महंगाई पर निबंध Essay on Inflation in Hindi

महंगाई पर निबंध Essay on Inflation in Hindi

इस लेख में हमने महंगाई पर निबंध हिंदी में (Essay on Inflation in Hindi) लिखा है। जिसमें महंगाई का अर्थ, कारण, प्रभाव, महंगाई रोकने के उपाय तथा महंगाई पर 10 वाक्यों को बेहद सरल और आकर्षक रूप से लिखा है।

Table of Contents

प्रस्तावना महंगाई पर निबंध Essay on Inflation in Hindi (1000 Words)

आधुनिक समय में विज्ञान की सहायता से मनुष्य ने प्रशंसनीय प्रगति की है। अपने सुख सुविधा के लिए कई सारे आविष्कार किए हैं, जो जीवन को अत्यंत सरल बना देते हैं।

अपनी आजीविका चलाने के लिए हर जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं। लेकिन आज के समय में बढ़ती जनसंख्या के कारण सभी लोगों तक यह सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाती हैं।

वर्तमान समय में वस्तुओं के मूल्य में काफी अंतर देखा जाता है। प्रगति के साथ ही दिन प्रतिदिन वस्तुओं की कीमत भी बढ़ती जा रही है।

महंगाई से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले लोग मध्यमवर्गीय तथा गरीब लोग होते हैं। कई बार ऐसा देखा जाता है कि महंगाई के कारण अमीर लोग और भी अमीर बन जाते हैं, और गरीब अत्यंत गरीब हो जाते हैं।

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को महंगाई पूरी तरह से चौपट कर देती है। महंगाई वास्तव में एक ऐसी आपदा है, जो किसी भी देश के विकास को रोक देती है।

महंगाई क्या है? What is Inflation in Hindi?

समय के साथ किसी भी देश के अर्थव्यवस्था में माल और सेवाओं की कीमतों में होने वाले सामान्य बढ़ोत्तरी को महंगाई कहा जाता है।

दूसरे शब्दों में कहें तो जब मांग और आपूर्ति में असंतुलन के कारण वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ जाती हैं, तो उसे महंगाई का नाम दिया जाता है।

महंगाई के कारण किसी भी देश की मुद्रा की क्रय शक्ति में भारी गिरावट हो जाती है। अर्थात पहले जितनी मुद्रा में माल और सामग्री की मात्रा आती थी, वह कम हो जाती है।

यह न केवल किसी देश की समस्या है बल्कि यह एक वैश्विक समस्या बनती जा रही है। दुनिया में हर रोज नए अविष्कार किए जाते हैं, किंतु ऐसा कोई भी आविष्कार नहीं किया गया है, जिससे महंगाई के कारण उत्पन्न होने वाले गरीबी को पूरी तरह खत्म किया जा सके।

बाजारों में दिन-ब-दिन चीजें महंगी होती जा रही है। एक गरीब इंसान के लिए सामान्य वस्तुओं की खरीदी भी बहुत महंगी हो गई है।

महंगाई के कारण Reasons for Inflation in Hindi

महंगाई के अनेकों कारण है, जिसकी वजह से यह रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। इसके कुछ मुख्य कारण नीचे दिए गए ,हैं जो देश में मूल्य बढ़ोतरी के लिए जिम्मेदार हैं-

जनसंख्या वृद्धि Population growth : भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। जनसंख्या वृद्धि वास्तव में सभी समस्याओं की जड़ है।

बढ़ती आबादी के कारण देश में उपभोक्ताओं की मात्रा अधिक होती जा रही है और उत्पादन सीमित हो गया है। जिसके कारण गरीबी और महंगाई जैसी समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं।

मुद्रा की अधिकता Currency surplus : जब किसी भी चीज की अधिकता हो जाती है, तो वह एक नकारात्मक स्वरूप लेने लगता है। अधिक मुद्राकरण महंगाई के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है।

मुद्रास्फीति की अधिकता अर्थव्यवस्था के लिए बहुत हानिकारक होता है। यदि सभी के पास खरीदारी करने के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध होगा तो स्रोत सीमित हो जाएंगे। मांग की आपूर्ति न होने के कारण परिणाम स्वरूप महंगाई की समस्या उत्पन्न होती है।

अति मुद्राकरण के कारण महंगाई बढ़ने का एक बेहतरीन उदाहरण वेनेजुएला देश है। इस देश की सरकार ने अपने देश में से गरीबी खत्म करने के मुद्रीकरण की मात्रा बहुत बढ़ा दी, जिससे देश में भयंकर महंगाई और गरीबी आज भी यहां देखी जा सकती है।

भ्रष्टाचार Corruption :  कई बार बड़े- बड़े व्यापारियों और अन्य लोगों द्वारा सैकड़ों मात्रा में चीजों की जमाखोरी की जाती है। यह वस्तुएं गोदाम में पड़े-पड़े खराब हो जाती हैं। आवश्यकता पड़ने पर देश में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति नहीं हो पाती इसके परिणाम स्वरूप वस्तुओं का मूल्य आसमान छूने लगता है।

अधिकतर भ्रष्टाचार देश के लालची नेताओं द्वारा ही किया जाता है, जिसका परिणाम केवल गरीबों और सामान्य वर्ग के लोगों को ही झेलना पड़ता है।

महंगाई के प्रभाव Effects of Inflation in Hindi

निश्चित आय वर्ग Fixed income group :  इस वर्ग में सभी लोगों का समावेश होता है, जैसे- अध्यापक, कर्मचारी, श्रमिक, डॉक्टर इत्यादि। वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य बढ़ने के कारण निश्चित आय वर्ग की क्रय शक्ति बहुत गिर जाती है। 

वास्तव में महंगाई की सबसे अधिक मार निश्चित आय वर्ग वाले लोगों को ही झेलना पड़ता है।

कर (tax) भुगतान पर On Tax Payment: : महंगाई के कारण सरकार के सार्वजनिक व्यय में अधिक वृद्धि हो जाती है। सरकार अपने  खर्चों की पूर्ति करने के लिए आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर नए-नए कर थोप देती है और पुरानी करो में वृद्धि कर देती है। परिणाम स्वरूप वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होने से महंगाई का उदय हो जाता है।

उत्पादन मूल्य Production Value: जिन वस्तुओं का अधिक उत्पादन किया जाता है, एक समय बाद उसकी कीमत पूरे देश में बढ़ जाती है। वस्तुओं के उत्पादन मूल्य में बढ़ोतरी से मजदूर वर्ग और सामान्य वर्ग को भुगतान किए जाने वाले वेतन में कमी आ जाती है तथा व्यापारी वर्ग को ही बस लाभ मिलता है। इसके कारण बेरोजगारी की समस्या और महंगाई में वृद्धि हो जाती है।

निवेश कर्ताओं पर On Investors: सामान्य तौर पर निवेशकर्ताओं के दो प्रकार होते हैं। पहले प्रकार के निवेशकर्ताओं कि आय निश्चित होती है तथा वे सरकारी विभूतियों में निवेश करते हैं।

दूसरे निवेशकर्ता संयुक्त पूंजी कंपनियों के हिस्सों को खरीदते हैं, जिसमें उनकी आय अनिश्चित होती है। आय के इस अनिश्चितता के कारण प्रथम वर्ग को दूसरे वर्ग की अपेक्षा में कम फायदा अथवा नुकसान झेलना पड़ता है।

ऋणी और ऋणदाता पर प्रभाव Impact on The Debtor and The Tender:  जब ऋणदाता किसी को पैसे उधार देता है तो मुद्रास्फीति के कारण उसके  पैसों का मूल्य घट जाता है। इसके कारण ऋणदाता पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, और उसे हानि होती है।

महंगाई रोकने के उपाय Measures to Control Inflation in Hindi

महंगाई ने आज के समय में एक भयंकर रूप ले लिया है। देश में हर नागरिक महंगाई के कारण कई कठिनाइयों का सामना कर रहा है।

ऐसी परिस्थिति में देश की सरकार को महंगाई रोकने के लिए व्यवस्था करनी चाहिए। देश की सरकार जब बजट बनाती है तो उसमें आवश्यक तथा अनावश्यक चीजों पर एक जैसा ही कर लगाती है।

सरकार को अपने बजट तैयार करने की पद्धति को व्यवस्थित करना चाहिए और अनावश्यक चीजें जैसे-  तंबाकू, शराब, चमड़े से बनी चीजें इत्यादि पर ही अधिक टैक्स लगाना चाहिए।

भारत एक कृषि प्रधान देश है, किंतु फिर भी सिंचाई के लिए किसानों को पर्याप्त आधुनिक सुविधा उपलब्ध नहीं है, जो हमारे लिए खेद की बात है।

महंगाई को काबू करने के लिए हमें चाहिए कि लघु तथा  कुटीर उद्योगों को फिर से शुरू किया जाए और लोगों को रोजगार दिया जाए। सरकारी अर्थतंत्र को चाहिए कि वह कालाबाजारी और जमाखोरी पर रोक लगाने के लिए कड़े नियम कानून बनाए।

हमारे देश में शिक्षा की उपलब्धि एक बड़ी चुनौती है। अनपढ़ होने के कारण लोगों को कहीं भी रोजगार नहीं मिल पाता। जिससे देश में बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न होती है।

सरकार को चाहिए कि वह सभी जगहों पर सरकारी स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना करें जिससे सभी को शिक्षित होने का अवसर मिले।

महंगाई पर 10 वाक्य Best 10 lines on Inflation in Hindi

  • महंगाई एक वैश्विक महामारी है, जिसने ज्यादातर देशों को अपनी चपेट में ले लिया है।
  • बढ़ती जनसंख्या मंगाई का एक मुख्य वजह है।
  • महंगाई सबसे अधिक गरीब लोगों और सामान्य वर्ग के लोगों को प्रभावित करता है।
  • अर्थव्यवस्था में मांग तथा वस्तु और सामग्रियों की मात्रा में कमी होने के कारण वस्तुओं का मूल्य बढ़ जाता है।
  • आज के वैज्ञानिक युग में भी ऐसे कई देश हैं जिनमें भयंकर महंगाई देखी जाती है।
  • सरकारी आंकड़ों के मुताबिक खाद्य पदार्थों  की महंगाई दर हर वर्ष बढ़ती जा रही है।
  • महंगाई के कारण देश की अर्थव्यवस्था डूब जाती है और देश का विकास रुक जाता है।
  • प्राकृतिक आपदाओं के आने के कारण भी महंगाई में वृद्धि होती है।
  • महंगाई के कारण आम लोग अपनी आजीविका चलाने में असमर्थ रहते हैं।
  • वेनेजुएला दक्षिण अफ्रीका का एक देश है, जिसमें अधिक अति मुद्रीकरण के कारण महंगाई बहुत ज्यादा बढ़ गई है। 

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने महंगाई पर हिंदी में (Essay on Inflation in Hindi) निबंध पढ़ा। आशा है यह लेख आपके लिए सहायक सिद्ध हो। यदि यह निबंध आपको अच्छा लगा हो तो शेयर जरूर करें।

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Essay on Inflation in Hindi

Essay on Inflation in Hindi: बढ़ती महंगाई पर निबंध

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Essay on Inflation in Hindi

यहां हम आपको “Essay on Inflation in Hindi” उपलब्ध करा रहे हैं. इस निबंध/ स्पीच को अपने स्कूल या कॉलेज के लिए या अपने किसी प्रोजेक्ट के लिए उपयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही यदि आपको किसी प्रतियोगिता के लिए भी Mehangai Par Nibandh तैयार करना है तो आपको यह आर्टिकल पूरा बिल्कुल ध्यान से पढ़ना चाहिए. 

Essay on inflation in hindi ( मुद्रास्फीति पर निबंध) 150 Words  

वस्तुओं और सेवाओं के बढ़ने वाले मूल्य जिसके कारण मुद्रा की क्रय शक्ति कम होती है, मुद्रास्फीति (Inflation) कहलाता है। उदाहरण के लिए बाजार में एक किलो दाल की कीमत 180 रुपए है, लेकिन बाजार में मांग के अनुसार दाल पर्याप्त नहीं है, ऐसे में व्यापारी उस एक किलो दाल के दम बढ़ाकर 180 से 250 रुपए रख देंगे। जिसके कारण ग्राहक अब 180 रुपए किलो दाल 250 रुपए में खरीदने के लिए मजबूर हो जाएंगे। मुद्रास्फीति मुख्य रूप से दो कारणों से होती है, मांगजनित कारक और लागतजनित कारक।

मांगजनित मुद्रास्फीति (Demand-Pull Inflation) में मांग बढ़ने से वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होती है। जबकि लागतजनित मुद्रास्फीति (Cost-Push Inflation) उत्पादन के कारकों जैसे की भूमि, पूंजी, श्रम, कच्चा माल आदि की लागत में वृद्धि होने के कारण होती है। भारत में मुद्रास्फीति की गणना (Inflation calculation) दो मूल्य सूचियां के आधार पर की जाती है, जिसमें थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index- WPI) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index- CPI) शामिल है। दो से तीन प्रतिशत की मुद्रास्फीति दर अर्थव्यवस्था के लिए ठीक होती है, लेकिन अत्यधिक मुद्रास्फीति अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक साबित होती है। 

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Essay on Inflation a Critical Problem in Hindi 250 Words 

मांग और आपूर्ति में संतुलन होने के कारण वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमत बढ़ जाती है, जिसे मुद्रास्फीति कहा जाता है। मुख्य रूप से यह दो कारणों से होती हैं। एक है, मांगजनित मुद्रास्फीति और दूसरा लागतजनित मुद्रास्फीति। मांगजनित मुद्रास्फीति (Demand-Pull Inflation) में मांग के बढ़ने पढ़ने पर वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होती है। जबकि लागतजनित मुद्रास्फीति (Cost-Push Inflation) में उत्पादन के कारकों जैसे की पूंजी, श्रम, भूमि कच्चा माल आदि की लागत में बढ़ोतरी होती है। भारत में मुद्रास्फीति को दो आधार, थोक मूल्य सूचकांक (WPI) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के आधार पर मापा जाता है।

भारत में थोक मूल्य सूचकांक की गणना वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा की जाती है। भारत में वर्तमान मुद्रास्फीति दर 2023 (Inflation Rate in India 2023) मार्च 2023 तक 6.66% रही है। पिछले 61 सालों में भारत में उपभोक्ता कीमतों की मुद्रास्फीति दर -7.6% से 28.6% के बीच रही है। मुद्रास्फीति दर 2 से 3% तक अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी होती है लेकिन इससे ज्यादा मुद्रास्फीति दर अर्थव्यवस्था के लिए बुरी साबित हो सकती है इसलिए मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पाना बहुत जरूरी है, मुद्रास्फीति पर निम्न तरीकों से नियंत्रण पाया जा सकता है।

  • पैसे की आपूर्ति सीमित होने पर मुद्रास्फीति में कमी आती है।
  • आयकर दरों में वृद्धि करने पर खरीददार की क्रय शक्ति कम होगी और मुद्रास्फीति किधर में भी कमी आएगी।
  • लंबी अवधि की योजनाओं में व्यावहारिक निवेश करके लोगों को भविष्य में मुद्रास्फीति की स्थितियों से निपटाने की मदद मिल सकेगी।
  • अपनी बचत को बढ़ाकर भी लोग बढ़ती हुई मुद्रास्फीति से मुकाबला कर सकते हैं।

Badhti Mehangai Par Nibandh 500 Words 

समय के साथ अर्थव्यवस्था में विभिन्न माल और सेवाओं के मूल्य में होने वाली एक सामान्य वृद्धि को मुद्रास्फीति या महंगाई कहते हैं, या जब मांग और आपूर्ति में असंतुलन उत्पन्न होता है, तो वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में वृद्धि होती है, इसे ही मुद्रास्फीति कहा जाता है। मुद्रास्फीति के कारण मुद्रा की क्रय शक्ति कम हो जाती है, मुद्रास्फीति की अत्यधिक दर जनता और अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक होती है। मुद्रास्फीति की विपरीत स्थिति में यानी समय के साथ माल और सेवाओं की कीमतों में गिरावट आने को अपस्फीति (Deflation) कहा जाता है। इन दोनों ही स्थिति में अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचता है।

मुद्रास्फीति के प्रकार

मुख्य रूप से मुद्रास्फीति के तीन प्रकार होते हैं। 

  • मांगप्रेरित मुद्रास्फीति: जब धन और ऋण की आपूर्ति में वृद्धि से अर्थव्यवस्था की उत्पादन क्षमता की अपेक्षा वस्तुओं एवं सेवाओं की समग्र मांग ज्यादा तेजी से बढ़ती है, तब मांग प्रेरित मुद्रास्फीति होती है।
  • लागत प्रेरित मुद्रास्फीति: जब धन और ऋण आपूर्ति में बढ़ोतरी को किसी अन्य परिसंपत्ति बाजार या वस्तु में प्रवाहित किया जाता है, तब लागत प्रेरित मुद्रास्फीति होती है। इसमें उत्पादन या सेवा की लागत बढ़ जाती है, इसके साथ ही उपभोक्ता कीमतों में भी बढ़ोतरी होती है।
  • अंतर्निहित मुद्रास्फीति: अंतर्निहित मुद्रास्फीति में  उत्पादन लागत जैसे की कच्चे माल और मजदूरी में वृद्धि के कारण उत्पन्न होती है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब उत्पादन की वस्तुओं की मजदूरी के लिए श्रमिक अधिक लागत की मांग करते हैं।

मुद्रास्फीति के प्रभाव

मुद्रास्फीति के निम्न प्रभाव पड़ते हैं।

  • मुद्रास्फीति के कारण धन्य के मूल्य में गिरावट आती है क्योंकि जो चीज एक दिन पहले कम दाम की थी, वह मुद्रास्फीति के कारण अगले दिन महंगी हो जाती है।
  • जब उपभोक्ता सेवाओं के लिए अधिक राशि चुकाने पर राजी होते हैं, तो कंपनियां वस्तुओं की कीमतें बढ़ा देती हैं क्योंकि उन्हें पता होता है, कि ग्राहक वस्तु के लिए कोई भी राशि चुकाने को तैयार हो जाता है, इसी कारण समान और सेवाएं महंगे हो जाते हैं।
  • मुद्रास्फीति उपभोक्ताओं के जीवन स्तर को प्रभावित करती है क्योंकि उपभोक्ता सुविधा के लिए वस्तु और सेवाओं पर अधिक खर्च करते हैं।
  • कच्चे माल का मूल्य बढ़ने पर विदेशी बाजार में उत्पादों की मांग कम हो जाती है और यह निर्यात राजस्व में गिरावट का कारण बनता है। 

मुद्रास्फीति नियंत्रित करने के उपाय

निम्न उपायों को अपनाकर मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया जा सकता है।

  • मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए वस्तु और सेवाओं पर मूल नियंत्रण के साथ वेतन नियंत्रण को लागू किया जा सकता है।
  • खुला बाजार परिचालन फेडरल रिजर्व धन आपूर्ति को बढ़ाता, घटाता और ब्याज दरों को समायोजित करता है।
  • मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए संकुचनकारी मौद्रिक नीति को बहुत प्रभावशाली माना जाता है। इसमें ब्याज दरों को बढ़ाकर अर्थव्यवस्था के भीतर धन की आपूर्ति को कम किया जाता है। 
  • छूट की दर के माध्यम से मुद्रास्फीति को कम किया जा सकता है।

मुद्रास्फीति और उपस्थिति की अत्यधिक दरें दोनों ही अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक साबित होती है, इसलिए इन दोनों का ही एक सीमित मात्रा में होना आवश्यक है। 2 से 3 प्रतिशत तक की मामले मुद्रास्फीति दर अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक सिद्ध होती है। इसलिए सरकार को मुद्रास्फीति दर को नियंत्रित करने के लिए प्रभावशाली कदमों को उठाना चाहिए ताकि यह उपभोक्ताओं, उत्पादन और अर्थव्यवस्था को प्रभावित न करें। 

Mehangai Par Nibandh

हमारे सभी प्रिय विद्यार्थियों को इस “Essay on Inflation in Hindi ” जरूर मदद हुई होगी यदि आपको यह Mehangai Par Nibandh अच्छा लगा है तो कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको यह Essay on Inflation in Hindi कैसा लगा? हमें आपके कमेंट का इंतजार रहेगा और आपको अगला Essay या Speech कौन से टॉपिक पर चाहिए. इस बारे में भी आप कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं ताकि हम आपके अनुसार ही अगले टॉपिक पर आपके लिए निबंध ला सकें.

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महंगाई पर निबंध | Essay On Inflation In Hindi

Essay On Inflation In Hindi प्रिय विद्यार्थियों आपका स्वागत हैं आज हम  महंगाई पर निबंध आपके लिए यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं. तेजी से बढ़ती महंगाई आज वैश्विक समस्या का रूप धारण कर चुकी हैं.

महंगाई की समस्या पर निबंध में हम कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के बच्चों के लिए 5,10 लाइन, 100, 200, 250, 300, 400 और 500 शब्दों बढ़ती महंगाई की समस्या पर निबंध बता रहे हैं.

महंगाई पर निबंध Essay On Inflation In Hindi

महंगाई पर निबंध Essay On Inflation In Hindi

सखी सैया खूब कमात हैं महंगाई डायन खाय जात हैं” ये कुछ बोल आज की परिस्थति को स्पष्ट बया करते हैं. आज का मध्यवर्गीय परिवार सबसे अधिक महंगाई की मार झेल रहा हैं. 

महंगाई की समस्या धीरे-धीरे दानवी रूप ले रही हैं. जो इसानों को जीते जी मार डालने में कोई कसर नही छोड़ रही हैं.

आज के समय में एक साधारण इंसान के लिए मेहनत कर अपने परिवार का गुजारा करना मुश्किल सा हो गया हैं. यहाँ तक की रोटी कपड़ा और मकान जैसी बुनियादी चीजो की पूर्ति करना बड़ा मुश्किल हैं.

महंगाई का अर्थ वस्तुओ की कीमत में वृद्धि से हैं. यह समस्या सिर्फ भारत में ही नही बल्कि दुनिया के अधिकतर देश भी महंगाई की मार झेल रहे हैं.

