिनचर्या में उपयोग किया जाने वाला बहुमूल्य संसाधन है। इसलिए, प्रत्येक व्यक्ति को जल संरक्षण को प्राथमिकता देना और भावी पीढ़ियों के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने की गारंटी देना अनिवार्य है। हमारी पृथ्वी का तीन-चौथाई भाग जल से घिरा हुआ है। फिर भी इतना जल होते हुए भी उनमें से केवल कुछ ही प्रतिशत प्रयोग करने लायक होता है। इस तीन-चौथाई जल का 97 प्रतिशत जल खारा होता है जो मनुष्यों द्वारा प्रयोग करने लायक नहीं है। सिर्फ 3 प्रतिशत जल उपयोग में लाने लायक है। इस 3 प्रतिशत में से 2 प्रतिशत जल तो धरती पर बर्फ और ग्लेशियर के रूप में है और बाकी का बचा हुआ एक प्रतिशत जल ही पीने लायक है। यह भी जल धीरे-धीरे कम होता जा रहा है या प्रदूषित होता जा रहा है। हमें यह भी मालूम है कि देश में कई ऐसे क्षेत्र हैं जो सूखे से ग्रस्त हैं अर्थात जहाँ बारिश कम होती है या होती ही नहीं अथवा जहाँ नदियों का अभाव है और ऐसे स्थानों पर लोग पानी के लिए तरसते हैं। लोगों को कई मील दूर जाकर अपने लिए पानी का इंतजाम करना पड़ता है तथा कई स्थानों पर लोग इसकी कमी के कारण या दूषित जल के प्रयोग के कारण ही मर जाते हैं। जल के बिना तो पेड़ पौधे, पशु-पक्षी सभी प्रभावित होते है। इसलिए, इन सब बातों को ध्यान में रखकर प्रत्येक व्यक्ति को पानी की कीमत को समझना चाहिए और इसे बचाने का हर संभव कोशिश करना चाहिए और साथ में जल का संरक्षण करने के लिए लोगों के बीच जागरूकता भी फैलाना चाहिए ताकि लोग पानी की एक-एक बूँद को बचाना सीख जाए।

Jal sanrakshan par Nibandh Hindi Essay 

 जल संरक्षण (water conservation)  par nibandh hindi mein.

जल संरक्षण पर निबंध   – जल मनुष्य की सबसे प्राथमिक और प्रमुख आवश्यकताओं में से एक है। हमारी पृथ्वी का 71% भाग जल से घिरा हुआ है जिसमें से केवल 1.6% जल ही मानव के प्रयोग करने लायक है। 

जल एक अनवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन है, अर्थात इसको पुनः किसी भी तरह से बनाया नहीं जा सकता अब आपको यह पता ही चल गया होगा की हमारे पास केवल 1.6% ही जल है और दिन प्रतिदिन साल दर साल यह मात्रा कम ही हो रही है। 

मानव जल का बेहद ही लापरवाह तरीके से प्रयोग करता है वह यह तो जानता है कि पृथ्वी पर पीने योग्य पानी बेहद ही सीमित मात्रा में है लेकिन इसके बावजूद प्रयोग करने से ज्यादा इस पानी को बिना वजह बहा देता है और तो और बरसात के पानी को भी ऐसे ही बहने देता है। 

क्या आपको पता है कि अगर हम बरसात के पानी और प्रयोग करने वाले पानी का संरक्षण करें तो हम जल की इस सीमित मात्रा में वृद्धि कर सकते हैं तथा अपने आगे आने वाली पीढ़ियों का भविष्य भी सुरक्षित कर सकते हैं। 

इस जल संरक्षण के निबंध में हम आज की सबसे जटिल समस्याओं में से एक जल संरक्षण के विषय पर कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों को साँझा करेंगे। 

जल संरक्षण एक ऐसा विषय है जिस पर आपको किसी भी कक्षा में निबंध लिखने के लिए कहा जा सकता है। अतः आशा करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई जानकारियाँ आपके लिए सहायक सिद्ध होगी। 

  • जल संरक्षण की परिभाषा

जल संरक्षण की आवश्यकता

जल संरक्षण की विधियां, जल संरक्षण नहीं करने के परिणाम.

