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टेलीविजन के फायदे और नुकसान । Advantages & Disadvantages of Television

टेलीविजन के फायदे और नुकसान

टेलीविजन के फायदे और नुकसान, आज कल टेक्नोलॉजी बहुत तेजी से बढ़ती चली जा रही है। जैसे-जैसे प्रोद्योगिकी का क्षेत्र बढ़ रहा है, वैसे – वैसे मनुष्य को बहुत सी सुविधाए प्राप्त हो रही है। और दूसरी तरफ प्रोद्योगिकी का क्षेत्र बहुत नुकसानदायक बनता जा रहा है मनुष्यों के लिए। आज-कल हर घर-घर में टेलीविजन है, और लोग इसका सबसे ज्यादा उपयोग करते रहते है।

टेलीविजन एक महत्वपूर्ण माध्यम है जो हमें विश्व में घटित हो रही घटनाओं, समाचारों, विज्ञान , विशेषज्ञता, सांस्कृतिक व्यक्तियों और अन्य कई विषयों के बारे में जानकारी प्रदान करता है।

टेलीविजन नहीं सिर्फ विभिन्न समाचार चैनलों के माध्यम से नवीनतम समाचार देता है, बल्कि वह शिक्षा , मनोरंजन, सामाजिक मुद्दे, विचारों का विस्तार और बहुत कुछ प्रस्तुत करता है। यह भी हमें विभिन्न कलाओं, संस्कृतियों और विचारों से अवगत कराता है।

क्या आप सभी लोग टेलीविजन से होने वाले फायदे और नुकसान के बारे में जानते है? टेलीविजन लोगो के मनोरंजन का सबसे साधारण माध्यम बन चूका है और कुछ लोग तो टेलीविजन देखने की आदत बना चुके है जिसका उनका टाइम पास हो जाता है और इसकी वजह से टेलीविजन मनुष्यों के लिए हानि भी बन चूका है।

टेलीविजन का बहुत लंबा समय नकारात्मक भावनाओं को बढ़ा सकता है और यह समय की अत्यधिक मनोरंजन में भी बिता सकता है, जिससे अन्य कामों को ध्यान देने की क्षमता कम हो सकती है।

टेलीविजन के फायदे –

मनोरंजन का सबसे बेहतर जरिया .

आज-कल के इस आधुनिक युग में टेलीविजन मनोरंजन का एक बढ़िया तरीका है। जिससे सभी उम्र के लोगो के लिए प्रोग्राम और मनोरंजन के लिए सीरियल, मूवीज, कॉमेडी जैसे प्रोग्राम आप देख सकते है । बच्चे हो या बूढ़े सब के लिए अलग-अलग प्रकार के चैनल आप देख सकते है आज-कल शायद ही ऐसा कोई घर होगा जहां टेलीविजन न हो । टेलीविजन सभी प्रकार के उम्र के लोगो के लिए मनोरजन बन गया है।

खाली समय आसानी से बिताता है 

अकसर लोग गर्मी के छुट्टियों में उनके खाली समय को बिताना मुस्किल होता है । और ऐसे मैं लोगो के लिए टेलीविजन एक अच्छा मनोरंजन और खाली समय बिताने का एक अच्छा उपकरण है ।जो महिलाए घर पर होती है और घर का काम करने के बाद वह अकसर खाली समय में अपना धारवाहिक लगा कर देखती है और अपना समय बिताती है । टेलीविजन उन महिलाओ को एक तरह का मानसिक तनाव को दूर करने में मदद करता है।

विश्व भर की जानकारी प्राप्त होती है 

टेलीविजन के माध्यम से हम सभी लोग घर बैठे – बैठे विश्व भर में हो रहे सभी जानकारी को प्राप्त कर सकते है, और इससे हमे एक प्रकार से ज्ञान भी प्राप्त होते है।

देश भर में हो रहे बदलाव, मुहल्ले, राज्य, और अन्य देशों हो रहे सभी जानकारी हम घर बैठे आसानी से पता कर सकते है टेलीविजन के माध्यम से। हालाँकि हम और सभी जानकारियाँ समाचार पत्र, रेडियो, और इन्टरनेट के माध्यम से भी जान सकते है, पर टेलीविजन को देखने का एक अलग तरह का ही मजा है।

मन को आराम मिलता है 

आज-कल लोग कामो में व्यस्त रहते है। उनके लिए खुद के लिए टाइम निकाल पाना भी मुश्किल होता है। वैसे में उनके लिए टेलीविजन उनके लिए एक आराम करने का माध्यम होता है, काम से लोटने के बाद उनके पास आराम करने का यह बढ़िया तरीका होता है। जिससे उन्हें आराम मिलता है।

बहुत कुछ सिखने को मिलता है 

टेलीविजन के माध्यम से बहुत कुछ सिख सकते है जैसे की ज्ञान, शिक्षा इत्यादी। टीवी पर कई  प्रकार के चैनल उपलब्ध है जो ज्ञान वधर्न प्रोग्राम भी प्रदर्शित किये जाते है जिससे की बच्चों और बड़ो दोनों को कई प्रकार के ज्ञान प्राप्त हो सकते है। जैसे की बच्चो के लिए स्टडी चैनल, जिससे की बच्चे स्टडी और अपने शंका को दूर कर सकते है।

टेलीविजन के फायदे और नुकसान

टेलीविजन के नुकसान व हानि –

समय की बबार्दी .

ज्यादा टेलीविजन देखना भी एक तरह का नुकसान ही होता है । जैसे की हमने आप लोगो को बताया की टेलीविजन समय बिताने का एक बढ़िया तरीका है पर अगर टेलीविजन देखना आदत बन जाये तो एक तरह का नुकसान भी है ।यह आपका महत्वपूर्ण समय भी बर्बाद कर सकता है जैसे की बच्चे को भी टेलीविजन की लत लग जाये तो वह अपना महत्वपूर्ण समय भी बर्बाद करता है । जिससे उनके शिक्षा पर बुरा असर प्रभाव पड़ता है।

इसीलिए टेलीविजन देखने का एक निर्धारित समय होना चाहिए जिससे वह अपना महत्वपूर्ण काम भी कर सके और एक तरह का अपना समय बिता सकते है और मनोरंजन भी कर सकते है । जिसके कारण उन्हें एक तरह की लत भी नहीं होती।

आँखों पर बुरा असर 

आपके घर पर किसी भी तरह का टेलीविजन हो चाहे पुराने ज़माने का हो या आधुनिक युग का । ज्यादा टेलीविजन देखने से आपके आँखों पर इसका बुरा असर प्रभाव पड़ता है । जैसे की एक ही वस्तु पर ज्यादा ध्यान देने से उसका बुरा प्रभाव पड़ता है। कई शोधकर्ताओं के अनुसार पाया गया है की अगर आप लंबे समय तक टेलीविजन देखते है तो आपके आँखे ख़राब हो सकती है । इसीलिए टेलीविजन देखने का एक निर्धारित समय हों चाहिए।

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स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव 

जरुरत से ज्यादा टेलीविजन देखना भी एक तरह का स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है जैसे की हमने आपको एक पहले ही बता चुके है । ज्यादा टेलीविजन देखने से आँखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, वैसे ही हमारे स्वास्थ्य पर भी कई प्रकार का बुरा प्रभाव पड़ता है, जैसे की आँखों पर दबाव पड़ना, आँखे कमजोर होना इत्यादि।

निष्कर्ष (टेलीविजन के फायदे और नुकसान)

अगर हम टेलीविजन के बारे में बार करे तो लोगो को फायेदा व नुकसान को मद्देनजर रखते हुए इस्तेमाल करना चाहिए । क्योकि हम अगर इस चीज का ज्यादा उपयोग में लाते है तो ये हमारे स्वास्थ और शारीरिक व मानसिक क्षमता को नुकसान पहुंचाता है।

टेलीविजन के लाभ (Essay on Advantages of Television)

टेलीविजन आधुनिक तकनीकी उपकरण है, जिसके द्वारा विभिन्न रंग, ध्वनि, और चित्र प्रसारित किए जाते हैं। यह उपकरण दर्शकों को घर बैठे बहुत सारी मनोरंजन, जानकारी और शिक्षा के अवसर प्रदान करता है। टेलीविजन के लाभों का उपयोग सही ढंग से किया जा सकता है जो नीचे दिए गए हैं।

मनोरंजन (Entertainment)

टेलीविजन मनोरंजन का सबसे बड़ा स्रोत है। विभिन्न चैनलों पर टीवी शो, फिल्में, सीरियल्स, कॉमेडी श्रृंगार और खेल आयोजित किए जाते हैं। इससे लोगों को अपने दिनचर्या के बीच मनोरंजन का समय मिलता है और तनाव से राहत मिलती है।

शिक्षा ( Education )

टेलीविजन शिक्षा का महत्वपूर्ण स्रोत है। उच्च शिक्षा, विज्ञान, इतिहास, सामान्य ज्ञान और अन्य विषयों पर शिक्षाप्रद कार्यक्रम उपलब्ध होते हैं। यह शिक्षा विभिन्न उम्र के लोगों के लिए उपयोगी है और विद्यार्थियों को उनके अध्ययन से संबंधित सहायक जानकारी प्रदान करता है।

समाचार और विचार (News and Current Affairs)

टेलीविजन समाचार, वार्ता, और विचार संबंधी कार्यक्रम प्रसारित करता है, जो लोगों को राजनीति, खेल, व्यापार, और समाज से जुड़ी ताज़ा जानकारी प्रदान करते हैं। इससे लोग देश और दुनिया में घटनाओं के साथ अपडेट रहते हैं और नागरिक जागरूकता में सहायता मिलती है।

विज्ञान और तकनीक (Science and Technology)

विज्ञान और तकनीक से संबंधित कार्यक्रम देखकर लोग नई तकनीकों, अनुसंधान, और वैज्ञानिक उत्पादों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह उन्हें विज्ञान और तकनीक की दुनिया में रुचि पैदा कर सकता है और उन्हें अद्यतित रहने में मदद करता है।

सोशल और कल्चरल अवधारणाएँ (Social and Cultural Perceptions)

टेलीविजन समाज के विभिन्न पहलुओं और धार्मिक धारणाओं को समझने में मदद करता है। विभिन्न कार्यक्रम भारतीय संस्कृति, लोक-संगीत, भक्ति, और रंगमंच संस्कृति को प्रवर्धित करते हैं। इससे समाज में समरसता और सम्मान की भावना विकसित होती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

टेलीविजन एक शक्तिशाली माध्यम है, जो ज्ञान, मनोरंजन, शिक्षा, समाचार, और सामाजिक जागरूकता के क्षेत्र में लोगों को समृद्धि प्रदान करता है। यह माध्यम सार्वजनिक और निजी जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और समाज को संबलित करने में मदद करता है। इसे उचित रूप से उपयोग करके लाभ उठाना चाहिए।

टेलीविजन से हम समाचार, मनोरंजन, शिक्षा और समाज के विभिन्न मुद्दों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।

सही समय में और सीमित मात्रा में टीवी देखना, उत्तम चयन किए गए कार्यक्रमों को देखना और सक्रिय गतिविधियों में भाग लेना दुरुपयोग को कम कर सकता है।

लंबी देर टीवी देखने से समय की बर्बादी, नकारात्मक प्रभाव, स्वास्थ्य समस्याएं और विचारों की अधीनता हो सकती है।

सीमित समय में उचित कार्यक्रम देखना बच्चों के लिए सीखने और मनोरंजन का स्रोत बन सकता है, लेकिन अत्यधिक देखना हानिकारक हो सकता है।

टेलीविजन से हमें विश्व के बारे में जानकारी मिलती है, समाज में हो रही बदलावों को समझने में मदद मिलती है और नए विचारों का संवाद होता है।

हाँ, टेलीविजन से हमारी सोच और विचारधारा पर प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए सही जानकारी को सत्यापित करना महत्वपूर्ण होता है।

शिक्षात्मक चैनलों में नेशनल ज्योग्राफिक, डिस्कवरी, डिस्कवरी साइंस, हिस्ट्री चैनल आदि शामिल होते हैं।

उपयुक्त समय में सीमित टीवी देखना, सक्रिय गतिविधियों में भाग लेना, और सकारात्मक कार्यक्रमों को देखना इसे कम कर सकता है।

हाँ, टेलीविजन से विज्ञान, प्रौद्योगिकी, विशेषज्ञता, अंतरिक्ष, और अन्य विषयों की जानकारी मिलती है।

हाँ, सही चयन किए गए कार्यक्रमों को देखकर हमारा बुद्धिमत्ता बढ़ सकता है, लेकिन अत्यधिक टीवी देखना इसे प्रभावित कर सकता है।

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टेलीविज़न के फायदे और नुक्सान Advantages and Disadvantages of Television in Hindi

टेलीविज़न के फायदे और नुक्सान Advantages and Disadvantages of Television in Hindi

आईये जानते हैं टेलीविज़न के फायदे और नुक्सान Advantages and Disadvantages of Television in Hindi. अगर आप टेलीविज़न के लाभ और हानि पर निबंध पढ़ना चाहते हैं तो इस लेख को पढ़ सकते हैं। इस लेख मे हमने टीवी के सही उपयोग के बारे मे पूरी जानकारी हमने दी है?

Table of Content

प्रस्तावना Introduction

क्या आप जानते हैं दोस्तों कि टीवी देखने का भी एक समय होना चाहिए?

आईए एक-एक करके जानते हैं टेलीविज़न के लाभ और हानी (Advantages and Disadvantages of Television in Hindi) क्या हैं?.. .

टेलीविज़न के फायदे / लाभ Advantages of Television in Hindi

1. मनोरंजन का सबसे बेहतर ज़रिया best thing for entertainment, 2. खली समय आसानी से बीतता है pass the free time easily, 3. विश्व भर की जानकारी प्राप्त होती है we get news from around the world.

टेलीविज़न के माध्यम से हम विश्व भर की सभी जानकारियाँ प्राप्त कर पाते हैं तथा इससे हमको कई प्रकार का ज्ञान भी मिलता है। इस व्यस्त दुनिया में हम जब अपने पड़ोसियों के बारे में पूरी जानकारियाँ नहीं रख पा रहे हैं।

4. मन को आराम मिलता है Relax our Mind

5. बहुत कुछ सिखने को मिलता है people can learn a lot.

टेलीविज़न के माध्यम से भी लोग बहुत कुछ सीख सकते हैं। टीवी पर कई प्रकार के ज्ञान वर्धक प्रोग्राम भी टेलीकास्ट किये जाते हैं जिससे बच्चों और बड़ों दोनो का कई प्रकार के टॉपिक पर ज्ञान बढ़ता है।

6. अंग्रेजी सीखने में मदद Helps in English Language Learning

7. परिवार के साथ समय spend time with family.

परिवार को एकजुट होकर समय बिताने में टेलीविज़न सबसे ज्यादा मदद करता है। दोपहर या रात के समय जब सभी परिवार के लोग अपने काम से थोड़ा आराम करने के लिए समय निकालते हैं उस समय परिवार के लोग मिलजुल कर टीवी देखते हैं जो कि एक अच्छी बात है। अपने बाकी काम-धाम के साथ साथ परिवार को भी समय देना चाहिए जिसमें टेलीविज़न एक अच्छा उपकरण माना गया है।

टेलीविज़न के नुकसान / हानि Disadvantages of Television in Hindi

1. समय की बर्बादी spoil the time, 2. आंखों के लिए बुरा not good for eyes.

कई शोधकर्ताओं ने पाया है कि लंबे समय तक टेलीविज़न देखने से आंखे खराब भी हो सकती हैं इसलिए टेलीविज़न देखने का भी एक निर्धारित समय होना चाहिए। सभी लोगों को टेलीविज़न को एकदम पास बैठ कर नहीं देखना चाहिए। किसी भी टेलीविज़न को देखने की सही दूरी  कम से कम टेक्नोलॉजी बढ़ते होती है।

3. बच्चों के लिए सभी प्रोग्राम सही नहीं Some Shows Are Not Good For Childrens

4. स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव health problems.

कुछ लोग टीवी देखते हुए खाना खाते हैं जिसके कारण वह जरुरत से ज्यादा खा लेते हैं और वही उनके मोटापे का कारण बनता है। कई देर तक एक ही मुद्रा में बैठने से भी हायपरटेंशन या ह्रदय रोग होने का खतरा रहता है।

5. परिवार को समय ना देना No Time for Family

Conclusion निष्कर्ष.

आशा करते हैं आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ जरूरी जानकारी मिली होगी। अगर आपको हमारा यह पोस्ट ‘टेलीविज़न के फायदे और नुक्सान Advantages and Disadvantages of Television in Hindi’ अच्छा लगा तो अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर शेयर करें और हमें सपोर्ट करें।

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टेलीविजन/दूरदर्शन पर निबंध

television disadvantages essay in hindi

By विकास सिंह

television essay in hindi

टेलीविजन मानव जाति के सबसे महान आविष्कारों में से एक है। 1927 में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन के आविष्कार के बाद से, टेलीविजन ने आकार और आकार के साथ-साथ ट्रांसमिशन तकनीक और तस्वीर की गुणवत्ता के मामले में कई बदलाव किए हैं।

विषय-सूचि

टेलीविजन पर निबंध, television essay in hindi (200 शब्द)

आज एक टेलीविजन दुनिया भर में लगभग हर घर में पाया जाता है। अमीर, गरीब सभी के पास है और यह उनकी सबसे मनोरंजक संपत्ति है। हालाँकि, आज हम जो टेलीविज़न देखते हैं, वह अपने पूर्ववर्ती से कई मायनों में पूरी तरह से अलग है।

पहले टेलीविजन बहुत बुनियादी थे और 1800 के दशक की शुरुआत में दिखाई देने लगे। हालांकि, वे अल्पविकसित थे और पूरी तरह से यांत्रिक सिद्धांतों पर काम करते थे। इस अवधारणा में एक छवि को स्कैन करना और फिर इसे स्क्रीन पर प्रसारित करना शामिल था। एक बड़ी सफलता तब मिली जब 1907 में एक रूसी बोरिस रोसिंग और इंग्लिश ए। कैंपबेल स्विंटन।

दुनिया का पहला इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन 1927 में एक 21 वर्षीय आविष्कारक – फिलो टेलर फ़ार्नस्वर्थ द्वारा आविष्कार किया गया था। उन्होंने स्क्रीन के साथ डिवाइस को दूरस्थ रूप से संचारित करने के लिए रेडियो तरंग प्रौद्योगिकी का उपयोग किया। उनकी तकनीक यांत्रिक टीवी अवधारणा से आगे थी।

आज, टेलीविजन सबसे महत्वपूर्ण घरेलू उपकरण बन गया है, इतना है कि एक टेलीविजन सेट के बिना एक घर को स्पॉट करना लगभग असंभव है। यह मनोरंजन के उद्देश्य के लिए बहुत अच्छा है और वास्तव में जानकारीपूर्ण भी हो सकता है, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं जैसे व्यसन, स्पष्ट और हिंसक सामग्री, किसी व्यक्ति पर सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव आदि।

दूरदर्शन पर निबंध, television essay in hindi (300 शब्द)

प्रस्तावना :.

टेलीविजन वास्तव में शिक्षा का एक बड़ा स्रोत हो सकता है यदि केवल सूचनात्मक और ज्ञान आधारित चैनल देखे या सदस्यता लिए जाते हैं। विभिन्न चैनल हैं जो स्कूल और कॉलेज जाने वाले छात्रों के लिए शैक्षिक कार्यक्रम प्रदान करते हैं। छात्रों के लिए विशिष्ट विषयों पर आधारित ट्यूटोरियल चैनल भी हैं। एक टेलीविजन में विभिन्न प्रकार के दर्शकों को पूरा करने के लिए विभिन्न प्रकार के शैक्षिक कार्यक्रम होते हैं। इसमें बच्चों, युवाओं और बूढ़ों के लिए शैक्षिक कार्यक्रम हैं।

शिक्षा में टेलीविजन की भूमिका :

शिक्षा भवन में टेलीविजन की भूमिका को दुनिया भर के कई देशों ने स्वीकार किया है। यह औपचारिक और गैर-औपचारिक शिक्षा दोनों को प्रभावी ढंग से सिखाने के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग किया जाता है। एक टेलीविजन स्कूली पाठ्यक्रम के साथ सिंक्रनाइज़ किया जा सकता था और एक विशिष्ट विषय को पढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता था।

टेलीविजन उन युवाओं और वयस्कों के लिए भी गैर-औपचारिक शिक्षा को प्रभावी ढंग से प्राप्त करने का एक प्रभावी तरीका है, जिनके पास औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने का मौका नहीं है। यह प्रभावी रूप से कौशल प्रदान कर सकता है, व्यावसायिक प्रशिक्षण और अन्य आवश्यक सांस्कृतिक और नागरिक शिक्षा प्रदान करता है, जब इसे ठीक से उपयोग किया जाता है।

शैक्षिक टेलीविजन कार्यक्रम :

न्यूटन के गति के नियमों को समझने के लिए स्कूल के घंटों के बाद आज आपको अपने भौतिकी के शिक्षक से संपर्क करने की आवश्यकता नहीं है। आपको बस अपने टेलीविजन में शैक्षिक अनुभाग पर जाने और भौतिकी में कई ट्यूटोरियल कार्यक्रमों से चयन करने की आवश्यकता है।

विषय उन्मुख कार्यक्रमों के बावजूद, एक टेलीविजन विभिन्न अन्य गैर-औपचारिक शिक्षा कार्यक्रम प्रदान करता है जो विषय के अलावा अन्य मुद्दों पर आपके समग्र ज्ञान को बढ़ाता है। कुछ उदाहरणों को बताने के लिए इतिहास चैनल, डिस्कवरी चैनल, नेशनल जियोग्राफिक चैनल और अन्य विभिन्न विज्ञान आधारित चैनल शिक्षा प्रदान करने का एक बड़ा काम करते हैं।

निष्कर्ष :

शिक्षा भवन में टेलीविजन की भूमिका को दुनिया भर में व्यापक रूप से स्वीकार किया जा रहा है। विश्व के कुछ दूरस्थ कोनों में भी टेलीविजन की उपलब्धता टेलीविजन के माध्यम से शिक्षा के लिए एक अतिरिक्त लाभ है। लोग, जिनके पास औपचारिक शिक्षा या स्कूल की अवधारणा तक पहुंच की कमी है, टेलीविजन शैक्षिक कार्यक्रमों में आशा की एक झलक है।

टेलीविजन पर निबंध, Essay on television in hindi (350 शब्द)

टेलीविज़न एक श्रव्य दृश्य मशीन है जो विभिन्न कार्यक्रमों के रूप में, हवा के माध्यम से प्रसारित, रेडियो संकेतों के रूप में, आपके टेलीविज़न को प्राप्त करने के लिए मनोरंजन प्रदान करती है। दूसरी ओर पुस्तकों में कोई भी इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल नहीं है और उनके संभावित पाठक द्वारा पढ़े जाने और उन्हें उपयोगी जानकारी देने या उनका मनोरंजन करने के उद्देश्य से मुद्रित पृष्ठ हैं।

क्या टेलीविजन पुस्तकों से बेहतर है?

दोनों, किताबें और टेलीविजन सूचना विनिमय के दो अलग-अलग तरीके हैं, जिसका उद्देश्य उपयोगकर्ता को उपयोगी या कभी-कभी फर्जी जानकारी प्रदान करना और उसका मनोरंजन करना है। लेकिन जिस वातावरण में उनका उपयोग किया जाता है और जो प्रभाव उनके संबंधित उपयोगकर्ताओं पर होता है वह बिल्कुल अलग होता है।

सामान्य घर में टेलीविज़न को आम तौर पर सामान्य स्थान पर रखा जाता है-एक ऐसी जगह जहाँ परिवार, दोस्त या आने वाले रिश्तेदार इकट्ठा होते हैं। लोग टेलीविज़न के सामने, अपने पसंदीदा शो देखने के लिए, या सिर्फ न्यूज़ सुनने के लिए मिलते हैं। जो भी कारण हो सकता है, टीवी केवल एक अल्पकालिक मनोरंजन विकल्प है जो आपको समाचार सुनने के अलावा बहुत उपयोगी जानकारी प्रदान नहीं करता है।

टेलीविज़न के विपरीत किताबें मौन में पढ़ी जानी हैं, हर शब्द, हर वाक्य पर ज़ोर देना और इसे धीरे-धीरे अपनी आँखों के माध्यम से अपनी स्मृति में रिसने देना है, जबकि आप अपनी पसंदीदा कुर्सी पर आराम से या अपने बिस्तर पर लेट जाते हैं। पुस्तकें पढ़ना एक आध्यात्मिक अभ्यास की तरह है, जो आपकी इच्छा को शांत लेकिन प्रभावी तरीके से मनोरंजन करता है।

दूसरी ओर टेलीविजन देखना, कुछ समय बाद आपको तनाव और शांति की तलाश में छोड़ देगा। टीवी धीरे-धीरे आपकी आंतरिक शांति और शांति को छोड़ देता है, जिससे आप तनावग्रस्त और भड़क जाते हैं। टीवी आपके साथ जो कुछ भी करता है, किताबें उसके ठीक विपरीत करती हैं।

अपनी पसंदीदा कुर्सी पर बैठकर चुप्पी में एक पसंदीदा पुस्तक पढ़ने से आपकी आत्मा और मन को आराम मिलेगा, और जितना अधिक आप पढ़ेंगे, उतना ही आप सामग्री और जानकारी महसूस करेंगे।

अगर एक सवाल- क्या टेलीविजन किताबों से बेहतर है? मुझसे पूछा गया, मेरा उत्तर हमेशा स्पष्ट किए गए कारणों के लिए “नहीं” होगा। मैं हमेशा अपने पसंदीदा माहौल में चुपचाप पढ़ने का विकल्प चुनूंगा, बजाय टेलीविजन के शोर और हंगामे के।

दूरदर्शन की उपयोगिता पर निबंध, television essay in hindi (400 शब्द)

आज, टेलीविजन दुनिया भर में अरबों घरों में पाया जाता है। वैश्विक आंकड़ों के अनुसार, कुल घरों के लगभग 79% में कम से कम एक टीवी सेट है। इस तरह की अपार लोकप्रियता और स्वीकार्यता के साथ टेलीविजन ने व्यक्तियों और यहां तक ​​कि समाजों को भी प्रभावित किया है। इस निबंध में हम निष्कर्ष के साथ समाप्त होने वाले टेलीविजन के वरदान और बैन कारकों पर चर्चा करेंगे।

टेलीविजन एक वरदान के रूप में :

टेलीविजन, जब ठीक से उपयोग किया जाता है ज्ञान और सूचना के साथ-साथ मनोरंजन का सबसे अच्छा स्रोत है। हमारे जीवन में टेलीविजन की उपयोगिता को सही ठहराने के कई तरीके हैं। सबसे पहले, यह मनोरंजन का सबसे प्राथमिक और सबसे लोकप्रिय स्रोत है।

यह कई मनोरंजन कार्यक्रम प्रदान करता है, जिसमें दैनिक साबुन, गायन और नृत्य प्रतियोगिताएं, समाचार चैनल, मूवी चैनल, विज्ञान और कथा चैनल, व्यवसाय चैनल, ऑटोमोबाइल चैनल और बहुत कुछ शामिल हैं। इसके अलावा, आप इन चैनलों को अपनी पसंद की भाषा में देख सकते हैं।

मनोरंजक होने के अलावा, टेलीविजन शिक्षा और जानकारी हासिल करने का एक साधन भी है। स्कूल और कॉलेज जाने वाले छात्रों के साथ-साथ पीएचडी स्तर के छात्रों के लिए विषय पर आधारित विभिन्न चैनल हैं।

हर महत्वपूर्ण राजनीतिक, सामाजिक और शैक्षणिक कार्यक्रम को कवर करते हुए दुनिया के विभिन्न कोनों से लाइव समाचार चलाने वाले कई न्यूज चैनल हैं। एक टेलीविजन सेट हमारे घरों के आराम में इस उपयोगी जानकारी के सभी प्रदान करता है, इस प्रकार साबित होता है कि टेलीविजन मानवता के लिए एक वरदान है।

टेलीविज़न एक अभिशाप के रूप में :

सभी लाभों के बावजूद जो टेलीविजन को मानव जाति के लिए एक वरदान बनाते हैं, टेलीविजन के कुछ लक्षण भी हैं जो इसे वास्तव में कष्टप्रद बना सकते हैं। टेलिविज़न की बात करें तो कष्टप्रद और हमारे दिमाग में आने वाली पहली चीज़ शोर है। जब आप अध्ययन करने या सोने की कोशिश कर रहे हों तो अगले कमरे से आने वाले अत्यधिक भावपूर्ण साबुन ओपेरा की आवाज काफी निराशाजनक और कष्टप्रद हो सकती है।