जीवन के लिए जरूरतमंद कीमतों में बढ़ोतरी के कारण आज आलम यह हैं, कि साधारण व्यक्ति जी तोड़ मेहनत के बावजूद अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ नही कर पाता हैं.

वैश्विक परिद्रश्य में आर्थिक समस्याओं पर गौर करे, तो ये महंगाई पहले स्थान पर काबिज हैं. क्युकि इसकी वजह से ही अधिकतर समस्याओँ का जन्म हुआ हैं.

महंगाई का सम्बन्ध वस्तुओं की सम्पूर्ण मांग और आपूर्ति से होता हैं. जनसंख्या बढ़ोतरी से प्रत्येक वस्तु की मांग पहले से कई गुना बढ़ने लगी, पर्याप्त मात्रा में उत्पादन ना होने के कारण उनकी कीमतों में वृद्धि स्वाभाविक हैं.

इसके अलावा एक वस्तु के उत्पादन से ग्राहक तक पहुचने तक कई चरणों से गुजरना पड़ता हैं. जिसमे कुछ ऐसे असामाजिक संस्थाएँ एवं तत्व होते हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से इनकी आपूर्ति को प्रभावित करते हैं.

वर्तमान समय में हमारे देश में दो विभिन्न मापको द्वारा महंगाई का आकलन किया जाता हैं, जिनमे पहला कंज्यूमर वैल्यू इंडिकेटर और दूसरा स्टॉक वैल्यू इंडिकेटर.

प्रति 7 दिनों में इन मापको द्वारा मुद्रा स्फीति की दर वस्तु के वास्तविक मूल्य और महंगाई का आकलन किया जाता हैं. महंगाई का वास्तविक आधार कंज्यूमर वैल्यू इंडिकेटर ही होता हैं.

महंगाई के कारण

महंगाई के लिए मुख्य तौर पर आर्थिक कारणों को ही जिम्मेदार ठहराया जाता हैं, जबकि इसके पीछे कई सामाजिक और राजनितिक कारण जुड़े होते हैं.

जिनमे मुद्रास्फीति, जनसंख्या विस्फोट, मुनाफाखोरी, जमाखोरी, गरीबी-अमीरी का अंतर, भ्रष्टाचार. जिनमे सबसे मुख्य मुद्रास्फीति माना जाता हैं,

इसके कारण न सिर्फ वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी होती हैं, बल्कि मुद्रा की वैल्यू में भी गिरावट आती हैं. दूसरी तरफ आज जिस गति से लोगों की संख्या बढ़ रही हैं, उनकी बनिस्पद संसाधन नही बढ़ रहे हैं.

अधिक मांग और कम आपूर्ति के कारण स्वाभाविक रूप से महंगाई में बढ़ोतरी होती हैं. हाल ही के कुछ वर्षो में प्याज, टमाटर और दालों के भावों में अनियंत्रित वृद्धि हुई हैं.

जिसके कारण कृषि के लिए आवश्यक सामान और बीज, उर्वरक आदि में बढ़ोतरी दर्ज हुई हैं. इस सम्बन्ध में सरकार द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली को अपनाते हुए मध्यमवर्गीय परिवारों तक सभी आवश्यक वस्तुओं के पहचानें का सार्थक प्रयास किया हैं.

फिर भी हमारे सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार और सरकारी तन्त्र के ढीले रवैये के कारण इस प्रकार के कार्यक्रम प्रभावी रूप से क्रियान्वित नही किये जा सके हैं. कई बार देखा गया हैं.

कृषि उत्पाद जैसे दाल और प्याज टमाटर की बंफर उत्पादन के बावजूद भी उनकी कीमतों में गिरावट नही आ पाती हैं. जिनकी मुख्य वजह कालाबजारी, जमाखोरी और हमारे तन्त्र में व्याप्त भ्रष्टाचार अहम कारण हैं.

जमाखोरी का समूह इस प्रकार की स्थतियो को पैदा करने का अवसर हमेशा ढूढ़ ही लेता हैं. अधिक मात्रा में उत्पादन के तदोपरांत वे उन उत्पादों को क्रय कर संग्रहित कर लेते हैं.

तथा बाजार में स्वनिर्मित कमी का माहौल बना दिया जाता हैं. इसी का नतीजा अधिक मांग और उत्पादन की वस्तुओ की कमी के कारण महंगाई में बढ़ोतरी हो जाती हैं.

इस अवसर का फायदा उठाकर कम कीमत में खरीदी गईं वस्तुओं को अधिक दाम में बेचकर जमाखोर अधिक लाभ कमाते हैं. सामान्यता महंगाई के कारन तेजी से आर्थिक विकास और अर्थव्यवस्था सूचकांक में वृद्धि से अधिक नुक्सान ही वास्तविक रूप से देखने को मिलता हैं.

महंगाई का ही नतीजा हैं. एक समय दाल और अन्य हरी सब्जियों की कीमत 15-20 रूपये के आस-पास थी. जो अब अनियंत्रित वृद्दि के साथ 200 रूपये प्रति किलों से अधिक हो चुकी हैं.

आम आदमी की पहुच से आवश्यक वस्तुओ की दुरी बढ़ने के कारण उनके जीवन स्तर और औसत गरीबी प्रतिशत में इजाफा हुआ हैं.

भ्रष्ट-आचार को बंद कर दों, 

थोड़ी कंम कर दों महंगाई कों।।  घोटाले पे घोटाले कब तक होंगे,

कब तक भुख मरते रहेंगे आमलोग। 

कंब तक आब्रू लूटती रहेगी। 

कब तक रहेगा क़ुरिया में शोक।।

लोगों द्वारा नाजायज तरीके से धन कमाने की इस बदनीयत के कारण समाज में गरीब-अमीर की अस्मानता का ग्राफ निरंतर बढ़ रहा हैं. धन सम्पन्न लोगों पर इसका कोई बड़ा फर्क नही पड़ रहा हैं.

तेजी से बढती इस महंगाई के कारण आम जन का जीना दूभर हो गया हैं, फिर भविष्य निधि, किसी व्यवसाय के लिए अथवा धन की बचत करने का सवाल ही खत्म हो जाता हैं.

वे रोजमर्रा की वस्तुओं की पूर्ति भी ठीक ढंग से नही कर पाते हैं. और गरीबी का स्तर निरंतर बढ़ता ही जाता हैं.

पॉकेट में पीड़ा भरी कौन सुने फ़रियाद यह महंगाई देखकर वह दिन आते याद वह दिन आते याद, जेब में पैसे रखकर सौदा लाते थे बाजार से थैला भरकर धक्का मारा युग ने मुद्रा की क्रेडिट में, थैले में रूपये हैं, सौदा हैं पॉकेट में |

आज हमारे देश में जिस तरह महंगाई में निरंतर बढ़ोतरी हो रही हैं, उनके दुष्परिणाम हर दिन देखने को मिल रहे हैं.

इसके परिणामो के रूप में देश की आर्थिक तरक्की में रूकावट, गरीबी का ग्राफ बढ़ना, गरीब अमीर के बिच के अंतर का बढ़ना, शिक्षित बेरोजगारी जैसे कई बड़े भयकर परिणाम सामने आ रहे हैं.

महंगाई कम करने के उपाय

आज के समय में निरंतर बढ़ रही महंगाई पर लगाम कसने की सख्त आवश्यकता हैं. मुख्य रूप से सभी को अन्न उपजाकर देने वाले कृषक के लिए बीज, उवरक, खेती के उपकरण, बिजली जैसे साधन सस्ते उपलब्ध होने पर उत्पादन पर लगने वाली लागत में कमी आएगी,

इससे वस्तुओ की वास्तविक कीमत में कमी हो सकती हैं. जो महंगाई को कम करने में मददगार साबित हो सकती हैं.

दूसरी तरफ सरकारी द्वारा चलाई जा रही सार्वजनिक वितरण प्रणाली में कमी करके, भ्रष्टाचार करने वाले लोगों पर लगाम कसकर, मुद्रास्फीति के स्तर को कम करने के साथ ही जमाखोरी, कालाबाजारी और मिलावट खोरी पर कड़े नियम बनाकर महंगाई को नियंत्रित किया जा सकता हैं.

किसी भी देश की आर्थिक तरक्की की के लिए बेलगाम बढती महंगाई सबसे खतरनाक संकेत हैं. हमारे देश में यदि सरकार और अन्य गैर सरकारी संस्थाओ के सहयोग से महंगाई को कम करने के लिए समय रहते आवश्यक कदम नही उठाएं गये तो निश्चित तौर पर आने वाले समय में कई खतरनाक विकृतियों को बढ़ावा मिलेगा.

देश की तरक्की ठप हो सकती हैं. महंगाई की मार से सबसे अधिक प्रभावित आम आदमी के जीवन स्तर पर सबसे अधिक बुरा प्रभाव पड़ सकता हैं. इसलिए समय रहते महंगाई की बढ़ती इस रफ़्तार को रोकने हेतु कारगर उपाय करने की आवश्यकता हैं.

बढ़ती महंगाई घटता जीवन स्तर- Mehangai Par Nibandh- Essay On Inflation In Hindi 

प्रस्तावना- वर्तमान काल में हमारे देश में महंगाई एक विकराल समस्या की तरह निरंतर बढ़ती जा रही हैं. पिछले कुछ वर्षों में इसका रूप और भयानक हो गया हैं.

मूल्य वृद्धि ने जनता की कमर तोड़ दी है. वस्तुओं के भाव आसमान छूने लगे हैं. इस कारण आम जनता आर्थिक तंगी से परेशान हैं.

महंगाई के कारण  – यह महंगाई कई कारणों से बढ़ी है. गलत अर्थनीति व प्रशासन की कमजोरी के कारण व्यपारियो ने मनमाने भाव बढ़ा दिए हैं. मुनाफे के लोभ में व्यापारी माल को दबाकर रख लेते हैं.

जिससे बाजार में माल की कमी पड़ जाती हैं. और उसके भाव बढ़ जाते हैं. उत्पादन की कमी होने से वस्तुओं के भाव बढ़ जाते हैं.

माल के वितरण की व्यवस्था ठीक न होने या माल की पूर्ति न होने से भी व्यापारी मूल्य बढ़ा देते हैं. जनसंख्या की तीव्र वृद्धि भी एक कारण है. पेट्रोलियम पदार्थों की मूल्य वृद्धि से मालभाड़े में वृद्धि होने से भी महंगाई आसमान को छू रही हैं.

कर्मचारियों की वेतन वृद्धि का भी मूल्यों पर अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता हैं. रूपये की क्रय शक्ति कम होने तथा बार बार आम चुनाव होने से भी महंगाई बढ़ी हैं.

महंगाई का कुप्रभाव-  बढ़ती हुई महंगाई से समाज में असंतोष फ़ैल रहा हैं. युवकों में तोड़फोड़ की प्रवृति पनप रही हैं. अपराधों को बढ़ावा मिल रहा हैं.

इसके फलस्वरूप आर्थिक विषमता के कारण समाज में इर्ष्या, द्वेष, कुंठा आदि विकार अशांति बढ़ा रहे हैं. रोटी, कपड़ा, मकान से सब परेशान हैं. सरकारी तंत्र महंगाई पर कारगर नियंत्रण नहीं रख पा रहा हैं.

सामान्य रूप से निम्न मध्यम वर्ग को महंगाई के कारण अनेक परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं. क्रय शक्ति कमजोर होने से इस वर्ग के सामाजिक जीवन में भुखमरी फ़ैल रही हैं. संतुलित आहार न मिलने से अनेक रोग फ़ैल रहे हैं.

समस्या का समाधान-  मूल्यवृद्धि की समस्या के समाधान का प्रथम उपाय यह है कि व्यापारियों, उद्योगपतियों तथा भ्रष्ट कर्मचारियों का नैतिक उत्थान किया जाए. कालाबजारी, मुनाफाखोरी पर पुर्णतः अंकुश लगाया जाए.

सरकार आवश्यक वस्तुओं के उचित मूल्य पर वितरण की व्यवस्था स्वयं करे. साथ ही जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश लगाकर उत्पादन दर बढाई जाए. जनता में प्रदर्शन की प्रवृति पर अंकुश लगाया जाए और इसके लिए जन जागरण भी आवश्यक हैं.

उपसंहार- महंगाई पर नियंत्रण पाना जरुरी हैं. बढती हुई महंगाई से निम्न वर्ग की क्रय शक्ति ही कम नही नही हो रही, चोरी, लूट मार की दुष्प्रवृत्तियों को बढ़ावा मिल रहा हैं. परिणामस्वरूप सामाजिक जीवन में अशांति और असहयोग व्याप्त हैं.

Essay On Inflation In Hindi Language For Kids In 400 Words

प्रस्तावना – मुक्त बाजार, भूमंडलीकरण का दुष्प्रचार, विनिवेश का बुखार, छलांगे मारता शेयर बाजार, विदेशी निवेश के लिए पलक पावड़े बिछाती हमारी सरकार, उधार बांटने को बैंकों के मुक्त द्वार, इतने पर भी गरीब और निम्न मध्यम वर्ग पर महंगाई की मार, यह विकास की कैसी विचित्र अवधारणा हैं.

हमारे करमंत्री नए नए करों की जुगाड़ में तो जुटे रहते हैं, किन्तु महंगाई पर अंकुश लगाने में उनके सारे हाईटेक हथियार कुंद हो चुके हैं.

महंगाई का तांडव- जीवन यापन की वस्तुओं के मूल्य असाधारण रूप से बढ़ जाना महंगाई हैं. हमारे देश में महंगाई एक निरंतर चलने वाली समस्या बन चुकी हैं. इसकी सबसे अधिक मार सीमित आय वाले परिवार पर पड़ती हैं.

आज आम आदमी बाजार में कदम रखते हुए हडबडाता है. दैनिक उपभोग की वस्तुओं के भाव बढ़ते ही जा रहे हैं. आज वही वस्तुएं सबसे अधिक महंगी हो रही हैं. जिनके बिना गरीब आदमी का काम नहीं चल सकता.

महंगाई के कारण- महंगाई बढने के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं.

  • उत्पादन कम और मांग अधिक
  • जमाखोरी की प्रवृत्ति
  • सरकार की अदूरदर्शी नीतियाँ तथा भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों और भ्रष्ट व्यवसायियों की सांठ गाँठ
  • जनता में वस्तु संग्रह की प्रवृत्ति
  • अंध परम्परा और दिखावे के कारण अपव्यय
  • जनसंख्या में निरंतर हो रही वृद्धि
  • सरकारी वितरण व्यवस्था की असफलता
  • अगाऊ सौदे और सट्टेबाजी

फिजूलखर्ची और प्रदर्शनप्रियता भी महंगाई बढने का एक कारण हैं. ऐसे लोग शादी विवाह में अनाप शनाप खर्च करते हैं और रहने को राजाओं जैसे महल बनाते हैं. आज राजतंत्र तो नहीं है किन्तु ये लोग लोकतंत्र में भी राजाओं की तरह जीते हैं उनको कबीर का यह दोहा याद नहीं रहा हैं.

कहा चिनावै मेडिया लांबी भीती उसारि घर तो साडे तीन हथ घणा त पौने च्यारि

महंगाई का प्रभाव- महंगाई ने भारतीय समाज को आर्थिक रूप से जर्जर कर दिया है, पेट तो भरना ही होगा, कपड़े मोटे झोटे तो पहनने ही होंगे, सिर पर एक छत का इंतजाम तो करना ही होगा. मगर शुद्ध और मर्यादित आमदनी से तो यह संभव नहीं हैं.

परिणामस्वरूप अनैतिकता और भ्रष्टाचार के चरणों में समर्पण करना पड़ता हैं. निम्न वर्ग और मध्यम वर्ग का तो जीवन ही दुष्कर हो गया हैं. महंगाई के कारण ही अर्थव्यवस्था में स्थिरता नहीं आ पा रही हैं.

महंगाई रोकने के उपाय- महंगाई रोकने के लिए आवश्यक हैं कि बैंक अति उदारता से ऋण देने पर नियंत्रण करे, इससे बाजार में मुद्रा प्रवाह बढ़ता हैं. जीवन स्तर और प्रदर्शन के नाम पर धन का अपव्यय रोका जाना चाहिए, जमाखोरी और आवश्यक वस्तुओं के वायदा कारोबार पर रोक लगनी चाहिए,

आयात और निर्यात में संतुलन रखा जाना चाहिए. अंतिम उपाय है कि जनता महंगाई के विरुद्ध सीधी कार्यवाही करे. भ्रष्ट अधिकारियों तथा बेईमान व्यापारियों का घिराव, सामाजिक बहिष्कार तथा तिरस्कार किया जाय.

उपसंहार- महंगाई विश्वव्यापी समस्या हैं अंतर्राष्ट्रीय परिस्थतियां भी देश में महंगाई के लिए उत्तरदायी हैं. उदारीकरण के नाम पर विदेशी पूंजीनिवेशकों को शुल्कों में छूट तथा करों से मुक्ति प्रदान करना भी महंगाई को बढाता हैं.

यह विचार करने योग्य बात हैं. कि महंगाई खाने पीने की चीजों पर ही क्यों बढ़ती है, मोटरकारों, एसी तथा विलासिता की अन्य वस्तुओं पर क्यों नही?

महंगाई की समस्या पर निबंध Essay On Problem Of Inflation In Hindi

आज विश्व भर में मध्यम वर्ग महंगाई और तेजी से बढ़ते मूल्य वृद्धि की समस्या सामने आ रही हैं. भारत भी मूल्य वृद्धि की समस्या से अछूता नहीं हैं. महंगाई डायन खाये जात हैं कहावत से सभी परिचित हैं.

किस तरह एक आदमी का गुजारा करना कितना मुश्किल हो चुका हैं  भले ही  आवाम को अंग्रेजों से स्वतंत्र हो गई मगर आज वह मूल्य वृद्धि की प्रताड़ना झेल   रही हैं. मूल्य वृद्धि की समस्या और समाधान का निबंध यहाँ जानेगे.

बढ़ रहे हैं मूल्य तो क्या बढ़ रहा है देश गिर रहे अधिकांश तो क्या उठ रहे हैं शेष

मुक्त बाजार, भूमंडलीकरण का दुष्प्रचार, विनिवेश का बुखार, छलांगे लगाता शेयर, बाजार, विदेशी निवेश के लिए पलक पावड़े बिछाती हमारी सरकार, उधार बांटने को बैंकों के मुक्त द्वार इतने पर भी गरीब और निम्न मध्यम वर्ग पर महंगाई की मार,यह विकास की कैसी विचित्र अवधारणा हैं.

हमारे कर मंत्री नए नए करों की जुगाड़ में तो जुटे रहते हैंकिन्तु महंगाई पर अंकुश लगाने में उनके सारे हाईटेक कुंद हो रहे हैं.

महंगाई की विनाश लीला – हमारे देश में महंगाई एक निरंतर चलने वाली समस्या बन चुकी हैं. इसकी सबसे अधिक मार सिमित आय वाले परिवार पर पड़ती हैं. लोगों की आय बाजार के अनुरूप नहीं बढ़ रही हैं.

अनाज, चीनी, तेल, ईधन, दाल, सब्जी, पेट्रोल, डीजल सभी के भाव आसमान को छू रहे हैं. पारिवारिक बजट गडबडा रहे हैं. निम्न वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग का जीना दूभर होता जा रहा हैं.

महंगाई के कारण – महंगाई बढ़ने के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं.

  • जमाखोरी की प्रवृति
  • जनता में वस्तुओं के संग्रह की प्रवृति

महंगाई का स्वरूप – महंगाई सुरसा के मुख की तेजी से बढ़ रही हैं. सर्वाधिक मूल्य वृद्धि खाने पीने की वस्तुओं पर हो रही हैं. इससे गरीब लोग बुरी तरह त्रस्त हैं.

उनका स्वास्थ्य गिर रहा है तथा शरीर निर्बल हो रहा हैं. गेहूँ भंडारण के अभाव में भीगकर सड़ जाता हैं परन्तु सरकार उसे जरूरतमंदों में बाँट नहीं पाती.

महंगाई के प्रभाव – महंगाई ने भारतीय समाज को आर्थिक रूप से जर्जर किया है. आवश्यक जरूरतों की पूर्ति भी साफ़ और सर्वविदित आमदनी से तो सम्भव नहीं हैं. परिणामस्वरूप समाज में अनैतिकता और भ्रष्टाचार पनप रहा हैं.

महंगाई के कारण ही अर्थव्यवस्था में स्थिरता नहीं आ पा रही हैं. समाज में चोरी, छीना झपटी, डकैती आदि अपराध पनप रहे हैं. मूल्य वृद्धि सामाजिक अशांति का कारण भी बन सकती हैं.

महंगाई रोकने के उपाय – महंगाई को रोकने के लिए आवश्यक है कि बैंक अति उदारता से ऋण देने पर नियंत्रित करें. इससे बाजार में मुद्रा प्रवाह बढ़ता हैं. जीवन स्तर  और  प्रदर्शन के नाम पर  धन का अपव्यय रोका जाना  चाहिए.

जमाखोरी और आवश्यक वस्तुओं के  वायदा कारोबार पर रोक लगनी चाहिए. आयात  और  निर्यात व्यापार में संतुलन बनाया जाना चाहिए. उच्च पदाधिकारियों द्वारा गैर जिम्मेदारीपूर्ण बयानबाजी नहीं की जानी चाहिए.

इस दिशा में अंतिम उपाय जनता द्वारा सीधी कार्यवाही हैं. जमाखोर व्यापारियों और भ्रष्ट अधिकारियों का घेराव और सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए.

उपसंहार – अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियाँ भी एक सीमा पर महंगाई के लिए जिम्मेदार हैं लेकिन इनकी आड़ लेकर सरकार अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती.

रिजर्व बैंक और सरकार के तकनीकी जादू टोनों से अगर महंगाई रूकनी होती तो कब की रूक जाती. मगर यहाँ तो हालत ये हैं मर्ज बढ़ता ही गया ज्यों ज्यों दवा की, जब तक मुक्त व्यापार के पाखंड की दुहाई देना छोड़ कर सरकार की बड़ी कार्यवाही नहीं करेगी, महंगाई नहीं रूकेगी.