  • जल संरक्षण हेतु भारत सरकार की प्रमुख योजनाएं  

वर्तमान में भारत ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व में जल संरक्षण एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है, इस बात की गवाही निम्नलिखित आंकड़े देते हैं; 

  • दुनिया भर में लगभग 900 मिलियन से 1.1 बिलियन लोगों के पास सुरक्षित पेयजल नहीं है, और 2.4 बिलियन लोगों के पास बुनियादी स्वच्छता तक पहुंच भी नहीं है।  
  • तेजी से बढ़ती जनसंख्या की तुलना में पानी की खपत तेजी से बढ़ रही है।  
  • पिछले 70 वर्षों में जहां दुनिया की आबादी तीन गुना हो गई है, वहीं पानी की खपत छह गुना बढ़ गई है।  
  • संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 2025 तक दुनिया के 8 अरब लोगों में से 5 अरब लोग पानी की कमी वाले क्षेत्रों में रहेंगे। 
  • सुरक्षित पेयजल तक पहुंच न होना सभी वैश्विक मौतों में से 80% के लिए जिम्मेदार था।  
  • हेपेटाइटिस ए, पेचिश और गंभीर दस्त सहित जलजनित संक्रमणों से हर साल लगभग 5 मिलियन लोगों की मौत हो जाती है।

इनमें से कई लोग अपनी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त पानी पाने के लिए संघर्ष करेंगे।

जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ी है, कृषि में प्रगति हुई है, आधुनिकीकरण विकसित हुआ है और आजीविका में सुधार हुआ है, इसके फलस्वरूप पानी की खपत भी बढ़ रही है।  

इसके अलावा अकाल, दुरुपयोग और प्रदूषण ने आपूर्ति कम कर दी है। झीलों, नदियों और आर्द्रभूमियों से अक्सर पानी निकाला जाता है, जिससे महत्वपूर्ण पर्यावरणीय क्षति होती है।  

2003 की संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, “दुनिया भर में, मेगासिटीज और कृषि की मांग के कारण भूजल की निकासी हो रही है, जबकि उर्वरक अपवाह और प्रदूषण पानी की गुणवत्ता और मानव स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहे हैं।”

इन आंकड़ों को देखने के बाद अब चलिए जल संरक्षण की परिभाषा, आवश्यकता, प्रमुख विधियां और वर्तमान में भारत सरकार द्वारा इस दिशा में चलाई जा रही प्रमुख योजना के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।

जल संरक्षण की परिभाषा (Definition of water conservation)

जल की क्षति को बचाने की प्रक्रियाओं को जल संरक्षण कहते हैं। 

दूसरे शब्दों में – “जल संरक्षण का अर्थ है पानी का प्रभावी ढंग से उपयोग करना, पानी की बर्बादी को कम करने के लिए पानी के उपयोग को बनाए रखना, निगरानी करना और प्रबंधित करना। जल संरक्षण में ताजे पानी के प्राकृतिक संसाधनों को स्थायी रूप से प्रबंधित करने, जलमंडल की सुरक्षा करने और वर्तमान और संभावित मानव मांग को पूरा करने से जुड़ी सभी नीतियां, रणनीतियां और पहल शामिल हैं।”

एक वयस्क मनुष्य में पानी की मात्रा 60% होती है।  जैसा कि पृथ्वी पर शेष सभी जीवन के लिए है, पानी हमारे अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है। जल पृथ्वी पर जीवन के लिए वनस्पति, जीवों और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण है। 

भोजन उत्पादन से लेकर स्वच्छता और अवकाश तक, मनुष्य विभिन्न उद्देश्यों के लिए पानी पर निर्भर हैं। 

दुनिया की प्रत्येक प्रजाति पानी पर बहुत अधिक निर्भर करती है, और जब यह संसाधन प्रभावित या कम हो जाता है, तो मानव और पशु जीवन दोनों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं।

कुछ लोग इस बात से अनभिज्ञ हैं कि ताज़ा पानी कितना कीमती और सीमित है और इसके संरक्षण से कितनी मदद मिल सकती है।  