इसके अलावा, एक टेलीविजन भी वयस्क और हिंसक कार्यक्रमों को प्रसारित करता है जो युवाओं के लिए वास्तव में भ्रामक हो सकता है। ऐसी दुर्भावनापूर्ण सामग्री के संपर्क में आने से युवाओं के व्यक्तित्व और सामाजिक कौशल पर असर पड़ता है, जो अक्सर उन्हें घमंडी, शत्रुतापूर्ण, भ्रष्ट, हिंसक और सामाजिक रूप से अस्पष्ट बना देता है।

इसके अलावा, टेलीविजन की लत एक अतिरिक्त नुकसान है जो उल्लिखित प्रभावों के साथ टेलीविजन को मानवता के लिए एक प्रतिबंध बना देता है।

उपरोक्त स्पष्टीकरण के संबंध में, यह स्थापित किया गया है कि टेलीविजन मानवता के लिए एक वरदान और प्रतिबंध दोनों है। हम टेलीविज़न का उपयोग कैसे करते हैं, यह एक बैन या वरदान होने के बीच सभी अंतर को दर्शाता है।

जब सूचना और ज्ञान के उद्देश्य के लिए विशुद्ध रूप से इसका उपयोग किया जाता है तो यह एक वरदान है, जबकि, जब एक सीमा से परे मनोरंजन उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाता है, तो यह एक प्रतिबंध में बदल सकता है।

टेलीविजन समाज के लिए हानिकारक निबंध, essay on television in hindi (450 शब्द)

टेलीविज़न एक ऑडियो विज़ुअल डिवाइस है जो हवा के माध्यम से प्रसारित विभिन्न दृश्य कार्यक्रमों के माध्यम से आपका मनोरंजन करता है। यह जो जानकारी प्रदान करता है वह हमेशा उपयोगी नहीं होता है, हालांकि यह बहुत हद तक उपयोगकर्ता पर निर्भर करता है।

टेलीविजन की स्थापना के बाद से सभ्यता पर व्यापक प्रभाव पड़ता है, स्वास्थ्य से लेकर सामाजिक और कभी-कभी मनोवैज्ञानिक तक। यद्यपि यह जानकारी का एक स्रोत है, लेकिन टेलीविज़न के लगातार उपयोग ने कई चिकित्सा स्थितियों और सामाजिक ताने-बाने में भारी बदलाव ला दिया है।

टेलीविजन सोसाइटी के लिए हानिकारक है :

आज की युवा पीढ़ी को मायोपिक दृष्टि (ऐसी चिकित्सा स्थिति जिसमें व्यक्ति अपनी सामान्य दृष्टि खो देता है) को सलाह से अधिक समय तक टेलीविजन देखने के परिणामस्वरूप अधिक संवेदनशील होता है। अधिक समय तक या अधिक समय तक टीवी देखने से भी थकी हुई आँखें, सिरदर्द और खोई एकाग्रता दिखाई देती है।

पिछले कुछ वर्षों में टीवी देखने के परिणामस्वरूप दृश्य विकारों, खोई एकाग्रता और सिरदर्द से पीड़ित बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई है। उनकी आंखों की दृष्टि को घायल करने के अलावा, टीवी धीरे-धीरे उन्हें निष्क्रिय कर देता है और उन्हें अंतर्मुखी में बदल देता है।

बाहर जाने और खेलने के बजाय, अन्य बच्चों के साथ घुलमिल कर, नए दोस्त बनाने के बाद, वे निश्चिंत होकर बैठते हैं और घंटों टीवी देखते हैं। टीवी ने उनके समग्र व्यक्तित्व पर जो प्रभाव डाला है, उसकी कल्पना करना बहुत कठिन नहीं है। टेलीविज़न मूल रूप से मज़ेदार, आउटगोइंग, थोड़े उत्साही उत्साही लोगों को गूंगा, नेत्रहीन और अंतर्मुखी बच्चों में बदल देता है।

टीवी आह ने भी समाज को उसी तरह से प्रभावित किया जैसे उसने बच्चों को प्रभावित किया है। आज अगर आप शाम को अपने शहर, शहर या गाँव में किसी भी इलाके में जाते हैं, तो आपको घरों से आने वाली अलग-अलग आवाजों के साथ बंद दरवाजे मिलेंगे। अपने खाली समय में सामाजिककरण के बजाय, लोगों ने टीवी पर अपने पसंदीदा कार्यक्रम को देखने के लिए लिया है, जो बिल्कुल भी कोई सूचनात्मक मूल्य प्रदान नहीं करता है।

पिछले वर्षों में, जब कोई टीवी नहीं था, लोग अपना समय सामाजिक रूप से व्यतीत करते हैं, एक दूसरे के स्वास्थ्य और कल्याण के बारे में पूछते हैं, अपनी पसंदीदा पुस्तकों या समाचार पत्रों को पढ़ते हैं, खेल खेलते हैं और ज़रूरत के समय में एक दूसरे की मदद करते हैं। अब टीवी के आविष्कार के साथ, समाजीकरण के सभी दरवाजे बंद हो गए और लोग चुपचाप अपने बंद दरवाजों के पीछे टीवी देख रहे हैं, जबकि वहाँ पड़ोसी मदद की तलाश कर रहे हैं।

टीवी का सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों की तुलना में अधिक गंभीर है। यदि हम अपने बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य की कामना करते हैं और उन्हें एक स्वस्थ और संतुष्ट जीवन देना चाहते हैं, तो हमें सख्त पहल करने और टीवी देखने के रिवाज को बदलने की जरूरत है।

अपने घर में टीवी देखने के लिए कम समय निर्धारित करें और अपने बच्चे को टीवी देखने न दें। उसे बाहर जाने और खेलने के लिए प्रोत्साहित करें, उसे नए दोस्त बनाने, उसे पढ़ने के लिए नई किताबें लाने और एक जिम्मेदार माता-पिता बनने के लिए कहें।

टेलीविजन के लाभ और हानि पर निबंध, advantages and disadvantages of television essay in hindi (500 शब्द)

टेलीविजन मनोरंजन और सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए सबसे व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला और सबसे लोकप्रिय ऑडियो विजुअल डिवाइस है। व्यापक स्वीकार्यता ने टेलीविजन को एक घरेलू नाम बना दिया है और इसकी लोकप्रियता उम्र और वर्गों में कटौती कर रही है।

हालाँकि, अपरिपक्वता और कोमलता के कारण, टेलीविजन के नकारात्मक प्रभाव के कारण युवा अधिक कमजोर होते हैं। निम्नलिखित निबंध में हम इस बात पर चर्चा करेंगे कि कैसे टेलीविजन युवाओं के दिमाग को दूषित कर रहा है और इसे खत्म करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।

टेलीविजन युवाओं के दिमाग को कैसे दूषित कर रहा है?

सबसे पहले, अगर सूचनात्मक या ज्ञान के उद्देश्य से नहीं देखा जाता है तो टेलीविजन देखना समय की बर्बादी हो सकती है। कई टेलीविजन कार्यक्रमों में अनुचित वयस्क सामग्री, किशोर हिंसा, नशीली दवाओं के दुरुपयोग, यौन और अन्य समान अपराधों, अवांछनीय भाषा, धमकाने आदि को दिखाया गया है।

इसके अलावा, आज दिखाए जाने वाली अधिकांश फिल्मों में हिंसा और रक्तपात की उच्च डिग्री होती है। इस तरह के कार्यक्रम युवाओं के मनोवैज्ञानिक और सामाजिक व्यवहार को बेहद प्रभावित करते हैं।

हिंसक और भ्रष्ट कार्यक्रमों का अनियंत्रित प्रदर्शन युवाओं को अहंकारी, हिंसक और भ्रष्ट आचरण का शिकार बनाता है। उदाहरण के लिए, अपराध आधारित धारावाहिक या फिल्में देखना युवाओं के अपरिपक्व दिमागों को समान भ्रष्ट प्रथाओं का पालन करना है। इसके अलावा, किशोर ईव टीजिंग और स्टेकिंग जैसी अवांछनीय गतिविधियों की नकल करते हैं, जैसा कि कई कार्यक्रमों और फिल्मों में दिखाया गया है।

इसके अलावा, धूम्रपान और शराब की खपत टेलीविजन कार्यक्रमों में दिखाई जाने वाली सबसे आम गतिविधियों में से कुछ हैं। इस तरह की गतिविधियों का किशोरों पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है, जो उन्हें मर्दानगी से संबंधित करते हैं। किसी तरह, वे मानते हैं कि वे केवल एक पूर्ण पुरुष हो सकते हैं यदि वे धूम्रपान करते हैं और साथ ही साथ टेलीविजन पर अभिनेताओं के रूप में शराब का सेवन करते हैं।

टेलीविजन के बीमार प्रभावों से युवाओं को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक उपाय :

टेलीविजन के प्रभाव से युवाओं को सुरक्षित रखने के लिए सबसे प्रभावी तरीका उन्हें सीमित पहुंच प्रदान करना है। इसके अलावा, उन चैनलों पर प्रतिबंध होना चाहिए जो वे देखते हैं और उन्हें केवल जानकारीपूर्ण और ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों को देखने की अनुमति होनी चाहिए। युवाओं द्वारा दुर्भावनापूर्ण और हिंसक सामग्री देखना सख्त वर्जित होना चाहिए।

माता-पिता और अभिभावकों को अपने वार्ड के साथ अधिक संवाद होना चाहिए, अन्य मुद्दों के बीच टेलीविजन के अपमानजनक प्रभावों पर चर्चा करना चाहिए। बच्चों को सूचना और शिक्षा प्राप्त करने के लिए टेलीविजन का उपयोग करने के तरीके के बारे में बताया जाना चाहिए।

युवाओं को फायदों के साथ-साथ टेलीविज़न के नुकसानों के बारे में भी अच्छी तरह से बताया जाना चाहिए और यह भी कि टेलीविज़न पर अनुचित सामग्री को देखने से उनके व्यवहार और सामाजिक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और साथ ही उनके विचार और मनोबल को भी विकृत किया जाएगा।

इन दिनों टेलीविज़न के प्रभाव में बहुत से युवा बदमाशी, धूम्रपान, शराब का सेवन, अन्य भ्रष्ट आचरण कर रहे हैं।

टीवी पर सैकड़ों कार्यक्रम हैं जो युवाओं के दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। टीवी के दुष्प्रभाव से युवाओं को अलग रखने की जिम्मेदारी हम पर, बड़ों पर निर्भर करती है। इसलिए, यह हर अभिभावक की जिम्मेदारी है कि वह अपने वार्ड को टेलीविजन पर देख रहा है और किस तरह के चैनलों तक उनकी पहुंच है। यह केवल उचित मार्गदर्शन और बातचीत के माध्यम से है कि हम अपने युवाओं को टेलीविजन के हानिकारक प्रभावों से सुरक्षित रखने में सक्षम होंगे।

टेलीविजन के फायदे और नुकसान, advantages and disadvantages of television in hindi (600 शब्द)

टेलीविजन, बेहद लोकप्रिय होने के बावजूद, एक बार टीवी को “इडियट बॉक्स” कहा जाता था, क्योंकि तब यह कम जानकारीपूर्ण और अधिक मनोरंजक था। हालाँकि अब यह वैसा नहीं रहा है और इसमें हर तरह की सामग्री आ गयी है।

टेलीविज़न के फायदे:

टेलीविजन के फायदों की चर्चा नीचे दी गई है-

1) सस्ता मनोरंजन

टेलीविजन एक आम घर में उपलब्ध मनोरंजन का सबसे सस्ता साधन है। सूचना, शिक्षा, मनोरंजन, धर्म और अन्य विषयों पर विभिन्न कार्यक्रम चुनने के लिए विकल्पों का एक पूल प्रदान करते हैं, वह भी आपके घर के आराम में बैठे। विकल्प कभी जब्त नहीं होते हैं और आप कभी भी टेलीविजन के सामने ऊब नहीं होंगे।

2) शैक्षिक और सूचनात्मक

टेलीविजन शिक्षा और सूचना का अच्छा स्रोत है। एक विशिष्ट विषय के बारे में छात्रों को पढ़ाने के लिए समर्पित विभिन्न शैक्षिक चैनल हैं। 24 घंटे के समाचार चैनल आपको विश्व मामलों के बारे में जानकारी देते रहेंगे। वन्यजीव, विज्ञान और यात्रा पर आधारित चैनल आपका मनोरंजन करने के अलावा विभिन्न विषयों के बारे में आपके ज्ञान को बढ़ाते हैं।

3) कौशल विकास

कौशल विकास के लिए टेलीविजन एक प्रभावी साधन हो सकता है। खाना पकाने, ड्राइंग, गायन, नृत्य आदि जैसे कौशल के लिए समर्पित विभिन्न कार्यक्रम हैं। जो कोई भी इच्छा करता है, वह कार्यक्रम होस्ट द्वारा टेलीविजन पर इसे देखकर अपनी पसंद का कौशल सीख सकता है। अगर आपको खाना बनाने का शौक है तो आपको बस चैनल को स्विच करना होगा और माउथ वॉटरिंग व्यंजन बनाने होंगे जैसा कि आपका मेजबान निर्देश दे रहा है।

4) प्रेरक

कुछ टेलीविज़न कार्यक्रम किसी भी ज़रूरत के लिए प्रेरक हो सकते हैं। चैनल प्रेरक भाषण देते हैं और कक्षा के प्रेरक वक्ताओं में से कुछ के द्वारा टॉक शो करते हैं। उन्हें सुनकर निश्चित रूप से आप अंत में बहुत बेहतर महसूस करेंगे।

5) वाइड एक्सपोजर

टेलीविजन दुनिया के मुद्दों, समाचार, वन्य जीवन, विज्ञान और कथा, इतिहास, भूगोल, आगामी विश्व और राष्ट्रीय घटनाओं, खेल, शौक और बहुत कुछ से लेकर विभिन्न विषयों पर एक विस्तृत प्रदर्शन प्रदान करता है। इस तरह के विशाल जोखिम, अपने घर के आराम में बैठकर केवल टेलीविजन के कारण ही संभव है।

6) पारिवारिक संबंध

टेलीविजन भी पारिवारिक संबंधों को बढ़ाता है क्योंकि परिवार के सभी सदस्य एक फिल्म या अपने पसंदीदा खेल टूर्नामेंट को देखने के लिए एक साथ बैठते हैं।

टेलीविजन का नुकसान :

1) हिंसक और अनुचित सामग्री

यह टेलीविजन के सबसे प्रमुख नुकसानों में से एक है। एक टेलीविजन कई हिंसक सामग्री और अनुचित भाषाएं प्रदान करता है, जो युवाओं के साथ-साथ बड़ों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

2) स्वास्थ्य के लिए हानिकारक

टेलीविज़न के सामने अधिक समय तक बैठने से स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह कई जीवनशैली रोगों जैसे मधुमेह, रक्तचाप, मोटापा आदि का कारण है।

3) सामाजिक अस्पष्टता

टेलीविज़न के आदी व्यक्ति, अक्सर दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ सामाजिक व्यवहार करने से बचते हैं, जिससे खुद को अंतर्मुखी बना लेते हैं। ऐसे व्यक्ति भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाते हैं और अक्सर दूसरों के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार दिखाते हैं।

4) भावनात्मक कमजोरता

टेलीविजन पर बहुत अधिक नाटक देखने से आप भावनात्मक रूप से कमजोर हो सकते हैं। लोगों को उसी दर्द का सामना करना पड़ता है जब उनका पसंदीदा चरित्र मर जाता है, जैसा कि उन्होंने एक वास्तविक दोस्त को खोने पर महसूस किया होगा। इस तरह की भावनात्मक उथल-पुथल किसी व्यक्ति के मानसिक और समग्र स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है।

5) हिडन एजेंडा

विभिन्न व्यवसायों में टीवी विज्ञापनों के माध्यम से असुरक्षित ग्राहकों को लक्षित करने का एक छिपा हुआ एजेंडा है। प्रत्येक टीवी कार्यक्रम में विज्ञापन होते हैं, जहां निर्माता अपने उत्पादों के बारे में झूठे दावे और वादे करके ग्राहकों को लुभाने की कोशिश करते हैं।

6) गलत जानकारी

टेलीविजन पर समाचार चैनलों द्वारा जो जानकारी दी जाती है, वह प्रायः आधी सच ही होती है। इसके अलावा, नियमित रूप से वाणिज्यिक ब्रेक और इस मुद्दे को ग्लैमराइज करने का प्रयास, वास्तविक जानकारी को छिपाए रखता है और आपको भ्रमित और अंत में आश्चर्यचकित करता है।

7) अत्यधिक नशे की लत

टेलीविज़न अत्यधिक बनाने की आदत है और बच्चों को इसकी लत के प्रति अधिक संवेदनशील देखा जाता है। एक बार आदी होने के बाद, एक व्यक्ति अन्य शौक में सभी रुचि खो देता है और जब भी समय मिलता है तो वह हमेशा टेलीविजन देखना चाहता है।

टेलीविजन के फायदों को इसके नुकसान के बराबर तौला जाता है; हालाँकि इस पर लोगों की अलग-अलग राय हो सकती है। लेकिन, अंत में यह हम पर है, कि सूचना और ज्ञान प्राप्त करने के लिए बेवकूफ बॉक्स का उपयोग कैसे करें।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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टेलीविजन के फायदे और नुकसान पर निबंध Essay on television advantages and disadvantages in hindi

Essay on television advantages and disadvantages in hindi.

television ke labh aur hani in hindi- दोस्तों जमाना बदल रहा है इस जमाने में बहुत सी चीजें बदल रही हैं पहले के जमाने में मनुष्य के पास कोई भी खास मनोरंजन का साधन नहीं था लेकिन आधुनिक इस जमाने में मनोरंजन के कई सारे साधन बने जो मनुष्य के लिए काफी लाभदायक है।

Essay on television advantages and disadvantages in hindi

इन मनोरंजन के साधनों में अखबार, टेलीविजन, मोबाइल, फोन, इंटरनेट, सिनेमा आदि हैं इन सभी मनोरंजन के साधनों में से टेलीविजन भी हमारे मनोरंजन का सबसे प्रमुख साधन है। टेलीविजन आजकल घर-घर में देखा जाता है बच्चों और नौजवानों की यह पहली पसंद बन चुका है। बड़े बुजुर्ग या बच्चे जब भी फ्री होते हैं वह टेलीविजन देखने लगते हैं वह बोरियत महसूस करते हैं तो भी टेलीविजन देखने लगते हैं।

आजकल भले ही मनोरंजन के और भी कई साधन हैं लेकिन फिर भी मनोरंजन के साधनों के रूप में टेलीविजन का प्रयोग काफी होता रहता है लेकिन कहते हैं अगर कोई भी चीज हमारे लिए फायदेमंद होती हैं तो उससे हमारे लिए कुछ नुकसान भी होते हैं चलिए जानते हैं टेलीविजन के फायदे और नुकसान के बारे में

टेलीविजन के फायदे television advantages in hindi

टेलीविजन के कई सारे फायदे हैं जो हम निम्नलिखित बिंदुओं में जानेंगे

टेलीविजन एक सबसे अच्छा मनोरंजन का साधन बन चुका है इसके जरिए हम अपना मनोरंजन कर सकते हैं घर पर बैठे ही देश दुनिया की मनोरंजक खबरें प्राप्त कर सकते हैं और अपने समय को अच्छी तरह से व्यतीत कर सकते हैं। टेलीविजन बच्चों, बूढ़ों और नौजवानों के लिए मनोरंजक का प्रमुख साधन है घर में रहने वाली गृहणियों के लिए भी यह प्रमुख मनोरंजन का साधन है क्योंकि जब भी गृहणी घर में रहती हैं तो वह बोर होने लगती हैं। बच्चे स्कूल जाते हैं और पुरुष दिन में कार्य करने जाते हैं दिन में जब भी औरतें फ्री रहती हैं तो बोरिंग महसूस करने लगती हैं उनके लिए टेलीविजन सबसे अच्छा मनोरंजन का साधन साबित हुआ है।

बुजुर्ग लोग जो घर में अकेले रहते हैं या जिनका लड़का या बहू कहीं बाहर काम-काज करते हैं या उनको समय नहीं देते तो बुजुर्ग लोगों के लिए यह अकेलापन दूर करने का भी साधन है। घर की औरतें भी कभी-कभी जब अकेलापन दूर करती हैं तो टेलीविजन के साधन के जरिए वह अपना अकेलापन दूर करती हैं।

टेलीविजन एक मनोरंजन का साधन तो है ही साथ में यह हमें देश विदेश की जानकारी देता है टेलीविजन के जरिए हम देश की सभी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं कि हमारे देश में क्या हो रहा है, विदेशों की भी हम सभी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं टेलीविजन जनरल नॉलेज के लिए भी बहुत ही अच्छा साधन है।

घर में परिवार के साथ समय बिताने का भी टेलीविजन एक साधन है दरअसल टेलीविजन पर बहुत सारे ऐसे प्रोग्राम आते हैं जो लोग अपने परिवार के साथ देखते हैं घर में अगर एक ही TV होती है तो सभी परिवार के सदस्य दोपहर या शाम को एक साथ मिल जुलकर टेलीविज़न देखते हैं जिससे परिवार एकजुट होता है परिवार के सभी सदस्यों का एक साथ मिलकर मनोरंजन भी होता है और एक दूसरे के साथ समय भी व्यतीत होता है।

बहुत से लोग होते हैं जो इंग्लिश सीखना चाहते हैं लेकिन इंग्लिश सीखने के लिए जरूरी होता है कि हम हमारे चारों और अंग्रेजी का वातावरण बनाएं। बहुत से लोग अंग्रेजी बोले तो हमें भी अंग्रेजी सीखने में मदद मिलती है टेलीविजन एक अंग्रेजी सिखाने वाला एक अच्छा साधन है। आप कोई सा भी अंग्रेजी चैनल रोजाना देखिये, उससे सीखिए आप कुछ ही समय में अंग्रेजी बोलना सीख सकते हो इसके अलावा जो लोग बाहर के हैं जिन्हें हिंदी भाषा नहीं आती उनके लिए हिंदी भाषा सिखाने का भी एक अच्छा साधन टेलीविजन है कहने का तात्पर्य यह है कि टेलीविजन मनोरंजन के साथ में हमको भाषा भी सिखाता है।

टेलीविजन से नुकसान television disadvantages in hindi

जैसे कि हमने टेलीविजन के फायदों के बारे में जाना अब हम टेलीविजन से होने वाले नुकसान के बारे में जानेंगे। टेलीविजन भले ही एक अच्छा साधारण हो जिससे हम मनोरंजन कर सकते हैं, अपना अकेलापन दूर कर सकते हैं लेकिन इससे कई तरह के नुकसान भी हैं।

टेलीविजन का अगर हम अधिक उपयोग करें यानी अगर रोजाना हम अधिक समय तक इसको देखते हैं तो हमारी आंखों पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ता हमारी आंखें भी कमजोर हो सकती हैं इसलिए हमें टेलीविजन का उपयोग लिमिट में रहकर करना चाहिए ,जरूरत पड़ने पर ही इसका उपयोग करना चाहिए क्योंकि कोई भी चीज अगर फायदेमंद है तो उसका ज्यादा उपयोग करने से वह हमारे लिए सबसे ज्यादा नुकसानदायक भी होती है।

अगर हम जरूरत से ज्यादा टेलीविजन देखने लगते हैं तो हमें कई तरह की समस्याएं होती हैं स्वास्थ्य पर बहुत ही बुरा प्रभाव होने लगता है। किसी-किसी को रात में सही से नींद नहीं आती, चिड़चिड़ापन सा होता है अगर टेलीविजन की आदत लग जाती है तो वो सोना भी भूल जाता है और रात को भी TV देखता रहता है। बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं जो खाना खाते समय, नहाते समय भी टेलीविज़न देखते है इससे वास्तव में उनका समय तो बर्बाद होता ही है साथ में उनका जीवन भी बर्बाद होता है, उनका स्वास्थ्य बहुत ही खराब होता है इसलिए हमें टेलीविजन का कम से कम उपयोग करना चाहिए।

टेलीविजन पर कुछ अच्छे कार्यक्रम तो आते ही हैं लेकिन कुछ ऐसे कार्यक्रम भी आते हैं जिनका हमारे बच्चों पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। बच्चों को हम जो भी सिखाते हैं जिस तरह के भी वातावरण में रखते हैं वह उसी तरह का बनता जाता है। अगर टेलीविजन पर हम नियंत्रण ना रखें और हमारे बच्चे कुछ ऐसे शो देखने लगे जिनसे समाज की बुराइयों के बारे में, समाज के अनैतिक कार्यों के बारे में या क्राइम से संबंधित बातें या भड़कीले विज्ञापन दिखाए जाएं तो बच्चों के मस्तिष्क पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है और इसके वजह से उसका समय के साथ जीवन भी बर्बाद हो सकता है।

कुछ लोग जो टेलीविजन का ज्यादा उपयोग करते हैं वह यह भी भूल जाते हैं कि टेलीविजन से भी बढ़कर उनका परिवार होता है वह टेलीविजन को हद से ज्यादा समय देते हैं और अपने परिवार को बिल्कुल भी समय नहीं देते जिस वजह से उनके पारिवारिक संबंध भी अच्छे नहीं होते और परिवार में कई तरह की समस्याएं आती हैं इसलिए हमें टेलीविजन लिमिट में रहकर कम समय के लिए देखना चाहिए।

अगर आपके बच्चे कुछ ज्यादा ही टेलीविजन देखते हैं तो वह उनके लिए अच्छा नहीं है अगर टेलीविजन देखने की उनकी यह आदत होती है तो उनका सही से पढ़ाई में भी मन नहीं लगता। मां-बाप को चाहिए कि वह बच्चों का एक टाइम टेबल बनाएं,पढ़ाई का, खेल कूद का और कुछ समय टेलीविजन देखने का टाइम टेबल अगर होगा तो बच्चे उस टाइम टेबल के हिसाब से चलेंगे और अपने कीमती समय का सही उपयोग करेंगे वास्तव में टेलीविजन एक बहुत ही अच्छा मनोरंजन का साधन है इससे काफी सारे लाभ हैं लेकिन अगर इसका कुछ ज्यादा ही उपयोग हम करने लगे तो उससे एक नहीं बहुत सारे नुकसान भी हो सकते हैं इसलिए हमें टेलीविजन हद से ज्यादा नहीं देखना चाहिए।

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3 Hindi : 3 हिंदी

टेलीविजन (दूरदर्शन) से लाभ और हानि पर निबंध

टेलीविजन आजकल हम सब लोगों के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। टेलीविजन से हम लोगों को फायदा भी है और नुकसान भी है।

टेलीविजन से फायदा यह है कि हमें घर बैठे देश दुनिया के बारे में सारी जानकारियां मिल जाती हैं और हम उसे लाइव देख पाते हैं। टेलीविजन की मदद से हम देश दुनिया को अच्छी तरह समझ पाते हैं और अलग-अलग लोगों के विचारों को जान पाते हैं।

टेलीविजन मनोरंजन का एक महत्वपूर्ण साधन है। इसमें आने वाले नित्य नए प्रोग्राम धारावाहिक, म्यूजिक, मूवी वगैरह से लोगों को अत्यंत आनंद आता है और लोग अपना गम भूल पाते हैं। टीवी की वजह से घर के सारे लोग एक साथ बैठते हैं और एक दूसरे से बातें करते हैं। दूरदर्शन से कई लोगों को रोजगार मिला हुआ है और कई नए टैलेंट को टेलीविजन में काम करने का मौका मिलता है। इससे कई गरीब लोगों की गरीबी भी दूर होती है।

टेलीविजन का जितना फायदा है उतना ही ज्यादा नुकसान भी है। टेलीविजन से सबसे ज्यादा नुकसान लोगों के खासकर के विद्यार्थियों के समय की बर्बादी है। कई लोगों को टेलीविजन की बुरी लत लग चुकी है, वह कई घंटे तक टीवी के आगे बैठे रहते हैं और बेकार सब प्रोग्राम भी देखते रहते हैं। इनसे उनका समय तो बर्बाद होता ही है साथ में दिमाग पर भी बुरा असर पड़ता है और उन लोगों का दिमाग धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है।

टेलीविजन में आजकल ऐसे कई प्रोग्राम दिखाए जाते हैं जिन्हें घर के सारे लोग बैठकर एक साथ नहीं देख सकते हैं। इसका असर यह है कि लोगों को अपनी संस्कृति से ज्यादा अच्छी विदेशी संस्कृति लगने लगी है और वह लोग उनके फॉलोवर होते जा रहे हैं।

टेलीविजन की वजह से परिवार में विवाद भी बढ़ता जाता है। टेलीविजन में दिखाए गए दृश्य की वजह से लोगों में पैसों का लालच बढ़ता जा रहा है और वह किसी भी तरह के अपराध को करने के लिए प्रेरित होते हैं। टेलीविजन को आजकल इडियट बॉक्स भी कहा जाता है। इंटरनेट आने के बाद जिनके पास इंटरनेट की सुविधा है उन लोगों को टेलीविजन छोड़ इंटरनेट का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे उनका समय भी बचेगा और उनकी जरूरतें भी पूरी हो जाएगी।

(word count:350)

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टेलीविज़न के फायदे एवं नुक्सान- Advantages and Disadvantages of Television in Hindi

In this article, we are providing information about Television in Hindi- Advantages and Disadvantages of Television in Hindi Language. टेलीविज़न के फायदे एवं नुक्सान- Television Ke Labh Aur Hani

टेलीविज़न के फायदे एवं नुक्सान- Advantages and Disadvantages of Television in Hindi

आज का युग विग्यान का युग है जिसमें लोग चारों तरफ से तकनीक से जुड़े हुए है। दिन प्रतिदिन तकनीकी उपकरण सामने आ रहे हैं से टेलीविजन भी एक है और लोगों के लिए सबसे सस्ता और सरल मनोरंजन का साधन है। यह हर घर में पाया जाता है और बच्चों से लेकर बूढ़ो तक सब इसका प्रयोग करते हैं। हिंदी में इसे दुरदर्शन भी कहा जाता है जो हमें दुर की बाते बताता है।

टेलीविजन के लाभ (Advantages of Television in Hindi )

प्रौद्योगिकी के इस आविष्कार ने लोगों को समय व्यतीत करने का अच्छा उपाय दिया है और इसे होने वाले लाभ निम्नलिखित है–

1. मनोरंजन- टेलीविजन आज के समय में मनोरंजन का सबसे बड़ा सरल और सस्ता साधन है। यह बूढ़ो से लेकर बच्चों तक सबके लिए उनकी पसंद का चैनल लाता है और विभिन्न तरीके से उनका मनोरंजन करता है। 2. ग्यानवर्धक- टेलीविजन पर बहुत से ऐसे प्रोग्राम दिखाए जाते हैं जिनसे हमारे ग्यान में वृद्धि होती है और हमें कुछ नया सिखने को मिलता है। 3. जानकारी- टेलीविजन पर देश दुनिया की खबरे दिखाई जाती है जिसे हमें दुनिया में जो कुछ भी चल रहा उसकी जानकारी मिलती है। 4. अंग्रेजी सिखने में सहायक- टीवी पर बहुत से अंग्रेजी चैनल है जिनके माध्यम से हम आसानी से आसानी सिख सकते हैं। 5. समय व्यतीत- हम छुट्टी वाले दिन और बुढ़ै लोग टेलीविजन देखकर आसानी से अपना समय व्यतीत कर सकते हैं। 6. विग्यापन – टेलीविजन विग्यापन देने का भी बहुत अच्छा माध्यम है जिससे लोगों को बाजार में आने वाले नए नए उत्पादों के बारे में पता चल सके।

टेलीविजन से होने वाली हानियाँ ( Disadvantages of Television in Hindi )

टेलीवीजन ने जहाँ लोगों को बहुत सूख दिए है वहीं इसके ज्यादा प्रयोग से हानियाँ भी हुई है-

1. समय की बर्बादी- लोग टेलीविजन के आदि हो जाते है और सारा दिन टीवी ही देखते रहते है जिससे कि उनका समय ही बर्बाद होता है। 2. स्वास्थय पर नररात्मक प्रभाव- टेलीविजन देखने से आँखे खराब होती है और में दर्द रहता है। इसे देखते वक्त लगातार बैठने से कमर दर्द की समस्या भी उत्पन्न होती है। 3. परिवार में दुरी – सभी लोग टीवी में प्रोग्राम देखने में व्यस्त होते हैं उनके पास एक दुसरे के लिए समय भी नहीं होता है। 4. अगोपनीयता- टेलीविजन पर बहुत से ऐसे प्रोग्राम और विग्यापन जो 18 साल से कम उमर के बच्चों को नहीं देखना चाहिए।

हम सबको टेलीविजन का सीमित मात्रा में प्रयोग करना चाहिए और थोड़ी दुरी से ही देखना चाहिए।

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टेलीविजन पर निबंध / Essay on Television in Hindi

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टेलीविजन पर निबंध / Essay on Television in Hindi!