  • भारत की सामाजिक समस्याएँ पर निबंध
  • आधुनिक भारत पर निबंध
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बढ़ती महंगाई पर निबंध (rising inflation essay hindi).

क्या आपने कभी महसूस किया है कि आपके खर्चों का बोझ दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है? क्या आपके बजट में अनेक चीजों की कटौती करने की जरूरत महसूस होती है? अगर हां, तो आप खुद को महंगाई के चपेट में पकड़ा हुआ महसूस कर सकते हैं।

हालांकि, यह मात्र एक व्यक्तिगत स्तर की समस्या नहीं है, बल्कि हमारे समाज की एक गंभीर आर्थिक चुनौती है, जिसे हम सभी को गंभीरता से उठने की जरूरत है।

आज के इस निबंध में, हम बात करने जा रहे हैं " बढ़ती महंगाई " के विषय में, जिसे हिंदी में लिखने का प्रयास किया गया है। यह निबंध हमें इस समस्या के पीछे के कारणों को समझने, इसके प्रमुख प्रभावों को जानने, और सरकारी और व्यक्तिगत स्तर पर इससे निपटने के उपायों की विचार करने का अवसर प्रदान करेगा।

आज के समय में, बढ़ती महंगाई ने हमारे समाज को अनेक समस्याओं का सामना करने पर मजबूर किया है। यह आर्थिक समस्या सिर्फ भोजन और रोजगार से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास के क्षेत्र तक कई पहलुओं पर प्रभाव डालती है।

हमारे बजट में कमी और खर्चों में वृद्धि के कारण हम अपनी स्वतंत्रता पर भी संकट महसूस करते हैं।

इस निबंध में हम समाज के इस चुनौतीपूर्ण समय के साथ अवगत होंगे और समस्या को समझने का प्रयास करेंगे। इसमें हम विभिन्न कारणों, प्रभावों और समाधानों पर विचार करेंगे ताकि हम इस चुनौती से निपटने के लिए सकारात्मक और प्रभावी कदम उठा सकें।

तो चलिए, इस निबंध के माध्यम से हम सभी मिलकर इस महंगाई की चुनौती का सामना करने के तरीके और समाधान ढूंढते हैं।

आइए, हम सब मिलकर इस आर्थिक विपदा का सामना करने की सकारात्मक भावना से प्रेरित हों और समृद्धि की राह में कदम बढ़ाएं।

बढ़ती महंगाई की समस्या पर निबंध - Essay On Rising Inflation In Hindi

1. प्रस्तावना.

महंगाई एक ऐसी समस्या है जो आज के दौर में हम सभी को प्रभावित कर रही है। इसका मतलब है की दर-दर भटकती भीख मांगने वाली महंगाई ने अपने पंजे को हर इंसान पर छाया है। इसके प्रभाव से सिर्फ सामान्य जनता, बल्कि गरीब वर्ग भी काफी प्रभावित हुआ है। आइए, हम इस प्रस्तावना में महंगाई के मतलब और इसके प्रभाव की चर्चा करें।

महंगाई एक ऐसी विशेषता है, जिससे अर्थव्यवस्था और लोगों की जीवनशैली पर असर पड़ता है। पेट्रोल, डीजल, गैस, खाने के सामान, कपड़े, शिक्षा, स्वास्थ्य, और विभिन्न वस्त्र विक्रेता सामानों के दाम में वृद्धि, बढ़ती महंगाई का एक प्रमुख कारण है।

यह समस्या सिर्फ शहरों में ही नहीं, गांवों में भी अपनी पांवी बिखराती है और इसके प्रभाव से आम जनता के पास रोजी-रोटी के लिए परेशानियाँ बढ़ जाती है।

बढ़ती महंगाई का सबसे बड़ा असर गरीब वर्ग पर पड़ता है। उन्हें न केवल भोजन, खाने के सामान, बल्कि विभिन्न सामाजिक सेवाओं और सुविधाओं की खरीदारी में भी भारी दिक्कतें होती हैं।

गरीब वर्ग वाले लोग अपने आर्थिक पक्ष से इतने प्रभावित हो जाते हैं कि वे अपनी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाते हैं और जीवन के आनंदों से वंचित रहते हैं।

2. महंगाई के कारण

आर्थिक विकास और उसके साथ आने वाली समस्याएं.

एक समृद्धि की अर्थव्यवस्था सभी के लिए आनंदमयी होती है, लेकिन इसमें बढ़ती महंगाई की समस्या भी छिपी होती है। आर्थिक विकास के साथ विभिन्न उत्पादों और सेवाओं की मांग बढ़ जाती है, जो मूल्यों को ऊपर उठाती है।

इसके साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था को कई समस्याएं भी झेलनी पड़ती हैं जैसे बढ़ते बेरोजगारी दर, कटौती के निर्णय, और कमजोर रुपये का असर। इन समस्याओं के कारण बढ़ती महंगाई का सामाजिक और आर्थिक प्रभाव बढ़ता है।

बढ़ती जनसंख्या का प्रभाव

जनसंख्या में बढ़ोतरी भी महंगाई के पीछे एक कारण है। भारत में अनेक लोगों के लिए पर्याप्त रोजगार और सामाजिक सुविधाएं प्रदान करना मुश्किल होता जा रहा है।

जनसंख्या में बढ़ोतरी के कारण रोजी-रोटी के लिए एकाधिकारी आय का संघर्ष बढ़ जाता है और लोगों को बेहतर जीवनस्तर को पाने के लिए अधिक पैसे खर्च करने पड़ते हैं। इससे महंगाई के दाम बढ़ जाते हैं और सामान्य जनता को रोजगार और आवश्यक सामग्री की पहुंच में कठिनाईयाँ होती हैं।

अर्थव्यवस्था में बदलाव और व्यापार नीतियों का असर

अर्थव्यवस्था में बदलाव और व्यापार नीतियों का असर भी महंगाई के बढ़ने का कारण है। उदाहरण के लिए, अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में हुए व्यापारिक बदलाव और विदेशी मुद्राओं के प्रभाव से कुछ सामानों के दाम बढ़ जाते हैं।

इसके साथ ही व्यापार नीतियों के परिवर्तन से उत्पादों के अनावश्यक दाम तक पहुंचने का प्रभाव होता है। इससे बढ़ती महंगाई की समस्या और भी गहराई तक बढ़ जाती है और लोगों के लिए सामान्य वस्तुओं को खरीद पाना और उचित मूल्य पर रहना कठिन हो जाता है।

3. महंगाई के प्रमुख प्रभाव

भोजन और दैनिक जीवनशैली को प्रभावित करना.

महंगाई के दौरान खाने-पीने के सामान्य दामों में वृद्धि होने से भोजन और दैनिक जीवनशैली पर असर पड़ता है। लोग उचित मूल्यवान खाद्य पदार्थों और वस्तुओं के प्रति पहले के मुकाबले अधिक खर्च करने में संकोच नहीं करते।

यह उन्हें अपने खर्चे के बढ़ने के कारण सामान्य जीवनशैली को प्रभावित करता है और उनकी आर्थिक स्थिति पर बोझ बनता है।

शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा क्षेत्र में चुनौतियाँ

महंगाई के वजह से शिक्षा, स्वास्थ्य, और सुरक्षा क्षेत्रों में भी चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं। शिक्षा में उचित सुविधाएं प्राप्त करने, स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने, और सुरक्षित माहौल में रहने के लिए लोगों को ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं।

इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है, बल्कि वे अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने में भी संकोच कर सकते हैं।

बढ़ते वित्तीय दबाव का असर

महंगाई से बढ़ते दामों के कारण वित्तीय दबाव भी बढ़ जाता है। लोग उधार लेने, क्रेडिट कार्ड खरीदने और ऋण चुकाने में परेशानी झेलते हैं।

यह वित्तीय दबाव उनकी आर्थिक स्थिति को कमजोर करता है और उन्हें आर्थिक संतुलन बनाए रखने के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

4. सरकारी उपाय

महंगाई को कम करने के लिए सरकारी नीतियाँ और कदम.

सरकार को महंगाई को कम करने के लिए सक्रिय नीतियों और कदमों के प्रति ध्यान देना होगा।

वित्त मंत्री और आर्थिक विशेषज्ञों के सहयोग से आर्थिक प्रणाली को मजबूत करने, अधिकारियों को महंगाई को नियंत्रित करने के लिए समर्पित करने, और सामान्य जनता के आर्थिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता होती है।

मूल्य नियंत्रण और किफायती योजनाएँ

सरकार को महंगाई को नियंत्रित करने के लिए मूल्य नियंत्रण और किफायती योजनाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए।

निर्माताओं को उचित दामों पर उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और बाजार में उचित मूल्यों पर उपलब्ध कराने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इससे उपभोक्ताओं को सस्ते और किफायती वस्तुएं मिलेंगी और महंगाई का असर कम होगा।

किसानों और गरीब वर्ग के लिए समर्थन उपाय

सरकार को किसानों और गरीब वर्ग के लिए समर्थन उपाय अपनाने की आवश्यकता है। कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों का प्रोत्साहन, उन्नत खेती के लिए सही समय पर सही वित्तीय समर्थन प्रदान करना चाहिए।

इसके अलावा, गरीब वर्ग के लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करने, स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा की सुविधा में सुधार करने, और सुरक्षित रहने के लिए उपाय अधिक करने की आवश्यकता है। इससे गरीब वर्ग और किसानों को महंगाई के प्रभावों से समायोजित होने में मदद मिलेगी।

5. व्यक्तिगत स्तर पर कम करने योग्य उपाय

संयमित खर्च करना और बचत करना.

एक सरल और प्रभावी तरीका महंगाई से निपटने का यह है कि हम संयमित खर्च करें और बचत करें। रोज़मर्रा के खर्चे में संयम बनाए रखने से हम अपने खर्चे को नियंत्रित कर सकते हैं और अधिकतम बचत कर सकते हैं।

इससे हमें आने वाले वित्तीय संकटों का सामना करने में भी मदद मिलेगी।

अपनी खरीदारी के बारे में समझदारी से सोचना

महंगाई से निपटने के लिए एक अहम कदम यह है कि हम अपनी खरीदारी के बारे में समझदारी से सोचें। सबसे पहले हमें अपनी आर्थिक स्थिति का आकलन करना चाहिए और फिर उसके अनुसार ही खरीदारी करनी चाहिए।

आवश्यकता से ज्यादा कुछ खरीदने से बचें और अपने बजट में रहें।

आवश्यकतानुसार खरीद कर रहना और उधार लेने से बचना

महंगाई समय में हमें अपनी खरीदारी को अपनी आवश्यकतानुसार करना चाहिए। यानी केवल उतने ही सामानों को खरीदें जिनकी हमें वास्तविक आवश्यकता हो।

इससे हम बेकारी और अनावश्यक खर्चे से बच सकते हैं। इसके साथ ही, ध्यान रखें कि हम अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उधार लेने का प्रयास करें। उधार लेने से बचने से हमें उधार के ब्याज और भुगतान से मुक्ति मिलेगी।

ये उपाय हमारे व्यक्तिगत स्तर पर महंगाई को कम करने में मदद कर सकते हैं। हमारी अच्छी वित्तीय योजनाएं, खर्चे का संयम, और अपनी खरीदारी को समझदारी से करने से हम आर्थिक रूप से मजबूत हो सकते हैं और महंगाई के प्रभावों से बच सकते हैं।

6. निष्कर्ष

आर्थिक महंगाई के साथ निपटने के लिए एक व्यापक और समर्थ संगठन, सहयोग, और संवेदनशीलता की आवश्यकता है।

सभी स्तरों पर, सरकार, जनता, और व्यक्तिगत स्तर पर, सही दिशा निर्देशन और संबल द्वारा इस समस्या को निपटाने के लिए एकसाथ काम करने की जरूरत है।

सरकारी स्तर पर, महंगाई के प्रति संवेदनशीलता और उसके प्रभाव को समझते हुए, विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं के साथ मिलकर सक्रिय नीतियों को बनाने की जरूरत है।

मूल्य नियंत्रण और किफायती योजनाएं लागू करके वित्तीय स्थिति को सुधारने और आर्थिक संतुलन को बनाए रखने के लिए कदम उठाने चाहिए। किसानों और गरीब वर्ग को आर्थिक समर्थन उपाय प्रदान करके उन्हें महंगाई के प्रभाव से बचाने में मदद मिलनी चाहिए।

व्यक्तिगत स्तर पर, लोगों को संयमित खर्च करने, बचत करने, और उधार लेने से बचने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। वे अपनी खरीदारी को समझदारी से करें और आवश्यकतानुसार खरीद कर रहें।

व्यक्तिगत स्तर पर सामाजिक जागरूकता बढ़ाने के माध्यम से लोगों को महंगाई के प्रभावों के बारे में शिक्षित किया जा सकता है और उन्हें उचित वित्तीय योजनाएं बनाने और निपटाने में मदद मिल सकती है।

समस्या को ठीक करने के लिए संगठन, सहयोग, और संवेदनशीलता एक आवश्यक तत्व हैं।

हमारे सभी प्रयास और एकजुटता से ही हम महंगाई के प्रभावों को कम करने में सफल हो सकते हैं और समृद्धि की नई राह चुन सकते हैं।

बढ़ती महंगाई हिंदी निबंध 100 Words

बढ़ती महंगाई एक गंभीर समस्या है जो समाज को प्रभावित कर रही है। विभिन्न क्षेत्रों में दामों में वृद्धि से भोजन, जीवनशैली, शिक्षा, स्वास्थ्य, और सुरक्षा क्षेत्र में चुनौतियां उत्पन्न हो रही हैं।

महंगाई के प्रभाव से खासकर गरीब वर्ग और किसान पीड़ित हो रहे हैं। सरकार को उचित नीतियों और कदमों के साथ महंगाई को नियंत्रित करने की आवश्यकता है।

व्यक्तिगत स्तर पर, संयमित खर्च करने, बचत करने, और समझदारी से खरीदारी करने से लोग इस समस्या से निपट सकते हैं।

बढ़ती महंगाई हिंदी निबंध 150 शब्द

बढ़ती महंगाई एक चिंताजनक समस्या है जो आधुनिक जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। महंगाई का मतलब होता है दरों, किराने, पेट्रोल, वाहनों, शिक्षा, स्वास्थ्य इत्यादि की दरों में वृद्धि। यह समस्या आर्थिक संतुलन और लोगों की जीवनशैली पर बुरा प्रभाव डालती है।

बढ़ती महंगाई से खाने-पीने के दामों में बदलाव होने से लोगों को अपनी रोज़मर्रा की खर्चे के बारे में सोचने पर मजबूर करता है। गरीब वर्ग और किसान इस समस्या से खासकर प्रभावित होते हैं, जिन्हें उचित समर्थन और विकास की आवश्यकता होती है।

सरकार को उचित नीतियों और कदमों के साथ महंगाई को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी संभालनी चाहिए और व्यक्तिगत स्तर पर हमें संयमित खर्च करने, बचत करने, और समझदारी से खरीदारी करने का प्रयास करना चाहिए। इससे हम आर्थिक संतुलन बनाए रख सकते हैं और बढ़ती महंगाई के प्रभावों से बच सकते हैं।

बढ़ती महंगाई हिंदी निबंध 200 शब्द

बढ़ती महंगाई विषय एक विशेष रूप से महत्वपूर्ण और विचारशील मुद्दा है जो विभिन्न विभाजनों में लोगों को प्रभावित करता है।

महंगाई का संबंध बढ़ती दरों, उत्पादों, वित्तीय सेवाओं और पेट्रोल, डीजल, गैस जैसे आवश्यक चीजों की कदाचित वृद्धि से होता है। यह समस्या आर्थिक विकास और समृद्धि के लिए एक अवरोध है, क्योंकि इससे व्यक्तियों की खर्चे की शक्ति कम होती है और लोगों को अपनी रोज़मर्रा की जिम्मेदारियों का सामना करना पड़ता है।

गरीब वर्ग और किसान इस समस्या के प्रभाव से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। उन्हें उचित समर्थन और सहायता की आवश्यकता होती है।

सरकार को नीतियों के माध्यम से इस समस्या का समाधान करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। वित्तीय संतुलन और मूल्य नियंत्रण जैसे उपाय अपनाकर सरकार महंगाई को नियंत्रित कर सकती है।

व्यक्तिगत स्तर पर, हमें संयमित खर्च करना, बचत करना, और उधार लेने से बचना चाहिए। आवश्यकतानुसार खरीदारी करने, समझदारी से व्यवहार करने और वित्तीय संयम बनाए रखने से हम महंगाई से निपट सकते हैं।

इस समस्या के समाधान के लिए समर्थन, संगठन, और सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता है।

हम सभी को मिलकर इस मुद्दे का समाधान ढूंढना होगा ताकि हम आर्थिक समृद्धि और सामाजिक विकास की राह पर आगे बढ़ सकें।

बढ़ती महंगाई हिंदी निबंध 300 शब्द

बढ़ती महंगाई एक गंभीर और चिंता का विषय है जो आजकल समाज में एक बड़ी समस्या बन गया है। महंगाई का मतलब होता है विभिन्न चीजों और सेवाओं की दरों में वृद्धि, जो लोगों के रोज़मर्रा के खर्चों को बढ़ा देती है। इससे वित्तीय संतुलन पर बुरा प्रभाव पड़ता है और लोगों की जीवनशैली पर असर होता है।

महंगाई के प्रभाव से खासकर गरीब वर्ग और किसान प्रभावित होते हैं। उन्हें अपनी रोज़ी-रोटी की चिंता रहती है और उचित समर्थन नहीं मिलता है। इससे उनके जीवन का स्तर गिर जाता है और उन्हें आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

सरकार और जनता को इस समस्या को गंभीरता से देखने की जरूरत है। सरकार को उचित नीतियों के माध्यम से महंगाई को नियंत्रित करने में कदम उठाने की जरूरत है। वित्तीय संतुलन बनाए रखने के लिए मूल्य नियंत्रण और उचित सहायता योजनाएं लागू करनी चाहिए।

व्यक्तिगत स्तर पर, हमें संयमित खर्च करने, बचत करने, और उधार लेने से बचने की जरूरत है। हमें अपने खरीदारी को समझदारी से करना चाहिए और आवश्यकतानुसार ही खर्च करना चाहिए। इससे हम अपने खर्चे को नियंत्रित कर सकते हैं और बढ़ती महंगाई से बच सकते हैं।

इस समस्या का समाधान करने के लिए समर्थन, संगठन, और सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता है।

सभी लोगों को मिलकर इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए और उचित कदम उठाने चाहिए। सामाजिक जागरूकता के माध्यम से लोगों को महंगाई के प्रभावों के बारे में शिक्षित करना चाहिए और उन्हें उचित वित्तीय योजनाएं बनाने और निपटाने में मदद मिल सकती है।

अधिकतर लोग आर्थिक सुरक्षित और सुखी जीवन जीना चाहते हैं, और इसके लिए बढ़ती महंगाई का सामना करना होगा।

हम सभी को मिलकर समस्या का समाधान ढूंढना होगा ताकि हम एक उज्ज्वल और समृद्ध भविष्य का निर्माण कर सकें।

बढ़ती महंगाई हिंदी निबंध 500 शब्द

प्रस्तावना.