यदि हम संरक्षण प्रयासों को अपनाते हैं तो हमारे शहर में उपयोग के लिए पर्याप्त पानी होगा।

जल संरक्षण की आवश्यकता को हम निम्न बिंदुओं द्वारा समझ सकते हैं:

  • सूखा और पानी की कमी कम हो गई है, बढ़ते खर्च और नागरिक अशांति कम हो गई है, हमारा पर्यावरण सुरक्षित है, और मनोरंजक गतिविधियों के लिए पानी उपलब्ध है।
  • जल संरक्षण से ऊर्जा की बचत होती है। जल निस्पंदन, हीटिंग और पंपिंग के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है, इसलिए पानी की खपत कम करने से आपका कार्बन उत्सर्जन भी कम हो जाता है।
  • कम पानी का उपयोग करते हुए, हम अपने पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा कर सकते हैं और मछली, बगुले, ऊदबिलाव और अन्य प्रजातियों के लिए आर्द्रभूमि आवास बनाए रख सकते हैं।  शुष्क मौसम के दौरान यह अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण है।
  • जल संरक्षण से आप पैसे बचा सकते हैं। यदि आपके पास पानी का मीटर है, तो आप जितना कम पानी का उपयोग करेंगे, आपकी जल कंपनी आपसे उतना ही कम शुल्क लेगी।
  • जल संरक्षण न केवल घरेलू ऊर्जा बिल बचाता है बल्कि पड़ोसी तालाबों, नालों और जलमार्गों में जल प्रदूषण की संभावना भी कम करता है।
  • जल प्रबंधन जल प्रसंस्करण और वितरण के माध्यम से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को भी कम करता है जिससे ग्लोबल वार्मिंग का खतरा कम होता है। 
  • जब सार्वजनिक सीवेज प्रणालियाँ चरमरा जाती हैं तो अनुपचारित अपशिष्ट जल भी नदियों और जलाशयों में रिस सकता है।
  • जल संरक्षण मिट्टी की नमी को कम करके और रिसाव से संबंधित विषाक्तता को कम करके हमारे सीवर टैंक के जीवनकाल को बढ़ाने में मदद कर सकता है।

जल संरक्षण के उद्देश्य (Aim of water conservation)

जल संरक्षण के निम्नलिखित उद्देश्य हैं; 

  • यह सुनिश्चित करके भावी पीढ़ियों के लिए पानी को संरक्षित करना कि किसी पारिस्थितिकी तंत्र से मीठे पानी का निष्कासन उसकी प्राकृतिक प्रतिस्थापन दर से अधिक न हो।
  • ऊर्जा संरक्षण और उपयोग, क्योंकि जल पंपिंग, प्रसार और अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग सभी के लिए महत्वपूर्ण मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है। 
  • जल प्रबंधन में दुनिया भर के विभिन्न देशों में कुल बिजली उपयोग का 15% से अधिक शामिल है।
  • पर्यावास संरक्षण, जिसमें मानव जल के उपयोग को कम करना, न केवल स्थानीय प्रजातियों और प्रवासी जलपक्षियों के लिए मीठे पानी के आवासों के संरक्षण में सहायता करता है, बल्कि पानी की गुणवत्ता में भी सुधार करता है।

लोगों के लिए जल संरक्षण की आवश्यकता के बारे में जागरूकता फैलाना एक महत्वपूर्ण तरीका है। 

जल संरक्षण के कुछ तरीके इस प्रकार हैं:

1) घर पर जल संरक्षण की विधियां

घर पर ही आप निम्नलिखित तरीके से जल को संरक्षित कर सकते हैं। 

  • जब वॉशर में कपड़े बहुत सारे हों तो ही उनको धोएं।
  • पानी की बचत करने वाले शॉवरहेड्स, शॉवर टाइमर और कम से कम नल का इस्तेमाल करें।
  • कम या दोहरे फ्लश का उपयोग करें।
  • अपने टूथब्रश का उपयोग करते समय पानी बंद कर दें, अपने रेजर को सिंक में धो लें।
  • हाथ से बर्तन धोते समय बर्तन साफ करते समय पानी को बहने न दें।
  • जहां भी संभव हो, पानी का पुनर्चक्रण करें और  इसका उपयोग कम करें।
  • पेड़ों और पौधों पर गीली घास के एक टुकड़े का प्रयोग करें। 
  • स्प्रिंकलर सावधानी से लगाएं।
  • हाइड्रोलॉजिकल मीटर का प्रयोग करें.
  • कुशल जल प्रणाली का प्रयोग करें।
  • अपनी कार की सफाई करते समय पानी को बिना वजह न बहने दे। 
  • ड्राइववे और फुटपाथ धोने के लिए झाड़ू का उपयोग करें, न कि पानी की नली का।
  • वाष्पीकरण को कम करने के लिए स्विमिंग पूल को ढकें।
  • खरपतवारों को न बढने दे। 

2) खेत में जल संरक्षण

किसान लोग खेत में जल संरक्षण निम्नलिखित तरीके से कर सकते हैं। 

(i) वर्षा जल संचयन: किसान अतिरिक्त वर्षा को बाद में उपयोग के लिए बचा सकते हैं। भूजल को भारी गिरावट से बचाने के लिए, किसान पूरे उत्पादन के दौरान पानी की पर्याप्तता बनाए रखते हुए प्रभावी ढंग से भूजल स्तर की भरपाई कर सकते हैं।  

इस तकनीक का उपयोग देश के उन क्षेत्रों में भूजल संसाधनों की मदद के लिए किया जाता है जो सूखे के प्रति संवेदनशील हैं और जहां प्रचुर वर्षा होती है।

ii) जैविक खेती: कम उर्वरकों के उपयोग के विपरीत, जैविक खेती से उपज बढ़ती है। अधिक लोगों द्वारा जैविक कृषि पद्धतियों को अपनाने और कम पेट्रोकेमिकल उर्वरक का उपयोग करने के परिणामस्वरूप यूट्रोफिकेशन-संबंधी प्रक्रियाएं भी कम हो रही हैं। 

इसके अतिरिक्त, जलीय पर्यावरण की सुरक्षा से कृषि विस्तार की स्थिरता में सुधार होता है। 

(iii) कवर फसलें: कवर फसलें, जो जमीन की रक्षा के लिए बोई गई हैं जो अन्यथा उजागर हो जाती हैं, मिट्टी की गुणवत्ता और कार्बनिक यौगिकों को बढ़ाती हैं और कटाव और तनाव को कम करती हैं।  

यह पानी को बनाए रखने की मिट्टी की क्षमता को बढ़ाता है और मिट्टी में पानी के प्रवेश की प्रक्रिया को सरल बनाता है।

(iv) टपक सिंचाई विधि: सामान्य सिंचाई पद्धतियाँ टपक सिंचाई सुविधाओं की तुलना में अधिक अपव्यय का कारण बनती हैं जब वे सीधे पौधे के आधार पर पानी वितरित करती हैं।  

दिन के अधिक आरामदायक अंतराल (सुबह और शाम) के दौरान जब पानी का वाष्पीकरण कम होता है, तब सिंचाई करने से भी पानी की हानि को कम किया जा सकता है।

(v) खेत का समतलीकरण: ज्यादातर किसान जिन क्षेत्रों या बगीचों में आप खेती कर रहे हैं वे समतल नहीं होते हैं, कोई भी पानी जो मिट्टी में नहीं समाता वह जल्दी ही बह जाता है और अपशिष्ट जल के प्रमुख स्रोतों में से एक है। इसलिए फसल बोने से पहले जमीन को ठीक से समतल करने के लिए लेजर और अन्य उपकरणों का उपयोग करें, खेत का समतलीकरण करने से अतिप्रवाह की समस्या को कम करता है या शायद खत्म भी कर देता है, अपशिष्ट बर्बादी को कम करता है और संरक्षण को प्रोत्साहित करता है।