टेलीविजन को विज्ञान का एक अदभुत आविष्कार माना जाता है । इसको हिन्दी में दूरदर्शन कहा जाता है क्योंकि इसके द्वारा दूर की वस्तुओं के दर्शन होते हैं । दूरदर्शन पर दृश्यों को देखकर लगता है कि घटनाएँ दूर नहीं बल्कि आँखों के सामने घट रही हैं । जनता का मनोरंजन करने वाला तथा देश-दुनिया की खबर बताने वाला यह उपकरण आज बहुत लोकप्रिय हो गया है ।

टेलीविजन का आविष्कार वैज्ञानिक जे.एल.बेयर्ड ने किया था । शुरू-शुरू में इस पर केवल श्वेत-श्याम चित्र देखे जाते थे । अब इस पर रंग-बिरंगे चित्र भी देखे जा सकते हैं । लिया गया चित्र जिस रंग में है हमें वह चित्र उसी रंग में देखने को मिलता है । टेलीविजन पर कार्यक्रमों का प्रसारण इसके केन्द्र से होता है जो विभिन्न प्रसारण कर्त्ताओं द्वारा स्थान-स्थान पर बनाए गए हैं । इन केन्द्रों को स्टूडियो कहा जा सकता है । टेलीविजन पर कार्यक्रमों के प्रसारण में संचार उपग्रहों की मदद की जाती है । आजकल प्रसारण डिजिटल हो गए हैं जिससे दर्शकों को साफ-सुथरे चित्र देखने को मिलते हैं ।

टेलीविजन दर्शकों के लिए मनोरंजक कार्यक्रमों का एक बड़ा पैकेट लेकर आता है । दूसरे शब्दों में यह इतने तरह के मनोरंजक कार्यक्रमों को प्रस्तुत करता है कि दर्शक दुविधा में होते हैं कि किसे देखें और किसे छोड़ दें । यह दुविधा इसलिए कि पहले जहाँ एक ही चैनल सरकारी दूरदर्शन था वहीं अब सौ-दो सौ चैनल हैं । हर चैनल पर रात-दिन कुछ-न-कुछ चलता ही रहता है । कोई फिल्म दिखा रहा होता है तो कोई धारावाहिक । किसी पर मदारियों का खेल चल रहा है तो किसी पर नुक्कड़ शो । कोई सर्कस तो कोई जादू दिखा रहा है । किसी पर नाच-गाना चल रहा है तो किसी पर खेल का आँखों देखा हाल । समाचार सुनाने एवं दिखाने वाले भी कई चैनल हैं । एक ही खबर बार-बार सुनते-सुनते ऊब सी होने लगती है ।

टेलीविजन के आने से मनोरंजन की दुनिया में हलचल मच गई । जो लोग पहले सिनेमाघरों पर खिड़कीतोड़ भीड़ लगाते थे अब घर में टेलीविजन के सामने बैठकर फिल्मों का आनंद लेने लगे । बच्चों की तो चाँदी हो गई । वे कामिक्स के कार्टूनों से नजरें हटाकर टेलीविजन पर कार्टून धारावाहिक देखने लगे । गृहणियाँ दुपहरी में पड़ोसिनियों से मनोरंजक वार्ता छोड्‌कर टेलीविजन के सामने बैठकर सास-बहू की सीरियल देखने लगीं ।

छात्र एन.सी.इ.आर.टी. के शैक्षिक कार्यक्रमों को घर बैठे देखकर पाठ्‌य-क्रमों की समझ बढ़ाने लगे । बौद्धिक मिजाज के लोगों को मनोरंजक अंदाज

ADVERTISEMENTS:

में प्रस्तुत की गई खबरों के प्रति लौ लग गई । वृद्ध टेलीविजन के माध्यम से आध्यात्मिक जगत में पहुँच गए । उनकी धार्मिक आस्था मजबूत दिखाई देने लगी ।

तात्पर्य यह कि टेलीविजन पर हर कोई अपने लायक कार्यक्रमों को ढूँढ ही लेता है ।

दैनिक जीवन में अनेक समस्याएँ हैं । कामकाजी व्यक्ति दिनभर की उलझनों को सुलझाते थक जाता है । शाम को कुछ देर टेलीविजन देखकर वह अपना मनोरंजन करता है । विद्‌यार्थियों को इसके माध्यम से ज्ञान की अनेक बातें सीखने को मिलती हैं । किसानों को मौसम की खबर मिलती है । वे अच्छी फसल प्राप्त करने की विधियाँ सीखते हैं । गृहणियाँ गृह-कौशल की तकनीकें सीखती हैं । टेलीविजन पर आम महत्त्व की सूचनाएँ प्रसारित की जाती हैं । इसके माध्यम से पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलती है । ओलंपिक खेलों, एशियाई खेलों तथा अन्य महत्त्वपूर्ण खेलों की प्रतियोगिताओं को देखकर युवा खेलों के प्रति आकर्षित होते हैं ।

टेलीविजन अब घर-घर की जरूरी वस्तु बन गई है । टेलीविजन के सेट के साथ अब केबल जोड़ा जाता है जिसके द्वारा विभिन्न प्रकार के चैनलों को देखा जा सकता है । इस सेवा के बदले उपभोक्ताओं से मासिक फीस वसूली जाती है । वैसे लोग अब एक कदम और आगे बढ्‌कर डी.टी.एच. के युग में प्रवेश कर गए हैं । डी.टी.एच. अर्थात् ‘ डायरेक्ट टु होम ‘ सेवा से बिना केबल के ही विभिन्न चैनलों को देखने की व्यवस्था की जाती है । इसके लिए घर में एक सैट टॉप बॉक्स लगाना पड़ता है ।

टेलीविजन के अनेक लाभ हैं तो कुछ हानियाँ भी हैं । यह लोगों को मनोरंजन की अधिकता के युग में ले गया है । अधिक टेलीविजन देखने से आँखों की तथा दिमाग संबंधी अनेक परेशानियाँ उत्पन्न होती हैं। बैठे-बैठे घंटों टेलीविजन देखना शारीरिक थकान एवं सुस्ती को जन्म देता है । लोगों का जो समय पहले सामाजिक कार्यों में व्यय होता था वह अब टेलीविजन की भेंट चढ़ रहा है । बच्चे खेल खेलने के बजाय टेलीविजन से चिपककर बैठे देखे जा सकते हैं । इसलिए किसी प्रकार की अति से बचकर लोगों को निर्धारित समय पर ही टेलीविजन देखना चाहिए ।

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Essay on television in hindi (tv) टेलीविजन पर निबंध.

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Essay on Television in Hindi

टेलीविजन पर निबंध

विज्ञान के हर क्षेत्र में प्रगति कर रहे वैज्ञानिकों ने अनेक अदभुत् सफलताएं प्राप्त की हैं। टैलीविजन भी ऐसी ही एक उपलब्धि है। टैली का अर्थ है दूर और विज़न का अर्थ है दृष्टि अर्थात् ऐसा उपकरण जिसके द्वारा दूर घटने वाली घटनाएं देखी जा सकें। हिन्दी में इसका ‘दूरदर्शन’ नाम अत्यन्त उपयुक्त है।

स्काटलैण्ड के एक वैज्ञानिक ने 1926 में एटलांटिक सागर के पार चित्र भेजे थे, वही टैलीविज़न का सूत्रपात था। रेडियो और सिनेमा दोनों का मिला-जुला रूप टेलीविज़न है। टैलीविजन ने आज मनोरंजन के साधनों में सर्वप्रथम स्थान प्राप्त कर लिया है। इस पर अनेक प्रकार के मनोरंजन कार्यक्रम आते रहते हैं। पहले सिनेमा देखने के लिये लोगों को घर से बाहर जाना पड़ता था। टिकट लेने पर पैसे तो खर्च करने ही पड़ते थे साथ ही भीड़ होने पर लाइन में भी खड़ा होना पड़ता था। टिकट न मिलने पर निराश होकर घर लौट आते थे। अब टैलीविज़न पर घर बैठे ही फिल्में देखी जा सकती हैं। हमारे देश में विदेशी फिल्मों के अतिरिक्त अपनी फिल्में भी टैलीविज़न पर दिखाई जाती हैं।

टैलीविज़न द्वारा शिक्षा के प्रसार में भी बहुत सहायता मिलती है। रेडियो पर सुनाई विधि तो भूल सकती है किन्तु टेलीविज़न पर क्रियात्मक रूप से करके दिखलाया गया कार्य बड़ी सरलता से समझ में आ जाता है और थोड़े किये भूलता भी नहीं। स्कूलों और कालिजों के विद्यार्थियों के प्रशिक्षण के लिए यह एक सशक्त और सफल साधन है। टैलीविज़न द्वारा खेतीबाड़ी की विधियां भी किसानों को समझाई जाती हैं। यदि प्रत्येक पंचायत को सरकार द्वारा एक-एक सैट दे दिया जाये या पंचायतें स्वयं खरीद लें तो इससे किसान भाइयों को बहुत लाभ पहुंच सकता है। साथ ही नई विधियों द्वारा अन्न, फल और सब्जियों के उत्पादन को भी बढ़ाया जा सकता है। टैलीविज़न द्वारा नृत्य, संगीत और खेलों का भी समुचित प्रशिक्षण दिया जा सकता है। सामान्य जनता को परिवार नियोजन के साधनों एवम् लाभों से परिचित करवा कर जनसंख्या की वृद्धि पर नियंत्रण किया जा सकता है। आम रोगों और उनके बचाव आदि के कार्यक्रम प्रदर्शित करके जनता को स्वस्थ्य बनाया जा सकता है और औषधियों पर खर्च होने वाले रुपये को अन्य विकास कार्यों में लगाया जा सकता है।

भारत जैसे विशाल देश में टैलीविज़न भावनात्मक एकता भी ला सकता है। टैलीविज़न द्वारा महान् नेताओं, लेखकों, अभिनेताओं, विदेशी नेताओं या कलाकारों से मानो एक प्रकार का साक्षात्कार ही हो जाता है। विविध मैचों आदि के प्रदर्शन की भी व्यवस्था होती है। समाचार भी सुनाये जाते हैं और राष्ट्रपति तथा प्रधानमन्त्री आदि के भाषणों को भी हम टैलीविज़न पर देख और सुन सकते हैं।

टैलीविज़न ने बच्चों के बौद्धिक और मानसिक विकास में बहुत सहायता दी है। जिन घरों में टैलीविज़न सैट हैं, उन घरों के बच्चों का सामान्य ज्ञान अन्य बच्चों की तुलना में बहुत विकसित है।

जहां टैलीविज़न के लाभ हैं वहां कुछ हानियां भी हैं। पिछले दिनों दिल्ली के एक डाक्टर ने चेतावनी दी थी कि छोटे बच्चों को टैलीविज़न नहीं देखना चाहिए, क्योंकि इससे बच्चों के स्नायु संस्थान पर बुरा प्रभाव पड़ता है और उनको मिरगी जैसे दौरे पड़ने लगते हैं। टैलीविज़न से ज्ञान चाहे बढ़ता है, किन्तु जो बच्चे रात को अधिक देर तक टैलीविजन देखते रहते हैं वे प्राय: स्कूल या कालिज की शिक्षा में पिछड़ जाते हैं क्योंकि वे अपनी पढ़ाई की ओर पूरा ध्यान नहीं देते।

आधुनिक टैलीविज़न का जन्म इंग्लैंड के वैज्ञानिक जॉन एल. बेयर्ड ने 1925 में किया। धीरे-धीरे अन्य वैज्ञानिकों के सहयोग से इसकी तकनीक में सुधार एवं परिवर्तन किए जाने लगे। 1951 में दिल्ली में प्रथम दूरदर्शन केन्द्र स्थापित किया गया। 1965 में सार्वजनिक प्रसारण हुए लेकिन इनकी प्रसारण-क्षेत्र सीमा बहुत कम थी। 1975 में उपग्रह की सहायता से प्रसारण क्षेत्र में विस्तार हुआ तो अन्य शहरों तक पहुंचा। अब प्रसारण की समय सीमा 24 घण्टे है तथा क्षेत्र भी बढ़ गया है।

टैलीविज़न का सम्बन्ध पहले मनोरंजन के साथ था, परन्तु अब यह शिक्षा के क्षेत्र में भी सहायक हो रहा है। ग्रामीण किसानों के लिए यह खेती-बाड़ी में सहायता कर रहा है। व्यापारियों, कलाकारों, अध्यापकों को उनके विषयों की जानकारी देता है। कला-प्रेमियों को यह अनेक कलात्मक जानकारियां देता है। एक उपग्रह द्वारा 40% जनता को शिक्षित किया जा सकता है। आज इन्दिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी द्वारा जो शैक्षिक कार्यक्रम नैशनल चैनल पर प्रसारित होता है, वह विज्ञान, गणित तथा यू. जी. सी. परीक्षाओं के लिए बहुत लाभदायक है। चिकित्सा के क्षेत्र में दूरदर्शन का योगदान बहुत महत्त्वपूर्ण है। दवाईयों का बनाना, उनके ‘साल्ट’, उन की मात्रा, उनके उपयोग, उनकी हानियों आदि का पूरा विवरण टैलीविज़न पर दिया जाता है। शल्य-चिकित्सा क्षेत्र में दूरदर्शन पर बड़े-बड़े आप्रेशन दिखाए जाते हैं। मस्तिष्क, हृदय, गुर्दो का आप्रेशन भी सफलता से दिखाया जा चुका है।

कृषि के क्षेत्र में प्राप्त की जा रही सफलताओं को टैलीविज़न पर प्रदर्शित किया जाता है। किसानों को कृषि की नई-नई मशीनों, औज़ारों से परिचित कराया जाता है। मौसम की जानकारी किसानों को पहले से दे दी जाती है। इसी के अनुसार किसान अपनी खेती की देखभाल करते हैं।

टैलीविज़न द्वारा राष्ट्रीय, संस्कृतिक और भावात्मक एकता का प्रचार किया जाता है। एक प्रदेश का नागरिक जब दूसरे प्रदेश के सांस्कृतिक कार्यक्रम देखता है तो उनके रहन-सहन, वेश-भूषा, खान-पान, आचार-विचार से प्रभावित होता है और उन्हें अपनाने की कोशिश करता है। इसलिए तमिलनाडु, गुजरात और बंगाल के पकवान पंजाब में लोकप्रिय हो रहे हैं और पंजाब के व्यंजन विदेशों तक जा पहुंचे हैं। राष्ट्रीय कार्यक्रमों के प्रसारणों जैसे 15 अगस्त, 26 जनवरी आदि समारोही द्वारा राष्ट्रीय और भावात्मक एकता पैदा की जाती है।

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टेलीविजन पर निबंध Television Essay In Hindi

Television Essay In Hindi प्रिय साथियों आपका स्वागत हैं. इस हिंदी में टेलीविजन पर निबंध में आज हम आपके साथ स्टूडेंट्स के लिए Television Essay दूरदर्शन /टेलीविजन का महत्व इसका अर्थ तथा बच्चों तथा विद्यार्थियों पर इसका प्रभाव, दूरदर्शन की उपयोगिता तथा television ke labh aur hani (लाभ हानि) नुकसान फायदों के बारे में बात करेगे.

Television Essay In Hindi हिंदी में टेलीविजन पर निबंध

नमस्कार आज का निबंध, टेलीविजन पर निबंध Short Essay On Television In Hindi And English दिया गया हैं.

स्टूडेंट्स के लिए सरल भाषा में टेलीविजन के महत्व लाभ हानि उपयोगिता आदि पर छोटा बड़ा निबंध यहाँ दिया गया हैं. उम्मीद करते है हिंदी और अंग्रेजी भाषा में लिखे ये निबंध एस्से आपको पसंद आएगे.

Short Essay On Television : In this essay, paragraph we talk about Television Also called Tv In the short term. It’s a part of our daily routine, Television’s importance, benefits, side effects.

Television Essay prepares for students who read in class 5, 6, 7, 8, 9 in multi-language (Hindi And English) .

for English students read it as Essay On Television and the Hindi language reader takes it as Tittel “Television par   nibandh’ ‘ before we start it please if you like our article then don’t forget to share with a friend. Because your cooperation gives us new inspiration.

100 शब्द हिंदी निबंध

परिचय – टेलीविजन आधुनिक दुनिया का एक चमत्कार है। यह एक वस्तु की एक छवि को दूर करने के लिए एक उपकरण है।

अधिकांश घरों में टेलीविजन सेट हैं। हम न केवल भारत में बल्कि दुनिया के अन्य हिस्सों में होने वाली विभिन्न घटनाओं के लाइव प्रसारण को देखकर आनंद लेते हैं।

उपयोगिता – टेलीविजन संचार का एक बहुत ही शक्तिशाली माध्यम है। छात्रों के लिए विशेष रूप से तैयार कार्यक्रम है, किसानों और अन्य लोगों को स्वास्थ्य आदतों, परिवार नियोजन, छोटी बचत और राष्ट्रीय पुनर्निर्माण सिखाया जाता है।

मनोरंजन का स्रोत – टेलीविजन लोगों के लिए मनोरंजन का स्रोत है। छोटे नाटकों और फीचर फिल्मों द्वारा प्रसारित किया जाता है, जो हमें क्रिकेट मैच और अन्य लोकप्रिय खेल वस्तुओं को लाखों लोगों द्वारा बहुत रुचि के साथ देखकर प्रसन्न करते हैं।

शैक्षणिक महत्व – विज्ञान, गणित, इंजीनियरिंग, और कृषि में दिलचस्प विषयों पर वार्ता भी प्रचारित होती है। विभिन्न देशों में जंगल में जानवरों और पक्षियों का जीवन स्पष्ट रूप से टेलीविजन द्वारा दिखाया जाता है।

हम दुनिया के अन्य हिस्सों के सुंदर प्राकृतिक दृश्यों को देखने में सक्षम हैं जिन्हें हम यात्रा करने का भी सपना नहीं देख सकते हैं। इस प्रकार टेलीविजन बड़े शैक्षिक महत्व का उपकरण है। इसका उपयोग वाणिज्यिक विज्ञापन, खोए बच्चों और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं की जानकारी के लिए भी किया जाता है।

100 Words English Essay

Introduction-  Television is a marvel of the world. it is a device to transmit an image of an object far away. most of the houses have Television sets.

we enjoy seeing the live telecasts of various events that happen not only in India but in other parts of the world As well.

usefulness-  Television is a very powerful medium of communication. there is a program specially prepared for students, farmers, and other people who are taught health habits, family planning, small savings, and national reconstruction.

source of entertainment-  Television is a source of entertainment for people. small plays and feature films that are telecast by it delight us cricket matches and other popular sports items are watched on it with great interest by millions.

Educative Value – interesting lessons in science, mathematics, engineering, and agriculture are telecast. life of animals and birds in the forest in various countries is vividly shown by Television.

we are able to see the beautiful natural scenery of other parts of the world which we may not even dream to visit.

thus Television is of great educative value. it is also used for commercial advertisement, information about lost children, and quiz competitions.

300 शब्दों में टीवी पर निबंध

वर्तमान काल में अनेक वैज्ञानिक आविष्कार हुए है. इनमें दूरदर्शन  टेलीविजन का आविष्कार काफी चमत्कारी आविष्कार है.

इससे घर बैठे ही दूर के द्रश्य एवं समाचार साक्षात देखे और सुने जा सकते है. यह मनोरंजन के साथ ही शिक्षा प्रचार और ज्ञान प्रचार का श्रेष्ट साधन है.

दूरदर्शन का परिचय अर्थ

दूरदर्शन या टेलीविजन का अर्थ है दूर से देखना. यह ऐसा यंत्र है जिससे हम दूर स्थित वस्तुओ कों देख सकते है. और ध्वनि भी सुन सकते है. इंग्लैंड के वैज्ञानिक जॉन बेयार्ड ने 1926 में सर्वप्रथम दूरदर्शन का उपयोग किया था. 

टेलीविजन यंत्र पर शब्द तरंगो के स्थान पर प्रकाश रश्मियाँ विद्युत तरंगो में बदल जाती है, जो फोटो इलेक्ट्रानिक शीशे पर पड़कर साक्षात् चित्र बन जाती है.

इस काम के लिए कैथोड रे ट्यूब काम में लेते है. दूरदर्शन या टेलीविजन वस्तुतः रेडियों का विकसित रूप है. जिनमे ध्वनि तथा चित्र दोनों का प्रसारण होता है.

टेलीविजन की उपयोगिता और महत्व (Usability and importance of television)

हमारे देश में सनः 1959 से टेलीविजन का प्रयोग प्रारम्भ हुआ. वर्तमान में कृत्रिम उपग्रह के द्वारा सारे भारत में दूरदर्शन का प्रचार हो रहा है.

दूरदर्शन के सैकड़ो चैनलों से अनेक तरह के कार्यक्रम सीरियल एवं फिल्मे प्रसारित होती है. इनसे तुरंत घटित या आँखों देखा प्रसारण होता है.

दूरदर्शन की सबसे बड़ी उपयोगिता मनोरंजन के कार्यक्रमों के साथ समाचारों का तत्काल प्रचारण है. इससे शिक्षा का प्रचार होता है. तथा रोजगार के साधनों का ज्ञान कराया जाता है.

और राष्ट्रिय कार्यक्रमों एवं खेलकूद आदि का टेलीविजन से सीधा प्रसारण किया जाता है. इस तरह जनचेतना को जाग्रत करने में तथा प्रौढ़ शिक्षा के क्षेत्र में दूरदर्शन विशेष उपयोगी माना जाता है.

टेलीविजन का प्रभाव (Television effect Advantages & Disadvantages)

दूरदर्शन या टेलीविजन के अनेक लाभ है. परन्तु इससे कुछ हानियाँ भी है. बालक दूरदर्शन से चिपके रहते है, इससे उनकी आँखे कमजोर हो जाती है. और पढ़ने में रूचि नही रखते है.

युवक दूरदर्शन के द्रश्यों की नकल करके गलत आचरण करने लगते है. टेलीविजन का वर्तमान नई पीढ़ी पर इस तरह बुरा प्रभाव पड़ रहा है.

आज के युग में टेलीविजन की विशेष उपयोगिता है. जनता में जागृति लाने का यह श्रेष्ट साधन है. परन्तु बालकों एवं युवकों को इससे होने वाली हानि से बचाए रखना चाहिए.

टीवी संस्कृति का प्रदूषण और उसका प्रभाव – आज विज्ञान ने हमें अनेक सुख सुविधा के साधन दिए हैं. जिनमें टेलीविजन भी एक हैं. यह मनोरंजन का सबसे सस्ता साधन हैं. इसकी उपलब्धता आज लगभग सभी घरों में हैं.

अंधाधुंध वैज्ञानिक प्रगति के कारण जिस प्रकार हमारा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा हैं. ठीक उसी प्रकार टीवी संस्कृति का प्रदूषण व्यक्ति विशेष को ही नहीं, पूरे समाज को किसी न किसी रूप में प्रभावित कर रहा हैं.

परिणामस्वरूप इसका दुष्प्रभाव बच्चों से लेकर वृद्धों तक देखा जा सकता हैं. उदहारण के लिए टीवी चैनलों पर होने वाला नंगा नाच, सैक्सी वेशभूषा, अनैतिक आचार व्यवहार ने ऐसा वातावरण बनाया हैं कि परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर घर में टीवी नहीं देख सकते हैं.

साथ ही टेलीविजन पर विवाहेतर प्रेम सम्बन्धों, हत्याओं, लूटपाट आदि के ऐसे काल्पनिक दृश्य दिखाए जा रहे हैं जिनसे युवा पीढ़ी पथ भ्रष्ट होती जा रही हैं. इतना ही नहीं कोई भी विज्ञापन हो, अर्ध नग्न नारी खड़ी दिखती हैं.

किशोरों के मन पर कलुषित प्रभाव – किशोर मन चंचल और अस्थिर होता हैं. टेलीविजन पर अनेक ऐसे चैनल  हैं जो तरंग,  उल्लास, उमंग और मस्ती भरे कार्यक्रम लेकर आते हैं. किशोर ऐसे कार्यक्रम पर जान देते हैं. और उन्हें अंग बनाना चाहते  हैं. वास्तविक जीवन में चाहे वे  जैसे न बन पाएं.

किन्तु वैसी आकांक्षा अवश्य रखते हैं. इसके लिए वे वैसी ही वेशभूषा, चाल ढाल, बोलचाल और फैशन अपनाते हैं. इसका प्रभाव हमें पार्टियों और बारातों में दिखाई देता हैं. वे पुरानी मर्यादाओं को तोड़कर स्वच्छन्द जीवन धारा को अपनाने लगते हैं.

मर्यादाविहीन आचरण को प्रोत्साहन – भारतीय संस्कृति जन जीवन को संस्कार और मर्यादाओं के बीच रहकर जीने की प्रेरणा प्रदान करती हैं लेकिन पाश्चात्य सभ्यता व संस्कृति के अंधानुकरण से बनने वाले टेलीविजन कार्यक्रम मर्यादाविहीन आचरण को प्रोत्साहित करते हैं.