आधुनिक जीवन में बढ़ती महंगाई एक चिंताजनक मुद्दा है जो समाज के सभी वर्गों को प्रभावित कर रहा है। महंगाई के प्रति लोगों की चिंता हर तरफ देखने को मिलती है।

आर्थिक संतुलन, उचित जीवनशैली और उचित मानसिकता पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इस निबंध में, हम बढ़ती महंगाई के कारण, प्रभाव, और इससे निपटने के उपायों पर विचार करेंगे।

महंगाई के कारण

बढ़ती महंगाई के पीछे कई कारण हैं। पहले, आर्थिक विकास और तकनीकी प्रगति के साथ लोगों की खरीदारी बढ़ी है।

व्यापार और विनिर्माण के क्षेत्र में तेजी से बढ़त के कारण वस्तुओं की दरें बढ़ती हैं। दूसरे, बढ़ती जनसंख्या भी एक महत्वपूर्ण कारण है। जनसंख्या के वृद्धि के कारण जरूरतमंद वस्तुओं की मांग बढ़ती है और इससे उत्पादों की दरों में वृद्धि होती है।

तीसरे, अर्थव्यवस्था में बदलाव और व्यापार नीतियों का असर भी महंगाई के प्रति अहम फैक्टर है। बढ़ती महंगाई को रोकने के लिए विभिन्न नीतियों का उपयोग किया जाना चाहिए।

महंगाई के प्रमुख प्रभाव

बढ़ती महंगाई का सबसे पहला प्रभाव होता है भोजन और दैनिक जीवनशैली पर। खाने-पीने के दामों में वृद्धि के कारण लोगों की रोज़मर्रा की खर्चे की शक्ति कम होती है।

विशेष रूप से गरीब वर्ग और किसान पर इसका असर ज्यादा होता है। इसके परिणामस्वरूप उन्हें उचित खाने की सुविधा नहीं होती है और वे आर्थिक तंगदस्ती में पड़ जाते हैं।

महंगाई का दूसरा प्रभाव है शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा क्षेत्र में। बढ़ती खर्चे के कारण शिक्षा की व्यवस्था में कटौती होती है और लोगों को उचित स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिलता है।

यह बढ़ती महंगाई समाज के विभिन्न क्षेत्रों में चुनौतियों का सामना करने की बजाय उन्हें और मुश्किलों में डाल देती है।

बढ़ती महंगाई का तीसरा प्रभाव होता है वित्तीय दबाव के रूप में। लोग आर्थिक समस्याओं के कारण उधार लेने के लिए मजबूर हो जाते हैं जो उन्हें अधिक वित्तीय दबाव में डाल देता है।

वित्तीय संतुलन का खंडित होना उन्हें आर्थिक संकट में डाल सकता है और इससे उन्हें आर्थिक स्थिति में सुधार करने में कठिनाई होती है।

सरकारी उपाय

महंगाई को कम करने के लिए सरकार को उचित नीतियों और कदमों को अपनाने की आवश्यकता है। प्रथम, मूल्य नियंत्रण और किफायती योजनाएं लागू करनी चाहिए।

इससे वस्तुओं और सेवाओं के दामों में संतुलन बना रहेगा और लोगों को उचित दरों पर वस्तुएँ मिलेंगी। द्वितीय, किसानों और गरीब वर्ग को वित्तीय समर्थन और सहायता उपलब्ध करानी चाहिए। उन्हें उचित मूल्य मिलेगा और वे आर्थिक समस्याओं से निपट सकेंगे।

तृतीय, विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए लोगों को जागरूक करना चाहिए। इससे लोग अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकेंगे और महंगाई से निपटने में सक्षम होंगे।

व्यक्तिगत स्तर पर कम करने योग्य उपाय

महंगाई को व्यक्तिगत स्तर पर कम करने के लिए भी कुछ उपाय हैं। पहले, संयमित खर्च करना और बचत करना बहुत महत्वपूर्ण है। लोगों को अपने खर्चे को संयमित रखने की आवश्यकता है और जितना हो सके बचत करना चाहिए।

द्वितीय, अपनी खरीदारी को समझदारी से करने का प्रयास करें। आवश्यकतानुसार ही खरीदारी करें और ध्यान दें कि वस्तुएँ जो आप खरीद रहे हैं वास्तविक आवश्यकता हैं या नहीं। तृतीय, उधार लेने से बचें।

यदि आपको आर्थिक समस्या नहीं है तो उधार लेने की जरूरत नहीं होती है। उधार लेने से बचकर लोग अपनी आर्थिक स्थिति को मज़बूत बना सकते हैं और महंगाई के प्रभाव से बच सकते हैं।

निष्कर्ष

बढ़ती महंगाई से निपटने के लिए संगठन, सहयोग और संवेदनशीलता की आवश्यकता है। सरकार, जनता, और व्यक्तिगत स्तर पर सही दिशा निर्देशन की जरूरत है।

सामाजिक जागरूकता बढ़ाने के माध्यम से लोगों को महंगाई से निपटने का सही तरीका सिखाना चाहिए। साथ ही सरकार को विभिन्न उपायों को लागू करके महंगाई को नियंत्रित करने में सक्षम बनाना चाहिए। इससे समाज में आर्थिक समृद्धि और सामाजिक विकास की राह पर आगे बढ़ा जा सकेगा।

बढ़ती महंगाई से निपटने के लिए हमें सभी लोगों को मिलकर इस मुद्दे को गंभीरता से लेना होगा और सही दिशा निर्देशन की जरूरत होगी। इस प्रकार हम एक समृद्ध, समरस्थ, और समर्पित समाज का निर्माण कर सकते हैं।

बढ़ती महंगाई पर निबंध 10 लाइन हिंदी में

  • बढ़ती महंगाई आजकल एक चिंता का विषय है जो हमारे समाज के लिए गंभीर समस्या बन गया है।
  • महंगाई के कारण लोगों को रोजमर्रा की जिंदगी में आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
  • खाने-पीने के दामों में बढ़ोतरी के कारण भोजन की कीमतें बढ़ गई हैं जिससे लोगों की रोजी-रोटी पर बुरा असर पड़ रहा है।
  • महंगाई के कारण विद्यार्थियों को शिक्षा के क्षेत्र में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • इससे असमर्थ वर्गों को उचित स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं और उन्हें उचित इलाज के लिए पैसे की कमी हो रही है।
  • व्यापार और विनिर्माण के क्षेत्र में तेजी से बढ़ती हुई दरें भी महंगाई के लिए जिम्मेदार हैं।
  • महंगाई का सबसे बड़ा प्रभाव गरीब वर्ग और किसान पर हो रहा है। उन्हें उचित मूल्य वस्तुएं नहीं मिल पा रही हैं और वह आर्थिक संकट में डूब रहे हैं।
  • महंगाई को नियंत्रित करने के लिए सरकार को सकारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है।
  • लोगों को संयमित खर्च करने, बचत करने, और उधार लेने से बचने की जरूरत है।
  • सामाजिक जागरूकता को बढ़ाने से लोग महंगाई के प्रभाव से निपटने में सक्षम हो सकते हैं और एक समृद्धि और समरस्थ समाज का निर्माण कर सकते हैं।

बढ़ती महंगाई पर निबंध 15 लाइन हिंदी में

  • बढ़ती महंगाई आधुनिक जीवन में एक गंभीर समस्या बन गई है जो हमारे समाज को प्रभावित कर रही है।
  • यह समस्या विभिन्न कारणों से उत्पन्न होती है, जैसे आर्थिक विकास, वस्तुओं की बढ़ती मांग, जनसंख्या का वृद्धि करना आदि।
  • महंगाई के कारण खाने-पीने के दाम, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और वित्तीय दबाव बढ़ रहे हैं।
  • गरीब वर्ग और किसान महंगाई के खिलाफ सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं, उन्हें उचित मूल्य वस्तुएं नहीं मिल पा रही हैं।
  • महंगाई के कारण लोग अपनी रोजी-रोटी में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं और वित्तीय तंगदस्ती से गुजर रहे हैं।
  • सरकार को इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए सकारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है।
  • मूल्य नियंत्रण, किफायती योजनाएं और गरीब वर्ग और किसानों के लिए समर्थन उपाय लागू करने से महंगाई को कम किया जा सकता है।
  • लोगों को संयमित खर्च करने और बचत करने की आवश्यकता है ताकि उन्हें आर्थिक समस्याओं से निपटने में सहायता मिल सके।
  • आर्थिक सावधानी बरतने, उधार लेने से बचने और खरीदारी को समझदारी से करने से भी महंगाई को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • सामाजिक जागरूकता को बढ़ाने से लोग अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकते हैं और महंगाई से निपटने में सक्षम हो सकते हैं।
  • युवा वर्ग को आर्थिक सशक्तिकरण के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि उन्हें आर्थिक दबाव से निपटने का सामर्थ्य मिले।
  • इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए सरकार को व्यापार और विनिर्माण के क्षेत्र में उचित नीतियों को लागू करने की जरूरत है।
  • गरीब वर्ग को वित्तीय समर्थन और सहायता उपलब्ध कराने से उन्हें अपनी स्थिति में सुधार करने का मौका मिलेगा।
  • सभी समाज के व्यक्तियों को जागरूक बनाने से महंगाई के प्रति संवेदनशीलता और सहयोगता बढ़ सकती है।
  • एकजुट होकर हम समाज में एक आर्थिक संतुलन, सामर्थ्य और समृद्धि की स्थिति को स्थापित कर सकते हैं, जिससे देश के विकास में बढ़ती महंगाई का प्रभाव कम होगा।

बढ़ती महंगाई पर निबंध 20 लाइन हिंदी में

  • बढ़ती महंगाई आजकल एक चिंता का विषय है जो देश के समृद्ध और गरीब वर्ग दोनों को प्रभावित कर रहा है।
  • यह आर्थिक समस्याओं का मुख्य कारण है, जिसमें वस्तुओं की मांग का बढ़ना, विनिर्माण के खर्चों में वृद्धि और जनसंख्या का वृद्धि करना शामिल है।
  • महंगाई के कारण खाने-पीने के दाम, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, इलेक्ट्रिसिटी आदि समस्त वस्तुओं के दाम बढ़ रहे हैं।
  • इससे वर्गों की रोजी-रोटी पर बुरा असर पड़ रहा है, विशेष रूप से गरीब वर्ग जो उचित वस्तुओं और सेवाओं तक पहुंचने में असमर्थ हैं।
  • विद्यार्थियों को शिक्षा के क्षेत्र में आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जो उनकी शिक्षा में रुकावट पैदा कर सकता है।
  • समाज को आर्थिक दबाव से निपटने के लिए सरकार को सकारात्मक नीतियों और कदमों को अपनाने की जरूरत है।
  • मूल्य नियंत्रण, किफायती योजनाएं, गरीब वर्ग और किसानों के लिए समर्थन उपाय लागू करने से महंगाई को कम किया जा सकता है।
  • लोगों को संयमित खर्च करने, बचत करने और उधार लेने से बचने की जरूरत है।
  • खरीदारी को समझदारी से करने और अपनी आर्थिक स्थिति को समझकर खर्च करने से महंगाई से निपटने में मदद मिलेगी।
  • आर्थिक संकट से निपटने के लिए व्यक्तियों को स्वयं सहायता करनी चाहिए और सामाजिक जागरूकता बढ़ाने से इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • आर्थिक सशक्तिकरण के लिए युवा वर्ग को प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि उन्हें आर्थिक दबाव से निपटने का सामर्थ्य मिले।
  • सरकार को व्यापार और विनिर्माण के क्षेत्र में उचित नीतियों को लागू करने की जरूरत है ताकि महंगाई को नियंत्रित किया जा सके।
  • एकजुट होकर हम समाज में एक आर्थिक संतुलन, सामर्थ्य और समृद्धि की स्थिति को स्थापित कर सकते हैं।
  • सरकारी उपायों के साथ-साथ व्यक्तिगत स्तर पर भी हमें संयमित खर्च करना और बचत करना चाहिए।
  • लोगों को आर्थिक संवेदनशीलता और बचत की महत्वता के बारे में शिक्षित करना चाहिए।
  • महंगाई के प्रति सक्रिय और संवेदनशील बनकर हम उसे नियंत्रित करने में सहायता कर सकते हैं।
  • समाज में आर्थिक जागरूकता को बढ़ाकर हम महंगाई को कम करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ सकते हैं।
  • अपनी खरीदारी के लिए समझदारी से सोचने और सही विकल्पों को चुनने से हम महंगाई के प्रति सक्रिय रूप से सामर्थ्य प्राप्त कर सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

महंगाई क्या है.

महंगाई एक अर्थिक शब्द है जो वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी को दर्शाता है। इससे लोगों को अधिक पैसे खर्च करने की जरूरत पड़ती है और उनकी रोजी-रोटी पर असर पड़ता है।

महंगाई के प्रमुख कारण क्या हैं?

महंगाई के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

  • वस्तुओं और सेवाओं की मांग का बढ़ना।
  • विनिर्माण खर्चों में वृद्धि।
  • आर्थिक विकास और वित्तीय दबाव के प्रभाव।
  • जनसंख्या का वृद्धि करना।

महंगाई के प्रमुख प्रभाव क्या हैं?

महंगाई के प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हैं:

  • भोजन और दैनिक जीवनशैली को प्रभावित करना।
  • शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा क्षेत्र में चुनौतियाँ।
  • बढ़ते वित्तीय दबाव का असर।

सरकार के महंगाई को कम करने के उपाय क्या हैं?

सरकार के महंगाई को कम करने के उपाय निम्नलिखित हैं:

  • मूल्य नियंत्रण और किफायती योजनाएं लागू करना।
  • गरीब वर्ग और किसानों के लिए समर्थन उपाय उपलब्ध कराना।
  • आर्थिक विकास पर ध्यान देना और उचित विनिर्माण के प्रोत्साहन के लिए नीतियां बनाना।

महंगाई से निपटने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर क्या किया जा सकता है?

महंगाई से निपटने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

  • संयमित खर्च करना और बचत करना।
  • अपनी खरीदारी के बारे में समझदारी से सोचना।
  • आवश्यकतानुसार खरीद कर रहना और उधार लेने से बचना।

महंगाई से निपटने के लिए सामाजिक जागरूकता क्यों महत्वपूर्ण है?

सामाजिक जागरूकता महंगाई से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि इससे लोगों को आर्थिक संवेदनशीलता विकसित होती है और वे अपने खर्चों को समझकर उचित रूप से व्यवस्थित कर सकते हैं। इससे समाज में आर्थिक समृद्धि की स्थिति स्थापित की जा सकती है और महंगाई के खिलाफ संघर्ष करने के लिए लोग सक्रिय होते हैं।

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महँगाई पर निबंध – Inflation Essay in Hindi

दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में आप महँगाई पर निबंध ( Mehangai Par Nibandh ) हिंदी में पढ़ सकते हैं। हमने अपने पिछले Hindi Essay के आर्टिकल में आपने मित्रता पर निबंध पढ़ा था।

अगर आपने इसे नहीं पढ़ा तो आप इसे भी जरूर पढ़िए। अब हम आज का यह आर्टिकल शुरू करते हैं। आप पूरा निबंध पढ़ने के बाद कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपना फीडबैक जरूर दें।

महँगाई पर निबंध हिंदी में – Essay on Inflation in Hindi

रोटी, कपड़ा और मकान – ये मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताएं है। मनुष्य की अन्य आवश्यकताएं इन्हीं से सम्बंधित है। यह तीनों अनिवार्य आवश्यकताएं है।

मानव जीवन के दैनिक उपयोग में आनेवाली वस्तुओं के मूल्य में अपेक्षाकृत अधिक वृद्धि महंगाई कहलाती है। आज दैनिक उपयोग में आनेवाली वस्तुओं के मूल्य उत्तरोत्तर बढ़ते जा रहे हैं।

जिस कारण से जीवन निर्वाह भी आज के मनुष्य के समक्ष कठिन समस्या बन गई है। महंगाई की मार ने समस्त देश का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है।

रुपए की कोई कीमत ही नहीं रही, वस्तुओं के भाव कई कई गुने बढ़ गए हैं। अतः गरीब और मध्यम श्रेणी के व्यक्तियों के लिए जीवन-यापन दूभर गया है।

अर्थशास्त्रियों के अनुसार जब उत्पादन में वृद्धि होती है, तब वस्तु का मूल्य कम हो जाता है। सरकारी आंकड़े भी बताते हैं कि देश का उत्पादन बढ़ रहा है, परंतु वस्तु के मूल्य कई गुणे  बढ़ रहे हैं।

1970 मे जो चावल 1 रुपए किलो मिलता था, आज वह 25-30 रुपए प्रति किलो मिलता है। अन्य खाद्य पदार्थों की कीमतों में तो और भी वृद्धि हो गई है।

साग-सब्जी, नमक, चीनी, तेल, घी, दूध इत्यादि सब के दामों में बेतहाशा वृद्धि हो गई है। महंगाई के कारण हम छोटी-छोटी आवश्यकताएं भी पूरा करने में भी अक्षम हो गए हैं।

अब प्रश्न उठता है कि इस मूल्य-वृद्धि या महंगाई का क्या कारण है? इसके अनेक कारण है। देश में काले धन की कमी नहीं है।

उस धन से चोर बाजारी से मनमानी मात्रा में वस्तुएं खरीदकर बाजार में कृत्रिम अभाव पैदा कर दिया जाता है।

फिर मन माने दामों पर उन्हें बेचा जाता है। उन मुनाफाखोरो ने सामाजिक जीवन को दूभर बना दिया है। इस कारण आज न परिचय रहा, न संबंध रहा और ना नाते रिश्ते रहे।

आजकल सरकार द्वारा खनिज तेल के मूल्य में लगातार वृद्धि की जा रही है। यह मूल्य वृद्धि का प्रमुख कारण बन गया है।

इसके अतिरिक्त देश की उन्नति के लिए विभिन्न योजनाओं में धन की व्यवस्था, विदेशी ऋण की अदायगी, देश के सीमांत की सुरक्षा में व्यय, युद्ध और शरणार्थियों पर व्यय, बाढ़-सूखा की स्थिति में धन का व्यय इत्यादि मूल्य-वृद्धि के विभिन्न कारण है।

वर्तमान मूल्य-वृद्धि पर नियंत्रण के लिए आवश्यक है, लोगों में नैतिक उत्थान। लोगों को व्यक्तिगत स्वार्थ-साधन की अपेक्षा राष्ट्र-हित की बात सोचनी चाहिए।

भ्रस्टाचार का दमन करने के लिए शासक दाल का कठोर नियंत्रण होना चाहिए। इस दिशा में सरकारी प्रयत्नों को और गति देने की आवश्यकता है।

Final Thoughts – 

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महंगाई पर निबंध Essay On Inflation In Hindi

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  • थोक मूल्य सूचकांक- इन मूल्यों की गणना वर्ष भर के बाद की जाती है. इसमे खाद्यान्न, धातु, ईंधन, रसायन आदि प्रकार की सभी वस्तुए सम्मलित होती है.
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मंहगाई पर निबंध – Essay on Inflation in Hindi

Mehangai par nibandh.

आजकल हर व्यक्ति चाहे वह गांव में रह रहा हो, या शहर में। यही कहता मिलता है कि आधुनिक समय में जीवनयापन करना बड़ा मुश्किल हो चला है। क्यूंकि वस्तुओं के दाम इतने बढ़ गए हैं कि गरीब और मध्यमवर्गीय व्यक्ति की मंहगाई के कारण कमर टूट गई है। एक बार जिस वस्तु के दाम बढ़ जाते हैं, वह नीचे आने का नाम ही नहीं लेते हैं। ऐसे में आज घर में प्रयोग होने वाली हर छोटी से लेकर बड़ी चीज का दाम बढ़ गया है, ऐसे में चाहे अनाज, दूध, सब्जी, कपड़ा, दवाई, किताबें हो, हर किसी के दाम आसमान छूने लगे हैं। इतना ही नहीं जिन वस्तुओं के मूल्य बढ़ जाते हैं, कभी कभी तो वह वस्तु बाज़ार से गायब ही हो जाती है। ऐसे में कुछ व्यापारी कालाबाजारी करके उन वस्तुओं को अधिक मूल्य पर बेचकर मुनाफा कमाने में लगे हुए हैं।

मंहगाई के बढ़ने का कारण

सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर वस्तुएं सुलभ नहीं हो पाती हैं। जिसके पीछे बढ़ती जनसंख्या, लोगों की निम्न आमदनी और जमाखोरी आदि मुख्य कारक है। साथ ही आज व्यापारी वर्ग को बस एक मौका चाहिए वस्तुओं के दाम बढ़ाने के। फिर चाहे कभी सरकारी कर हो, रेल भाड़ा बढ़ा हो, किसी प्रकार की हड़ताल इत्यादि बताकर लाभ कमाने के चलते वह अधिक कीमतों पर माल बेच रहे हैं। इतना ही नहीं व्यापारियों के अधिक लाभ कमाने की होड़ में अब अधिक पैसे देने के बाद भी ग्राहक को शुद्ध सामान की प्राप्ति नहीं होती है। तो वहीं उच्च वर्ग की क्रय शक्ति के बढ़ने के कारण भी वस्तुओं के दाम बढ़ने लगे है। जिसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ता है। जिस तरह से भारत की जनसंख्या बढ़ रही है, उस हिसाब से उत्पादन ना होने के चलते भी वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं। इतना ही नहीं सरकार जिस वस्तु के मूल्य स्थिर रखने की घोषणा करती है, अगले दिन उसी के दाम बढ़े हुए मिलते है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है भारत में बढ़ती पेट्रोल की कीमतें और बाज़ार में बढ़ते प्याज के दाम। साथ ही कहीं ना कहीं विकासशील देश होने के कारण हमें अधिकतर वस्तुओं के आयात के लिए अंतरराष्ट्रीय देशों पर निर्भर रहना होता है। किसी भी तरह की अपातकालीन परिस्थितियों में आयात किए गए माल की कीमतों में अवश्य ही वृद्धि होती है।

मंहगाई को रोकने के उपाय

जहां एक ओर मंहगाई को रोकने के लिए सर्वप्रथम देश की जनसंख्या पर नियंत्रण रखना जरूरी है। तो वहीं महंगाई को रोकने के लिए देश में उद्योग और कृषि दोनों में ही उत्पादन को शीघ्रता से बढ़ाना होगा। तभी मंहगाई से आम आदमी को राहत मिल पाएगी। और तो और माल की ढुलाई में भी तेजी लानी होगी, ताकि आवश्यक वस्तुओं की कमी के चलते बाज़ार में उनके दाम ना बढ़ने पाएं। इतना ही नहीं यदि सरकार देश की जनता खासकर गरीबों, आम आदमी और किसानों का भला चाहती है। तो उसे सरकारी खर्चों में कटौती करके साथ ही मंत्रियों के ऊपर खर्च की जाने वाली राशि को कम करके सस्ती कीमत पर आवश्यक वस्तुओं को उपलब्ध कराना चाहिए। कानून में वस्तुओं की जमाखोरी, कालाबाजारी और चोरबाजारी करने वाले लोगों के लिए सजा के प्रावधान को और सख्त बनाना चाहिए ताकि आम जनता को मंहगाई की मार से मचाया जा सके।

मंहगाई सभ्य समाज के लिए एक अभिशाप की भांति है। जिसके चलते आम आदमी की जिंदगी हर रोज प्रभावित हो रही है। और जल्द ही बढ़ती मंहगाई को नियंत्रित नहीं किया गया, तो समाज में अपराध रोके नहीं रुकेगा। और कोरोना के बाद हालत इतने बदल गए हैं कि इसके चलते लोगों की बचतें प्रभावित हो गई है, ऊपर से बढ़ती मंहगाई आम लोगों को निगलती ही जा रही है। इसको प्रभावी नीतियों के माध्यम से रोकना वर्तमान समय की जरूरत है।

इसके साथ ही हमारा आर्टिकल – Mehangai par nibandh समाप्त होता है। आशा करते हैं कि यह आपको पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य कई निबंध पढ़ने के लिए हमारे आर्टिकल – निबंध लेखन को चैक करें।

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अंशिका जौहरी

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महंगाई की समस्या पर निबंध Essay on Inflation in Hindi

महंगाई की समस्या पर निबंध Essay on Price Rise or Inflation in Hindi

परीक्षाओं में अक्सर बच्चों को महंगाई की समस्या पर निबंध (Essay on Inflation in Hindi) पूछ लिया जाता है। इसमें महंगाई का अर्थ, कारण, प्रभाव, समाधान व उपाय, मापने का तरीका टॉपिक के विषय में जानकारी दी गई है।

Table of Content

दुनिया चाहे कितना भी प्रगति क्यों ना कर ले लेकिन कुछ समस्याएं ऐसी होती है, जो खत्म होने का नाम ही नहीं लेती।

जिस प्रकार महंगाई, गरीबी और बेरोजगारी की समस्या प्रतिदिन लोगों से उनकी सुख शांति छीन रहे हैं, इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है, कि आने वाले समय में सामान्य रूप से जीवन यापन करने में भी कितनी परेशानी हो सकती है।

आज के समय में जब विज्ञान में हमने महारत हासिल कर ली है और तरह-तरह की सुख सुविधाओं का आविष्कार भी कर लिया है, लेकिन इसके बावजूद दुनिया में ऐसे करोड़ों लोग हैं, जो अपनी आधारभूत जरूरत जैसे रोटी, कपड़ा और मकान को पूर्ण करने में भी नाकामयाब रहे हैं।

महंगाई की बात की जाए तो यह किसी एक देश की समस्या नहीं है, बल्कि एक वैश्विक समस्या है, जो दिन-ब-दिन अपना आकार बढ़ाते ही जा रही है। फल और सब्जियों से लेकर आवश्यक ईंधनों के भाव आसमान छू रहे हैं।

दुनिया के सामने महंगाई आज बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है, जिसका उपाय अगर जल्द नहीं किया गया तो आने वाला समय और भी संकटों से भरा रहेगा।

महंगाई का अर्थ क्या है? What is the meaning of inflation in Hindi?