  • मीठे पानी की कमी क्षेत्रीय के अलावा एक वैश्विक मुद्दा भी है। विश्व के कुछ क्षेत्रों में वर्षा दर में गिरावट के लिए ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव जिम्मेदार हो सकते हैं।  
  • खतरनाक अपशिष्टों, रासायनिक रिसाव, अनुपचारित अपशिष्टों के निर्वहन, अपर्याप्त सिंचाई सुविधाओं, निपटान और रिसाव आदि जैसे कारणों से प्रदूषण के प्रकाश में, स्वस्थ मीठे पानी के संसाधन गंभीर रूप से सीमित हैं और हर साल कम हो रहे हैं।  
  • इन सबके परिणामस्वरूप ग्रहीय पर्यावरण नष्ट हो रहा है।  दुनिया भर में कई जगहों पर साल के लगभग हर दिन बारिश होती है। 
  • इसके बावजूद, विभिन्न कारकों, जैसे निपटान, संरक्षण, वाष्पीकरण, स्वच्छता आदि के कारण गंभीर चुनौतियाँ अभी भी हैं। 
  • विभिन्न प्रक्रियाओं से होने वाली भारी जल हानि में वर्षा की मात्रा एक स्वीकृत कारक है। 
  • अधिकांश व्यक्ति अभी भी पानी का उपयोग गैर-जिम्मेदाराना ढंग से करते हैं और जल संरक्षण की आवश्यकता से अनभिज्ञ हैं। यह एक भयानक सच्चाई है जिस पर ध्यान देने की जरूरत है।  
  • घरों और व्यवसायों को पानी उपलब्ध कराने के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण का खर्च तेजी से अस्थिर होता जा रहा है।  दुनिया में ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां अत्यधिक शुष्कता है और पानी की कमी वांछनीय से कम है। 
  • परिणामस्वरूप, क्षेत्र शुष्क भूभाग या टीले बन जाते हैं क्योंकि उथले भूजल तालिकाओं को पर्याप्त रूप से पुनः नहीं भरा जाता है। 
  • यदि बेहतर सिंचाई विधियों का उपयोग नहीं किया जाता है, तो संभावित वाष्पीकरण-उत्सर्जन, वास्तव में, प्रकृति द्वारा उत्पादित वर्षा से अधिक महत्वपूर्ण हो सकता है।
  • इस प्रकार इसके कारण मिट्टी शुष्क हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप शुष्क भूभाग बन जाता है। यदि स्वच्छ जल के संरक्षण के लिए प्रभावी हस्तक्षेपों को कुशलतापूर्वक व्यवहार में लाया जाए तो ही पर्यावरण और इसके निवासी जीवित रहने में सक्षम होंगे।
  • जल पुनर्चक्रण खाद्य आपूर्ति का समर्थन करने के लिए आवश्यक जलमार्गों को संरक्षित करने में योगदान देगा।  उचित मात्रा में वर्षा न होने से फसलें विकसित नहीं हो पातीं। 
  • इस प्रकार, यदि भूजल कम हो जाता है, तो भोजन की लागत बढ़ जाएगी और कई और लोगों को भोजन की कमी का सामना करना पड़ेगा। घर और कार्यस्थल पर जल संरक्षण खाद्य फसलों को बढ़ाने के महत्वपूर्ण कर्तव्य के लिए और अधिक मुक्त कर देगा। 
  • पानी की कमी के कारण वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र खतरे में है। मीठे पानी की कमी और ग्लोबल वार्मिंग के कारण, दुनिया के आधे से अधिक सबसे बड़े दलदल या तो सूख गए हैं या तबाह हो गए हैं। 
  • दलदलों में कई अलग-अलग प्रकार के जीवित जीव देखे जा सकते हैं। वे आम तौर पर समुद्री और पक्षी प्रजनक के रूप में काम करते हैं, इसलिए उनके विलुप्त होने से कई जानवरों और पोषक चक्रों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।
  • जब वाणिज्यिक, कृषि और घरेलू उद्देश्यों के लिए ताजा पानी प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण होता है, तो इससे एक सफल अर्थव्यवस्था को संचालित करना कठिन हो जाता है।  
  • मीठे पानी की आपूर्ति की कमी से उन वस्तुओं के निर्माण में बाधा आ सकती है जिनमें ऑटोमोबाइल, ब्रेड और कपड़ा सहित बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है।