इनका खुला प्रदर्शन सड़कों, बाजारों और होने वाले सामाजिक कार्यक्रमों में युवा वर्ग के माध्यम से सहज ही देखने को मिलता हैं.

संस्कृतियों मूल्यों में गिरावट – सांस्कृतिक मूल्य हमारी विरासत है जिनमें बंधकर परिवार और समाज अपनी निर्धारित मर्यादा के मध्य संचालित होता हैं.

आज टीवी के विभिन्न चैनलों से प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों से हमारे सांस्कृतिक मूल्यों में गिरावट आई हैं.

नैतिक आचरण यार और फार की सीमाओं में बंधकर फलने फूलने लगा हैं. सामाजिक मर्यादाएं ढेर हो रही हैं.किशोर मन सांस्कृतिक मूल्यों की परवाह न कर पाश्चात्य अंधानुकरण कर स्वच्छन्द जीवन जीने को अभ्यस्त हो रहा हैं.

समय का दुरूपयोग – टेलीविजन में आने वाले कार्यक्रमों के प्रति जन मानस की आसक्ति इतनी बढ़ गई हैं कि दिन रात सब कामों को छोड़कर उनसे चिपके रहते हैं. वे दूरदर्शन के कार्यक्रमों के बारे में तो जानते हैं.

पर अपने पड़ोसी के बारे में नहीं जानते हैं. विशेषकर विद्यार्थी वर्ग तो इन कार्यक्रमों के प्रति इतना दीवाना हो गया हैं कि उसे अपने भविष्य का भी ख्याल नही रहता हैं. एक प्रकार से वे अपने जीवन के अमूल्य समय का दुरूपयोग टेलीविजन देखकर करते हैं.

उपसंहार : दूरदर्शन से आत्मसीमितता, जड़ता, पंगुता, अकेलापन आदि दोष बढ़े हैं. कई देशों में तो टीवी के कारण भी अपराध भी बढ़े हैं.

परन्तु इसमें दोष टीवी का नहीं हैं. कार्यक्रम प्रसारण समिति का हैं. दूरदर्शन तो मनोरंजन का सशक्त साधन हैं जिसके समुचित उपयोग से हम जीवन को अधिक सुखद स्वस्थ और सुंदर बना सकते हैं.

टेलीविजन के नुकसान निबंध | Television Ke Labh Aur Hani Essay in Hindi

स्वतंत्र व्यवसाय की अर्थनीति के नए वैश्विक वातावरण ने विदेशी पूंजी निवेश को खुली छुट दे रखी है. जिसके कारण दूरदर्शन में में ऐसे विज्ञापन की भरमार हो गई है. जो उन्मुक्त वाँसना हिंसा अपराध लालच और इर्ष्या जैसी हिनतम प्रवर्तियो को आधार मानकर चल रहे है.

यह अत्यंत खेद का विषय है. कि राष्ट्रीय दूरदर्शन ने भी उनकी भौंडी नकल की ठान ली है. आधुनिकता के नाम पर जो कुछ दिखाया जा रहा है. जो सुनाया जा रहा है. उनका भारतीय जीवन और संस्कृति का दूर दूर तक कोई रिश्ता नही है.

वे सत्य से कोसो तक दूर है. नई पीढ़ी जो स्वंय में रचनात्मक गुणों के विकास की जगह दूरदर्शन के सामने बैठकर कुछ सीखना, जानना और मनोरंजन करना चाहती है. उसका तो भगवान् ही मालिक है.

जो असत्य है वो सत्य नही हो सकता. समाज को शिव बनाने का प्रयत्न नही होगा तो वह शव ही होगा. आज तो यह मज़बूरी हो गई है. कि दूरदर्शन पर दिखाएं जा रहे वासनायुक्त असशील युक्त द्रश्य से चार पीढ़िया एक साथ आँखे चार कर रही है. नतीजा आपके सामने है.

बलात्कार, अपहरण, छोटी बच्चियों के साथ निकट सम्बन्धियों द्वारा शर्मनाक यौनाचार की घटनाओं में वृद्धि. ठुमक कर चलते शिशु दूरदर्शन पर दिखाएं जा रहे , सुनाए जा रहे स्वर और भंगिमाओ पर अपनी कमर लचकाने लगे है.

ऐसे कार्यक्रम न शिव है, और न ही इनमे समाज को शिवम सुन्दरम बनाने की ताकत है. फिर जो शिव नही है वो सुंदर कैसे हो सकता है. यदि इस प्रकार की दुष्प्रवृत्तियों से समाज को बचाना है तो एक व्यवस्थित आचार संहिता लागू की जानी चाहिए.

जिसमे यह सम्मलित किया जाए कि समाचार पत्रों, दूरदर्शन व अन्य चैनलों पर प्रसारित सभ्य और मर्यादित कार्यक्रमों को ही प्रचारित किया जाना चाहिए.

समाज के गणमान्य लोगों, माता पिता और अन्य परिवारजनों को आगे आकर एक व्यवस्थित योजना के साथ अपनी वर्तमान पीढ़ी को सुसंस्कारित करने का बीड़ा उठाना होगा. जिससे अश्लित विज्ञापनों, अमर्यादित टीवी कार्यक्रमों पर रोक लगाईं जा सके.

टेलीविजन में आपकों सुबह से शाम तक ऐसे कार्यक्रम बहुत ही सिमित संख्या में ही मिलेगे जिन्हें अपने परिवार के साथ बैठकर देखा जा सके. अधिकतर कार्यक्रम विदेशी संस्कृति को अच्छा दिखाने और उसका अनुसरण करने की सीख देते नजर आते है.

आज के समय में यदि टेलीविजन को ईडीयट बॉक्स या डिब्बा कहा जाए तो गलत नही होगा. लोगों को चीजो को बढ़ा चढ़ाकर दिखाकर अपने झांसे में लेने के अलावा अपराधिक प्रवृतियों को बढ़ाना ही आज टेलीविजन का पर्याय बन चूका है. आज के डिजिटल विश्व में लोगों को जाग्रत होकर टेलीविजन की बजाय इन्टरनेट का सहारा लेना चाहिए.

टेलीविजन का समाज पर प्रभाव पर निबंध | Impact Of Television On Society Essay In Hindi

प्रस्तावना:-  जनसंचार के सभी माध्यम समाजो को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इनमें टेलीवीजन भी एक ऐसा सशक्त माध्यम हैं,

जो द्रश्य और श्रव्य दोनों माध्यमों को एक साथ प्रसारित करता हैं. जिसके कारण कोई भी प्रसारण जीवंत मालूम होता हैं.

इसलिए इसका प्रभाव भी लोगो पर त्वरित व सर्वाधिक होता हैं. भारतीय समाज में प्रारम्भ में दूरदर्शन प्रसारित धारावाहिकों एवं सिनेमा के कारण और बाद में कई चैनलों के आगमन के साथ यह जनसंचार का ऐसा सशक्त माध्यम बन गया, जिसकी पहुच करोड़ों लोगों तक हो गई.

भारत में टेलीविजन की शुरुआत -भारत में टेलिविज़न की शुरुआत वर्ष 1959 ई में हुई थी. वर्तमान में तीन सौ से अधिक टेलीविजन चैनल २४ घंटे विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम प्रसारित करते हैं.

जो इसकी प्रगति के द्योतक हैं. विभिन्न खेलों का सीधा प्रसारण अब टेलीविजन पर होता हैं. जिसके कारण लोग देश एवं विदेश में आयोजित होने वाले खेलों का आनन्द टेलीविजन के माध्यम से उठाना पसंद करते हैं.

टेलीविजन प्रसारण के उद्देश्य – टेलीविजन प्रसारण के उद्देश्यों से ही समाज पर पड़ने वाले इसके प्रभाव के बारे में पता चल जाता हैं. टेलीविजन प्रसारण के उद्देश्य होते हैं- मनोरंजन, जनमत का निर्माण, सूचनाओं का प्रसार, भ्रष्टाचार एवं घोटालों का पर्दाफाश तथा समाज की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करना.

इस तरह टेलीविजन के माध्यम से लोगों को देश की हर गतिविधि की जानकारी तो मिलती ही हैं चुनाव एवं अन्य परिस्थियों में सामाजिक एवं नैतिक मूल्यों से जन साधारण को अवगत कराने में भी टेलीविजन प्रसारण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, यह सरकार एवं जनता के बीच सेतु का कार्य करते हैं.

समाज पर टेलीविजन का प्रभाव – जहाँ तक बात समाज पर टेलीविजन के प्रभाव की हैं तो समाज पर टेलीविजन का प्रभाव की है तो समाज पर टेलीविजन का प्रभाव आजकल स्पष्ट रूप से देखा जा सकता हैं.

टेलीविजन पर प्रसारित धारावहिकों के कलाकार रातो रात स्टार के रूप में लोकप्रियता पाते हैं. करोड़ो लोगों तक टेलीविजन की पहुच के कारण फ़िल्मी दुनियां के बड़े बड़े कलाकार भी अब टीवी पर प्रसारित कार्यक्रमों में भाग लेने लगे हैं.

टेलीविजन के रियलिटी शो में भाग लेने के लिए शहरी ही नहीं ग्रामीण युवाओं में भी विशेष आकर्षण देखा जाने लगा हैं.

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टेलीविज़न पर निबंध | Essay on Television in Hindi

हेलो दोस्तों, आज हमलोग इस लेख में टेलीविज़न पर निबंध हिंदी में (Television essay in Hindi) पड़ेंगे जो कि आपको Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 व अन्य competitive examination जैसे कि SSC, UPSC, BPSC जैसे एग्जाम में अत्यंत लाभकारी साबित होंगे। टेलीविज़न पर निबंध के अंतर्गत हम टेलीविज़न से संबंधित पूरी जानकारी को विस्तार से जानेंगे इसलिए इसे अंत तक अवश्य पढ़ें।

टेलीविजन के आविष्कारकजेo एलo बेयर्ड
टेलीविजन की खोज 1927 में
पहला टीवी शो द क्वीन मैसेंजर (The Queen’s Messenger)
पहला टेलीविजन फिल्म द किलर, 1964 में

[Essay 1] टेलीविज़न पर लेख (Short Essay on Television in Hindi)

टेलीविजन को विज्ञान का अद्भुत आविष्कार कहा जाता है। इसे हिंदी में दूरदर्शन और अंग्रेजी में इसे टेलीविजन कहते हैं। इसे संक्षिप्त में टीवी (TV) कहते हैं। TV full form – Television होता है। इसके द्वारा हम दूर की वस्तुओं का दर्शन घर बैठे कर सकते हैं इसलिए इसे दूरदर्शन नाम दिया गया है। दूरदर्शन पर दृश्यों को देखकर ऐसा लगता है मानो यह घटनाएं कहीं दूर नहीं बल्कि आंखों के सामने घट रही हो। मनोरंजन करने तथा देश दुनिया की खबरें से अवगत कराने वाला यह आविष्कार आज पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो चुका है।

प्रारंभ में टेलीविजन पर सिर्फ श्वेत-श्याम चित्र देखे जा सकते थे परंतु वर्तमान समय में इस पर रंग-बिरंगे चित्र देखी जा सकती है। आजकल प्रसारण डिजिटल हो गया है। जिस वजह से दर्शकों को सभी चलचित्र साफ-सुथरे मिलते हैं। टेलीविजन पर कार्यक्रमों का प्रसारण इसके केंद्र से किया जाता है। जिसके लिए भिन्न-भिन्न स्थानों पर प्रसारण केंद्र बनाया गया है। जहां से प्रसारण कर्ताओं द्वारा प्रसारण चालू किया जाता है। इन केंद्रों को स्टूडियो (Studio) कहा जाता है। टेलीविजन पर कार्यक्रमों का प्रसारण संचार उपग्रह (Communication Satellite) की मदद से किया जाता है।

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टेलीविज़न को विज्ञान की अद्भुत उपलब्धियों में से एक माना जाता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, टेलीविज़न दूर के दर्शन कराने में सहायक है। रेडियो से हम केवल सुनकर ही अपनी ज्ञानवृद्धि अथवा मनोरंजन करते हैं जबकि टेलीविज़न द्वारा हम कार्यक्रमों तथा घटनाओं को देखते भी हैं।

जन-जन में है महान

टेलीविज़न एक सामाजिक वरदान, 

खेल-कूद हो या असीम ज्ञान,

गीत-संगीत, राजनीति या हो विज्ञान,

मन-मन में बहा मनोरंजन का तूफ़ान।।

यदि यह कहा जाए कि आधुनिक युग में टेलीविज़न लोगों के मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय साधन है तो ग़लत न होगा। टेलीविज़न के द्वारा प्रत्येक वर्ग तथा क्षेत्र के लोगों के लिए अनेक प्रकार के मनोरंजक व शिक्षाप्रद कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं जिनके द्वारा मनोरंजन के अतिरिक्त हमें देश की सामाजिक, राजनीतिक व अन्य समस्याओं का पता चलता है। 

ऐतिहासिक कार्यक्रमों में हमें अपने देश के इतिहास की झाँकी मिलती है। धार्मिक कार्यक्रमों द्वारा हमें यह ज्ञात होता है कि मूल रूप से सभी धर्म अहिंसा, करुणा, मैत्री और परोपकार आदि गुणों पर ही बल देते हैं। अतः धर्म के आधार पर एक दूसरे के प्रति वैरभाव रखना मूर्खता है।

भारतीय संस्कृति एवं नृत्य व संगीत के कार्यक्रमों में शास्त्रीय संगीत, गज़लें, मुशायरा, पाश्चात्य संगीत और प्रत्येक कक्षा के बच्चों के लिए कार्यक्रम प्रसारित होते हैं। किसानों से सम्बन्धित “कृषि दर्शन” में बच्चों, युवा वर्ग और बड़े-बूढ़े लोगों के लिए विभिन्न कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। बहुत से कार्यक्रमों में महत्त्वपूर्ण पदों पर आसीन व्यक्तियों के विचार जनता के समक्ष रखे जाते हैं तथा जनता के विचार उनके समक्ष रखे जाते हैं। इस प्रकार एक दूसरे के विचारों का आदान-प्रदान होता है। 

लगभग सभी समाचार चैनलों में दर्शकों की समस्याओं के समाधान प्रस्तुत किए जाते हैं तथा देश में समाज सेवकों द्वारा की जा रही सेवाओं से जनता को अवगत कराया जाता है। हिन्दी तथा अंग्रेज़ी के अतिरिक्त देश की अन्य भाषाओं में भी कार्यक्रम दिखाए जाते हैं। खेलों से सम्बन्धित कार्यक्रम तथा स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस के कार्यक्रमों का सीधा प्रसारण दूरदर्शन पर किया जाता है।

समाचारों के प्रसारण के समय टेलीविज़न पर सम्बन्धित समाचारों के दृश्य भी दिखाए जाते हैं। सामयिक विषयों से सम्बन्धित चर्चाएँ, जिनमें देश-विदेश की सामाजिक तथा आर्थिक स्थितियों का विश्लेषण किया जाता है, सुनने से ज्ञान में वृद्धि होती है। व्यापारियों के लिए यह वरदान है। वे अपने-अपने उत्पादित माल का लुभावना प्रदर्शन कर माल की शीघ्र बिक्री के लिए द्वार खोल लेते हैं तथा उधर दर्शकों को भी अच्छी-अच्छी तथा नई-नई वस्तुओं की जानकारी मिल जाती है।

Discovery Channel में बर्फ से ढके पर्वत शिखर, भोजपत्रों के वन, झरने का निर्मल जल, खुला नीला वातावरण, खुली प्रकृति और पशु-पक्षी देखकर हमारा ज्ञान बढ़ता ही है। “आस्था” आदि धार्मिक चैनलों पर प्रसारित कार्यक्रमों द्वारा वेदों और उपनिषदों आदि के विषय में जानकारी मिलती है।

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सर्वविदित है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के टेलीविज़न के कार्यक्रमों में विज्ञान, अंग्रेजी, गणित आदि विषयों का शिक्षण बहुत ही रुचिकर एवं स्पष्ट ढंग से किया जा रहा है जिससे विद्यार्थियों में इन विषयों को सीखने की उत्कट भावना जागृत हो रही है।

टेलीविज़न द्वारा सामान्य ज्ञान से सम्बन्धित कार्यक्रमों का भी प्रसारण किया जाता है जिससे दर्शकों के सामान्य-ज्ञान में वृद्धि होती है।फ़िल्में, नाटक व धारावाहिक टेलीविज़न के अत्यन्त लोकप्रिय कार्यक्रम हैं। आज के व्यस्त जीवन में हम घर बैठे फ़िल्म या नाटक देख सकते हैं जिससे समय तथा धन की बचत होती है, कहीं जाने का झंझट भी नहीं रहता। धारावाहिकों में संसार की श्रेष्ठ साहित्यिक रचनाओं को भी दिखाया जाता है। संगीत व नृत्य के कार्यक्रम हमारे मन को आह्लादित करते हैं। अन्त्याक्षरी के आयोजनों को भी लोग बहुत चाव से देखते हैं। 

अनेक कार्यक्रम हास्य-व्यंग्य से भरपूर होते हैं। टेलीविज़न पर महिलाओं एवं बच्चों के लिए विशेष कार्यक्रम दिखाए जाते हैं। इनमें मनोरंजन के साथ-साथ अन्य चैनलों के समान सामयिक समस्याओं पर भी चर्चा होती है। इसी प्रकार विभिन्न उद्योगों के सम्बन्ध में भी कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। आजकल केवल नगरों में ही नहीं अपितु कस्बों तथा गाँवों में भी टेलीविज़न के कार्यक्रम देखे जाते हैं। इसके लिए सरकार ने सारे भारत में प्रसारण सेवाएँ उपलब्ध करायी हैं।

टेलीविजन के अनेक लाभ हैं। परंतु उनके साथ कुछ हानिया भी यह लोगों को मनोरंजन करने की सुविधा तो देता है परंतु अधिक टेलीविजन देखने से आंख और दिमाग से संबंधित अनेक प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होने की समस्या होती है। यहां तक कि घंटों टेलीविजन देखने से शारीरिक थकान और सुस्ती आ जाती है। लोगों का जो समय पहले सामाजिक कार्यों में व्यतीत होता था अब वह समय टेलीविजन देखने में जाने लगा है। बच्चे खेलने के बजाय टेलीविजन में चिपक कर कार्टून देखना पसंद करते हैं इसलिए एक निर्धारित समय तक ही लोगों को टेलीविजन देखना चाहिए।

युवाओं में अत्यधिक टीवी देखने की आदत ने उन्हें गलत दिशा में ले गई है। कई वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं का मानना है कि अपराध के उपायों को उन्होंने टीवी के माध्यम से सीखा है। यह एक सरासर बुरा परवाह है। अच्छे बुरे में फर्क करने की ताकत टेलीविजन कभी-कभी खत्म कर देता है। आप उतना ही सोच सकते हैं जितना आपको व टेलीविजन दिखाता है। अत्यधिक टेलीविजन देखने से सिर्फ गलत काम ही नहीं बल्कि आपके समय की बर्बादी भी है। अंत में, निम्न पंक्तियों के साथ मैं अपने विचारों की इतिश्री करना चाहता हूँ।

“पूर्व युग सा आज का जीवन नहीं लाचार,

आ चुका है दूर द्वापर से बहुत संसार।”

अर्थात् आज का जीवन प्राचीन समय के पिछड़ेपन से बहुत आगे निकल गया है तथा द्वापर युग को बहुत पीछे छोड़ चुका है।

[ Essay 2] दूरदर्शन पर निबंध (Essay Writing on Television)

परिचय (Television Introduction)

दूरदर्शन अंग्रेजी शब्द टेलीविजन का हिन्दी पर्याय है। टेलीविजन’ (Television) अंग्रेजी के दो शब्दों ‘Tele’ और ‘vision’ से मिलकर बना है। Tele का अर्थ है ‘दूर’ और vision का अर्थ है ‘देखना’ अर्थात् ‘दूरदर्शन’। विज्ञान के जिन चमत्कारों ने मनुष्य को आश्चर्यचकित कर दिया है, उनमें टेलीविजन भी मुख्य है। इस यन्त्र के द्वारा दूर से प्रसारित ध्वनि चित्र सहित दर्शक के पास पहुंच जाती है।

भारत में दूरदर्शन का आगमन 15 सितम्बर, 1959 से ही समझना चाहिए, जब कि तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्रप्रसाद ने आकाशवाणी के टेलीविजन विभाग का उद्घाटन किया था। 500 वाट शक्ति वाला ट्रांसमीटर दिल्ली से 25 कि.मी. की दूरी तक कार्यक्रम प्रसारित कर सकता था। 1965 से एक News Bulletin के साथ नियमित रूप से प्रतिदिन एक घंटे का प्रसारण शुरू हुआ। टेलीविजन सेवा का बम्बई में विस्तार 1972 में ही हो पाया। 1975 तक कलकत्ता, चेन्नई, श्रीनगर, अमृतसर और लखनऊ में भी टेलीविजन केन्द्र स्थापित किए जा चुके थे।

प्रगति का एक पग और बढ़ा। 1 अगस्त, 1975 से अमेरिकी उपग्रह द्वारा 6 राज्यों के 2400 गाँवों की 25 लाख जनता दूरदर्शन से लाभान्वित हुई।

15 अगस्त, 1982 को भारतीय उपग्रह “INSAT-1 A” के माध्यम से विभिन्न दूरदर्शन केन्द्रों से एक ही कार्यक्रम दिखाना सम्भव हुआ। दूसरी ओर इन्सेट-1बी’ उपग्रह के सफल स्थापन के बाद सितम्बर, 1983 से न केवल भारत के विभिन्न दूरदर्शन-केन्द्रों में सामंजस्य स्थापित हो सका, अपितु देश के कोने-कोने में बसे हुए गाँव भी दूरदर्शन कार्यक्रम से लाभान्वित होने लगे। यही कार्य अब ‘इन्सेट-डी’ कर रहा है।

1981-1990 के दशक में ट्रांसमीटरों की संख्या 19 से बढ़कर 519 हो गई। अनेक शहरों में स्टूडियो भी खोले गए। दूरदर्शन ने 1993 में चार नए चैनल शुरू किए थे, किन्तु 1994 में परिवर्तन करके भाषानुसार कर दिए। 1995 इन्सेट 2-सी के प्रक्षेपण के बाद दूरदर्शन की नीति हर प्रांत के क्षेत्रीय चैनल बढ़ाने की रही।

15 अगस्त 1984 को सारे देश में एक साथ प्रसारित किए जाने वाले दैनिक राष्ट्रीय कार्यक्रमों का शुभारम्भ हुआ। 1987 में दैनिक प्रात:कालीन समाचार बुलेटिन का प्रसारण आरम्भ हुआ। 20 जनवरी 1989 को दोपहर का प्रसारण आरम्भ हुआ। जनवरी 1986 से दूरदर्शन की विज्ञापन-सेवा आरम्भ हुई। परिणामतः उसके राजस्व में बहुत अधिक वृद्धि हुई।

डी-डी 2 मैट्रो चैनल 1984 में शुरू हुआ। यह सेवा 46 शहरों में उपलब्ध है, किन्तु डिश एंटीना के जरिए देश के अन्य भागों में भी इसके कार्यक्रम देखे जा सकते हैं।

1995 से दूरदर्शन का अन्तरराष्ट्रीय चैनल शुरू हुआ। पी.ए.एस.-4 के द्वारा इसके प्रसारण एशिया, अफ्रीका तथा यूरोप के पचास देशों में पहुँच चुके हैं। अमरीका और कनाडा के लिए इसके प्रसारण पी.ए.एस.-1 मे किए जा रहे हैं।

नए चेनलों में खेल चेनल’ तथा अगस्त 2000 से पंजाबी चैनल शुरू हुआ जो 24 घंटे कार्यक्रम प्रसारित करेगा। दूरदर्शन पर सरकारी नियंत्रण था। उसके विकास का दायित्व सरकार पर होता था। 23 नवम्बर 1997 से इसका कार्यभार प्रसार-भारती (स्वायत्त प्रसारण परिपद्) ने संभाल लिया है।

दूरदर्शन मन को स्थिर करने का साधन है, एकाग्रचित्तता का अभ्यास है। इसके कार्यक्रम देखते हुए हृदय, नेत्र और कानों की एकता दर्शनीय है। जरा-सा भी व्यवधान साधक को बुरा लगता है । दूरदर्शन के कार्यक्रम के मध्य अन्य कोई व्यवधान दर्शक को बेचैन कर देता है, क्रोधित कर देता है।

दूरदर्शन मनोरंजन, ज्ञानवर्धन, शिक्षा तथा विज्ञापन का सुलभ और सशक्त माध्यम है। फीचर फिल्म, टेलीफिल्म, चित्रहार, चित्रमाला, रंगोली, नाटक-एकांकी-प्रहसन, लोकनृत्य-संगीत, शास्त्रीय-नृत्य-संगीत, मैजिक-शा, अंग्रेजी धारावाहिक, हास्य फिल्में, ये सभी दूरदर्शन के मनोरंजक कार्यक्रम ही तो हैं। ये दिनभर के थके-हारे मानव के मन को गुद्गुदा कर स्वस्थ और प्रसन्न करते हैं, स्फूर्ति और शक्ति प्रदान करते हैं।

टेलीविजन का उपयोग (use of television) जीवन और जगत् के विविध पहलुओं के कार्यक्रम दर्शक का निःसन्देह ज्ञानवर्धन करते हैं। बातें फिल्मों की’ जैसे कार्यक्रम जहाँ फिल्म-जगत् की पूरी जानकारी देते हैं, वहाँ यू.जी.सी. के कार्यक्रम वैज्ञानिक प्रगति का सूक्ष्म-परिचय भी देते हैं। टेलीविजन द्वारा शरीर के कष्टों से मुक्ति दिलाने के लिए डॉक्टरी सलाह दी जाती है, तो कानून की पेचीदगियों को समझाने के लिए चर्चा की जाती है। प्रकृति के रहस्य, समुद्र की अतल गहराई नभ की अनन्तता, विभिन्न देशों का सर्वांगीण परिचय, भारत तथा विश्व की कला एवं संस्कृति की विविधता की जानकारी, सभी ज्ञानवर्धन के कार्यक्रम हैं।

व्यापार की समृद्धि प्रचार पर निर्भर है। वस्तु विशेष का जितना अधिक प्रचार होगा, उतनी ही अधिक उसकी मांग बढ़ेगी। दूरदर्शन Advertisement का श्रेष्ठ माध्यम है, वस्तु-विशेष की माँग पैदा करने का उत्तम उपाय है। दूरदर्शन के विज्ञापन दर्शक के हृदय पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं, जो जरूरतमन्दों को वस्तु-विशेष खरीदते समय प्रचारित वस्तु खरीदने के लिए प्रेरित करते हैं।

जैसे-जैसे मानव की व्यस्तता बढ़ेगो, मानसिक तनाव बढ़ेंगे, जीवन में मनोरंजन की अपेक्षाएँ बढ़ेगी, वैसे-वैसे दूरदर्शन अपने में गुणात्मक सुधार उत्पन्न कर मनोरंजन का सशक्त साधन सिद्ध होता जाएगा।

[Essay 3] दूरदर्शन और मनोरंजन (Essay on Television in Hindi Language)

मनोरंजन जीवन के लिए अनिवार्य तत्त्व है। इसके अभाव में प्राणिमात्र मानसिक विकारों से ग्रस्त हो जाता है। टेलीविजन का महत्व हमारे जीवन में ( role of Television in our life) उतना ही महत्वपूर्ण हो गया है। जितना कि हमारी और भी दिनचर्या की चीजें हैं। ऐसा लगता है मानो इसके बिना आपके स्वभाव में रुखाई और चिड़चिड़ापन आ जाता है; जीवन का संतुलन बिगड़ जाता है तथा जीवन नीरस हो जाता है।

बीसवीं शताब्दी की छठी दशाब्दी से पूर्व मनोरंजन के प्रमुख साधन थे-चित्रपट, आकाशवाणी, पॉकिट उपन्यास, सरकस, रंगमंचीय नाटक । ताश, कैरम, शतरंज, नौकाविहार तथा पिकनिक में भी मानव ने पर्याप्त आनन्द लूटा। जीवन में जूझते मानव को समय के अभाव की प्राचीर लाँघना कठिन हो रहा था। समय के अभाव में चित्रपट का सशक्त साधन प्रतिदिन उसका मनोरंजन करने में असमर्थ था। आकाशवाणी का मनोरंजन, सुलभ और सशक्त तो था, किन्तु मात्र ध्वनि पर आधारित था। नयनों का सुख उसमें कहाँ था? उधर, ताश और कैरम के लिए साथी चाहिएँ।

दूरदर्शन चित्रपट का संक्षिप्त रूपान्तर चित्रपट देखने के लिए टिकट खरीदने की परेशानी, सिनेमा-घर तक पहुंचने के लिए! मन का झंझट, हॉल के दमघोटू वातावरण की विवशता, अनचाहे और अनजाने व्यक्ति क अनायास दर्शन, समाज-द्रोही दर्शकों की अश्लील-हरकतें, सबसे छुट्टी मिली। घर बैठे चित्रपट का आनन्द प्रदान किया दूरदर्शन ने।