किसी भी वस्तु और सेवा के मूल्य में बढ़ोतरी तथा मुद्रा की कीमत में धतोत्तरी को महंगाई कहा जाता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो बाजार में बिकने वाली लगभग चीजों का मूल्य आसमान छूने लगता है।

महंगाई एक ऐसी विकट परिस्थिति है, जिसमें एक आम आदमी अपने जरूरत की चीजों को खरीद पाने में असफल रहता है। अब तक जिन वस्तुओं को लोग कम दाम में प्राप्त कर पाते थे, उन्हीं वस्तुओं का दाम बढ़कर दोगुना अथवा इससे भी अधिक हो जाता है।

दिन प्रतिदिन बुनियादी आवश्यकता वाले सामग्रियों का भाव एकाएक बढ़ते ही जा रहा है, जो मध्यम वर्गीय और गरीब परिवारों के लिए सिरदर्द बन चुका है।

महंगाई की समस्या बहुत सारे अन्य समस्याओं को बुलावा देती है, जो किसी भी देश के विकास में बड़ी बाधा बन कर सामने आती है। अत्यधिक महंगाई किसी भी देश के लिए खतरा साबित होती है।

महंगाई के मुख्य कारण Main causes of inflation in Hindi

निरंतर सामग्री और सेवाओं के मूल्य में होने वाली बढ़ोतरी के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं। महंगाई की दर घटाने के लिए देश की सरकार अक्सर नियम कानून लाया करती हैं, लेकिन मुश्किल से यह देखने को मिलता है की आम लोगों को इस समस्या से राहत मिली हो।

बढ़ती जनसंख्या हर समस्या की एक मुख्य जड़ है। आबादी बढ़ने के कारण वस्तुओं की मांग भी बढ़ती है। लेकिन संसाधनों के सीमित होने की वजह से सभी को आवश्यक सुविधाएं मुहैया नहीं हो पाती।

इसी कारण एकाएक वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य बढ़ते जाते हैं। यही कारण है की आवश्यक खाद्यान्न पदार्थ और अन्य चीजों को दूसरे देशों से आयात करना पड़ता है, जो काफी महंगा होता है।

महंगाई के पीछे दूसरा मुख्य कारण भ्रष्टाचार और चीजों की जमाखोरी है। कई बार छोटे अथवा बड़े कद के मंत्री तथा व्यापारी वर्ग के लोग ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए वस्तु के भाव में गिरावट होने पर उसकी जमाखोरी करते हैं और जब वस्तुओं के भाव आसमान छूने लगते हैं, तो बाजार में ज्यादा कीमत पर उसे बेच दिया जाता है।

अधिकतर यह देखा जाता है, कि जब किसी निश्चित स्थान पर प्राकृतिक आपदा की समस्या उत्पन्न होती है तो लोगों को सेवा मुहैया करवाने के बजाय वस्तुओं की जमाखोरी की जाती है।

भारत के कई राज्यों में अक्सर बाढ़ और अकाल जैसी समस्याएं देखी जाती हैं, लेकिन वहां के लोगों को आवश्यक रूप से अनाज पहुंचाने के बजाय बड़े-बड़े सरकारी अथवा निजी गोडाउंस में चीजों को इकट्ठा करके लोगों तक पहुंचाने के बजाय सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है।

यह सभी उदाहरण भ्रष्टाचार के हैं, जिनका उपाय अगर जल्दी नहीं निकाला गया तो यह बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।

प्राकृतिक आपदा के कारण भी महंगाई देखी जाती है। उदाहरण स्वरूप जिस जगह बाढ़, भूकंप , अकाल अथवा अन्य आपदाओं के परिणाम स्वरूप चीजें और सेवाएं महंगी बिकने लगती हैं।

आपदा के कारण मची हुई त्रासदी के परिणाम स्वरूप उपज में कमी आ जाती है, जिसके कारण महंगाई अपना पैर पसारने लगती है।

इन सबके अलावा मुद्रास्फीति भी महंगाई के लिए जिम्मेदार है। भ्रष्टाचार, जमाखोरी, जनसंख्या वृद्धि के अलावा बहुत सारे ऐसे पहलू है, जो महंगाई को बढ़ावा देते हैं।

महंगाई के प्रभाव Effects of inflation in Hindi

महंगाई के कारण किसी भी देश की आर्थिक स्थिति गड़बड़ा जाती है, जो अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर खतरा है। आपको बता दें कि जब कभी भी महंगाई अपना प्रभाव डालती है तो इससे अमीर और अधिक अमीर बन जाता है तथा गरीब और गरीब हो जाता है।

देश में महंगाई बढ़ने के कारण किसी भी समाज पर बहुत विपरीत प्रभाव पड़ता है। महंगाई के दुष्प्रभाव के कारण जहां एक ओर दिन प्रतिदिन चीजों के दाम बढ़ते जा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ समाज में अस्थिरता भी उत्पन्न हो रही है।

साधारण सी बात है यदि किसी व्यक्ति को उसके आवश्यकतानुसार चीजें जैसे कि भोजन या अन्य चीज नहीं प्राप्त हो पाएंगी तो उसे मजबूरन गलत रास्ते का सहारा लेना पड़ेगा। समाज में महंगाई के कारण एक बड़ा युवा वर्ग गलत दिशा में जा सकता है।

ऐसी स्थिति में मध्यम वर्गीय और गरीब परिवार जो अपना दो वक्त का भोजन मुश्किल से जुटा पाते हैं, उन्हें वह भी नसीब नहीं होता। यदि आवश्यकता अनुसार पोषण युक्त आहार लोगों तक नहीं पहुंचेगा तो मृत्यु दर में भी बढ़ोतरी होगी इसके अलावा भुखमरी की समस्या भी अपना पैर पसारती रहेगी।

यदि किसी देश में महंगाई एकाएक बढ़ती रहती है, तो संसाधनों की आपूर्ति करने के लिए दूसरे देशों से उत्पादक को आयत करने की आवश्यकता होती है। लेकिन खर्च यदि आवक से अधिक होता है तो यह अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ही नकारात्मक प्रभाव डालता है।

महंगाई के कारण बेरोजगारी की समस्या भी उत्पन्न होती है। क्योंकि एक बार यदि किसी वस्तु या सेवा की कीमत अधिक हो जाती है तो उसकी उत्पादक क्षमता भी घटने लगती है और निश्चित मात्रा में ही उत्पाद किया जाता है। ऐसे में जिन लोगों को इस प्रक्रिया के दौरान रोजगार प्राप्त हो रहा था वे सभी बेरोजगार हो जाते हैं।

आसान शब्दों में कहा जाए तो महंगाई के केवल नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं, जो अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ने के लिए पर्याप्त होते हैं।

महंगाई के लिए सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है कि जो देश गरीबी हटाने के लिए अंधाधुन पैसों की छपाई करते हैं वहां पर महंगाई भी विकराल रूप ले लेती है, इसके बाद ऐसी दयनीय परिस्थिति हो जाती है जिसकी मार लोगों को कई सालों तक झेलनी पड़ती है।

महंगाई के समाधान Solution to inflation in Hindi

यदि कोई समस्या अपने शुरुआती स्तर पर होती है, तो उसे काबू कर पाना बहुत हद तक सरल हो जाता है। यदि भारत की बात की जाए तो महंगाई ने आम लोगों की कमर तोड़ दी है।

लेकिन ऐसी बात नहीं है, कि महंगाई को काबू नहीं किया जा सकता। महंगाई को काबू करने के कई सारे रास्ते हैं, जिन पर यदि उचित रूप से अमल किया जाए, तो महंगाई की समस्या का समाधान अवश्य किया जा सकता है।

यह बात तो सभी जानते हैं कि हर वर्ष देश की सरकार विभिन्न नियम कानून लेकर आती हैं। महंगाई के लिए भी कई नीतियां और कानून हर वर्ष बनाए जाते हैं।

लेकिन यह सोचने वाली बात है की सरकारी अर्थ तंत्र महंगाई को अब तक उचित ढंग से नियंत्रित क्यों नहीं कर पा रही है। सर्वप्रथम देश की सरकारों को अपने बजट में कुछ उचित परिवर्तन करने चाहिए जो मध्यम वर्गीय और अन्य लोगों के हित में हो।

सरकार को कुछ अपनी नीतियों में बदलाव लाने होंगे जैसे कि शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े हुए सेवा सामग्रियों पर दूसरे चीजों की तुलना में कम टैक्स लगाना चाहिए। जिससे लोगों को जीवन यापन करने में काफी सहायता मिलेगी।

सरकारी तंत्र को जमाखोरी और कालाबाजारी करने वाले व्यापारियों, मंत्रियों और अन्य लोगों पर कड़ी नजर रखनी होगी और सख्त कानून बनाने होंगे। यदि ऐसे किसी जुर्म में कोई व्यक्ति पकड़ा जाता है तो उसे कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए, क्योंकि जमाखोरी और कालाबाजारी महंगाई के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं।

आम आदमी महंगाई की समस्या से कैसे बचें?: तरीके Tips to Avoid Inflation in Hindi

ये उपाय करके आप भी महंगाई से बच सकतें हैं-

  • वस्तुएं सस्ती होने पर भविष्य के लिए खरीद लें।
  • सेल सीजन में खरीददारी करें।
  • बड़ी दुकानों (Hypermarkets) जैसे बिग बजार, वालमार्ट में आपको सस्ता सामान मिल जाएगा
  • होलसेल मार्केट से सामान खरीदें।
  • अपने 8 10 दोस्तों के साथ मिलकर मिनी कॉपरेटिव बनाकर सामान ख़रीदे। अधिक सामान खरीदने पर जादा सस्ती मिलती है। बाद में वस्तु को आप दोस्तों में बाँट लें। हर बार एक दोस्त होलसेल मार्किट या मंडी जा सकता है।
  • लंच लेकर ऑफिस जाये।
  • सेविंग एकाउंट में पैसा बेकार पड़े न रहने दें। फिक्स्ड डिपोसिट और दूसरे कम समय के लिए निवेश करें और टैक्स लाभ लें।
  • खाना बर्बाद न करें। देश में एक मिडिल क्लास परिवार महीने में 500 से 2000 रुपये का खाना बर्बाद कर देता है। बड़े अमीर घरों में लाखों  रुपये का खाना हर महीने बर्बाद कर दिया जाता है।
  • बिजली का खर्च  कम करने के लिए सोलर एनर्जी ( सौर ऊर्जा)  का इस्तेमाल करे। इस्तेमाल न होने पर बिजली पंखों, टीवी जैसी इलेक्ट्रानिक वस्तुओं को बंद रखे

भारत में बढ़ती महंगाई की समस्या Rising inflation in india in Hindi

दुनिया के कुछ बड़े और विकसित देशों में भी महंगाई की समस्या देखी जा सकती है। यदि भारत की बात की जाए तो यह एक विकासशील देश है।

आज के समय भारत में पेट्रोल और डीजल के भाव बहुत ज्यादा बढ़ रहे हैं। जिससे कार या बाइक खरीदने के लिए लोगों को हजारों बार सोचना पड़ता है।

यदि त्योहारों की बात की जाए तो भारत में फल, सब्जियों, दाल और तेल इत्यादि के भाव में इज़ाफा देखने को मिलता है। ऐसे में यदि कोई गरीब व्यक्ति त्योहारों का आनंद लेने का विचार भी करें तो उसके लिए कोई सपने से कम नहीं होगा।

एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार यह बताया गया है कि भारत में आज के समय जितनी महंगाई है, वह आने वाले समय में और भी बढ़ सकती है, जो सभी के लिए एक चिंता की बात है।

जब से दुनिया में कोरोना महामारी आई है उसी समय से भारत सहित दुनिया के अन्य छोटे बड़े देशों में महंगाई ने त्राहि-त्राहि मचा दिया है।

महंगाई दर मापने का तरीका How to measure inflation in Hindi?

दुनिया के विभिन्न देशों में महंगाई दर को मापने के लिए विभिन्न तरीके होते हैं। यदि भारत की बात की जाए तो यहां थोक मूल्य सूचकांक की सहायता से महंगाई दर ज्ञात किया जाता है।

इस सूचकांक में होने वाले परिवर्तनों को महंगाई में बदलाव का सूचक समझा जाता है। लेकिन कुछ समय से भारत सहित कई अन्य देश उत्पादक मूल्य सूचकांक को महंगाई दर मापने के लिए उपयोग कर रहे हैं।

आप इस लिंक पर जा कर अपना महंगाई दर माप सकते हैं – Inflation Calculator

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने हिंदी में महंगाई की समस्या पर निबंध Essay on Price Rise or Inflation in Hindi पढ़ा। आशा है कि यह लेख आपको अच्छा लगा होगा। अगर यह आर्टिकल आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरूर करें।

1 thought on “महंगाई की समस्या पर निबंध Essay on Inflation in Hindi”

महंगाई की समस्या पर निबन्ध good work bro

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Essay on Inflation in Hindi Language – महंगाई पर निबंध

December 18, 2017 by essaykiduniya

यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में महंगाई पर निबंध मिलेगा। Mehangai Par Nibandh, Here you will get Paragraph and Short Essay on Inflation in Hindi Language/ Essay on Mehangai in Hindi Language for students of all Classes in 100, 300, 600 words.

Essay on Inflation in Hindi

Short Essay on Inflation in Hindi Language – महंगाई पर निबंध ( 100 words )

महंगाई आज के समय की सबसे बड़ी समस्या है जिसका प्रभाव सबसे ज्यादा मध्य वर्ग और गरीब लोगों पर पड़ता है। महंगाई दिन प्रतिदिन बड़ी तेजी से बड़ती जा रही है। वस्तुओं के दाम पहले के मुकाबले बहुत ज्यादा हो चुके हैं कि गरीब लोग दो वक्त की रोटी भी नहीं कमा पाते हैं। महंगाई की वजह से भूखमरी बढ़ रही है और लोग मरते जा रहे हैं। अक्सर महंगाई के खिलाफ हड़ताल होती रहती है ताकि सरकार का ध्यान महंगाई की तरफ आकर्षित किया जा सके। सरकार को भी गरीब लोगों की सहायता करनी चाहिए।

Mehangai Par Nibandh – महंगाई पर निबंध ( 300 words )

बढ़ती कीमतों की समस्या एक बड़ी समस्या आजकल लोगों को परेशान कर रही है जो बढ़ती कीमतों की समस्या है| वास्तव में पिछले कुछ दशकों में, कीमतों में लगभग बीस गुना वृद्धि हुई है। इस घटना के कारण बहुत सारे हैं हम इस निबंध में उनमें से कुछ पर चर्चा करेंगे। हर साल हमारे किसान हमारे देश को एक भरपूर फसल देता है हालांकि, यह फसल आम आदमी तक कभी नहीं पहुंचता है यह केवल इसलिए है क्योंकि यह उत्पादन बेईमान व्यापारियों और व्यापारियों द्वारा जमा हो गया है।

वे बाजार में कृत्रिम कमी पैदा करते हैं और अपने उत्पादों को उच्च मूल्य पर बेचते हैं। इसी तरह उद्योग के लिए कच्चे माल का मामला है। आज हमारा देश तेजी से विस्तार करने वाली आबादी देख रहा है। इसका मतलब यह है कि हर दूसरा भोजन करने के लिए अधिक मुंह है। इस प्रकार हमारे देश के खाद्य संसाधनों पर एक दबाव डाल दिया जाता है। इसलिए जब भोजन की आपूर्ति कम होती है और मांग अधिक होती है, तो कीमतें बढ़ने के लिए बाध्य होती हैं। सरकार की दोषपूर्ण नीतियों के कारण, मांग और आपूर्ति के बीच समायोजन, धन संचलन, सरकारी व्यय और कराधान की स्थिति संतुलित नहीं होती है। इससे देश की अर्थव्यवस्था का घाटा वित्तपोषण होता है परिणामस्वरूप, आवश्यक वस्तुओं के थोक मूल्य सूचकांक बढ़ जाता है।

और आखिरकार सरकार के सभी स्तरों पर मौजूदा भ्रष्टाचार के कारण, कीमतों में गिरावट लाने के लिए सरकार द्वारा किए गए किसी भी उपचारात्मक कार्रवाई में देरी हो रही है या आम आदमी तक पहुंचने में बहुत समय लगता है। परिणाम के साथ, लाभकारी प्रभाव खो दिया है। इसलिए, बढ़ती कीमतों की जांच करने का एकमात्र तरीका बाजार में स्टॉक की स्थिति का सख्ती से निरीक्षण करना है और माल को जमा करने वालों को सज़ा देना है। दूसरी ओर सरकार को अपराधियों को सज़ा देनी चाहिए और अपनी नीतियों को संशोधित करना चाहिए ताकि कर की स्थिति और धन की आपूर्ति में वृद्धि हो।

Mehangai Par Nibandh- Long Essay on Inflation in Hindi Language – महंगाई पर निबंध ( 600 words )

महंगाई आज के समय की सबसे बड़ी समस्या है जो कि दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। पुराने समय में जो वस्तुएँ सस्ते दामों में मिल जाती थी, आज उन्हीं वस्तुओं के दाम 150-200 गुणा ज्यादा हो चुके है जिससे देश की आम जनता परेशान है और देश की अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहे हैं।

महंगाई का कारण –

किसी भी जगह पर महंगाई तब बढ़ती है जब वहाँ पर किसी वस्तु की मांग अधिक हो और वस्तु कम हो। आजादी के बाद से ही भारत की जनसंख्या में तीव्र वृद्धि हुई है जिससे कि लोगों की जरूरतें बड़ी। अधिक जनसंख्या होने के कारण वस्तुओं की मांग में तो वृद्धि हुई लेकिन उनकी आपूर्ति न हो पाने के कारण दाम बढ़ते चले गए और आज महंगाई अपनी चरम सीमा पर है। बहुत सी चीजों जैसे पैट्रोल का आयात विदेशों से करने की वजह से उनके दाम बहुत ज्यादा है और महंगाई का एक मुख्य कारण है।

कालाबाजारी-

कालाबाजारी भी महंगाई बढ़ने का एक प्रमुख कारण है। इसमें कुछ अमीर व्यक्ति धन के बल पर बड़ी मात्रा में वस्तुओं को खरीद कर रख लेते हैं जिससे बाजार में उनकी आपूर्ति कम हो जाती है और उसी वस्तु की मांग बढ़ने पर वह उसे महंगे दामों पर बेचते हैं।

महंगाई के हमारी अर्थव्यवस्था पर दुष्प्रभाव पड़ते हैं जिसका दुष्परिणाम सबसे ज्यादा गरीब और निम्न मध्यम वर्ग के लोगों को भुगतना पड़ता है। वह महंगाई की मार के बोझ के नीचे दब जाते हैं। महंगाई अधिक होने के कारण वह अपने लिए जरूरत का सामान खरीदने में भी असमर्थ है। उसे या तो दिन भर की दो वक्त की रोटी के साथ समझौता करना पड़ता है या फिर अपने बच्चों को शिक्षा से वंचित रखना पड़ता है। महंगाई की वजह से गरीब ओर अधिक गरीब होता जा रहा है और अमीर कालाबाजारी के माध्यम से ओर अधिक अमीर होता जा रहा है। महंगाई की वजह से देश की अर्थव्यवस्था भी डगमगा रही है जिससे देश की प्रगति में बहुत सी बाधाएं आ रहीं हैं।

महंगाई को रोकने के लिए सरकार के द्वारा उचित उपाय किए जाने चाहिए। बाजार से कालाबाजारी को खत्म किया जाना चाहिए और कालाबाजारी करने वाले लोगों को सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए। विदेशों से आने वाली वस्तुएँ बहुत महंगी होती है इसलिए कोशिश की जानी चाहिए कि विदेशों से कम से कम सामान मंगवाया जाए और ज्यादातर सामानों का उत्पादन भारत में ही किया जाए। लोग नीजी स्तर पर भी महंगाई को कम करने का प्रयास कर सकते हैं। उन्हें संसाधनों का सुचारू रुप से प्रयोग करना चाहिए जिससेे कि वह विदेशों से ना मंगवाने पड़े और उनके दाम महंगे ना हो।

सरकार ने महंगाई को कम करने के लिए समय समय पर बहुत सी योजनाएँ बनाई है। सरकार की मेक इन इंडिया योजना ने बहुत सी वस्तुओं के निर्माण को भारत में ही बढ़ावा दिया है जिससे कि चीजों के दाम कम हो सके और महंगाई दर भी कम हो जाए। महंगाई खत्म होने के साथ साथ इससे लोगों को रोजगार भी मिलेगा और देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। सरकार को भी महंगाई दर को कम करने के निरंतर प्रयास करना चाहिए।

भारतीय सरकार को चाहिए कि वह सुख सुविधा के साधनों को सस्ता करने से पहले सभी जरुरी साधनों के दाम कम करे ताकि प्रत्येक व्यक्ति आसानी से अपनी भौतिक आवश्यकताओं को पूरा कर सके और आसानी से अपना जीवन यापन कर सके। महंगाई हमारे देश के लिए अभिशाप है जिसे हम सबको मिल जुलकर खत्म करना है और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर प्रगति की राह पर अग्रसर करना है।

हम उम्मीद करेंगे कि आपको यह निबंध ( Mehangai Par Nibandh- Essay on Inflation in Hindi Language – महंगाई पर निबंध ) पसंद आएगा।