जल संरक्षण हेतु भारत सरकार की प्रमुख योजनाएं

संविधान के अनुसार जल राज्य के अधिकार क्षेत्र में आता है इसीलिए प्रत्येक राज्य अपने अधिकार क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के नियम और योजनाएं लागू कर सकती हैं लेकिन केंद्र सरकार विभिन्न प्रकार की योजनाओं में राज्यों को वित्तीय सहायता प्रधान करती है इसके अलावा केंद्र सरकार भी कुछ योजनाएं शुरू की है जो प्रत्येक राज्य में लागू होता है। 

जल संरक्षण हेतु भारत सरकार निम्नलिखित योजनाएं चला रही है। 

जल जीवन मिशन

जल जीवन मिशन के अंतर्गत भारत सरकार प्रत्येक राज्य के साथ हिस्सेदारी करके 2024 तक भारत के प्रत्येक घर में नल और पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था सुनिश्चित करना चाहती है। 

भारत सरकार ने इस योजना की शुरूआत 1 अक्टूबर 2021 को की थी, इसका उद्देश भारत के समस्त शहरों में जल की सार्वभौमिक उपस्थिति सुनिश्चित करना है। 

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना

इस योजना की शुरुआत 2015 में हुई थी इसका उद्देश्य कृषि कार्य में जल का बुद्धिमत्ता पूर्वक उपयोग करना है। बाद में 2016 में इसके तहत बड़ी तथा माध्यम 90 सिंचाई परियोजनाओं को सम्मिलित किया गया। 

सही फसल अभियान

सही फसल अभियान की शुरुआत शुष्क क्षेत्रों में ऐसी फसलो के उपयोग हेतु हुई थी जिसमें बहुत ही कम जल का उपयोग होता है। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया कि ये फसलें आर्थिक रूप से लाभकारी तथा पर्यावरण के अनुकूल हो। 

अमृत सरोवर अभियान की शुरुआत 22 अप्रैल 2022 को आजादी के 75 में वर्ष पर आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में की गई थी इसका उद्देश्य देश के समस्त जलाशयों और जलकुंड का कायाकल्प करना है जिससे भविष्य के लिए जल का संरक्षण किया जा सके। 

कैच द रैन योजना

कैच द रैन योजना की शुरुआत 22 मार्च 2021 में हुई थी इसका उद्देश्य वर्षा जल का संरक्षण करना वनों का सघनीकरण, देश के सभी जिलों में जल शक्ति केंद्रों की स्थापना करना और वर्षा जल का संचयन करना है। 

अटल भूजल योजना

अटल भूजल योजना के तहत देश में चिन्हित सभी 7 क्षेत्र जहां जल की अत्यंत कमी थी और भूजल का प्रबंधन करना अति आवश्यक था, ऐसे सभी क्षेत्रों में भूजल का प्रबंध करने के लिए सामुदायिक सहयोग पर जोर दिया जा रहा है। इसके तहत जल स्रोतों का विकास और प्रबंधन किया जा रहा है। 

नमामि गंगे योजना

इस योजना उद्देश्य गंगा तथा उसकी सहायक नदियों को साफ तथा स्वच्छ रखना है। इससे जल का प्रदूषण कम होगा और जल की उपयोगिता बढ़ेगी। 

जल हमारी प्राकृतिक आवश्यकता है तथा जल का कोई अन्य विकल्प नहीं है और यह बेहद ही सीमित मात्रा में उपस्थित है इसलिए इसका जितना ज्यादा से ज्यादा और जल्दी से जल्दी संरक्षण किया जाएगा आगे आने वाली पीढ़ी उतनी ही ज्यादा सुखी और सुरक्षित रहेगी। 

ग्रामीण क्षेत्रों में जल का बिना वजह ही खेतों में दुरुपयोग किया जाता है जबकि शहरी क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के उद्योगों घरेलू कामो में जल का बेहद ही ज्यादा मात्रा में दुरुपयोग किया जाता है। 

जल को संरक्षित करना बेहद ही आसान है आपको बस अतिरिक्त जल के बहाव को रोकना है, बुद्धिमत्ता पूर्वक जल का इस्तेमाल करना है, स्थिर जल को साफ रखना है तथा वर्षा के पानी का संचयन करना है।

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presentation on water conservation in hindi

अगले विश्व युद्ध का कारण पानी हो सकता: प्रो. ठक्कर

- पानी के बचाव और महत्व पर चर्चा की लखनऊ, संवाददाता। राजेंद्र.