अहर्निश व्यापार के झंझटों से बेचैन व्यापारी, दिन भर दफ्तरी-फाइलों से सिर मारता लिपिक, बच्चों को पढ़ाते-पढ़ात सिरदर्द मोल लेने वाला शिक्षक, कठोर परिश्रम से क्लांत मजदूर और दिन-भर गृहस्थी के झंझटों से पीड़ित गृहिणी, मनोरंजन के लिए जब टेलीविजन खोलते हैं, तो थकान रफू-चक्कर हो जाती है, सिर-दर्द तिरोहित हो जाता है; मानव मनोरंजन-लोक में डूबकर रोटी-पानी भी भूल जाता है।

खेलना-कूदना बच्चों का स्वभाव है। गली के असभ्य साथियों से स्वभाव में विकृति आती है। गालियाँ और गंदा व्यवहार सीखता है। दूरदर्शन ने कहा, ‘भोले बालक! खेलकूद के मनोरंजन को छोड़ मुझसे दोस्ती का हाथ बढ़ा। मैं तेरा ज्ञानवर्धन भी करूंगा और आनन्द भी प्रदान करूँगा।

रोगी एक ओर रोग से बेचैन है और दूसरी ओर सेवाधारियों के व्यवहार से परेशान। बिस्तर पर लेटे-लेटे समय कटता नहीं। ऊपर से ‘मूड’ खराब) दूरदर्शन ने सुझाव दिया-तन का उपचार डॉक्टर करेगा और मन का मैं करूँगा। तू अपना टी.वी. ऑन कर और देख ‘मूड’ ठीक होता है नहीं।

दूरदर्शन के सर्वाधिक प्रिय कार्यक्रम हैं-फिल्म और उसके गीत । प्रसार-भारती टी.वी. के अतिरिक्त अन्य टी.वी. चेनल जैसे सोनी टी.वी., जी.टी.वी., स्टार मूवी प्रतिदिन 2-2, 3-3 चित्र दिखाते हैं। आपको एक चित्र पसंद नहीं, चेनल बदलिए दूसरी देख लीजिए। ‘तू नहीं, और सही, और नहीं, और सही।’

सिने गीत का करिश्माती मनोरंजन की जादू की छड़ी बन गया है। चित्रहार, रंगोली, ऑल दी बैस्ट, हंगामा अनलिमिटेड, अन्त्याक्षरी आदि दसियों नामों से यह जादुई छड़ी घूमती रहती है। आपको रसगुल्ले-सा मिठास देती है। गोल-गप्पों-सा चटपटा स्वाद देती है। आलू की टिकिया या समोसे-सा जायका प्रदान करती है। इनके अतिरिक्त प्राइवेट अलबम के गीत सोने में सुहागा सिद्ध होते हैं।

आज का तथाकथित सभ्य समाज अभिनेता-अभिनेत्रियों के दर्शन कर अपने को कृतार्थ समझाता है। उनके मुख से निकले शब्दों को वेद-वाक्य मानता है। उनके जीवन की विशेषताओं और स्वभाव की रंगीनी को देखकर उसका मन भी रंग जाता है । दूरदर्शन के विभिन्न चैनल, अपने विविध कार्यक्रमों द्वारा किसी न किसी अभिनेता-अभिनेत्री का दर्शकों से परिचय करवाते रहते हैं। साक्षात्कार के समय उनके जीवन से सम्बन्धित फिल्म के अंशों को प्रमाण रूप में दिखाकर उस साक्षात्कार को अधिक रसीला बना देते हैं।

सुप्रसिद्ध उपन्यासों तथा कहानियों पर बने एपीसोड दूरदर्शन मनोरंजन को द्विगुणित करते हैं। प्राय: आधा-आधा घंटे के ये एपीसोड दर्शक की रुचि को विभिन्न व्यंजनों से तृप्त करते रहते हैं। ‘न्याय’, ‘बंधन’ जैसे सोप ओपरा तो प्रतिदिन धारा-प्रवाह में बहकर नदी स्नान का-सा आनन्द प्रदान करते हैं। ये एपीसोड काल्पनिक ही हों, ऐसा नहीं। सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक एपीसोड भी जीवन को तरंगित करते रहते हैं। ‘रामायण, महाभारत’ और ‘चाणक्य’ की शृंखलाओं ने तो दर्शकों की चाहत कीर्तिमान ही तोड़ दिए थे और अब भी पुनः-पुनः देखकर मन नहीं भरता।

उपन्यासों के अतिरिक्त देश-विदेश की विभिन्न भाषाओं के नाटक तथा एकांकी भी अभिनीत होते हैं। ये नाटक-एकांकी भी भरपूर मनोरंजन से युक्त होते हैं।

नृत्य-संगीत में लोक नृत्य, शास्त्रीय नृत्य, पॉप नृत्य, तथा पाश्चात्य शैली के नृत्यों के साथ-साथ उभरता संगीत मन को मोह लेते हैं। खेल-प्रेमियों के लिए खेलों की दुनिया का मनोरंजन फिल्म के मनोरंजन से कम रोचक नहीं होता। क्रिकेट, हॉकी, बालीबाल, फुटबॉल, टेनिस, तैराकी, कुश्ती आदि खेलों के मैच जब दूरदर्शन पर आते हैं तो दर्शक उन्मत्त हो टी.वी. पर आँख गड़ाए रहते हैं। एशियाड तथा ओलम्पिक खेलों के करिश्में देखने को तो आँखें तरसती हैं। आँखों का टी.वी. पर आँख गड़ाना, तरसना दूरदर्शनीय मनोरंजन का प्रमाण ही तो है।

मनोरंजन अर्थात् मन का रंजन जिससे हो, वह मनोरंजन। दूरदर्शन मनोरंजन का सर्वश्रेष्ठ साधन ही नहीं, मनोरंजन का विश्वकोश है, जिसके हर पृष्ठ पर रंजन है, हास्य झलकियाँ हैं, हृदय को गुदगुदाने की शक्ति है।

[Essay 4] दूरदर्शन और ज्ञानवर्धन

चेतन अवस्था में इन्द्रियों और मन द्वारा बाहरी वस्तुओं, विषयों आदि का सन को होने वाला परिचय या बोध ज्ञान है। किसी बात या विषय के संबंध में होने वाली वह तथ्यपूर्ण, वास्तविक और संगत जानकारी या परिचय जो अध्ययन, अनुभव, निरीक्षण और प्रयोग आदि के द्वारा प्राप्त होता है, ज्ञान है। कुछ जानने, समझने आदि की योग्यता, वृत्ति या शक्ति ज्ञान है। ज्ञान की वृद्धि या विकास ज्ञानवर्धन है।

ज्ञान अज्ञान को दूर करता है। अच्छे-बुरे की पहचान करवाता है। सत्य से साक्षात्कार करवाता है। जीवन में आने वाले शारीरिक और मानसिक तापों के हरण का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्नति, प्रगति और उज्ज्वल जीवन के लिए पथ-प्रदर्शित करता है। इसलिए जीवन में ज्ञान का महत्त्व है, उसका वर्धन मानव का दायित्व है।

ज्ञानवर्धन के चार मार्ग बताए जाते हैं-अध्ययन, अनुभव, निरीक्षण और प्रयोग। कुछ जानने, समझने आदि की योग्यता, वृत्ति इन चारों बातों पर निर्भर है। दूरदर्शन वह चौराहा है, जहाँ ज्ञान के चारों मार्ग मिलते हैं। इसलिए दूरदर्शन ज्ञानवर्धन की गंगोत्री है। जिस प्रकार गंगोत्री से निकलकर गंगा भारत-भूको तृप्त करती है, पवित्र करती है, उसी प्रकार दूरदर्शन जनमानस में ज्ञान की गंगा बहाकर पवित्र करता है। इसी जीवन में ज्ञान के कपाट खोलकर सत्, चित् और आनन्द के दर्शन करवाता है।

जीवन में उम्र के बढ़ने के साथ-साथ जो वस्तु मिलती है, उसका नाम है अनुभव। जिस जीवन से आप गुजरे नहीं, जिस कष्ट को आपने भोगा नहीं, जो गलतियाँ आपने की नहीं, उसका अनुभव आपको नहीं होगा।बाँझ को प्रसववेदना का क्या अनुभव? लघुजीवन में अतिलघु अनुभव द्वारा ज्ञान से परिचय कैसे हो।अकबर इलाहाबादी तो अनुभव की कमी पर रो पड़े- कह दिया मैंने हुआ तजर्बा मुझको तो यही।

तजर्बा हो नहीं चुकता है कि मर जाते हैं। संसार के दो महत्त्वपूर्ण अंग है-सृष्टि और प्रकृति। इन दोनों का पूर्ण तो क्या सामान्य निरीक्षण भी इस जीवन में असम्भव है, दुर्लभ है।अतः निरीक्षण से ज्ञान प्राप्ति बहुत सीमित है।

ज्ञान का चौथा स्रोत है प्रयोग। कोई नई बात ढूंढ निकालने के लिए की जाने वाली कोई परीक्षणात्मक क्रिया अथवा उसका साधन प्रयोग है। किसी प्रकार की क्रिया का प्रत्यक्ष रूप से होने वाला साधन प्रयोग है। प्रयोग बहुत दुस्साहपूर्ण होता है और जीवन में रिस्क (दुस्साहस) लेने से आदमी कतराता है। फिर कितने रिस्क लेकर आदमी कितना ज्ञान प्राप्त करेगा? अत्यन्त सीमित।

दूरदर्शन ज्ञान का विश्व-कोश है । हर बुराई और अच्छाई का व्याख्याता है। करणीयअकरणीय को बताने वाला दार्शनिक है। जीवन के पुरुषार्थों के कार्यान्वयन का प्रेरक है। प्रकृति के रहस्यों और सृष्टि के समाचारों की मुँह बोलती तस्वीर है।

नगर ही नहीं प्रांत, देश, विदेश; पृथ्वी ही नहीं पाताल और अंतरिक्ष; भू की ही नहीं अन्यलोकों की;मानव ही नहीं प्राणि मात्र की अद्यतन, नवीनतम खबरों की जानकारी देकर दूरदर्शन करेण्ट नॉलिज’ (अद्यतन ज्ञान) प्रदान करता है । करेन्ट को अधिक करेन्ट बनाने के लिए हर 60 मिनिट बाद अपना कर्तव्य पूरा करता है। साथ ही अपनी खबरों के सत्यापन के लिए तत्सम्बन्धी चित्र भी दिखाता है। इससे अधिक प्रामाणिक और करेन्ट (सद्य) ज्ञान कहाँ से मिलेगा? राष्ट्र या विश्व में कोई अनहोनी घटना घटित हो जाए तो दूरदर्शन अपना कार्यक्रम रोक कर भी उस घटना की सूचना दर्शक को देता है । जैसे-इन्दिरा जी की हत्या की सूचना।

समाचार अफवाह भी हो सकते हैं, असत्य भी। पर जब आप अपनी आँखों से समाचारों सम्बन्धी घटनाओं को देख रहे हैं तो फिर प्रत्यक्षं किम् प्रमाणम् ?’ शेयर बाजारों के सूचकांक, दैनिक तापमान के उतार-चढ़ाव, गुमशुदा व्यक्तियों के बारे में सचित्र विवरण, ‘नौकरी के लिए स्थान खाली हैं’ के लाभों (नियोजन) की सूचना देना, करों के भुगतान का स्मरण करवाना भी दूरदर्शन द्वारा ज्ञानवर्धन में शामिल है।

देश का एक बड़ा भाग ग्रामों में बसता है। खेतीबाड़ी उसका व्यवसाय है। गाँव और खेती की छोटी-से-छोटी बात को विस्तारपूर्वक समझा कर यह कृषकों का ज्ञानवर्धन करता है। सच तो यह है ग्राम-विकास में दूरदर्शन का बहुत बड़ा योगदान है।

हमारा देश दर्शनीय स्थलों का आगार है। कला-कृतियों का भण्डार है। विश्व का महान् आश्चर्य ‘ताजमहल’ हमारे राजपूत राजाओं का करिश्मा है । इन सबको देख पाना इस जीवन में सामान्य व्यक्ति के लिए सम्भव नहीं। दूसरे, आप देखने भी गए तो उसका ऊपरी दर्शन मात्र कर सकेंगे। उसके निर्माण का रहस्य, कला का रोमांच, पृष्ठभूमि का इतिहास आप नहीं जान पाएंगे। मंदिर हो या मठ, ताजमहल हो या कश्मीर स्थित अमरनाथ का मंदिर, दक्षिणी-समुद्र-स्थित विवेकानन्द-शिला हो या अमृतसर का स्वर्ण मन्दिर दूरदर्शन इनके पूरे इतिहास के साथ-साथ कला विशेषताओं का दिग्दर्शन करवाएगा।

विदेश-भ्रमण कितने लोग कर पाते हैं। विश्व की कला-कृतियों को कितने लोग देख पाते हैं ? उत्तर है मुट्ठीभर । दूरदर्शन विश्व के प्रत्येक राष्ट्र के दर्शन करवाएगा, उनके रहनसहन, रीति-रिवाज़, आस्थाओं-मान्यताओं, सभ्यता और संस्कृति का विस्तार से सचित्र परिचय करवाएगा।ज्ञान बढ़ाएगा आपका।घोड़ी नहीं चढ़े तो बारात तो देखी है की कहावत सिद्ध करेगा।

स्वस्थ रहने के गुर जनता को देकर दूरदर्शन उनके स्वास्थ्य की चिंता करता है ।व्यायाम की उपयोगिता और योग के लाभ बताता है। भोजन द्वारा स्वास्थ्य की शिक्षा देता है। प्रकृति के रहस्य-रोमांच का ज्ञान पुस्तकों में मिलता है या उन शूरवीरों को है जिन्होंने जान की बाजी लगाकर वहाँ तक पहुँचने की चेष्टा की है। दूरदर्शन न केवल प्रकृति के श्रृंगार पहाड़ (एंवरेस्ट, नीलकंठ) और जलनिधि समुद्र के रहस्य-रोमांचों के दर्शन तथा परिचय करवाता है अपितु अन्य लोकों (चन्द्रलोक, मंगललोक) के दर्शन भी करवा कर हमारे ज्ञान को विस्तृत करता है। डिस्कवरी अर्थात् अनुसन्धान द्वारा समस्त भूमण्डल के सागरों, पर्वतों, वनों और उनमें रहने वाले अनदेखे जीवों के दर्शन कराता है।

महापुरुष किसी भी राष्ट्र की धरोहर हैं। उनकी जयन्तियाँ तथा पुण्यतिथियाँ मनाना राष्ट्र की ओर से श्रद्धांजलि अर्पण है। दूरदर्शन महापुरुषों के जीवन पर प्रकाश डालकर, गोष्ठियाँ आयोजित कर जनता को उनके द्वारा किए गए महान् कार्यों की जानकारी देता है। उन्हें उन जैसा बनने की प्रेरणा देता है।

सच तो यह है कि दूरदर्शन स्रष्टा से सृष्टि तक, जीवन से लेकर मृत्यु तक, आविष्कार से लेकर उपयोग तक, परिवार से लेकर समाज तक, धर्म से लेकर राजनीति तक, कला से लेकर विज्ञान तक, विश्व से लेकर ब्रह्माण्ड तक, सबका ज्ञान परोसने वाला अद्भुत यान्त्रिक साधन है।

[Essay 5] दूरदर्शन का जीवन पर प्रभाव

दूरदर्शन का भारतीय पारिवारिक जीवन पर अद्भुत तथा आश्चर्यजनक अमिट प्रभाव पड़ रहा है। वह सुखद भी है और दुःखद भी। एक ओर बहू के चूंघट का लम्बा परदा उठा है तो देवर-जेठ-ननदोई में भाई तथा ससुर में पिता के दर्शन कर मन की बात कहने का साहस प्रकट हुआ है। शिशुओं के पालन-पोषण, परिवार के खान-पान, रहन-सहन और जीवन-शैली में गुणात्मक सुधार हुआ है तो पर्व-त्योहारों के मनाने के प्रति आस्था बढ़ी है। धार्मिक अंध-विश्वास के प्रति अनास्था जगी है। आडम्बर और कपटपूर्ण प्रतीकों से विश्वास हिला है।

दूरदर्शन ने अपने विविध कार्यक्रमों द्वारा ज्ञान का जो प्रकाश फैलाया है, उससे पारिवारिक जीवन प्रकाशित हुआ है। उससे व्यक्ति के सोच-समझ का दायरा बढ़ा है। अच्छे-बुरे की पहचान बनी है। तन से स्वस्थ और मन से प्रसन्न रखने की तथ्यपूर्ण संगत जानकारी से परिवार परिचित हुआ है। सामाजिक बुराइयों से बचने लगा है।

पुरुष और नारी की परस्पर सहमति, अनुशासन, आत्मसमर्पण तथा कर्तव्यपालन पारिवारिक जीवन में सुख, शांति और उन्नति के सोपान हैं। औरों को खिलाकर खाना, मर्यादित काम और शृंगार, शिखर पुरुष (परिवार प्रमुख) का आदरपूर्ण अनुशासन, नैतिकता के प्रति आग्रह, परम्पराओं का सम्मान, पारस्परिक सहयोग से चलने की प्रेरणा में पारिवारिक जीवन का सौन्दर्य है। दूरदर्शन के अनेक कार्यक्रमों से इन बातों पर अच्छा प्रभाव भी पड़ा है।

दूसरी ओर, दूरदर्शन आज यथार्थ के नाम पर या खुलेपन के नाम पर परिवार को जो कुछ परोस रहा है उसका प्रभाव विष से भी अधिक विषाक्त है, नीम से भी अधिक कडुआ है और साइनोमाइड से भी अधिक मारक है। उसके अधिकांश कार्यक्रम पारिवारिक व्यूहरचना को तोड़ने की शिक्षा देते-देते परिवार के नैतिक मूल्यों को बेरहमी से रौंदते हैं। अनुशासन के प्रति विद्रोह के बीज बोते हैं तथा शालीनता, मान-मर्यादा की पावन भावना को कुचलते हैं। परिवार के प्रत्येक घटक में उसके अहं को तीव्र कर पारिवारिक सोच, समझ, समर्पण और समझौते की अन्त्येष्टि करते हैं। वासना और नग्नता का गन्दा नाला बहाकर, जीवन को कलुषित करते हैं।

दूरदर्शन जब अश्लील तथा कामुक दृश्यों, गीतों, संवादों की चासनी खुलेआम परोसता है तो विश्वामित्र की तपस्या भी भंग हो जाती है। नारद का हृदय भी डोल जाता है। नारी काअर्ध-नग्न क्या लगभग नग्न (केवल नितम्ब और स्तनों पर हलका-सा आवरण) शरीर, विविध रूप की उत्तेजनात्मक मुद्रा से वक्षों की मादक थिरकन, मदभरे नयनों का कटाक्ष, कूलहे मटकाने की शैली, शयन-दृश्य पारिवारिक जीवन में बची लाज की चिंदी-चिंदी उघाड़ चुके हैं। चेहरों से शर्म का परदा उतार चुके हैं। बहिन, भाभी, साली-सलहज तथा मित्रों के प्रति वासनात्मक लालसा-पिपासा दूरदर्शन द्वारा प्रदत्त मूल्यों की देन है।

इतना ही नहीं, जब दूरदर्शन सुपरहिट मुकाबला के नाम पर अश्लील गीतों का प्रदर्शन बार-बार करता है तो अबोध बालक भी अनजाने ‘चोली के पीछे क्या है ?’, ‘दरवाजा बंद कर दो’, चुम्मा चुम्मा दे दे’ गाने लगता है। कामसूत्र कंडोम का विज्ञापन देखता है तो संभोग-क्रिया से अनभिज्ञ बालक-बालिका भी माता-पिता से पूछ बैठते हैं, ‘यह निरोध क्या चीज है? किस काम आता है?’

नग्नता चाहे दृश्य की हो या गीत की जब तथाकथित कलात्मक रूप में प्रस्तुत होती है तो वह सृजनात्मकता का रूप लेती है, लेकिन जब वह प्रकृतवादी रूप में (ज्यों की त्यों) अभिव्यक्त होती है तो वह उससे भी अश्लील हो जाती है। घृणित होते हुए भी इसकी उपेक्षा इसलिए नहीं कर पाते क्योंकि उसका सीधा प्रभाव परिवार जन के चेतन अथवा अचेतन मन पर पड़ता है। इस प्रकार दूरदर्शन अश्लीलता को पारिवारिक मान्यता दिला रहा है।

दूरदर्शन की पारिवारिक जीवन को महत्त्वपूर्ण देन है ‘अहम्।’ अहम् अपने आप में गर्वपूर्ण तत्त्व है पर परिवार-जनों की यह धारणा कि मेरी भी कुछ सत्ता है’, पूरे परिवार को विद्रोह के कगार पर खड़ा कर देती है। अपनी सत्ता का भान कर्तव्य से शून्य अधिकार की माँग करता है। अधिकार–पूर्ति न होने पर परिवार में मन-मुटाव होता है। आज दूरदर्शन की अनुकम्पा से घर-घर महाभारत मचा है। परिवार के शिखर-पुरुष के अनुशासन की अवहेलना हो रही है।

तृष्णाओं की जागृति दूरदर्शन का विनाशकारी प्रसाद है। परिवार-जन जो कुछ दूरदर्शन पर देखते हैं, उसे प्राप्त करने तथा वैसा बनने की चेष्टा करते हैं। आय कम, साधन अपर्याप्त हों तो इच्छा पूर्ति किस प्रकार हो सकती है ? झूठ बोलना, प्रवंचना देना, चोरी करना, गलत काम करना, पापवृत्ति से पैसा कमाना, दुष्प्रवृत्ति में पड़ना दूरदर्शन-शैली में लालसा पूर्ति का परिणाम है। परिवार-जीवन की यह विडम्बना दूरदर्शन की ही देन है।

दूरदर्शन के आकर्षण से विद्यार्थी के अध्ययन में बाधा पड़ती है। घर के काम की उपेक्षा होती है। माता-पिता की आज्ञा की अवहेलना होती है। समयोचित कार्य करने में अनिच्छा होती है। महत्त्वपूर्ण कार्य की प्राथमिकता रुक जाती है। आलस्य और प्रमाद जीवन पर हावी होते हैं।

नैतिकता को तोड़ता दूरदर्शन, अंकुश-विहीन अनुशासन को जन्म देता है। फैशनी सौन्दर्यप्रियता को उच्छृखल काम-विलासिता में डुवोता है। चकाचौंध की दुनिया में घसीट कर विवेक के नेत्रों को फोड़ देता है।

दूरदर्शन ने अपने कार्यक्रमों द्वारा पारिवारिक जीवन में एक हलचल पैदा करके उसे जबरदस्त तरीके से बदला है। इस बदलाव का प्रभाव हमारे पारिवारिक मूल्यों पर निःसन्देह पड़ रहा है। अच्छा कम और बुरा ज्यादा।

दूसरी ओर, दूरदर्शन का उपयोग विद्यार्थी जीवन में पढ़ाई के समकक्ष (advantage of television in education) बहुत ही महत्वपूर्ण कहा जा सकता है क्योंकि दूरदर्शन के माध्यम से हम समाचार सुनकर वर्तमान में अपने देश या फिर विदेश में चल रही घटनाओं के बारे में जान सकते हैं। विश्व में कहां कौन सा खेल खेला जा रहा है। ओलंपिक ने किसने कितना पदक जीता। यह जानकारी प्राप्त करके प्रतियोगी परीक्षा में तैयारी करने वाले विद्यार्थी इसका उत्तर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखकर अच्छा अंक प्राप्त कर सकते हैं। जिससे उनके जीवन मैं नौकरी का आगमन हो सके और इसके अलावा वह देश विदेश की खबरें जो कि वर्तमान समय में चल रही है उससे वह अवगत रह सकें।

[Essay 6] दूरदर्शन : एक अभिशाप (Disadvantages of Television)

दूरदर्शन का प्रारम्भ भारत में 15 सितम्बर, 1959 से समझना चाहिए, जब तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्रप्रसाद ने आकाशवाणी के दूरदर्शन विभाग का उद्घाटन किया था। चार दशक की यात्रा में दूरदर्शन का विकास इस तेजी से हुआ है कि आज करीब छह करोड़ टी. वी. सेट, साढ़े छह सौ लघु शक्ति ट्रांसमीटर, तीन-सौ सैटलाइट, करीब एक लाख डिश एंटेना और केबल के तंत्र ने मिलकर भारत का चेहरा ही नहीं बदला, बल्कि रोटी, कपड़ा और मकान की तरह, यह भी जीवन की आवश्यकता बन गया है।

television disadvantages essay in hindi

चौबीस घंटे मनोरंजन देने की विवशता के कारण टी. वी. के नए खुलते चैनल तथा विदेशी चैनलों ने टी. वी. के विकास की विविधता तथा टेक्नोलॉजी में उत्तरोत्तर प्रगति की है। उपग्रह से सम्बद्धता ने टी. वी. के विकास में अनुपम सहयोग दिया है, प्रसारण की क्षमता ने अद्भुत शक्ति प्रदान की है, पर यह वरदान कम, अभिशाप अधिक बन रहा है। टी.वी. के प्रिय कार्यक्रम का समय है। मेहमान आ गए। बच्चों पर इसका प्रभाव (effect of television on children) और परिवारजनों का मुँह उतर गया। मन ही मन दुआ माँग रहे होते हैं कि यह खिसके तो कार्यक्रम का आनन्द लें। कान में फुसफुसाहट शुरू हुई। ‘टी.वी. लगा लूँ, मैच आ रहा है।’ बेशरम हुए तो बिना पूछे टी. वी. ‘ऑन’ कर देंगे। आज पूरी की पूरी पीढ़ी टी. वी. के मादक नशे से झूम रही है।

परिणामत: विद्यार्थी अध्ययन में कम, टी. वी. में ज्यादा ध्यान केन्द्रित करता है। पुत्रपुत्रियाँ टी. वी. के कारण माता-पिता की आज्ञा की अवहेलना करती हैं। सिनेमा-गृहों को टी. वी. ने खाली करवाया तो नाट्य-शालाओं के दर्शनों को अवरुद्ध किया। साहित्यिक, सांस्कृतिक पत्रिकाओं को तो जीवन-निकाला ही दे दिया। दैनंदिन-जीवन में टी. वी. के संक्रामक विषाणुओं ने जीवन की सोच, समझ, सभ्यता और संस्कारों को ही बदल दिया।

आज टी. वी. का इतना प्रभाव है कि साप्ताहिक, पाक्षिक, व्यावसायिक और साहित्यिक पत्रिकाओं की बात छोड़िए, दैनिक समाचार-पत्रों में एक पूरा रंगीन पृष्ठ छोटे-बड़े पर्दे के कारनामों को उजागर करता है।

माया नगरी के इस जादूगर के पिटारे में जो सम्मोहक रंग हैं, उसके प्रति आकर्षण क्यों न हो? जब छोटे-परदे से झरती हिंसा, मुक्त यौनाचार और विवाहेतर संबंधों की नईनई व्याख्या प्रस्तुत होती हों। उन्मुक्त काम दृश्य, युवतियों के निर्वस्त्र तन और वैसी भाषा खुले आम टी. वी. के जरिए घर में प्रवेश कर रही हो। वासनापूर्ण संवाद तथा कामोत्तेजक संगीत और गाने मन को गुंजारित कर रहे हों।

सूर्यबाला जी का मत है, ‘मनोरंजन के नाम पर यौन और हिंसा का अबोध बालकों के मन पर जिस तरह घोर कामुक मुद्राओं और चेष्टाओं का विषाक्त नशा पिलाया जा रहा है, उससे तो यही लगता है हँसते-खेलते, उम्र की दहलीज चढ़ते मासूम बच्चों को जैसे वेश्याओं के कोठों पर ला बिठाया गया है। सेक्स और हिंसा की ओवर डोज’ पाए हुए किशोर और युवा, आज भयावह और रोंगटे खड़े कर देने वाली अपराधी वृत्तियों की ओर धड़ल्ले से बढ़े रहे हैं।’

सुदर्शना द्विवेदी जी का मानना है, ‘जिस किस्म के बदतमीज, बदजबान, असंस्कारों और चरित्रशून्य किशोरों की उपस्थिति इन तमाम धारावाहिकों में दर्ज हो रही है, उससे दोहरा असर हो रहा है। एक ओर मूल्यहीनता की पढ़ाई ये किशोर बेहद तत्परता से पढ़ रहे हैं और नजीर (प्रमाण) के तौर पर इनके वाक्यों का इस्तेमाल भी कर रहे हैं। दूसरी ओर अभिभावकों को दिखाया जा रहा है कि यही है असली किशोर और अगर आपका किशोर इनसे कुछ बेहतर है यानी गीता और संगीता से इश्क लड़ाने और मुक्का मार कर पड़ोस के राजू की आँख फोड़ने के अलावा कुछ पढ़ भी लेता है तो आप अपने भाग्य सराहें।’