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बढ़ती महंगाई की समस्या पर निबंध | increasing inflation problem essay in hindi | मूल्य वृद्धि की समस्या पर निबंध

समय समय पर हमें छोटी कक्षाओं में या बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में निबंध लिखने को दिए जाते हैं। निबंध हमारे जीवन के विचारों एवं क्रियाकलापों से जुड़े होते है। आज hindiamrit.com   आपको निबंध की श्रृंखला में  बढ़ती महंगाई की समस्या पर निबंध | increasing inflation problem essay in hindi | मूल्य वृद्धि की समस्या पर निबंध प्रस्तुत करता है।

इस निबंध के अन्य शीर्षक / नाम

(1) मूल्य वृद्धि की समस्या पर निबंध (2) बेलगाम मंहगाई पर निबंध (3) मंहगाई की समस्या पर निबंध (4) मंहगाई और आटा दाल पर निबंध (5) बढ़ती मंहगाई के कारण और उपाय पर निबंध

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पहले जान लेते है बढ़ती महंगाई की समस्या पर निबंध | increasing inflation problem essay in hindi  | मूल्य वृद्धि की समस्या पर निबंध की रूपरेखा ।

निबंध की रूपरेखा

(1) प्रस्तावना

(2) महँगाई के कारण

(क) घाटे की अर्थव्यवस्था (ख) जनसंख्या की वृद्धि (ग) जमाखोरी तथा मुनाफाखोरी (घ) भ्रष्टाचार (ङ) बाढ़ और सूखा (च) वितरण के समुचित प्रबन्ध का न होना  (छ) वित्तीय प्रभाव (ज) ऊर्जा संकट (झ) हड़ताल और बन्द

(3) समाधान के उपाय

(4) उपसंहार

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मानव जीवन समस्याओं का खेल है। समस्याएँ उसे चारों ओर से घेरे रखती है। पुरानी समस्याओं का समाधान हो नहीं पाता कि कुछ नयी समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं।

मनुष्य इन समस्याओं के ताने-बाने में उलशा रहता है। समस्याएँ उसकी प्रगति के पग पर पहाड़ बन कर खड़ी हो जाती हैं। आज भी हमारा समाज समस्याओं में उलझा हुआ है।

अनेक ज्वलन्त समस्याएंँ, जटिल और कठिन समस्याएँ सामने में बाये खडी हैं। इन सबमें भी महंगाई की समस्या ने इतना भयंकर रूप धारण कर लिया है कि हमारा सामाजिक तथा आर्थिक ढाँचा ही चरमरा उठा है।

महँगाई तथा वस्तुओं के बढ़ते हुए मूल्य की समस्या आज हमारी सरकार को चुनौती दे रही है। प्रत्येक नागरिक इसका शिकार है, विशेष कर मध्यम वर्ग के नाक में दा है। रात-दिन बस एक ही चिन्ता है-नमक, तेल, लकड़ी।

नमक तेल लकड़ी की चिन्ता खाए जाती नर की। प्रत्यक्ष-परोक्षकरों की बृद्धि रोज सताती नर को ॥ आम- आदमी दवा जा रहा महँगाई के नीचे। शुतुरमुर्ग सम देख न पाते नेता आँखें मीचे ॥

महँगाई के कारण

महँगाई का सीधा अर्थ है-वस्तुओं का क्रय मूल्य बढ़ना और मुद्रा की क्रय-शक्ति का ह्रास हो जाना। हमारे देश में महँगाई के मुख्य रूप से निम्नलिखित कारण हैं-

(1) घाटे की अर्थव्यवस्था

हमारा देश विकासशील देश है। देश के विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाएं बनायी गयी है। योजनाओं का ध्येय पुरा करने के लिए पर्याप्त धन की आवश्यकता होती है।

इन योजनाओं के व्यय की पुर्ति के लिए सरकार घाटे की अर्थव्यवस्था अपनाती है। घाटे की पूर्ति के लिए सरकार मूद्रास्फीति का सहारा लेती है।

इससे मुद्रा का प्रसार बढ़ा है। राज्यों ने ओवर ड्राफ्ट लिया है; अंत: रुपये के मुल्य में निरन्तर कमी होती जा रही है।

(ख) जनसंख्या की वृद्धि

स्वतन्त्रता के पश्चात देश में अन्न तथा उपभोग की अन्य वस्तुओं का उत्पादन कई गुना बढ़ा है किन्तु जिस अनुपात में जनसंख्या बढ़ रही है उस अनुपात में उत्पादन नहीं बढ़ रहा है।

राष्ट्रीय उत्पादन और आय बढ़ने पर भी प्रति व्यक्ति उत्पादन और आय घटी है। परिणाम स्पष्ट है कि वस्तुओं की आवश्यकता और माँग प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। ऐसी दशा में महँगाई का बढ़ना सामान्य बात है।

(ग) जमाखोरी तथा मुनाफाखोरी

पक्षपातपूर्ण वितरण के कारण भी महँगाई बढ़ती है। बड़े-बड़े व्यापारी और पूँजीपति जमाखोरी करके बाजार में वस्तुओं की कमी पैदा कर देते हैं और फिर मनमानी कीमतों पर वस्तुओं को बेचते हैं।

इस प्रकार जमाखोरी, मुनाफाखोरी तथा कालाबाजारी के कारण महँगाई तेजी से बढ़ती है।

(घ) भ्रष्टाचार

हमारे समाज में भ्रष्टाचार का बोलबाला रहा है। अफसर लोग घूस लेकर व्यापारियों को कालाबाजारी करने का अवसर देते है।

पुल, बाँध तथा सड़कों आदि का बहुत-सा धन इंजीनियर और ठेकेदार मिलकर खा जाते हैं। परिणाम यह होता है कि कुछ समय पश्चात् ये पुल, बाँध, सड़कें आदि फिर से टूट-फूट जाते हैं। इनके पूनः बनाने में बहुत-से सामान और धन का अपव्यय होता है।

इससे महँगाई बढ़ती है। भ्रष्टाचार के कारण बड़ी-बड़ी योजनाओं पर लगने वाला धन कूछ थोड़े-से लोगों की तिजोरियों में पहुँच जाता है।

अमीर और अमीर होते जा रहे हैं, गरीब और गरीब होता जाता है। इसका परिणाम यह होता है। कि धनी लोग अधिक कीमत देकर भी वस्तुएँ खरीदने लगते हैं और वस्तुओं का मूल्य बढ़ जाता है।

(ङ) बाढ़ और सूखा

देश के कुछ भागों में बाढ़, आ जाती है, कुछ में सूखा पड़ जाता है । इससे उत्पादन में कमी आ जाती है और महँगाई अपने पैर पसारती जाती है।

(च) वितरण के समुचित प्रबन्ध का न होना

देश की वितरण प्रणाली दोषपूर्ण है। बहुत -सी वस्तुएँ  गोदामों में पड़ी सड़ जाती हैं। वे समय पर उपभोक्ताओं तक नहीं पहुँच पाती हैं। इस प्रकार वस्तुओं की कमी होती है और महँगाई बढ़ती है।

(छ) वित्तीय प्रभाव

डालर तथा पौड के विमुक्त होने से भारत तथा दूसरे विकासशील देशों पर कुप्रभाव पड़ा है। डालर क्षेत्रों से किये गये आयात पर हमें अधिक धन देना पड़ रहा है ।

इससे देश को करोड़ों रुपये की हानि हो रही. है। इससे वस्तुओं के मूल्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

(ज) ऊर्जा-संकट

बिजली के उत्पादन में कमी हुई तथा कोयले के उत्पादन में गिरावट आयी। उधर अरब राष्ट्रों ने खनिज तेलों के मूल्यों में वृद्धि कर दी। इससे ऊर्जा का संकट उत्पन्न हो गया ।

ऊर्जा के अभाव में कल-कारखानों को पूरे समय चला पाना असम्भव हो गया। कपड़ा, सीमेण्ट जैसी जीवन के लिए उपयोगी वस्तुओं के उत्पादन में कमी आ गयी।

किसानों को पर्याप्त मात्रा में खनिज तेल नहीं मिल सका । वे ट्रैक्टर, नलकूप आदि साधनों का पूरा उपयोग नहीं कर सके और अन्न के उत्पादन में कमी आ गयी । वस्तुओं की कमी हो जाने से महँगाई सुरसा के मुँह की तरह फैलती गयी।

(झ) हड़ताल और बन्द

मिल मालिकों की शोषण नीति, सरकार की दोषपूर्ण आर्थिक नीति तथा कर्मकरों की कम करो, ज्यादा पाओ नीति के कारण देश में एक जटिल समस्या उत्पन्न हो गयी है।

मिलों और कारखानों के मालिक कम से कम वेतन में अधिक काम कराना चाहते हैं। मजदूर कम से कम काम करके अधिक से अधिक मजदूरी पाना चाहता है।

इसी कारण मिलों और कारखानों में प्रतिदिन हड़ताल और बन्द होते है। वस्तुओं के उत्पादन में कमी होती है। मजदूरों की मजदूरी बाद में बढ़ती है, महँगाई उससे पहले ही बढ़ जाती है।

समाधान के उपाय

इस भयंकर समस्या से मुक्ति पाने के लिए हमें अविलम्व उपाय करने चाहिए। सरकार को परिवार नियोजन कार्यक्रम को तेजी से चलाना चाहिए जिंससे जनसंख्या की वृद्धि पर रोक लगे ।

मुद्रास्फीति पर भी अंकुश लगाना होगा। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने चाहिए। वितरण की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।

सहकारी उपभोक्ता भण्डारों की स्थापना तथा सार्वजनिक वितरण व्यवस्था के द्वारा मुनाफाखोरी, जमाखोरी और कालाबाजारी की प्रवृत्ति को रोका जा सकता है।

ऊर्जा के स्रोतों को बढ़ाने का प्रयास होना चाहिए ताकि हम आत्मनिर्भर हो सकें।

सरकार को मिल तथा कारखानों में काम करने वाले मजदूरों की हिस्सेदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। परन्तु यह सब क्राम सरकार अकेली नहीं कर सकती, जनता का पूरा सहयोग यदि हो तो इस समस्या का अन्त हो सकता है।

सरकार के प्रयास करने पर भी महँगाई नहीं रुक रही है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर महँगाई बढ़ रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि महँगाई के ब्रेक ही फेल हो गये हैं।

सारांश यह है कि महँगाई अथाति मूल्यवृद्धि वर्तमान युग की जटिल एवं ज्वलन्त समस्या है । इसने समाज में असंगति, कुण्ठा और विकृतियाँ उत्पन्न कर दी है।

सरकार और समाज दोनों को ऐसे ठोस कदम उठाने चाहिए जिससे इस भयानक समस्या का अन्त हो सके।

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  • निबंध ( Hindi Essay)

essay on inflation in hindi

Essay on Inflation in India in Hindi

आज के समय में जहां हर कुछ इतनी तेजी से बढ़ता जा रहा है वहीं पर महंगाई एक ऐसी चीज हो गई है जिसे रोकना किसी के बस की बात नहीं रह गई। वर्तमान समय में लोगों की आमदनी बढ़ती जा रही है वैसे वैसे ही महंगाई भी बढ़ते जा रही है। ऐसा नहीं है कि हर चीज की महंगाई हो गई है परंतु यदि कहा जाए तो कुछ ही ऐसी चीज है जो सस्ते मिलते हैं। लोगों की व्यवसाय और धनराशि को देखकर क्या ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ ही समय में उनके द्वारा महंगाई इतनी ज्यादा बढ़ा दी जाएगी की आम जनता को छोटी सी चीज लेने के लिए भी सौ बार सोचना पड़ेगा। हो सकता है कि महंगाई बढ़ने के बहुत सारे कारण होपरंतु एकाएक महंगाई का बढ़ जाना लोगों के लिए परेशानी का विषय है। महंगाई वैसे तो हमेशा बढ़ते घटते रहती है और लोग भी इससे जानकार रहते हैं लेकिन जब से करोना काल आया है तब से महंगाई की सीमा टूट कर अलग अलग हो गई है। महंगाई को देखकर ऐसा लगता है कि मानो अभी महंगाई कभी नहीं रुकेगी लेकिन जो गरीब लोग हैं उनके लिए यह महंगाई भी उनकी जीवनी में बाधक हो रही है। इसके लिए हमारी सरकार भी बहुत सारी चीजो और आम सुविधाओं का निर्माण कर रही है परंतु इन सब चीजों के आते आते ही लोग महंगाई से ही मर जाएंगे।

Table of Contents

महंगाई का बढ़ता स्वरूप:-

भारत में वैसे तो सामानों का दाम बढ़ना और घटना लगा रहता है परंतु अगर ऐसा कभी हो जाएगी बस महंगाई बढ़ते जाएं और कभी कम ही ना हो तो न जाने क्या होगा। भारत में महंगाई वैसे तो हर बार नहीं बढ़ती परंतु जब बढ़ती है तो लोगों के पसीने छुड़ा देती है। यहां तक कि छोटे-छोटे ₹1 वाले चीजों पर भी दाम को बढा करके उसका मूल्य ज्यादा कर दिया जाता है। माना कि बाकी देशों में भी हर चीज का दाम घट का बढ़ता रहता है लेकिन वहां की सरकार इसके लिए ऐसी कोई भी कटौती या फिर सुविधा नहीं देती जो भारत में दिया जाता है। पेड़ पौधे में उगने वाली सब्जियों से लेकर की बड़े-बड़े मशीनों तक के रेट में अचानक से आई महंगाई के वजह से लोगों को जो मुसीबतों का सामना करना पड़ता है वह बहुत ही असहनीय होती है।

आज के समय में अगर हम किसी भी चीज की बात करें तो वह ₹100 के नीचे नहीं आती परंतु वहीं जब हम लोग पुरानी जिंदगी जीते थे तब ₹10 भी ₹100 के बराबर थे। कितना परिवर्तन आ गया है समय में जो चीज लोगों को खुशी देती थी वही चीज आजकल लोगों को परेशान करने लगी है। ऐसा नहीं है कि लोग कम कम आते हैं लेकिन जितना वह कमाते हैं वह पूरा ही अपने गुजर-बसर में खर्च कर देना यह सही बात नहीं है। इन्हीं सब चीजों को देखते हुए लोग महंगाई और इससे होने वाली तकलीफों का सामना करने से चूक जाते हैं।

महंगाई बढ़ने के क्या क्या कारण है?:-

महंगाई बढ़ने के वैसे तो बहुत सारे कारण हैं परंतु इनमें से जो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है वह है भारत में कांटा जाने वाले टैक्स। टैक्स एक ऐसी चीज है जिसकी मदद से सरकार आम जनता से पैसे लेकर के उनके लिए बहुत सारी सुविधाओं का निर्माण कराते हैं जैसे कि स्कूल, रोड, अस्पताल आदि। यह तो पहला कारण वह महंगाई के बढ़ने का लेकिन महंगाई के बढ़ने के और बहुत सारे कारण हैं जिनमें से एक और है पैदावार का कम होना। जैसे कि यदि कभीमौसम या फिर किसी और परेशानी की वजह से फसलें नहीं हुआ पाते हैं तो बचे कुचे सामानों को ही बेच कर लोग अपना फायदा कमाते हैं। बचा कर रखी गई चीजों का दाम लोग बढ़ा देते हैं क्योंकि उनके लिए बस यही एक आखरी उपाय रहता है। इसको और एक कारण है कि जब भी किसी प्रकार की सुविधा और परेशानी देश है होती है तो हर जगह पर रोग लगा दिया जाता है। जिस कारण से माल समय पर दुकानों तक नहीं पहुंच पाते कारणवश लोगों को बचा कुचा सामान ही 2 गुना 3 गुना रेट में बेचना पड़ता है। यह सब तो आम कारण है कि महंगाई इतनी ज्यादा क्यों बढ़ी हुई है।जैसे कि हमें आज कल दिन को रोना काल में देखने को मिल रहा है कि हर चीज का दाम आसमान छू रहा है इसके लिए भी यही सब कारण जिम्मेदार हैं।

महंगाई को कम कैसे किया जाए?:-

आम जनता किसी भी प्रकार से महंगाई को कम या ज्यादा नहीं करती इसका बागडोर पूरा सरकार के हाथ में होता है। सरकार द्वारा ही इन सब चीजों पर निर्णय लिया जाता है कि दाम कम होगा या बढ़ेगा। परंतु यदि कुछ ऐसा हो ही ना जिस कारण महंगाई बढ़ी तो लोगों को इससे राहत मिल सकती है। जैसे कि यदि सरकार को टैक्स देना है तो सरकार केवल उन लोगों से टैक्स से जिनकी कमाई लाख के ऊपर है। सरकार को गरीब परिवारों के लिए राशन का इंतजाम करना चाहिए। पैदावार खराब ना हो इसलिए किसानों को उसकी देखरेख अच्छी से करनी चाहिए। और यदि किसी भी प्रकार का कोई असुविधा या परेशानी होती है तो इसके लिए देश को पहले से तैयार रहना चाहिए इन्हीं सब कारणों से हम महंगाई और उससे होने वाली परेशानियों से बच सकते है। हर साल पढ़ने वाली महंगाई में यदी कटौती की जाए तो लोग अपने अपने परिवार को आराम से चला लेंगे।

महंगाई के कारण होने वाली परेशानियां:-

महंगाई के कारण वैसे तो बहुत सारी परेशानियां देखने को मिलती है परंतु जो गरीब परिवार होते हैं उनके लिए यह सबसे ज्यादा कठिन समय होता है।बड़े से बड़े घर के लोगों की बागडोर खिल जाती है महंगाई के कारण तो फिर आम जनता तो जितना कम आती है उतने में ही अपना गुजर-बसर करती है। एकाएक महंगाई के बढ़ने के कारण लोगों की सारी जमा पूंजी भी खत्म हो जाती है यहां तक कि उनके पास थाने के भी पैसे नहीं रहते। महंगाई वैसे तो हर वर्ष पड़ती है लेकिन थोड़ी-थोड़ी परंतु इस समय हो रही है ऐसा कभी नहीं हुआ था । एकाएक महंगाई के बढ़ने के कारण लोग बहुत ज्यादा परेशान हो गए हैं ₹100 उड़ने वाली चीज है ढाई सौ रुपए में मिलती है और ढाई सौ में मिलने वाली चीज 500 में । यही कारण है कि लोग और भी ज्यादा गरीब हो जाते हैं और देश की आय व्यवस्था गड़बड़ा जाती है।

देश केआर्थिक स्थिति को बराबर रखने के लिए महंगाई का वर्णन उचित है परंतु यदि महंगाई इतनी ज्यादा बढ़ जाए तो लोग खाएंगे क्या? यदि महंगाई बढ़ भी रही है तू शुरुआत शुरुआत में कम रहे और बाद में बड़े लेकिन एकाएक इतना सारा हो जाने से लोग हरबरा जाते हैं। इसलिए हमारे सरकार को पहले से इस चीज की चेतावनी देकर कि काम करना चाहिए। और लोगों को जो व्यवसाय करते हैं उन्हें भी दूसरे लोगों की मजबूरी को समझना चाहिए ना कि उसका फायदा उठाना चाहिए। यदि हम ऐसा प्रयास करना चालू कर दे तो हो सकता है एक दिन महंगाई आने पर भी हर कोई आराम से बैठकर खाना खा सके। महंगाई का बढ़ना आम बात है परंतु यदि ज्यादा मात्रा में बढ़ जाती है तो एकाएक हर चीज के मुल्ले में भारी बढ़ोतरी हो जाती है जिस कारण लोग उस चीज को खरीद नहीं पाते। और अकादमी महंगाई के बढ़ने के कारण परेशान हो जाते हैं यहां तक कि कुछ लोग तो आत्महत्या जैसी भी गलत चीजें सोचते हैं। इसीलिए यदि महंगाई बढ़ती है तो कम मात्रा में बढ़े ।

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What Is Inflation: मुद्रास्फीति दर, मुद्रास्फीति के प्रकार मुद्रास्फीति के कारण, अपस्फीति और खाद्य मुद्रास्फीति

  • By Aryavi Team

मुद्रास्फीति के प्रकार (Types of inflation)

मांग-प्रेरित मुद्रास्फीति: यह तब होता है जब वस्तुओं और सेवाओं की मांग आपूर्ति से अधिक हो जाती है, जिससे कीमतें बढ़ जाती हैं। ऐसा तब हो सकता है जब अर्थव्यवस्था अपने संभावित उत्पादन की तुलना में तेजी से बढ़ती है, जिससे अतिरिक्त मांग पैदा होती है। उदाहरण के लिए, यदि उपभोक्ताओं के पास अधिक आय या आत्मविश्वास है, तो वे वस्तुओं और सेवाओं पर अधिक खर्च कर सकते हैं, जिससे उनकी कीमतें बढ़ सकती हैं।

लागत-प्रेरित मुद्रास्फीति: यह तब होता है जब वस्तुओं और सेवाओं के लिए उत्पादन की लागत बढ़ जाती है, जिससे कीमतें बढ़ जाती हैं। ऐसा तब हो सकता है जब कच्चे माल, श्रम या करों जैसे इनपुट की कीमत में वृद्धि हो। उदाहरण के लिए, यदि तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो इससे परिवहन और ऊर्जा की लागत बढ़ सकती है, जो कई वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को प्रभावित कर सकती है।

अंतर्निहित मुद्रास्फीति: यह तब होता है जब लोग भविष्य में मुद्रास्फीति जारी रहने की उम्मीद करते हैं, जिससे वे अपने व्यवहार को तदनुसार समायोजित करते हैं। यह एक स्व-पूर्ति भविष्यवाणी बना सकता है, जहां मुद्रास्फीति की उम्मीदें वास्तविक मुद्रास्फीति की ओर ले जाती हैं। उदाहरण के लिए, यदि श्रमिक उच्च मुद्रास्फीति की उम्मीद करते हैं, तो वे उच्च मजदूरी की मांग कर सकते हैं, जिससे उत्पादन लागत और कीमतें बढ़ सकती हैं। इसी तरह, यदि व्यवसायों को उच्च मुद्रास्फीति की उम्मीद है, तो वे पहले से ही अपनी कीमतें बढ़ा सकते हैं, जिससे मुद्रास्फीति दर बढ़ सकती है।