- पानी के बचाव और महत्व पर चर्चा की लखनऊ, संवाददाता।

राजेंद्र नगर स्थित नवयुग कन्या महाविद्यालय में पर्यावरण संरक्षण एवं पुनर्स्थापन समिति और विकासार्थ विद्यार्थी संस्था की ओर से सेमिनार हुआ। मुख्य अतिथि बीएसआईपी के निदेशक प्रो. महेश ठक्कर रहे। उन्होंने जल संरक्षण के महत्व और सतत विकास एवं जलवायु कार्रवाई में नवाचार विषय पर पानी के बचाव और महत्व पर चर्चा की। कहा कि वर्तमान पश्चिमी समाज के राजनीतिक तनावों में जल अगले विश्व युद्ध का कारण हो सकता है।

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वाटरशेड से जल संरक्षण एवं जल प्रबन्धन

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जल तीनों अवस्थाओं ठोस, द्रव और गैस के रूप में पाया जाता है। जल चक्र प्रक्रिया द्वारा निरन्तर स्वरूप बदलने से जल का शुद्धीकरण होने के साथ-ही-साथ स्थान भी परिवर्तित होता रहता है। इसके बावजूद मनुष्य द्वारा अन्धाधुन्ध दोहन एवं दुरुपयोग के कारण जल की उपलब्धता दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है। वैश्विक पर्यावरणविदों के अनुमान के मुताबिक 2025 तक विश्व की लगभग आधी आबादी को शुद्ध पेयजल के अभाव के संकट से जूझने के लिये विवश होना पड़ेगा।

भूजल के अन्धाधुन्ध दोहन के कारण भूजल स्तर भी प्रतिवर्ष नीचे गिरता जा रहा है। वर्षाजल के तीव्र बहाव के कारण बड़े पैमाने पर मृदा का कटाव होता है। जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति दिन-प्रतिदिन क्षीण होती जा रही है। जिससे फसल का उत्पादन दुष्प्रभावित हो रहा है। इसके साथ-ही-साथ वन एवं पर्यावरण की स्थिति भी बदतर हो गई है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक भूमि, जल और वन के समन्वित एवं समुचित प्रबन्धन की सहायता से पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण को संरक्षित किया जा सकता है।

वाटर शेड प्रबन्धन

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना.

नवीन जलस्रोतों के निर्माण के साथ पुराने जलस्रोतों का जीर्णोंद्धार कर जल संचयन पर बल दिया जाएगा। ग्रामीण स्तर पर परम्परागत जलस्रोतों, तालाबों, कुओं आदि जल संग्रहणों की मरम्मत, सुधार और नवीनीकरण कर जल संचयन की क्षमता बढ़ाकर जल संरक्षण किया जाएगा। पानी के दक्षतापूर्ण परिवहन को बढ़ावा देने के लिये भूमिगत पाईप प्रणाली, पीवोट, रेनगन और अन्य उपकरणों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

नीरांचल राष्ट्रीय वाटरशेड योजना

मृदा संरक्षण.

पर्यावरणीय परिवर्तन एवं पारिस्थितिकीय अन्सतुलन के कारण मानसून के समय में बदलाव हो रहा है, अर्थात् फसल लगाने के समय जब किसानों को पानी की आवश्यकता होती है, तब सूखा पड़ता है। जब फसल पक कर तैयार हो जाती है, तब वर्षा हो जाती है। जिससे खेतों में तैयार फसल बड़े पैमाने पर नष्ट हो जाती है। प्राकृतिक प्रकोप सूखा और अतिवृष्टि के कारण प्रतिवर्ष किसानों के फसल उत्पादन का 20-25 प्रतिशत भाग नष्ट हो जाता है।

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