परिणामत: युवक-युवतियाँ कॉलिजों में पढ़ने कम दोस्ती-दुश्मनी, प्यार-मोहब्बत निभाने ज्यादा जाते हैं। सिगरेट और ड्रग्स, बियर और पब, छात्र-जीवन के जीवनदायी टॉनिक हैं। इससे आप खुद पता लगा सकते हैं कि टीवी देखना आपके लिए अच्छा है या बुरा।

स्थिति की भयावहता जिस तेजी से खतरे के बिंदु को पार करती जा रही है, उसमें दूरदर्शन के विज्ञापन भी कम दोषी नहीं हैं। तथाकथित साहसिक कारनामों और भयप्रद दृश्यों तथा सुरा-सुन्दरी के अश्लील चित्रों का जो एलबम विज्ञापन प्रस्तुत कर रहे हैं, उससे प्रेरित होकर किशोर-किशोरियाँ अपने जीवन से खेल रहे हैं। मृत्यु का आह्वान कर रहे हैं।

भाषा के नाम पर हिन्दी को विकृति और खिचड़ी भाषा का प्रश्रय तथा धारावाहिकों के परिचय में मुख्यत: अंग्रेजी भाषा का प्रयोग राष्ट्रभाषा का अपमान है।अकारण ही अंग्रेजी की गुलामी ओढ़ाने की चाल है। जाति-समाज की संस्कृति, आचार-विचार और जीवनमूल्य व्यवस्था नकारने की साजिश है।

अन्त्याक्षरी हमारी काव्य-सम्पदा का अंग है। उसका फूहड़ रूप जो सिनेमा गीतों में उतरा है, वह नई पीढ़ी को साहित्य से दूर करने का भयंकर षड्यंत्र है।

दूरदर्शन और बच्चों (television and children) का संबंध जैसे लगता है अन्योन्याश्रित संबंध बन गया हो। आजकल के बच्चे टीवी के बगैर ना खाना खाना पसंद करते हैं और ना ही टीवी के बिना रह सकते हैं। वह हमेशा अपना कार्टून नेटवर्क जमाए रहते हैं। जिनसे उनके आंखों के साथ-साथ उनकी बुद्धि पर भी असर पड़ता है। आप खुद सोच सकते हैं कि टीवी हमारे लिए जितना लाभदायक है उतना हानिकारक भी हो सकता है।

माता-पिता, प्रौढ़जन तथा शिष्ट व्यक्तियों पर संवादों द्वारा जो अपमानित प्रहार किए जाते हैं, वे मानव-मूल्यों को तिरस्कृत करके विद्रोह पैदा करते हैं। आज की युवा पीढ़ी का वृद्ध माता-पिता से विद्रोह टी.वी. प्रभाव का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

भारत की 80 प्रतिशत जनसंख्या मध्यमवर्ग या निम्न मध्यमवर्ग का जीवन जी रही है। फैशन, प्रेम, सेक्स, शराब, ड्रग्स और हिंसा के दृश्यों को जब वह प्रतिदिन बार-बार देखती है तो ये सभी.तत्त्व उसके रक्त में समा जाते हैं। कारण, सजीव दृश्यों का मानवमन पर अधिक और स्थिर प्रभाव पड़ता है। इन दृश्यों को जीवन में भोगने के लिए चाहिए पैसा। मन की इच्छा पूरी करने के लिए वह टी.वी. शैली में रिश्वत लेता है, चोरी करता है, डाके डालता है, गुंडागिरी, अपहरण, बलात्कार और हत्या करता है। तस्करी और स्मग्लिग के लिए अपराध-जगत् की शरण लेता है। इस प्रकार दूरदर्शन समाज-द्रोह और राष्ट्र-द्रोह की पाठशाला बन गया है।

दूरदर्शन अप-संस्कृति का प्रतीक बन गया है। मुसलमान बादशाह और अंग्रेजीसाम्राज्य अपने सैंकड़ों वर्षों के शासन-काल में जिस भारतीय संस्कृति को नष्ट नहीं कर सके, जिन उदात्त भारतीय परम्पराओं, मान्यताओं और सिद्धान्तों को खंडित नहीं कर सके, वह काम करने में दूरदर्शन सफलता की सीढ़िया चढ़ रहा है। टी. वी. के कुसंस्कारों के सम्मुख भारतीय-संस्कृति असहाय खड़ी है। भारत माता चीत्कार करते कह रही है-

मैं क्या दूँ वरदान तुम्हें?

आत्मा मेरी अभिशाप दे रही। 

मैं क्या हूँ?

Frequently Asked Questions

उत्तर: सितंबर, 1928 में

उत्तर: WGY Television

उत्तर: जर्मनी, 1929 में

उत्तर: फिलो टेलर फ़ार्नस्वर्थ (Philo Taylor Farnsworth)

उत्तर: वी शिवकुमारन, 1950 में

उत्तर: 1948 से 1959 के बीच

उत्तर: 30 सितंबर, 1929

उत्तर: BBC ने

उत्तर: हम लोग

उपसंहार (Conclusion of Television)

दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा लेख दूरदर्शन पर निबंध हिंदी में (Essay on Television in Hindi) पढ़ कर अच्छा लगा होगा और आपके सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए होगें।

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इन्हें भी पढ़ें :

  • विश्व बैंक क्या है? इसके उद्देश्य और कार्य क्या-क्या है?
  • साख क्या है? इसके प्रकार तथा लाभ-हानि क्या है?
  • मुद्रा क्या है? इसके कार्य,प्रकार और विशेषताएँ क्या है?

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टेलीविजन पर निबंध (Essay On Television in Hindi) 100, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे 10 lines

television disadvantages essay in hindi

Essay On Television in Hindi – टेलीविजन एक लोकप्रिय मनोरंजन उपकरण है। यह बहुत आम है और लगभग सभी घरों में पाया जाता है। जब टेलीविजन ने पहली बार प्रसारण शुरू किया, तो इसे “इडियट बॉक्स” के रूप में जाना जाता था क्योंकि उस समय टेलीविजन का एकमात्र उद्देश्य मनोरंजन प्रदान करना था। अब, प्रौद्योगिकी और रचनात्मकता की प्रगति के साथ, टेलीविजन एक महत्वपूर्ण जनसंचार माध्यम के रूप में उभरा है। आज टीवी पर कई सीखने वाले और सूचनात्मक चैनल हैं जो ज्ञान के साथ-साथ मनोरंजन के स्रोत के रूप में कार्य करते हैं।

“टेलीविजन” शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है: “टेली” और “विजन”। टेली ग्रीक मूल का एक उपसर्ग है, जिसका अर्थ दूर है, जिसका उपयोग लंबी दूरी पर संचालन के लिए उपकरणों के नाम बनाने में किया जाता है, जबकि दृष्टि का अर्थ है देखने की क्रिया या संकाय। “टेलीविजन” को सिग्नल प्राप्त करने के लिए एक स्क्रीन वाले उपकरण के रूप में कहा जा सकता है। 

टेलीविजन निबंध 10 लाइन्स (Television Essay 10 Lines in Hindi)

  • 1) फिलो टेलर फार्न्सवर्थ 1927 में टेलीविजन का विचार लेकर आए।
  • 2) भारत में पहली बार दूरदर्शन 1959 में दिखाया गया था।
  • 3) हम टीवी पर कोई फिल्म, खेल, समाचार या अन्य बहुत सी चीजें देख सकते हैं।
  • 4) लोगों के लिए खाली समय बिताने के लिए टीवी भी एक अच्छा तरीका है।
  • 5) टीवी लोगों को और अधिक रचनात्मक भी बनाता है।
  • 6) वैज्ञानिक ज्ञान के प्रसार का सबसे सशक्त माध्यम टेलीविजन है।
  • 7) अब इसके माध्यम से आध्यात्मिक और धार्मिक संदेश भी प्रसारित किए जाते हैं।
  • 8) टीवी देखने में बहुत अधिक समय व्यतीत करना समय की बर्बादी है।
  • 9) अधिक समय तक टीवी देखने से हमारा स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।
  • 10) हमें इसे सबसे अधिक सावधानी और अनुशासन के साथ उपयोग करने की आवश्यकता है।

टेलीविजन पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay on Television in Hindi)

टेलीविजन नवीनतम वैज्ञानिक चमत्कारों में से एक है जो लोगों को दुनिया से जोड़ता है। टेलीविजन संचार और मनोरंजन के माध्यम के रूप में अच्छा काम करता है। हम दुनिया भर में होने वाले महत्वपूर्ण खेल आयोजनों, राजनीतिक समाचारों और अन्य कार्यक्रमों का सीधा प्रसारण देख सकते हैं। इससे हमें दूर की चीजों, स्थानों और घटनाओं का सीधा बोध होता है। इस प्रकार, टेलीविजन ने पूरे विश्व को लिविंग रूम में ला दिया है। टेलीविजन देखने से हम ज्ञानी भी बनते हैं।

व्यापक शिक्षण के लिए टेलीविजन भी एक अन्य प्रभावी उपकरण है। लाखों लोग टीवी पर ऑडियो-विजुअल प्रस्तुति के माध्यम से स्वास्थ्य देखभाल, परिवार नियोजन और सामान्य ज्ञान पर शैक्षिक कार्यक्रम प्राप्त कर सकते हैं।

टेलीविजन पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay on Television in Hindi)

टेलीविजन दुनिया को जोड़ता है। आधुनिक दुनिया में, टेलीविजन से ज्यादा परिचित कुछ भी नहीं है। 1925 में जॉन बेयर्ड ने इसका आविष्कार किया। इसे भारत में 1959 में पेश किया गया था। यह वास्तव में विज्ञान में देखने के लिए एक आश्चर्य है। टेलीविजन के दो कार्य हैं। एक तरफ रेडियो है तो दूसरी तरफ सिनेमा हॉल। पहले रेडियो सुनते थे लेकिन आजकल लोग बड़े पर्दे पर फिल्में देखने के लिए सिनेमाघर जाते हैं। कई मायनों में टेलीविजन एक बहुत ही लाभकारी साधन है। यह निर्देश और मनोरंजन दोनों के लिए एक प्रभावी उपकरण है। टेलीविजन के माध्यम से लोग अध्ययन कर सकते हैं और ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।

टेलीविजन हमें सिनेमा दिखाता है और खेलों और खेलों का सीधा प्रसारण करता है। इसकी स्क्रीन पर हमें प्रकृति के रमणीय दृश्य और जंगलों में और समुद्र के गहरे पानी में घूमते जानवरों के रोमांचकारी दृश्य दिखाई देते हैं। हम कई शो और सीरियल और फिल्मों का आनंद ले सकते हैं। यह विज्ञापन का भी एक सशक्त माध्यम है।

लोगों को दिन में कम से कम आधा घंटा टेलीविजन देखना चाहिए। कई बार बच्चों पर टेलीविजन का बुरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि वे सारा दिन टेलीविजन के सामने बैठे रहते हैं और अपना पसंदीदा शो देखते हैं जो उनके लिए बहुत बुरा होता है। टेलीविजन पेशेवर लोगों के लिए अच्छा है और गैर-पेशेवर लोगों के लिए बुरा है।

टेलीविजन पर 250 शब्दों का निबंध (250 Words Essay on Television in Hindi)

साल 1927 में टेलीविजन का आविष्कार करने का श्रेय फिलो टेलर फार्न्सवर्थ को जाता है। तब से अब तक इसमें कई बदलाव किए गए। जब इसे पहली बार बनाया गया था, तो यह बहुत बड़ा था और काफी जगह घेरता था। लेकिन अब हम ऐसे टीवी खरीद सकते हैं जो पेंटिंग जितने पतले हों और जिन्हें दीवार पर लटकाया जा सके। टीवी अब केवल टीवी नहीं रह गए हैं; वे अब “स्मार्ट टीवी” हैं।

टेलीविजन का महत्व

टीवी के महत्व पर हर किसी का अलग नजरिया होता है। यह हमें बताता है कि शहर, राज्य, देश या दुनिया में क्या हो रहा है। यह एक देश के नेता के लिए लोगों से बात करने का एक तरीका है। अब जबकि टेलीविजन पर बहुत सारे शैक्षिक कार्यक्रम हैं, यह छात्रों के लिए सीखने का एक बेहतर तरीका है। हम टीवी से दुनिया के इतिहास, प्राचीन सभ्यताओं और अतीत के बारे में अन्य तथ्यों के बारे में सीखते हैं।

टेलीविजन का प्रभाव

टेलीविजन का हमारे सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक जीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। टीवी देखने से व्यक्ति के तन और मन पर भी प्रभाव पड़ सकता है। चैनलों पर दिखाई जाने वाली कुछ खबरें गलत भी हो सकती हैं। बहुत से लोग टीवी देखते समय खाना भूल जाते हैं। जब आपके पास खाली समय हो तो टीवी देखना ठीक है, लेकिन कुछ लोग अपना महत्वपूर्ण काम नहीं कर पाते क्योंकि वे अपने पसंदीदा टीवी शो या फिल्म देखने में व्यस्त रहते हैं। इसने नई पीढ़ी को बहुत बुरे तरीकों से प्रभावित किया है।

टेलीविजन देखने के प्रभाव अच्छे और बुरे दोनों हो सकते हैं। हालाँकि, हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि एक उपकरण सिर्फ एक उपकरण है, अच्छा या बुरा नहीं। यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि हम इसका उपयोग और उपयोग कैसे करते हैं।

टेलीविजन पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay on Television in Hindi)

टेलीविजन वास्तव में शिक्षा का एक बड़ा स्रोत हो सकता है यदि केवल सूचनात्मक और ज्ञान आधारित चैनल देखे या सब्सक्राइब किए जाएं। ऐसे कई चैनल हैं जो स्कूल और कॉलेज जाने वाले छात्रों के लिए शैक्षिक कार्यक्रम पेश करते हैं। छात्रों के लिए विशिष्ट विषयों पर आधारित ट्यूटोरियल चैनल भी हैं। विभिन्न प्रकार के दर्शकों को पूरा करने के लिए एक टेलीविजन में विभिन्न प्रकार के शैक्षिक कार्यक्रम होते हैं। इसमें बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों के लिए भी शैक्षिक कार्यक्रम हैं।

शिक्षा में टेलीविजन की भूमिका

शिक्षा निर्माण में टेलीविजन की भूमिका को दुनिया भर के कई देशों ने स्वीकार किया है। इसका उपयोग औपचारिक और गैर-औपचारिक शिक्षा दोनों को प्रभावी ढंग से पढ़ाने के लिए एक उपकरण के रूप में किया जाता है। एक टेलीविजन को स्कूल के पाठ्यक्रम के साथ जोड़ा जा सकता है और एक विशिष्ट विषय को पढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

टेलीविजन उन युवाओं और वयस्कों के लिए प्रभावी ढंग से गैर-औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने का एक प्रभावी तरीका है, जिनके पास औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने का अवसर नहीं था। यह प्रभावी ढंग से कौशल प्रदान कर सकता है, व्यावसायिक प्रशिक्षण और अन्य आवश्यक सांस्कृतिक और नागरिक शिक्षा प्रदान कर सकता है, जब इसे ठीक से उपयोग किया जाए।

शैक्षिक टेलीविजन कार्यक्रम

न्यूटन के गति के नियमों को समझने के लिए आज आपको स्कूल के बाद अपने भौतिकी के शिक्षक से संपर्क करने की आवश्यकता नहीं है। आपको बस अपने टेलीविजन में शैक्षिक अनुभाग में स्विच करने और भौतिक विज्ञान में कई ट्यूटोरियल कार्यक्रमों में से चुनने की आवश्यकता है।

विषय उन्मुख कार्यक्रमों के बावजूद, एक टेलीविजन विभिन्न अन्य गैर-औपचारिक शिक्षा कार्यक्रमों की पेशकश करता है जो विषय वस्तु के अलावा अन्य मुद्दों पर आपके समग्र ज्ञान को बढ़ाते हैं। कुछ उदाहरण देने के लिए हिस्ट्री चैनल, डिस्कवरी चैनल, नेशनल ज्योग्राफिक चैनल और विभिन्न अन्य विज्ञान आधारित चैनल शिक्षा प्रदान करने का एक बड़ा काम करते हैं।

शिक्षा निर्माण में टेलीविजन की भूमिका को दुनिया भर में व्यापक रूप से स्वीकार किया जा रहा है। दुनिया के कुछ सुदूर कोनों में भी टेलीविजन की उपलब्धता टेलीविजन के माध्यम से शिक्षा के लिए एक अतिरिक्त लाभ है। जिन लोगों की औपचारिक शिक्षा या स्कूल की अवधारणा तक पहुंच नहीं है, उनके पास टेलीविजन शैक्षिक कार्यक्रमों में आशा की एक किरण है।

टेलीविजन पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay on Television in Hindi)

टेलीविजन सबसे लोकप्रिय उपकरणों में से एक है जिसका उपयोग पूरी दुनिया में मनोरंजन के लिए किया जाता है। यह आजकल काफी आम हो गया है और लगभग हर घर में एक टेलीविजन सेट होता है। शुरुआत में, हम देखते हैं कि कैसे इसे ‘इडियट बॉक्स’ कहा जाता था। ऐसा ज्यादातर इसलिए था क्योंकि उन दिनों में मनोरंजन के बारे में सब कुछ था। उसके पास इतने सूचनात्मक चैनल नहीं थे जितने अब हैं।

इसके अलावा, इस आविष्कार के साथ, सनक ने कई लोगों को अपना सारा समय टीवी देखने में बिताने के लिए आकर्षित किया। लोग इसे हानिकारक मानने लगे क्योंकि यह बच्चों को सबसे अधिक आकर्षित करता था। दूसरे शब्दों में, बच्चे अपना अधिकांश समय टीवी देखने में बिताते हैं और पढ़ाई नहीं करते। हालाँकि, जैसे-जैसे समय बीतता गया, टेलीविजन के चैनल बदलते गए। अधिक से अधिक चैनलों को विभिन्न विशेषताओं के साथ प्रसारित किया गया। इस प्रकार इसने हमें मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान भी दिया।

टेलीविजन देखने के फायदे

टेलीविजन के आविष्कार ने हमें कई तरह के लाभ दिए। यह आम आदमी को मनोरंजन का सस्ता साधन उपलब्ध कराने में सहायक था। चूंकि वे बहुत किफायती हैं, अब हर कोई टेलीविजन का मालिक हो सकता है और मनोरंजन तक पहुंच प्राप्त कर सकता है।

इसके अलावा, यह हमें दुनिया की नवीनतम घटनाओं से अपडेट रखता है। दुनिया के दूसरे कोने से समाचार प्राप्त करना अब संभव है। इसी तरह, टेलीविजन शैक्षिक कार्यक्रम भी प्रदान करता है जो विज्ञान और वन्य जीवन और अन्य के बारे में हमारे ज्ञान को बढ़ाता है।

इसके अलावा, टेलीविजन व्यक्तियों को कौशल विकसित करने के लिए भी प्रेरित करता है। उनके पास प्रेरक वक्ताओं के भाषण दिखाने वाले विभिन्न कार्यक्रम भी हैं। यह लोगों को बेहतर करने के लिए प्रेरित करता है। आप यह भी कह सकते हैं कि टेलीविज़न हमें मिलने वाले जोखिम को बढ़ाता है। यह कई खेलों, राष्ट्रीय आयोजनों और बहुत कुछ के बारे में हमारे ज्ञान को बढ़ाता है।

टेलीविजन जहां बहुत सारे फायदे लेकर आता है, वहीं इसका एक नकारात्मक पक्ष भी है। टेलीविजन युवाओं के दिमाग को भ्रष्ट कर रहा है और हम आगे चर्चा करेंगे कि कैसे।

टेलीविजन युवाओं को कैसे नुकसान पहुंचा रहा है

सबसे पहले, हम देखते हैं कि कैसे टेलीविजन अनुचित सामग्री प्रसारित कर रहा है जो सभी प्रकार की सामाजिक बुराइयों जैसे हिंसा, छेड़खानी और बहुत कुछ को बढ़ावा देता है। दूसरा, यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होता है। अगर आप घंटों टीवी के सामने बिताते हैं तो आपकी आंखों की रोशनी कमजोर हो जाती है। आपके आसन से आपकी गर्दन और पीठ में भी दर्द होगा।

साथ ही यह लोगों को एडिक्ट भी बनाता है। लोग अपने टीवी के आदी हो जाते हैं और सामाजिक संपर्क से बचते हैं। यह उनके सामाजिक जीवन को प्रभावित करता है क्योंकि वे अपना समय अपने कमरे में अकेले बिताते हैं। यह लत उन्हें कमजोर भी बनाती है और वे अपने कार्यक्रमों को भी गंभीरता से लेते हैं।

सबसे ख़तरनाक न्यूज़ चैनलों और अन्य पर प्रसारित होने वाली फ़र्ज़ी जानकारी है। कई मीडिया चैनल अब केवल सरकारों के दुष्प्रचार को बढ़ावा दे रहे हैं और नागरिकों को गलत जानकारी दे रहे हैं। यह हमारे देश के अन्यथा शांतिपूर्ण समुदाय के भीतर बहुत अधिक विभाजन का कारण बनता है।

इस प्रकार, टीवी देखने पर नियंत्रण रखना बेहद जरूरी है। माता-पिता को अपने बच्चों के टीवी देखने के समय को सीमित करना चाहिए और उन्हें बाहरी खेलों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। जहां तक ​​माता-पिता की बात है, हमें टीवी पर हर बात को सच नहीं मानना ​​चाहिए। हमें स्थिति का बेहतर निर्णायक होना चाहिए और बिना किसी प्रभाव के समझदारी से काम लेना चाहिए।

 टेलीविजन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q.1 स्मार्ट टीवी क्या है.

उत्तर. शब्द “स्मार्ट टीवी” उन टेलीविज़न को संदर्भित करता है जिनमें इंटरनेट से जुड़ने के लिए पहले से ही अंतर्निहित तकनीक है।

Q.2 टीवी को हिंदी में क्या कहते हैं?

उत्तर. हिंदी में टेलीविजन को दूरदर्शन के नाम से जाना जाता है।

Q.3 टेलीविजन का मूल शब्द क्या है?

उत्तर. टेलीविजन शब्द बनाने के लिए दो शब्दों को एक साथ रखा गया था। “टेली” शब्द का अर्थ है “दूर” और “दृष्टि” का अर्थ है “देखने में सक्षम होना”।

Q.4 कौन सा ब्रांड टेलीविजन का सबसे बड़ा उत्पादक है?

उत्तर. सैमसंग दुनिया में टेलीविजन का सबसे बड़ा उत्पादक है।

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Essay on Television in Hindi: जानिए टेलीविजन पर परीक्षाओं में पूछे जाने वाले निबंध

television disadvantages essay in hindi

  • Updated on  
  • नवम्बर 22, 2023

Essay on Television in Hindi

टेलीविजन, जिसे आम बोल-चाल में “इडियट बॉक्स” या “छोटी स्क्रीन” कहा जाता है। यह हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग है। शुरुआत से ही टेलीविजन लोगों के लिए मनोरंजन के साथ जानकारी के एक शक्तिशाली माध्यम के रूप में भी काम कर रहा है। टेलीविजन ने पिछले कुछ दशकों में एक उल्लेखनीय परिवर्तन किया है। टेलीविजन के महत्व के साथ इसके कुछ नुकसान भी हैं जो लोगों को ध्यान में रखने चाहिए। टेलीविजन लगभग प्रत्येक घर में पाया जाता है और इतना अधिक उपयोगी साधन होने के कारण कई बार विद्यार्थियों से टेलीविजन पर निबंध तैयार करने के लिए दिया जाता है। यदि आप Essay on Television in Hindi के बारे में जानना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें।  

This Blog Includes:

टेलीविजन पर निबंध सैंपल 1, टेलीविजन पर निबंध सैंपल 3, टेलीविजन को देखने के फायदे, टेलीविजन को अत्याधिक देखने से युवाओं को किस प्रकार नुकसान होता है, टेलीविजन पर 10 लाइन्स.

आज टेलीविज़न के समय में प्रत्येक घर में पाया जाता है। यह एक शक्तिशाली माध्यम के रूप में कार्य करता है जो लोगों का मनोरंजन करता है, शिक्षित और सचेत करता है और उन्हें सूचना उपलब्ध करवाता है। शुरुआत के समय में ब्लैक एंड व्हाइट इमेज बॉक्स होने से लेकर आज की हाई-डेफिनिशन, इंटरनेट से जुड़ी स्क्रीन तक, टेलीविजन ने एक ट्रांसफॉर्मेटिव यात्रा की है। यह वैश्विक घटनाओं और विविध संस्कृतियों के बारे में जानकारी देता है। चाहे वह समाचार हो, खेल हो, डॉक्यूमेंट्री फिल्म हो, या काल्पनिक नाटक हो, टेलीविजन विविध प्रकार की रुचियों को पूरा करता है।  हालाँकि, इसका प्रभाव मनोरंजन के अलावा भी है;  टेलीविजन पब्लिक ओपिनियन को आकार देता है और कल्चरल कंजर्वेशन को बढ़ावा देता है।  टेलीविजन सामान्य जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है, जो सोशल ट्रेंड्स को दर्शाता है और दुनिया भर के दर्शकों के लिए एक साझा अनुभव प्रदान करता है।

टेलीविजन पर निबंध सैंपल 2

टेलीविज़न, जो एक समय सीमित चैनलों को प्रसारित करने वाला एक साधारण बॉक्स था। आज के समय में एक डायनेमिक पावर के रूप में विकसित हुआ है जो मनोरंजन को लोगों को मनोरंजन के अलावा भी जानकारी उपलब्ध करावाता है। आज डिजिटल युग में, यह न केवल दर्शकों कर लिए है बल्कि हमें दुनिया से जोड़ने वाले एक मध्य रूप में भी काम करता है। स्मार्ट टीवी और स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म के आने से ने देखने के अनुभव को बदल दिया है, जो लोगों के लिया ढेर सारा कंटेंट पेश करता है।

टेलीविजन को एक स्टोरी टेलर भी कह सकते हैं, जो स्टोरीज के माध्यम से लोगों को एक साथ ला रहा है। इससे हम नई संस्कृतियों, आस पास दृश्यों और दृष्टिकोणों से परिचित होते हैं जो हमारी पहुंच से परे हैं।  ऑन-डिमांड प्रोग्रामिंग के बढ़ने के साथ, दर्शक अपने कंटेंट को क्यूरेट कर सकते हैं।

इसके अलावा, टेलीविजन ने सोशल नेरेटिव्स को आकार देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।  समाचार चैनल सूचना प्रसारित करने और जनमत तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।  सामाजिक मुद्दों और वैश्विक घटनाओं को बहुत कम समय में फोकस में लाया जाता है। जागरूकता को बढ़ावा दिया जाता है।

टेलीविजन का इतना अधिक उपयोग इसके प्रभाव के बारे में चिंता पैदा करता है। लेकिन साथ ही टेलीविजन आवश्यक जानकारी और मनोरंजन प्रदान करके हमारे जीवन को समृद्ध बनाता है। इस चीज पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है कि यह ध्यान भटकाने के बजाय ज्ञान का स्रोत बना रहे।

Essay on Television in Hindi पर निबंध सैंपल 3 नीचे दिया गया है-

टेलीविज़न लोगों के बीच में सबसे लोकप्रिय उपकरणों में से एक है। इसका उपयोग पूरी दुनिया में मनोरंजन के लिए किया जाता है। शुरुआत से आज तक परिवार के सभी सदस्यों के बीच इसका उपयोग किया जाता है और लगभग हर घर में एक टेलीविजन सेट होता है। जब यह शुरुआत में उपयोग में लिया गया था, हम देखते थे कि लोगों के द्वारा कैसे इसे ‘इडियट बॉक्स’ कहा जाता था। ऐसा ज्यादातर इसलिए था क्योंकि उन दिनों, यह सब मनोरंजन के बारे में था।  इसमें उतने सूचनाप्रद चैनल नहीं थे जितने अब हैं। लेकिन आज के समय में यह लोगों के जीवन का एक अभिन्न अंग। मूवीज से लेकर न्यूज तक और कार्टून से लेकर क्रिकेट तक, कई चीजें देखने के लिए इसका आज भी व्यापक रूप उपयोग किया जाता है। 

टेलीविज़न के आविष्कार से कई लाभ हुए हैं, जिससे आम आदमी को मनोरंजन का एक किफायती स्रोत उपलब्ध हुआ।  इसके सामर्थ्य ने इसे सभी के लिए सुलभ बना दिया, जिससे टेलीविजन कार्यक्रमों का बहुत बड़े स्तर पर आनंद लिया जा सका।