भारत की मुद्रास्फीति दर (Inflation Rate In India)

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक द्वारा मापी गई मुद्रास्फीति, वस्तुओं और सेवाओं की एक टोकरी (product basket) प्राप्त करने की औसत उपभोक्ता की लागत में वार्षिक प्रतिशत परिवर्तन को दर्शाती है, जिसे वार्षिक जैसे निर्दिष्ट अंतराल पर तय या बदला जा सकता है। आमतौर पर लासपेयर्स फॉर्मूला का उपयोग किया जाता है।

  • 2022 के लिए भारत की मुद्रास्फीति दर 6.70% थी, जो 2021 से 1.57% अधिक है।
  • 2021 के लिए भारत की मुद्रास्फीति दर 5.13% थी, जो 2020 से 1.49% कम है।
  • 2020 में भारत की मुद्रास्फीति दर 6.62% थी, जो 2019 से 2.89% अधिक है।
  • 2019 के लिए भारत की मुद्रास्फीति दर 3.73% थी, जो 2018 से 0.21% कम है।

एक साधारण उदाहरण से मुद्रास्फीति है: (Example of Inflation)

मुद्रास्फीति समय के साथ वस्तुओं और सेवाओं की बढ़ती कीमतों की घटना है। इसका मतलब है कि उतने ही पैसे से पहले की तुलना में कम सामान और सेवाएँ खरीदी जा सकती हैं। उदाहरण के लिए, यदि एक लीटर खाद्य तेल की कीमत 2020 में 100 रुपये और 2021 में 110 रुपये है, तो इसका मतलब है कि एक वर्ष में खाद्य तेल की कीमत 10% बढ़ गई है। यह महंगाई का उदाहरण है. इसी प्रकार, हम अन्य वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों की तुलना कर सकते हैं जिनका हम एक वर्ष में उपभोग करते हैं, और उन्हें एक basket में रख सकते हैं। 

मुद्रास्फीति के कारण (Causes Of Inflation)

धन आपूर्ति: यह उन बुनियादी कारकों में से एक है जो किसी अर्थव्यवस्था में कीमतों में वृद्धि का कारण बनता है और इस प्रकार मुद्रास्फीति का कारण बनता है। मुद्रा आपूर्ति वह धनराशि है जो अर्थव्यवस्था में लेनदेन के लिए उपलब्ध है। जब धन की आपूर्ति वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन की तुलना में तेजी से बढ़ती है, तो यह वस्तुओं और सेवाओं की अतिरिक्त मांग पैदा करती है, जिससे उनकी कीमतें बढ़ जाती हैं।

देश के कर्ज़ में वृद्धि: जब किसी देश पर कर्ज़ बढ़ता है, तो इसका मतलब है कि उसे अपने ऋणदाताओं को अधिक ब्याज और मूलधन देना होगा। इससे सरकार के बजट पर दबाव पड़ सकता है और उसे कर बढ़ाने या खर्च में कटौती करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है, जिससे आर्थिक विकास और उत्पादन प्रभावित हो सकता है। वैकल्पिक रूप से, सरकार अपने कर्ज का भुगतान करने के लिए अधिक पैसा छापने की कोशिश कर सकती है, जिससे पैसे की आपूर्ति बढ़ सकती है और मुद्रास्फीति बढ़ सकती है।

क्रय शक्ति में वृद्धि: जब लोगों के पास अधिक आय या धन होता है, तो वे वस्तुओं और सेवाओं पर अधिक खर्च करते हैं। इससे उनकी क्रय शक्ति बढ़ती है, जो एक निश्चित राशि से सामान और सेवाएँ खरीदने की क्षमता है। जब लोगों की क्रय शक्ति वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति की तुलना में तेजी से बढ़ती है, तो यह अतिरिक्त मांग की स्थिति पैदा करती है, जिससे वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ जाती हैं।

ब्याज दरें: ब्याज दरें पैसे उधार लेने या उधार देने की लागत हैं। वे अर्थव्यवस्था में धन की आपूर्ति और मांग को प्रभावित करते हैं। जब ब्याज दरें कम होती हैं, तो लोग अधिक पैसा उधार लेते हैं और वस्तुओं और सेवाओं पर अधिक खर्च करते हैं। इससे वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ती है और उनकी कीमतें बढ़ती हैं।

अपस्फीति क्या है? (What Is Deflation)

  • अपस्फीति एक ऐसी घटना है, जो मुद्रास्फीति के बिल्कुल विपरीत है। जब अपस्फीति होती है, तो वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें गिर जाती हैं जिसके परिणामस्वरूप पैसे की क्रय शक्ति बढ़ जाती है। इसका मतलब यह भी है कि समान धनराशि से अधिक सामान और सेवाएँ खरीदी जा सकती हैं।
  • किसी अर्थव्यवस्था में यह स्थिति स्वाभाविक रूप से आती है जब किसी अर्थव्यवस्था की धन आपूर्ति प्रतिबंधित हो जाती है। अपस्फीति को आम तौर पर एक आर्थिक संकट माना जाता है जो बेरोजगारी और वस्तुओं और सेवाओं के बहुत कम उत्पादकता स्तर से जुड़ा होता है।
  • अपस्फीति की स्थिति में, व्यवसाय और बड़े पैमाने पर जनता कम धन जमा करती है और इस प्रकार खर्च बहुत कम हो जाता है, जिससे मांग और कम हो जाती है। मांग में कमी के साथ, कॉर्पोरेट मांग बढ़ाने के लिए वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें कम कर देते हैं।

भारत खाद्य मुद्रास्फीति क्या है (What Is Food Inflation)

भारत में खाद्य मुद्रास्फीति समय के साथ खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों की घटना है। यह जीवन यापन की लागत और लोगों, विशेषकर गरीबों और कमजोर लोगों के कल्याण को प्रभावित करता है। खाद्य मुद्रास्फीति के विभिन्न कारण और परिणाम हो सकते हैं, जो आर्थिक स्थिति और सरकार और केंद्रीय बैंक की नीतियों पर निर्भर करता है।

भारत में भोजन की लागत जुलाई 2023 में साल-दर-साल 11.51% बढ़ी, जो जनवरी 2020 के बाद सबसे अधिक है, जिसमें सब्जियों (37.3%), मसालों (21.6%), अनाज (13%), दालों (13.3%), और दूध (8.3%) की लागत शामिल है। इसकी तुलना जून में बहुत कम 4.49% वृद्धि से की जा सकती है।

मुद्रास्फीति एक ऐसी घटना है जो पैसे के मूल्य, जीवनयापन की लागत और अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन को प्रभावित करती है। इसकी दर और कारणों के आधार पर अर्थव्यवस्था पर इसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव पड़ सकते हैं। इसलिए, उचित नीतियों और संकेतकों का उपयोग करके मुद्रास्फीति को मापना और नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है। मुद्रास्फीति से निपटने के लिए देश के केंद्रीय बैंक द्वारा मौद्रिक उपाय, राजकोषीय उपाय या धन आपूर्ति को नियंत्रित करने जैसे कुछ मजबूत उपाय अपनाए गए हैं।

मुद्रास्फीति पर उद्धरण (Quotes on Inflation)

"मुद्रास्फीति एक लुटेरे के समान हिंसक है, एक सशस्त्र डाकू के समान भयावह है और एक हिट मैन के समान घातक है।" -  रोनाल्ड रीगन
"मुद्रास्फीति गरीबी रेखा को ऊपर ले जा रही है, और गरीबी सिर्फ आर्थिक नहीं है बल्कि स्वास्थ्य और शिक्षा के माध्यम से परिभाषित होती है।" -  अजीम प्रेमजी
“भारी मुद्रास्फीति में कागजी संपत्ति अर्जित करना कठिन नहीं है। आपको बस सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक संपत्ति का मालिक बनना है: ऊर्जा, संचार और परिवहन। -   पोर्टर स्टैनबेरी
"मौद्रिक नीति को डेटा पर निर्भर रहना चाहिए, अच्छी तरह से संप्रेषित किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मुद्रास्फीति की उम्मीदें स्थिर रहें।" -  गीता गोपीनाथ

1. मुद्रास्फीति क्या है? (What is inflation?)

- मुद्रास्फीति वह दर है जिस पर वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ती हैं। इनमें खाद्यान्न, धातु, ईंधन, बिजली और परिवहन जैसी उपयोगिताएं और स्वास्थ्य देखभाल, मनोरंजन और श्रम जैसी सेवाएं शामिल हैं।

2. लागत मुद्रास्फीति सूचकांक क्या है? (What is the cost inflation index?)

- लागत मुद्रास्फीति सूचकांक या सीआईआई एक उपकरण है जिसका उपयोग मुद्रास्फीति के परिणामस्वरूप परिसंपत्ति की कीमत में अनुमानित वार्षिक वृद्धि की गणना में किया जाता है।

3. खाद्य मुद्रास्फीति क्या है? (What is food inflation?)

- खाद्य मुद्रास्फीति समय के साथ खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों की घटना है। खाद्य मुद्रास्फीति के विभिन्न कारण और परिणाम हो सकते हैं, जो आर्थिक स्थिति और सरकार और केंद्रीय बैंक की नीतियों पर निर्भर करता है।

4. मंदी और मुद्रास्फीति क्या है? (What is recession and inflation?)

- मंदी नकारात्मक आर्थिक विकास की अवधि है जबकि मुद्रास्फीति मापती है कि समय के साथ कीमतें कितनी बढ़ रही हैं।

5. मुद्रास्फीति लेखांकन क्या है? (What is inflation accounti ng?)

- मुद्रास्फीति लेखांकन मूल्य सूचकांक के अनुसार वित्तीय विवरणों को समायोजित करने की प्रथा है।

6. खुदरा मुद्रास्फीति क्या है? (What is retail inflation?)

- खुदरा मुद्रास्फीति, जिसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति के रूप में भी जाना जाता है, वह दर है जिस पर उपभोक्ताओं द्वारा व्यक्तिगत उपयोग के लिए खरीदी जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें समय के साथ बढ़ती हैं।

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महँगाई पर निबंध हिन्दी में -Inflation essay in Hindi

Inflation essay in Hindi

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महंगाई की समस्या पर निबंध

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रूपरेखा : प्रस्तावना - आवश्यक वस्तुओं हुई महंगी - भारत की आर्थिक नीतियों की विफलता - विदेशी कर्ज में डूबा देश - गरीबी को दूर करके विकास को करना है संभव - उपसंहार।

कोई भी वस्तुओं और उत्पादों की कीमत में वृद्धि होने को महंगाई । महंगाई के कारन देश की अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव आते हैं। महंगाई मनुष्य की रोजी-रोटी को भी प्रभावित करता है। बढती हुई महंगाई भारत की एक बहुत ही गंभीर समस्या है। सरकार एक तरफ महंगाई को कम करने की बात करती है वही दूसरी तरफ महंगाई दिन-प्रतिदिन बढती जा रही है। आज देश में महंगाई मानो आसमान छू रही हो। कई लोग महंगाई के कारन शहर को छोड़कर अपने गांव बस जाते है क्यूंकि रोज की महंगाई उन्हें शहर में बसने नहीं देती। आज सभी लोग महंगाई को कम करने की मांग कर रही है। परंतु महंगाई देश में साल-दर-साल ऊपर चली जा रही है।

कमरतोड़ महंगाई जीवन के लिए आवश्यक वस्तुओं के मूल्यों में निरन्तर वृद्धि (महंगी) उत्पादन की कमी और माँग की पूर्ति में असमर्थता की परिचायक है। बढ़ती हुई महंगाई जीवन-चालन के लिए अनिवार्य तत्त्वों (कपड़ा, रोटी, मकान) की पूर्ति पए गरीब जनता के पेट पर ईंट बाँधती है, मध्यवर्ग की आवश्यकताओं में कटौती करती है, वही धनिक वर्ग के लिए आय के स्रोत उत्पन्न करती है।

देसी घी तो आँख आँजने को भी मिल जाए तो गनीमत है। वनस्पति देवता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भी बहुत रजत-पुष्प चढ़ाने पड़ते हैं | पेट्रोल, डीजल, मिट्टी के तेल, रसोई गैस की दिन-प्रतिदिन बढ़ती मूल्य-वृद्धि ने दैनिक जीवन पर तेल छिड़ककर उसे भस्म करने का प्रवास किया है। तन ढकने के लिए कपड़ा महंगाई के गज पर सिकुड़ रहा है। सब्जी, फल, दालें और अचार गृहणियों को पुकार-पुकार कर कह रहे हैं - ' रूखी सूखी खाय के ठंडा पानी पिए।' रही मकान की बात, अगर महंगाई की यही स्थिति रही तो लोग जंगल में रहने लगेंगे। दिल्‍ली की हालत यह है कि दो कमरे-रसोई का सैट तीन-चार हजार रुपये किराये पर भी नहीं मिलता। इतने महंगाई में कैसे गुजरा करेंगे देश के गरीब वर्ग और मध्य वर्ग के लोग।

बढ़ती हुई महंगाई भारत-सरकार की आर्थिक नीतियों की विफलता का परिणाम है। प्रकृति के रोष और प्रकोप का फल नहीं, शासकों की बदनीयती और बदइंतजामी की मुँह बोलती तस्वीर है। काला धन, तस्करी और जमाखोरी महंगाई-वृद्धि के परम मित्र हैं। तस्कर खुले आम व्यापार करता है । काला धन जीवन का अनिवार्य अंग बन चुका है। काले धन की गिरफ्त में देश के बड़े नेताओं से लेकर उद्योगपति और अधिकारी तक शामिल हैं । काले धन का सबसे बुरा असर मुद्रास्फीति और रोजगार के अवसरों पर पड़ता है। यह उत्पादन और रोजगार की संभावना को कम कर देता है और दाम बढ़ा देता है।

इतना ही नहीं सरकार हर मास किसी-न-किसी वस्तु का मूल्य बढ़ा देती है। जब कीमतें बढ़ती हैं तो किसी के बारे में नहीं सोचती। दिल्‍ली बस परिवहन ने किराये में शत-प्रतिशत वृद्धि के परिणामत:दूसरी ओर टैक्सी वालों ने भी रेट बढ़ा दिए। विदेशी कर्ज और उसके सेवा-शुल्क (ब्याज) ने भारत की आर्थिक नीति को चौपट कर रखा है। भारत का खजाना खाली हो रहा है।

एक ओर विदेशी कर्ज बढ़ रहा है, तो दूसरी ओर व्यापारिक संतुलन बिगड़ रहा है। तीसरी ओर राष्ट्रीयकृत उद्योग निरन्तर घाटे में जा रहे हैं । इनमें प्रतिवर्ष अरबों रुपयों का घाटा भ्रष्ट राजनेताओं, नौकरशाही और बेईमान ठेकेदारों के घर में पहुँच कर जन-सामान्य को महंगाई की ओर धकेल रहा है।

गरीब देश की बादशाही-सरकारों के अनाप-शनाप बढ़ते खर्च देश की आर्थिक रीढ़ को तोड़ने की कसम खाए हुए हैं। मंत्रियों की पलटन, आयोगों की भरमार, शाही दौरे, योजनाओं की विकृति, सब मिलाकर गरीब करदाता का खून चूस रही हैं। देश में खपत होने वाले पेट्रोलियम-पदार्थों के कुल खर्च का एक बड़ा हिस्सा राजकीय कार्यों में खर्च होता है, लेकिन प्रचार माध्यमों से बचत की शिक्षा दी जाती है -'तेल की एक-एक बूँद की बचत कीजिए।'

सरकारों द्वारा आयात शुल्क तथा उत्पाद शुल्क बढ़ाए गए हैं । रेलवे ने मालभाड़ा बढ़ाया है तथा यात्री किरायों में वृद्धि की है। डाक की दरें भी बढ़ी हैं। लिफाफे का मूल्य एक रुपये से बढ़कर तीन रुपए हो गया है। इन सब बढ़ोत्तरियों का असर कीमतों पर पड़ना लाजिमी है। कीमतें बढ़ने का मुख्य कारण आर्थिक उदारीकरण है। उदारीकरण के तहत उद्योगपतियों और व्यापारियों को खुली छूट दी गयी है कि वे जितना चाहे ग्राहक से वसूलें। जिन अनेक चीजों पर से मूल्य नियन्त्रण उठा लिया गया है, उनमें दवाएँ भी हैं। अनेक अध्ययन यह बताते हैं कि पिछले पाँच-छह वर्षों में दवाओं की कीमतें बेतहाशा बढ़ी हैं । उपभोक्ता वस्तुओं की कीमत में वृद्धि का एक बड़ा कारण मार्केटिंग का नया तंत्र है, जिसमें विज्ञापनबाजी पर बेतहाशा खर्च किया जाता है। एक रुपया लागत की वस्तु दस रुपये में बेची जाती है। इन सबसे बचकर हमें गरीबी को दूर करने के बारे में सोचना चाहिए। गरीबी जब दूर होगी तभी देश की व्यवस्था ठीक होगी। हमें गरीबी को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। अगर हमे हमारे देश से गरीबी को हटाना है तो हमे महंगाई को जड़ से मिटाना होगा।

अधिक नोट छापने का गुर एवं विदेशी और स्वदेशी ऋण घाटे की खाई को पार करने के सेतु हैं, खाई भरने की विधि नहीं। जब घाटे की खाई भरी नहीं जाएगी, तो मुद्रास्फीति बढ़ती जाएगी। ज्यों-ज्यों मुद्रास्फीति बढ़ेगी, महंगाई छलाँग मार-मार कर आगे कूदेगी। जनता महंगाई की चक्की में और पिसती जाएगी। महंगाई को रोकने के लिए समय-समय पर हड़तालें और आंदोलन चलाये गये हैं लेकिन फिर भी महंगाई कम नही हुए है।

महंगाई की वजह से गरीब लोग पहनने के लिए कपड़े नहीं खरीद पाते हैं तथा अपने परिवार एक वक़्त का खाना ठीक से नहीं करा पाते है। महंगाई को कम करने के लिए उपयोगी राष्ट्र नीति की जरूरत है। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ रही है उस तरीके से महंगाई को रोकना बहुत ही जरूरी है नहीं तो हमारी आजादी को दुबारा से खतरा उत्पन्न हो जाएगा। हमारी अधिकांश समस्याओं का मूल कारण देश की बढती जनसंख्या है। जब तक जनसंख्या को वश में नहीं किया जा सकता महंगाई कम नहीं होगी। महंगाई की वजह से निम्न वर्ग के लोगों को जरूरत की चीजें नहीं मिल पाती हैं और इससे अपने रोजमरा जीवन में खुशी से जीवन व्यतीत नहीं कर पाते हैं।