इसके अलावा, टेलीविजन सूचना प्राप्त करने के लिए एक मूल्यवान स्रोत के रूप में कार्य करता है, जो हमें ग्लोबल  इवेंट्स पर अपडेट रखता है। एजुकेशनल प्रोग्राम हमारे ज्ञान में योगदान करते हैं, विज्ञान और वन्य जीवन जैसे विषयों में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।

टेलीविजन प्रेरणा और कौशल विकास में भी भूमिका निभाता है।  मोटिवेशनल स्पीकर वाले कार्यक्रमों के साथ, यह व्यक्तियों को सुधार के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित करता है। इसके अतिरिक्त, यह विभिन्न खेलों, राष्ट्रीय आयोजनों और बहुत कुछ को कवर करके हमें उनके बारे में जानकारी देता है।

इन फायदों के बावजूद, टेलीविजन का एक नकारात्मक पहलू भी है।  यह युवाओं के दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, जिस विषय पर हम अधिक विस्तार से विचार करेंगे।

कई बार टेलीविजन अनुचित सामग्री प्रसारित करता है जो हिंसा और छेड़छाड़ जैसी विभिन्न सामाजिक बुराइयों को बढ़ावा देता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा करता है, आंखों की रोशनी कमजोर करता है और उन लोगों के लिए गर्दन और पीठ में दर्द पैदा करता है जो अत्यधिक घंटे देखने में बिताते हैं।

इसके अलावा, टेलीविजन लत को बढ़ावा देता है, जिससे व्यक्ति खुद को सामाजिक मेलजोल से अलग कर लेते हैं। यह लोगों के सामाजिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है क्योंकि वे खुद को एकांत स्थानों तक सीमित कर लेते हैं और सिर्फ अपने टीवी कार्यक्रमों को बहुत गंभीरता से लेते हैं।

सबसे खतरनाक पहलू समाचार चैनलों और अन्य मीडिया आउटलेट्स के माध्यम से फर्जी सूचनाओं का प्रसार है। कई चैनल अब सरकारी प्रचार-प्रसार कर रहे हैं, जिससे हमारे सौहार्दपूर्ण समुदाय में विभाजन पैदा हो रहा है।

इसलिए, टीवी देखने को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है। माता-पिता को अपने बच्चों के स्क्रीन समय को सीमित करना चाहिए, बाहरी गतिविधियों को प्रोत्साहित करना चाहिए। दर्शकों के रूप में, हमें टीवी पर आने वाली हर बात को निर्विवाद रूप से सच नहीं मानना चाहिए। उपलब्ध जानकारी का आलोचनात्मक मूल्यांकन करना, अनुचित प्रभाव से मुक्त होकर, विवेकपूर्ण और स्वतंत्र रूप से कार्य करना आवश्यक है।

टेलीविजन दर्शकों के लिए फायदेमंद है या नुकसानदेह, इस पर चर्चा बहुत बड़ी हो सकती है। फिर भी आपको यह बात ध्यान में रखना आवश्यक है कि कोई उपकरण स्वयं न तो स्वाभाविक रूप से अच्छा है और न ही बुरा; टेलीविजन बस एक उपकरण है। इसका प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति इसका उपयोग कैसे करते हैं। टेलीविजन का विवेकपूर्ण उपयोग करके और अपने देखने के समय का प्रबंधन करके, हम इसकी कमियों को कम करते हुए इसके लाभों का उपयोग कर सकते हैं।

Essay on Television in Hindi जानने के बाद अब जानिए टेलीविजन पर 10 लाइन्स, जो नीचे नीचे दी गई हैं-

  • आज केसमय में टेलीविजन मनोरंजन और दुनिया के बारे में जानकारी के सबसे लोकप्रिय स्रोतों में से एक है।
  • टेलीविज़न नाम के इस शब्द को प्राचीन ग्रीक शब्द “टेली” से आया है, जिसका अर्थ है दूर और लैटिन शब्द “विज़ियो” जिसका अर्थ है दृष्टि।
  • TV नाम को वर्ष 1948 में टेलीविज़न के संक्षिप्त रूप के कहां जाने लगा। 
  • शुरुआत के समय टेलीविजन में CRT मॉनिटर का उपयोग किया जाता था। आधुनिक टेलीविजन LED या LCD का उपयोग करते हैं।
  • कलर टीवी का आविष्कार के जॉन लोगी बेयर्ड ने 1937 में किया गया था।
  • पुराने टेलीविज़न साधारण एंटेना के द्वारा या केबल से उपलब्ध नेटवर्क पर संचालित होते थे।
  • मॉडर्न टीवी स्मार्ट हैं और मोबाइल फोन के समान हैं।
  • टेलीविज़न दशकों से लोगों के लिए मनोरंजन उपलब्ध करवाने का कार्य कर रहा है।
  • टेलीविजन के फायदे और नुकसान दोनों हैं।
  • BARC के अनुसार, 2018-2020 के बीच 6.9% अधिक भारतीय परिवारों के पास टीवी है।

टेलीविज़न चलती छवियों और ध्वनि को प्रसारित करने का एक टेलीकम्युनिकेशन माध्यम है। यह शब्द टेलीविज़न सेट, या टेलीविज़न प्रसारण के माध्यम को बताता है। टेलीविजन विज्ञापन, मनोरंजन, समाचार और खेल का एक जन माध्यम है।

फिलो फ़ार्नस्वर्थ जो की एक अमेरिकी आविष्कारक जिन्होंने पहली पूर्ण-इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन प्रणाली विकसित की।

फोटो सिस्टम के डेवलप होने के बाद ऐसे माध्यम की खोज शुरू हुई जिसमें चल चित्र देखें जा सकते थे, अंत में टेलीविजन का निर्माण हुआ। टेलीविज़न का आविष्कार संभवतः घर में निजी देखने की सुविधा के लिए किया गया था। साथ में लोगों को अपने प्रियजनों के साथ भी समय बिताने का मौका मिला।

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में Essay on Television in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी प्रकार के अन्य कोर्स और सिलेबस से जुड़े ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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  • Essay On Advantages And Disadvantages Of Television

Essay on Advantages and Disadvantages of Television

500+ words essay on advantages and disadvantages of television.

In today’s world, communication is a crucial aspect of life. Technological advancements made communication more accessible and cheaper. Among all the communication devices such as smartphones, radios, and emails, television is the prominent and common medium for communication. We get to see television in every household. It is an integral part of our society that significantly impacts our social, educational, and cultural life. It reaches a mass audience and provides information about the daily happenings in the world. Furthermore, it is a common source of entertainment among family members.

John Logie Baird invented the television in the 1920s. The word “tele” means distance, and “vision” means to see, which means to watch it from a distance. When television was invented, it showed only pictures of low resolution. But, later on, televisions were modified with the latest technologies. Televisions that we purchase today come with multiple features. We can connect our phone, laptop, tab, and internet access various online apps, HD/UHD quality pictures, 4k-8k resolutions, etc.

We can also watch various educational channels on television. It also keeps us updated by providing news about the world through different news channels. Along with information, it also entertains us with movies, serials, dramas, reality shows, music channels, yoga channels, etc.

So, having a television at home seems to be a great advantage, but the disadvantages are also threatening. The time it consumes from our day-to-day life is more. You can see people going out of routine or postponing schedules if they become addicted to watching television.

Here, in the essay, we will discuss the advantages and disadvantages of watching television.

Advantages of Television

Television comes with enormous advantages. The most important is it gives us information about current affairs and events across the globe. This information is broadcasted through various news channels, which helps us to keep ourselves updated about recent happenings. It also shares information about multiple programmes or facilities launched by the government. The government also take the help of news channels to communicate with the mass.

We can watch daily soaps, reality shows, music channels, movies, etc. We can also watch food channels and try out recipes at home. During the morning time, if you switch on the television, you will get to watch telemarketing ads. Specific channels broadcast only ads for multiple products, and people can also buy them.

Children can watch various cartoons on the television. Some cartoons teach children about moral values and lessons. It also keeps us informed about the economic condition and the stock market. We also get to watch various fashion shows and keep updated about the latest trends on television.

Earlier, television was costly, but now it comes at an affordable price with multiple features. Now, we get the option to subscribe to our favourite channels and only need to pay for those channels. Educational programmes are also available on television. We can also watch live cricket shows and cheer for our country. Television also telecasts interviews of various political leaders, celebrities, influencers, famous personalities, etc. We can also gain knowledge by watching various quiz programmes.

Television provides opportunities to spend time with our family and friends. We can enjoy watching a movie together. Various channels telecast comedy shows that help us keep positivity in our lives. We also watch movies in different regional languages like Tamil, Kannada, Telugu, etc. It helps us connect with people from diverse backgrounds.

Nowadays, we can also play games on the television and watch agricultural programmes specially designed for the farmers. It promotes national integration.

Disadvantages of Television

There are advantages of watching television, but it also comes with disadvantages. Watching too much TV affects our mental and physical health. When we watch television continuously, it affects our eyes and makes us lazy. Even there are some programmes which are not suitable for kids. We even compromise our sleep to watch TV. Children lose their concentration on their studies by watching too much television. Children prefer to watch TV over reading books to spend their leisure time.

Conclusion of Essay on Advantages and Disadvantages of Television

There are advantages and disadvantages of television. If television is helpful, it is harmful too. One should not watch television excessively.

We hope you found this essay on the advantages and disadvantages of television helpful. Check BYJU’S for more such CBSE Essays on different topics. You can also find CBSE study materials and resources for Classes 1 to 12.

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Essay On Importance Of Television:टेलीविजन का महत्व

Meena Bisht

  • July 7, 2020
  • Hindi Essay

Essay On Importance Of Television in Hindi : टेलीविजन का महत्व निबन्ध

Essay On Importance Of Television 

टेलीविजन का महत्व पर हिन्दी निबन्ध.

Content / संकेत बिन्दु / विषय सूची 

प्रस्तावना 

  • टेलीविजन का महत्व (Importance of Television)
  • टेलीविजन से लाभ (Advantages from Television)
  • टेलीविजन से हानि (Disadvantages from Television)

टेलीविजन के आविष्कार को हम “विज्ञान का चमत्कार” या “विज्ञान की अनोखी देन” कहें तो अतिश्योक्ति नही होगी ।टेलीविजन के माध्यम से हमें देश , दुनिया की हर खबर पलक झपकते ही मिल जाती हैं। विज्ञान के इस आविष्कार ने लोगों का मनोरंजन करने , उन्हें ज्ञान विज्ञान की बातों सिखाने तथा दुनिया भर की खबरें व जानकारी देने की जिम्मेदारी बखूबी उठाई है।

टेलीविजन का आविष्कार स्कॉटिश इंजीनियर और अन्वेषक जाॅन लाॅगी बेयर्ड (John Logie Baird) ने किया था।

टेलीविजन का महत्व (Essay On Importance Of Television)

टेलीविजन का महत्व इसी बात से समझा जा सकता है कि आज हर घर में कुछ हो ना हो लेकिन टेलीविजन अवश्य होता है। इसका स्थान हर घर में एक सदस्य के जैसे ही है।जो बिना रुके बिना थके लोगों का मनोरंजन करता हैं। मजे की बात यह है कि इस टेलीविजन में हर वर्ग की रूचि के अनुसार कुछ ना कुछ कार्यक्रम अवश्य मिल जाएगा।

जहाँ एक ओर बुजुर्ग लोगों के लिए धार्मिक प्रोग्राम या भजनों के कार्यक्रम आते हैं। वही दूसरी ओर युवा वर्ग के लिए उनके मनपसंद के कार्यक्रम मिल जाएंगे। महिलाओं के लिए उनकी रूचि के अनुसार कई सारे सीरियल दिनभर चलते रहते हैं। इसी तरह बच्चों के लिए कार्टून चैनलों की भरमार है।

यानी एक टीवी घर के हर सदस्य की “अलादीन के चिराग” की तरह इच्छाएं पूरी करता है और उनका भरपूर मनोरंजन करता हैं। किसी को भी निराश नहीं करता है।

शुरू शुरू में टेलीविजन सिर्फ श्वेत श्याम (Black And White ) होते थे। लेकिन अब तो टेलीविजन की दुनिया पूरी तरह से रंगीन है।और रंगीन टेलीविजन को देखने का मजा ही कुछ और हैं।

पहले सिर्फ रेडियो ही हुआ करते थे। लेकिन टेलीविजन के आने के बाद बहुत बदलाव आया। क्योंकि रेडियो व टेलीविजन में बहुत बड़ा अंतर है। रेडियो पर केवल आवाज ही सुनाई देती है। जबकि टेलीविजन में हम आवाज के साथ-साथ दृश्य भी देख सकते हैं।

टेलीविजन के पर्दे में हम कलाकारों को एक साथ नाचते-गाते , बोलते , संवाद व अभिनय करते देख सकते हैं।

पहले टेलीविजन में सिर्फ एक चैनल दूरदर्शन हुआ करता था। दूरदर्शन यानी दूर की चीजों को सामने दिखाना। दरअसल पहले सिर्फ दूरदर्शन समाचारों के साथ साथ उनसे संबंधित दूर-दूर की घटनाओं को हमारे सामने पेश करता है। इसीलिए इसका नाम दूरदर्शन पड़ा।

लेकिन अब तो टेलीविजन में चैनलों की बाढ़ सी आ गयी हैं। और हर चैनल अलग तरह के कार्यक्रमों को पेश करता है। जैसे कोई चैनल भक्ति से संबंधित कार्यक्रमों को पेश करता है तो कोई चैनल फिल्मों को दिखाता है।इसीलिए हर चैनल के अपने अलग दर्शक वर्ग हैं।

आजकल तो समाचार चैनल भी चौबीसों घंटे दुनिया भर के समाचारों या खबरों को पल भर में आपके सामने पेश कर देते हैं। और यह समाचार चैनल 24/7 चलते रहते हैं।  आज हम समाचारों के साथ-साथ उनसे संबंधित हर घटना के दृश्य को आराम से टेलीविजन के पर्दे पर देख सकते हैं।

टेलीविजन से लाभ (Advantages Of Television)

टेलीविजन मनोरंजन का एक अनोखा खजाना है। इसमें तरह-तरह के कार्यक्रम दिखाई जाते हैं। चाहे क्रिकेट हो या फुटबॉल या और तरह के खेल , वो चाहे दुनिया के किसी भी कोने में खेले जा रहे हो।  हम उन्हें घर बैठ कर आराम से देख सकते हैं।

टेलीविजन में तरह-तरह के कार्यक्रम दिखाए जाते हैं। जैसे नृत्य , नाटक ,  सीरियल ,फिल्में , कवि सम्मेलन , मुशायरे आदि अनेक कार्यक्रम टेलीविजन पर दिखाए जाते हैं।

आजकल तो टेलीविजन पर विभिन्न प्रकार के भोजन बनाने की विधियां , हस्तकला से जुड़े सामानों को आसानी से बनाना भी सिखाया जाता है। इसके अलावा टेलीविजन पर विविध विषयों पर चर्चा की जाती है जिनके माध्यम से हमें अनेक जानकारियां मिलती हैं।

टेलीविजन समाज और राष्ट्र को जागृत करने का एक सशक्त माध्यम है।अच्छे कार्यक्रम दर्शकों के मन में बहुत अच्छा प्रभाव डालते हैं।

चुनाव के वक्त भी टेलीविजन अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दहेज प्रथा , ऊंच-नीच , भेदभाव तथा सामाजिक व धार्मिक संकीर्णता को दूर करने के लिए टेलीविजन सबसे सशक्त माध्यम है।

टेलीविजन में प्रसारित होने वाले रामायण और महाभारत जैसे सीरियलों ने हमारी संस्कृति का परिचय हमारे नव युवकों व बच्चों से कराया। इसके माध्यम से हमारे बच्चों ने हमारे पूर्वजों की संस्कृति को जाना व पहचाना।

टेलीविजन का एक और रूप हाल ही में हमारे सामने आया है। वह हैं इसके माध्यम से ऑनलाइन पढाई। टेलीविजन ना सिर्फ मनोरंजन प्रदान करता है बल्कि हाल ही में जब कोरोनावायरस की वजह से पूरे देश में लॉकडाउन हुआ। और सारे स्कूल कॉलेज बंद हो गए।

तब सरकार ने टेलीविजन के दूरदर्शन चैनल के माध्यम से बच्चों को पढ़ाने की अनोखी पहल की। इसके माध्यम से उन्होंने गणित , विज्ञान , अंग्रेजी , हिंदी विषयों का बेहतरीन शिक्षकों के द्वारा पठन-पाठन जारी रखा।  ताकि बच्चों की पढ़ाई का नुकसान ना होने पाए। और सरकार का यह प्रयास सफल व सराहनीय भी रहा।घर बैठे बैठे दूरदर्शन के माध्यम से हजारों बच्चों ने अपनी पढ़ाई को बिना किसी रूकावट के जारी रखा।

टेलीविजन से हानि  (Disadvantages Of Television)

जहां टेलीविजन के हजार सकारात्मक पहलू है। वही टेलीविजन के कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं।  जहां बड़े बुजुर्गों के लिए टेलीविजन समय काटने का एक अच्छा सा साधन है।

वही बच्चों के लिए टेलीविजन से बहुत समय तक चिपके रहना अच्छा नहीं है। इससे उनकी पढ़ाई का भी नुकसान होता है। और लगातार टेलीविजन देखने से आंखों की रोशनी भी कम होने  की संभावना रहती है। समय भी बर्बाद होता है।सीमित समय के लिए टेलीविजन देखना ही बच्चों के हित में है। हाँ अगर कोई ज्ञानवर्धक कार्यक्रम बच्चों को अवश्य देखना चाहिए। 

कई बार टेलीविजन के सीरियलों में फूहड़ता अधिक दिखाई जाती है। राजनैतिक या धार्मिक भावनाओं को उत्तेजित करने वाले कार्यक्रमों को भी दिखाया जाता है जिसका समाज के लोगों पर गलत असर पड़ता है।

अधिकतर टीवी सीरियल में सास बहू से संबंधित कार्यक्रमों को दिखाया जाता है जिनमें कई बार घर में लड़ाई-झगड़े व फूट डालने वाले कार्यक्रम को दिखाया जाता है जो लोगों के मन में गलत असर डाल देते है।

समाचार चैनल एक दूसरे से आगे रहने की होड़ में कई बार गलत ख़बरों या सनसनी ख़बरों को प्रसारित कर देते हैं जिसे कई बार अनावश्यक रूप से माहौल खराब हो जाता है।

उपसंहार (Essay On Importance Of Television)

टेलीविजन आज घर-घर की आवश्यकता बन गया है। इसने हर घर में एक सदस्य के जैसी भूमिका निभानी शुरू कर दी है जो लोगों के खराब मूड को भी सही कर उनका मनोरंजन करता है।

एक ओर जहां ये बच्चों को मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञानवर्धक चीजें भी उपलब्ध कराता है। वहीं दूसरी ओर परिवार के प्रत्येक सदस्य का कुछ न कुछ मनपसंद कार्यक्रम अवश्य प्रस्तुत करता है। टेलीविजन में घर के प्रत्येक सदस्य के लिए कुछ ना कुछ मनोरंजक कार्यक्रम अवश्य होता है।  इसीलिए टेलीविजन आज घर-घर की आवश्यकता है। इसके बिना अब घर सूना सा लगने लगता है।

Essay On Importance Of Television : टेलीविजन का महत्व निबन्ध

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टेलीविजन पर निबंध Essay on Television in Hindi

अगर आप टेलीविजन पर निबंध (Essay on Television in Hindi) की तलाश कर रहे हैं, तो आप सही जगह पर हैं। इस लेख में हमने दूरदर्शन के ऊपर आकर्षक निबंध लिखा है।

जिसमें टेलीविजन के अर्थ, इतिहास, महत्व तथा लाभ हानियों को सरल रूप समझाया है। निबंध के अंत में दिया गया टेलीविजन के ऊपर 10 वाक्य इस लेख को और भी बेहतरीन बनाते हैं।

Table of Contents

प्रस्तावना (टेलीविजन पर निबंध Essay on Television in Hindi)

प्राचीन काल के मनुष्य अपने मनोरंजन और ज्ञान वृद्धि के लिए तीर्थाटन और खेलों का सहारा लिया करते थे। लेकिन आधुनिक काल में इंसान ने हर क्षेत्र में आश्चर्यजनक प्रगति कर ली है।

विज्ञान ने रेडियो का आविष्कार किया जिससे लोगों को समाचार, ज्ञान तथा मनोरंजन का श्राव्य रूप प्राप्त हुआ।

टेलीविजन इंसान के उन्हीं आविष्कारों में से एक है जिस पर वह गर्व कर सके। इस यांत्रिक मशीन की परिकल्पना अगर प्राचीन काल का कोई मनुष्य करता तो उसे पागल करार दे दिया जाता।

ईथर में लगातार तैरते इलेक्ट्रिक तरंगों को एक रिसीवर के माध्यम से पकड़ा जाता है जिसे उपग्रहों द्वारा इंसानों तक पहुंचाया जाता है। जिसे टेलीविजन के पीछे का विज्ञान भी कह सकते हैं।

हिंदी में टेलीविजन को दूरदर्शन कहा जाता है जिसका अर्थ होता है दूर के दृश्यों को अपने समीप घटते हुए देखना। इसकी खोज ने मनोरंजन के क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रांति ला दी है जो इंसानी इतिहास में बड़ी क्रांतियों में से एक मानी जाती है।

टेलीविजन क्या है? What is Television in Hindi?

टेलीविजन एक ऐसी मशीन है जो ध्वनि और चित्र के साथ एक विशेष प्रकार के मशीनी सतह पर प्रसारित होती है। टेलीविजन शब्द लैटिन और यूनानी भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ होता है दूर दृष्टि।

जब इसका आविष्कार किया गया था तब यह मुख्य रूप से ब्लैक एंड वाइट होती था फिर कुछ वर्षों के बाद यह रंगीन टीवी में बदल गया जो लोगों के द्वारा बहुत ही ज्यादा पसंद किया जाने लगा।

टीवी एक मनोरंजन का साधन है जिसमें हर कोई अपने पसंद की चीजों को देख वह सुन सकता है। उदाहरण स्वरूप संगीत प्रेमियों के लिए इसमें खासकर संगीत चैनल भी होते हैं तथा समाचार और ज्ञान के लिए विशेष प्रकार के चैनल होते हैं जिन्हें रिमोट द्वारा लगाया और बदला जाता है।

टेलीविजन का इतिहास History of Television in Hindi

टेलीविजन का आविष्कार एक अमेरिकी वैज्ञानिक जॉन लॉगी बेयर्ड ने सन 1927 में किया था। पहले यह आकार में बहुत ज्यादा बड़ा और डीसी करंट के द्वारा चलता था।

लगभग 7 सालों की मेहनत के बाद टेलीविजन को इलेक्ट्रिक से चलाने के लायक बनाया गया। इस प्रकार सन  1934 में टेलीविजन को पूरी तरह से शुरू कर दिया गया।

टेलीविजन बनाने के बाद सबसे बड़ी चुनौती थी कि उसके लिए स्टेशन को खड़ा करना। यह काम भी दो वर्षों में पूरा हो गया और आधुनिक टेलीविजन स्टेशन की स्थापना हुई।

टेलीविजन के आविष्कार के बाद पूरी दुनिया के अमीर लोग इसे बहुत ही ज्यादा पसंद करने लगे लेकिन मध्यम व गरीब वर्ग के लोगों के लिए यह खरीद पाना मुश्किल था।

जिसके कारण इसे भारत पहुंचते-पहुंचते सोलह वर्ष लग गए। सन 1950 में भारत के एक इंजीनियरिंग छात्र ने विज्ञान मेला में टेलीविजन का एक प्रारूप पेश किया।

लगभग 9 सालों बाद 15 सितंबर सन 1959 को पहला सरकारी प्रसारक दूरदर्शन की स्थापना की गई। शुरुआत में इस पर बहुत ही कम कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता था। 1965 तक इस क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास हुआ और इस पर दैनिक कार्यक्रमों को प्रसारित किया जाने लगा। 

टेलीविजन के बाद हिंदी फिल्म इंडस्ट्री और थियेटर का प्रचलन भी बहुत जोरों शोरों से बढ़ गया। जिसके परिणाम स्वरूप भा रत में हिंदी फिल्में भी अधिक स्तर पर बनाई जाने लगी।

यूनाइटेड नेशंस के द्वारा 21 नवंबर सन 1996 को वर्ल्ड टेलीविजन फोरम की स्थापना की गई थी जिसके कारण 21 नवंबर को वर्ल्ड टेलीविजन डे के रूप में भी मनाया जाता है।

विश्व टेलीविजन फॉर्म की स्थापना का उद्देश्य लोगों के लिए एक ऐसा माध्यम उपलब्ध करवाना था जहां टेलीविजन के महत्व पर बातचीत की जा सके और लोगों में इसके प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके।

पहले विश्व टेलीविजन दिवस के दिन टेलीविजन का वैश्विक प्रचार करने के लिए वैश्विक स्तर की बैठक हुई थी तथा कुछ खास कार्यक्रमों का प्रसार भी किया गया था।

भारत में 80 के दशक में टेलीविजन का सबसे अधिक विकास हुआ। दूरदर्शन पर रामायण और महाभारत जैसे कार्यक्रमों ने विश्व के कई रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया। 1997 में टेलीविजन चैनलों का सारा कामकाज प्रसार भारती कंपनी को सौंप दिया गया जिसके बाद इस पर रोज न्यूज़ बुलेटिन प्रसारित होने लगा। 

आज के समय में टेलीविजन का पूरी तरह से परिवर्तन हो चुका है जहां पहले टेलीविजन का आकार और कीमत बहुत ही ज्यादा हुआ करती थी वहीं अब यह बहुत पतले और हल्के (LED Television) के रूप में लोगों के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है।

टेलीविजन का महत्व Importance of Television in Hindi

मानव जीवन में टेलीविजन का महत्व बेहद ही अधिक है। क्योंकि एक तरफ यह लोगों के मनोरंजन का साधन है तो दूसरी तरफ पूरी दुनिया का समाचार भी इससे ही मिल पाता है।

पहले किसी भी स्थान का समाचार एक जगह से दूसरी जगह पहुंचते-पहुंचते महीनों लग जाते थे वही टेलीविजन से यह प्रक्रिया मिनटों में रूपांतरित हो चुका है।

टेलीविजन के सबसे बड़े महत्व के रूप में यह विद्यार्थियों को विश्व तथा विज्ञान से जोड़े रखने में एक सहायक की भूमिका अदा कर रहा है जिसके माध्यम से बच्चों का बौद्धिक विकास पहले से बेहतर हो रहा है।

इसके माध्यम से लोगों को संसार की भौगोलिक रचना का ज्ञान बड़े आसानी से हो जाता है तथा कई जिज्ञासाओं का समाधान इसके दर्शन से स्वतः ही हो जाता है।

भारत सरकार द्वारा टेलीविजन पर एनसीईआरटी के पाठ्यपुस्तक की सामग्रियों को प्रचारित किया जाता है जिससे गरीब बच्चों को पढ़ने में सहायता होती है।

टेलीविजन पर कृषि से जुड़े हुए बहुत से प्रश्नों के उत्तर साथ ही विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी जाती है जिससे कृषक को सहायता मिलती है।

टेलीविजन के लाभ और हानि Advantages and Disadvantages of Television in Hindi

जहां एक तरफ टेलीविजन से पूरी दुनिया में क्रांति आ चुकी है और लोगों के पास कोई भी जानकारी चुटकियों में पहुंच जाती है। तो वहीं दूसरी तरफ इसके दूरगामी दुष्परिणाम भी सामने आते हैं।

टेलीविजन के सबसे बड़े लाभ के रूप में इसका मनोरंजक होना है। लेकिन जब इसकी अधिकता होती है तो यह बुरी लत में परिवर्तित हो जाती है जिससे शारीरिक और मानसिक क्षमता का नाश भी होता है।

आज छोटे-छोटे बच्चों को चश्मा लग जाता है। जिसका एक कारण इनके द्वारा टीवी तथा अन्य उपकरणों के साथ बिताए जाने वाली समय की अधिकता है।

टेलीविजन के अनेकों लाभ है उदाहरण स्वरूप 80 के दशक में रामायण और महाभारत के द्वारा लोगों में जनजागृति और सकारात्मकता फैलाने का कार्य टेलीविजन के द्वारा ही संभव हो पाया था।

लेकिन आधुनिक समय में टेलीविजन पर ऐसे नकारात्मक तत्व धड़ल्ले से प्रसारित किए जा रहे हैं जिससे मनुष्य का वैचारिक और चारित्रिक हनन बड़े स्तर पर होता है।

टेलीविजन के माध्यम से मार्केटिंग ने जन्म लिया है जिसके कारण बाजार पद्धति में भी स्पर्धा कई गुना बढ़ चुकी है। लेकिन फिर भी आए दिन लोगों को लूटने वाले विज्ञापन टेलीविजन पर बेझिझक दिखाए जाते हैं।

कहते हैं कि किसी भी समाज का दर्शन उनके साहित्य में छुपा होता है। टेलीविजन के माध्यम से संगीत, साहित्य, कला, ज्ञान सभी को प्रदूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही।

टेलीविजन पर 10 लाइन Few lines on Television in Hindi

नीचे पढ़ें टेलिविज़न पर 10 लाइन-

  • टेलीविजन का आविष्कार अमेरिकी वैज्ञानिक जॉन लोगी बेयर्ड ने 1927 में किया था।
  • पहली बार इसे 1934 में इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप दिया गया।
  • भारत में पहली बार टेलीविजन का प्रचार 1950 में एक इंजीनियरिंग स्टूडेंट ने किया था।
  • 15 सितंबर 1959 को पहला टेलीविजन प्रयोग दूरदर्शन केंद्र दिल्ली में किया गया।
  • भारत में टेलीविजन का पहला रंगीन प्रसारण 15 अगस्त सन 1982 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के भाषण के साथ शुरू हुआ था।
  • अस्सी से लेकर नब्बे के दशक में भारतीय सीरियल रामायण और महाभारत ने विश्व के कई रिकॉर्ड ध्वस्त किए थे।
  • सन 1997 में टेलीविजन का सारा कामकाज प्रसार भारती को सौंप दिया गया था इसके बाद न्यूज़ बुलेटिन की शुरुआत हुई।
  • 21 दिसंबर सन 1996 को संयुक्त राष्ट्र ने विश्व टेलीविजन दिवस के रूप में घोषित किया।
  • 21वीं सदी की शुरुआत में रंगीन टीवी और पतली टीवी का प्रचलन शुरू हुआ जो आज तक चल रहा है। 
  • भारत सरकार द्वारा एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम को टेलीविज़न के माध्यम से दूरदर्शन पर प्रसारित किया जाता है। 

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में अपने टेलीविजन पर निबंध हिंदी में (Essay on Television in Hindi) पढ़ा। आशा है यह निबंध आपको सरल तथा आकर्षक लगा हो। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरूर करें।

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television disadvantages essay in hindi

टेलीविजन पर निबंध | Essay on Television in Hindi

by Meenu Saini | Jul 5, 2022 | Hindi | 0 comments

टेलीविजन पर निबंध

Hindi Essay Writing – टेलीविजन (Television)

  टेलीविजनपर निबंध में हम टेलीविजन का अर्थ टेलीविजन का इतिहास, टीवी का आविष्कार, भारत में टेलीविजन, टीवी के लाभ तथा हानि के बारे में जानेगे |

  • टेलीविजन का इतिहास

टीवी का आविष्कार

प्रथम इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन, भारत में टेलीविजन, टेलीविजन का अर्थ.

  • संचार का माध्यम – टीवी

टीवी के लाभ

टीवी से हानि, प्रस्तावना – .

  टीवी, यह मात्र मनोरंजन का साधन नहीं , ज्ञान का पिटारा भी है। जब नेटफ्लिक्स ,अमेजॉन प्राइम, यूट्यूब जैसे संसाधन नहीं थे तब घर बैठे लोगों के मनोरंजन का एकमात्र साधन था – टीवी। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि टीवी आज हमारे परिवार का एक सदस्य बन गया है, जो सबकी पहुंच में भी है और सब का पसंदीदा भी। आज बमुश्किल ऐसा कोई घर होगा, जहां टीवी ना हो । टीवी ने आज निम्न वर्ग से लेकर उच्च वर्ग तक हर घर में अपनी एक खास जगह बनाई है। कई घरों में तो सुबह की शुरुआत ही टीवी पर भजन सुनने से होती है, जबकि कुछ लोग देर रात तक टीवी पर डरावनी फिल्में देखना पसंद करते हैं। छोटा हो या बड़ा, बूढ़ा हो या बच्चा , टीवी सबका पसंदीदा हैं। टीवी कभी आपको बोर नहीं होने देता, वह हमेशा हमारे मनोरंजन के लिए तैयार है, चाहे दिन हो या रात, टीवी 24 घंटे आपके मनोरंजन और ज्ञानवर्धन के लिए हाज़िर हैं।   Top  

टेलीविजन का इतिहास 

छोटा पर्दा टीवी यानी टेलीविजन हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुका है और इसके आविष्कार के पीछे की कहानी बहुत लंबी और रोमांचक है। 

टेलीविजन के आविष्कार का श्रेय जॉनी लोगी बेयर्ड नाम के वैज्ञानिक को जाता है । जिन्होंने साल 1924 में पहली बार टीवी के निर्माण करके इतिहास रच दिया था | जॉनी लोगी बेयर्ड को टीवी का पितामह भी कहा जाता हैं |    Top  

  • जॉनी लोगी बेयर्ड ने टेलीविजन का पहला प्रदर्शन बैकलिट के बजाय परावर्तित प्रकाश द्वारा 30 -लाइन छवियों का था। 
  • बेयर्ड, वैज्ञानिक निप्को से प्रेरित थे। उन्होंने‌‌ इलेक्ट्रॉनिक्स में‌ इलेक्ट्रोमैग्नेटिक डिस्क टेक्नोलॉजी पर आधारित प्रयोगों में सफलता हासिल की थी।
  • 1925 में बेयर्ड ने पहली चलती हुई छवि विकसित की, जो टेलीविजन पर एक मानवीय चेहरे की छवि थी।
  • 1926 में उन्होंने लंदन में रॉयल इंस्टीट्यूशन में इसका प्रदर्शन किया । बेयर्ड को सफलता तब मिली जब 1928 में उनकी चलती-फिरती तस्वीर को अटलांटिक में प्रसारित किया गया । 
  • 1930 से पहले , बेयर्ड ने टेलीविजन में कई वर्जनों का प्रदर्शन किया। जैसे; 1928 में रंगीन टेलीविजन , इन्फ्रारेड लाइट द्वारा स्टीरियोस्कोपिक टेलीविजन के साथ। 
  • 1929 में बीबीसी द्वारा टीवी प्रसारण शुरू किया गया था । पहला प्रसारण बेयर्ड के 30- लाइन टेलीविजन पर किया गया था। 
  • 1930 में पहली ध्वनि, साथ ही टेलीविजन की तस्वीर प्रसारित की गई।
  • मार्कोनी-ईएमआई का इलेक्ट्रॉनिक टीवी 405 – लाइनों वाला दुनिया का पहला उच्च-रिज़ॉल्यूशन सिस्टम था । 
  • बीबीसी ने 1936 में बेयर्ड की तकनीक के स्थान पर इस तकनीक का इस्तेमाल किया । इसलिए चूंकि यह इलेक्ट्रॉनिक तकनीक अधिक कुशल थी, इसने बेयर्ड की यांत्रिक तकनीक का स्थान ले लिया। मैकेनिकल टेलीविजन की विफलता के पीछे मुख्य कारण इसकी अस्पष्ट या बहुत खराब तस्वीरें और साथ ही एक छोटा स्क्रीन था जो केवल 30-60 लाइनों का था। 

यांत्रिक टेलीविजन में, एक चित्र बनाने के लिए, एक मोटर का उपयोग धातु डिस्क को प्रकाश देने के लिए धातु डिस्क के पीछे एक नियॉन ट्यूब के साथ घुमाने के लिए किया जाता है। इसलिए इसकी अस्पष्ट या खराब तस्वीर की गुणवत्ता ने इस तकनीक को असफल बनाया।

  • टीवी आखिर काम कैसे करता है ? – टीवी या दूरदर्शन, रेडियो के सिद्धांत पर काम करता है | जिस प्रकार रेडियो के प्रसारण में स्पीकर, स्टूडियो में रिकॉर्डिंग करता है, उसकी आवाज से हवा में तरंगे होती है, जो माइक्रोफोन से इलेक्ट्रिक तरंगों में बदल जाती हैं और ट्रांसमीटर तक पहुंच जाती है, जो इन्हें रेडियो तरंगों में बदल देता है और टीवी  इन्हीं तरंगों को पकड़ लेता है |

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दुनिया के पहले इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन का आविष्कार फिलो टेलर फ़ार्नस्वर्थ ने किया था। इन्होंने 7 सितंबर 1927 को सैन फ्रांसिस्को में पहला इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन प्रदर्शित किया था। फिलो टेलर फ़ार्नस्वर्थ ने 21 साल की कम उम्र में इलेक्ट्रॉनिक टेलीविज़न का विकास करने में सफलता हासिल की।

एक इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन अपने कैथोड-रे या कैमरा ट्यूब के साथ-साथ अपनी तस्वीर की बेहतर गुणवत्ता के कारण प्रमुख प्रणाली के रूप में उभरा था। इस इलेक्ट्रॉनिक टेलीविज़न की उन्नति ने यांत्रिक टेलीविज़न के अंत की शुरुआत को चिह्नित किया। साथ ही वर्ष 1939 में संयुक्त राज्य अमेरिका में इसके अंतिम प्रसारण समाप्त हुए।

1950 के दशक में अमेरिकन कंपनियों CBS और RCA ने कलर टेलीविज़न कार्यक्रमों की शुरुआत की | फिर धीरे-धीरे कई बड़ी कंपनियों सोनी, सैमसंग ने कलर टेलीविज़न बनाना शुरू कर दिया | तो इस प्रकार देखा जाए तो टेलीविजन प्रौद्योगिकी में तेजी से विकास हुआ है – सबसे पहले, ब्लैक एंड व्हाइट टेलीविज़न का आविष्कार, रंगीन टेलीविज़न, फिर केबल टेलीविज़न, सैटेलाइट टेलीविज़न, इंटरनेट टेलीविज़न, डिजिटल टेलीविज़न, स्मार्ट टेलीविज़न, 3D टेलीविज़न, और भी बहुत कुछ भविष्य में आने वाला है‌। टेलीविजन बहुत ही तेजी से मनोरंजन के साथ-साथ जनसंचार के लिए भी एक लोकप्रिय साधन बन गया है। अब यह हमारे जीवन का हिस्सा बन गया है क्योंकि अब हम इसके बिना अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकते।   Top  

  • भारत में टेलीविजन की शुरुआत यूनेस्को की एक शैक्षणिक परियोजना के तहत 15 सितंबर 1959 के तहत हुई थी। इसका मकसद टीवी के जरिए शिक्षा और सामुदायिक विकास को प्रोत्साहित करना था ।
  • इसके लिए दिल्ली के गांवों में 2 दो टीवी सेट लगाए गए थे, इसमें हफ्ते में दो बार 1 घंटे के लिए शैक्षणिक कार्यक्रम दिखाए जाते थे।
  •  साल 1965 के बाद भारत में टीवी सेवा का प्रारंभ हुआ था ।
  • 1976 तक टीवी सेवा, आकाशवाणी का हिस्सा थी।
  • 1 अप्रैल 1976 में दूरदर्शन की स्थापना हुई । उस समय भारत में इंदिरा गांधी की सरकार थी। इंदिरा गांधी, दूरदर्शन के महत्व को समझती थी। उन्होंने पी सी जोशी के नेतृत्व में एक समिति बनाई और दूरदर्शन के विकास के लिए कार्यक्रम सुनिश्चित किए। पीसी जोशी का कथन था 

–   “हमारे जैसे समाज में जहां पुराने मूल्य टूट गए हैं और नए ना बन रहे हो वहां  दूरदर्शन बड़ी भूमिका निभाते हुए जन तंत्र को मजबूत बना सकता है ।” 

इस समिति के तहत दूरदर्शन के निम्नलिखित उद्देश्य निर्धारित किए गए थे – 

  • सामाजिक परिवर्तन लाना
  • सामाजिक चेतना का विकास करना
  • राष्ट्रीय एकता की भावना को बढ़ाना
  • सामाजिक कल्याण को प्रोत्साहन देना
  • कृषि के विकास के लिए जागरूकता लाना
  • पर्यावरण संरक्षण का महत्व बताना
  • खेल, संस्कृति, सांस्कृतिक धरोहर को प्रोत्साहन।

टेलीविजन अर्थात टीवी इसे हम छोटा पर्दा भी कह सकते हैं । यह दो शब्दों से मिलकर बना है – टेली (Tele) + विजन (Vision)  = टेली का अर्थ है दूर से और विजन अर्थात दृश्य । तो इस प्रकार दूर की वस्तुओं के चित्र या दृश्य दिखाने वाले इस बक्से का नाम पड़ा टेलीविजन । अपने शुरुआती दौर में टेलीविजन काफी बड़े साइज का होता था। परंतु समय के साथ-साथ, जैसे-जैसे आविष्कार होते गए, इसके आकार में अन्तर आता गया और आज पतली स्क्रीन के रूप में हम एलसीडी और एलईडी में हाई डेफिनेशन क्वालिटी के चित्रों और शानदार साउंड  का आनन्द ले रहे हैं।    Top  

संचार का माध्यम – टीवी 

टेलीविजन, आज संचार के सशक्त माध्यमों में से एक हैं। संचार शब्द की उत्पत्ति चर धातु से हुई है जिसका अर्थ है चलना या एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचना। दो से अधिक व्यक्तियों के बीच सूचना, विचारों और भावनाओं का आदान-प्रदान । लेकिन संचार में सिर्फ दो या अधिक व्यक्तियों को नहीं, हजारों-लाखों लोगों के जनसंचार को शामिल किया जाता है। इस प्रकार सूचना, विचारों और भावनाओं को लिखित, मौखिक तथा दृश्य, श्रव्य माध्यमों के जरिए सफलतापूर्वक एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाना ही संचार हैं। इस प्रक्रिया को अंजाम देने में मदद करने वाले तरीके संचार माध्यम कहलाते हैं और टीवी इन्हीं संचार माध्यमों में से एक है। इसके अतिरिक्त रेडियो, मोबाइल, टेलीफोन, फैक्स आदि संचार के अन्य माध्यम है।   Top  

21 नवम्बर, दरअसल इसी दिन वर्ष 1996 में संयुक्त राष्ट्र  (यूनाइटेड नेशन) ने वर्ल्ड टेलीविज़न फोरम का आयोजन किया था | उसमें दुनिया भर की टीवी इंडस्ट्री के प्रमुख लोग शामिल हुए थे। सब ने वैश्विक राजनीति और डिसिजन मेकिंग में टीवी के रोल पर चर्चा की। इवेंट में माना गया कि समाज में टीवी का रोल दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेंबली ने 21 नवंबर को वर्ल्ड टेलीविज़न डे घोषित कर दिया था। यह फैसला वैश्विक सहयोग को बढ़ाने में टेलीविजन के योगदान को देखते हुए लिया गया था। तब से हर वर्ष 21 नवंबर को विश्व टीवी दिवस मनाया जाता हैं |    Top  

  • मनोरंजन के क्षेत्र में –  

टेलीविजन पर आप घर बैठे कई सारे मनोरंजक कार्यक्रम देख सकते हैं | टीवी पर हर आयु वर्ग के हिसाब से चैनल आते हैं, जिनमें धारावाहिक कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता हैं | चाहे छोटे बच्चों के लिए कार्टून हो , बड़ो के लिए न्यूज चैनल, या महिलाओ के लिए सास-बहू वाले सीरियल, टीवी सबका ध्यान रखता हैं, कि कोई बोर ना हो |  

  • शिक्षा के क्षेत्र में – 

टेलीविजन सिर्फ मनोरंजन का साधन ही नहीं अपितु शिक्षा का भी सशक्त माध्यम है | इसका उदाहरण हमने कोरोना काल में भी देखा था | जब स्कूल , कॉलेज बंद हो गए थे | लॉकडाउन लग गया था, तब दूरदर्शन पर शैक्षणिक कार्यक्रम चलाए गये थे, जिसके माध्यम से गाँवो में रहने वाले बच्चों को घर बैठे शिक्षा उपलब्ध कराई जा सके |

भारत में इसकी शुरुआत करने का बुनियादी उद्देश्य यही था कि समाज में फैली बुराइयों को दूर किया जा सके, सामाजिक परिवर्तन लाया जा सके | आम नागरिकों में वैज्ञानिक चेतना का विकास हो, सामाजिक कुरीतियों रूढ़िवादी मान्यताओं के प्रति लोगों की सोच को बदला जा सके | इसका उदाहरण प्रत्यक्ष है कई ऐसे टेलीविजन पर कई ऐसे धारावाहिक प्रकाशित किए गए जिन्होंने समाज की बुराइयों को जनता प्रत्यक्ष रूप से जनता के सामने रखा | इसके अतिरिक्त डिस्कवरी, नेशनल जियोग्राफिक चैनल के माध्यम से लोगो को वैज्ञानिक ज्ञान में वृद्धि होती हैं | 

  • सामाजिक बदलाव के क्षेत्र में –  

जैसे बालिका वधू इस धारावाहिक में बाल विवाह जैसी दुष्कृत्य पर करारा प्रहार किया | जिससे लोगों में जागरूकता आये कि बाल विवाह दंडनीय अपराध है और किस प्रकार बाल विवाह से बच्चों का बचपन नष्ट किया जा रहा है | 

इसके अलावा ना आना इस देश मेरी लाडो इस धारावाहिक के माध्यम से बच्चियों को जन्म से पूर्व मार देने की घटिया सोच को जनता के दर्शाया गया | जिससे लोगो को इस अपराध की संगीनता का आभास हो |

हाल ही में चलाए जा रहे क्राइम पेट्रोल, सावधान इंडिया जैसे वास्तविक कहानियों पर आधारित 

कार्यक्रमों द्वारा आम नागरिकों को समाज में होने वाले गैरकानूनी और घातक जुर्म के प्रति सावधान किया जा रहा है। 

न्यूज चैनलों के माध्यम से दुनिया के कोने-कोने की ख़बरें हम तक पल भर में पहुँच जाती हैं और कई न्यूज चैनलों पर दिखाए जाने वाले वायरल टेस्ट से सोशल मीडिया पर प्रसारित गलत ख़बरों की पुष्टि हो जाती हैं |

  • करियर के नए अवसर – 

टीवी पर प्रसारित कई रियलिटी शोजस के माध्यम से छोटे बच्चों से लेकर युवाओं तक को अपना टैलेंट दिखाने का मौका मिल रहा है, फिर चाहे वह गाना गाना हो या डांस करना हो या एक्टिंग, कुकिंग | टीवी ने सभी के लिए दरवाजे खोल दिये है। और लोगो को करियर बनाने और प्रसिध्दी पाने के नए अवसर उपलब्ध कराये हैं |  जैसे – इण्डियन आइडल, मास्टर शेफ इंडिया, डांस इंडिया डांस, सारेगामापा आदि |    Top  

  • स्वास्थ्य के लिए हानिकारक – 

लगातार टीवी देखने से स्वास्थ्य से सम्बंधित कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं | जैसे एक ही जगह बैठे रहने से शारीरिक क्षमता प्रभावित होती हैं और लम्बे समय तक पास से टीवी देखते से आँखों में चश्मे लगवाने की नौबत भी आ जाती हैं और आई ड्राईनेस की समस्या बढ़ती हैं |

कई लोग जितना ज्यादा टीवी देखते हैं, बैठे-बैठे उतना ही ज्यादा खाते हैं जिससे मोटापे की समस्या बढ़ रही हैं |

देर रात तक टीवी देखने से नींद पर असर होता हैं | कई बार रात को देर से सोने से सुबह देर से नींद खुलती हैं और इससे चिढ़चिढ़ापन उत्पन्न होता हैं, क्रोध आता है और कई काम बिगड़ जाते हैं |

  •  समय की बर्बादी – 

टीवी एक तरह से समय की बर्बादी कारण भी हैं | जिस समय में आप कोई जरूरी काम कर सकते थे, वो समय टीवी देखने में व्यतीत हो जाता हैं | जब एक बार टीवी देखने की आदत पढ़ जाती हैं तो कई बार समय का पता ही नहीं चलता और आपके दिन के कई घंटे टीवी देखने में खराब हो जाते हैं |   

  • टीवी की लत – 

जब तक टीवी का उपयोग मनोरंजन के लिए किया जाए तब तक तो ठीक है किन्तु जैसे ही यह लत बन जाता हैं तो स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालता हैं | इससे कई लोगो में ध्यान केन्द्रित ना कर पाने की समस्या उत्पन्न होती हैं | फिर किसी कम में मन नहीं लगता हैं और मानसिक स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होता हैं |

  • बच्चों पर बुरा प्रभाव – टीवी पर प्रसारित किये जाने वाले कुछ सीरियल ऐसे होते हैं जो बच्चों को नहीं देखना चाहिए, इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता हैं और सीरियलों के बीच में कई बार भ्रामक, असंगत विज्ञापन दिखाए जाते हैं जिससे गलत संदेश फैलता हैं | विचारधारा कलुषित होती हैं | 

 उपसंहार –

हाल ही में हमने देखा कि कैसे एक टीवी न्यूज चैनल पर दिखाए गये डिबेट शो से पूरे देश में अलगाव उत्पन्न हो गया , लोगो की धार्मिक भावनाएं आहात हुए और जगह जगह विरोध प्रदर्शन हुए | केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने निजी सेटेलाइट टीवी चैनल को परामर्श जारी कर एसी सामग्री प्रसारित करने को लेकर सतर्क किया जो हिंसा भड़का सकती हैं | मंत्रालय ने राष्ट्र विरोधी प्रव्रत्ति को बढ़ावा देने वाली और देश की अखंडता को प्रभावित करने वाली सामग्री के प्रसारण के सम्बन्ध में सतर्क रहने की सलाह दी हैं | 

वस्तुतः भारत एक ऐसा लोकतान्त्रिक राष्ट्र है जहाँ टीवी पर दिखाए जाने वाले कार्यक्रम के विषय में सरकार को पूर्ण अधिकार प्राप्त हैं | केबल टेलीविज़न नेटवर्क अधिनियम 1995 के तहत टीवी प्रसारण के लिए कुछ नियम निर्धारित हैं, जिससे किसी भी जाति, धर्म और संप्रदाय की भावनाओं को ठेस ना पहुँचे |

हाल ही में  केबल टेलीविज़न नेटवर्क(संशोधन) अधिनियम 2021 जारी किया गया है | जिसके तहत टीवी पर दिखाए जा रहे किसी भी कार्यक्रम/ विज्ञापन संहिताओ के उल्लंघन से सम्बंधित नागरिकों की शिकायतों को दूर करने के लिए एक समिति गठित की गई हैं | इन नियमों को जल्द ही ओटीटी पर भी लागू किया जाएगा | यह अधिनियम ‘केबल टेलीविज़न के बेतरतीब विकास’ को नियंत्रित करेगा | क्यूंकि कई बार टीवी पर सीरियलों के बीच में भ्रामक, गंदे विज्ञापन दिखाए जाते हैं और कई ऐसी फिल्मों का प्रसारण होता हैं जो छोटे बच्चों को नहीं देखना चाहिए अतः इस अधिनियम से टीवी पर लगाम लगेगी | वैसे बेशक टीवी, मनोरंजन का एक लोकप्रिय माध्यम है | पर इसके साथ ही टीवी की एक जिम्मेदारी भी बनती हैं समाज को जागरूक करने की, सतर्क करने की और शिक्षित करने की | अतः इस पर किसी भी प्रकार की ऐसी सामग्री का प्रसारण ना हो जिससे समाज में अराजकता फैले |   Top  

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COMMENTS

  1. टेलीविजन के फायदे और नुकसान । Advantages & Disadvantages

    टेलीविजन के लाभ (Essay on Advantages of Television) टेलीविजन आधुनिक तकनीकी उपकरण है, जिसके द्वारा विभिन्न रंग, ध्वनि, और चित्र प्रसारित किए जाते हैं। यह ...

  2. टेलीविज़न के फायदे और नुक्सान Advantages and Disadvantages of Television

    टेलीविज़न के नुकसान / हानि Disadvantages of Television in Hindi. 1. समय की बर्बादी Spoil The Time. जैसे कि हमने आपको बताया कि टेलिविज़न समय बिताने का एक बेहतरीन उपकरण है ...

  3. Essay on Television in hindi, disadvantages, impact: टेलीविजन/दूरदर्शन

    टेलीविजन पर निबंध, television essay in hindi (200 शब्द) आज एक टेलीविजन दुनिया भर में लगभग हर घर में पाया जाता है। अमीर, गरीब सभी के पास है और यह उनकी सबसे मनोरंजक संपत्ति है ...

  4. टेलीविजन के फायदे और नुकसान पर निबंध Essay on television advantages and

    Essay on television advantages and disadvantages in hindi. television ke labh aur hani in hindi-दोस्तों जमाना बदल रहा है इस जमाने में बहुत सी चीजें बदल रही हैं पहले के जमाने में मनुष्य के पास कोई भी खास मनोरंजन ...

  5. टेलीविजन (दूरदर्शन) से लाभ और हानि पर निबंध

    टेलीविजन (दूरदर्शन) से लाभ और हानि पर निबंध - 3 Hindi : 3 हिंदी. टेलीविजन (दूरदर्शन) से लाभ और हानि पर निबंध. टेलीविजन आजकल हम सब लोगों के जीवन ...

  6. टेलीविज़न के फायदे एवं नुक्सान- Advantages and Disadvantages of

    We are providing information about Television in Hindi- Advantages and Disadvantages of Television in Hindi Language. टेलीविज़न के फायदे एवं नुक्सान ... #Television ( T.V ) ke Fayde aur Nuksan #Essay on Television Advantages and Disadvantages in Hindi.

  7. टेलीविजन पर निबंध / Essay on Television in Hindi

    Article shared by: टेलीविजन पर निबंध / Essay on Television in Hindi! टेलीविजन को विज्ञान का एक अदभुत आविष्कार माना जाता है । इसको हिन्दी में दूरदर्शन कहा जाता है ...

  8. Essay on Television in Hindi (TV) टेलीविजन पर निबंध

    We have written an essay on television in Hindi is written in 1000 words to help every child to write an essay or paragraph on television in Hindi. Write an essay on television advantages and disadvantages in Hindi or essay on effect of television on students in Hindi. टेलीविजन पर निबंध।

  9. टेलीविजन पर निबंध

    Television Essay In Hindi प्रिय साथियों आपका स्वागत हैं. ... (Television effect Advantages & Disadvantages) दूरदर्शन या टेलीविजन के अनेक लाभ है. परन्तु इससे कुछ हानियाँ भी है.

  10. टेलीविज़न पर निबंध

    [Essay 1] टेलीविज़न पर लेख (Short Essay on Television in Hindi) ... [Essay 6] दूरदर्शन : एक अभिशाप (Disadvantages of Television) दूरदर्शन का प्रारम्भ भारत में 15 सितम्बर, 1959 से समझना चाहिए, जब ...

  11. Essay on Television in Hindi

    Paragraph & Short Essay on Television in Hindi Language - टेलीविजन पर निबंध: Advantages and Disadvantage of Television Essay in Hindi Language for students of all Classes in 200, 300, 400, 500 words.

  12. टेलीविजन पर निबंध हिंदी में

    इस लेख में आप टेलीविजन पर निबंध (television essay in hindi) पढ़ सकते हैं जिसमे आप इसे उपयोग करने के फायदे और नुकसान आदि के बारे में पढ़ सकते हैं।

  13. टेलीविजन पर निबंध (Essay On Television in Hindi) 100, 200, 250, 300

    Essay On Television in Hindi - टेलीविजन एक लोकप्रिय मनोरंजन उपकरण है। यह बहुत आम है और लगभग सभी घरों में पाया जाता है। जब टेलीविजन ने पहली बार प्रसारण शुरू

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    विज्ञान पर निबंध पढ़ें Vigyan Essay in Hindi. 2. दूरदर्शन की हानियां-. Doordarshan ki haniya | Disadvantages Of Television in Hindi- जैसा कि उपरोक्त बिंदुओं से हम देख रहे हैं कि दूरदर्शन ...

  17. टेलीविजन पर निबंध

    Television Essay in Hindi. टेलीविजन, विज्ञान की सबसे अच्छी खोजों में से एक है, टेलीविजन न सिर्फ मनुष्य के मनोरंजन करने का एक सशक्त साधन है, बल्कि यह मनुष्य के ज्ञान को ...

  18. Essay on Advantages and Disadvantages of Television for Students

    Disadvantages of Television. There are advantages of watching television, but it also comes with disadvantages. Watching too much TV affects our mental and physical health. When we watch television continuously, it affects our eyes and makes us lazy. Even there are some programmes which are not suitable for kids.

  19. Hindi Essay on Advantages and Disadvantages of Television

    essay on advantages and disadvantages of television in hindi .essay on advantages and disadvantages of television .advantages and disadvantages of television...

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    टेलीविजन का महत्व (Essay On Importance Of Television) टेलीविजन का महत्व इसी बात से समझा जा सकता है कि आज हर घर में कुछ हो ना हो लेकिन टेलीविजन अवश्य होता है ...

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    प्रस्तावना (टेलीविजन पर निबंध Essay on Television in Hindi) प्राचीन काल के मनुष्य अपने मनोरंजन और ज्ञान वृद्धि के लिए तीर्थाटन और खेलों का सहारा लिया ...

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  23. टेलीविजन पर निबंध

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