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

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  • सुरीला राजस्थान निबंध – (Folklore Of Rajasthan Essay)
  • राजस्थान में जल संकट पर निबंध – (Water Scarcity In Rajasthan Essay)
  • खुला शौच मुक्त गाँव पर निबंध – (Khule Me Soch Mukt Gaon Par Essay)
  • रंगीला राजस्थान पर निबंध – (Rangila Rajasthan Essay)
  • राजस्थान के लोकगीत पर निबंध – (Competition Of Rajasthani Folk Essay)
  • मानसिक सुख और सन्तोष निबंध – (Happiness Essay)
  • मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध नंबर – (My Aim In Life Essay)
  • राजस्थान में पर्यटन पर निबंध – (Tourist Places Of Rajasthan Essay)
  • नर हो न निराश करो मन को पर निबंध – (Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko Essay)
  • राजस्थान के प्रमुख लोक देवता पर निबंध – (The Major Folk Deities Of Rajasthan Essay)
  • देशप्रेम पर निबंध – (Patriotism Essay)
  • पढ़ें बेटियाँ, बढ़ें बेटियाँ योजना यूपी में लागू निबंध – (Read Daughters, Grow Daughters Essay)
  • सत्संगति का महत्व पर निबंध – (Satsangati Ka Mahatva Nibandh)
  • सिनेमा और समाज पर निबंध – (Cinema And Society Essay)
  • विपत्ति कसौटी जे कसे ते ही साँचे मीत पर निबंध – (Vipatti Kasauti Je Kase Soi Sache Meet Essay)
  • लड़का लड़की एक समान पर निबंध – (Ladka Ladki Ek Saman Essay)
  • विज्ञापन के प्रभाव – (Paragraph Speech On Vigyapan Ke Prabhav Essay)
  • रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य पर निबंध – (Railway Platform Ka Drishya Essay)
  • समाचार-पत्र का महत्त्व पर निबंध – (Importance Of Newspaper Essay)
  • समाचार-पत्रों से लाभ पर निबंध – (Samachar Patr Ke Labh Essay)
  • समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)
  • व्यायाम का महत्व निबंध – (Importance Of Exercise Essay)
  • विद्यार्थी जीवन पर निबंध – (Student Life Essay)
  • विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध – (Students And Politics Essay)
  • विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – (Vidyarthi Aur Anushasan Essay)
  • मेरा प्रिय त्यौहार निबंध – (My Favorite Festival Essay)
  • मेरा प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favourite Book Essay)
  • पुस्तक मेला पर निबंध – (Book Fair Essay)
  • मेरा प्रिय खिलाड़ी निबंध हिंदी में – (My Favorite Player Essay)
  • सर्वधर्म समभाव निबंध – (All Religions Are Equal Essay)
  • शिक्षा में खेलकूद का स्थान निबंध – (Shiksha Mein Khel Ka Mahatva Essay)a
  • खेल का महत्व पर निबंध – (Importance Of Sports Essay)
  • क्रिकेट पर निबंध – (Cricket Essay)
  • ट्वेन्टी-20 क्रिकेट पर निबंध – (T20 Cricket Essay)
  • मेरा प्रिय खेल-क्रिकेट पर निबंध – (My Favorite Game Cricket Essay)
  • पुस्तकालय पर निबंध – (Library Essay)
  • सूचना प्रौद्योगिकी और मानव कल्याण निबंध – (Information Technology Essay)
  • कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव निबंध – (Computer Aur Tv Essay)
  • कंप्यूटर की उपयोगिता पर निबंध – (Computer Ki Upyogita Essay)
  • कंप्यूटर शिक्षा पर निबंध – (Computer Education Essay)
  • कंप्यूटर के लाभ पर निबंध – (Computer Ke Labh Essay)
  • इंटरनेट पर निबंध – (Internet Essay)
  • विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध – (Science Essay)
  • शिक्षा का गिरता स्तर पर निबंध – (Falling Price Level Of Education Essay)
  • विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध – (Advantages And Disadvantages Of Science Essay)
  • विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा निबंध – (Health Education Essay)
  • विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध – (Anniversary Of The School Essay)
  • विज्ञान के वरदान पर निबंध – (The Gift Of Science Essays)
  • विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder Of Science Essay in Hindi)
  • विकास पथ पर भारत निबंध – (Development Of India Essay)
  • कम्प्यूटर : आधुनिक यन्त्र–पुरुष – (Computer Essay)
  • मोबाइल फोन पर निबंध (Mobile Phone Essay)
  • मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध – (My Unforgettable Trip Essay)
  • मंगल मिशन (मॉम) पर निबंध – (Mars Mission Essay)
  • विज्ञान की अद्भुत खोज कंप्यूटर पर निबंध – (Vigyan Ki Khoj Kampyootar Essay)
  • भारत का उज्जवल भविष्य पर निबंध – (Freedom Is Our Birthright Essay)
  • सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा निबंध इन हिंदी – (Sare Jahan Se Achha Hindustan Hamara Essay)
  • डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on Digital India)
  • भारतीय संस्कृति पर निबंध – (India Culture Essay)
  • राष्ट्रभाषा हिन्दी निबंध – (National Language Hindi Essay)
  • भारत में जल संकट निबंध – (Water Crisis In India Essay)
  • कौशल विकास योजना पर निबंध – (Skill India Essay)
  • हमारा प्यारा भारत वर्ष पर निबंध – (Mera Pyara Bharat Varsh Essay)
  • अनेकता में एकता : भारत की विशेषता – (Unity In Diversity Essay)
  • महंगाई की समस्या पर निबन्ध – (Problem Of Inflation Essay)
  • महंगाई पर निबंध – (Mehangai Par Nibandh)
  • आरक्षण : देश के लिए वरदान या अभिशाप निबंध – (Reservation System Essay)
  • मेक इन इंडिया पर निबंध (Make In India Essay In Hindi)
  • ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – (Problems Of Rural Society Essay)
  • मेरे सपनों का भारत पर निबंध – (India Of My Dreams Essay)
  • भारतीय राजनीति में जातिवाद पर निबंध – (Caste And Politics In India Essay)
  • भारतीय नारी पर निबंध – (Indian Woman Essay)
  • आधुनिक नारी पर निबंध – (Modern Women Essay)
  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – (Women’s Role In Modern Society Essay)
  • चुनाव पर निबंध – (Election Essay)
  • चुनाव स्थल के दृश्य का वर्णन निबन्ध – (An Election Booth Essay)
  • पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध – (Dependence Essay)
  • परमाणु शक्ति और भारत हिंदी निंबध – (Nuclear Energy Essay)
  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो हिंदी निबंध – (If I were the Prime Minister Essay)
  • आजादी के 70 साल निबंध – (India ofter 70 Years Of Independence Essay)
  • भारतीय कृषि पर निबंध – (Indian Farmer Essay)
  • संचार के साधन पर निबंध – (Means Of Communication Essay)
  • भारत में दूरसंचार क्रांति हिंदी में निबंध – (Telecom Revolution In India Essay)
  • दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
  • राष्ट्रीय एकता का महत्व पर निबंध (Importance Of National Integration)
  • भारत की ऋतुएँ पर निबंध – (Seasons In India Essay)
  • भारत में खेलों का भविष्य पर निबंध – (Future Of Sports Essay)
  • किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – (Kisi Match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay)
  • राजनीति में अपराधीकरण पर निबंध – (Criminalization Of Indian Politics Essay)
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हिन्दी निबंध – (Narendra Modi Essay)
  • बाल मजदूरी पर निबंध – (Child Labour Essay)
  • भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध – (Women Empowerment Essay)
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
  • गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay)
  • बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध – (Child Marriage Essay)
  • राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध – (Importance of National Integration Essay)
  • आतंकवाद पर निबंध (Terrorism Essay in hindi)
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay in Hindi)
  • बढ़ती भौतिकता घटते मानवीय मूल्य पर निबंध – (Increasing Materialism Reducing Human Values Essay)
  • गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – (The Good Of The Country: Cleaning The Ganges Essay)
  • सत्संगति पर निबंध – (Satsangati Essay)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध – (Women’s Role In Society Today Essay)
  • यातायात के नियम पर निबंध – (Traffic Safety Essay)
  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
  • सिनेमा या चलचित्र पर निबंध – (Cinema Essay In Hindi)
  • परहित सरिस धरम नहिं भाई पर निबंध – (Parhit Saris Dharam Nahi Bhai Essay)
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  • शिक्षित बेरोजगारी की समस्या निबंध – (Problem Of Educated Unemployment Essay)
  • बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – (Unemployment Problem And Solution Essay)
  • दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)
  • जनसँख्या पर निबंध – (Population Essay)
  • श्रम का महत्त्व निबंध – (Importance Of Labour Essay)
  • जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम पर निबंध – (Problem Of Increasing Population Essay)
  • भ्रष्टाचार : समस्या और निवारण निबंध – (Corruption Problem And Solution Essay)
  • मीडिया और सामाजिक उत्तरदायित्व निबंध – (Social Responsibility Of Media Essay)
  • हमारे जीवन में मोबाइल फोन का महत्व पर निबंध – (Importance Of Mobile Phones Essay In Our Life)
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  • भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – (Problem Of Unemployment In India Essay)
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  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)
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  • प्रकृति निबंध – (Nature Essay In Hindi)
  • वर्षा ऋतु पर निबंध – (Rainy Season Essay)
  • वसंत ऋतु पर निबंध – (Spring Season Essay)
  • बरसात का एक दिन पर निबंध – (Barsat Ka Din Essay)
  • अभ्यास का महत्व पर निबंध – (Importance Of Practice Essay)
  • स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध – (Health Is Wealth Essay)
  • महाकवि तुलसीदास का जीवन परिचय निबंध – (Tulsidas Essay)
  • मेरा प्रिय कवि निबंध – (My Favourite Poet Essay)
  • मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favorite Book Essay)
  • कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)

इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

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Essay on inflation in hindi महंगाई की समस्या पर निबंध.

Read an essay on Inflation in Hindi Language with meaning. Most people find difficulty in understanding what is inflation. But now you can easily understand about inflation in Hindi language.

hindiinhindi Essay on Inflation in Hindi

Essay on Inflation in Hindi

भारत एक बहुत प्राचीन, विशाल तथा महान देश है। जनसंख्या की दृष्टि से चीन के बाद भारत का दूसरा स्थान है। विश्व में हर छठा-सातवां व्यक्ति भारतीय है। लेकिन हमारे देश में अनेकों समस्याएं भी हैं और उनका विस्तार भी असाधारण। कभी तो लगता है जैसे भारत एक समस्याओं का ही देश है। गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और महंगाई जैसी भीषण समस्याएं आज हमारे सामने हैं। महँगाई तो एक महामारी की तरह है जो सर्वत्र एक कोने से दूसरे कोने तक फैलती हैं। इसकी मार से कोई नहीं बचता। लेकिन निम्न तथा मध्यवर्ग के लोग इससे सर्वाधिक प्रभावित होते हैं। महामारी की तरह महँगाई घातक तो नहीं होती और न प्राण लेती है परन्तु आर्थिक दृष्टि से लोगों को पंगु और असहाय अवश्य बना देती है।

महँगाई या निरन्तर मूल्यों में वृद्धि एक बड़े चिंता का विषय है। इसके प्रभाव से जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। लोग निराशा और हताश के शिकार हो जाते हैं। परिणामतः जीवन सहज नहीं रह पाता और जीवन स्तर निरन्तर गिरता जाता है। भारत में जनसाधारण का जीवन स्तर अभी भी बहुत नीचा है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के 59 वर्षों के बाद भी इस में कोई वांछित सुधार नहीं हुआ है। देश की एक बहुत बड़ी जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे अपना जीवन-यापन कर रही है।

जीवन-उपयोगी आवश्यक वस्तुओं जैसे अनाज, ईंधन, कपड़े, मकान, उपचार की वस्तुएं, बिजली, पानी आदि की कीमतों में अत्याधिक वृद्धि ने सबको परेशान कर रखा है। इसकी कहीं कोई सीमा नहीं दिखाई देती। स्थिति ने एक भयावह मोड़ ले लिया तथा जन साधारण बहुत त्रस्त और व्याकुल दिखाई देता है। अतः यह अति आवश्यक है कि इस पर तुरन्त काबू पाया जाए और खाद्य-पदार्थों आदि के मूल्यों में वृद्धि को कारगर ढंग से नियंत्रित किया जाये।

मूल्यों में निरन्तर और तीव्र वृद्धि के अनेक स्पष्ट कारण हैं। इन कारणों की पहचान करके इनका निवारण आज एक बहुत बड़ी आवश्यकता है। यदि समय रहते महँगाई को नहीं रोका गया तो इसके भीषण परिणाम हो सकते हैं। महँगाई उग्रवाद तथा आतंकवाद जैसी बुराइयों को प्रोत्साहन देती हैं। महँगाई का एक सबसे बड़ा कारण हमारी जनसंख्या है। जनसंख्या की दृष्टि से भारत विश्व का दूसरा देश है। अन्य विकासशील और विकसित राष्ट्रों की तुलना में हमारी जनसंख्या बड़ी तेजी से बढ़ रही है। इस जनसंख्या विस्फोट ने हमारी प्रगति, उन्नति और विकास की सभी योजनाओं को जैसे असफल कर दिया है।

जनसंख्या नियंत्रण के लिए हमें तुरन्त प्रभावी कदम उठाने चाहियें तथा कुछ कड़े निर्णय लेने से नहीं डरना चाहिए। हमें ‘‘एक युगल, एक बच्चा” का नियम अपनाना चाहिये तथा इस नियम का बड़ी सख्ती से पालन करना चाहिए। इस संदर्भ में हम चीन जैसे देश से बहुत कुछ सीख सकते हैं। परिवार नियोजन तथा परिवार कल्याण पर हमें विशेष ध्यान देना चाहिये। यह हमारा दुर्भाग्य है कि हमारे यहां समान नागरिक आचरण संहिता (यूनीफॉर्म सिविल कोड) नहीं है। अत: कुछ धर्म व सम्प्रदायों के लोग एक से अधिक विवाह करने को स्वतन्त्र हैं। परिणामत: वे अनेक बच्चों के माता-पिता बन रहे हैं। जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन के अभाव में महँगाई, बेरोजगारी, भुखमरी जैसी समस्याओं पर विजय पाना बहुत मुश्किल है।

निरन्तर बढ़ती जनसंख्या के कारण मांग व आपूर्ति में संतुलन बिगड़ जाता है। वस्तुएं कम होती हैं और उनके ग्राहकों की संख्या बहुत अधिक। अत: वस्तुओं के दाम असाधारण रूप से बढ़ने लगते हैं। देश में संसाधन व प्राकृतिक स्रोत सीमित हैं। एक सीमा तक ही इसका दोहन किया जा सकता है। निरन्तर बढ़ती हुई जनसंख्या के असाधारण दबाव से हमारी सारी व्यवस्थाएं चरमराने लगी हैं। आज भारत वर्ष की आबादी 100 करोड़ के लगभग हैं। यह विश्व का 16वां भाग है परन्तु हमारे पास धरती का मात्र 2-42 प्रतिशत भाग ही है। इससे समस्या की गंभीरता को सरलता से समझा जा सकता है। उचित संसाधनों के अभाव में अशांति, हिंसा, महँगाई जैसी समस्याओं का उग्र हो जाना स्वाभाविक ही है।

हमारी योजनाएं व्यावहारिक, संतुलित और शीघ्र परिणाम देने वाली होनी चाहियें। उन्हें भविष्य की आवश्यकताओं, उपलब्ध साधनों आदि को ध्यान में रख कर बनाया जाना चाहिये। किसानों, मजदूरों, खेतीहर, कामगरों, स्त्रियों आदि की उचित शिक्षा के अभाव में महँगाई पर रोक लगाना संभव नहीं दिखाई देता । शिक्षा के अभाव में बिचौलिये ग्रामीण जनता का निरन्तर शोषण करते रहते हैं। वे जमाखोरी पर वस्तुओं की कीमतें बढ़ाते रहते हैं। परिणामस्वरूप जनसामान्य और कमजोर वर्ग के लोगों का शोषण होता रहता है।

प्रशासन व व्यापारियों की मिलीभगत स्थिति को और भयावह बना देती है। मूल्य नियंत्रण की कई सरकारी योजनाएं तो बनती हैं पर भ्रष्ट सरकारी अफसरों व लालफीतेशाही के चलते उन पर अमल नहीं हो पाता। सरकार व प्रशासन को कड़े कदम उठाने चाहिये। सरकार को खुद को चाहिये कि वह अपने खर्चे पर नियंत्रण रखे और जनता के धन की बर्बादी न होने दे। किसी भी दफ्तर में चले जाओ, सभी लोग समान रूप से रिश्वतखोर और कामचोर मिलेंगे। घाटे में चलने वाले उपक्रमों, कारखानों आदि को तुरन्त बंद किया जाना चाहिए । सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों की संख्या में कमी की जानी चाहिए तथा उनकी कार्यकुशलता बढ़ाकर जिम्मेदारी सुनिश्चित की जानी चाहिये।

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IMF Working Papers

Effect of exchange rate movements on inflation in sub-saharan africa.

Author/Editor:

Laurent Kemoe ; Moustapha Mbohou ; Hamza Mighri ; Saad N Quayyum

Publication Date:

March 15, 2024

Electronic Access:

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Disclaimer: IMF Working Papers describe research in progress by the author(s) and are published to elicit comments and to encourage debate. The views expressed in IMF Working Papers are those of the author(s) and do not necessarily represent the views of the IMF, its Executive Board, or IMF management.

This paper provides new evidence on the exchange rate passthrough to domestic inflation in Sub-Saharan Africa (SSA) using both bilateral US dollar exchange rate and the nominal effective exchange rate (NEER), and monthly data. We find that depreciations cause sizable increases in domestic inflation. The passthrough in SSA is higher than in other regions and its magnitude depends on the exchange rate regime, type of exchange rate (bilateral versus NEER), natural resource endowment and domestic market competitiveness. The passthrough is found to be disproportionately larger and more persistent for large depreciation shocks, and for exchange rate changes that are more persistent. We also find evidence of asymmetry, with passthrough eight times stronger during depreciations than appreciations. Additional findings suggest that improved monetary policy effectiveness is an important driver of our observed declining estimates of exchange rate passthrough over time, supporting the long-standing view that strengthening monetary policy frameworks and credibility helps mitigate the impact of depreciations on inflation.

Working Paper No. 2024/059

9798400269264/1018-5941

WPIEA2024059

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मँहगाई की मार पर निबन्ध | Essay on Inflation in Hindi

essay on inflation in hindi

मँहगाई की मार पर निबन्ध | Essay on Inflation in Hindi!

मँहगाई या मूल्य वृद्धि केवल एक सामाजिक समस्या ही नहीं वरन एक आर्थिक समस्या भी है । आज विश्व बाहरी तौर पर हमें महान भले ही मान रहा हो, गाँधी के नाम की माला को जप रहा हो किन्तु वह हमारी आन्तरिक दुर्बलता से भली- भाँति परिचित है ।

वह है हमारी व्यवस्था तथा शासन में आर्थिक अनुशासन की कमी जिसका परिणाम हमें मँहगाई के रूप में देखने को मिलता है । इस मूल्य वृद्धि से जनजीवन बहुत ही त्रस्त हो गया है ।

आज का प्रत्येक विक्रेता अधिक से अधिक लाभ कमाने के चक्कर में है, यदि किसी वस्तु के भाव की वृद्धि का तो तुरन्त विक्रेता पहले से दुकान पर वर्तमान वस्तु के दाम एकदम बढ़ा देता है, जबकि नवीन वसुर यदि महँगी खरीदे तो उसे अधिक मूल्य पर देनी चाहिए । परन्तु पुरानी वस्तु को उसे पिछले भाव – में देना चाहिए ।

कभी-कभी तो बढ़े मूल्य से भी अधिक मूल्य पुरानी बस्तुओं पर वह ले लेता है, यही अधिक लाभवृत्ति ही मूलय वृद्धि कहलाती है । ये कारण एक नैतिक कारण है । जिससे मँहगाई फैलती है किन्तु एक दूसरी वजह सरकार का व्यापारियों पर अन्धाधुन्ध कर लगाना तथा अफसरशाही द्वारा व्यापारी वर्ग को परेशान करके घूस के रूप में पैसा खींचना ।

तंग आकर व्यापारी वर्ग के सामने मूल्य बढ़ाने के अतिरिक्त कोई रास्ता नहीं रह जाता । जो इम्पोर्टर हैं (आयातकर्त्ता) उनके माल पर इतना सीमा शुल्क लगा दिया जाता है कि वे भी बाजार में वस्तुओं के दाम बढ़ाने के लिये मजबूर कर दिये जाते है ।

इसके अतिरिक्त विचार करने पर माँहगाई के अनेक कारण दृष्टिगोचर होते हैं , जिनमें से मुख्य इस प्रकार हैं:

(1) उत्पादन की कमी :

अर्थशास्त्र का सिद्धान्त है की यदि उत्पादन कम हो और

ADVERTISEMENTS:

उपभोग या माँग अधिक हो तो मूल्य की स्वाभाविक रूप से वृद्धि होती है ।

(2) व्यापारी वर्ग द्वारा मुनाफाखोरी तथा जमाखोरी की प्रवृति :

विशेष रूप से व्यापारी वर्ग उस समस्या को भयंकर बनाने में भरसक प्रयत्नशील है । वह वस्तुओं को अवैध रूप से इकट्‌ठा करके जमा करता है । फिर बाजार में कृत्रिम अभाव उत्पन्न कर देता है । आज का भौतिकवादी मानव वस्तुओं को खरीदने के लिए विवश होकर उसको बढ़े मूल्यों पर वस्तुओं को खरीदता है ।

(3) काला धन:

वाँचू कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार देश में सात हजार करोड़ रुपयों का काला धन है । इस धन से अनुचित रूप से जमाखोरी, करों की चोरी तथा विदेशों में तस्करी व्यापार हो रहा है, जिससे मूल्य वृद्धि हो रही ।

(4) जनसंख्या वृद्धि:

इन 40 वर्षों में भारत की जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई है । इसके लिए अधिक अन्न व वस्त्रादि की आवश्यकता पड़ती है । हमारी सरकार इसकी पूर्ति के लिए जितने प्रयत्न करती है, वे सब बढ़ोतरी की मात्रा में न्यून पड़ जाते हैं। अवश्यकता से कम वस्तुओं की उपलब्धि होने से मूल्य वृद्धि का होना स्वाभाविक है।

(5) दोषपूर्ण वितरण प्रणाली :

देश में वितरण का प्रबन्ध भी उचित नहीं है । बहुत- सी वस्तुएँ तो मार्ग में तथा गोदामों में ही नष्ट हो जाती हैं, जिससे वस्तुओं की कमी होने पर महँगाई हो जाती है ।

(6) भ्रष्टाचार :

इसके कारण भी तेजी आती है । लोगों की भ्रष्ट नीतियों से विकास योजनाएँ समय पर पूर्ण नहीं होती है, पुलों व सड़कों आदि को मिलावट के सीमेन्ट आदि से बनाया जाता है, जिससे वे जल्दी टूट जाते हैं और पुन: बनवाने में पर्याप्त व्यय होता है । इससे सामान का अभाव होता है और तेजी की वृद्धि होती है ।

मूल्य वृद्धि के दुष्परिणामों को देखकर यह स्पष्ट हो जाता है कि समस्या अति विकराल है, इसका समाधान करना ही होगा ।

मूल्य वृद्धि के समस्त कारणों को दूर करने के लिए उपाय निम्न हैं :

1. जनसंख्या पर नियन्त्रण :

यद्यापि सरकार ने ‘ परिवार नियोजन ‘ विभाग खोल रखा है, परन्तु कार्य जिनन हाना चाहिए उतना नहीं हो रहा है । यदि सही अर्थों में यह कार्य पूर्ण हो जाय, तो वस्तुओं की कमी नहीं हो और मूल्य वृद्धि पर अंकुश लग जाय।

2. उत्पादन में वृद्धि :

सरकार क्र कृषि उत्पादन तथा उद्योग – धन्धों पर विशेष ध्यान देना चाहिए जिससे वस्तुओं की मात्रा, तो कीमतें स्वयंमेव कम हो जाएगी ।

3. बहिष्कार प्रवृत्ति :

उपभोक्ता संग्रह वृत्ति व अधिक मूल्य की वस्तुओं का बहिष्कार करें । गृहणियाँ कम संग्रह व कम वस्तु में कार्य चलाने का प्रयास करें, इससे मूल्य वृद्धि रूकेगी ।

4. कानून द्वारा:

सरकार एव जनता दोनों को चाहिए कि जमाखोर एवं मुनाफाखोर व्यापारियों के प्रति कड़ा व्यवहार करे । सरकार इनको पर्याप्त दण्ड दे और जनता इनकी समाज में भर्त्सना करे । इससे भी मूल्य वृद्धि रूकेगी । टैक्स प्रणाली सरल की जाये ताकि व्यापारी वर्ग में निराशा उत्पन्न न हो और वह वस्तुओं के दामों को बढ़ाने पर मजबूर न हो ।

हमारी जनप्रिय सरकार महँगाई रोकने के अनेक प्रयत्न कर रही है । उद्योगों तथा कृषि के लिए विकास योजनाएँ बन रही हैं । देश में बाजार तथा उपभोक्ता भण्डार खुल रहे हैं । सरकार को वितरण प्रणाली में भी आमूल-चूल परिवर्तन करना चाहिए । यद्यपि देश के बड़े-बड़े नेता, शिक्षाशास्त्री, अर्थशास्त्री एवं प्रशासक महँगाई की विकराल समस्या के समाधान में लगे हैं । इसी में सबका कल्याण है ।

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